साहिर लुधियानवी
साहिर लुधियानवी का असली नाम अब्दुल हयी साहिर है। उनका जन्म 8 मार्च 1921 में लुधियाना (भारत) के एक जागीरदार घराने में हुआ था। वे बहुत बड़े कवि तथा गीतकार थे। बंबई (वर्तमान मुंबई) में वे एक उर्दू पत्रिका के संपादक रहे। उन्होंने कई फिल्मों के लिए गीत लिखे। 59 वर्ष की आयु में 25 अक्तूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया। 1964 और 1977 में उन्हें दो बार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार मिला था।
एक दूसरे के साथ मिलकर रहने से मुश्किल काम भी आसान हो जाता है। नये-नये मार्ग खुलने लगते हैं। इस कविता में मिलजुलकर रहने से प्राप्त होनेवाले परिणामों के बारे में बताया गया है।
साथी, हाथ बढ़ाना।
साथी, हाथ बढ़ाना।
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया,
सागर ने रास्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया,
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें,
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें,
साथी हाथ बढ़ाना।
मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना,
कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना,
अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक,
अपनी मंज़िल सच की मंज़िल, अपना रास्ता नेक,
साथी हाथ बढ़ाना।
एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया,
एक से एक मिले तो ज़र्रा, बन जाता है सेहरा,
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत, एक
से एक मिले तो इंसाँ बस में कर ले किस्मत,
साथी, हाथ बढ़ाना।
शब्दार्थ :
साथी – मित्र
बोझ – भार
कदम – Step
सागर – समुद्र
रस्ता – रास्ता
परबत – पर्वत
सीस – शीश
फ़ौलादी – लोहे का
सीना – छाती
बाँहें – हाथ (Arms)
चट्टान – Reef
लेख की रेखा – किस्मत की रेखा
गैरों – परायों
खातिर – के लिए
मंज़िल – लक्ष्य
नेक – अच्छा
कतरा – बूँद
दरिया – नदी
ज़र्रा – कण
सेहरा – रेगिस्तान
राई – सरसों
इंसाँ – इंसान
विलोम
साथी – दुश्मन
नेक – बुरा
इंसान – हैवान
पर्यायवाची
साथी – मित्र, दोस्त, सखा, यार, बंधु
सागर – समुद्र, समंदर, अर्णव, सिंधु
रास्ता – राह, मार्ग, बाट
पर्वत – पहाड़, भूधर, गिरि
शीश – सिर, मस्तक, कपाल
सीना – छाती, उर
मंज़िल – लक्ष्य, मुकाम, गंतव्य
नेक – अच्छा, भला, उत्तम, सभ्य, सुशील, शरीफ
कतरा – बूँद, कण, छींटा
दरिया – नदी, सरिता, तटिनी
ज़र्रा – बालू का कण, गजरा, फूलों की छोटी माला
सेहरा – रेगिस्तान, मरुभूमि, फूलों से बनी माला जो दूल्हे के सिर पर बाँधी जाती है।
इंसाँ – इंसान, मनुष्य, आदमी, नर, मानव
मुहावरे :-
- हाथ बढ़ाना – सहयोग देना, मदद करना
- बोझ उठाना – जिम्मेदारी लेना
- सीस झुकाना – विनम्र होना, नतमस्तक होना
- राहें पैदा करना – नए मार्ग ढूँढ़ना
- राई मिलकर परबत बनना – छोटी-छोटी बातों से बड़ा परिणाम निकलना
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- कवि किससे हाथ बढ़ाने के लिए कह रहे हैं?
उत्तर – कवि मेहनत करनेवालों से हाथ बढ़ाने के लिए कह रहे हैं।
- बोझ कैसे उठाना चाहिए?
उत्तर – बोझ मिल-जुलकर उठाना चाहिए।
- सागर ने रास्ता कब छोड़ा?
उत्तर – मेहनत करने वालों ने जब मिलकर काम करना शुरू किया तब सागर ने रास्ता छोड़ा।
- हम अगर चाहें तो कहाँ राहें पैदा कर सकते हैं?
