(जन्म: 1933 ई., निधन : 1999 ई.)
वीरेन्द्र मिश्रजी का जन्म मरैन (मध्य प्रदेश) में हुआ था। ये आकाशवाणी के मानद प्रोड्यूसर रहे थे। ये नवगीत विधा के गीतकार थे और फिल्मों के लिए भी गीत लिखते थे। इनके मुख्य काव्य संग्रह हैं गीतम, अविराम, अचल, मधुवंती, लेखनी बेला, झुलसा है छाया नट-धूप में काले मेघा पानी दे तथा शांति गन्धर्व। इन्हें देव पुरस्कार एवं निराला पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
कश्मीर काव्य में कश्मीर के सौंदर्य एवं संस्कृति का परिचय कराया है।
कश्मीर
जहाँ बर्फ़ की राजकुमारी खोयी है स्वर लहरी में
चलो चलें फूलों की घाटी में नावों की नगरी में
सन सन सन सन सनन सनन, गाता फिरता गीत पवन
उड़ते हैं पंछी सैलानी, खिलता शालीमार चमन
भ्रमर बजाते शहनाई, किरनों की मालिन आई
झील किनारे वह डलिया भर धूप बिखेरे बजरी में
जंगल-जंगल होड़ लगी है तितली और टिटिहरी है
कभी हवा आ जाती है, नयी ग़जल गा जाती है
तब मखमली गलीचों पर कुछ मस्ती-सी छा जाती है
मौसम कभी बदलता है, सपना कभी मचलता है
चरवाहे की वंशी छिड़ती, नील गगन की छतरी में
पलछिन किसी बहाने से गुजरे हुए जमाने से
बस्ती करती बात जहाँ हैं, दूर खड़े वीराने से
चश्मे जहाँ हिमानी हैं, फूल जहाँ रूमानी हैं
हिल – हिलकर कहते पत्तों से चाँद छुपा है बदली में
जल में खिलीं रुबाइयाँ, बजरों की अंगड़ाइयाँ
चले शिकारे, संग में चल दीं बागों की परछाइयाँ
प्रेम कथाएँ विल्हण की, कौन कहे गाथा मन की
झेलम सोयी तारोंवाले नभ की नील मसहरी में
‘अमरनाथ’ की राहों में शेषनाग की बाँहों में
पश्मीना ध्वज फहर रहा है देवदारु की छाँहों में
मन जिसका गंभीर है, वह अपना कश्मीर है
दाग लगे ना देखो भारत की बर्फ़ीली पगड़ी में
चलो चलें फूलों की घाटी में नावों की नगरी में !
सैलानी – सहेलगाह पर आए हुए यात्री, पर्यटक
चमन – बाग
भ्रमर – भौरा
झील – बड़ा तालाब, सरोवर
डलिया – बाँस का छोटा पात्र
बजरी – कमरे की आकार की नाव
आलम – दुनिया
सुरमई – सुरमे के रंग का, हल्का नीला रंग
मल्लाह – नाविक
टिटिहरी – एक पक्षी विशेष का नाम
पलछिन – पल क्षण
विराना – निर्जन
हिमानी – शीतल
रूमानी – मुलायम
विल्हण – प्रेमी का नाम
मसहरी – मच्छरदानी
पश्मीना – बर्फीली कश्मीरी भेड़ विशेष के ऊन का नाम
चश्मा – झरना
शबनम – ओस
रुबाइयाँ – फारसी काव्य का एक प्रकार
कल्हण – मूल नाम कल्याण है जो कश्मीरी कवि हैं जिसने राजतरंगिणी काव्य की रचना की है, जिसमें कश्मीर के आरंभकाल से रचनाकाल तक के इतिहास का वर्णन है।
1.निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
(1) कवि ने नावों की नगरी किसे कहा है?
उत्तर – कवि ने कश्मीर को नावों की नगरी कहा है।
(2) कश्मीरी हवा क्या गाती है?
