जीवन में स्वास्थ्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सेहत को बनाए रखने के लिए कई लोग बहुत पैसे खर्च करते हैं। पैसे खर्च किये बिना ही अपने जीवन को स्वस्थ रखने के लिए “खेलो – कूदो – स्वस्थ रहो” – इस सूत्र को अपनाएँ।
खेलो-कूदो-स्वस्थ रहो
खेलों की दुनिया में सदा आनंद और उल्लास का वातावरण रहता है। उत्साह का शीतल समीर बहता रहता है। खेल से तन-मन स्वस्थ होता है। मनोरंजन भी मिलता है।
खेल कई तरह के होते हैं। साधारणतया उनके दो भेद किये जाते हैं- शारीरिक खेल और मानसिक खेल। जिन खेलों में शारीरिक श्रम अधिक करना पड़ता है, उन्हें शारीरिक खेल कहा जाता है। उदाहरण के लिए कबड्डी, हॉकी, गुल्लीडंडा, क्रिकेट, कुश्ती, फुटबाल, बैडमिंटन, तैरना, दौड़ना आदि। इसके विपरीत जिन खेलों में मानसिक श्रम अधिक होता है, उन्हें मानसिक खेल कहते हैं। उदाहरण के लिए शतरंज, केरम, पासा, बकरी – बाघ खेल आदि।
इसी प्रकार वैयक्तिक खेल और सामूहिक खेल के रूप में भी भेद किये जा सकते हैं। व्यक्तिगत खेलों में तैरना, दौड़ना, एयरोबिक्स, तीर चलाना, बिलियर्ड्स, शूटिंग, नाव चलाना, छलाँग मारना आदि। सामूहिक खेलों में वॉलिबॉल, क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, बैडमिंटन आदि।
इसी प्रकार खेलों का और एक भेद भी है। कबड्डी, क्रिकेट, हॉकी, वॉलिबॉल आदि मैदानी (Outdoor) खेल हैं। शतरंज, केरम, पासा आदि घरेलू खेल (Indoor) हैं।
आजकल हमारे देश में हॉकी, क्रिकेट, बैडमिंटन, शतरंज, कुश्ती आदि खेल काफी लोकप्रिय हो रहे हैं।
राज्य और राष्ट्र के स्तर पर खिलाड़ियों को पुरस्कार दिए जाते हैं। जैसे अर्जुन, एकलव्य, द्रोणाचार्य, ध्यानचंद, राजीव खेलरत्न आदि। पुरस्कार के साथ धनराशी भी दी जाती है। अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों को और पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ियों को भी राज्य सरकार, केंद्र सरकार, बैंक और कई कंपनियों में नौकरी दी जाती है। पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ियों को नौकरियों की भर्ती में आरक्षण की सुविधा भी रहती है। इतना ही नहीं रेल, हवाईजहाज़ आदि में सफ़र करने के लिए भी विशेष रूप से आरक्षण की सुविधा दी जाती है। कई कंपनियाँ खिलाड़ियों को अपने प्रतिनिधि बना लेती हैं।
जीवन में खेलों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। खेल छात्र जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है। छात्रों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलना भी ज़रूरी है। खेलों द्वारा बच्चों में धैर्य, लगन, परिश्रम, उत्साह तथा परस्पर सहयोग आदि गुणों का विकास होता है।
जहाँ विद्यालय में छात्र शिक्षा द्वारा अनेक विषयों का ज्ञान प्राप्त करते हैं, वहीं खेलों द्वारा जीवन का अनुभव प्राप्त करते हैं।
नेहरू जी के अनुसार खेल को खेल की भावना से ही खेलना चाहिए। नेहरू जी के समान ही गांधीजी भी स्वास्थ्य के लिए व्यायाम को आवश्यक मानते थे। खेल भी व्यायाम का ही एक अंग है। खेलने से हमारे अंगों की कसरत हो जाती है और हम हृष्ट-पुष्ट बनते हैं। अतः अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेलना ज़रूरी है।
खेलों द्वारा हम नाम के साथ-साथ धन भी कमा सकते हैं। आजकल खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए विद्यालयों में भी ‘खेल दिवस’ का आयोजन किया जाता है। जीतनेवाले बच्चों को पुरस्कार दिए जाते हैं। सभी बच्चों को खेलों में भाग लेना चाहिए ताकि वे स्वस्थ बनें। कहा जाता है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।”
अतः तन-मन दोनों को स्वस्थ बनाने के लिए खेलना अत्यन्त आवश्यक है।
शब्दार्थ :
छात्र – विद्यार्थी
ज़रूरी – आवश्यक
हवा – वायु; विकास
शीतल – ठंडा,
प्रगति – उन्नति
तलाश – ढूँढ़, खोज
चोट – आघात, घाव
हिस्सा – भाग
स्वास्थ्य – तंदुरुस्ती, सेहत
कसरत – व्यायाम
सहयोग – सहकार
चिंता – परेशानी
खाली – रिक्त
आरक्षण – Reservation
हृष्ट-पुष्ट – तगड़ा, हट्टा-कट्टा
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- खेलों की दुनिया कैसी है?
