(जन्म: सन् 1897 ई., निधन सन् 1960 ई.)
बालकृष्ण शर्मा का जन्म मध्य प्रदेश के शाजापुर परगने के मदाना गाँव में हुआ था। ग्यारह वर्ष की आयु में इनकी शिक्षा आरंभ हुई। ये उच्च शिक्षा के लिए कानपुर आए किन्तु गाँधीजी के आह्वान पर वे कॉलेज छोड़कर राजनीति में सक्रिय हुए। स्वतंत्रता आंदोलन का इन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसीलिए राष्ट्रभक्ति और अन्याय के प्रति विद्रोह की चिनगारी इनके भीतर प्रकट हुई। अपने लंबे राजनीतिक जीवन के दौरान इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। ये लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। कुछ समय तक इन्होंने ‘प्रभा’ और ‘प्रताप’ पत्रों का संपादन भी किया। भारत सरकार द्वारा इन्हें ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया। रश्मिरेखा, एक कंठ विषपायी, कुमकुम, अपलक, इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
‘भारतवर्ष हमारा है’ काव्य राष्ट्रप्रेम से भरपूर है। स्वतंत्रता की लहर से भारत के नवनिर्माण के लिए कवि ने आह्वान किया है। कवि ने यहाँ जनमन के उत्साह को व्यक्त किया है।
कोटि-कोटि कंठों से निकली आज यही स्वरधारा है,
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।
जिस दिन सबसे पहिले जागे, नव सिरजन के स्वप्न घने,
जिस दिन देश-काल के दो-दो, विस्तृत विमल वितान तने,
जिस दिन नभ के तारे छिटके, जिस दिन सूरज चाँद बने।
तब से है यह देश हमारा, यह अभिमान हमारा है,
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।
जब कि घटाओं ने सीखा था, सबसे पहले घहराना,
पहिले पहल हवाओं ने जब सीखा था, कुछ हहराना,
जब कि जलधि सब सीख रहे थे, सबसे पहिले लहराना,
उसी अनादि-आदि क्षण से यह जन्मस्थान हमारा है,
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।
गरज उठे ब्यालीस कोटिजन सुन ये वचन उछाह – भरे,
काँप उठे प्रतिपक्षी जन-गण, उनके अंतस्तल सिहरे,
आज नये युग के नयनों से ज्वलित अग्नि के पुंज भरे।
कौन सामने आएगा, यह देश महान् हमारा है
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।
कोटि – करोड़
सिरजन – सृजन, रचना
घहराना – उमड़ना
हहराना – हवा के तेज चलने से होनेवाली आवाज़
अनादि – अनंत काल से, अति प्राचीन
उछाह – उत्साह, उल्लास
प्रतिपक्षी – विरोधी
अंतस्तल – हृदय
सिहरना – काँपना
पुँज – समूह
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
(1) करोड़ों कंठों से क्या आवाज उठी?
उत्तर – करोड़ों कंठों से एक ही आवाज उठी कि यह भारत देश ये हिंदुस्तान हमारा है।
(2) हिन्दुस्तान के प्रति जनता का अभिमान कब से है?
उत्तर – हिन्दुस्तान के प्रति जनता का अभिमान उस समय से है जब इस ब्रह्मांड के नभ में चाँद, तारे और सूरज अस्तित्व में आए थे।
(3) नवयुग के नयनों में क्या भरा है?
उत्तर – नवयुग के नयनों देशप्रेम की अग्नि-पुंज भरी हुई है।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
(1) ‘भारतवर्ष हमारा है’ यह स्वरधारा किसकी है?
उत्तर – ‘भारतवर्ष हमारा है’ यह स्वरधारा बयालीस करोड़ भारतीयों की है जो देशप्रेम की भावना से भरे हुए हैं।
(2) नवसर्जन के स्वप्न कब से जागे?
उत्तर – नवसर्जन के स्वप्न अनादिकाल से अर्थात् जबसे इस ब्रह्मांड में सूर्य, चंद्र और तारे अस्तित्व में आए, तबसे जागे हैं।
(3) भारतवर्ष हमारा जन्मस्थान कब से है?
उत्तर – कविता के अनुसार जब घटाओं ने घहराना, हवाओं ने हहराना और समुद्र ने लहराना सीखा था अर्थात् अनादि काल से भारतवर्ष हमारा जन्मस्थान, हमारी जन्मभूमि है।
(4) करोड़ों लोगों के उत्साह भरे वचन क्या थे?
उत्तर – करोड़ों लोगों के उत्साह भरे वचन देशप्रेम की भावना से भरे हुए थे। उनके वचन सामूहिक रूप से ये उद्घोष कर रहे थे कि किसका दुस्साहस है कि हमारे देश पर अपना शासन चलाए? हमारी आँखों में प्रज्वलित अग्नि पुंज उसे भस्म कर देंगी।
(5) कवि भारत का प्रतिपक्षी किसे मानते हैं?