उत्तर – कश्मीरी हवा सन सन सन सन सनन सनन गाती है।
(3) जंगल में किन-किन के बीच होड़ लगी है?
उत्तर – जंगल में तितली और टिटिहरी के बीच होड़ लगी है।
(4) कवि को चश्मे और फूल कैसे लगते हैं?
उत्तर – कवि को चश्मे अर्थात् झरने हिमानी जैसे उजले और फूल रूमानी अर्थात् कोमल लगते हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
(1) कश्मीर में सुबह किस तरह होती है?
उत्तर – कश्मीर की सुबह एक खास अंदाज में होती है जिसमें हवा सन सन के गीत गाती है। उड़ते पंछी और टहलते सैलानी सुबह को चहलकदमी से भरते हैं। भ्रमर शहनाई बजाते प्रतीत होते हैं तो किरणों की मालिन दलीय में किरने बजरी पर उड़ेलती है।
(2) कश्मीर की रक्षा के लिए कवि क्या कहते हैं?
उत्तर – कश्मीर की रक्षा के लिए कवि सभी निवासियों और सैलानियों से अपील करते हैं कि यह धरती का स्वर्ग है। यह भारत देश की श्वेत पगड़ी की तरह शोभायमान है। इसके साफे पर हमें किसी भी प्रकार का दाग नहीं लगने देना है।
(3) कश्मीर में हवा चलने पर वातावरण कैसा होता है?
उत्तर – कश्मीर में हवा चलने पर ऐसा लगने लगता है कि वातावरण गजल गाने लगा हो। इससे उत्साहित होकर तितली और टिटिहरी में होड़ लग जाती है। धरती पर फैले मखमली घास पर मवेशियों को चराते चरवाहे अपने वंशी की मधुर ध्वनि से नील गगन को मधुमय बनाते हैं।
(4) पश्मीना ध्वज से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर – पश्मीना ध्वज से कवि का तात्पर्य है विशेष प्रकार के कश्मीरी भेड़ों से। इन खूबसूरत वादियों में ये उजले भेड़ देवदार की छाँह में मखमली घास पर चर रहे हैं जो श्वेत ध्वज की तरह इधर-उधर लहरा रहे हैं।
(5) कवि ने कश्मीर को नावों की नगरी क्यों कहा है?
उत्तर – कवि ने कश्मीर को नावों की नगरी कहा है क्योंकि यहाँ हमें तरह तरह के सुंदर और बड़े शिकारा और बजरी अर्थात् कमरे के आकार-प्रकार वाले बड़े नाव देखने को मिलते हैं। यहाँ पर आने वाले पर्यटक इसमें नौका विहार का आनंद लेते हैं।
3. निम्नलिखित प्रश्न के पाँच-छह वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
(1) कवि कश्मीर दर्शन के लिए आह्वान देते हुए कश्मीर का कैसा चित्र प्रस्तुत करते हैं?
