Gujrat State Board, the Best Hindi Solutions, Class X, Sumitranandan Pant, Janmbhumi, जन्मभूमि (कविता) सुमित्रानंदन पंत

(जन्म : सन् 1900 ई., निधन सुमित्रानंदन पंत सन् 1977 ई.)

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गाँव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कौसानी और अल्मोड़ा में हुई। मैट्रिक उत्तीर्ण करके आगे की पढ़ाई के लिए पहले वाराणसी फिर प्रयाग गए। सन् 1921 के गाँधीजी के असहयोग आंदोलन के कारण पढ़ाई छोड़ दी। सन् 1943 44 ई. में उदयशंकर के नृत्यकेन्द्र से संबंध और ‘कल्पना’चित्र के निर्माण में सहयोग, सन् 1950 से 1957 तक ‘आकाशवाणी’ में हिंदी सलाहकार रहे। छायावाद के शलाका-पुरुष, प्रकृति सौंदर्य के अनुपम चित्रकार, काव्यभाषा के समर्थ शिल्पी प्रौढ़ विचारक – कवि को इनके ‘कला और बूढ़ा चाँद पर साहित्य अकादमी से ‘लोकायतन’पर सोवियत भूमि नेहरू पारितोषिक समिति से और ‘चिदंबरा’पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिले हैं। इनकी कविता छायावाद मार्क्सवाद, अरविंददर्शन, वैदिक चिंतन के सोपानों से बढ़ती हुई विश्वचेतना तक पहुँचती है। उन्हें पद्मविभूषण भी मिला है। ‘वीणा’, ‘ग्रंथि’, ‘पल्लव’, ‘गुंजन’, ‘युगान्त युगवाणी’, ‘मधुज्वाल’, ‘ग्राम्या’, ‘युगपथ’, ‘कला’और ‘बूढ़ा चाँद’आदि प्रमुख काव्य लिखे हैं। इनके अलावा नाटक, नीतिनाट्य, कहानी और उपन्यास भी लिखे हैं। जन्मभूमि काव्य में जन्मभूमि का महत्त्व बताते हुए पंतजी ने प्रकृति का गौरव गान किया है। भारत का वैभवशाली इतिहास, प्रकृति, महापुरुषों का वर्णन किया है। हमारे नारीरत्नों की बात बताते हुए पंतजी ने वसुधैव कुटुंबकम् की भावना साकार की है।

जननी जन्मभूमि प्रिय अपनी, जो स्वर्गादपि चिर गरीयसी

जिसका गौरव भाल हिमाचल,

स्वर्ण धरा हँसती चिर श्यामल,

ज्योतिग्रथित गंगा यमुना जल,

वह जन जन के हृदय में बसी !

जिसे राम लक्ष्मण औं सीता

बना गए पद धूलि पुनीता,

जहाँ कृष्ण ने गाई गीता

बजा अमर प्राणों में वंशी !

सावित्री राधा-सी नारी

उतरीं आभादेही प्यारी,

शिला बनी तापस सुकुमारी

जड़ता बनी चेतना सरसी !

शांति निकेतन जहाँ तपोवन

ध्यानावस्थित हो ऋषि मुनि गण,

चिद् नभ में करते थे विचरण

जहाँ सत्य की किरणें बरसीं !

आज युद्धजर्जर जगजीवन

पुनः करेगा मंत्रोच्चारण,

वह वसुधैव बना कुटुंबकम्

उसके मुख पर ज्योति नवल-सी !

जननी जन्मभूमि प्रिय अपनी,

जो स्वर्गादपि चिर गरीयसी।

गरीयसी – श्रेष्ठ

ज्योतिग्रथित – ज्योति से गुँथा हुआ

आभा – प्रकाश

जर्जर – जीर्णशील

वसुधा – पृथ्वी

स्वर्गादपि – स्वर्ग से भी

चिद् – चेतना, ज्ञान

1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :

(1) जननी जन्मभूमि __________से महान है।

(अ) पृथ्वी

(ब) आकाश

(क) स्वर्ग

(ड) नर्क

उत्तर – (क) स्वर्ग

(2) भारत का भाल’_______ है।

(अ) हिमाचल  

(ब) विंध्याचल

(क) माउन्ट आबू

(ड) गिरनार

उत्तर – (अ) हिमाचल

(3) गीता का गान करनेवाले थे।

(अ) वाल्मीकि

(ब) द्रोणाचार्य

(क) अर्जुन

(ड) कृष्ण

उत्तर – (ड) कृष्ण

2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए –

(1) जन-जन के हृदय में कौन-सी नदियाँ बसी हैं?

उत्तर – जन-जन के हृदय में गंगा और यमुना नदी बसी हैं।

(2) कृष्ण ने किस ग्रंथ की रचना की?