उत्तर – खेलों की दुनिया में सदा आनंद और उल्लास का वातावरण रहता है।
- व्यक्तिगत खेलों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर – व्यक्तिगत खेलों में तैरना, दौड़ना, एयरोबिक्स, तीर चलाना, बिलियर्ड्स, शूटिंग, नाव चलाना, छलाँग मारना आदि।
- हम हृष्ट-पुष्ट कैसे बन सकते हैं?
उत्तर – तरह-तरह के खेल खेलने से हमारे अंगों की कसरत हो जाती है और हम हृष्ट-पुष्ट बनते हैं।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- खेलों के प्रकार लिखते हुए कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर – खेलों को वैयक्तिक खेल और सामूहिक खेलों में बाँटा जा सकता है। व्यक्तिगत खेलों में तैरना, दौड़ना, एयरोबिक्स, तीर चलाना, बिलियर्ड्स, शूटिंग, नाव चलाना, छलाँग मारना आदि। सामूहिक खेलों में वॉलिबॉल, क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, बैडमिंटन आदि।
- खेलों से क्या लाभ हैं?
उत्तर – खेलों द्वारा बच्चों में धैर्य, लगन, परिश्रम, उत्साह तथा परस्पर सहयोग आदि गुणों का विकास होता है। खेलने से हमारे अंगों की कसरत हो जाती है और हम हृष्ट-पुष्ट बनते हैं। अतः अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेलना ज़रूरी है।
- राज्य और राष्ट्र स्तर पर खिलाड़ियों को कौन-कौन-से पुरस्कार दिये जाते हैं?
उत्तर – राज्य और राष्ट्र स्तर पर खिलाड़ियों को अर्जुन, एकलव्य, द्रोणाचार्य, ध्यानचंद, राजीव खेलरत्न आदि पुरस्कार के साथ धनराशि भी दी जाती है। अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों को पुरस्कार के साथ-साथ राज्य सरकार, केंद्र सरकार, बैंक और कई कंपनियों में नौकरी भी दी जाती है।
III. विलोम शब्द लिखिए :-
आवश्यक x अनावश्यक
ज्ञान x अज्ञान
उन्नति x अवनति
स्वस्थ x अस्वस्थ
IV. समानार्थक शब्द लिखिए :-
दुनिया – जग, संसार
वीर – साहसी, हिम्मती
स्पर्धा – प्रतियोगिता, मुक़ाबला
पुरस्कार – इनाम, पारितोषिक
V.खाली स्थान भरिए :-
- खेल से _________ स्वस्थ होता है।
उत्तर – तन-मन
- खेल _________ जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है।
उत्तर – छात्र
- खेल भी _________ का ही एक अंग है।
उत्तर – व्यायाम
- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ _________ का निवास होता है।
उत्तर – मस्तिष्क
VI. वाक्यों में प्रयोग कीजिए :-
विद्यार्थी – अच्छे विद्यार्थी जीवन में सफलता हासिल करते हैं।
उत्साह – उत्साह सभी गुणों से श्रेष्ठ माना जाता है।
पुरस्कार – प्रतियोगिताओं में रमेश ने अनेक पुरस्कार जीते।
मानसिक – खेलों से शारीरिक शक्ति के साथ मानसिक शक्ति का भी विकास होता है।
श्रम – प्रत्येक जीव के लिए श्रम करना आवश्यक है।
आयोजन – एकता क्लब के सदस्यों ने रक्तदान शिविर का आयोजन किया है।
VII. कन्नड़ में अनुवाद कीजिए :-
- खेल कई तरह के होते हैं।
उत्तर – ಕ್ರೀಡೆಗಳು ಹಲವಾರು ವಿಧಗಳಾಗಿವೆ.
- जीवन में खेलों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है।
उत्तर – ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಕ್ರೀಡೆಯ ಸ್ಥಳವು ಬಹಳ ಪ್ರಮುಖವಾಗಿದೆ.
