Class IX, Hindi Vallari, Third Language, Karnataka Board, KSEEB, Chapter Cherapoonji Se Aaya Hoon, Pradeep Pant, चेरापूँजी से आया हूँ (यात्रा वृत्तान्त) प्रदीप पंत

प्रदीप पंत जी का जन्म लखनऊ के हलद्वानी, उत्तराखंड में 24 अप्रैल 1941 को हुआ। पंत जी के अब तक छः उपन्यास प्रकाशित हुए हैं। पंत जी की कन्नड में अनूदित कहानियों का संकलन ‘न्याया मत्तु इतर कथेगलु’ शीर्षक से प्रकाशित है। पंत जी के देश-विदेश के यात्रा – संस्मरणों के चार संकलन हैं।

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर उत्कृष्ट लेखन के लिए पंत जी को ‘जर्नलिस्ट्स वेलफेयर फाऊंडेशन’ का यूरोप – भ्रमण पुरस्कार, उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान का ‘प्रेमचंद अनुशंसा पुरस्कार’, हिंदी अकादमी द्वारा दो बार ‘साहित्यिक कृति पुरस्कार’ प्राप्त हैं। ‘साहित्यकार सम्मान’ और उत्कृष्ट व्यंग्य लेखन के लिए हिंदी भवन, नई दिल्ली का ‘व्यंग्यश्री सम्मान’ भी प्राप्त हुए हैं।

यात्रा से प्रादेशिक ज्ञान प्राप्त होता है। लोगों के रहन-सहन, प्राकृतिक दृश्यों का सौंदर्य आदि का प्रत्यक्ष अनुभव मिलता है। इस पाठ द्वारा छात्र चेरापूँजी का परिचय प्राप्त कर सकते हैं।

चेरापूँजी से आया हूँ

मेघालय – यानी बादलों का घर।

और मेघालय की राजधानी शिलंग, एक हरा-भरा पर्वतीय नगर, जहाँ हर वक्त बादल उमड़ते घुमड़ते रहते हैं। इतना बड़ा, स्वच्छ, सुंदर पर्वतीय नगर उत्तर भारत में कहीं नहीं है। ऐसी हरीतिमा भी शायद ही कहीं देखने को मिले। शिलंग से चेरापूँजी की ओर जाता मार्ग दोनों ओर पहाड़ों और दरख्तों से पटा पड़ा है। यह ऊँचा-नीचा सर्पाकार रास्ता। रास्ते को पार करते हुए दिखाई पड़ते हैं बादल, बहती है सुहानी हवा और कभी – कभी हो जाती है बूँदाबाँदी।

हमारी जीप शिलंग से 53 किलोमीटर दूर चेरापूँजी की ओर बढ़ रही है। मेरे साथ राज्य के एक अधिकारी श्री संगमा और उनके दो दोस्त बैठे हैं। मैं जीप की खिड़की बंद करते हुए संगमा से पूछता हूँ, “क्या साल भर यहाँ वर्षा होती रहती है?” “जी हाँ।” संगमा कहते हैं- “आपको जानकर ताज्जुब होगा कि मेघालय में खपत से ज्यादा पनबिजली का उत्पादन होता है। हम अतिरिक्त बिजली अन्य राज्यों को दे देते हैं। ‘ऐसा?” मैं सचमुच आश्चर्य से पूछता हूँ। संगमा कहते हैं – “वैसे यदि यहाँ सभी गाँव बिजली से जगमगा उठें, तो भी अतिरिक्त बिजली का उत्पादन होता रहेगा।”

हम पहाड़ों को निहारते हुए आगे बढ़ रहे हैं। सड़क के उस पार पहाड़ी कुहरे से घिरी हुई है। तीन पर्वतीय अंचलों में बँटा हुआ है मेघालय – खासी पर्वत, गारो पर्वत और जयंतिया पर्वत। और इन्हीं तीन पर्वतीय अंचलों से बने हैं पाँच जिले। हर अंचल की अपनी अलग संस्कृति है, रीति-रिवाज़, पर्व-उत्सव हैं, लेकिन हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था मातृसत्तात्मक है – भूमि, धन, संपत्ति सब माँ से बेटी को मिलती हैं।

