Swachhata aur Vyayaam (Gadya) – Class IX, Hindi Reader, Hindi Book, Tamilnadu State Board, The Best Solutions.

स्वच्छता और व्यायाम

शरीर – रक्षा धर्म का पहला साधन है, शरीर आत्मा का मंदिर है, शरीर को स्वच्छ पवित्र और दृढ़ रखना चाहिए।

शरीर – रक्षा के लिए स्वच्छता और स्वास्थ्य अत्यंत आवश्यक है, ठंडे पानी से नहाने से सारे दिन स्फूर्ति बनी रहती है, भोजनादि के बाद स्नान करना उचित नहीं है।

स्नान से पूर्व हमें अपने पेट, दाँतों जिह्वा आदि को स्वच्छ बना लेना आवश्यक है। दातुन के लिए विशेषकर नीम ही लाभकारी होता है।

जिस प्रकार आत्मा के लिए शरीर की शुद्धता आवश्यक है, उसी प्रकार शरीर के लिए मकान की भी सफ़ाई आवश्यक है, मकान हवादार होना चाहिए। बंद मकानों में सूर्य का प्रकाश न होने के कारण सील बनी रहती है और उसमें रोगों के कीटाणु भी खूब पनपते हैं। फर्श पर गोबर, मिट्टी से लीपने तथा झाड़-पोंछ से कीटाणुओं का शमन होता है।

मकान को सुव्यवस्थित रखने से हमारे कार्यों में कुशलता और सुलभता प्राप्त होती है। स्वस्थ वातावरण का मन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है। शरीर रक्षा के लिए नियमित संतुलित आहार-विहार समय पर सोना और जागना तथा व्यायाम की भी अत्यंत आवश्यकता है।

व्यायाम नियमित होना चाहिए, व्यायाम शरीर को पुष्ठ और बलिष्ठ रखने का साधन है।

हमको जीने के लिए खाना चाहिए न कि खाने के लिए जीना चाहिए, स्वाद के लिए भोजन को अधिक चटपटा बना लेना हानिकारक है। भोजन में शाक पात और फलों का अधिक सेवन करना लाभदायक है। मांसाहार स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। मांसाहार से क्रोध तथा आलस्य की मात्रा बढ़ती है।

अपने हाथ से कुछ काम करना जैसे पानी भरना, बोझा उठाना, मकान की सफ़ाई करना, कपड़े धोना भी व्यायाम का एक उपयोगी अंश है। हममें हाथ से काम करने का गौरव आना चाहिए। काम मनुष्य को ऊँचा उठाता है, उसको गौरव प्रदान करता है। काम करना ही ईश्वर है। जो काम करते हैं उनमें आत्मनिर्भरता आती है। उनका जीवन संतुलित और सौंदर्यमय बन जाता है। स्वच्छता और व्यायाम जीवन-शैली को बदलता है। जीवन को सुखमय तथा स्वस्थ बनाए रखने में काम आता है। माता-पिता तथा शिक्षकों को चाहिए कि बालक – बालिकाओं को इसकी आवश्यकताओं पर जोर दे।

 

पाठ का सार

‘स्वच्छता और व्यायाम’ पाठ में शरीर के महत्त्व और उसे स्वस्थ रखने के उपायों पर प्रकाश डाला गया है। कवि कहते हैं कि शरीर आत्मा का मंदिर है और धर्म की रक्षा का पहला साधन है। शरीर को स्वच्छ और दृढ़ रखने के लिए ठंडे पानी से स्नान, दाँतों, जिह्वा की सफाई आवश्यक है। जिस प्रकार शरीर की शुद्धि ज़रूरी है, उसी प्रकार मकान की स्वच्छता और हवादार होना भी आवश्यक है, ताकि रोगों के कीटाणु न पनपें। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है।

पाठ नियमित संतुलित आहार पर ज़ोर देता है; हमें जीने के लिए खाना चाहिए, खाने के लिए नहीं। शाक, पात और फलों का सेवन लाभदायक है, जबकि मांसाहार से क्रोध और आलस्य बढ़ता है। शरीर को पुष्ट बनाने के लिए नियमित व्यायाम आवश्यक है। इसके अलावा, हाथ से श्रम करना जैसे सफाई करना, कपड़े धोना भी व्यायाम का अंग है, जो मनुष्य को आत्मनिर्भर और गौरवशाली बनाता है। अंत में, यह बताया गया है कि स्वच्छता और व्यायाम जीवन-शैली को बदलकर जीवन को सुखमय और स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हैं।

