सुधामूर्ति महिलाओं के लिए प्रेरणा मूर्ति है। इस पाठ में सुधामूर्ति ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि स्त्रियों के लिए कोई कार्य असंभव नहीं है। उन्होंने इंजीनियर के रूप में कार्य किया बाद में संशोधन तकनीकी क्षेत्र, चिकित्सा, लेखन के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया। महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में आपका योगदान महत्त्वपूर्ण है।
इस पाठ में स्त्रियों के लिए कार्यक्षेत्रों की कोई सीमा नहीं है तथा वे हर कार्य में कुशलता प्राप्त कर सकती हैं, इस बात पर ज्यादा जोर दिया है। इस कृति का यह संदेश है कि जाति और लिंग के बीच कोई भेदभाव न रखा जाए।
अप्रैल 1974 की बात है। बेंगलुरु में गरमी पड़ने लगी थी। भारतीय विज्ञान संस्थान के परिसर में गुलमोहर के बड़े-बड़े वृक्ष लाल रंग के फूलों से लदे झूम रहे थे। कंप्यूटर विज्ञान की कक्षा समाप्त कर एक छात्रा होस्टल की ओर जा रही थी कि उसकी दृष्टि नोटिस बोर्ड पर लगे एक विज्ञापन पर पड़ी। यह विज्ञापन प्रसिद्ध ओटोमोबाइल कंपनी टेल्को (टाटा) की ओर से नौकरी के इच्छुकों के लिए था। कंपनी को योग्य और परिश्रमी इंजीनियरों की आवश्यकता थी। चौंकानेवाली बात थी छोटे अक्षरों में लिखी अंतिम पंक्ति महिला उम्मीदवार आवेदन न भेजें।
उसने एक बार नहीं, दो बार पढ़ा। हाँ, यही तो लिखा था। उसे नौकरी की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि उसे विदेश से स्नातकोत्तर परीक्षा के बाद रिसर्च की डिग्री के लिए छात्रवृत्ति मिलने की पेशकश हो चुकी थी। वह स्वयं भी विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती थी। परंतु यहाँ यह भेदभाव ! स्त्री – पुरुष में इतनी असमानता ! बात उसे कुछ पची नहीं।
वह अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम स्थान पाती आई थी और कंप्यूटर विज्ञान की कक्षा में पुरुष सहपाठियों में अकेली लड़की थी। योग्य थी, परिश्रमी थी। नहीं, उसे कुछ तो करना ही होगा। इस भेदभाव को सहना उसके बस की बात नहीं। वह इसका विरोध करेगी और डटकर करेगी।
उसने अपनी डायरी में आवश्यक सूचनाएँ लिखीं और तेजी से होस्टल की ओर चल दी। उसने निश्चय किया कि वह टेल्को कंपनी के सर्वोच्च अधिकारी को सूचित करेगी कि उनकी कंपनी इस प्रकार का अन्याय कर रही है। उसे उस सर्वोच्च अधिकारी का नाम मालूम तो नहीं था, केवल इतना पता था कि टाटा समूह के प्रमुख जे. आर. डी. टाटा हैं।
उसने एक पोस्टकार्ड लिया और जे. आर. डी. टाटा को संबोधित करते हुए लिखा आपने भारत में लोहा – इस्पात, रासायनिक पदार्थ, कपड़ा, मशीनों के बड़े-बड़े उद्योग लगाए हुए हैं। भारतीय विज्ञान संस्थान की स्थापना में बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया है। सौभाग्य से मैं उसी संस्थान में पढ़ रही हूँ। मैं हैरान हूँ कि टेल्को जैसी कंपनी स्त्री- पुरुष के बीच ऐसा भेदभाव कैसे कर सकती है?