स्त्री का यहाँ वर्चस्व है, यह अहसास गुवाहाटी से मेघालय की सीमा में घुसने के साथ ही होने लगता है। तमाम दुकानों पर स्त्रियाँ सौदा बेचती और बेहिचक बतियाती दिखाई देती हैं। शिलंग में भी उन्हें दुकानों पर बैठे देखा जा सकता है। शायद यह स्थिति पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी है, भले ही वहाँ मातृसत्तात्मक परिवार व्यवस्था न हो। कुछ साल पहले मणिपुर की राजधानी इम्फाल में भी यही सब देखा था। स्त्रियों का पूरा का पूरा बाज़ार ही है वहाँ, जिसे ‘माइती बाज़ार’ कहते हैं – यानी माँ का बाज़ार | दिन भर सामान की बिक्री कर शाम को अपने-अपने घर लौटती हैं। किसी प्रकार का वर्ग-भेद नहीं। यानी अमीर घरों की स्त्रियाँ भी इस ‘माइती बाज़ार’ में मिल जाएँगी और गरीब घरों की स्त्रियाँ भी। तभी एक मोड़ निकलने पर चेरापूँजी का छोटा-सा बाज़ार दिखाई पड़ता है। और इस बाज़ार में भी दुकानों पर बैठी हैं महिलाएँ – फिर चाहे दुकान फल-सब्जियों की हो या चाय की। हम आगे बढ़ जाते हैं।

कुछ आगे बढ़कर संगमा ने जीप रुकवा दी। हम सभी नीचे उतर गए। सामने दिखाई पड़ रहा है नोहशंगथियांग प्रपात जो ‘मॉसमाई’ प्रपात के नाम से लोकप्रिय है। ऊँचे पहाड़ से सैंकड़ों फुट नीचे पानी लगातार, बेरोकटोक गिर रहा है। “वह देखिए, सामने रहा बाँग्लादेश।  “संगमा के साथियों में से एक कहता है। अभी-अभी, जब जीप से उतरे थे, हल्की धूप थी और अभी क्षण – भर बाद ही, बादल घिरे और हल्की-हल्की वर्षा होने लगी। मैं संगमा के आगे अपना पुराना सवाल दुहराता हूँ, “क्या साल भर यहाँ वर्षा होती रहती है? संगमा हँसते हुए कहते हैं, “पंत साहब, यह चेरापूँजी है।”

हाँ, खयाल आया, यह चेरापूँजी है – समुद्र की सतह से कोई तेरह सौ मीटर ऊपर, जो विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान के लिए प्रसिद्ध है। हम लोग कभी कलकल-छलछल करते प्रपात को निहार रहे हैं, कभी पानी से घिरे बाँग्लादेश के भूभाग को।

वर्षा फिर बन्द हो गई है। धूप फिर खिल आई है।

इसी तरह वर्षा, धूप, कोहरे की लुका-छिपी का खेल चलता रहता है यहाँ।

हम लोग अब जीप में बैठकर लौट रहे हैं। संगमा रास्ते में खासी, जयंतिया और गारो पहाड़ियों के लोगों के बारे में बताने लगते हैं। वे कहते हैं “खासियों को यहाँ सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। करीब छह लाख गारो लोगों की मातृभूमि है गारो पर्वतमालाएँ। यह माना जाता है कि गारो समूह बोडो जाति का अंग है। नोंगक्रेम खासियों का प्रमुख नृत्य है। जयंतिया पहाड़ियों के उत्सव का नाम है बेहडेनखलाम।”

आगे चलकर एक स्थान पर जीप रुकती है। हम उतरते हैं। बगल में एक गोलाकार विशाल पत्थर है। संगमा बताते हैं, “यह प्राकृतिक शिवलिंग है। सचमुच यह प्रकृति का आश्चर्य है। “और आश्चर्य तो मॉसमाई गाँव की गुफाएँ भी हैं। हमारि जीप इन गुफाओं के पास रुकती है। “गुफाएँ इतनी अँधेरी हैं कि मशाल या टॉर्च जलाए बिना उनमें प्रवेश नहीं कर सकते।” – संगमा का एक साथी कहता है। हमने मशालें जला ली हैं और हम गुफाओं के अंदर आगे बढ़ रहे हैं। अगल-बगल, ऊपर-नीचे पत्थर! सदियों से ये गुफाएँ इसी तरह हैं और दूर, बहुत दूर तक चली गई हैं। हम लोग कुछ दूर जाकर लौट पड़ते हैं जैसे आश्चर्यलोक से लौट रहे हैं।

शब्दार्थ :

