Class IX, Hindi Vallari, Third Language, Karnataka Board, KSEEB, Chapter Mousi, Bheeshm Sahani, मौसी (कहानी) भीष्म साहनी

भीष्म साहनी –

भीष्म साहनी : सन् 1915 अगस्त 7 को रावलपिंडी में भीष्म साहनी का जन्म हुआ। एम.ए., पीएच.डी. तक इन्होंने शिक्षा पाई हैं। साहनी जी हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, रूसी, पंजाबी आदि भाषाओं के ज्ञाता हैं, इन भाषाओं की इनकी अनेक रचनाएँ प्रकट हुई हैं। विशेषकर आम आदमी का जीवन इनकी रचनाओं में अंकित हुआ है। झरोखे, कड़ियाँ, तमस, बसंती आदि इनके उपन्यास हैं। भाग्यरेखा, भटकती राख, वाङ्चू, शोभा यात्रा आदि कहानी संग्रह हैं। भीष्म साहनी जी ने जीवनियाँ भी लिखी हैं यथा भाई बलराज, अपनी बात। कबीरा खड़ा बाज़ार में, माधवी, मुआवज़े आदि नाटक हैं। साहनी जी शिरोमणि पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार इत्यादि से शोभित हैं।

प्रस्तुत पाठ में मौसी के निःस्वार्थ सेवा मनोभाव का चित्रण है। इस कहानी से बच्चों को परोपकार, बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर और असहायकों की मदद करने की प्रेरणा मिलती है।

मौसी

उस औरत को सभी मौसी कहकर पुकारते थे, बच्चे भी और बड़ी उम्र के लोग भी। मौसी सबको माँ के जैसे प्यारी बनी थी। सबके सुख-दुःख के समय में साथ देती थी। बच्चों के लिए तो वह सेवा की मूर्ति बनी थी।

प्रतिदिन दोपहर होते-होते मौसी स्कूल के फाटक पर पहुँच जाती थी। जैसे ही छुट्टी की घंटी बजती वैसे ही बच्चे भागते हुए बाहर निकलते और मौसी के कंधों पर अपने – अपने बस्ते डाल देते। मोहल्ले के सभी बच्चे उसे घेरे रहते थे।

दोपहर ढलने पर मौसी नीम के पेड़ तले जा पहुँचती, जहाँ सभी बच्चे खेला करते थे। मौसी को बच्चों के साथ खेलना, उन्हें कहानियाँ, चुटकुले और पहेलियाँ सुनाना बहुत पसंद था। वह तोता – तोती की कहानी, काठ के घोड़े की कहानी, वीरोचित कहानी आदि सुनाती थी।

मौसी बच्चों को खिलाने के लिए अपने पास चने, टिकिया, मूँग – फली आदि कुछ न कुछ रखती थी। वह बच्चों से अपने बेटे-बेटियों जैसे प्यार करती थी।

एक दिन जब स्कूल की छुट्टी हुई, बच्चे बस्ते उठाकर बाहर निकले तो मौसी फाटक पर नहीं मिली। शाम को बच्चे खेलने के लिए निकले, तो मौसी पेड़ के नीचे भी नहीं थी। किसी को भी मालूम नहीं था कि मौसी कहाँ गई है?

कई दिन बीत गए, पर मौसी का कुछ पता नहीं चला। उसके बिना सारा मोहल्ला सूना-सूना लगता था। एक दिन बच्चे मौसी की खोज में घूम रहे थे। तभी एक मकान के अंदर से ऊँची-ऊँची आवाज़ सुनाई दी, “हमने ठेका तो नहीं ले रखा है मौसी! बीस दिन से तुम यहाँ हो। अब तुम किसी दूसरे के घर चली जाओ।”

मौसी का नाम सुनकर बच्चे ठिठककर खड़े हो गए। बन्द दरवाज़े की दरार में से झाँककर देखा तो मौसी एक खाट पर लेटी थी। उसके बाल उलझे हुए और चेहरा सूखा हुआ था। मौसी को ऐसी स्थिति में देखकर बच्चों को बहुत दुःख हुआ और गुस्सा आया।