उत्तर – कवि भारत का प्रतिपक्षी ब्रिटिश हुकूमत को मानते हैं क्योंकि ये फिरंगी भारत में आकर भारत के लोगों पर क्रूर शासन करते हैं तथा उनके साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
(1) हिन्दुस्तान हमारा है स्वरधारा किसकी और कब से है?
उत्तर – हिन्दुस्तान हमारा है स्वरधारा बयालीस करोड़ हिंदुस्तानियों की है। यह स्वरधारा उस समय से हैं जब इस ब्रह्मांड में सूर्य, चन्द्र और तारे अस्तित्व में आए थे। इस कथन के माध्यम से कवि यह बताना चाहते हैं कि जब घटाओं ने घहराना, हवाओं ने हहराना और समुद्र ने लहराना सीखा था अर्थात अनादि काल से यह पवित्र भारतभूमि से भारतवासियों की है।
(2) कवि बालकृष्ण ‘नवीन’ भारत के लिए क्या कहते हैं?
उत्तर – स्वर्ग से भी श्रेष्ठ भारत भूमि को मानने वाले कवि श्री बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ भारत को अति प्राचीन देश मानते हैं। उनका यहाँ तक मानना है कि जब इस ब्रह्मांड में सूर्य, चंद्र और तारे अस्तित्व में आए थे तबसे ये देश अपने वजूद में है। हर भारतवासी को अपने देश भारत पर अभिमान है। वे कहते हैं कि जब घटाओं ने घहराना, हवाओं ने हहराना और समुद्र ने लहराना सीखा था तबसे लोग भारत को ही अपनी जन्मभूमि मानते आ रहे हैं। यहाँ की सभ्यता और संस्कृति अति प्राचीन और अनुकरणीय है। इस लब्धप्रतिष्ठित देश पर अगर कोई कुदृष्टि डालेगा तो हरेक भारतवासी की आँखों में प्रज्वलित अग्नि-पुंज उसे भस्म कर देगी।
4. निम्नलिखित का भावार्थ स्पष्ट कीजिए :-
गरज उठे ब्यालीस कोटिजन सुन ये वचन उछाह – भरे,
काँप उठे प्रतिपक्षी जन-गण, उनके अंतस्तल सिहरे,
आज नये युग के नयनों से ज्वलित अग्नि के पुंज भरे।
कौन सामने आएगा, यह देश महान् हमारा है
भारतवर्ष हमारा है, यह हिन्दुस्तान हमारा है।
उत्तर – बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ की कविता ‘भारतवर्ष हमारा है’ कि इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि भारत के बयालीस करोड़ भारतवासियों को अपनी जन्मभूमि से बहुत प्रेम है। उनके इस सामूहिक उद्घोष को सुनकर प्रतिपक्षियों अर्थात् फिरंगियों के हृदय काँप उठे हैं। उनमें भय का संचार हो गया है। इधर हरेक भारतवासी अपनी आँखों में प्रज्वलित अग्नि-पुंज से देश के शत्रुओं को भस्म करने के लिए तत्पर हैं। हिंदुस्तानियों का मानना है कि यह देश केवल और केवल हमारा है। हमारे देश में कोई भी फिरंगी आकर शासन नहीं कर सकता।
‘मेरा भारत’ विषय पर निबंध लिखिए।
उत्तर – मेरा भारत
भारत, जिसे हम ‘भारत माता’ के रूप में भी पूजते हैं, एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध देश है। यह एशिया महाद्वीप में स्थित है और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक है। भारत का इतिहास बहुत पुराना और गौरवमयी है, जिसकी गाथाएँ पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।
भारत की संस्कृति, धर्म, भाषाएँ और विविधता की कोई सीमा नहीं है। यहाँ की धरती पर कई धर्मों का प्रचलन है, जैसे हिंदू धर्म, इस्लाम धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिक्ख धर्म आदि। यही विविधता भारत को अद्वितीय बनाती है। भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं और लगभग 1500 से अधिक बोलियाँ प्रचलित हैं। यह दर्शाता है कि यहाँ का सांस्कृतिक धरोहर कितनी समृद्ध और विविधतापूर्ण है।
भारत का ऐतिहासिक महत्त्व भी है। यहाँ पर प्राचीन सभ्यताएँ, जैसे कि सिंधु घाटी सभ्यता, पाई जाती हैं, और कई महान राजवंशों का उत्थान हुआ, जैसे मौर्य, गुप्त, और मुग़ल साम्राज्य। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, जिससे भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली।
भारत का भौगोलिक दृश्य भी बहुत विविध है। उत्तर में हिमालय की चोटियाँ हैं, तो दक्षिण में समुंदर का किनारा। भारत के पश्चिम में थार का रेगिस्तान और पूर्व में घने जंगल हैं। इन सभी प्राकृतिक विशेषताओं के साथ भारत में विभिन्न प्रकार की वनस्पति और जीव-जंतु भी पाए जाते हैं, जो यहाँ की जैव विविधता को बढ़ाते हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था भी तेजी से विकसित हो रही है। कृषि, उद्योग, और सेवा क्षेत्र में यहाँ लगातार प्रगति हो रही है। सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और अंतरिक्ष अनुसंधान में भी भारत ने विश्वभर में अपनी पहचान बनाई है। यहाँ के युवा विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मना रहे हैं।