उमड़-घुमड़ – चारों ओर से घिरना, एकत्रित होना, छाना

हरीतिमा – हरियाली, हरापन

दरख्त – पेड़, वृक्ष

पटा – भरा

बूँदा बाँदी – हल्की वर्षा, बादलों से गिरनेवाली जल की बूँदें

कुहरा – धुंध, कोहरा

खपत – माल की बिक्री

पनबिजली – जलविद्युत

निहारना – ध्यानपूर्वक देखना,

अंचल – प्रांत, सीमा का समीपवर्ती भाग

वर्चस्व – आधिपत्य, प्राबल्य

घुसना – प्रवेश करना, भीतर जाना

तमाम – सारा, समस्त

सौदा – क्रय-विक्रय की वस्तु या माल,

बेहिचक – निस्संकोच,

मोड़ – रास्ते आदि का घुमावदार स्थान

प्रपात – ऊँचे स्थान से गिरने वाली जलधारा

बेरोकटोक – बिना किसी रुकावट के

लुका-छिपी – आँख-मिचौली, hide and seek

सतह – किसी वस्तु का ऊपरी भाग,

मशाल – एक प्रकार की मोटी बत्ती जो लकड़ी पर कपड़ा लपेटकर अधिक प्रकाश के लिए जलाई जाती है।

 

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-

  1. किस राज्य को बादलों का घर कहते हैं?

उत्तर – मेघालय राज्य को बादलों का घर कहते हैं।

  1. जीप में लेखक के साथ और कौन बैठे हैं?

उत्तर – जीप में लेखक के साथ एक अधिकारी श्री संगमा और उनके दो दोस्त बैठे थे।

  1. मेघालय के तीन पर्वतीय अंचलों का नाम लिखिए।

उत्तर – खासी पर्वत, गारो पर्वत और जयंतिया पर्वत मेघालय के तीन पर्वतीय अंचलों के नाम हैं।

  1. मेघालय में हर कहीं कौन-सी पारिवारिक व्यवस्था है?

उत्तर – मेघालय में हर कहीं मातृसत्तात्मक पारिवारिक व्यवस्था है।

  1. नोहशंगथियांग प्रपात किस नाम से लोकप्रिय है?

उत्तर – नोहशंगथियांग प्रपात ‘मॉसमाई’ प्रपात के नाम से लोकप्रिय है।

  1. गारो समूह को किस जाति का अंग माना जाता है?

उत्तर – गारो समूह को बोडो जाति का अंग माना जाता है।

II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-

  1. बिजली उत्पादन के बारे में संगमा ने क्या कहा?

उत्तर – बिजली उत्पादन के बारे में संगमा ने लेखक से कहा कि मेघालय में खपत से ज्यादा पनबिजली का उत्पादन होता है। अतिरिक्त बिजली अन्य राज्यों को दे दी जाती है। यदि यहाँ के सभी गाँव बिजली से जगमगा उठे तो भी अतिरिक्त बिजली का उत्पादन होता रहेगा।

  1. माइती बाज़ार’ के बारे में तीन वाक्य लिखिए।

उत्तर – मणिपुर की राजधानी इम्फाल में ‘माइती बाजार’ देखने को मिलता है। ‘माइती बाजार’ का अर्थ हुआ – – माँ का बाजार। यहाँ सौदे पर स्त्रियाँ ही बैठतीं हैं, यहाँ किसी प्रकार का वर्गभेद नहीं है। यहाँ अमीर और गरीब दोनों घरों की स्त्रियाँ सौदा करती हुई नज़र आती हैं।  

  1. चेरापूँजी की विशेषता क्या है?

उत्तर – चेरापूँजी समुद्र की सतह से लगभग तेरह सौ मीटर ऊपर है। यह विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ वर्षा, धूप, कोहरे की लुका-छिपी का खेल चलता रहता है। यह स्थान प्रकृति की अनुपम देन है।  

  1. मॉसमाई गाँव की गुफाएँ कैसी हैं?

उत्तर – मॉसमाई गाँव की गुफाएँ अति प्राचीन हैं। गुफाएँ इतनी अँधेरी हैं कि मशाल या टॉर्च जलाए बिना उनमें प्रवेश नहीं कर सकते। अगल-बगल, ऊपर-नीचे केवल पत्थर ही पत्थर हैं। यहाँ प्रवेश करके लौटना ऐसा लगता है मानो कोई आश्चर्यलोक से लौट रहा हो।

III. द्वित्व शब्दों को पाठ में से चुनकर लिखिए :-

उदाहरण : उमड़ते घुमड़ते

  1. ऊँचा – नीचा
  2. रीति – रिवाज़
  3. कल-कल – छल-छल
  4. अगल – बगल
  5. ऊपर – नीचे