दूसरे दिन बच्चे हॉकी मैच खेलकर लौट रहे थे, तो रास्ते में पुल के पास मौसी बैठी नज़र आई। उसके पास एक छोटी-सी गठरी और लाठी भी थी। मौसी को देखकर सब उसे घेरकर प्रश्न पूछने लगे।

“तू इतने दिन कहाँ थी मौसी? यहाँ क्यों बैठी हो?” एक ने पूछा। “मैं यहाँ से जा रही हूँ बेटा।” कहते हुए मौसी की आँखें भर आईं, ” तू तो बीमार थी मौसी? तबीयत कैसी है?” बलदेव ने पूछा। “बेटा, मैं ठीक हो गयी हूँ। अपना गाँव जा रही हूँ।” “हम तुझे कहीं नहीं जाने देंगे मौसी”, सबने एक स्वर में कहा। मौसी की आँखों में आँसू छलक उठे।

दुकान के सामने एक खाट बिछी थी। दो-तीन लड़के भागकर खाट उठा ले आए। उस पर मौसी को ज़बरदस्ती बैठा दिया। खाट को सीधे नीम के पेड़ के नीचे ले आए। कन्हैया भागकर अपने घर से दरी और तकिया लाया। उषा थाली में दो रोटियाँ लायीं। योगराज एक कटोरे में दूध लाया। गोपाल घर से लैंप उठा लाया। मुन्नी पीने के लिए पानी लायी। बलदेव के पिता डॉक्टर थे। वह अपने पिता को क्लिनिक से खींच लाया “मौसी बीमार है। आप जल्दी चलकर देखिए।”

बच्चे सोचने लगे कि मौसी को कहाँ ठहराया जाय। उन्होंने निर्णय लिया कि वे बारी-बारी से उसे अपने घर में रखेंगे। बाद में उन्होंने हेडमास्टर जी से बिनती की कि मौसी को स्कूल में काम दिया जाय। हेडमास्टरजी ने मान लिया और मौसी को रहने के लिए स्कूल में एक कोठरी भी दे दी।

मौसी फिर से स्कूल के आँगन में आने लगी। बच्चे उसे घेरे रहते और वह उन्हें कहानियाँ सुनाती। कभी- कभी लाठी टेकती हुई मोहल्ले का चक्कर काटती, सभी घरों में झाँक उनका कुशल-क्षेम पूछती। साँझ ढले अपनी कोठरी में चली आती और चैन की साँस लेती।

इस तरह बच्चों के प्रेम व स्नेह भाव से मौसी के जीवन में खुशी के दिन लौट आये।

 

शब्दार्थ :

मौसी – माता की बहन,

उम्र – वय, आयु

साथ देना – सहायता करना

फाटक – मुख्य द्वार

कंधा – भुजा

बस्ता – थैला

मोहल्ला – शहर या कस्बे का एक भाग

घेरना – किसी को चारों ओर से बाँधना,

दोपहर – मध्याह्न,

ढलना – बीतना,

तले – नीचे,

चुटकुला – मजेदार बात

मालूम – जानकारी

सूना – खाली,

खोजना – ढूँढ़ना

मकान – घर

ठेका – ठहरने की जगह

ठिठककर – सहसा रुक जाना

पुल – सेतु

आँखें भर आना – दुखी होना

बीमार – रोगी,

तबीयत – स्वास्थ्य,

खाट – चारपाई

दरी – बिछावन

कटोरा – प्याला

बिनती – प्रार्थना

कोठरी – छोटा कमरा

चक्कर काटना – घूमना

 

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-

  1. माँ के जैसे प्यारी कौन थी?

उत्तर – मौसी माँ के जैसे प्यारी थी।

  1. मौसी सभी को किस समय में साथ देती थी?

उत्तर – मौसी सभी को उनके सुख-दुःख के समय में साथ देती थी।

  1. दोपहर होने पर मौसी कहाँ पहुँच जाती थी?

उत्तर – प्रतिदिन दोपहर होते-होते मौसी स्कूल के फाटक पर पहुँच जाती थी।

  1. मौसी बच्चों को क्या-क्या खिलाती थी?

उत्तर – मौसी बच्चों को अपने पास के चने, टिकिया, मूँग-फली आदि खिलाती थीं।

  1. मौसी के बिना सारा मोहल्ला कैसा लगता था?