दस ही दिन में कंपनी ने उसे तार भेजा कंपनी के खर्चे पर पूना शहर में साक्षात्कार के लिए उपस्थित हों। आवश्यक तैयारियों के साथ वह लड़की पूना पहुँची। साक्षात्कार आरंभ हुआ। काफ़ी तकनीकी प्रश्न पूछे गए जिनके वह सही-सही उत्तर देती गई। तभी एक बुजुर्ग सज्जन ने स्नेहमयी वाणी में कहा, “तुम जानती हो कि हमने ‘महिला उम्मीदवार आवेदन न भेजें क्यों लिखा था? क्योंकि यहाँ फैक्टरी में मुख्य कार्य स्थल पर किसी महिला की नियुक्ति नहीं होती। तुम्हारी जैसी मेधावी लड़कियों को अनुसंधान – शालाओं में जाकर कार्य करना चाहिए।”
‘लेकिन हमें कहीं से तो शुरुआत करनी होगी। नहीं तो कभी भी कोई महिला आपकी फैक्टरी में कार्य नहीं कर पाएगी।’उसने दृढ़ता से कहा।
एक लंबे साक्षात्कार के बाद, अंत में, उस वृद्ध सज्जन ने मुस्कराते हुए कहा, ‘ठीक है, यह शुरुआत तुमसे ही की जाती है। बधाई !”
टेल्को (टाटा) में इंजीनियर के पद पर नियुक्त यह प्रथम महिला इंजीनियर थी सुधा कुलकर्णी। सुधा कुलकर्णी का विवाह टेल्को में ही कार्यरत श्री नारायण मूर्ति के साथ हुआ। आठ वर्ष तक टेल्को को अपनी सेवाएँ देने के बाद सन् 1982 में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया और बेंगलुरु में अपने पति श्री नारायण मूर्ति के साथ इन्फोसिस कंपनी खोली।
दोनों की मेहनत और लगन से इन्फ़ोसिस ने दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति की। सुधामूर्ति 1996 में इन्फोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन बनीं। इस फाउंडेशन के माध्यम से वे सामाजिक विकास के अनेक कार्य कर रही हैं। उन्होंने कर्नाटक राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में एक-एक कंप्यूटर और लाइब्रेरी की योजना बनाई और उसे कार्यरूप दिया।
सुधामूर्ति ने स्वयं को अब पूर्णरूप से समाजसुधार के लिए समर्पित कर दिया। बेल्लारी, बीजापुर, हुबली आदि के अस्पतालों को उच्च तकनीकी चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करवाए। कांची में कैंसर अस्पताल, औरंगाबाद, बेल्लारी, गुलबर्ग, पट्टुमडाई, बेंगलुरु आदि में चिकित्सा सहायता तथा उस्मानाबाद जिला, उड़ीसा के कालाहांडी और आंध्रप्रदेश के सूखापीड़ित क्षेत्र में राहत कार्य करवाए।
उनके अथक प्रयास से कर्नाटक के आठ सौ से अधिक गाँवों में कंप्यूटर शिक्षा पर एक करोड़ रुपया लगाया गया और तीन हज़ार से अधिक पुस्तकालय खोले गए। उन्होंने गरीब बच्चों को सहायता दी, स्कूलों की इमारतों का निर्माण करवाया, अधिकतम अंक लानेवाले बच्चों को छात्रवृत्ति दी और गाँवों में लगभग तीन सौ कंप्यूटर वितरित किए।
तेरह पुस्तकों की लेखिका सुधामूर्ति को उनके कार्यों के लिए अनेक पुरस्कार दिए गए। जिनमें से प्रमुख कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार, ओजस्विनी पुरस्कार, मिलेनियम महिला शिरोमणि पुरस्कार, वुमेन ऑफ द ईयर 2002 (एफ. एम. रेडियो द्वारा), राजलक्ष्मी पुरस्कार आदि।
सुधामूर्ति ने अपनी उपलब्धियों से महिलाओं का मार्ग प्रशस्त किया। आज इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में पढ़नेवाले छात्रों में से पचास प्रतिशत संख्या लड़कियों की है। अनेक उद्योगों में मशीनों के बीच लड़कियाँ कुशलता से कार्य कर रही हैं। जिस मार्ग पर चलकर सुधामूर्ति ने अपनी प्रतिभा, लगन और परिश्रम से सफलता की ऊँचाइयों को छुआ, उस मार्ग पर नई पीढ़ी को आगे बढ़ता देखकर वे खुशी से फूली नहीं समातीं। महिलाओं की सफलता पर वे कह उठती हैं हमारा मार्ग कठिन अवश्य है किंतु चलना जरूरी है।
परिसर -प्रांगण, आँगन
विज्ञापन – इश्तहार
पेशकश – प्रस्ताव
साक्षात्कार – मुलाकात, इंटरव्यू
आवेदन – अरजी
त्यागपत्र – राजीनामा, पद त्याग का पत्र
मेधावी – तेजस्वी
मुहावरे
बात न पचना – अविश्वसनीय होना, बात गले न उतरना, बात समझ न पाना
फूला न समाना – अत्यंत प्रसन्न होना
बस की बात न होना – असमर्थ होना, बूते के बाहर
कहावत
दिन दूनी रात चौगुनी – बहुत तेजी से
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
(1) सुधा कुलकर्णी ने अपनी पढ़ाई किस क्षेत्र में की थी?