VIII. उपकरणों को देखकर खेलों का नाम लिखिए :-
1) गिल्ली-डंडा
2) टैनिस
3) स्टापू, सतोलिया
4) पासा खेल
5) बैडमिंटन
6) बास्केट बॉल
IX. क्या आपने सतोलिया (लगोरी) खेला है? उस खेल के नियमों को लिखिए :-
उत्तर – हाँ मैंने सतोलिया खेल खेला है। यह एक पारंपरिक भारतीय खेल है जिसे खुले मैदान में खेला जाता है। इसमें गेंद और सात पत्थरों का उपयोग किया जाता है। खेल को दो टीमों में खेला जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य सात पत्थरों के ढेर को गिराना और पुनः बनाना होता है।
खेल के लिए आवश्यक सामग्री :-
सात सपाट पत्थर – जो आकार में छोटे-बड़े हो सकते हैं।
रबर या टेनिस बॉल – जिससे पत्थरों के ढेर को गिराया जाता है।
खुला मैदान – खेल के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
खेल के नियम –
- खिलाड़ियों की संख्या
प्रत्येक टीम में 3 से 7 खिलाड़ी हो सकते हैं।
दोनों टीमें बारी-बारी से खेलती हैं।
- खेल की शुरुआत
सात पत्थरों को एक के ऊपर एक रखकर एक ढेर बनाया जाता है।
एक टीम गेंद को निशाना बनाकर इस ढेर को गिराने की कोशिश करती है।
- खेल का उद्देश्य
गेंद फेंकने वाली टीम (हमलावर टीम) – पत्थरों को गिराने के बाद उन्हें फिर से जल्दी से जोड़ने का प्रयास करती है।
दूसरी टीम (रक्षात्मक टीम) – हमलावर टीम को पत्थर जोड़ने से रोकने का प्रयास करती है और उन्हें गेंद से मारकर आउट करने की कोशिश करती है।
- आउट होने के नियम
यदि गेंद किसी खिलाड़ी को छू जाए और वह कैच कर ली जाए, तो वह खिलाड़ी आउट हो जाता है।
यदि हमलावर टीम के खिलाड़ी को गेंद लग जाए, तो वह खेल से बाहर हो जाता है।
यदि हमलावर टीम सात पत्थरों को समय पर पुनः नहीं बना पाती, तो वह राउंड हार जाती है।
- अंक प्रणाली
यदि हमलावर टीम सात पत्थरों को गिराने और पुनः बनाने में सफल होती है, तो उसे अंक दिए जाते हैं।
खेल को तय अंकों या समय सीमा तक खेला जाता है।
- खेल का अंत
जो टीम पहले निर्धारित अंकों तक पहुँचती है, वही विजेता बनती है।
यदि समय सीमा तय हो, तो अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम जीतती है।
X. बचपन में आपने गिल्ली-डंडा, पतंग उड़ाना, कांचे, सतोलिया, लट्टू, खो-खो और छुप्पा-छुप्पी खेला होगा। किसी एक खेल के बारे में पाँच वाक्य लिखिए।
उत्तर – खो-खो भारत का एक पारंपरिक खेल है, जिसमें गति, फुर्ती और टीम वर्क की जरूरत होती है।
यह खेल दो टीमों (प्रत्येक में 12 खिलाड़ी) के बीच खेला जाता है, जिसमें 9 खिलाड़ी मैदान में होते हैं।
मैदान में 8 खंभे (पोस्ट) होते हैं, और खिलाड़ी एक-दूसरे को खो देकर पीछा करने वाले को पकड़ने में मदद करते हैं।
खेल की अवधि दो पारियों में 9-9 मिनट की होती है, जिसमें एक टीम बचाव करती है और दूसरी पीछा करती है।
खो-खो एक तेज और रणनीतिक खेल है, जो फुर्ती, सहनशक्ति और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करता है।
X.अनुरूपता :-
- शतरंज : मानसिक खेल :: बैडमिंटन : शारीरिक खेल
- क्रिकेट : मैदानी खेल :: केरम : घरेलू खेल
- तेंडूल्कर : क्रिकेट :: ध्यानचंद : हॉकी
- तैरना : व्यक्तिगत खेल :: कबड्डी : सामूहिक खेल
‘समुच्चयबोधक अव्यय’
* खेलने से हमारे अंगों की कसरत हो जाती है और हम हृष्ट-पुष्ट बनते हैं।
