Gujrat State Board, the Best Hindi Solutions, Class X, Zakil Ali, Rajneesh, Ek Nayi Shuriaat, एक नई शुरुआत जाकिर अली ‘रजनीश’

(जन्म सन् 1975 ई.)

जाकिर अली ‘रजनीश’ एक जाने-माने सुप्रसिद्ध लेखक हैं। जिनकी वैज्ञानिक विषय लेखन में सविशेष रुचि रही है। उनके चार वैज्ञानिक उपन्यास, तीन बाल उपन्यास, अठारह बाल कहानी संग्रह सहित कुल त्रैसठ पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनमें ‘चमत्कार’ , ‘सपनों का गाँव’ , ‘विज्ञान की कथाएँ आदि मुख्य हैं। ‘गिनीपिग’ , ‘समय के पार’ इनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं। उत्कृष्ट लेखन के लिए ‘विज्ञान – कथा भूषण सम्मान’ , ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’ , सर्जना पुरस्कार सहित अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं।

एक नई शुरुआत वैज्ञानिक संशोधन विषयक कृति है। इस कृति में मानवदेह को तरंगों में रूपांतरित करके अन्य स्थान पर भेजने की अत्याधुनिक टेकनीक और तत्संबंधी किए जानेवाले प्रयोगों का हैरतअंगेज वर्णन रोमांचक ढंग से प्रस्तुत किया गया हैं। यहाँ दो वैज्ञानिकों की अद्भुत सिद्धि का वर्णन प्रस्तुत है।

एक नई शुरुआत

प्रोफेसर रामिश और उनके सहायक माधवन के जीवन के वे अद्भुत क्षण थे। उनके जीवन में आज वह होने वाला था, जो अद्भुत ही नहीं, असंभव भी था। मानवता के इतिहास में आज पहली बार मानव प्रक्षेपण यंत्र का परीक्षण संपन्न होने जा रहा था।

दो अति शक्तिशाली कम्प्यूटरों और द्रव्य विश्लेषण यंत्रों द्वारा निर्मित वह मानव प्रक्षेपण यंत्र दो खंडों में विभक्त था। यंत्र का एक भाग प्रोफेसर की प्रयोगशाला में तथा दूसरा भाग वहाँ से पाँच सौ मीटर दूर स्थित माधवन के घर में स्थापित किया गया था। प्रोफेसर रामिश ने कंप्यूटर पर अंतिम कमांड देने के बाद गर्व से स्क्रीन की ओर देखा। उनका चेहरा एक विशेष प्रकार की आभा से दमक रहा था।

कुछ ही पलों में कंप्यूटर ने प्रोसेस रेडी का सिग्नल दिया। प्रो. रामिश ने अपने सहयोगी माधवन को फोन पर अलर्ट किया और धड़कते दिल के साथ कंप्यूटर चालित चैंबर में प्रविष्ट हो गए और अगले ही क्षण मानव प्रक्षेपण यंत्र अपनी जटिल प्रक्रिया को संपादित करने में व्यस्त हो गया।

दूसरे छोर पर बैठा हुआ माधवन दम साधे कंप्यूटर स्क्रीन पर आँखें गड़ाए हुए था। प्रोफेसर का शरीर अपने मूल तत्त्वों में विभक्त होना प्रारंभ हो गया था। बस अब कुछ ही क्षणों की बात थी। लेकिन इस समय माधवन को एक-एक क्षण एक साल के बराबर लग रहा था और इसी अंतराल के बीच सहसा उसके दिमाग में वह घटना कौंध गई, जब वह प्रोफेसर रामिश से पहली बार मिला था।

वह ऐसा ही एक गरम दिन था। जब वह प्रोफेसर रामिश के जिगरी दोस्त आनंद मेहता का सिफारिशी पत्र लेकर पहली बार उनकी लैब में पहुँचा, उस समय वे अपने कंप्यूटर पर झुके हुए थे। माधवन का परिचय जानने के बाद प्रोफेसर रामिश ने सहर्ष उसे अपने साथ काम करने की अनुमति प्रदान कर दी। माधवन ने एक नजर प्रोफेसर के कंप्यूटर पर डाली, पर जब उसे कुछ समझ में नहीं आया, तो उसने पूछ ही लिया, ‘सर, आनंद सर ने बताया था कि आप किसी विशेष प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं? ”

