विद्युत् के चमत्कार

manav ke jeevan me vidyut ka mahattv par ek hindi nibandh

संकेत बिंदु-(1) विद्युत विज्ञान का वरदान (2) विद्युत के अनेक कार्य (3) कृषि, उद्योगों और उत्पान केंद्रों में विद्युत का योगदान (4) बिजली बिना सब सूना (5) विद्युत से हानियाँ।

विद्युत् विज्ञान का अद्भुत वरदान है। प्रकृति और सृष्टि का कल्पवृक्ष है। विश्व सभ्यता के विकास का आधार है। कलरव कूजित कलयुग का प्राण है। असावधानी और छेड़छाड़ करने वालों के लिए भस्मासुर है।

प्रकृति ने सृष्टि को प्रकाश के दो साधन दिए-सूर्य और चंद्रमा। दिन में सूर्य और रात में चंद्रमा सृष्टि को प्रकाशित करते हैं। इतना ही नहीं ‘एते वाउ उत्पवितारो यत् सूर्यस्य रश्मयः।’ (शतपथ ब्राह्मण 1/1/3/6) कहकर सूर्य की किरणों में पवित्रता के दर्शन किए गए और चंद्रमा को पूर्ण कलापूर्ण माना गया।

प्रकृति के प्रकाश पुंज सृष्टि के अंधकार को मिटाने में असफल रहे तो प्रसाद जी कह उठे-

इतना अनंत था शून्य सार। दीखता न जिसके आर-पार।

-कामायनी (दर्शन सर्ग)

मानव ने ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की प्रार्थना की। विज्ञान ने प्रकृति का दोहन किया। सूर्य, जल, कोयला, पवन, परमाणु, विद्युत् उत्पादन के साधन बने। तार विद्युत् शक्ति प्रवाहित होने के साधन बने। चुंबकीय शक्ति युक्त ‘जनरेटर’ (विद्युत् जनित्र) प्रसारण के माध्यम बने। वास्तव में विद्युत् इलेक्ट्रान की धारा है और इसी धारा का नाम बिजली है। प्रकाश, ताप तथा शक्ति इसके कार्य हैं। बिजली के लट्टुओं या ट्यूब से प्रकाश प्राप्त होता है। हीटर आदि के द्वारा ताप प्राप्त होता है और शक्ति (ऊर्जा या पावर) के द्वारा छोटे से छोटे और भारी से भारी यंत्र चालित होते हैं।

ज्ञान के क्षेत्र में बिजली ने जगत पर बड़ा उपकार किया है। उसने अपनी शक्ति से छपाई मशीनों को चलाकर करोड़ों पुस्तकें प्रदान कर दीं। कुछ ही घंटों में लाखों अखबार छापकर, फोल्ड करके प्रतिदिन आपके द्वार पर पहुँचा दिए। इतना ही नहीं चार रंगों वाले चित्र मुद्रित कर आकर्षण के दायित्व को अच्छी तरह निभा रही है।

काम के बाद आराम मानव की प्रकृति है। मनोरंजन उसकी चाह है। मनोरंजन से तन की थकावट मिटती है और मन की शिथिलता दूर होती है। विद्युत् ने कहा लो आकाशवाणी, लो दूरदर्शन, लो इंटरेनेट, लो सिनेमा। बटन दबाओ आकाशवाणी के गीत-संगीत सुनो और दूरदर्शन के दर्शन से कानों और आँखों को सुख दो। मानव को चित्र खिंचवाने तथा देखने का शौक है। उसका शौक पूरा किया बिजली कैमरों ने।

आज की सभ्यता उत्पादन केंद्रों पर टिकी है। कारखाने, फैक्ट्रियाँ, मिल आदि उत्पादन-केंद्र हैं। विद्युत् इन केंद्रों की प्राण है। प्राण निकले कि शरीर शव बना, बिजली गई और उत्पादन ठप। उत्पादन कम होगा तो जीवन की जरूरतों पूरी न होंगी, आवश्यक वस्तुओं की कमी महँगाई की मार मारेगी। देखा, बिजली के कोप का प्रभाव।