उत्तर – कृष्ण ने गीता ग्रंथ की रचना की थी।

(3) ‘जन्मभूमि’ में भारत की किन नारियों की बात बताई गई है?  

उत्तर – ‘जन्मभूमि’ में भारत की सीता, सावित्री, राधा और अहिल्या नारियों की बात बताई गई है

(4) शांतिनिकेतन क्या है?

उत्तर – शांतिनिकेतन विद्या का तपोवन है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:

(1) हिमालय के बारे में जन्मभूमि कविता में क्या कहा है?

उत्तर – जन्मभूमि कविता में हिमालय के बारे में यह कहा गया है कि यह तो भारत माता के मस्तक सा सुंदर लगता है। इससे निकलने वाली गंगा-यमुना नदियाँ भारत के अनेक राज्यों की धरती को हरा-भरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

(2) कवि ने धरती के गुणगान कैसे गाये हैं?

उत्तर – कवि ने धरती को स्वर्ग से भी सुंदर और महत्त्वपूर्ण माना है। यहाँ की नदियाँ, यहाँ के हरे-भरे खेत, विद्या के तपोवन इसे श्रेष्ठ बनाते हैं।

(3) शांति, सत्य, अहिंसा का प्रचार करनेवाले ‘भारतीय महापुरुषों’ के नाम बताइए।

उत्तर – शांति, सत्य, अहिंसा का प्रचार करनेवाले ‘भारतीय महापुरुषों’ के नाम हैं – महात्मा गाँधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, जवाहर लाल नेहरू, राजा राम मोहन राय, आचार्य विनोबा भावे।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :

(1) कवि ने जन्मभूमि को स्वर्ग से महान क्यों बताया है?

उत्तर – कवि ने जन्मभूमि को स्वर्ग से महान बताया है क्योंकि जन्मभूमि में जन्म लाभ करने के पश्चात् हमारा शरीर, हमारी कद-काठी हमारी जन्मभूमि के हवा-पानी और खान-पान से बलिष्ठ और विकसित होता है। हमारा अपने जन्मभूमि से गहरा भावनात्मक संबंध जुड़ जाता है। इस दृष्टि से सभी सुखों से संपन्न स्वर्ग भी जन्मभूमि से श्रेष्ठ नहीं हो पाती।

(2) ‘जन्मभूमि’ में भारत भूमि की क्या-क्या विशेषताएँ बताई गई है?

उत्तर – ‘जन्मभूमि’ में भारत भूमि की अनेक विशेषताएँ बताई गई हैं, जैसे – यहाँ की हिमाचल भूमि भारत माता के मस्तक के समान है। यहाँ की गंगा-यमुना नदियाँ धरती को हरी-भरी बनाती हैं, यहाँ सीता, सावित्री और राधा जैसी विदुषियों ने अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया है तो राम-लक्ष्मण और कृष्ण ने धर्म की रक्षा की है। यहाँ शांतिनिकेतन जैसे ज्ञानकेंद्र हैं तो वसुधैव कुटुंबकम् की पुनीत प्रथा भी इस भारत भूमि को विशिष्ट बनाती है।     

(3) कविता के आधार पर भारतीय नारी की महानता का वर्णन कीजिए।

उत्तर – कविता ‘जन्मभूमि’ में भारत की महान विदुषियों की चर्चा की गई है जिसमें पति धर्म का पालन करने में सावित्री का नाम सर्वोपरि है। इस महान देवी ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी प्राप्त कर लिए थे। दूसरी ओर जगत जननी सीता जी हैं जिन्होंने आदर्श नारी की श्रेष्ठता को स्थापित रखने के लिए पति के साथ चौदह वर्षों का वनगमन स्वीकार किया और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने पतिव्रत धर्म का पूरी निष्ठा से पालन किया। कृष्ण की सखी और मार्गदर्शिका कही जाने वाली राधा ने भी भारत की स्त्रियों का गौरव ऊंचा किया है इसलिए कृष्ण की सखी होने के बाद भी उनका नाम कृष्ण से सदा-सदा के लिए जुड़ गया। 

(4) भारत ‘विश्व शांतिदूत’ क्यों कहलाता है?

