आतंकवाद विश्व के लिए भयानक खतरा आतंकवाद और समूचा विश्व

aatankwaad samuche vishwa ke liye khatra ban chuka hai par ek hindi nibandh

संकेत बिंदु-(1) पूरे विश्व में आतंकवाद का प्रसार (2) भारत में आतंकवादी हमले (2) आतंकवादियों के निशाने पर अमरीका (4) ब्रिटेन पर आतंकवादी हमला (5) उपसंहार।

यदि आज कोई चर्चा का विषय है तो वह है आतंकवाद / आतंक धीरे-धीरे अपने पैर समूचे विश्व में पसार रहा है। कहा गया है कि दुनिया पर अधिकार करने के सपने को साकार करने वाला अमेरिका ही आतंकवाद का जनक है और अमेरिका की सहायता से ही पाकिस्तान द्वारा कश्मीर को मुद्दा बनाकर पिछले पाँच दशक से भारत में अपनी गतिविधियाँ चला रहा है।

भारत के साथ-साथ श्रीलंका, बांग्लादेश, चीन, रूस, लंदन, ईरान, इराक में आतंक के काले बादल देखे जा सकते हैं। आतंक का इतना बड़ा नेटवर्क समूचे विश्व में फैल गया और विश्व की खुफिया ऐजेन्सियाँ हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं, सारी गुप्तचर व्यवस्था आतंक के आगे फेल हो गई हैं। मौत का भीषण तांडव, फटते हुए बम, चीखते हुए लोग, जलते हुए घर, लाशों का ढेर यह सब आतंक की ही देन तो है। गीतकार श्रवण राही ने चार पंक्तियों में चित्रण किया है, उसमें आतंक का भय साफ दिखाई देता है-

उनकी आँखों में बम, उनकी साँसों में बम,

सिक रहे नित नए अब सलाखों में बम।

हम दिवाली मनायें भला किस तरह-

रख दिए हैं किसी ने पटाखों में बम॥

आतंकी इतना बलशाली है कि वायुयान का अपहरण कर कन्धार ले गया और निर्दोष यात्रियों को ज़िंदा छोड़ने की कीमत उसने भारत से वसूल की अपने कुछ आतंकी साथियों को जेल से रिहा करा कर और तब समूचा विश्व इस घटना का तमाशा देखता रहा। इराक में क्या हुआ? किसी से छिपा नहीं है, ईरान भी आतंक के साये में रोज जल रहा है, लंका में भी आतंकी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा, मगर विश्व स्तर पर किसी भी देश ने न तो इस ओर कोई ठोस कदम ही उठाया है और न इस आतंक को समाप्त करने की कोई विश्व स्तर पर योजना ही बनायी गई है।

भारत में जब लालकिला पर हमला हुआ तो दबे स्वर में अमेरिका ने इसकी निंदा की। भारत के अक्षरधाम, जम्मू में रघुनाथ मंदिर, वैष्णो देवी यात्रा में आतंकी बाधा, आतंकियों द्वारा अमरनाथ यात्रा अवरुद्ध करने का प्रयास और यहाँ तक कि भारत की संसद पर आतंकी हमला हुआ, मगर किसी ने भी इस आतंक को समाप्त करने कर स्थायी हल खोजने का प्रयास नहीं किया।

आतंक ने अपने पर फड़फाये और अमेरिका में बम धमाके कर यह सिद्ध कर दिया कि दुनिया पर साम्राज्य करने का स्वप्न देखने वाला अमेरिका भी अब आतंकवाद की मार से सुरक्षित नहीं है। हज़ारों जानें गयीं, करोड़ों डालर का भारी नुकसान हुआ, तब जा कर अमेरिका को आतंक की पीड़ा का आभास हुआ और अनेक धार्मिकता के नाम पर चल रहे कट्टरवादियों के संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की चर्चा की गई। प्रश्न उठता है कि अमेरिका का गुप्तचर विभाग इतना सक्रिय है कि वह आकाश की प्रत्येक गतिविधि की रिर्पोट रखता है लेकिन जब अमेरिका पर आतंकी हवाई हमला हुआ तो अमेरिका की गुप्तचर ऐजेन्सियाँ तब क्या कर रही थीं? मानव बम बने हवाई जहाजों सहित आतंकियों ने हमला कर अमेरिका ही नहीं समूचे विश्व को एक बार हिलाकर रख दिया। लेकिन अमेरिका जैसा बलशाली देश भी आतंकवाद पर नियंत्रण पाने में शायद असफल ही रहा।

मानव बम बनकर आतंकी, अमेरिका में छाया।

इस आतंकी घटना से था, व्हाइट हाऊस थर्राया।|

अमेरिका के बाद लन्दन को निशाना बनाया आतंकवादियों ने, और एक के बाद एक, कई बम विस्फोट कर आतंकियों ने लंदन को हिलाकर रख दिया। तब अमेरिका और लन्दन ने इस प्रकार की घटनाओं की कड़े शब्दों में निंदा की। तब अमेरिका और लंदन को आतंक के घावों का ध्यान आया और यह कहा गया कि भारत के साथ मिलकर आतंक को समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए। इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी समूचे विश्व से आतंक के समूल नाश का कोई ठोस उपाय नहीं किया जा सका।

वैसे अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रह प्रत्येक घटना पर नज़र टिकाये लगते हैं, मगर विश्व में आतंकी घटना पर क्या इनका ध्यान नहीं जाता? आतंकी कैम्प कहाँ चल रहे हैं, कौन इनको चला रहा है, क्या इस बात का पता नहीं चलाया जाता? वैसे तो शत्रु देश की प्रत्येक गतिविधि पर उपग्रह का ध्यान रहता है, लेकिन आतंक के शिविरों पर इनका ध्यान क्यों नहीं जाता।

आतंकवादियों ने समूचे विश्व में आतंक फैलाकर मोहम्मद, ईसा, बुद्ध और नानक जैसी विभूतियों का अपमान किया है और किसी भी धर्म में इस बात की इजाज़त नहीं है कि निर्दोष लोगों को बेमौत मारा जाए। यह सत्य है कि आतंक फैलाने में मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा हाथ है। अगर समय रहते आतंक को समाप्त नहीं किया गया तो विश्व के लिए भयंकर खतरा बन सकता है और यह खतरा प्रलयकाल से भी अधिक विकट और विनाशकारी होगा क्यों आज हम बारूद के ढेर पर खड़े होकर शांति की केवल कामना ही कर रहे हैं।

आतंक की समाप्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को अग्रणी बनकर आगे आना होगा वरना आतंक के भयावह प्रभाव से शायद सारा विश्व बच ही पाये, क्योंकि आतंकवादियों की मंशा केवल विनाश की है और धरती पर सृजन की आवश्यकता है और सृजन केवल शांति से ही संभव है। इसके लिए समूचे विश्व को एकजुट होकर आतंकवाद को समाप्त कर विश्व को बचाने का सार्थक प्रयास करना होगा।

About the author

हिंदीभाषा

Leave a Comment

You cannot copy content of this page