कटे यह रात क्योंकर हाय, क्या सदमें गुज़रते हैं।

न वह आते, न सब्र आता, न नींद आती, न मरते हैं॥

गति ही जीवन है के अनुसार मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना होता है। इसके लिए चाहिए साधन। यातायात साधनों के बिना जगत पंगु है। बिजली ने यातायात की भी सुविधा प्रदान की। बिजली की रेल तथा ट्राम यातायात के साधन बने। बम्बई जैसे महानगरों में स्थानीय विद्युत् ट्रेनें लाखों लोगों को प्रतिदिन उनके गंतव्य तक पहुँचाने का दायित्व निभाती हैं। फिर इनकी गति भी तीव्र होती है। यह समय की बचत भी करती हैं। अब पर्यावरण प्रदूषण से पिंड छुड़वाने के लिए बिजली की बसें और कारें यातायात के साधन बनने लगे हैं। इतना ही नहीं, गगन चुंबी अट्टालिकाओं पर चढ़ने का साहस तो कहाँ, उसे देखते ही पसीने छूटने लगते हैं। विद्युत् शक्ति ने लिफ्ट या स्केलेटर प्रदान किए। बटन दबाते ही आदमी चढ़ गया बीसवीं मंजिल पर।

खेती नहीं होगी तो सृष्टि भूखी मर जाएगी। अन्न होगा तो मानव भोजन से क्षुधा-पूर्ति करेगा। खेती निर्भर है वर्षा पर। प्रभु ने कृपा नहीं की तो वर्षा के अभाव में फसल सूख गई तो अकाल पड़ेगा। विद्युत् ने भगवान से टक्कर ली, नल-कूप बने। उसने कहा बटन दबाओ पानी ही पानी पाओ। अन्न को छीलने, बुहारने, भूसा अलग करने का काम विद्युत् ने संभाला। इतना ही नहीं उसे आटे में परिणत करने, फलों को सड़ने से बचाने तथा मसाले पीसने का सब काम विद्युत् ने अपने ऊपर ले लिया।

प्रातः काल उठने से लेकर रात्रि में सोने तक विद्युत् प्रेमिका मानव के दिन को हर्षमय, आनंदमय रखती है। प्रातः उठ कर बिजली का दंत-ब्रुश बत्तीसी साफ करेगा। ‘विद्युत्-‘शेवर’ से हजामत करेगा, वाशिंग मशीन आपके कपड़े धोकर, सुखाकर प्रेस के लिए तैयार करेगी। विद्युत् प्रेस आपके कपड़ों को प्रेस करेगा। हीटर पानी गर्म करेगा। विद्युत्-चूल्हा आपका नाश्ता और भोजन, दोनों तैयार करेगी। इतना ही नहीं कमरे को ठंडा करना है तो पंखे और कूलर चलाएगी। गर्म करना है तो हीटर चलाकर कमरे के वातावरण में गरमा हट लाएगी। कमरे की सफाई भी कर देगी। दुधारू पशुओं का दूध भी निकाल देगी। फ्रिज और हॉट-टिफ्फन आपके खाने को गर्म रखेंगे।

विद्युत् जहाँ वर्तमान समय में मानवीय जीवन और जगत के लिए कामधेनु है, वहाँ कर्मनाशा भी है। जरा-सी असंगत छेड़छाड़ से वह इतनी क्रुद्ध हो जाती है कि प्राणी के प्राण भी हर लेती है। छेड़-छाड़ ही नहीं थोड़ी-सी असावधानी भी जीवन को संकट में डाल देती है। नंगे तारों पर हाथ या पैर लगा तो प्राणों का हरण हो गया। किसी पाइप या खम्मे में करेंट का असर हो गया और भूल से मानव स्पर्श कर बैठा तो उसे स्तंभ से मुक्ति नहीं मिलेगी, चाहे जीवन से मुक्ति मिल जाए। कहीं बिजली के पेट में शॉट सरकिट का दर्द हो गया तो समझो अग्नि की ज्वालाओं द्वारा सब कुछ स्वाहा करने का निमंत्रण आ गया है। हर साल लाखों झुग्गियाँ, मकान, दुकानें, भवन शॉट सरकिट से जलकर अपार संपत्ति, दस्तावेज तथा प्राण हानि कर देते हैं।

अति से अमृत भी विष हो जाता है। यदि आपने जरूरत से ज्यादा बिजली-जेनरेटर पर बोझ डाला तो वह इस अन्याय को बरदाश्त नहीं करेगा। वह अपने को अपनी ही ज्वालाओं में भस्म कर लेगा। स्थान विशेष को छोड़ जाएगी, अंधकार के अंधेरे में।

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