(अ) कंप्यूटर विज्ञान
(ब) ऑटोमोबाइल विज्ञान
(क) सिविल इंजीनियरिंग
(ड) इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
उत्तर – (अ) कंप्यूटर विज्ञान
(2) किस कंपनी के विज्ञापन में लिखा था कि महिला उम्मीदवार आवेदन न करें?
(अ) टेल्को
(ब) इन्फोसिस
(क) वीडियोकोन
(ड) सेमसंग
उत्तर – (अ) टेल्को
(3) विज्ञापन से किस प्रकार का भेदभाव स्पष्ट होता था?
(ब) महिला-पुरुष का
(अ) अमीर-गरीब का
(क) ऊँच-नीच जाति का
(ड) कुशलता – अकुशलता का
उत्तर – (ब) महिला-पुरुष का
(4) सुधा कुलकर्णी को साक्षात्कार के लिए कहाँ बुलाया गया?
(अ) मुंबई
(ब) पूना
(क) कलकत्ता
(ड) अहमदाबाद
उत्तर – (ब) पूना
(5) लेखिका सुधामूर्ति को 2002 में ‘वुमन ऑफ द इयर’ का पुरस्कार किसने दिया?
(अ) कर्णाटक राज्य सरकार
(ब) उड़ीसा सरकार
(क) एफ. एम. रेडियो
(ड) इन्फोसिस फाउंडेशन
उत्तर – (क) एफ. एम. रेडियो
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए –
(1) टेल्को कंपनी का विज्ञापन किस पद के लिए था?
उत्तर – टेल्को कंपनी का विज्ञापन इंजीनियर पद के लिए था।
(2) विदेश जाकर सुधा किस क्षेत्र में पढ़ाई करना चाहती थी?
उत्तर – विदेश जाकर सुधा स्नातकोत्तर परीक्षा के बाद कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च की डिग्री प्राप्त करना चाहती थी।
(3) विज्ञापन की अंतिम पंक्ति पढ़कर सुधा के मन में क्या विचार आए?
उत्तर – विज्ञापन की अंतिम पंक्ति पढ़कर सुधा के मन में यह विचार आया कि वह टाटा समूह के प्रमुख जे. आर. डी. टाटा को टेल्को कंपनी के स्त्री-पुरुष भेद-भाव के बारे में सूचित करेगी।
(4) वृद्ध सज्जन ने स्नेहमयी वाणी में साक्षात्कार के समय सुधा से क्या कहा?
उत्तर – वृद्ध सज्जन ने स्नेहमयी वाणी में कहा, “तुम जानती हो कि हमने ‘महिला उम्मीदवार आवेदन न भेजें; क्यों लिखा था? क्योंकि यहाँ फैक्टरी में मुख्य कार्य स्थल पर किसी महिला की नियुक्ति नहीं होती। तुम्हारी जैसी मेधावी लड़कियों को अनुसंधान – शालाओं में जाकर कार्य करना चाहिए।”
(5) सुधा कुलकर्णी ने किससे शादी की?
उत्तर – सुधा कुलकर्णी ने टेल्को में ही कार्यरत श्री नारायण मूर्ति के साथ शादी की।
(6) इन्फोसिस फाउंडेशन ने कर्नाटक के सरकारी स्कूलों के लिए क्या किया?