प्रो. रामिश ने माधवन के चेहरे की ओर देखा। जैसे वे यकीन कर लेना चाहते हों कि माधवन से अपने प्रोजेक्ट की बातें शेयर की जा सकती हैं अथवा नहीं। हालाँकि माधवन के साथ आनंद की संस्तुति थी, लेकिन फिर भी उन्होंने माधवन की आँखों में झाँककर उसे परख लेना उचित समझा।

उन्होंने एक लंबी साँस ली और फिर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मानव प्रक्षेपण यंत्र” के बारे में माधवन को बताने लगे। प्रोफेसर की बातें सुनकर माधवन का मुँह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया। आखिर जब उससे रहा न गया, तो वह पूछ ही बैठा, ‘सर, क्या वास्तव में ऐसा संभव है? ‘

प्रोफेसर रामिश ने माधवन की ओर ऐसा देखा, जैसे कोई दस साल का बच्चा हो। वे बोले, ‘क्यों नहीं भेजा जा सकता? ”

कहते हुए प्रोफेसर रामिश एक क्षण के लिए रुके। पर माधवन की ओर से कोई प्रतिक्रिया व्यक्त न होने पर वे रुके नहीं। उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाई, ‘अरे भई, ये तो तुमने पाँचवीं क्लास में ही पढ़ा होगा कि प्रत्येक वस्तु एक विशेष प्रकार के अणुओं से मिलकर बनती है। अणु परमाणुओं से मिलकर बनते हैं और किसी भी परमाणु को आकार मिलता है उसके अपने भीतर मौजूद इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन , न्यूट्रॉन के कारण।’

‘हाँ, ये तो बहुत सामान्य सी बातें हैं।’ माधवन ने उनकी बात का समर्थन किया।

‘यदि हमें किसी वस्तु की संरचना को समझना हो तो हम क्या करेंगे। हम उस वस्तु के अणुओं, परमाणुओं का अध्ययन करेंगे।’ प्रोफेसर ने बातों का सिलसिला आगे बढ़ाया, ‘यह ठीक वैसा ही है जैसे किसी मशीन के अंदर के कलपुर्जों की बनावट और उनके कार्य करने की विधि।’

माधवन मूर्तिवत् प्रोफेसर रामिश की बात सुन रहा था। प्रोफेसर का वक्तव्य जारी था, ‘यह तो रही बनावट की बात। अब आती है किसी वस्तु को तरंगों के माध्यम से कहीं भेजने की बात। तुम्हें तो मालूम ही है कि ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती है। हाँ, उसका स्वरूप परिवर्तित किया जा सकता है, जैसे विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में, आणविक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में। अब हम आणविक ऊर्जा को उदाहरण के रूप में लेते हैं। यह ऊर्जा यूरेनियम, थोरियम आदि तत्त्वों को तोड़कर प्राप्त की जाती है। इस काम के लिए परमाणु रिएक्टर काम में लाए जाते हैं। इससे हम यह आसानी से समझ सकते हैं कि किसी भी वस्तु को उसके मूल तत्त्वों में तोड़ा जा सकता है और अगर किसी वस्तु को उसके मूल तत्त्वों में विभक्त किया जा सकता है, तो उन मूल तत्त्वों को आपस में जोड़कर उस तत्त्व को दुबारा भी मूल रूप में प्राप्त किया जा सकता है।’

‘हाँ, यह तो है ।’ माधवन ने उसकी बात का समर्थन किया।

प्रोफेसर रामिश ने अपनी बात आगे बढ़ाई, ‘और तुम्हें यह भी मालूम है कि हमारा शरीर भी विभिन्न प्रकार के तत्त्वों से मिलकर बना है। हालाँकि किसी वस्तु और जीवित प्राणी की संरचना में काफी अंतर होता है, लेकिन जो बातें किसी वस्तु के बारे में लागू होती हैं, वही बातें जीवित प्राणियों के बारे में भी लागू होती हैं। अर्थात् हम यह कह सकते हैं कि जिस प्रकार किसी वस्तु को उसके मूल तत्त्वों में विभक्त और वापस उन तत्त्वों को जोड़कर उसके मूल रूप में पाया जा सकता है, उसी प्रकार जीवित प्राणी के साथ भी यह प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। लेकिन यह दूसरी प्रक्रिया पहली के मुकाबले काफी जटिल और श्रमसाध्य होगी।’ कहते हुए प्रोफेसर रामिश ने एक लंबी साँस ली।