 

कठिन शब्दार्थ

क्रमांक

हिंदी शब्द

हिंदी पर्यायवाची

अंग्रेजी अर्थ

तमिल अर्थ

1

स्फूर्ति

ताजगी/चेतना

Freshness/Energy

புத்துணர்ச்சி (Puttunarcci)

2

दातुन

दाँत साफ करने की टहनी

Toothbrush twig

பற்குச்சி (Paṟkucci)

3

लाभकारी

उपयोगी/हितकर

Beneficial

பயனுள்ள (Payaṉuḷḷa)

4

शुद्धता

पवित्रता/स्वच्छता

Purity/Cleanliness

தூய்மை (Tūymai)

5

हवादार

वातायनयुक्त/खुला

Ventilated

காற்றோட்டமுள்ள (Kāṟṟōṭṭamuḷḷa)

6

सील

नमी/गीलापन

Dampness

ஈரம் (Īram)

7

कीटाणु

रोगाणु/जीवाणु

Germs/Microbes

கிருமிகள் (Kirumikaḷ)

8

पनपते

बढ़ते/फैलते

Thrive/Grow

வளரும் (Vaḷarum)

9

शमन

नाश/दमन

Destruction/Suppression

அழிவு (Aḻivu)

10

सुव्यवस्थित

व्यवस्थित/सुसंगठित

Well-organized

ஒழுங்கமைக்கப்பட்ட (Oḻuṅkamaikkappaṭṭa)

11

कुशलता

निपुणता/दक्षता

Efficiency/Skill

திறமை (Tiṟamai)

12

सुलभता

आसानी/सुगमता

Ease/Accessibility

எளிமை (Eḷimai)

13

पुष्ठ

पुष्ट/मजबूत

Nourished/Strong

வலுவான (Valuvāṉa)

14

बलिष्ठ

शक्तिशाली/दृढ़

Robust/Powerful

திடகாத்திரமான (Tiṭakāttiramāṉa)

15

आहार-विहार

भोजन-व्यवहार

Diet and regimen

உணவு-நடத்தை (Uṇavu-naṭattai)

16

चटपटा

मसालेदार/तीखा

Spicy/Tangy

காரமான (Kāramāṉa)

17

शाक पात

सब्जी-पत्ते

Vegetables and greens

காய்கறிகள் மற்றும் இலைகள் (Kāykaṟikaḷ maṟṟum ilaikaḷ)

18

मांसाहार

मांस भोजन

Non-vegetarian diet

இறைச்சி உணவு (Iṟaicci uṇavu)

19

आत्मनिर्भरता

स्वावलंबन/स्वतंत्रता

Self-reliance

சுயசார்பு (Cuyacārpu)

20

सौंदर्यमय

सुंदर/आकर्षक

Beautiful/Aesthetic

அழகிய (Aḻakiya)

 

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर पूरे वाक्यों में लिखिए।

  1. धर्म रक्षा का पहला साधन क्या है?

उत्तर – धर्म रक्षा का पहला साधन शरीर-रक्षा है।

  1. शरीर को कैसा रखना चाहिए?

उत्तर – शरीर को स्वच्छ, पवित्र और दृढ़ रखना चाहिए।

  1. आत्मा के लिए किसकी आवश्यकता है?

उत्तर – आत्मा के लिए शरीर की शुद्धता की आवश्यकता है।

  1. मकान कैसा होना चाहिए?

उत्तर – मकान हवादार होना चाहिए।

  1. कीटाणु नाश का उपाय बताइए?

उत्तर – फर्श पर गोबर, मिट्टी से लीपने तथा झाड़-पोंछ से कीटाणुओं का शमन होता है।

  1. व्यायाम कैसे होना चाहिए?

उत्तर – व्यायाम नियमित होना चाहिए।

 

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर पाँच वाक्यों में लिखिए।

  1. शरीर रक्षा के लिए हमें क्या करना चाहिए?

