डॉ. जगदीश चंद्र
इस पाठ के लेखक डॉ. जगदीश चंद्र हैं। इन्होंने भारत के किशोर बालक- बालिकाओं के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करने के लिए अनेक महापुरुषों की जीवनियाँ लिखी हैं।
भारत देश में जन्मे अनेक महान् व्यक्तियों ने भारत की कीर्ति विदेशों में फैलायी। ऐसे व्यक्तियों में से एक हैं स्वामी विवेकानंद। इस पाठ में उनकी महानता के परिचय के साथ देशप्रेम की प्रेरणा भी प्राप्त कर सकते हैं।
स्वामी विवेकानंद
भारत के इतिहास में स्वामी विवेकानंद का नाम अमर है। इस वीर सन्यासी ने देश-विदेश में भ्रमण कर भारतीय धर्म और दर्शन का प्रसार किया तथा समाज सेवा का नया मार्ग दिखाया।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ते के एक कायस्थ घराने में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेंद्र देव था। उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त एक प्रतिष्ठित वकील थे। उनकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी देवी धर्मपरायण महिला थीं।
बालक नरेंद्र का शरीर स्वस्थ, सुडौल और सुंदर था। कुश्ती लड़ने, दौड़ लगाने, घुड़सवारी करने और तैरने में उन्हें बड़ा आनंद मिलता था। वे संगीत एवं खेल – कूद की प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया करते थे।
नरेंद्र आरंभ से ही पढ़ाई-लिखाई में बड़े तेज थे। वे अपने स्कूल में सर्वप्रथम रहा करते थे। एंटरेंस परीक्षा में भी वे प्रथम श्रेणी मे उत्तीर्ण हुए थे। बी. ए. की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने कानून का अध्ययन प्रारंभ किया। इसी बीच में उनके पिता का देहांत हो गया।
अध्ययन काल में उनकी रुचि व्याख्यान देने और विचारों के आदान- प्रदान करने में थी। इसी कारण उन्होंने अपने कॉलेज में एक व्याख्यान-समिति बनाई थी और कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया था। पाश्चात्य विज्ञान तथा दर्शन का भी उन्होंने अध्ययन किया था। किशोरावस्था से ही नरेंद्र दार्शनिक एवं धार्मिक विचारों में तल्लीन रहते थे। एक दिन नरेंद्र रामकृष्ण परमहंस के पास पहुँचे और अपनी जिज्ञासा उन्हें कह सुनाई। रामकृष्ण परमहंस ने नरेंद्र को अपना शिष्य स्वीकार किया।
स्वामी परमहंस के जीवन-दर्शन से विवेकानंद इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने अपने गुरु के संदेश का प्रसार करना चाहा। जनता को सत्य की राह दिखाने के लिए सितंबर सन् 1893 को वे संयुक्त राज्य अमरीका गये। उस समय वहाँ शिकागो नगर में सर्वधर्म सम्मेलन हो रहा था। इस महासभा में विवेकानंद ने भारतीय धर्म और तत्वज्ञान पर भाषण दिया। उनका भाषण बड़ा गंभीर एवं हृदयस्पर्शी था। उनकी वाणी सुनकर श्रोतागण मुग्ध हो गये। कुछ समय तक वे अमरीका में ही रहे और अपने भाषणों द्वारा लोगों को त्याग और संयम का पाठ पढ़ाया। इसके बाद वे इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड भी गये और वहाँ उन्होंने सत्य और धर्म का प्रसार कर भारत के गौरव को बढ़ाया। अनेक विदेशी स्वामीजी के शिष्य बन गये। उनमें से कुमारी मार्गरेट एलिज़बेथ का नाम उल्लेखनीय है, जो स्वामीजी की अनुयायिनी बनकर सिस्टर निवेदिता के नाम से संसार में प्रसिद्ध हुई।
स्वामी विवेकानंद ने भारत में भी भ्रमण करके भारतीय संस्कृति और सभ्यता का सदुपदेश दिया। उन्होंने अंधविश्वासों तथा रूढ़ियों को हटाकर धर्म का वास्तविक मर्म समझाया। साधु-सन्यासी वर्ग को भी उन्होंने शांति प्राप्त करने का नया मार्ग जताया। वह था दीन-दुखी जनों की सेवा और सहायता का मार्ग।