* मैं घर जल्दी गया किंतु सो नहीं पाया।
* खेलने से शारीरिक व मानसिक बल बढ़ता है।
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
दो शब्दों, उपवाक्यों और वाक्यों को जोड़ने या अलग करनेवाले शब्दों को ‘समुच्चयबोधक’ कहते हैं।
उदाहरण : कि, लेकिन, किंतु, परंतु, क्योंकि, तथा, एवं, अथवा, मगर आदि।
समुच्चयबोधक के दो भेद हैं।
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक –
दो अथवा दो से अधिक समान पदों, उपवाक्यों या वाक्यों को आपस में जोड़नेवाले शब्दों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं, जैसे – या, व, बल्कि, इसलिए, और, तथा आदि।
* वरुण ने अपना गृहकार्य किया और खेलने चला गया।
* मदन व नंदन सो रहे हैं।
* मैंने कोशिश की, लेकिन काम नहीं बना।
- व्यधिकरण समुच्चयबोधक –
एक अथवा एक से अधिक आश्रित उपवाक्यों को आपस में जोड़नेवाले शब्द व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं, जैसे – तथापि, यद्यपि, कि, क्योंकि, ताकि आदि।
* माँ ने कहा कि तुरंत तैयार हो जाओ।
* मैं घर चला आया क्योंकि पैसे खत्म हो गये।
* अभी परीक्षा की तैयारी करो ताकि अच्छे अंक पा सको।
I. निम्नलिखित उपवाक्यों को समुच्चयबोधक से जोड़िए :-
(इसलिए, लेकिन, ताकि, अतः, कि, और, या)
- तुम्हारी तबीयत खराब है। दवाई तो खानी पड़ेगी।
उत्तर – तुम्हारी तबीयत खराब है इसलिए दवाई तो खानी पड़ेगी।
- जल्दी आओ। समय पर पहुँच सको।
उत्तर – जल्दी आओ ताकि समय पर पहुँच सको।
- विकास ने समझाया। बात मत बढ़ाओ।
उत्तर – विकास ने समझाया कि बात मत बढ़ाओ।
- रामायण महाकाव्य है। महाभारत भी महाकाव्य है।
उत्तर – रामायण महाकाव्य है और महाभारत भी महाकाव्य है।
- राम घर आया। श्याम घर आया?
उत्तर – राम घर आया या श्याम घर आया?
- क्या तुम कॉफी पीओगे। क्या तुम चाय पीओगे?
उत्तर – तुम कॉफी पीओगे या चाय?
- आज इतवार है। आज सभी दुकानें बन्द हैं।
उत्तर – आज इतवार है इसलिए सभी दुकानें बन्द हैं।
- मैं जल्दी गया था। काम नहीं बना।
उत्तर – मैं जल्दी गया था लेकिन काम नहीं बना।
II. रिक्त स्थानों में उचित समुच्चयबोधक भरिए :-
(क्योंकि, इसलिए, या, बल्कि)
- उसे खीर नहीं बल्कि हलवा खाना है।
- इस समय बाहर मत निकलो क्योंकि मौसम खराब है।
- लता तुम सोना चाहती हो या खेलना चाहती हो?
- आज मैं थोड़ी देर से उठा इसलिए स्कूल समय पर नहीं पहुँच सका।
III. निम्नलिखित समुच्चयबोधकों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए :-
- लेकिन – मैं मेला घूमने जाना चाहता था लेकिन पिताजी ने जाने से मना कर दिया।
- क्योंकि – राजेश ने आज थोड़ा ही काम किया क्योंकि उसकी तबीयत सही नहीं है।
- ताकि – परीक्षा के लिए समय से निकलो ताकि समय पर परीक्षा भवन पहुँच सको।
- या – तुम चाय लोगे या कॉफी?
- बल्कि – सुधीर ने न केवल जख्मी राहगीर को घर पहुँचाया बल्कि उसके लिए दवाइयाँ भी खरीदी।
अध्यापन संकेत :-
* किसी एक प्रसिद्ध खिलाड़ी का जीवन परिचय, भेंटवार्ता, आत्म कथन आदि संग्रह करके चित्रों द्वारा बच्चों को समझाएँ।
उत्तर – भेंटवार्ता (इंटरव्यू अंश):
🔹 प्रश्न: क्रिकेट में “द वॉल” के रूप में आपकी छवि बनी। आपको यह नाम कैसे मिला?