उत्तर – शरीर रक्षा के लिए हमें स्वच्छता और स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।

ठंडे पानी से स्नान करने से दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है, लेकिन भोजनादि के बाद स्नान उचित नहीं है।

स्नान से पूर्व दाँतों, जिह्वा आदि को स्वच्छ करना आवश्यक है।

हमें नियमित संतुलित आहार-विहार अपनाना चाहिए।

समय पर सोना और जागना तथा नियमित व्यायाम करना भी शरीर रक्षा के लिए ज़रूरी है।

  1. सात्विक भोजन का महत्त्व क्या है?

उत्तर – सात्विक भोजन स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक होता है।

यह शरीर को आवश्यक पोषण देता है और स्वस्थ बनाए रखता है।

स्वाद के लिए भोजन को अधिक चटपटा बनाना हानिकारक होता है, इसलिए सात्विक भोजन ही उत्तम है।

सात्विक भोजन मन को शांत रखता है।

मांसाहार से क्रोध तथा आलस्य की मात्रा बढ़ती है, इसलिए स्वस्थ रहने के लिए सात्विक भोजन ज़रूरी है।

  1. स्वास्थ्य की रक्षा के लिए किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?

उत्तर – स्वास्थ्य की रक्षा के लिए शरीर की स्वच्छता और नियमित व्यायाम पर ध्यान देना चाहिए।

हमें नियमित संतुलित आहार-विहार का पालन करना चाहिए, जिसमें शाक, पात और फल अधिक हों।

समय पर सोना और जागना अत्यंत आवश्यक है।

मकान को हवादार और स्वच्छ रखना चाहिए ताकि कीटाणु न पनपें।

काम करने का गौरव होना चाहिए, क्योंकि हाथ से काम करना भी व्यायाम का एक उपयोगी अंश है और आत्मनिर्भरता लाता है।

  1. व्यायाम करने से क्या-क्या लाभ है?

उत्तर – व्यायाम करने से शरीर पुष्ट और बलिष्ठ बनता है।

यह शरीर को दृढ़ और रोगों से मुक्त रखने का साधन है।

व्यायाम से जीवन संतुलित और सौंदर्यमय बन जाता है।

अपने हाथ से काम करना, जैसे पानी भरना, बोझा उठाना या सफाई करना, भी व्यायाम का एक उपयोगी अंश है।

व्यायाम जीवन-शैली को बदलकर जीवन को सुखमय और स्वस्थ बनाए रखने में काम आता है।

  1. स्वच्छता और व्यायाम पाठ से आपको क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर – इस पाठ से यह शिक्षा मिलती है कि शरीर-रक्षा ही धर्म का पहला साधन है।

हमें शरीर को स्वच्छ, पवित्र और दृढ़ रखना चाहिए।

नियमित व्यायाम और संतुलित सात्विक आहार उत्तम स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है।

स्वच्छ वातावरण (मकान की सफाई) मन को स्वस्थ रखता है, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है।

श्रम का गौरव करना चाहिए, क्योंकि काम मनुष्य को आत्मनिर्भर और गौरवशाली बनाता है।

 

III. ‘स्वच्छता और व्यायाम” पाठ का सारांश लिखिए।

उत्तर – यह लेख शरीर-रक्षा को धर्म का पहला साधन मानते हुए स्वच्छता और व्यायाम की महत्ता पर बल देता है। शरीर को स्वच्छ, पवित्र और दृढ़ रखने के लिए ठंडे पानी से स्नान, नीम की दातुन, हवादार मकान, गोबर-मिट्टी से लीपना, नियमित संतुलित भोजन, शाकाहार, समय पर सोना-जागना और व्यायाम आवश्यक बताता है। मांसाहार से क्रोध-आलस्य बढ़ता है। घरेलू काम जैसे सफाई, पानी भरना भी व्यायाम हैं, जो आत्मनिर्भरता और गौरव प्रदान करते हैं। स्वच्छ वातावरण मन को स्वस्थ रखता है। माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों में इन आदतों का जोर देना चाहिए, क्योंकि स्वच्छता-व्यायाम जीवन को सुखमय और स्वस्थ बनाते हैं।

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।

व्यायाम नियमित होना चाहिए। व्यायाम शरीर को पुष्ठ और बलिष्ठ रखने का साधन है। हमको जीने के लिए खाना चाहिए न कि खाने के लिए जीने चाहिए। स्वाद के लिए भोजन को अधिक चटपटा बना लेना हानिकारक है। भोजन में शाक पात और फलों का अधिक सेवन करना लाभदायक है। मांसाहार स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। मांसाहार से क्रोध तथा आलस्य की मात्रा बढ़ती है।

  1. व्यायाम कैसे होना चाहिए?