मुझे गर्व है कि मैं इस महान देश का नागरिक हूँ। भारत के लिए मेरा प्यार और सम्मान कभी कम नहीं हो सकता, क्योंकि यह देश हमें हमारे इतिहास, संस्कृति, और परंपराओं से जोड़ता है। मैं चाहता हूँ कि भारत हमेशा प्रगति के मार्ग पर चलता रहे और एक समृद्ध, सशक्त और शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाए।
– स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के विकास की जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर – 15 अगस्त 1947 को भारत ने अंग्रेज़ों से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की थी। इसके बाद, भारतीय सरकार ने देश के सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक विकास के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए। इस अवधि में भारत ने कई क्षेत्रीय सुधारों को लागू किया और कई महत्त्वपूर्ण योजनाओं और परियोजनाओं के माध्यम से विकास के नए रास्ते खोले।
- आर्थिक विकास
स्वतंत्रता के समय भारत की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित थी, और औद्योगिकीकरण की कमी थी। लेकिन धीरे-धीरे औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ बनाई गईं। 1951 में, पंडित नेहरू की सरकार ने पहली योजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देश की बुनियादी संरचना को मजबूत करना था, जैसे सड़क, रेल, बिजली, और सिंचाई के लिए परियोजनाएँ। इसके बाद कई पंचवर्षीय योजनाएँ लागू की गईं, जिनका उद्देश्य आर्थिक प्रगति, गरीबी उन्मूलन और औद्योगिकीकरण था।
हरित क्रांति (Green Revolution): 1960 के दशक में, हरित क्रांति ने भारतीय कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया। नए कृषि तकनीकों और उच्च उपज वाली फसलों के उपयोग से कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई और भारत खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में सफल रहा।
श्वेत क्रांति (White Revolution): 1970 के दशक में, भारत में मिल्क प्रोडक्शन में एक नई दिशा मिली, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया। कृषि और दुग्ध उत्पादन में इस सफलता का श्रेय कृषि विज्ञानियों और संचार नेटवर्क को जाता है।
- सामाजिक सुधार और शिक्षा
स्वतंत्रता के बाद सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार किए। साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए कई योजनाएँ बनाई गईं। जैसे निर्धन बच्चों के लिए शिक्षा योजनाएँ और स्वस्थ्य सेवाओं में सुधार।
आधुनिक विश्वविद्यालयों और संस्थानों की स्थापना की गई, जैसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)। इन संस्थानों ने भारतीय युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद की।
महिला सशक्तीकरण: महिलाओं के अधिकारों के लिए कई कानूनी और सामाजिक सुधार किए गए। बाल विवाह, दहेज प्रथा, और महिला उत्पीड़न के खिलाफ कई कानून बनाए गए।
- राजनीतिक विकास
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय लोकतंत्र को संस्थागत रूप से मजबूत करने के लिए कई सुधार किए गए। संविधान का निर्माण हुआ, जो भारत को एक गणराज्य बनाने में सहायक था।
आधुनिक लोकतांत्रिक संरचना का निर्माण हुआ, जिसमें संसद, राज्य विधानसभाएँ, स्वतंत्र न्यायपालिका और स्थानीय प्रशासन की व्यवस्था की गई।
भारत ने लोकतंत्र और तंत्र को मज़बूती से अपनाया और कई चुनावों के माध्यम से जनता की भागीदारी सुनिश्चित की।
- वैज्ञानिक और तकनीकी विकास
स्वतंत्रता के बाद भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी कई महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की।
स्पेस रेज़र्च: भारत ने 1960 के दशक में अंतरिक्ष अनुसंधान में कदम रखा और आज ISRO (Indian Space Research Organisation) के द्वारा सफल अंतरिक्ष मिशन किए जा रहे हैं। चंद्रयान, मंगलयान जैसे मिशन भारत के वैज्ञानिक विकास का प्रतीक हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी (IT): 1990 के दशक में भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर उद्योग में विशेष विकास किया। बेंगलुरु को ‘सिलिकॉन वैली’ के नाम से जाना जाता है। भारत आज दुनिया के प्रमुख सॉफ़्टवेयर निर्यातक देशों में शामिल है।
- विदेश नीति और वैश्विक संबंध
स्वतंत्रता के बाद भारत ने एक गैर-संरेखित विदेश नीति अपनाई और दुनिया भर में अपने संबंधों को मजबूत किया।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में सक्रिय भागीदारी की और अपनी स्थिति को वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत किया।
‘भारतवर्ष हमारा है’ कविता को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करे।
- राष्ट्रभक्ति के गीतों का हस्तलिखित ग्रंथ तैयार करवाइए।
उत्तर – शिक्षक इसे अपने स्तर पर करें।