IV. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-

  1. _________ मेघालय की राजधानी है।

उत्तर – शिलंग

  1. चेरापूँजी शिलंग से _________ कि.मी. की दूरी पर है।

उत्तर – 53

  1. मेघालय में हर कहीं पारिवारिक व्यवस्था _________ है।

उत्तर – मातृसत्तात्मक

  1. चेरापूँजी समुद्र की सतह से कोई _________ मीटर ऊपर है।

उत्तर – तेरह सौ मीटर ऊपर

  1. खासियों को समाज में _________की दृष्टि से देखा जाता है।

उत्तर – सम्मान

V. जोड़कर लिखिए :-

  1. चेरापूँजी की सड़कें – स्त्रियाँ सौदा बेचती हैं।
  2. तमाम दुकानों पर – खासी लोगों का प्रमुख नृत्य है।
  3. चेरापूँजी में – जयंतिया पहाड़ियों का उत्सव है।
  4. नोंगक्रेम – कुहरे से घिरी हुई हैं।
  5. बेहडेनखलाम – साल भर वर्षा होती रहती है।

उत्तर –

  1. चेरापूँजी की सड़कें – कुहरे से घिरी हुई हैं।
  2. तमाम दुकानों पर – स्त्रियाँ सौदा बेचती हैं।
  3. चेरापूँजी में – साल भर वर्षा होती रहती है।
  4. नोंगक्रेम – खासी लोगों का प्रमुख नृत्य है।
  5. बेहडेनखलाम – जयंतिया पहाड़ियों का उत्सव है।

VI.’बे’ उपसर्ग जोड़कर विलोम शब्द बनाइए :-

उदाहरण  : हिचक x बेहिचक

  1. रोकटोक x बेरोकटोक
  2. इज्जत x बेइज्जत
  3. रहम x बेरहम
  4. ईमान x बेईमान
  5. कसूर x बेकसूर
  6. वफा x बेवफा
  7. शक x बेशक
  8. ताज x बेताज
  9. सहारा X बेसहारा
  10. काबू x बेकाबू

VII. अब आपको किसी यात्रा पर जाना है। सोच-समझकर आप इन वाक्यों को एक क्रम से लिखिए :-

  1. होटल से संपर्क कर कमरा निर्धारित करना।
  2. छुट्टी लेना।
  3. कपड़े, सामान बाँध लेना।
  4. यात्रा स्थल को चुनना।
  5. बस या रेल में आरक्षण की व्यवस्था कर लेना।

उत्तर – 1. यात्रा स्थल को चुनना।

  1. छुट्टी लेना।
  2. बस या रेल में आरक्षण की व्यवस्था कर लेना।
  3. होटल से संपर्क कर कमरा निर्धारित करना।
  4. कपड़े, सामान बाँध लेना।

 

VIII. चेरापूँजी में साल भर वर्षा होती रहती है। ‘वर्षा’ प्रकृति की अनुपम भेंट है। इसी प्रकार प्रकृति के कुछ अन्य लाभों की सूची बनाइए :-

उत्तर – वर्षा से प्रकृति को लाभ

जल स्रोतों की पुनर्भरण – वर्षा से नदियाँ, झीलें, तालाब और भूजल स्तर भरते हैं, जिससे पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध रहता है।

कृषि के लिए उपयोगी – वर्षा का जल प्राकृतिक रूप से खेतों में नमी बनाए रखता है, जिससे फसलें अच्छी तरह उगती हैं और किसानों को सिंचाई पर कम खर्च करना पड़ता है।

पर्यावरण की शुद्धता – बारिश से वायुमंडल में मौजूद धूल, धुआँ और प्रदूषण के कण साफ हो जाते हैं, जिससे हवा स्वच्छ और शुद्ध हो जाती है।

वनस्पतियों और जैव विविधता को बढ़ावा – वर्षा से जंगलों और हरी-भरी वनस्पतियों को जीवन मिलता है, जिससे पशु-पक्षियों को भी अनुकूल वातावरण मिलता है।

मौसम में ठंडक – बारिश से वातावरण में ठंडक आती है, गर्मी से राहत मिलती है और मिट्टी की नमी बनी रहती है, जिससे धरती हरी-भरी रहती है।

 

X. संकेत – बिंदुओं के आधार पर अपनी किसी यात्रा का वर्णन कीजिए :-

  1. कहाँ गये थे?

उत्तर – गैंगटोक

  1. किसके साथ गये थे?

उत्तर – परिवार के साथ

  1. कब गये थे?

उत्तर – 2024 में

  1. कैसे गये थे?

उत्तर – ट्रेन और बस से

  1. उस स्थान में क्या-क्या देखा?