उत्तर – व्यायाम नियमित होना चाहिए।

  1. व्यायाम क्या है?

उत्तर – व्यायाम शरीर को पुष्ठ और बलिष्ठ रखने का साधन है।

  1. जीने की कला क्या है?

उत्तर – जीने की कला यह है कि हमको जीने के लिए खाना चाहिए न कि खाने के लिए जीना चाहिए।

  1. भोजन में क्या-क्या सेवन करना चाहिए?

उत्तर – भोजन में शाक पात और फलों का अधिक सेवन करना चाहिए।

  1. मांसाहार से क्या होता है?

उत्तर – मांसाहार से क्रोध तथा आलस्य की मात्रा बढ़ती है और यह स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है।

 

लोक- कहावत

विभिन्न रोगों का निवारण

  1. आँख

काली मिर्च को पीसकर घी – बूरे संग खाए।

नेत्र रोग सब दूर हो गिद्ध दृष्टि हो जाए॥

उत्तरकाली मिर्च को घी और बूरे (चीनी) के साथ खाने से आँखों के रोग दूर होते हैं और दृष्टि तेज (गिद्ध दृष्टि) हो जाती है।

  1. दाँतों

त्रिफला, त्रिकुटा, तुतिया पाँचों नमक पतंग।

दाँत वज्रसम होते हैं मान फूल के संग॥

उत्तरत्रिफला, त्रिकुटा, तुतिया (नीला थोथा), और पाँच प्रकार के नमक को मिलाकर प्रयोग करने से दाँत वज्र के समान मजबूत होते हैं।

  1. कान

सौ बरस सुनना चाहो।

कड़वा तेल कान में डालो॥

उत्तरलंबी उम्र तक अच्छी तरह सुनने के लिए कान में कड़वा तेल अर्थात् सरसों का तेल डालना चाहिए।

  1. नाक

कड़वा तेल नित नाक लगावें।

ताको नाक रोग मिट जावे।

उत्तरप्रतिदिन नाक में कड़वा तेल लगाने से नाक से संबंधित रोग मिट जाते हैं।

  1. अनिद्रा रोग

गुड के संग मिलाय के पीपर मूल जो खाय।

कहें भागुरी भाच जी गहरी निद्रा आय।

उत्तरगुड़ के साथ पीपर मूल (पिप्पली की जड़) मिलाकर खाने से गहरी नींद आती है और अनिद्रा रोग दूर होता है।

  1. काले बाल

त्रिफला जल से जो सिर धोवे।

बाल सफ़ेद न वाके होवे॥

उत्तरत्रिफला के जल से सिर धोने से बाल सफेद नहीं होते हैं।

  1. घाव

किसी शस्त्र से अंग कट जावें।

चूना भरे पकन नहीं पावे॥

उत्तरयदि किसी हथियार से शरीर का अंग कट जाए, तो उस पर चूना भर देने से वह पकता नहीं है।

  1. तेजाब

यदि कोई तेजाब को धोखे से पी जाए।

जल में चूना पीजिए सभी असर मिट जाए।

उत्तरयदि कोई धोखे से तेजाब पी जाए, तो उसे पानी में चूना घोलकर पीना चाहिए, जिससे तेजाब का असर खत्म हो जाता है।

 

 

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

शरीर-रक्षा को लेखक क्या मानते हैं?

a) अंतिम साधन

b) धर्म का पहला साधन

c) अनावश्यक

d) केवल भोजन

उत्तर – b) धर्म का पहला साधन

स्नान से पहले क्या स्वच्छ करना आवश्यक है?

a) कपड़े

b) पेट, दाँत, जिह्वा

c) मकान

d) व्यायाम

उत्तर – b) पेट, दाँत, जिह्वा

दातुन के लिए कौन-सी चीज लाभकारी है?

a) बबूल

b) नीम

c) आम

d) पीपल

उत्तर – b) नीम

बंद मकानों में क्या समस्या होती है?

a) अधिक प्रकाश

b) सील और कीटाणु पनपना

c) हवादार होना

d) गोबर लीपना

उत्तर – b) सील और कीटाणु पनपना

कीटाणुओं का शमन कैसे होता है?