स्वामी विवेकानंद ने समाज सेवा को परमात्मा की सच्ची सेवा बतलाया। वे स्वयं भी समाज सेवा में लग जाते थे। सन् 1897 में प्लेग और अकाल से पीड़ित भारतवासियों की उन्होंने बड़ी तन्मयता से सेवा की थी। समर्थ लोगों को उन्होंने गरीबों की दशा सुधारने का संदेश दिया। इसी ध्येय से उन्होंने कलकत्ते में ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की।
स्वामीजी ने अज्ञान, अशिक्षा, विदेशी अनुकरण, दास्य मनोभाव आदि के बुरे प्रभावों का बोध कराया। उन्होंने अपने भाषणों द्वारा जनता के मन से हीनता की भावना को दूर भगाने का प्रामाणिक प्रयत्न किया। अपने एक भाषण में उन्होंने कहा था- “प्यारे देशवासियो! वीर बनो और ललकार कर कहो कि मैं भारतीय हूँ। अनपढ़ भारतीय, निर्धन भारतीय, ऊँची जाति का भारतीय, नीच जाति का भारतीय – सब मेरे भाई हैं। उनकी प्रतिष्ठा मेरी प्रतिष्ठा है। उनका गौरव मेरा गौरव है।”
4 जुलाई सन् 1902 को स्वामी विवेकानंद परलोक सिधारे। लेकिन आज भी उनके कार्य और संदेश अमर हैं।
शब्दार्थ :
घराना – कुल,
भ्रमण करना – घूमना,
प्रतिष्ठित – प्रसिद्ध,
धर्म परायण – धर्म का पालन करनेवाला,
सुड़ौल – सुंदर आकारवाला,
रुचि – इच्छा, आसक्ति
व्याख्यान – भाषण,
आदान-प्रदान – लेना-देना,
जिज्ञासा – जानने की इच्छा,
तत्वज्ञान – ब्रह्मज्ञान,
श्रोतागण – सुननेवालों का समूह,
मुग्ध – मोहित,
मर्म – भाव
जताना – बताना,
ललकार – चुनौती, चैलेंज;
परलोक सिधारना – मरना, देहांत होना।
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- विवेकानंद के बचपन का नाम क्या है?
उत्तर – विवेकानंद के बचपन का नाम ‘नरेंद्र देव’ था।
- विवेकानंद का जन्म कब हुआ था?
उत्तर – स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ते के एक कायस्थ घराने में हुआ था।
- नरेंद्र पढ़ने में कैसे थे?
उत्तर – नरेंद्र बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में बड़े तेज़ थे।
- विवेकानंद के गुरु कौन थे?
उत्तर – रामकृष्ण परमहंस विवेकानंद जी के गुरु थे।
- विवेकानंद अमरीका कब गये?
उत्तर – विवेकानंद सितंबर सन् 1893 को संयुक्त राज्य अमरीका गए थे।
- विवेकानंद की अनुयायिनी कौन थी?
उत्तर – कुमारी मार्गरेट एलिज़बेथ (सिस्टर निवेदिता) स्वामी विवेकानंद जी की अनुयायिनी थी।
- विवेकानंद का देहांत कब हुआ?
उत्तर – स्वामी विवेकानंद जी का देहांत 4 जुलाई सन् 1902 को हुआ।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- विवेकानंद ने कौन सा व्रत लिया?
उत्तर – स्वामी विवेकानंद जी ने भारत भूमि से अज्ञानता, अशिक्षा, विदेशी अनुकरण, दास्य मनोभाव आदि के बुरे प्रभावों से भारतीयों को मुक्त कराने का व्रत लिया। इसके साथ ही उन्होंने सन् 1897 में प्लेग और अकाल से पीड़ित भारतवासियों की बड़ी तन्मयता से सेवा की थी। इस तरह से उनकी कथनी और करनी में समानता दिखती हैं।
- विवेकानंद के माता-पिता का नाम क्या है?
उत्तर – स्वामी विवेकानंद जी के पिता का नाम श्री विश्वनाथ दत्त था जो एक प्रतिष्ठित वकील थे। उनकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी देवी धर्मपरायण महिला थीं।
- विवेकानंद की रुचि किन-किन विषयों में थी?
उत्तर – विवेकानंद जी अध्ययन काल से ही व्याख्यान देने और विचारों के आदान-प्रदान करने रुचि रखते थे। इसी कारण उन्होंने अपने कॉलेज में एक व्याख्यान-समिति बनाई थी और कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया था।
- विवेकानंद ने भारतवासियों को क्या उपदेश दिया?