उत्तर – हम अगर चाहें तो चट्टानों में राहें पैदा कर सकते हैं।
- अपनी मंज़िल कैसी मंज़िल है?
उत्तर – अपनी मंज़िल सच की मंज़िल है।
- राई एक से एक मिले तो क्या बन सकती है?
उत्तर – राई एक से एक मिले तो पर्वत (पहाड़) बन सकती है।
- किस्मत को कैसे अपने बस में कर सकते हैं?
उत्तर – एक साथ मेहनत करके किस्मत को अपने वश में कर सकते हैं।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- मेहनत करनेवाले मिलकर कदम बढ़ाते हैं तो क्या-क्या हो सकता है?
उत्तर – मेहनत करनेवाले मिलकर कदम बढ़ाते हैं तो सागर भी रास्ता छोड़ देता है और पर्वत भी शीश झुकाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि मेहनत करनेवाले किसी भी बड़े काम को अंजाम दे सकते हैं।
- एक से एक मिलने का परिणाम क्या होगा? (किन्हीं दो)
उत्तर – एक से एक मिलने पर कतरा अर्थात् बूँद दरिया का रूप ले लेगा और एक-एक राई अर्थात् सरसों मिलकर पर्वत के विशाल रूप धारण कर लेगा।
III. रिक्त स्थान भरिए :-
- एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
- साथी, हाथ बढ़ाना।
- मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना।
- अपनी मंज़िल सच की मंज़िल, अपना रस्ता नेक।
- एक से एक मिले तो इंसा बस में कर किस्मत…
IV. तुकवाले शब्दों को चुनकर लिखिए :-
जैसे : बढ़ाया – झुकाया
- बाँहें – राहें
- डरना – करना
- एक – नेक
- परबत – किस्मत
V. भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए :-
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत,
एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत,
साथी हाथ बढ़ाना।
उत्तर – इन पंक्तियों के माध्यम से कवि साहिर लुधियानवी जी यह कहना चाहते हैं कि एकता में बड़ी शक्ति होती है। एकता के बल पर मनुष्य जो चाहे वह हासिल कर सकता है। एकता के कारण ही राई अर्थात् सरसों मिलकर पर्वत का रूप धारण कर लेती है। एकता के बल पर ही मनुष्य बड़े से बड़े लक्ष्य को भी हासिल कर लेता है। इसलिए कवि ने कहा है कि एकता के बल पर मनुष्य किस्मत को भी अपने वश में कर सकता है।
VI. अपने साथी के बारे में थोड़ी-सी जानकारी दीजिए :-
- आपके कितने साथी हैं?
उत्तर – मेरे पाँच साथी हैं।
- अपने पाँच साथियों के नाम लिखिए।
उत्तर – संतोष, प्रदीप, स्वरूप, तपन और मनोज
- आपका बहुत अच्छा, गहरा दोस्त कौन है?
उत्तर – संतोष मेरा अच्छा और गहरा दोस्त है।
- कितने सालों की दोस्ती है?
उत्तर – हम दोनों में 10 सालों की दोस्ती है
- दोनों के बीच कभी झगड़ा हुआ है?
उत्तर – दोनों के बीच एक बार झगड़ा हुआ है।
- किस बात पर झगड़ा हुआ?
उत्तर – साइकिल न देने की बात पर झगड़ा हुआ था।
- कैसे सुलझाया?
उत्तर – साइकिल देकर।
VII. इस कविता में अपने साथी से हाथ बढ़ाने के लिए कहा गया है। मिलकर बोझ उठाने की बात बतायी गयी है। यह बात परिवार में भी आवश्यक है या नहीं?
उत्तर – परम आवश्यक है।
अब लिखिए –
- आपके परिवार में कौन-कौन रहते हैं?
उत्तर – मेरे परिवार में, दादा-दादी, माता-पिता और भाई-बहन रहते हैं।
- घर में कुल कितने लोग हैं?
