( जन्म सन् 1904 ई. निधन सन् 1948 ई.)
सुभद्राकुमारी चौहान का जन्म प्रयाग में ठाकुर रामनाथ के घर हुआ था। कास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में आपने शिक्षा प्राप्त की। आपका विवाह खण्डवा निवासी ला. लक्ष्मणसिंह चौहान के साथ संपन्न हुआ। सुभद्राकुमारी चौहान ने कांग्रेस के असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए अपना अध्ययन छोड़ दिया और पति को भी देश सेवा में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। सन् 1947 ई. की 15 फरवरी को जबलपुर के समीप एक मोटर दुर्घटना में उनका देहान्त हो गया। सुभद्राकुमारी चौहान न केवल स्वतंत्रता सेनानी रहीं वरन् उन्होंने साहित्य-सृजन भी विपुल मात्रा में की। ‘मुकुल’ व ‘त्रिधारा’ इनके काव्य-संग्रह हैं। बिखरे मोती, उन्मादिनी, सीधे-साधे चित्र, कहानी-संग्रह हैं। बिखरे मोती नामक पुस्तक पर उन्हें सकसेरिया पुरस्कार प्रदान किया गया था। सुभद्राकुमारी चौहान की भाषा- शैली सरल और सुबोध हैं।
प्रस्तुत कविता वीरों की शूरवीरता को प्रोत्साहित करती हुई उत्तम काव्यरचना है। पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण चारों दिशाएँ पुकार रही हैं। पर्वत-हल्दी घाटी सिंह गढ़ भी तैनात हो गए हैं तो वीरों का कैसा हो वसन्त कहकर कवयित्रीने शूरवीरों का उत्साह बढ़ाया है।
वीरों का कैसा हो वसन्त
वीरों का कैसा हो वसन्त?
आ रही हिमाचल से पुकार,
हैं उदधि गरजता बार-बार,
प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं. दिग्-दिगन्त,
वीरों का कैसा हो वसन्त?
फूली सरसों ने दिया रंग,
मधु लेकर आ पहुँचा अनंग,
बधु-वसुधा पुलकित अंग-अंग,
हैं वीर वेष में किन्तु कंत,
वीरों का कैसा हो वसन्त?
भर रही कोकिला इधर तान,
मारु बाजे पर उधर गान,
है रंग और रण का विधान,
मिलने आए हैं आदि-अन्त,
वीरों का कैसा हो वसन्त?
कह दे अतीत अब मौन त्याग
लंके! तुझमें क्यों लगी आग,
ए कुरुक्षेत्र ! अब जाग, जाग,
बतला अपने अनुभव अनन्त,
वीरों का कैसा हो वसन्त?
हल्दी घाटी के शिला-खण्ड,
ए दुर्ग सिंह गढ़ के प्रचण्ड,
राणा-ताना का कर घमण्ड,
दो जगा आज स्मृतियाँ ज्वलंत,
वीरों का कैसा हो वसन्त?
भूषण अथवा कवि चन्द नहीं;
बिजली भर दे वह छन्द नहीं,
है कलम बँधी स्वछन्द नहीं,
फिर हमें बतावें कौन? हन्त !
वीरों का कैसा हो वसन्त?
वीरों का कैसा हो वसन्त
शब्दार्थ और टिप्पणी
उदधि – समुद्र
प्राची – पूर्व दिशा
नभ – आकाश
दिग्-दिगन्त – अनंत
मधु – भँवरा
वसुधा – पृथ्वी
कन्त – स्वामी
मारु – एक वाद्य यंत्र
अतीत – भूतकाल
घमण्ड – अभिमान
1. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
(1) बार-बार कौन गरजता है?
उत्तर – उदधि अर्थात् समुद्र बार-बार गरजता है।
(2) प्रकृति के तत्त्व क्या पूछ रहे हैं?
उत्तर – प्रकृति के तत्त्व बार-बार यह पूछ रहे हैं कि वीरों का वसंत कैसा होना चाहिए?