प्रोफेसर की बात सुनकर माधवन सम्मोहन की अवस्था में आ गया। एक क्षण के लिए वह कुछ सोच ही न पाया कि प्रोफेसर के इस लेक्चर को सुनने के बाद वह प्रसन्नता व्यक्त करे अथवा शंका। लेकिन अगले ही क्षण उसके दिमाग में एक सवाल कौंधा और वह बोले बिना रह न सका, ‘सर, माना कि यह सारी प्रक्रिया संभव है, पर इससे यह कैसे सिद्ध होता है कि हम किसी भी व्यक्ति को बिना किसी साधन के दूसरी जगह भेज सकते हैं?’

माधवन की बात सुनकर प्रोफेसर के चेहरे पर हलकी सी मुसकान दौड़ गई। वे बोले, ‘मैंने कब कहा कि बिना किसी साधन के हम किसी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेज सकते हैं। मैं तो सिर्फ यह कह रहा हूँ कि जिस प्रकार किसी फिल्म को एक खास प्रकार की तरंगों में परिवर्तित करके उसे एक स्थान अर्थात् टीवी स्टेशन से प्रक्षेपित कर दूसरे स्थान यानी कि टीवी सेट पर प्राप्त कर लेते हैं। उसी प्रकार हम पहले किसी वस्तु अथवा व्यक्ति को पहले उसके मूल तत्त्वों में विभक्त करेंगे, फिर उन तत्त्वों को एक विशेष प्रकार की तरंगों में परिवर्तित कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजेंगे। जहाँ पर इन तरंगों को ग्रहण किया जाएगा, वहाँ तरंगों को वापस मूल तत्त्वों में परिवर्तित करके उसके मूल रूप में पुनः बदल लिया जाएगा।’

और तभी अचानक माधवन की तंद्रा भंग हो गई। कारण था मानव प्रक्षेपण यंत्र से जुड़े पावर सप्लाई बॉक्स से उठने वाला धुआँ। यह देखकर माधवन हक्का-बक्का रह गया। उसने मोनीटर पर एक उड़ती-सी नजर डाली। प्रोफेसर रामिश का शरीर तरंगों में परिवर्तित होकर प्रक्षेपण यंत्र के रिसीवर की ओर चल पड़ा था। लेकिन अचानक हुई यह दुर्घटना ।

माधवन का शरीर पसीने से नहा उठा। इससे पहले कि वह कुछ करता, कमरे की पावर सप्लाई ऑफ हो गई। माधवन के हाथ-पैर फूल गए। उसकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, क्या नहीं? उस समय सिर्फ यंत्र की रडार प्रणाली और उससे जुड़ा कंप्यूटर ही काम कर रहा था। प्रक्षेपण यंत्र का नियंत्रण कक्ष फेल हो जाने के कारण प्रोफेसर रामिश का तरंग रूप में परिवर्तित शरीर प्रक्षेपण यंत्र की रिसीविंग प्रणाली के नियंत्रण से बाहर जा चुका था। लेकिन सुकून की बात यह थी कि तरंगों में परिवर्तित प्रोफेसर के शरीर की स्थिति कंप्यूटर पर प्रदर्शित हो रही थी।

मानव प्रक्षेपण यंत्र की दूसरी इकाई ठप्प हो जाने के कारण प्रो. रामिश का तरंगस्वरूप अपनी गति खो बैठा और वह हवा के बहाव के साथ प्रयोगशाला के पीछे बहनेवाले नाले की ओर उड़ चला।