🔹 राहुल द्रविड़: जब मैं क्रिकेट खेलता था, मेरा मुख्य ध्यान टीम के लिए लंबी पारियाँ खेलने और संकट की घड़ी में विकेट बचाने पर था। लोग मेरे रक्षात्मक खेल को देखकर मुझे “The Wall” कहने लगे। यह मेरे लिए सम्मान की बात है।
🔹 प्रश्न: आपके करियर में सबसे यादगार पल कौन सा रहा?
🔹 राहुल द्रविड़: 2001 में कोलकाता टेस्ट (भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया) मेरे करियर का सबसे यादगार मैच था। वीवीएस लक्ष्मण के साथ मेरी 376 रन की साझेदारी ने भारत को हार के मुहाने से निकालकर जीत दिलाई।
🔹 प्रश्न: क्रिकेट में सफलता का राज क्या है?
🔹 राहुल द्रविड़: कड़ी मेहनत, धैर्य और अनुशासन। केवल प्रतिभा से कुछ नहीं होता, आपको हर दिन अपने खेल को सुधारना होता है।
💠 आत्मकथन (राहुल द्रविड़ के विचार)
✅ “क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, यह अनुशासन, धैर्य और सम्मान सिखाता है।”
✅ “जब भी मैं मैदान पर उतरा, मैंने भारत के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की।”
✅ “जीवन में असफलता से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।”
✅ “आपका चरित्र तब बनता है जब आप कठिनाइयों का सामना करते हैं, न कि जब आप आसानी से जीत जाते हैं।”
* छात्रों को कर्नाटक के कुछ मशहूर खिलाड़ियों की जानकारी प्राप्त करवाएँ।
उत्तर – कर्नाटक राज्य ने भारतीय खेल जगत को कई महान खिलाड़ी दिए हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। यहाँ कर्नाटक के कुछ मशहूर खिलाड़ियों की जानकारी दी गई है:
- अनिल कुंबले (क्रिकेट)
भारत के महानतम स्पिन गेंदबाजों में से एक।
619 टेस्ट विकेट के साथ भारत के सबसे सफल गेंदबाज।
1999 में पाकिस्तान के खिलाफ एक पारी में 10 विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज बने।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और कोच भी रहे।
- राहुल द्रविड़ (क्रिकेट)
“द वॉल” (The Wall) के नाम से प्रसिद्ध।
टेस्ट क्रिकेट में 13,000+ रन बनाए।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान और वर्तमान में हेड कोच।
खेल भावना और तकनीकी बल्लेबाजी के लिए विश्व प्रसिद्ध।
- जवागल श्रीनाथ (क्रिकेट)
भारत के सबसे सफल तेज गेंदबाजों में से एक।
300 से अधिक वनडे विकेट लिए।
1990 और 2000 के दशक में भारतीय गेंदबाजी आक्रमण की रीढ़ रहे।
- वेंकटेश प्रसाद (क्रिकेट)
भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख तेज गेंदबाजों में से एक।
1996 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ उनकी शानदार गेंदबाजी यादगार है।
कोचिंग और कमेंट्री में भी सक्रिय।
- पी. गोपीचंद (बैडमिंटन)
2001 में ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले दूसरे भारतीय (प्रकाश पादुकोण के बाद)।
वर्तमान में भारत के प्रमुख बैडमिंटन कोच।
साइना नेहवाल और पी. वी. सिंधु जैसे स्टार खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी।
- प्रकाश पादुकोण (बैडमिंटन)
1980 में ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय।
पूर्व भारतीय राष्ट्रीय कोच और बैडमिंटन अकादमी के संस्थापक।
बैडमिंटन के विकास में बड़ा योगदान दिया।
- रोहन बोपन्ना (टेनिस)
भारत के शीर्ष डबल्स टेनिस खिलाड़ियों में से एक।
2017 में फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स चैंपियन बने।
डेविस कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
- श्रीकांत वाड (पैरा-एथलेटिक्स)
भारत के प्रमुख पैरा-एथलीट में से एक।
पैरा ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में पदक विजेता।
- रोहन कदम (हॉकी)
भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में से एक।
कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
- विनय कुमार (क्रिकेट)
कर्नाटक के सफलतम घरेलू क्रिकेट कप्तानों में से एक।
रणजी ट्रॉफी में कर्नाटक को कई बार जीत दिलाई।
भारत के लिए वनडे और टी20 क्रिकेट खेला।
निष्कर्ष :-
कर्नाटक ने क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, हॉकी और अन्य खेलों में कई महान खिलाड़ी दिए हैं। इनमें से कई खिलाड़ियों ने न केवल भारत को गौरवान्वित किया बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी बने।