(3) बधु-वसुधा में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर – बधु-वसुधा में यह परिवर्तन आया कि उनका अंग-अंग पुलकित हो गया है।
(4) कवयित्री कुरुक्षेत्र से क्या कहती हैं?
उत्तर – कवयित्री कुरुक्षेत्र से कहती हैं कि तुम जागो और अपने अनंत अनुभवों के आधार पर यह बताओ कि वीरों का वसंत कैसा होना चाहिए?
(5) कवयित्री की कलम की क्या विशेषता है?
उत्तर – कवयित्री की कलम की यह विशेषता है कि वह बँधी हुई है, उसे लेखन की पूरी आज़ादी नहीं है और वह यह तय नहीं कर पा रही हैं कि वीरों का वसंत कैसा होना चाहिए?
2. प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
(1) वीरों का कैसा हो वसन्त? ऐसा कौन-कौन पूछ रहे हैं?
उत्तर – “वीरों का कैसा हो वसन्त?” यह प्रश्न गिरिराज हिमालय, गर्जन करता हुआ समुद्र, दिशाओं में पूर्व और पश्चिम, पृथ्वी और आकाश तथा सारे प्राकृतिक उपादान पूछ रहे हैं।
(2) ‘कह दे अतीत अब मौन त्याग’ ऐसा कवयित्री ने क्यों कहा है?
उत्तर – ‘कह दे अतीत अब मौन त्याग’ ऐसा कवयित्री ने कहा है क्योंकि भारत भूमि ने अनेक वीरों को जन्म दिया है जिन्होंने भारत की अस्मिता की रक्षा हेतु अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया है। कवयित्री उनसे यह निवेदन करती हैं कि वे अपना मौन त्याग कर मुखरित हों और यह बताने का कष्ट करें कि वीरों का वसंत कैसा होना चाहिए?
(3) किन ऐतिहासिक घटनाओं के आधार पर कवयित्री ने ‘वीरों का वसन्त’ बताया है?
उत्तर – त्रेता युग में रामदूत हनुमान द्वारा लंका को जलाया जाना, कुरुक्षेत्र की रणभूमि में कौरवों और पांडवों का महाभारत युद्ध, 1576 में राजस्थान की हल्दी-घाटी में राणा प्रताप तथा सम्राट अकबर का युद्ध, तानाजी मालुसरे द्वारा सिंहगढ़ पर विजय ये हमारे स्वर्णिम इतिहास की ऊर्जा प्रदायिनी घटनाएँ हैं। कवयित्री ने इन्हीं घटनाओं के आधार पर ‘वीरों का वसन्त कैसा हो’ यह बताया है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(1) “वीरों का कैसा है वसन्त-” इस पंक्ति को अपने शब्दों में कविता के आधार पर समझाइए।
उत्तर – ऋतुराज वसंत के मौसम में तरह-तरह की प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती हैं। वास्तव में वसंत के मौसम में प्रकृति अपने मनोहर रूप में होती है। पर वीरों के लिए ऐसा मनोहर मौसम कौन-सा होना चाहिए। कविता में मुख्य रूप से इसी प्रश्न को उठाया गया है। मेरे अनुसार वीरों का वसंत उसी समय आता है जब वे अपने देश की माटी की रक्षा करने हेतु उसके सम्मान के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देते हैं।
(2) हल्दी घाटी और सिंह गढ़ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?
उत्तर – हल्दी घाटी से कवयित्री का तात्पर्य 1576 में राजस्थान की हल्दी-घाटी में राणा प्रताप तथा अकबर के युद्ध से है। चार घंटे तक चले इस युद्ध में अकबर ने चाह कर भी राणा प्रताप को बंदी न बना सके। सिंहगढ़ से कवयित्री का तात्पर्य मराठा सेना में कोली सूबेदार सरदार ताना मालुसरे द्वारा अपने प्राणों की आहुति देकर सिंहगढ़ पर विजय से है। इन दोनों ने ही यह बताया है कि वीरों का वसंत कैसा होना चाहिए?