नाले के किनारे बनी झुग्गियों के बाहर काफी चहल-पहल थी। वहाँ पर अभी – अभी शराब पीकर आए दो लोग आपस में गाली-गलौज कर रहे थे। पास में चेचक के दो मरीज लेटे हुए थे। उनसे थोड़ी दूरी पर बैठे बच्चे खाना खाने की जिद कर रहे थे। उनकी माँ पास में जल रहे चूल्हे की गीली लकड़ियों से जूझते हुए अपने बच्चों को बुरी तरह से डाँट रही थी।

उधर माधवन की दशा देखने लायक थी। उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था। कभी वह फायरब्रिगेडवालों को फोन कर रहा था, कभी बिजली के मिस्त्री को और कभी अपने आप से बातें करने लग जा रहा था। उस उपक्रमों में 15 मिनट का समय कब व्यतीत हो गया, यह पता ही नहीं चला।

सहसा माधवन के दिमाग में एक विचार कौंधा। उसने प्रक्षेपण यंत्र के स्विच को पावर बॉक्स से निकाला और सीधे बिजली के स्विच से जोड़ दिया। देखते-ही-देखते कमरा रोशनी से भर गया। मानव प्रक्षेपण यंत्र फिर से सक्रिय हो उठा।

संयोग की बात यह थी कि प्रोफेसर का शरीर अभी भी नियंत्रण कक्ष की सीमा में था। मशीन की कार्यप्रणाली ऑन होते ही वे तरंगें रिसीवर की ओर घूम गईं।

कुछ ही क्षणों में वे तरंगें प्रक्षेपण यंत्र द्वारा रिसीव कर ली गई और उसकी कार्यप्रणाली पुनः उन तरंगों को अपने मूल स्वरूप में परिवर्तित करने लगीं। माधवन जल्दी से रिसीवर के चैंबर के पास पहुँचा और उसमें लगे बटनों को दबाने लगा।

चंद क्षणों के अंतराल के पश्चात् रिसीवर ने सारी प्रक्रियाएँ सफलतापूर्वक संपन्न कर लेने का संकेत दिया। उसी क्षण रिसीवर के चैंबर में हलचल हुई और प्रोफेसर रामिश बाहर आ गए। माधवन अपनी उत्तेजना को सँभाल नहीं सका। वह लपककर प्रोफेसर के पास पहुँचा और उन्हें अपनी बाँहों में भींच लिया। लेकिन अगले ही क्षण प्रोफेसर का अचेत शरीर माधवन की बाँहों में था। माधवन ने प्रोफेसर को बगल के कमरे में लिटा दिया और बिना कोई समय गँवाए डॉक्टर को बुलाने के लिए फोन मिलाने लगा।

डॉक्टर ने आते ही प्रोफेसर का चेकअप किया। उन्होंने प्रो. रामिश को एक इंजेक्शन लगाया और फिर दिशा- निर्देश देकर चले गए।

लगभग आधे घंटे के बाद प्रो. रामिश को होश आया। यह देखकर माधवन की जान में जान आई। वह बोला, ‘बधाई हो सर, आपका प्रयोग…।’

प्रोफेसर रामिश के मस्तिष्क में काफी उथल-पुथल मची हुई थी। एक ओर थी उनकी वर्षों की मेहनत, उनका महान आविष्कार, जो उन्हें भारतवर्ष ही नहीं, संपूर्ण विश्व में प्रसिद्धि दिलानेवाला था। दूसरी ओर था उनका कुछ क्षणों का वह अनुभव, जिससे वे अभी थोड़ी देर पहले ही दो-चार हुए थे। नाले के सड़ाँध मारते पानी के किनारे बजबजाती हुई मानवीयता ने उन्हें हिलाकर रख दिया था। उन्हें अपना संपूर्ण व्यक्तित्व ही खोखला नजर आने लगा था।

और ठीक उसी क्षण माधवन की बात उनके कानों तक पहुँची। उन्होंने रामिश की बात बीच में ही काट दी, ‘प्रयोग? कैसा प्रयोग? अभी तो मुझे अपना काम शुरू करना है। इस देश के लाखों नागरिकों को से बचाना है, उनको जीवन की सुविधाएँ करवानी हैं। यह बहुत बड़ा काम है और अभी तो इसकी शुरुआत होनी भी शेष हैं।’ कहते हुए प्रो. रामिश खड़े हुए और कमरे से बाहर निकल गए।