उत्तर – कवि कश्मीर दर्शन के लिए आह्वान देते हुए कश्मीर का ऐसा विलक्षण चित्र प्रस्तुत करते हैं जिससे यहाँ पर्यटक आने को उत्साहित हो जाते हैं। यह नावों की नगरी है, यह विविध फूलों का शहर है। यहाँ जब हवा चलती है तो वातावरण में एक गजल गूँज उठती है। भँवरे संगीत की सृष्टि करते हैं। चरवाहे वंशी की धुन से नील गगन की सुंदरता बढ़ाते हैं। प्राकृतिक उपादान जैसे झरने, झील और झेलम नदी यहाँ की सुंदरता में चार-चाँद लगाते हैं। अमरनाथ की पावन राहें इसे धार्मिक रूप से भी पवित्र बनातीं हैं।
4. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :-
पवन – वायु, समीर
पंछी – खग, विहग
चमन – बाग, उपवन
आलम – दुनिया, संसार
मल्लाह – केवट, माझी
मौसम – रुत, ऋतु
मसहरी – मच्छरदानी,
शबनम – ओस, नमी
5. निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :-
घाटी – समतल
स्वर्ग – नर्क
श्याम – श्वेत
मीठी – कड़वी
दूर – पास
6. निम्नलिखित शब्दों के विशेषण बनाइए :-
बर्फ – बर्फ़ीला
हिम – हिमानी
मखमल – मखमली
स्वर्ग – स्वर्गीय
- कश्मीर के दर्शनीय स्थानों के चित्रों का अलबम बनाइए।
उत्तर – कश्मीर, जिसे ‘धरती का स्वर्ग’ भी कहा जाता है, अपनी असाधारण प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक विविधताओं के लिए प्रसिद्ध है। कश्मीर में कई अद्भुत दर्शनीय स्थल हैं, जो हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कश्मीर के दर्शनीय स्थानों का वर्णन किया गया है:
- सोनमर्ग
सोनमर्ग, जो कश्मीर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है, अपनी हरे-भरे मैदानों और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की शांत वातावरण और शानदार दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। सोनमर्ग की यात्रा करते हुए, आप थजीवास ग्लेशियर और नंदनी झील जैसी जगहों पर जा सकते हैं।
- गुलमर्ग
गुलमर्ग कश्मीर का सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशन है। यह स्थल अपने स्नो स्कीइंग और गुलमर्ग गोल्फ कोर्स के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ और हरे-भरे घास के मैदान एक स्वर्गिक दृश्य प्रस्तुत करते हैं। गुलमर्ग रोपवे से आप कश्मीर घाटी का शानदार दृश्य देख सकते हैं।
- पाहलगाम
पहलगाम कश्मीर का एक और अद्भुत स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का बीटाब वैली और अर्नाल झील काफी मशहूर हैं। यह स्थल अमरनाथ यात्रा का भी एक प्रमुख मार्ग है। पर्यटक यहाँ ट्रैकिंग और घुड़सवारी का आनंद भी लेते हैं।
- दल झील
श्रीनगर में स्थित डल झील कश्मीर का सबसे प्रसिद्ध जलाशय है। यहाँ की सुंदरता को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है। आप यहाँ शिकारा राइडिंग का आनंद ले सकते हैं और मुगल गार्डन्स जैसे शालीमार बाग और निसा बाग का दृश्य देख सकते हैं। डल झील पर तैरते हाउसबोट्स की सुंदरता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है।
- मुगल गार्डन्स
शालीमार बाग, निसा बाग और चश्मे शाही कश्मीर के प्रसिद्ध मुग़ल गार्डन्स हैं। इन गार्डन्स की स्थापत्य कला और हरे-भरे वातावरण में बसी अद्भुत शांति आपको एक अलग ही अनुभव देती है। इन बागों में बगीचों की सजा-धजा, फव्वारे, और झरनों का संगम बहुत आकर्षक होता है।
- जम्मू का वैष्णो देवी मंदिर
हालांकि यह कश्मीर से थोड़ा बाहर है, लेकिन वैष्णो देवी मंदिर जम्मू के एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ लाखों भक्तों का तांता लगा रहता है, जो देवी वैष्णो के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह स्थल धार्मिक महत्त्व के साथ-साथ कश्मीर यात्रा का भी हिस्सा बन चुका है।
- हजरत बल धार्मिक स्थल
