आकर्षक होगी दिल्ली और राष्ट्र मंडल खेल / दिल्ली में राष्ट्र मंडल खेलों की धूम / राष्ट्र मंडल खेल और दिल्ली का स्वरूप

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संकेत बिंदु-(1) राष्ट्रमंडल खेलों के लिए सँवारना (2) सरकारी स्तर पर रूप परिवर्तन (3) नए स्टेडियमों का निर्माण (4) दिल्ली के आसपास के क्षत्रों का कायाकल्प (5) उपसंहार।

दिल्ली भारत का दिल कहा जाता है और दिल को स्वरूप और सुंदर बनाना हम सबका कर्त्तव्य हो जाता है। आगामी सन् 2010 में भारत की राजधानी दिल्ली में राष्ट्र मंडल खेलों का आयोजन होने जा रहा है और इसके लिए भारत के दिल दिल्ली को सँवारना अति आवश्यक भी है।

चर्चा है कि दिल्ली को दुल्हन की भाँति सजाया और सँवारा जाएगा, कुछ लोगों का यह कहना कि दिल्ली को पैरिस बना दिया जाएगा और कुछ लोग दिल्ली को लन्दन बनाने की बात तक कह रहे हैं। लेकिन आज के समय में यदि बहादुरशाह ज़फ़र होते तो वह फिर कह उठते, “कौन जाए जफ़र, दिल्ली की गलियाँ छोड़कर।” दिल्ली में जो भी आकर बस गया, बस दिल्ली का ही होकर रह गया।

बात है दिल्ली का स्वरूप संवारने की। वह तो अवश्य ही सँवारा जाना चाहिए भी, क्योंकि दिल्ली को सँवारना इसलिए भी आवश्यक है कि बहुत से विदेशी खिलाड़ी दिल्ली में अपना खेलों के माध्यम से भाग्य आजमाने आयेंगे।

पुरानी कहावत के अनुसार कहा जाता है कि सौ वर्ष पश्चात् दिल्ली का स्वरूप स्वयं ही बदल जाता है, कारण कुछ भी रहे मगर दिल्ली को नया स्वरूप देने के सरकारी अथवा गैर सरकारी प्रयास होते ही रहते हैं। तभी तो एक किवंदती के अनुसार पता चलता है कि-नौ दिल्ली दस बादली, बीच वजीराबाद।

इसका अर्थ यह लिया जाता है कि मुगल काल से अब तक नौ बार दिल्ली का और दस बार बादली का बदल चुका है। अब राष्ट्र मंडल खेलों के आगमन पर दिल्ली का स्वरूप अवश्य सरकारी स्तर पर बदलेगा।

दिल्ली में खेलों के लिए पाँच स्टेडियमों का काया कल्प होना हैं जिनमें नेहरू स्टेडियम, इंदिरा गाँधी स्टेडियम, तालकटोरा स्टेडियम, कर्ण सिंह शूटिंग रेंज और नेशनल स्टेडियम का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। इन सभी स्टेडियम में लाइटिंग, छतों का बदलाव, नए रैंप और पब्लिक एड्रेस सिस्टम को प्रमुखता के साथ रखा गया है।

इन पाँचों स्टेडियमों में देश-विदेश से आने वाले पत्रकारों के लिए ट्रांसमिशन और कम्युनिकेशन की विश्व स्तरीय सुविधाएँ भी शामिल हैं। दर्शकों के लिए पार्किंग की भी सुविधा का ध्यान रखा जाएगा। पाँच स्टेडियमों का कायाकल्प होने से दिल्ली का कुछ स्वरूप बदल भी जाएगा।

राष्ट्र मंडल खेलों में दिल्ली में विश्व के लगभग 71 देशों के खिलाड़ियों के भाग लेने की संभावना है। खेलों का आयोजन दिल्ली में 3 अक्तूबर से 14 अक्तूबर तक सन् 2010 में किया जाएगा। खूबसूरत दिल्ली में तैराकी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, साइकिंलग, जिमनास्टिक, हॉकी, लानटेनिस, बॉलिंग, नेट बाल, निशानेबाजी, रक्वाश, टेबल टेनिस और भारी जो तक के मुकाबले आयोजित किए जाएँगे।

राष्ट्र मंडल खेलों को ध्यान में रखकर दिल्ली का जो स्वरूप निखारा जाएगा उनमें राजधानी दिल्ली के प्रवेश हार भी नए स्वरूप के साथ दिखायी देंगे। राजधानी में उत्तर प्रदेश और हरियाणा की ओर से आने वाले मार्गों पर द्वार बनाए जाएँगे और इन द्वारों पर कैमरे भी लगाए जाने का प्रावधान है। दिल्ली के अप्सरा बार्डर, मँडोली बार्डर, गाजी पुर बार्डर, के. जी. टी. नरेला बार्डर, टीकरी बार्डर, बदर पुर के दो और कापसहेड़ा के तीन बार्डर द्वार शामिल हैं। दिल्ली को सुंदर बनाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जाएगी और दिल्ली वाली ऊपर गामी सेतुओं के सहारे दिल्ली में चलेंगे। ऊपर गामी सेतुओं में रिंग रोड नारायणा, आई.टी.ओ. चुंगी अंडर पास, शास्त्री नगर; बाहरी रिंग रोड पर आई. आई. टी, आजाद पुर, मंगोल पुरी में ऊपर गामी सेतुओं का निर्माण हो जाने से दिल्ली का स्वरूप और निखर जाएगा।

राष्ट्र मंडल खेलों के आयोजन के लिए दिल्ली ही नहीं दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों का भी कायाकल्प किया जाएगा। बाहरी दिल्ली के गाँवों की 159 विकास योजनाओं को उपयोग में लाया जाएगा। दिल्ली के कई गाँवों का विकास कर इन्हें ‘ आदर्श ग्राम’ के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। दिल्ली के गाँवों में बाँकनेर, दरिया पुर कलाँ तथा बुध पुर गाँवों में खेल के मैदानों का विकास कर राष्ट्र मंडल खेलों के लिए इन्हें उपयोग में लाया जाएगा। इनके साथ ही आया नगर, महरौली, किटोरनी जैत पुर का भी स्वरूप निखारा जाएगा। बवाना गाँव को भी खेलों की भागीदारी के लिए सँवारा जाएगा।

“दिल्ली दुल्हन बन जाएगी” राष्ट्र मंडल खेलों का आयोजन दिल्ली में होने से दिल्ली के व्यापारी वर्ग को भी लाभ मिलेगा। साथ ही दिल्ली का स्वरूप बुंदलने में अनेक लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। दिल्ली को सँवारना, दिल्लावासियों को सँवारना माना जा रहा है। दिल्ली को सजाने और सँवारने में अनेक कलाकारों की भागीदारी भी रहेगी।

सन् 2010 के आते-आते दिल्ली का स्वरूप इतना भव्य और सुंदर हो जाएगा, जिसकी कल्पना करना व्यर्थ है। ऊपर गामी सेतु, भीतर गामी पथ पार, आदर्श गाँव, सफाई की समुचित व्यवस्था ही दिल्ली का नया और सुंदर स्वरूप होगा। दिल्लीवासियों को मार्गों में कोई अवरोध, सिंगनल, लाल हरी बत्ती नहीं मिलेगी और निखरी सँवरी दिल्ली में सड़कों पर वाहन तीव्र गति से बिना अवरोध के चलते चलेंगे। वैसे मेट्रो के चलने से कुछ स्वरूप दिल्ली का संवर चुका है, शेष राष्ट्र मंडल खेलों तक दिल्ली नए स्वरूप में बदल जाएगी।

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