उत्तर – नाथू ला दर्रा – यह भारत-चीन सीमा पर स्थित एक ऐतिहासिक और सुंदर दर्रा है, जहाँ बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ देखने को मिलती हैं।

त्सोंगमो झील (चांगू लेक) – यह एक अद्भुत ग्लेशियर झील है, जो सर्दियों में पूरी तरह जम जाती है और गर्मियों में खूबसूरत नीले रंग में दिखाई देती है।

रूमटेक मठ – सिक्किम का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध बौद्ध मठ, जो अपनी तिब्बती वास्तुकला और आध्यात्मिक शांति के लिए प्रसिद्ध है।

हनुमान टोक – यह एक प्रसिद्ध मंदिर है, जहाँ से पूरे गैंगटोक शहर और कंचनजंगा पर्वत का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है।

गणेश टोक – एक छोटा लेकिन प्रसिद्ध गणेश मंदिर, जहाँ से हरी-भरी पहाड़ियों और घाटियों का सुंदर नज़ारा मिलता है।

MG मार्ग (एमजी रोड) – गैंगटोक का मुख्य बाजार और टूरिस्ट हब, जहाँ कैफे, रेस्तरां और खरीदारी के लिए बेहतरीन स्थान हैं।

ताशी व्यू पॉइंट – यहाँ से सूर्योदय और कंचनजंगा पर्वत श्रृंखला का शानदार दृश्य देखा जा सकता है।

बंज़खारी वाटरफॉल – हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित यह जलप्रपात, पिकनिक और प्राकृतिक दृश्यों के लिए एक बेहतरीन जगह है।

फ्लॉवर एग्ज़िबिशन सेंटर – यहाँ सिक्किम के दुर्लभ और रंग-बिरंगे फूलों की प्रदर्शनी होती है, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए खास है।

नामग्याल तिब्बतोलॉजी संस्थान – तिब्बती संस्कृति, इतिहास और बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए यह एक प्रसिद्ध शोध केंद्र है।

  1. कोई विशेष अनुभव (एक / दो वाक्य)

उत्तर – यह पहाड़ी इलाका सचमुच प्रकृति की गोद में बसा हुआ एक रमणीय स्थल है और सभी को एक बार यहाँ ज़रूर जाना चाहिए।

X. चेरापूँजी में साल भर वर्षा होती रहती है। इसे ‘अतिवृष्टि’ कहते हैं। :-

इसी प्रकार कहीं-कहीं पर वर्षा ऋतु में भी वर्षा नहीं होती। इसे ‘अनावृष्टि’ कहते हैं।

कक्षा में चर्चा करके इन दोनों से होनेवाली हानियों को लिखिए :-

उत्तर – अतिवृष्टि (अत्यधिक वर्षा) के नुकसान

बाढ़ और जनहानि – भारी वर्षा से बाढ़ आ सकती है, जिससे जान-माल की हानि होती है।

फसल और मिट्टी का नुकसान – खेतों में जलभराव से फसलें सड़ जाती हैं और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है।

संक्रमण और बीमारियाँ – गंदा पानी जमा होने से मच्छर जनित रोग (मलेरिया, डेंगू) और जलजनित बीमारियाँ (हैजा, टाइफाइड) फैलती हैं।

अनावृष्टि (सूखा) के नुकसान

जल संकट – जल स्रोत सूख जाते हैं, जिससे पीने और कृषि कार्यों के लिए पानी की भारी कमी हो जाती है।

कृषि और आर्थिक हानि – बारिश न होने से फसलें नष्ट हो जाती हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है।

भुखमरी और प्रवासन – खाद्यान्न उत्पादन में कमी से भोजन की समस्या उत्पन्न होती है, और लोग जीविका की तलाश में पलायन करने लगते हैं।

XI. चुटकुला :-

एक आदमी सड़क पर जा रहा था। तभी वर्षा होने लगी। रुकने के बजाय घर जल्दी पहुँचने की आशा में वह चलता ही रहा। कुछ दूर चलने पर पैर फिसल जाने के कारण गिर गया। उसी समय आकाश में बिजली चमकी।

वह आदमी बड़बड़ाया “हे भगवान! तुम भी अच्छा मज़ाक कर लेते हो। पहले तो मुझे कीचड़ में गिरा दिया और फिर ऊपर से फोटो भी खींच लिया।”

इसी प्रकार ‘वर्षा’ से संबंधित और कुछ चुटकुलें संग्रहित कीजिए।

उत्तर –

01

टीचर : बारिश क्यों होती है?
गोलू : ताकि पानी की टंकी भर जाए और मम्मी रोज़ मुझे उसे भरने के लिए ना भेजें!