a) बंद रखकर

b) गोबर-मिट्टी से लीपकर और झाड़-पोंछ से

c) मांसाहार से

d) आलस्य से

उत्तर – b) गोबर-मिट्टी से लीपकर और झाड़-पोंछ से

व्यायाम शरीर को क्या बनाता है?

a) कमजोर

b) पुष्ठ और बलिष्ठ

c) आलसी

d) बीमार

उत्तर – b) पुष्ठ और बलिष्ठ

मांसाहार से क्या बढ़ता है?

a) शांति

b) क्रोध और आलस्य

c) स्फूर्ति

d) स्वच्छता

उत्तर – b) क्रोध और आलस्य

घरेलू काम क्या प्रदान करते हैं?

a) आलस्य

b) आत्मनिर्भरता और गौरव

c) रोग

d) अस्वच्छता

उत्तर – b) आत्मनिर्भरता और गौरव

स्वस्थ शरीर में क्या रहता है?

a) अस्वस्थ मन

b) स्वस्थ मन

c) क्रोध

d) आलस्य

उत्तर – b) स्वस्थ मन

बच्चों में स्वच्छता-व्यायाम की आदत कौन डालें?

a) पड़ोसी

b) माता-पिता और शिक्षक

c) स्वयं बच्चे

d) सरकार

उत्तर – b) माता-पिता और शिक्षक

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. शरीर को किसके समान बताया गया है?
उत्तर – शरीर को आत्मा का मंदिर बताया गया है।

प्रश्न 2. शरीर की रक्षा के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर – शरीर की रक्षा के लिए स्वच्छता और स्वास्थ्य अत्यंत आवश्यक हैं।

प्रश्न 3. ठंडे पानी से नहाने का क्या लाभ होता है?
उत्तर – ठंडे पानी से नहाने से सारे दिन स्फूर्ति बनी रहती है।

प्रश्न 4. भोजन के बाद स्नान करना क्यों उचित नहीं है?
उत्तर – भोजन के बाद स्नान करना शरीर के लिए उचित नहीं होता, क्योंकि इससे पाचन क्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 5. स्नान से पूर्व हमें किन चीजों को स्वच्छ करना चाहिए?
उत्तर – स्नान से पूर्व हमें पेट, दाँत और जिह्वा को स्वच्छ करना चाहिए।

प्रश्न 6. दातुन के लिए कौन-सी लकड़ी सबसे अधिक लाभकारी मानी गई है?
उत्तर – दातुन के लिए नीम की लकड़ी सबसे अधिक लाभकारी मानी गई है।

प्रश्न 7. शरीर के साथ-साथ मकान की सफ़ाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर – शरीर के साथ-साथ मकान की सफ़ाई इसलिए आवश्यक है क्योंकि मकान की गंदगी से रोगों के कीटाणु पनपते हैं।

प्रश्न 8. बंद मकानों में क्या हानियाँ होती हैं?
उत्तर – बंद मकानों में सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँचता, सील रहती है और रोगाणु पनपते हैं।

प्रश्न 9. फर्श पर गोबर या मिट्टी से लीपने का क्या लाभ है?
उत्तर – फर्श पर गोबर या मिट्टी से लीपने से कीटाणुओं का शमन होता है।

प्रश्न 10. मकान को सुव्यवस्थित रखने से क्या लाभ होता है?
उत्तर – मकान को सुव्यवस्थित रखने से हमारे कार्यों में कुशलता और सुलभता प्राप्त होती है।

प्रश्न 11. स्वस्थ वातावरण का मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – स्वस्थ वातावरण का मन पर अच्छा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 12. स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन क्यों रहता है?
उत्तर – क्योंकि शरीर की मजबूती और पवित्रता मन की शांति और संतुलन को बनाए रखती है।

प्रश्न 13. शरीर रक्षा के लिए किन बातों का पालन आवश्यक है?
उत्तर – शरीर रक्षा के लिए संतुलित आहार-विहार, समय पर सोना-जागना और नियमित व्यायाम आवश्यक हैं।

प्रश्न 14. व्यायाम का क्या महत्त्व है?
उत्तर – व्यायाम शरीर को पुष्ट, बलिष्ठ और सुदृढ़ रखने का साधन है।

प्रश्न 15. हमें जीने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर – हमें जीने के लिए खाना चाहिए, न कि खाने के लिए जीना चाहिए।