उत्तर – इन्फोसिस फाउंडेशन ने कर्नाटक राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में एक-एक कंप्यूटर और लाइब्रेरी की योजना बनाई और उसे कार्यरूप दिया।
(7) सुधामूर्ति महिलाओं की सफलता पर क्या कह उठी?
उत्तर – महिलाओं की सफलता पर सुधामूर्ति कहती हैं – हमारा मार्ग कठिन अवश्य है किंतु चलना जरूरी है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:
(1) टेल्को विज्ञापन में चौंकानेवाली क्या बात थी?
उत्तर – टेल्को विज्ञापन में चौंकानेवाली बात यह थी कि विज्ञापन की अंतिम पंक्ति में छोटे अक्षरों में लिखा हुआ था – महिला उम्मीदवार आवेदन न भेजें।
(2) सुधा ने स्त्री-पुरुष के भेदभाव के लिए क्या निश्चय किया?
उत्तर – सुधा ने स्त्री-पुरुष के भेदभाव को दूर करने के लिए यह निश्चय किया कि वह टाटा समूह के प्रमुख जे. आर. डी. टाटा को टेल्को कंपनी के स्त्री-पुरुष भेद-भाव के बारे में चिट्ठी लिखकर सूचित करेगी।
(3) सुधा और नारायण मूर्ति ने इन्फोसिस फाउंडेशन द्वारा क्या-क्या कार्य किये?
उत्तर – सुधा और नारायण मूर्ति ने इन्फोसिस फाउंडेशन द्वारा अनेक सामाजिक कार्य किए जैसे- कर्नाटक राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में एक-एक कंप्यूटर और लाइब्रेरी का निर्माण करवाया। बेल्लारी, बीजापुर, हुबली आदि के अस्पतालों को उच्च तकनीकी चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करवाए। कांची में कैंसर अस्पताल, औरंगाबाद, बेल्लारी, गुलबर्ग, पट्टुमडाई, बेंगलुरु आदि में चिकित्सा सहायता तथा उस्मानाबाद जिला, उड़ीसा के कालाहांडी और आंध्रप्रदेश के सूखापीड़ित क्षेत्र में राहत कार्य करवाए।
(4) कर्नाटक सरकार तथा अन्य संस्थाओं द्वारा सुधा को किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
उत्तर – इन्फोसिस कंपनी की चेयरपर्सन और तेरह पुस्तकों की लेखिका सुधामूर्ति को उनके कार्यों के लिए अनेक पुरस्कार दिए गए हैं, जिनमें से प्रमुख कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार, ओजस्विनी पुरस्कार, मिलेनियम महिला शिरोमणि पुरस्कार, एफ. एम. रेडियो द्वारा 2002 में वुमेन ऑफ द ईयर, राजलक्ष्मी पुरस्कार आदि।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :
(1) साक्षात्कार में सुधा ने अपनी दृढ़ता का परिचय कैसे कराया?
उत्तर – सुधामूर्ति आवश्यक तैयारियों के साथ पूना पहुँची। साक्षात्कार के दौरान उनसे अनेक सवाल पूछे गए जिनके वह सही-सही उत्तर देती गई। इसके बाद एक बुजुर्ग सज्जन ने स्नेहमयी वाणी में सुधामूर्ति से कहा, यह फैक्टरी का मुख्य कार्य स्थल है यहाँ किसी महिला की नियुक्ति नहीं होती। तुम्हारी जैसी मेधावी लड़कियों को अनुसंधान-शालाओं में जाकर कार्य करना चाहिए।” इसका उत्तर दृढ़ता से देते हुए सुधामूर्ति ने कहा, “लेकिन हमें कहीं से तो शुरुआत करनी होगी। नहीं तो कभी भी कोई महिला आपकी फैक्टरी में कार्य नहीं कर पाएगी।”
(2) सुधा के स्थान पर आप होते तो क्या करते?