02

गोलू अपने दोस्त से –
यार, बारिश में सबसे ज्यादा दुख किसे होता है?
दोस्त – सड़क पर सोने वालों को!
गोलू – नहीं रे, उन दुकानदारों को, जो घड़े बेचते हैं!

XII. अनुरूपता:-

  1. कर्नाटक : बेंगलूरु :: मेघालय : शिलंग
  2. राजस्थान : रेत का प्रदेश :: मेघालय : पर्वतों का प्रदेश/ बादलों का घर
  3. मणिपुर : इम्फाल :: बाँग्लादेश : ढाका
  4. नोंगक्रेम : नृत्य :: बेहडेनखलाम : उत्सव/पर्व

भाषा ज्ञान

संधि : दो वर्णों के मेल से उनके मूल रूप में जो परिवर्तन या विकार आ जाता है, वह ‘संधि’ कहलाता है।

संधि के तीन भेद

स्वर संधि

व्यंजन संधि

विसर्ग संधि

स्वर संधि : दो स्वरों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को ‘स्वर संधि’ कहते हैं।

स्वर संधि के पाँच भेद

दीर्घ संधि

गुण संधि

वृद्धि संधि

यण् संधि

अयादि संधि

  1. दीर्घ संधि : जब दो सवर्ण स्वर मिलकर उसी वर्ण का दीर्घ स्वर बनता है, उसे दीर्घ संधि कहते हैं।

जैसे-

अ+अ=आ – समय + अभाव = समयाभाव

अ+आ=आ – हिम + आलय = हिमालय

आ+अ=आ – यथा + अर्थ = यथार्थ

आ+आ=आ – विद्या + आलय = विद्यालय

इ+इ=ई – कवि + इंद्र = कवींद्र

इ+ई=ई – परि + ईक्षा = परीक्षा

ई+इ=ई – मही + इंद्र = महींद्र

ई+ ई = ई – रजनी + ईश = रजनीश

उ+उ=ऊ – लघु + उत्तर = लघूत्तर

ऊ+उ=ऊ – भू + उर्ध्व = भूर्ध्व

  1. गुण संधि : जब ‘अ’, ‘आ’ के सामने ‘इ, ई’, ‘उ, ऊ’ और ‘ऋ’ आते हैं तब क्रमशः ‘ए’, ओ’ और ‘अर्’ बनते हैं, यह गुण संधि है।

अ+इ=ए – वीर + इंद्र = वीरेंद्र

आ+इ=ए – महा + इंद्र = महेंद्र

अ+ई=ए – गण + ईश = गणेश

आ+ई=ए – लंका + ईश = लंकेश

अ+उ=ओ – हित + उपदेश = हितोपदेश

आ+उ =ओ – महा + उन्नत = महोन्नत

अ + ऊ = ओ हृदय + ऊर्मि = हृदयोर्मि

आ+ऊ=ओ – महा + ऊर्मि = महोर्मि

अ+ऋ=अर – सप्त + ऋषि = सप्तर्षि

आ+ऋ=आर – राजा + ऋषि = राजर्षि

  1. वृद्धि संधि : जब ‘अ’, ‘आ’ के सामने ‘ए’ ‘ऐ’, ‘ओ’, औ’ आते हैं तो क्रमशः ‘ऐ’ और ‘औ’ बनते हैं।

अ+ए=ऐ – एक + एक = एकैक

आ+ए=ऐ – सदा + एव = सदैव 

अ+ऐ=ऐ – धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य

आ + ऐ =ऐ – महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य

अ +ओ =औ – परम + ओषध = परमौषध

आ +ओ =औ – महा + ओषध = महौषध

अ+औ=औ – वन + औषध = वनौषध 

आ + औ = औ – महा + औदार्य = महौदार्य 

  1. यण् संधि : जब ‘इ’ ‘ई’, ‘उ’ ‘ऊ’ और ‘ऋ’ के सामने सवर्णों को छोड़कर दूसरे स्वर आते हैं तो क्रमशः ‘य’, ‘व’ और ‘र’ बनते हैं।