प्रश्न 16. अत्यधिक चटपटा भोजन स्वास्थ्य के लिए क्यों हानिकारक है?
उत्तर – अत्यधिक चटपटा भोजन पाचन क्रिया को बिगाड़ता है और शरीर को कमजोर बनाता है।

प्रश्न 17. भोजन में किन चीजों का अधिक सेवन करना लाभदायक है?
उत्तर – भोजन में शाक-पात (हरी सब्जियाँ) और फलों का अधिक सेवन लाभदायक है।

प्रश्न 18. मांसाहार से क्या हानियाँ होती हैं?
उत्तर – मांसाहार से क्रोध और आलस्य की मात्रा बढ़ती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

प्रश्न 19. हाथ से काम करने का क्या लाभ है?
उत्तर – हाथ से काम करने से आत्मनिर्भरता आती है और जीवन संतुलित तथा सौंदर्यमय बनता है।

प्रश्न 20. माता-पिता और शिक्षकों का क्या कर्तव्य बताया गया है?
उत्तर – माता-पिता और शिक्षकों का कर्तव्य है कि वे बालक-बालिकाओं को स्वच्छता और व्यायाम की आवश्यकता का महत्त्व समझाएँ।

 

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

ध्यातव्य – उत्तर मे केवल मुख्य बिंदु दिए गए हैं आप सटीक वाक्य संरचना के आधार पर उत्तर पूरा करें।

 

  1. शरीर-रक्षा के लिए स्वच्छता क्यों आवश्यक है?

उत्तर – शरीर आत्मा का मंदिर है, इसे स्वच्छ-पवित्र रखना धर्म है। ठंडे पानी से स्नान स्फूर्ति देता है, लेकिन भोजन के बाद नहीं। पेट, दाँत, जिह्वा साफ करना जरूरी है, नीम की दातुन लाभकारी है, जो स्वास्थ्य बनाए रखती है।

  1. मकान की सफाई का महत्त्व क्या है?

उत्तर – हवादार मकान में सूर्य प्रकाश आता है, सील नहीं बनती, कीटाणु नहीं पनपते। गोबर-मिट्टी से लीपना और झाड़-पोंछ कीटाणु नष्ट करती है। सुव्यवस्थित मकान कार्यों में कुशलता-सुलभता देता है, स्वस्थ वातावरण मन को प्रभावित करता है।

  1. व्यायाम की आवश्यकता क्यों है?

उत्तर – नियमित व्यायाम शरीर को पुष्ठ-बलिष्ठ बनाता है। संतुलित आहार-विहार, समय पर सोना-जागना स्वास्थ्य के लिए जरूरी। घरेलू काम जैसे सफाई, पानी भरना व्यायाम का हिस्सा हैं, जो आत्मनिर्भरता और गौरव प्रदान करते हैं।

  1. भोजन संबंधी सलाह क्या है?

उत्तर – जीने के लिए खाना चाहिए, खाने के लिए नहीं। चटपटा भोजन हानिकारक, शाक-पात-फल लाभदायक। मांसाहार क्रोध-आलस्य बढ़ाता है, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक। संतुलित भोजन शरीर को स्वस्थ रखता है।

  1. घरेलू कामों का लाभ क्या है?

उत्तर – पानी भरना, सफाई, कपड़े धोना व्यायाम का उपयोगी अंश हैं। इससे हाथ से काम का गौरव आता है, आत्मनिर्भरता बढ़ती है। काम मनुष्य को ऊँचा उठाता है, जीवन संतुलित-सौंदर्यमय बनाता है।

  1. स्वच्छता और व्यायाम जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं?

उत्तर – स्वच्छता शरीर-मन को पवित्र रखती है, व्यायाम दृढ़ता देता है। ये जीवन-शैली बदलते हैं, सुखमय-स्वस्थ बनाते हैं। स्वस्थ वातावरण मन पर अच्छा प्रभाव डालता है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन रहता है।

  1. मांसाहार की हानि क्या है?

उत्तर – मांसाहार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक, क्रोध और आलस्य बढ़ाता है। शाकाहार लाभदायक, स्फूर्ति देता है। संतुलित शाक-पात-फल भोजन शरीर को पुष्ट रखता है, रोगों से बचाता है।

  1. स्नान के नियम क्या हैं?