माधवन हैरान-परेशान उनके पीछे भागा। वह यह समझ भी कैसे सकता था कि इस दुर्घटना के दौरान प्रो. रामिश पर क्या बीती थी और किन हालात में वे इतना बड़ा फैसला लेने में हुए थे।

 

शब्दार्थ

प्रक्षेपण – फेंकना, ऊपर से मिलाना

दमक – चमक, प्रभा

छोर – सिरा, सीमा, किनारा

कलपुर्जा – मशीन के पुर्जे

जटिल – पेचीदा, कठिन

सिफारिश – संस्तुति, खुशामद

आणविक – अणुसंबंधी

झुग्गियाँ – मलिन या गंदी बस्ती

कुपोषण – Mal-nutrition

न्यूनतम – minimum

उपलब्ध – Available

सक्षम – लायक

मुहावरे

दम साधे बैठना – चिंता के साथ प्रतीक्षा करना

बाँहों में भींच लेना – आलिंगन देना

हाथ-पैर फूल जाना – घबरा जाना

हक्का-बक्का रह जाना – आश्चर्य चकित हो जाना

दिमाग में विचार कौंधना – अचानक विचार आना

दो-चार होना – रूबरू होना, सामना होना

1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :-

(1) परमाणु में क्या नहीं होता है?

(अ) अणु

(ब) इलेक्ट्रॉन

(क) प्रोटॉन  

(ड) न्यूट्रॉन

उत्तर – (अ) अणु

(2) माधवन कौन थे?

(अ) साहित्यकार

(ब) राजनेता

(क) वैज्ञानिक

(ड) अभिनेता

उत्तर – (क) वैज्ञानिक

(3) प्रोफेसर रामिश का ड्रीम प्रोजेक्ट क्या था?

(अ) दवाइयाँ बनाना

(ब) कैन्सर का टीका ढूँढ़ना

(क) मानव प्रक्षेपण यंत्र बनाना

(ड) कृत्रिम मनुष्य बनाना

उत्तर – (क) मानव प्रक्षेपण यंत्र बनाना

2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-

(1) ‘एक नई शुरुआत’ के दोनों वैज्ञानिकों के नाम दीजिए।

उत्तर – प्रोफेसर रामिश और माधवन ‘एक नई शुरुआत’ के दोनों वैज्ञानिकों के नाम हैं।

(2) मानव प्रक्षेपण यंत्र किसे कहते हैं?

उत्तर – एक ऐसा यंत्र (Machine) जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजा जाए, उसे मानव प्रक्षेपण-यंत्र कहते हैं।

(3) प्रो. माधवन को पसीना क्यों आ गया?

उत्तर – प्रो. माधवन को पसीना आ गया क्योंकि मानव प्रक्षेपण यंत्र के प्रायोगिक कार्य के दौरान पावर सप्लाई बॉक्स से धुआँ उठने लगा।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-

(1) प्रोफेसर रामिश के प्रयोग का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रोफेसर रामिश ने यह पढ़ रखा था कि विज्ञान के सिद्धांतों के अनुसार किसी वस्तु को उसके मूलतत्त्वों में विभक्त करके उसे तरंगों के द्वारा किसी अन्य स्थान पर भेजा जा सकता है और उन तत्त्वों को जोड़कर पुनः उसके मूलरूप में लाया जा सकता है। इसी सिद्धांत के अनुसार वे मानव शरीर को तरंगों के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना चाहते थे।

(2) परमाणु विघटन और संगठन के बारे में बताइए।

उत्तर – अणु परमाणुओं से मिलकर बनते हैं और किसी भी परमाणु को आकार मिलता है उसके अपने भीतर मौजूद इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन , न्यूट्रॉन के कारण। इस तरह परमाणु का विघटन उसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन को उससे अलग करके और परमाणु का संगठन उसमें स्थित इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के समावेश करने से होता है।

(3) अणु तथा परमाणु किसे कहते हैं?

