संकेत बिंदु-(1) मैट्रो का परिचय (2) मैट्रो का विस्तार (3) आधुनिक सुविधाएँ और प्रणाली (4) सुरक्षा के इंतजाम (5) भावी परियोजनाएँ।
दिल्ली की यातायात व्यवस्था में ‘मेट्रो रेल’ ने एक क्रांति ला दी है। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का शुभारंभ तत्कालीन प्रधानमंत्री मानवीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने 24 दिसंबर 2002 को दिल्ली की पहली मेट्रो रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना करके विधिवत रूप से किया। यह मेट्रो रेल शाहदरा से चलकर तीस हजारी पहुँची।
मेट्रो रेल सेवा दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या, चरमराती परिवहन व्यवस्था और प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए 1995 में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने संयुक्त रूप से एक संस्था डी. एम. आर. सी. की स्थापना की ताकि दिल्ली महानगर को मेट्रो रेल की सुविधाएँ उपलब्ध कराकर इन समस्याओं से छुटकारा मिल सके। और डॉ. ई. श्रीधरन को इस मेट्रो रेल कारपोरेशन का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया। उनके निर्देशन में पूरी दिल्ली में मेट्रो रेल का कार्य सुचारू रूप से तथा नियत समय में पूरा हो रहा है।
मेट्रो रेल का कार्य कई चरणों में पूरा किया जाएगा। दिल्ली के उपराज्यपाल श्री बी. एल. जोशी के अनुसार दिल्ली मेट्रो ने 2021 तक 245 कि.मी. लंबे मेट्रो लाइनें तैयार करने का मास्टर प्लान तैयार किया है। इस योजना के पूरा होने के बाद दिल्ली के हर इलाके में मेट्रो सेवा उपलब्ध होगी।
19 दिसंबर 2004 को मेट्रो ने एक कीर्तिमान स्थापित किया। इस दिन कश्मीरी गेट से दिल्ली विश्वविद्यालय तक विश्व की सबसे बड़ी भूमिगत मेट्रो का शुभारंभ हुआ। मेट्रो के तीसरे खंड बाराखंभा से द्वारका तक का उद्घाटन 31 दिसंबर 2005 को मानवीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने किया। इस खंड में 22 स्टेशन हैं। इस खंड के शुरू होने से तीनों खंडों की मेट्रो लाइन का लिंक स्टेशन राजीव चौक को बनाया गया है। मेट्रो के चौथे खंड में 11 नवंबर 2006 को मेट्रो के स्टेशन मैनेजर पुष्पेन्द्र कुमार ने बाराखंभा रोड से इंद्रप्रस्थ स्टेशन तक का उद्घाटन किया। इसमें प्रतिवर्ष प्रगति मैदान में आयोजित होने वाला भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में आने वाले लोगों को काफी सुविधा रहेगी।
दिल्ली मेट्रो रेल अत्यधिक आधुनिक सुविधाओं और प्रणालियों से संपन्न है। यह पूर्णत: वातानुकूलित रेल है। और इसके दरवाजे स्वचालित प्रणाली पर आधारित हैं, मेट्रों के सभी स्टेशनों पर सफाई की उचित व्यवस्था है और बिजली से चलने वाली इस गाड़ी में बिजली की सप्लाई के लिए इनको उत्तरी ग्रिड और इंद्रप्रस्थ गैस टरबाइन से जोड़ा गया है इसके अलावा आपातकाल में जेनरेटरों की भी व्यवस्था की गई है। मेट्रों स्टेशनों में यात्रियों की सुविधा के लिए ऐलीवेटरों, लिफ्टों, सीढ़ियों और विकलांगों के लिए पहिए वाली गाड़ियों का प्रबंध किया गया है। प्रत्येक स्टेशन और गाड़ी में सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली, घड़ियाँ और सी. सी. टी. वी. कैमरों की व्यवस्था की गई है। यात्रियों के लिए टोकन और स्मार्ट कार्ड की व्यवस्था विभिन्न काउंटरों पर प्रत्येक स्टेशन में उपलब्ध है। मेट्रो रेल के स्टेशनों में वेंटीलेशन की अच्छी व्यवस्था की गई है।