उत्तर – मौसी के बिना सारा मोहल्ला सूना-सूना लगता था।

  1. लड़के भागकर क्या उठा ले आए?

उत्तर – लड़के भागकर खाट उठा ले आए।

  1. बच्चों ने हेडमास्टर से क्या विनती की?

उत्तर – बच्चों ने हेडमास्टर जी से विनती की कि मौसी को स्कूल में काम दिया जाए।

  1. मौसी के जीवन में कैसे दिन लौट आए?

उत्तर – मौसी के जीवन में खुशी के दिन लौट आए।

II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-

  1. मौसी बच्चों को कौन – कौन सी कहानियाँ सुनाती थी?

उत्तर – मौसी बच्चों के साथ खेलने के अलावा उन्हें कहानियाँ, चुटकुले और पहेलियाँ भी सुनाया करती थीं। वह तोता-तोती की कहानी, काठ के घोड़े की कहानी, वीरोचित कहानियाँ सुनाती थीं।

  1. बच्चे मौसी को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ते हैं?

उत्तर – बच्चों ने मौसी को फाटक के पास ढूँढ़ा और वहाँ न मिलने पर वे मौसी को उस नीम के पेड़ के नीचे ढूँढ़ने गए जहाँ वे खेलते थे पर मौसी वहाँ पर भी नहीं मिली। अंत में उन्हें मौसी एक मकान के अंदर से मिली।

  1. मकान के अंदर से बच्चों को कैसी आवाज़ें सुनायी दीं?

उत्तर – बच्चे जब मौसी को ढूँढ रहे थे तभी एक मकान के अंदर से बच्चों को तेज़ आवाज़ें सुनाई दीं “हमने ठेका तो नहीं ले रखा है मौसी! बीस दिन से तुम यहाँ हो। अब तुम किसी दूसरे के घर चली जाओ।”

  1. बच्चों को क्यों गुस्सा आया?

उत्तर – जब बच्चों ने बंद दरवाज़े की दरार में से झाँककर देखा तो मौसी एक खाट पर लेटी थी। उसके बाल उलझे हुए और चेहरा सूखा हुआ था। मौसी को ऐसी स्थिति में देखकर बच्चों को बहुत दुःख हुआ और गुस्सा आया।

III. तीन-चार वाक्यों में उत्तर लिखिए :-

  1. मौसी और बच्चों के बीच में क्या बातचीत हुई?

उत्तर – मौसी जब गाँव जा रही थी तो बच्चों ने उन्हें देखकर पूछा “तू इतने दिन कहाँ थी मौसी? यहाँ क्यों बैठी हो?” इस पर मौसी ने कहा, “मैं यहाँ से जा रही हूँ बेटा।” कहते हुए मौसी की आँखें भर आईं,” तब बलदेव ने पूछा। “तू तो बीमार थी मौसी? तबीयत कैसी है?” “बेटा, मैं ठीक हो गई हूँ। अपने गाँव जा रही हूँ।” मौसी के इस कथन पर सब बच्चों ने एक साथ कहा, “हम तुझे कहीं नहीं जाने देंगे मौसी” यह सुनकर मौसी की आँखों में आँसू छलक उठे।

  1. बच्चों ने मिलकर मौसी की सेवा किस प्रकार की?

उत्तर – बच्चों को मौसी से बहुत लगाव था, मौसी की सेवा करने के उद्देश्य से दो-तीन लड़कों ने दुकान के सामने एक खाट बिछी थी, उसे उठा ले आए। उस पर मौसी को ज़बरदस्ती बैठा दिया। खाट को सीधे नीम के पेड़ के नीचे ले आए। कन्हैया भागकर अपने घर से दरी और तकिया लाया। उषा थाली में दो रोटियाँ लाई। योगराज एक कटोरे में दूध लाया। गोपाल घर से लैंप उठा लाया। मुन्नी पीने के लिए पानी लाई। बलदेव ने अपने डॉक्टर पिता से मौसी का इलाज भी करवाया।  