उत्तर – अणु (Molecule) दो या दो से अधिक परमाणुओं के रासायनिक संयोजन से बनने वाला सबसे छोटा कण, जो स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में रह सकता है। परमाणु (Atom) किसी तत्त्व का सबसे छोटा कण, जो रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग ले सकता है और जिससे अणु बनते हैं। परमाणु अकेले भी हो सकते हैं, जबकि अणु एक से अधिक परमाणुओं से मिलकर बनते हैं।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :-

(1) ऊर्जा के बारे में संक्षेप में बताइए।

उत्तर – ऊर्जा वह क्षमता है जिससे कार्य किया जाता है। यह विभिन्न रूपों में होती है, जैसे – यांत्रिक, ऊष्मीय, विद्युत, रासायनिक और परमाणु ऊर्जा। ऊर्जा का न तो निर्माण किया जा सकता है और न ही नष्ट, केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।

(2) लेखक की दृष्टि से मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पर कैसे भेजा जा सकता है?

उत्तर – विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार किसी भी वस्तु को उसके मूलतत्त्वों में विभाजित किया जा सकता है  और पुनः उन मूलतत्त्वों को आपस में जोड़कर उसके मूल स्वरूप को प्राप्त किया जा सकता है। मानव शरीर भी विभिन्न प्रकार के तत्त्वों से मिलकर बना है। इसलिए लेखक की दृष्टि से मानवशरीर को उसके मूलतत्त्वों में विभक्त कर उसे विशेष प्रकार की तरंगों में परिवर्तित करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है और उसे मूल स्वरूप में प्राप्त भी किया जा सकता है।

(3) प्रो. रामिश के साथ प्रो. माधवन की पहली मुलाकात कब और कैसे हुई थी?

उत्तर – गर्मियों के दिन थे। प्रो. माधवन प्रोफेसर रामिश के जिगरी दोस्त आनंद मेहता का सिफारिशी पत्र लेकर पहली बार उनकी लैब में पहुँचे। माधवन का परिचय जानने के बाद प्रोफेसर रामिश ने सहर्ष उसे अपने साथ काम करने की अनुमति प्रदान कर दी। इस तरह प्रो. रामिश के साथ प्रो. माधवन की पहली मुलाकात हुई थी।  

(4) मानव प्रक्षेपण प्रयोग से संबंधित जानकारी दीजिए।

उत्तर – ‘मानव प्रक्षेपण प्रयोग’ प्रोफेसर रामिश का विज्ञान के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व प्रोजेक्ट था। यह प्रॉजेक्ट विज्ञान के इस सिद्धांत पर आधारित था कि जिस प्रकार वस्तु को उसके मूलतत्त्वों में विभाजित करके उन्हें वैज्ञानिक प्रक्रिया द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर तरंगों के माध्यम से भेजा जा सकता है उसी तरह मानव शरीर को भी उसके मूल तत्त्वों में विभाजित करके तरंगों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना ही मानव प्रक्षेपण प्रयोग कहलाता है।

5. सूचनानुसार लिखिए :-

(1) विरोधी शब्द बनाइए

सामान्य – विशेष

शुरुआत – अंत

असंभव – संभव

शक्तिशाली – कमज़ोर

आनंद – विषाद

जटिल – सरल

(2) भाववाचक संज्ञा बनाइए

मानव – मानवता

अपना – अपनापन

बच्चा – बचपन  

(3) कर्तृवाचक संज्ञा बनाइए

विज्ञान – वैज्ञानिक

इतिहास – इतिहासकार

विश्लेषण – विश्लेषक

कमांड – कमांडर

(4) विशेषण बनाइए

शरीर – शारीरिक

क्षण – क्षणिक

आनंद – आनंददायक

वास्तव – वास्तविक

‘वैज्ञानिक क्षेत्र में हो रहे आधुनिक प्रयोग’ विषय पर छात्रों को विचाराभिव्यक्ति का अवसर दें।