(3) “है कलम बँधी स्वच्छन्द नहीं”- ससंदर्भ समझाइए।
उत्तर – इस पंक्ति का आशय यह है कि कवयित्री कहती हैं कि उनकी कलम बँधी हुई है अर्थात् उन्हें स्वतंत्रता नहीं है कि वह यह लिख सकें कि वीरों का वसंत कैसा होना चाहिए? वास्तव में यह कविता पराधीन भारत में लिखा गया था और अंग्रेज़ हर उस रचना और रचनाकार के प्रति सख्त रवैया अपनाते थे जो भारत से उनकी जड़ें कमजोर करने की कोशिश करता था।
शहीदों की सूची एवं उनके कार्यों का संकलन कीजिए।
उत्तर – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख शहीद और उनके कार्य
भारत की आज़ादी के लिए अनेक वीरों ने अपना बलिदान दिया। इनमें से कुछ क्रांतिकारियों की सूची और उनके कार्य निम्नलिखित हैं –
- भगत सिंह (1907-1931)
कार्य –
1928 – लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए सांडर्स हत्या कांड को अंजाम दिया।
1929 – दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट किया और गिरफ्तार हुए।
1931 – 23 मार्च को सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी दी गई।
- चंद्रशेखर आज़ाद (1906-1931)
कार्य –
1925 – काकोरी कांड में सक्रिय भागीदारी।
1928 – भगत सिंह के साथ मिलकर सांडर्स हत्या कांड की योजना बनाई।
1931 – इलाहाबाद के एल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए।
- राम प्रसाद बिस्मिल (1897-1927)
कार्य –
1925 – काकोरी ट्रेन लूट कांड का नेतृत्व किया।
देशभक्ति कविताएँ लिखीं, जिनमें “सरफरोशी की तमन्ना” प्रमुख है।
1927 – ब्रिटिश सरकार द्वारा फाँसी दी गई।
- सुखदेव थापर (1907-1931)
कार्य –
सांडर्स हत्या कांड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
HSRA (Hindustan Socialist Republican Association) के सक्रिय सदस्य।
23 मार्च 1931 को भगत सिंह और राजगुरु के साथ फांसी दी गई।
- राजगुरु (1908-1931)
कार्य –
भगत सिंह और सुखदेव के साथ सांडर्स की हत्या में शामिल।
23 मार्च 1931 को फांसी दी गई।
- खुदीराम बोस (1889-1908)
कार्य –
मुजफ्फरपुर बम कांड (1908) में भाग लिया।
मात्र 18 वर्ष की आयु में फांसी दी गई, जिससे वे भारत के सबसे युवा शहीदों में से एक बने।
- अशफाक उल्ला खाँ (1900-1927)
कार्य –
काकोरी कांड (1925) में शामिल रहे।
1927 में फाँसी दे दी गई।
वे हिन्दू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे।
- बटुकेश्वर दत्त (1910-1965)
कार्य –
भगत सिंह के साथ असेंबली बम कांड (1929) को अंजाम दिया।
आज़ादी के बाद 1965 में बीमारी से निधन हुआ।
- जतिंद्रनाथ दास (1904-1929)
कार्य –
असेंबली बम कांड (1929) में गिरफ्तार हुए।
63 दिनों तक भूख हड़ताल करने के बाद जेल में शहीद हुए।
- तात्या टोपे (1814-1859)
कार्य –
1857 की क्रांति में नेतृत्व किया।
1859 में अंग्रेजों द्वारा पकड़े जाने के बाद फाँसी दी गई।
- मंगल पांडे (1827-1857)
कार्य –
1857 की क्रांति की शुरुआत की।
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहली गोली चलाई।
1857 में फांसी दी गई।
- वीर कुंवर सिंह (1777-1858)
कार्य –
1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
बिहार में अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध का नेतृत्व किया।
- मातंगिनी हाज़रा (1870-1942)
कार्य –
भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान शहीद हुईं।
अंग्रेजों की गोली लगने के बावजूद “वंदे मातरम” का नारा लगाती रहीं।
- ऊधम सिंह (1899-1940)
कार्य –
1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए 1940 में जनरल डायर की हत्या की।
1940 में फाँसी दी गई।
- बिरसा मुंडा (1875-1900)
कार्य –
आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।
अंग्रेजों द्वारा उन्हें जेल में डाल दिया गया, जहाँ उनकी 1900 में मृत्यु हो गई।
निष्कर्ष –