  1. मौसी के खुशी जीवन का वर्णन कीजिए।

उत्तर – बच्चों का मौसी से भावनात्मक लगाव था। उन्होंने निर्णय लिया कि वे बारी-बारी से मौसी को अपने घर में रखेंगे। बाद में उन्होंने हेडमास्टर जी से विनती की कि मौसी को स्कूल में काम दिया जाय। हेडमास्टरजी ने मान लिया और मौसी को रहने के लिए स्कूल में एक कोठरी भी दे दी। इस तरह मौसी फिर से स्कूल के आँगन में आने लगी। बच्चे उसे घेरे रहते और वह उन्हें कहानियाँ सुनाती। सभी घरों में झाँक उनका कुशल-क्षेम पूछती। साँझ ढले अपनी कोठरी में चली आती। इस तरह बच्चों के प्रेम व स्नेह भाव से मौसी के जीवन में खुशी के दिन लौट आए।

IV. रिश्ता जानिए और लिखिए :-

  1. पिता के पिता : दादा :: माता के पिता : नाना
  2. पिता की बहन : बुआ :: माता की बहन : मौसी
  3. पति / पत्नी के पिता : ससुर :: पति / पत्नी की माता : सास
  4. बेटे की पत्नी : बहू :: बेटी का पति : दामाद

IV. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-

उदाहरण : कहानी – कहानियाँ, माला – मालाएँ, बात – बातें

  1. लड़की – लड़कियाँ

माता – माताएँ

आँख – आँखें

  1. कोठरी – कोठरियाँ

दिशा – दिशाएँ

दरार – दरारें

  1. पहेली – पहेलियाँ

घटना – घटनाएँ

दुकान – दुकानें

VI. विलोम शब्दों के जोड़ी बनाइए :-

उदाहरण : बाहर अंदर

गलत  x सही

सुख x  दुःख

छोटा x  बड़ा

खुशी x गम

टेढ़ा x  सीधा

बहुत x  कम

रात x  दिन

अपना x  पराया

ऊपर x नीचे

VII. पर्यायवाची शब्द लिखिए :-

  1. पेड़ – वृक्ष, तरु
  2. घोड़ा – अश्व, तुरंग
  3. दूध – क्षीर, गोरस
  4. पानी – जल, वारि
  5. घर – आलय, निकेतन
  6. औरत – महिला, कांता

VIII. सार्थक वाक्य बनाइए :-

  1. सबको जैसे मौसी प्यारी माँ थी के।

उत्तर – मौसी सबको माँ के जैसे प्यारी थी।

  1. वीरोचित सुनाती थी कहानियाँ।

उत्तर – मौसी वीरोचित कहानियाँ सुनाती थीं।

  1. दिन दूसरे मैच हॉकी लौट खेलकर रहे थे।

उत्तर – दूसरे दिन बच्चे हॉकी मैच खेलकर लौट रहे थे

  1. पीने पानी के लिए मुन्नी लायी।

उत्तर – मुन्नी पानी पीने के लिए लायी।

IX. कन्नड में अनुवाद कीजिए :-

  1. बच्चे नीम पेड़ के तले खेलते थे।

उत्तर – ಮಕ್ಕಳು ಬೇವು ಮರದ ಅಡಿಯಲ್ಲಿ ಆಟವಾಡುತ್ತಿದ್ದರು।

The children used to play under the neem tree.

  1. उसे सब मौसी कहकर पुकारते थे।

उत्तर – ಅವಳನ್ನು ಎಲ್ಲರು ಮೌಸಿ ಎಂದು ಕರೆಯುತ್ತಿದ್ದರು।

Everyone used to call her “Mausi.”

  1. बच्चों के लिए तो वह सेवा की मूर्ति थी।

उत्तर – ಮಕ್ಕಳಿಗೆ ಆಕೆ ಸೇವೆಯ ಮೂರ್ತಿ ಆಗಿದ್ದಳು।

For the children, she was the embodiment of service.

  1. सब के घरों में झाँक कुशल क्षेम पूछती थी।

उत्तर – ಅವಳು ಎಲ್ಲರ ಮನೆಯಲ್ಲೂ ಹೋಗಿ ಕುಶಲೋಪರಿ ಕೇಳುತ್ತಿದ್ದಳು।

She used to visit everyone’s house and inquire about their well-being.