यह स्थल श्रीनगर में स्थित है और इसे एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थान माना जाता है। यहाँ हजरत बल दरगाह स्थित है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए एक पवित्र स्थान है। यहाँ भगवान के पैगंबर मोहम्मद के वस्त्र और अन्य धार्मिक वस्तुएँ संरक्षित हैं। यह स्थल एक शांतिपूर्ण वातावरण में स्थित है और धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व रखता है।
- जम्मू का अखनूर किला
यह किला कश्मीर के इतिहास को समेटे हुए है। अखनूर किला एक ऐतिहासिक किला है, जो नदी के किनारे स्थित है। यह किला एक उत्कृष्ट स्थापत्य कला का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
- लिद्दर नदी
लिद्दर नदी पहलगाम के पास बहती है और यह जलक्रीड़ा के लिए प्रसिद्ध है। आप यहाँ नदी के किनारे आराम से बैठकर कश्मीर की शांति का आनंद ले सकते हैं, या फिर रिवर राफ्टिंग जैसी गतिविधियों का भी आनंद ले सकते हैं।
- चंद्रताल
यह एक सुंदर ताल है जो कश्मीर के उच्चतम पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित है। यहाँ का दृश्य बेहद शांत और सुकूनदायक है, जो ट्रैकिंग करने वालों के लिए एक आदर्श स्थल बन चुका है।
- कश्मीरी लोक कथाओं का संकलन पढ़िए ।
उत्तर – कश्मीर की लोककथाएँ न केवल इस क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती हैं, बल्कि इनमें गहरी शिक्षाएँ और जीवन के अनुभव भी समाहित होते हैं। कश्मीरी लोककथाएँ प्राचीन समय की धार्मिक, ऐतिहासिक, और सांस्कृतिक घटनाओं का चित्रण करती हैं, और ये पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रही हैं। यहाँ एक प्रसिद्ध कश्मीरी लोककथा प्रस्तुत है:-
‘शीराज और रानी का प्रेम’
यह एक प्रेम कहानी है, जो कश्मीर के ऐतिहासिक परिवेश में स्थापित है।
किसी समय की बात है, कश्मीर के एक छोटे से गाँव में एक सुंदर और विद्वान लड़का, शीराज, अपनी माँ के साथ रहता था। शीराज अपनी होशियारी और अपनी सादगी के लिए पूरे गाँव में प्रसिद्ध था। वह एक साधारण लड़का था, लेकिन उसमें एक खास बात थी—उसकी गायन और संगीत की कला।
उसी गाँव में एक समृद्ध राजा की सुंदर बेटी, रानी, रहती थी। रानी न केवल अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थी, बल्कि उसकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता भी हर किसी को प्रभावित करती थी। रानी का दिल बहुत बड़ा था, और वह गरीबों और दुखियों की मदद करती थी।
एक दिन, रानी ने अपने महल के बगीचे में एक संगीत समारोह का आयोजन किया। शीराज को इस समारोह के बारे में पता चला, और वह भी अपनी कला दिखाने का अवसर पाने के लिए महल में पहुँचा। वह वहाँ अपनी मधुर आवाज़ में कश्मीरी गीत गाने लगा, जो सभी उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रानी ने उसे सुना और उसकी आवाज़ से प्रभावित होकर उसे महल में बुलवाया।
रानी और शीराज के बीच धीरे-धीरे एक गहरा प्रेम पनपने लगा। लेकिन दोनों के प्रेम में एक बड़ी समस्या थी—रानी का विवाह एक समृद्ध और प्रभावशाली राजकुमार से तय हो चुका था, जो रानी के पिता के दोस्त का बेटा था।
शीराज और रानी के बीच यह प्रेम बहुत सच्चा था, लेकिन समाज के नियमों और परंपराओं ने उनके रास्ते में दीवार खड़ी कर दी। रानी ने राजा से आग्रह किया कि वह शीराज से विवाह करना चाहती है, लेकिन राजा ने इसे अस्वीकार कर दिया। राजा ने शीराज को यह प्रस्ताव दिया कि अगर वह शाही महल की सेवा करेगा तो रानी से विवाह करने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन शीराज ने अपने स्वाभिमान को बनाए रखते हुए राजा की बात ठुकरा दी और कहा कि वह प्रेम में किसी से दीन-हीन नहीं होगा। शीराज का यह उत्तर रानी को बहुत ही प्रेरणादायक लगा, और उसने अपने दिल की सुनते हुए महल छोड़ दिया। कहा जाता है कि रानी और शीराज ने मिलकर एक नई ज़िंदगी शुरू की, दूर एक छोटे से गाँव में। उनके प्यार की कहानी कश्मीर के लोगों में आज भी गाई जाती है, और यह कहानी सच्चे प्यार, साहस और आत्मसम्मान की महत्त्वपूर्ण सीख देती है।