उत्तर – यदि सुधा के स्थान पर मैं होता तो मैं भी महिलाओं के प्रति हो रहे भेद-भाव के प्रति आवाज़ उठाता। टाटा समूह के प्रमुख जे. आर. डी. टाटा को महिलाओं की प्रतिभा का आकलन करके योग्यतानुसार उन्हें भी नौकरियाँ प्रदान करने के लिए राजी करता। इसके साथ ही नारी सशक्तीकरण के लिए अनेक अभियान भी चलाता।
(3) सुधामूर्ति महिलाओं के लिए किस प्रकार प्रेरणा मूर्ति है?
उत्तर – सुधामूर्ति महिलाओं के लिए निश्चित तौर पर एक प्रेरणा मूर्ति है क्योंकि जब भी कोई महिला अपने सपने को पूरा करने के लिए अपने घर के सदस्यों से संघर्ष करेगी तो वह सुधामूर्ति की नज़ीर पेश करके उन्हें राजी कर सकती है। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आज के तकनीकी और आधुनिक युग में सह शिक्षा से लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नहीं पाया जाता। चिंतन-कौशन और बुद्धि परीक्षण के मामले में दोनों समान हैं। इस लिहाज से भी अगर कोई लड़की अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहे तो सुधामूर्ति को प्रेरणा स्रोत के रूप में यकीनन अपनाना चाहेगी।
5. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द दीजिए :-
परिसर – प्रांगण, मैदान
शुरुआत – प्रारंभ, आगाज़
मेहनत – परिश्रम, उद्यम
सूखा – शुष्क, अनार्द्र
अनुसंधान – गवेषणा, अन्वेषण
पुरस्कार – इनाम, पारितोषिक
6. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द दीजिए :-
आवश्यक – अनावश्यक
सौभाग्य – दुर्भाग्य
उपस्थित – अनुपस्थित
सज्जन – दुर्जन
अपना – पराया
उच्च – निम्न
अधिकतम – न्यूनतम
7. निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञाएँ बनाइए :-
अधिक – अधिकता
सफल – सफलता
आवश्यक – आवश्यकता
असमान – असमानता
पुरुष – पौरुष
स्त्री – स्त्रीत्व
8. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ देकर वाक्य प्रयोग कीजिए :-
फूला न समाना – अत्यधिक खुश होना – सरकारी नौकरी पारक रमेश फूला न समा रहा है।
बात न पचना – चीज़ें सही न लगना – सुधामूर्ति को टेल्को कंपनी के विज्ञापन में लिखी एक बात नहीं पची।
9. निम्नलिखित कहावत का अर्थ समझाइए :-
दिन दूनी रात चौगुनी
उत्तर – इस कहावत का अर्थ यह हुआ कि किसी काम के शुरुआत से ही उसकी दिनरात गुणात्मक उन्नति होनी शुरू हो गई।
स्त्री सशक्तीकरण विषय पर निबंध लिखिए। ’सुधामूर्ति प्रेरणा की साक्षात् मूर्ति है।’ कैसे 30-40 शब्दों में लिखिए।
उत्तर – स्त्री-पुरुष में केवल लिंग का अंतर है पर मस्तिष्क के स्तर पर दोनों एक समान हैं। अगर महिला यह ठान ले कि वह पुरुष प्रधान देश में भी अपनी एक अलग पहचान बना सकती है तो यह पूर्ण रूप से संभव है। इसकी जीती-जागती मिसाल सुधामूर्ति जी हैं। मेधावी छात्रा के रूप में इन्होंने पहले-पहल टेल्को कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्य किया फिर इन्फोसिस कंपनी की चेयरपर्सन बनीं और आज ये अपने पति के सहयोग से इस कंपनी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सॉफ्टवेयर कंपनी के रूप में अधिष्ठित कर चुकी हैं।
- किसी कंपनी की स्त्री प्रबंधक से मुलाकात लीजिए।
उत्तर – शिक्षक इसे अपने स्तर पर करें।
- प्रमुख पदों पर स्थित महिलाओं को पाठशाला में निमंत्रण देकर व्याख्यान का आयोजन कीजिए।
उत्तर – शिक्षक इसे अपने स्तर पर करें।