उत्तर – भारत को ‘विश्व शांतिदूत’ कहा जाता है क्योंकि भारत ने सदा से अहिंसा का मार्ग अपनाया है। भारत पर अनेक विदेशी आक्रांताओं ने समय-समय पर आक्रमण करके इसकी संपत्ति को लूटा है फिर भारत देश ने दूसरे देश पर कभी भी आक्रमण नहीं किया है। भारत के वीर पुत्र गौतम बुद्ध ने भी सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया तो स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे लोगों ने मानव समुदाय को एकता और अहिंसा के महत्त्व से अवगत कराया है। इतिहास में कुछ घटनाएँ ऐसी भी हैं जिसमें दो देशों की शत्रुता को समाप्त करने के लिए भारत के नेता गण शांति प्रस्ताव लेकर उनमें संधि करवाने का पुनीत कर्म किए हैं।

5. आशय स्पष्ट कीजिए :

(1) जिसका गौरव भाल हिमाचल।

उत्तर – इस पंक्ति का आशय यह है कि भारत भूमि इतनी पवित्र और सुंदर है कि श्वेत बर्फ की प्रभा-सी भारत माँ मस्तक उज्ज्वल व शोभायमान है। भौगोलिक दृष्टि से हिमाचल प्रदेश अर्थात् हिम का आँचल भारत का मस्तक सरीखा माना जाता है।

(2) जड़ता बनी चेतना सरसी !

उत्तर – कविता ‘जन्मभूमि’ में इस पंक्ति का आशय यह है कि ऋषि गौतम कि पत्नी अहिल्या अभिशाप के कारण शिला में परिवर्तित हो गई थीं परंतु भारत की पावन भूमि की असीम अनुकंपा से प्रभु श्रीराम के चरणों का स्पर्श होते ही वह पुनः चेतनावस्था में नारी रूप को प्राप्त हो जाती है।

(3) वह वसुधैव बना कुटुंबकम्।

उत्तर – कविता ‘जन्मभूमि’ में इस पंक्ति का आशय यह है कि यह पूरी दुनिया ही एक परिवार की तरह है। राजनीतिक कारणों से भले ही इस दुनिया में अनेक देश अस्तित्व में आ गए हैं पर मूल रूप से ये सब एक ही परिवार के हिस्से हैं। 

जननी – माँ, मातृ

 ज्योति – लौ, प्रकाश

 शिला – पाषाण, प्रस्तर, पत्थर

 विचरण – घूमना, विहार

 गौरव – महिमा, कीर्ति

 पुनीत – पवित्र, शुचि  

  • इस गीत का सहगान कीजिए।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

  • बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय रचित ‘वंदेमातरम्’गीत याद कीजिए और उसकी तुलना इस काव्य से कीजिए।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

  • ‘अनेकता में एकता’ विषय पर छात्रों को बताइए।

उत्तर – ‘अनेकता में एकता’ एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक विचार है, जो हमारे समाज की विविधता और उसकी शक्ति को दर्शाता है। भारत जैसे देश में विभिन्न भाषाएँ, धर्म, जातियाँ, संस्कृतियाँ और परंपराएँ हैं, फिर भी हम सभी एक राष्ट्र के रूप में एकजुट हैं। इस विविधता में न केवल हमें विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों को समझने का अवसर मिलता है, बल्कि यह हमारे समाज को समृद्ध और मजबूत भी बनाता है। जब हम अपनी विभिन्नताओं को सम्मान देते हुए एकजुट रहते हैं, तो हम एकता की शक्ति को महसूस करते हैं, जो हमें किसी भी कठिनाई का सामना करने में सक्षम बनाती है। यह विचार हमें यह समझाता है कि हमारे भिन्न-भिन्न पहलुओं के बावजूद हम सभी का उद्देश्य समान है—देश की प्रगति और समाज की भलाई।

  • भारत के विभिन्न प्रदेशों के नृत्य पर आधारित एक कार्यक्रम का आयोजन कीजिए।

उत्तर – भारत का सांस्कृतिक धरोहर बहुत विविध और रंगीन है, जिसमें नृत्य कला का विशेष स्थान है। देश के विभिन्न प्रदेशों में नृत्य की अपनी-अपनी अनूठी परंपराएँ और शैलियाँ हैं। दक्षिण भारत का भरतनाट्यम, जिसमें शास्त्रीय संगीत और भावनाओं का अद्भुत संयोजन होता है, भारतीय कला का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वहीं उत्तर भारत में कथक नृत्य की विशेष पहचान है, जो अपनी लय, गति और कथाएँ बयाँ करने की शैली के लिए प्रसिद्ध है। ओड़िशा का ओड़िसी नृत्य, जिसमें धार्मिक कथाएँ और प्रकृति का चित्रण होता है, उसे भी बहुत मान्यता प्राप्त है। वहीं, पंजाब का भांगड़ा और गिद्दा नृत्य त्योहारों और खुशियों का प्रतीक है। हर राज्य की नृत्य शैली अपने भीतर क्षेत्रीय संस्कृति, संगीत और पारंपरिक कथाओं का संगम प्रस्तुत करती है, और यह भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है।

 

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