उत्तर – वैज्ञानिक क्षेत्र में हो रहे आधुनिक प्रयोग अत्यधिक उन्नत और रोमांचक हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और सुधारने में सहायक हो रहे हैं। विशेष रूप से जैव प्रौद्योगिकी, नैनो टेक्नोलॉजी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), और क्वांटम कंप्यूटिंग में लगातार नई खोजें हो रही हैं। जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, जीनोम संपादन (CRISPR) जैसी तकनीकों से बीमारियों का इलाज और रोगों से बचाव के नए तरीके विकसित हो रहे हैं। वहीं, नैनो टेक्नोलॉजी से न केवल चिकित्सा में, बल्कि ऊर्जा, पर्यावरण और सामग्री विज्ञान में भी क्रांतिकारी बदलाव हो रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग उद्योगों, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में कार्यों को और अधिक प्रभावी और सटीक बनाने के लिए किया जा रहा है। इन प्रयोगों के परिणामस्वरूप हम एक नई और बेहतर दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, जहाँ मानवता के सामने आने वाली चुनौतियाँ हल हो सकती हैं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

महान वैज्ञानिकों के चित्र एकत्रित कर कक्षा में छात्र चिपकाएँ।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

-‘उपग्रह प्रक्षेपण यंत्र’ की छात्रों को जानकारी दें।

उत्तर – उपग्रह प्रक्षेपण यंत्र (Launch Vehicle) वह यांत्रिक उपकरण है जिसका उपयोग उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में भेजने के लिए किया जाता है। यह यंत्र रॉकेट के रूप में होते हैं और इन्हें शक्तिशाली इंजनों से चलाया जाता है, जो उपग्रह को उच्च गति और ऊँचाई तक पहुँचाने में सक्षम होते हैं। उपग्रह प्रक्षेपण यंत्रों को विभिन्न प्रकार की कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए डिजाइन किया जाता है, जैसे लो अर्थ ऑर्बिट (LEO), मीडियम अर्थ ऑर्बिट (MEO), और गीगा अर्थ ऑर्बिट (GEO)। भारत का सबसे प्रसिद्ध उपग्रह प्रक्षेपण यंत्र पीएसएलवी (Polar Satellite Launch Vehicle) है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया गया है। यह यंत्र न केवल भारतीय उपग्रहों को प्रक्षिप्त करता है, बल्कि अन्य देशों के उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में भेजने का कार्य करता है। इसके अलावा, जीएसएलवी (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) और जीएसएलवी एमके III जैसे यंत्र भी विकसित किए गए हैं जो अधिक भारी उपग्रहों को उच्च कक्षाओं में भेजने में सक्षम हैं। इन प्रक्षेपण यंत्रों की सफलता ने भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रमुख शक्ति बना दिया है।

-वैज्ञानिक प्रयोग करते समय बरतने योग्य सतर्कता के बारे में बताइए।

उत्तर – वैज्ञानिक प्रयोग करते समय सतर्कता बरतना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि गलतियाँ या लापरवाही न केवल प्रयोग की सफलता को प्रभावित कर सकती हैं, बल्कि यह स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी खतरनाक हो सकती हैं। सबसे पहले, प्रयोग करने से पहले सभी उपकरणों और रसायनों की सुरक्षा संबंधी जानकारी को समझना और पढ़ना चाहिए। उचित सुरक्षा उपकरण जैसे कि ग्लव्स, गोगल्स, और लैब कोट का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, प्रयोगों के दौरान किसी भी प्रकार के रासायनिक प्रतिक्रिया या दुर्घटनाओं से बचने के लिए आवश्यक सावधानियाँ जैसे कि उचित वेंटिलेशन और आग से बचाव के उपायों का पालन करना चाहिए। प्रयोग करते समय ध्यान रखना चाहिए कि सभी रासायनिक पदार्थों और यांत्रिक उपकरणों का सही तरीके से संचालन किया जाए, और किसी भी असामान्य स्थिति का सामना करते समय तुरंत विशेषज्ञों से संपर्क किया जाए। अंततः, प्रयोग के सभी परिणामों और आँकड़ों का सही तरीके से रिकॉर्ड रखना चाहिए, ताकि भविष्य में उनका विश्लेषण और पुनः उपयोग किया जा सके। वैज्ञानिक प्रयोगों में सतर्कता न केवल सटीकता सुनिश्चित करती है, बल्कि यह प्रयोगकर्ता की सुरक्षा और कार्यक्षमता को भी बनाए रखती है।

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