भारत की स्वतंत्रता के लिए अनगिनत वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इनका बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। ये सभी शहीद भारत माता की स्वतंत्रता के अमर नायक हैं।
“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा।”
शहीदों पर लिखी हुई कविताओं का संकलन करवाइए।
उत्तर – शहीदों पर लिखी प्रसिद्ध कविताएँ
भारत माता की आज़ादी के लिए बलिदान देने वाले वीर शहीदों की याद में कई कवियों ने प्रेरणादायक कविताएँ लिखी हैं। नीचे कुछ प्रसिद्ध कविताओं का संकलन प्रस्तुत है –
- “सरफरोशी की तमन्ना” – राम प्रसाद बिस्मिल
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-कातिल में है।
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वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ,
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है।
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खींच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है।
- “खूब लड़ी मर्दानी” – सुभद्रा कुमारी चौहान
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
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कानपुर के नाना की मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की संतान अकेली थी।
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बचपन में ही विधवा होकर बसा न कोई सहारा,
बने वीर संग्राम नायक, चल पड़ी झाँसी न्यारा।
- “झूले पर झूलो वीर सपूतो” – मैथिलीशरण गुप्त
झूले पर झूलो वीर सपूतो,
आज़ादी का मोल यही है,
इस माटी को शीश नवाकर,
अमर बना दो काया यही है।
- “शहीदों को श्रद्धांजलि” – दिनकर
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी,
ऐ वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी।
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कभी वह दिन भी आएगा जब हम आज़ाद होंगे,
ये अपनी ही ज़मीं होगी, ये अपना आसमां होगा।
- “मेरा रंग दे बसंती चोला” – भगत सिंह की प्रिय कविता
मेरा रंग दे बसंती चोला, माए रंग दे,
मेरा रंग दे बसंती चोला।
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जो शहीद हुए हैं वतन पर,
लहू बहा कर लिखा है कहानी,
उनका रंग बसंती चोला,
जो शहादत की निशानी।
- “भारत के अमर शहीद” – अज्ञात कवि
जो मिट गए देश के लिए,
जो हँसते-हँसते फाँसी चढ़े,
जो वतन के लिए कुर्बान हुए,
ऐसे शहीदों को नमन रहे।
निष्कर्ष –
भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को नमन करने के लिए इन कविताओं का संकलन किया गया है। ये कविताएँ हमें अपने वीर नायकों के बलिदान की याद दिलाती हैं और राष्ट्रभक्ति से भर देती हैं।
शहीदों के स्मारकों की मुलाकात करवाइए।
उत्तर – भारत में प्रमुख शहीद स्मारक (War Memorials & Martyrs’ Memorials)
भारत में अनेक वीर सपूतों ने स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनके बलिदान को अमर बनाए रखने के लिए देशभर में विभिन्न शहीद स्मारक (Martyrs’ Memorials) स्थापित किए गए हैं। नीचे भारत के प्रमुख शहीद स्मारकों की सूची और उनकी विशेषताएँ दी गई हैं।
- इंडिया गेट (Delhi)
🔹 स्थान – नई दिल्ली
🔹 स्थापना वर्ष – 1931
🔹 विवरण –
प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में शहीद हुए 70,000 भारतीय सैनिकों की स्मृति में बनाया गया।
इसके नीचे अमर जवान ज्योति 1971 में भारत-पाक युद्ध के शहीदों के सम्मान में स्थापित की गई।
2022 में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के बनने के बाद अमर जवान ज्योति की ज्योति वहाँ स्थानांतरित कर दिया गया।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) – Delhi
🔹 स्थान – इंडिया गेट के पास, नई दिल्ली
🔹 स्थापना वर्ष – 2019
🔹 विवरण –
1947 से अब तक के सभी युद्धों और सैन्य अभियानों में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित।