इ+अ=य   – यदि + अपि = यद्यपि

इ+आ=य – इति + आदि = इत्यादि

ई+अ=य – नदी + अर्पण = नद्यर्पण

ई+आ=य – देवी + आगमन = देव्यागमन

उ+अ=व – अनु + अय = अन्वय

उ+आ=व – सु + आगत = स्वागत

ऋ+अ=र – पितृ + अनुमति = पित्रनुमति

ऋ+आ=र – मातृ + आनंद = मात्रानंद

  1. अयादि संधि : जब ‘ए’, ‘ऐ’, ‘ओ’ ‘औ’ के सामने कोई भिन्न स्वर आते हैं तब क्रमशः ‘अय्’ ‘आय्’, ‘अव्’ ‘आव्’ बनते हैं।

ए+अ=अय् – ने + अन = नयन

ऐ+अ=अय् –  नै + अक = नायक

ओ+अ=अव् –  भो + अन = भवन

ओ+इ=अव् – पो + इत्र = पवित्र

औ+उ=अव् – भौ + उक = भावुक

औ+अ=अव् पौ + अक = पावक

I.संधि-विच्छेद कीजिए और संधि का नाम लिखिए:

  1. देहांत = देह + अंत – दीर्घ संधि
  2. स्वेच्छा = स्व + इच्छा – गुण संधि
  3. अत्यधिक = अति + अधिक – यण् संधि
  4. महोन्नत = महा + उन्नत – गुण संधि
  5. वीरांगना = वीर + अंगना – दीर्घ संधि
  6. नायिका = नै + इका – अयादि संधि

II. संधि कीजिए :-

  1. मत + अनुसार = मतानुसार
  2. मुनि + इंद्र = मुनीन्द्र
  3. गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
  4. वीर + उचित = वीरोचित
  5. लोक + उपकार = लोकोपकार
  6. महा + उदय = महोदय
  7. महा + ऋषि = महर्षि
  8. सदा + एव = सदैव
  9. लोक + ऐश्वर्य = लोकैश्वर्य
  10. शे + अन = शयन

III. उदाहरण के अनुसार लिखिए :-

उदा : देव + आलय = देवालय

  1. गोल + आकार = गोलाकार
  2. सह + अनुभूति = सहानुभूति
  3. रजनी + ईश = रजनीश
  4. सु + आगत = स्वागत
  5. अति + अंत = अत्यंत
  6. अनु + अय = अन्वय
  7. भो + अन = भवन
  8. पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
  9. पौ + अक = पावक

अध्यापन संकेत :-

  1. भारत के सभी राज्य, राजधानी और उनकी एक विशेषता बतानेवाला एक सुंदर चार्ट छात्रों से बनवाकर कक्षा में टँगवाएँ।

    उत्तर – भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानी और उनकी एक प्रमुख विशेषता नीचे दी गई है :-