उत्तर – ठंडे पानी से स्नान स्फूर्ति देता है, भोजन के बाद नहीं। स्नान पूर्व पेट, दाँत, जिह्वा स्वच्छ करें। नीम दातुन लाभकारी। स्वच्छता शरीर-रक्षा का साधन है।

  1. स्वस्थ वातावरण का मन पर प्रभाव क्या है?

उत्तर – हवादार, स्वच्छ मकान मन को शांत-सकारात्मक रखता है। सुव्यवस्थित घर कार्यों में कुशलता देता है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन निवास करता है, जो जीवन को सौंदर्यमय बनाता है।

  1. बच्चों में इन आदतों का जोर क्यों दें?

उत्तर –  माता-पिता-शिक्षक बच्चों को स्वच्छता, व्यायाम, संतुलित भोजन सिखाएँ। इससे आत्मनिर्भरता, गौरव आदि भाव आते हैं। स्वस्थ जीवन-शैली बनती है, जो सुखमय और संतुलित जीवन प्रदान करती है।

 

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

ध्यातव्य – उत्तर मे केवल मुख्य बिंदु दिए गए हैं आप सटीक वाक्य संरचना के आधार पर उत्तर पूरा करें।

  1. लेख में शरीर-रक्षा के लिए स्वच्छता के उपायों का वर्णन कीजिए।

उत्तर – शरीर को स्वच्छ रखने के लिए ठंडे पानी से स्नान, भोजन के बाद नहीं। स्नान पूर्व पेट, दाँत, जिह्वा साफ करें, नीम दातुन लाभकारी। मकान हवादार रखें, गोबर-मिट्टी से लीपें, झाड़-पोंछ करें ताकि कीटाणु नष्ट हों। सुव्यवस्थित घर कुशलता देता है, स्वस्थ वातावरण मन को प्रभावित करता है, जो आत्मा की शुद्धता के समान शरीर की रक्षा करता है।

  1. व्यायाम और भोजन के संबंध में लेखक की सलाह क्या है?

उत्तर – व्यायाम नियमित हो, शरीर को पुष्ठ-बलिष्ठ बनाता है। घरेलू काम जैसे सफाई, पानी भरना व्यायाम हैं, आत्मनिर्भरता-गौरव देते हैं। जीने के लिए खाएं, चटपटा हानिकारक। शाक-पात-फल लाभदायक, मांसाहार क्रोध-आलस्य बढ़ाता है। संतुलित आहार-विहार, समय पर सोना-जागना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक, जो जीवन को स्वस्थ-सुखमय बनाते हैं।

  1. मकान की सफाई और उसके लाभों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर – मकान हवादार हो, सूर्य प्रकाश आए ताकि सील न बने, कीटाणु न पनपें। गोबर-मिट्टी लीपना, झाड़-पोंछ कीटाणु शमन करता है। सुव्यवस्थित मकान कार्यों में कुशलता-सुलभता देता है। स्वस्थ वातावरण मन पर अच्छा प्रभाव डालता है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन रहता है, जो समग्र स्वास्थ्य और सौंदर्यमय जीवन सुनिश्चित करता है।

  1. काम करने के गौरव और आत्मनिर्भरता पर लेखक का दृष्टिकोण क्या है?

उत्तर – हाथ से काम जैसे सफाई, बोझा उठाना व्यायाम का अंश हैं। काम मनुष्य को ऊँचा उठाता है, गौरव प्रदान करता है, ईश्वर समान है। इससे आत्मनिर्भरता आती है, जीवन संतुलित-सौंदर्यमय बनता है। स्वच्छता-व्यायाम जीवन-शैली बदलते हैं, सुखमय बनाते हैं। माता-पिता-शिक्षक बच्चों में यह जोर दें।

  1. स्वच्छता, व्यायाम और स्वस्थ जीवन का परस्पर संबंध स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – स्वच्छता शरीर-मन को पवित्र रखती है, व्यायाम दृढ़ता देता है। संतुलित भोजन, शाकाहार, समयबद्ध दिनचर्या स्वास्थ्य बनाती है। घरेलू काम आत्मनिर्भरता जगाते हैं। स्वस्थ वातावरण मन को सकारात्मक रखता है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन। ये जीवन को सुखमय बनाते हैं, बच्चों में आदत डालनी चाहिए।

 

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