इसमें चार परतों वाला वृत्ताकार डिजाइन है, जो अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और रक्षा चक्र के रूप में विभाजित है।
- शहीद स्मारक (Patna, Bihar)
🔹 स्थान – पटना, बिहार
🔹 स्थापना वर्ष – 1947
🔹 विवरण –
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों की गोलियों का शिकार हुए सात युवा स्वतंत्रता सेनानियों की याद में बनाया गया।
इसमें सात युवकों की प्रतिमाएँ हैं, जो तिरंगे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
- जलियाँवाला बाग स्मारक (Amritsar, Punjab)
🔹 स्थान – अमृतसर, पंजाब
🔹 स्थापना वर्ष – 1951
🔹 विवरण –
13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर के आदेश पर निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाई गईं, जिसमें 1,000 से अधिक लोग शहीद हुए।
यहाँ आज भी गोलियों के निशान और वह कुआँ देखा जा सकता है, जिसमें सैकड़ों लोगों ने कूदकर जान बचाने की कोशिश की थी।
- हुसैनीवाला शहीदी स्मारक (Ferozepur, Punjab)
🔹 स्थान – फिरोजपुर, पंजाब
🔹 स्थापना वर्ष – 1968
🔹 विवरण –
यहाँ भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का अंतिम संस्कार किया गया था।
हर साल 23 मार्च को शहीदी दिवस के अवसर पर यहाँ श्रद्धांजलि दी जाती है।
- काकोरी शहीद स्मारक (Lucknow, Uttar Pradesh)
🔹 स्थान – काकोरी, लखनऊ
🔹 स्थापना वर्ष – 1925 की घटना की स्मृति में
🔹 विवरण –
यह स्मारक काकोरी कांड के शहीदों राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ, रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी को समर्पित है।
9 अगस्त 1925 को क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश खजाना लूटकर स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत करने की कोशिश की थी।
- तिरंगा स्मारक (Andaman & Nicobar Islands)
🔹 स्थान – सेल्युलर जेल, पोर्ट ब्लेयर
🔹 विवरण –
सेल्युलर जेल (काला पानी) में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को अमानवीय यातनाएँ दी गई थीं।
यहाँ वीर सावरकर और अन्य क्रांतिकारियों को कैद किया गया था।
- शहीद चौक (Raipur, Chhattisgarh)
🔹 स्थान – रायपुर, छत्तीसगढ़
🔹 विवरण –
यह स्मारक 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए वीर नारायण सिंह को समर्पित है।
- वीरभूमि (Rajiv Gandhi Memorial) – Sriperumbudur, Tamil Nadu
🔹 स्थान – श्रीपेरंबदूर, तमिलनाडु
🔹 विवरण –
यह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की याद में बनाया गया है, जिनकी 1991 में हत्या कर दी गई थी।
- कारगिल युद्ध स्मारक (Dras, Jammu & Kashmir)
🔹 स्थान – द्रास, लद्दाख
🔹 स्थापना वर्ष – 2000
🔹 विवरण –
1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित।
यहाँ “ऑपरेशन विजय” की सफलता और शहीदों के बलिदान का स्मरण किया जाता है।
निष्कर्ष –
शहीद स्मारक उन वीरों की याद दिलाते हैं जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। ये स्मारक हमें देशभक्ति और बलिदान की भावना से प्रेरित करते हैं। हमें इन स्मारकों पर जाकर और शहीदों के जीवन से सीख लेकर अपने देश की सेवा करनी चाहिए।
देशभक्ति के गीतों का संकलन करें।
उत्तर – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय एकता को समर्पित कई गीत लिखे गए हैं, जो हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति की भावना जागृत करते हैं। इन गीतों का उपयोग स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और अन्य राष्ट्रीय अवसरों पर किया जाता है।
- वंदे मातरम्
लेखक – बंकिम चंद्र चटर्जी
रचना वर्ष – 1870
विशेषता –
यह गीत “आनंदमठ” उपन्यास में लिखा गया था।
1950 में इसे भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह क्रांतिकारियों का प्रमुख नारा था।
“वन्दे मातरम्! वन्दे मातरम्!