    भारत के 28 राज्य और उनकी राजधानियाँ

    राज्य

    राजधानी

    विशेषता

    आंध्र प्रदेश

    अमरावती

    कूचिपुड़ी नृत्य की उत्पत्ति यहीं से हुई थी।

    अरुणाचल प्रदेश

    ईटानगर

    इसे “उगते सूरज की भूमि” कहा जाता है।

    असम

    दिसपुर

    विश्व प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर यहीं स्थित है।

    बिहार

    पटना

    नालंदा विश्वविद्यालय और बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र।

    छत्तीसगढ़

    रायपुर

    भारत का “धान का कटोरा” कहा जाता है।

    गोवा

    पणजी

    भारत का सबसे छोटा राज्य और पर्यटन का प्रमुख केंद्र।

    गुजरात

    गांधीनगर

    गिर राष्ट्रीय उद्यान में एशियाई शेर पाए जाते हैं।

    हरियाणा

    चंडीगढ़

    कुश्ती और खेलों में उत्कृष्टता।

    हिमाचल प्रदेश

    शिमला

    हिमालयी सुंदरता और शीतकालीन पर्यटन का केंद्र।

    झारखंड

    रांची

    कोयला और खनिज संसाधनों के लिए प्रसिद्ध।

    कर्नाटक

    बेंगलुरु

    भारत की “सिलिकॉन वैली” और आईटी हब।

    केरल

    तिरुवनंतपुरम

    बैकवाटर, आयुर्वेद और मोहिनीअट्टम नृत्य के लिए प्रसिद्ध।

    मध्य प्रदेश

    भोपाल

    खजुराहो मंदिर और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान।

    महाराष्ट्र

    मुंबई

    भारत की वित्तीय राजधानी और बॉलीवुड का केंद्र।

    मणिपुर

    इम्फाल

    मणिपुरी नृत्य और लोक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध।

    मेघालय

    शिलांग

    भारत का “सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान” (मौसिनराम)।

    मिजोरम

    आइजोल

    बांस नृत्य “चेरव” के लिए प्रसिद्ध।

    नागालैंड

    कोहिमा

    होर्नबिल महोत्सव और नागा संस्कृति।

    ओडिशा

    भुवनेश्वर

    कोणार्क सूर्य मंदिर और ओडिसी नृत्य।

    पंजाब

    चंडीगढ़

    भांगड़ा नृत्य और गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर)।

    राजस्थान

    जयपुर

    थार मरुस्थल, किलों और महलों का राज्य।

    सिक्किम

    गंगटोक

    कंचनजंगा पर्वत और जैवविविधता।

    तमिलनाडु

    चेन्नई

    भरतनाट्यम नृत्य और प्राचीन मंदिर वास्तुकला।

    तेलंगाना

    हैदराबाद

    चारमीनार और बिरयानी के लिए प्रसिद्ध।

    त्रिपुरा

    अगरतला

    उन्नकोटी शिलाचित्र और लोककला।

    उत्तर प्रदेश

    लखनऊ

    ताजमहल, काशी और अयोध्या।

    उत्तराखंड

    देहरादून

    चारधाम यात्रा और प्राकृतिक सुंदरता।

    पश्चिम बंगाल

    कोलकाता

    रबींद्र संगीत, दुर्गा पूजा और सुंदरबन डेल्टा।

    भारत के 8 केंद्र शासित प्रदेश

    केंद्र शासित प्रदेश

    राजधानी

    विशेषता

    अंडमान और निकोबार द्वीप

    पोर्ट ब्लेयर

    भारत का प्रमुख द्वीपीय पर्यटन स्थल।

    चंडीगढ़

    चंडीगढ़

    भारत का पहला योजनाबद्ध शहर।

    दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव

    दमन

    पुर्तगाली संस्कृति और तटरेखा।

    लक्षद्वीप

    कवरत्ती

    प्रवाल द्वीप समूह और सुंदर समुद्र तट।

    दिल्ली

    नई दिल्ली

    भारत की राजधानी और ऐतिहासिक स्मारक।

    पुडुचेरी

    पुडुचेरी

    फ्रेंच संस्कृति और समुद्र तट।

    लद्दाख

    लेह

    ऊँची पर्वत चोटियों और मठों के लिए प्रसिद्ध।

    जम्मू और कश्मीर

    श्रीनगर (ग्रीष्मकालीन), जम्मू (शीतकालीन)

    डल झील, बर्फीले पहाड़ और कश्मीरी शॉल।

     

    * भारत के प्रमुख नृत्यों की सूची बनवाएँ।

    उत्तर – भारत में विभिन्न राज्यों और संस्कृतियों के अनुसार कई शास्त्रीय और लोक नृत्य प्रचलित हैं। नीचे भारत के प्रमुख नृत्यों की सूची दी गई है :-

    शास्त्रीय नृत्य

    भारत में 8 प्रमुख शास्त्रीय नृत्य मान्यता प्राप्त हैं :-

    भरतनाट्यम (तमिलनाडु)

    कथक (उत्तर भारत)

    कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश)

    ओडिसी (ओडिशा)

    मणिपुरी (मणिपुर)

    कथकली (केरल)

    सत्रिया (असम)

    मोहिनीअट्टम (केरल)

    लोक नृत्य

    भारत के विभिन्न राज्यों के कुछ प्रसिद्ध लोक नृत्य इस प्रकार हैं :-

    पंजाब – भांगड़ा, गिद्दा

    राजस्थान – घूमर, कालबेलिया, चकरी

    गुजरात – गरबा, डांडिया

    महाराष्ट्र – लावणी, कोली

    उत्तर प्रदेश – रासलीला, नौटंकी

    बिहार – झिझिया, झूमर

    पश्चिम बंगाल – छऊ, बाउल

    ओडिशा – गोटीपुआ, धलखी

    असम – बिहू, बागुरुम्बा

    मणिपुर – थांग-टा, मणिपुरी रास

    केरल – तिरयाट्टम, ओप्पना

    तमिलनाडु – करगट्टम, कोलाट्टम

    आंध्र प्रदेश – वेद नृत्य, बुर्रा कथा

    कर्नाटक – यक्षगान, डोलू कुनिता

    छत्तीसगढ़ – पंथी, सुआ

    झारखंड – सरायकेला छऊ, संताली

    मध्य प्रदेश – मटकी, गोंड

    अरुणाचल प्रदेश – बुईया, याक नृत्य

    नगालैंड – रंगमा, ज़ेलिआंग

     

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