मेट्रों रेल में मोबाइल फोन पर बातचीत का पूरा आनंद लिया जा सकता है क्योंकि स्टेशनों के नीचे सुरंगों में विशेष तौर पर केबल बिछाई गई है। मेट्रों के प्रत्येक स्टेशन पर पार्किंग की अच्छी व्यवस्था के साथ-साथ परिवहन की भी अच्छी व्यवस्था है। कई मेट्रो स्टेशनों पर तो ‘बड़े बाजार’ तथा शापिंग मॉल तक खुल गए हैं ताकि लोग यात्रा के साथ-साथ खरीददारी का भी भरपूर आनंद ले सकें।
मेट्रो रेल और उसके स्टेशनों की कड़ी सुरक्षा और चौकसी के लिए केंद्र सरकार ने अर्ध सैनिक बलों की कई टुकड़ियों को तैनात किया है। और इनकी सहायता के लिए दिल्ली पुलिस और निजी सुरक्षा एजेंसियों को भी लगाया है। मैटल डिक्टेटर और महिला पुलिसकर्मी भी पर्याप्त संख्या में हैं। भूमिगत स्टेशनों में लगभग 30-40 सी. सी. टी. वी. कैमरे लगाए गए हैं जिनका सीधा संपर्क केंद्रीय नियंत्रण कक्ष से हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए मेट्रो रेल प्रबंधन ने कड़े प्रबंध किए हैं, यदि मेट्रो के अंदर किसी महिला से छेड़छाड़ होती है तो वह ‘पैसेंजर अलार्म बटन दबाकर सीधे ड्राइवर से संपर्क कर सकती है और ड्राइवर दरवाजे लॉक करके पुलिस भेज सकता है।
दिल्ली मेट्रो रेल के शुरू होने से धन और समय दोनों की बचत हो रही है क्योंकि मेट्रो में प्रतिदिन लाखों लोग सफर करते हैं। और इससे लाखों लीटर ईंधन की बचत होती है तथा साथ-ही-साथ प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आई है। और सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं का ग्राफ काफी नीचे गिर गया है।
मेट्रो रेल की सेवा नियमित और दुरस्त है, और मेट्रो व्यस्तम समय में प्रति तीन मिनट के अंतराल पर ट्रेनों को चलाए जाने के लिए अपनी तरह की अनोखी सतत् स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली है। मेट्रो का समय प्रत्येक मेट्रों स्टेशन से सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक के चलने का है।
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन की भावी योजनाओं में इस सेवा को दिल्ली के समीपवर्ती शहरों नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुड़गाँव इत्यादि क्षेत्रों में शुरू करने का प्रस्ताव है।
इस योजना के कार्यान्वित होते ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र आपस में जुड़ जाएँगे और यातायात की समस्या हल हो जाएगी और दिल्ली पर जनसंख्या दबाव भी कम हो जाएगा।
दिल्ली मेट्रो की आगामी योजनाओं में शाहदरा-दिलशाद गार्डन दिसंबर 2008, इंद्रप्रस्थ-नोएडा सिटी सेंटर (वाया न्यू अशोक नगर) जून 2009 तक, यमुना डिपो-आनंद विहार सितंबर 2009, दिल्ली विश्वविद्यालय जहाँगीर पुरी अक्तूबर 2009 तक, इंद्रलोक-मुडंका जून 2010 केंद्रीय सचिवालय-गुडगाँव (ब्राया कुतुब मीनार) जून 2010 तक प्रस्तावित हैं।
मेट्रो रेल परियोजना ने दिल्ली की सुंदरता में चाँद लगा दिए हैं। इससे दिल्ली के विकास की गति में तीव्रता आई है। और दिल्लीवासियों के सपनों साकार हो रहे हैं।