Gujrat State Board, the Best Hindi Solutions, Class IX, विमान से छलांग (पत्र) श्यामचन्द्र कपूर

इस पत्र में लेखक ने पैराट्रूपिंग (विमान से छलाँग ) प्रशिक्षण के साहसिक अनुभवों का सजीव वर्णन किया है। विमान से छलाँग से पूर्व एक महीने का जमीनी प्रशिक्षण आवश्यक होता है। आगरा केन्द में पैराट्रूपिंग मिलिट्री की एक कोर है, जिसमें इस प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के बाद में पैराशूट की सहायता से आकाश में उड़ते हुए विमान से जमीन पर छलाँग लगाई जाती है। इसी का मार्मिक वर्णन पत्र में किया गया है।

47, पैराडुपिंग कोर,

आगरा कैण्ट,

24-9-1981

फ्लाइट लेफ्टिनैंट बत्रा,

सस्नेह नमस्ते।

जैसा कि मैंने कहा था कि मैं पैराट्रूपिंग के अनुभव का पत्र में वर्णन करूँगा, यहाँ विस्तार से वृत्तान्त लिख रहा हूँ।

विमानों से छलाँग लगाकर पेराशूट के सहारे नीचे आनेवाले बहादुरों के बारे में मुझे बड़ी उत्सुकता रहती थी। कैसा महसूस होता होगा हवा में अकेले लटकना? कभी-कभी मैं यह भी सोचता कि यदि छतरी ही न खुले तो क्या हो?

लेकिन जब मैंने पैराट्रूपिंग (पैराशूट के सहारे विमाने से नीचे कूदने की विद्या) सीखनी शुरू की, तब मेरी समझ में आया कि पैराट्रूपर बनने के लिए सचमुच बहादुरी की आवश्यकता होती है। उसके लिए तंदुरस्ती तो ठीक होनी ही चाहिए, हवाई जहाज से छलाँग लगाने की हिम्मत भी होनी चाहिए। शुरू में तो बहुत ऊँचाई से नीचे की ओर देखना ही काफ़ी डरावना लगता है। जरा सोचो, कोई तुमसे वहाँ से नीचे कूदने के लिए कहे, तो क्या हो?

खैर, मेरी पैराट्रूपिंग की एक महीने की ट्रेनिंग शुरू हो गई। सबसे पहले थी ग्राउंड ट्रेनिंग। कुछ दिन हमें जमीन पर ही अभ्यास करना था। कुछ समय बाद जब हमने पैराशूट के बारे में कई बातें जान लीं, तो हमारे मन से धीरे-धीरे ऊँचाई का डर दूर होता गया और हम आदेश मिलते ही छलाँग लगाने के लिए मानसिक रूप से तैयार होते गये।

इसके पहले कि हम विमानों से छलाँग लगाते हमने फैन जंप लगाये। इसमें ऊँचे प्लेटफोर्म पर से कूदना होता है और इस बात का खास ध्यान रखना होता है कि जब हम जमीन पर गिरे तो हमारे लुढ़कने का तरीका ठीक वही हो, जो हमें सिखाया गया है।

फैन जंप में तो मैं काफ़ी सफल रहा, लेकिन अब देखना यह था कि जब विमान में से कूदने का समय आता है, तो वह छलाँग में कितनी बहादुरी और सफलता के साथ लगा सकता हूँI

आखिर वह दिन भी आया, जब हमें विमान से छलाँग लगानी थी, विमान में बैठे मजे से खिड़की के बाहर झाँकना एक बात होती है और इतनी ऊँचाई पर से कूदना दूसरी ! शुरू-शुरू में कुछ समय तो डर लगता ही है, लेकिन छलाँग तो हमें लगानी ही थी। उसके लिए पूरे एक महीने की ट्रेनिंग जो ली थी। आज हमारी परीक्षा ही थी।

हम सभी विमान में बैठे और विमान उड़ा। धीरे-धीरे जमीन पर सारी चीजें छोटी होती जा रही थी। जमीन दूर होती जा रही थी और हम ऊपर उठते जा रहे थे। हम सब काफ़ी उत्तेजित थे। विमान में बैठकर सब ऊपर तो आ गये थे लेकिन अब नीचे जाने में, हमें अपना करतब दिखाना था। हमारी तैयारी भी पूरी थी।

विमान निश्चित ऊँचाई पर आ चुका था। अब हमें कूदना था। मैं पूरी हिम्मत के साथ दरवाजे के पास गया, बाहर की तेज हवा दरवाजे पर भी महसूस हो रही थी। मैं अपने पैराशूट और हेल्मेट वगैरह के साथ एकदम तैयार था। जैसे ही ‘गो’ की आवाज आये, मुझे नीचे कूदना था। अब मेरे दिमाग में छलाँग लगाने के सिवाय और कुछ नहीं था। पूरा ध्यान उसी पर केंद्रित था। पल पल बीत रहा था। मैं बेसब्री से इंतजार कर रहा था।

‘गो’ की आवाज आई और मैं चला। दिल जोर से धड़क रहा था। पृथ्वी रेत के एक बड़े मॉडल की तरह दिख रही थी और मैं तेज़ी से नीचे जा रहा था। वह बड़ा ही अनोखा अनुभव था। कुछ ही क्षण बीते थे कि मैंने पैराशूट खोल दिया। पैराशूट ऊपर उठा और छतरी की तरह फैल गया। इसके बाद मैं मजे से हवा में तैर सा रहा था। अपने आप पर गर्व सा महसूस हो रहा था।

मैं पृथ्वी के करीब आता जा रहा था। ऊपर से छोटी दिखनेवाली पृथ्वी पर की सभी चीजें धीरे-धीरे बड़ी हो गयी थीं। जमीन केवल 8-9 मीटर ही नीचे थी। मैंने अपने पैर सीधे कर लिये। अब मैं जल्दी ही उन्हें जमीन पर रखनेवाला था, कितना अच्छा होगा वह क्षण।

और लो ! मैं जमीन पर पहुँच गया। हमारे प्रशिक्षक और कई लोग आसपास खड़े थे, मुझे और मेरे साथियों को बधाई देने के लिए।

साथियों को मेरी जयहिन्द।

आपका

राकेश प्रधान

शब्दार्थ और टिप्पणी

पैराट्रूपिंग – आकाश में हवाई जहाज से पैराशूट (हवाई छत्री) द्वारा धरती पर छलाँग लगाकर उतरने की प्रक्रिया

ट्रेनिंग – प्रशिक्षण

ग्राउंड – मैदान, धरती

फैन जम्प – ऊँचे प्लेटफार्म से कूदना

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