उत्तर – स्वामी विवेकानंद ने भारतवासियों को उपदेश दिया कि दीन-दुखी जनों की सेवा करो, समाज सेवा ही परमात्मा सेवा है, अंधविश्वासों तथा रूढ़ियों के बंधन से मुक्त हो जाओ तथा समर्थ लोगों को उन्होंने गरीबों की दशा सुधारने का संदेश दिया।
- विवेकानंद ने किन-किन देशों की यात्रा की?
उत्तर – स्वामी विवेकानंद जी ने सन् 1893 में अमरीका गए। वहाँ अपने भाषणों द्वारा लोगों को त्याग और संयम का पाठ पढ़ाया। इसके बाद वे इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड भी गए और वहाँ उन्होंने सत्य और धर्म का प्रसार कर भारत के गौरव को बढ़ाया।
- विवेकानंद ने जनता को ललकार कर क्या कहने को कहा?
उत्तर – विवेकानंद जी ने जनता से कहा था, “प्यारे देशवासियो! वीर बनो और ललकार कर कहो कि मैं भारतीय हूँ। अनपढ़ भारतीय, निर्धन भारतीय, ऊँची जाति का भारतीय, नीच जाति का भारतीय – सब मेरे भाई हैं। उनकी प्रतिष्ठा मेरी प्रतिष्ठा है। उनका गौरव मेरा गौरव है।”
III. अन्य वचन रूप लिखिए :-
- रूढ़ि – रूढ़ियाँ
- व्याख्या – व्याख्याएँ
- सेवा – सेवाएँ
- आज्ञा – आज्ञाएँ
- उपाधि – उपाधियाँ
- शाखा – शाखाएँ
IV. अन्य लिंग रूप लिखिए :-
- माता – पिता
- घोड़ा – घोड़ी
- स्वामी – स्वामिनी
- अनुयायी – अनुयायिनी
- बालक – बालिका
- शिष्य – शिष्या
V. विलोम शब्द लिखिए :-
- गौरव X लाघव
- दुख X सुख
- सत्य X असत्य
- धर्म X अधर्म
- स्वदेश X परदेश
- समर्थ X असमर्थ
- सबल X दुर्बल
- ज्ञान X अज्ञान
VI. जोड़कर लिखिए :-
- भुवनेश्वरी देवी धर्म का मर्म समझाया।
- रामकृष्ण मिशन की स्थापना धर्मपरायण महिला थीं।
- विवेकानंद का जन्म स्वामी विवेकानंद ने की।
- अंधविश्वास को हटाकर कलकत्ते में हुआ।
उत्तर –
- भुवनेश्वरी देवी धर्मपरायण महिला थीं।
- रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने की।
- विवेकानंद का जन्म कलकत्ते में हुआ।
- अंधविश्वास को हटाकर धर्म का मर्म समझाया।
VII. वाक्य में प्रयोग कीजिए :-
- घुड़सवारी – मुझे घुड़सवारी करना पसंद है।
- हृदयस्पर्शी – मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ हृदयस्पर्शी है।
- अंधविश्वास – समाज में अभी भी अंधविश्वास फैला हुआ है।
- अकाल – अकाल के समय में खेती-बाड़ी नष्ट हो जाती है।
- जिज्ञासा – जिज्ञासा ही मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
VIII. वाक्य शुद्ध कीजिए :-
- विवेकानंद ने प्रयत्नशील रही।
उत्तर – विवेकानंद जी प्रयत्नशील रहे।
- उनकी भाषण गंभीर थी।
उत्तर – उनका भाषण गंभीर था।
- स्वामीजी कोशिश कि।
उत्तर – स्वामीजी ने कोशिश की।
- कुमारी मार्गरेट स्वामीजी का अनुयायी बन गया।
उत्तर – कुमारी मार्गरेट स्वामीजी का अनुयायिनी बन गईं।
- उन्होंने गरीबों के दशा सुधारने के संदेश दिया।
उत्तर – उन्होंने गरीबों की दशा सुधारने का संदेश दिया।
IX. तालिका के आधार पर पाँच वाक्य बनाइए :-
यह ये | महेश | का के की
| गुरुजी भाई बहन मकान
| है। हैं।
|
उदा : यह महेश का भाई है।
यह महेश की बहन है।
ये महेश के गुरुजी हैं।
ये महेश का मकान है।
X. स्थान भरकर सार्थक शब्द बनाइए :-
उदाहरण : सवेरा, विवेक।
- उपाधि अपार,
- समिति, अमित
- आदान, प्रदान
- धार्मिक, कार्मिक
- भारत, निरत
XI. दिये गये शब्दों में निहित चार नये शब्द ढूँढ़कर लिखिए :-
उदाहरण : धर्मपरायण – धर्म, राय, पण, धरा