उत्तर – मेरे परिवार में कुल छह लोग रहते हैं।
- उनके नाम क्या हैं?
उत्तर – दादा- चन्द्रशेखर वैंकट काणार्ड
दादी – शुभलक्ष्मी काणार्ड
पिता – राजम चन्द्रशेखर काणार्ड
माँ – इंदु काणार्ड
बहन – गीता काणार्ड
भाई – मणि राजम काणार्ड
- उनकी आयु कितनी है?
उत्तर – दादा- 62
दादी – 59
पिता – 42
माँ – 38
बहन – 13
भाई – 10
- वे क्या काम करते हैं?
उत्तर – दादा- कृषिकार्य
दादी – गृहकार्य
पिता – नौकरी
माँ – गृहिणी
बहन – पढ़ाई
भाई – पढ़ाई
VIII. परिवार के और भी कई सदस्य होते हैं। जैसे दादा, दादी आदि। पिता के पिता (पिताजी) को दादा कहा जाता है।
अब लिखिए रिश्तों का नाम :-
(बुआ, नाना, दादी, ताऊ, नानी, मामा, चाचा, मौसी)
- पिताजी की माँ – दादी
- पिताजी के बड़े भाई – ताऊ
- पिताजी की बहन – बुआ
- पिताजी के छोटे भाई – चाचा
- माँ के पिताजी – नाना
- माँ की माँ – नानी
- माँ के भाई – मामा
- माँ की बहन – मौसी
IX. तुम्हारे विचार से किसकी क्या-क्या जिम्मेदारियाँ हैं?
- पिताजी की – घर चलाना
- माताजी की – घर संभालना
- दादाजी की – खेती-बाड़ी देखना
- दोस्त की – मदद करना
- तुम्हारी – अच्छे से पढ़ाई करना
X. सही मिलान कीजिए :-
- हाथ बढ़ाना – नये मार्ग ढूँढ़ना
- बोझ उठाना – आगे निकलना
- कदम बढ़ाना – सहयोग देना / मदद करना
- राहें पैदा करना – छोटी-छोटी बातों से बड़ा परिणाम निकलना
- राई का पहाड़ / परबत बनना – जिम्मेदारी लेना
उत्तर –
- हाथ बढ़ाना – सहयोग देना / मदद करना
- बोझ उठाना – जिम्मेदारी लेना
- कदम बढ़ाना – आगे निकलना
- राहें पैदा करना – नये मार्ग ढूँढ़ना
- राई का पहाड़ / परबत बनना – छोटी-छोटी बातों से बड़ा परिणाम निकलना
XI.अनुरूपता :-
- बढ़ना : बढ़ाना :: उठना : उठाना
- परबत : पहाड़ : किस्मत : भाग्य
- एक एक कतरा : दरिया :: एक एक राई : पर्वत
- अपना : पराया :: डर : निडर
भाषा ज्ञान
मुहावरा
पिछली कक्षा में आप ‘मुहावरे’ का मतलब समझ गये हैं। साधारण अर्थ के बदले विशेष अर्थ प्रकट करनेवाले वाक्यांश ‘मुहावरे’ कहलाते हैं। मुहावरे स्वतंत्र वाक्यांश नहीं होते। इनके प्रयोग से भाषा सरस एवं सशक्त हो जाती है। भावाभिव्यक्ति में चमत्कार आ जाता है। कुछ मुहावरे
- नौ दो ग्यारह होना – गायब होना
- मुँह से फूल झड़ना – मीठा / प्रिय वचन बोलना
- हवा से बातें करना – बहुत तेज दौड़ना
- मिट्टी में मिल जाना – नष्ट हो जाना
- उन्नीस बीस का अंतर होना – बहुत कम अंतर होना
* इस कविता को छात्रों से सामूहिक रूप में गँवाएँ।
उत्तर – शिक्षक इसे अपने स्तर पर करवाएँ।
* मुहावरों का अर्थ सहित चार्ट बनवाकर कक्षा में टँगवाएँ।
उत्तर – शिक्षक इसे अपने स्तर पर करवाएँ।