X. नमूने के अनुसार लिखिए :-

उदाहरण : दूध मलाई, माखन, घी, मिठाई

  1. पेड़ → फल, जूस, लकड़ी, सामान
  2. सोना → आभूषण, हार, कंगन, झुमके
  3. फूल → इत्र, परफ्यूम, अगरबत्तियाँ, हार
  4. कागज़ → कॉपी, किताब, अखबार, पत्रिका

XI. पाठशाला में और घर में आपको क्या-क्या करने के लिए कहा जाता है और क्या करने के लिए मना किया जाता है। तालिका में लिखिए :-

क्या करना है

  1. अनुशासन में रहने को कहा जाता है।
  2. पढ़ाई करने के लिए कहा जाता है।
  3. बड़ों की बातें मानने के लिए कहा जाता है।

क्या नहीं करना है

  1. चीजों को तोड़ने से मना किया जाता है।
  2. शरारत न करने के लिए कहा जाता है।
  3. फूल नहीं तोड़ने होते हैं।

भाषा – ज्ञान

क्रिया – विशेषण अव्यय

क्रिया की विशेषता बतानेवाले शब्दों को क्रिया-विशेषण कहते हैं

उदाहरण : घोड़ा तेज़ दौड़ता है।

बूढ़े लोग धीरे-धीरे चलते हैं।

क्रिया विशेषण के चार प्रकार हैं

1) रीतिवाचक क्रिया विशेषण,

उदाहरण : वे ध्यानपूर्वक सुन रहे थे।

2) कालवाचक क्रिया-विशेषण,

उदाहरण : मैं तुम्हारे घर कल आऊँगा।

3) स्थानवाचक क्रिया – विशेषण

उदाहरण : रजनी बाहर बैठी है।

4) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण

उदाहरण : साहनी जी ने किताबें बहुत लिखी हैं।

निम्न वाक्यों में क्रिया-विशेषण छाँटकर लिखिए :-

  1. मीरा अच्छा गाती है।

उत्तर – अच्छा गाती

  1. योगराज कटोरे भर दूध लाया।

उत्तर – कटोरे भर

  1. मौसी धीरे से बोलती है।

उत्तर – धीरे से

  1. राजधानी एक्सप्रेस गाड़ी अभी आयी है।

उत्तर – अभी आयी

  1. बच्चे पेड़ के नीचे खेल रहे हैं।

उत्तर – के नीचे

* हमारे देश में खेले जानेवाले खेलों की सूची बनाइए। किन्हीं दो खेलों का चित्र सहित वर्णन कीजिए।

उत्तर – भारत में खेले जाने वाले खेलों की सूची:

क्रिकेट

हॉकी

फुटबॉल

कबड्डी

खो-खो

बैडमिंटन

टेबल टेनिस

वॉलीबॉल

बास्केटबॉल

टेनिस

मल्लखंब

गिली-डंडा

शतरंज

रग्बी

एथलेटिक्स

मार्शल आर्ट्स (कराटे, कुश्ती, जूडो, मुक्केबाजी)

तीरंदाजी

पोलो

स्नूकर और बिलियर्ड्स

रेसलिंग (कुश्ती)

चित्र सहित दो खेलों का वर्णन:

मैं दो लोकप्रिय भारतीय खेलों – कबड्डी और क्रिकेट का चित्र सहित वर्णन कर रहा हूँ।

  1. कबड्डी

कबड्डी भारत का पारंपरिक खेल है, जिसे गाँवों और शहरों में बहुत पसंद किया जाता है। यह एक शारीरिक खेल है, जिसमें खिलाड़ी अपने विरोधियों को छूकर बिना पकड़े गए वापस लौटने की कोशिश करता है। यह खेल मुख्य रूप से सात खिलाड़ियों की दो टीमों के बीच खेला जाता है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय कबड्डी में कई बार विश्व खिताब जीते हैं।

✅ कबड्डी का चित्र तैयार किया जा रहा है…

  1. क्रिकेट

क्रिकेट भारत में सबसे लोकप्रिय खेल है। यह एक बल्ले और गेंद से खेला जाने वाला खेल है, जिसमें दो टीमें होती हैं, और प्रत्येक टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम ने कई बार विश्व कप और अन्य प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीते हैं। क्रिकेट के प्रमुख प्रारूप टेस्ट, वनडे और टी20 हैं।