सुजलाम् सुफलाम्, मलयजशीतलाम्,
शस्यशामलाम् मातरम्!”
– – – – – – – – – – – – – –
- जन गण मन (राष्ट्रीय गान)
लेखक – रवींद्रनाथ ठाकुर (टैगोर)
रचना वर्ष – 1911
विशेषता –
1950 में इसे राष्ट्रीय गान के रूप में अपनाया गया।
भारत की सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता को प्रदर्शित करता है।
“जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता।”
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- सारे जहाँ से अच्छा
लेखक – मोहम्मद इकबाल
रचना वर्ष – 1905
विशेषता –
यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहुत लोकप्रिय हुआ।
भारतीय सेना की कई इकाइयाँ इसे आज भी गाती हैं।
“सारे जहाँ से अच्छा, हिंदोस्ताँ हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी, ये गुलसिताँ हमारा।”
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- झंडा ऊँचा रहे हमारा
लेखक – श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’
रचना वर्ष – 1924
विशेषता –
भारतीय तिरंगे झंडे की महिमा को दर्शाने वाला प्रसिद्ध गीत।
इसे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गाया जाता था।
“झंडा ऊँचा रहे हमारा,
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।”
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- ऐ मेरे वतन के लोगों
लेखक – प्रदीप
गायक – लता मंगेशकर
रचना वर्ष – 1963
विशेषता –
1962 के भारत-चीन युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए लिखा गया।
इस गीत को सुनकर प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की आँखों में आँसू आ गए थे।
“ऐ मेरे वतन के लोगों,
ज़रा आँख में भर लो पानी।”
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- भारत हमको जान से प्यारा है
फिल्म – “रोजा” (1992)
गायक – हरिहरन
विशेषता –
यह गीत भारत की एकता और अखंडता को समर्पित है।
आज भी यह देशभक्ति गीतों में बहुत लोकप्रिय है।
“भारत हमको जान से प्यारा है,
सबसे न्यारा गुलिस्ताँ हमारा है।”
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- माँ तुझे सलाम
गायक – ए.आर. रहमान
विशेषता –
यह गीत आधुनिक भारत की देशभक्ति का प्रतीक बन चुका है।
युवा वर्ग में देशभक्ति की भावना को प्रेरित करता है।
“माँ तुझे सलाम, वन्दे मातरम्।”
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- दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए
फिल्म – कर्मा (1986)
गायक – मोहम्मद अज़ीज़, कविता कृष्णमूर्ति
विशेषता –
देश के लिए बलिदान की भावना को दर्शाने वाला गीत।
सैनिकों और देशभक्तों को समर्पित।
“दिल दिया है, जान भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए!”
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- मेरा रंग दे बसंती चोला
फिल्म – शहीद (1965)
गायक – मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे
विशेषता –
यह भगत सिंह और क्रांतिकारियों का प्रिय गीत था।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी इसे गाते थे।
“मेरा रंग दे बसंती चोला,
माए रंग दे बसंती चोला।”
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- हिंदुस्तान मेरा जान है
फिल्म – “गदर – एक प्रेम कथा” (2001)
गायक – उदित नारायण
विशेषता –
यह गीत देश की अखंडता और गौरव को प्रदर्शित करता है।
भारत-पाक विभाजन की पृष्ठभूमि में बना यह गीत बेहद भावनात्मक है।
“हिंदुस्तान मेरा जान है,
मेरा अरमान हिंदुस्तान।”
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निष्कर्ष
ये देशभक्ति गीत हमें हमारे वीर सपूतों की कुर्बानियों और मातृभूमि के प्रति प्रेम की याद दिलाते हैं। चाहे स्वतंत्रता संग्राम हो, सेना की शौर्यगाथा हो, या आधुनिक भारत की एकता—इन गीतों ने सदैव भारतीयों में जोश और गर्व का संचार किया है।