- घुड़सवारी – सवारी, सवा, घुस, वार
- परमहंस – परम, हंस, राम, पर
- अंधविश्वास – अंध, विश्वास, वास, श्वास
- भारतवासी – भार, वासी, भारत, भात
- विवेकानंद – विवेक, नंद, कद, वेद
XII. सही कारक चिह्नों से रिक्त स्थान भरिए :-
- नदी के तट पर आम का पेड़ है। (की/के)
- रेलगाड़ी के इंजन से धुँआ निकलता है। (के / का)
- जानवरों पर दया करनी चाहिए। (में / पर)
- जवान और बूढ़ों में अंतर होता है। (से/में)
- धूप से पत्ते सूख गये। (को/से)
XIII. अनुरूपता :-
- रामकृष्ण परमहंस : शारदादेवी :: विश्वनाथ दत्त : भुवनेश्वरी देवी
- 1863 : विवेकानंद का जन्म :: 1893 : विवेकानंद जी की मृत्यु
- विवेकानंद : नरेंद्र :: सिस्टर निवेदिता : मार्गरेट एलिज़बेथ
- शिकागो: अमरीका :: कलकत्ता : बंगाल
हमारे देश के कुछ महान् व्यक्तियों का परिचय प्राप्त करने के लिए छात्रों से कहें तथा उनके आदर्शों को अपनाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें, जैसे डॉ.बी.आर. अम्बेडकर, महात्मा गाँधी, बाल गंगाधर तिलक आदि।
उत्तर – डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर (Dr. B. R. Ambedkar)
जन्म : 14 अप्रैल 1891, महू, मध्य प्रदेश
मृत्यु : 6 दिसंबर 1956, दिल्ली
उपाधियाँ : बाबासाहेब, भारत रत्न (1990)
योगदान :
भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पकार
समाज सुधारक और दलित अधिकारों के संरक्षक
हिंदू कोड बिल के निर्माण में योगदान
बौद्ध धर्म की ओर परिवर्तन (1956 में नागपुर में बौद्ध धर्म स्वीकार किया)
प्रकाशित ग्रंथ :
अनिहिलेशन ऑफ कास्ट
बुद्ध और उनका धम्म
जाति का विनाश
महत्त्वपूर्ण आंदोलन :
महाड़ सत्याग्रह (1927)
पूना पैक्ट (1932)
संविधान सभा में महत्त्वपूर्ण भूमिका
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)
पूरा नाम : मोहनदास करमचंद गांधी
जन्म : 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, गुजरात
मृत्यु : 30 जनवरी 1948, दिल्ली (नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या)
उपाधियाँ : राष्ट्रपिता, बापू
योगदान :
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता
सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित आंदोलनों का नेतृत्व
असहयोग आंदोलन (1920), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930), भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
हरिजन उत्थान, अस्पृश्यता उन्मूलन
ग्राम स्वराज और स्वदेशी आंदोलन के समर्थक
प्रकाशित ग्रंथ :
सत्य के प्रयोग (My Experiments with Truth)
हिंद स्वराज
महत्त्वपूर्ण आंदोलन :
दांडी यात्रा (1930)
चंपारण सत्याग्रह (1917)
खेड़ा सत्याग्रह (1918)
बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak)
जन्म : 23 जुलाई 1856, रत्नागिरी, महाराष्ट्र
मृत्यु : 1 अगस्त 1920, मुंबई
उपाधियाँ : लोकमान्य तिलक
योगदान :
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता
“स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा” का नारा दिया
होमरूल लीग की स्थापना (1916)
गणपति उत्सव और शिवाजी उत्सव की शुरुआत
प्रकाशित ग्रंथ :
गीता रहस्य
अर्कटिक होम इन द वेदाज
महत्त्वपूर्ण आंदोलन :
स्वदेशी आंदोलन
होमरूल आंदोलन
ब्रिटिश सरकार के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों का समर्थन