कबड्डी 

क्रिकेट

 

 

* अपने घर के सदस्यों की सूची बनाइए।

दादा

दादी

पिताजी

माताजी

बड़ी बहन

मैं

* छात्रों को विशेषण और क्रिया – विशेषण का अंतर समझाएँ।

उत्तर – विशेषण (Adjective) और क्रिया-विशेषण (Adverb) में अंतर

विषय

विशेषण (Adjective)

क्रिया-विशेषण (Adverb)

परिभाषा

जो संज्ञा (Noun) या सर्वनाम (Pronoun) की विशेषता बताए, उसे विशेषण कहते हैं।

जो क्रिया (Verb), विशेषण (Adjective) या अन्य क्रिया-विशेषण की विशेषता बताए, उसे क्रिया-विशेषण कहते हैं।

किसका वर्णन करता है?

संज्ञा या सर्वनाम

क्रिया, विशेषण, या अन्य क्रिया-विशेषण

उदाहरण

अच्छा लड़का (अच्छा = विशेषण)

वह तेज दौड़ता है। (तेज = क्रिया-विशेषण)

कैसे पहचानें?

कैसा? कितने? कौन-सा?

कैसे? कहाँ? कब? कितने? किस प्रकार?

अंग्रेज़ी उदाहरण

He is a smart boy. (Smart = Adjective)

He runs quickly. (Quickly = Adverb)

उदाहरण:

  1. विशेषण:
    • सुंदर फूल (कैसा फूल? → सुंदर)
    • पाँच किताबें (कितनी किताबें? → पाँच)
    • लाल गेंद (कौन-सी गेंद? → लाल)
  2. क्रिया-विशेषण:
    • वह जल्दी भागा। (कैसे भागा? → जल्दी)
    • हम रोज़ पढ़ते हैं। (कब पढ़ते हैं? → रोज़)
    • बच्चे बाहर खेल रहे हैं। (कहाँ खेल रहे हैं? → बाहर)

 

* ऊँची-ऊँची, सूना-सूना जैसे द्विरुक्ति शब्दों की जानकारी दिलाएँ।

उत्तर – द्विरुक्ति शब्द की जानकारी

द्विरुक्ति शब्द क्या होते हैं?

जब किसी शब्द या ध्वनि की पुनरावृत्ति (दोहराव) करके नया शब्द बनाया जाता है, तो उसे द्विरुक्ति शब्द कहते हैं। ये शब्द हिंदी भाषा को अधिक प्रभावशाली और रोचक बनाते हैं।

द्विरुक्ति शब्दों के प्रकार :-

शुद्ध द्विरुक्ति शब्द – जिनमें शब्द को ज्यों का त्यों दोहराया जाता है।

उदाहरण : धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा, जल्दी-जल्दी, साफ-साफ

अशुद्ध द्विरुक्ति शब्द – जिनमें थोड़ा सा रूपांतर होता है।

उदाहरण : धक-धक, चुप-चाप, फटाफट, धड़ाम-धड़ाम

समानार्थी द्विरुक्ति शब्द – जिनमें समान अर्थ वाले दो शब्द जोड़े जाते हैं।

उदाहरण : सुख-दुख, हँसी-मजाक, रोना-धोना, खट्टा-मीठा

विपरीतार्थक द्विरुक्ति शब्द – जिनमें दो विपरीत शब्दों का मेल होता है।

उदाहरण : दिन-रात, छोटा-बड़ा, ऊँच-नीच, आगे-पीछे

द्विरुक्ति शब्दों का प्रयोग :

✅ भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के लिए।

✅ कविता और मुहावरों में संगीतमयता लाने के लिए।

✅ बच्चों की कहानियों और संवादों में रोचकता लाने के लिए।

उदाहरण वाक्य :

बच्चे धीरे-धीरे चल रहे थे।

उसने सब कुछ साफ-साफ बता दिया।

बारिश में सड़क पर पानी धड़ाम-धड़ाम गिर रहा था।

यह दुनिया सुख-दुख से भरी हुई है।

हम दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।

You cannot copy content of this page