कहानी की शिक्षा:
यह कश्मीरी लोककथा हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्यार कभी भी परंपराओं या सामाजिक दबावों के सामने नहीं झुकता। यह हमें यह भी बताती है कि आत्मसम्मान और अपने दिल की सुनना कितना महत्त्वपूर्ण है।
विद्यार्थियों को कश्मीर की तरह भारत के अन्य दर्शनीय स्थानों के बारे में जानकारी दीजिए।
उत्तर – जगन्नाथ पुरी धाम भारत के ओड़िशा राज्य में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक महत्त्व रखता है। यह स्थल विशेष रूप से भगवान श्री जगन्नाथ, जो भगवान विष्णु के एक रूप माने जाते हैं, के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। पुरी, चार धामों में से एक है, और यहाँ की यात्रा को अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है।
जगन्नाथ पुरी धाम का महत्त्व:
भगवान श्री जगन्नाथ का मंदिर:
जगन्नाथ मंदिर पुरी का सबसे प्रमुख आकर्षण है। इस मंदिर में भगवान श्री जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बालराम की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। ये तीनों देवता प्रसिद्ध रथ यात्रा के दौरान रथ पर सवार होते हैं, जो एक ऐतिहासिक और धार्मिक उत्सव है। मंदिर का शिखर अत्यंत ऊँचा है, और इसकी वास्तुकला विशेष रूप से अद्भुत है।
रथ यात्रा:
जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह यात्रा हर साल जुलाई या अगस्त में होती है और इसमें लाखों भक्तों की भीड़ शामिल होती है। इस अवसर पर भगवान श्री जगन्नाथ, श्री बलराम और देवी सुभद्रा के रथों को मंदिर से उनकी बाहरी यात्रा के लिए खींचा जाता है। यह यात्रा धार्मिक आस्था और उत्सव का प्रतीक है।
धार्मिक महत्त्व:
जगन्नाथ पुरी को ‘चार धाम’ (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी और रामेश्वरम) में से एक माना जाता है। इसे विशेष रूप से इसीलिए भी पवित्र माना जाता है क्योंकि यहाँ भगवान जगन्नाथ का निवास स्थान है, और हर साल लाखों तीर्थयात्री यहाँ आकर अपनी आस्था की अभिव्यक्ति करते हैं।
मंदिर की संरचना और वास्तुकला:
मंदिर की संरचना अत्यधिक भव्य और पुरानी है। यहाँ की मुख्य शिखर (वर्तमान मंदिर शिखर) लगभग 65 मीटर ऊँचा है, और इसकी दीवारों पर विभिन्न हिंदू धार्मिक कथाओं का चित्रण किया गया है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था, और यह ओड़िशा के विशिष्ट स्थापत्य शैली का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
पुंडलीक द्वारा रुक्मिणी विवाह स्थल:
मंदिर के भीतर एक महत्त्वपूर्ण स्थल है जहाँ पर रुक्मिणी और श्री कृष्ण के विवाह का वर्णन किया गया है। भक्त यहाँ आकर अपने विश्वास के साथ पूजा करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
प्रसाद:
जगन्नाथ पुरी का प्रसाद (महाप्रसाद) बहुत प्रसिद्ध है। यह प्रसाद विशेष रूप से मंदिर के आँगन में तैयार किया जाता है और इसके खाने का स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है। यहाँ का प्रसाद लाखों भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है।
पुरी का समुद्र तट:
जगन्नाथ मंदिर के अलावा, पुरी का समुद्र तट भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। यहाँ आने वाले भक्त समुद्र के किनारे पूजा करते हैं और स्नान करते हैं, जिसे विशेष धार्मिक महत्त्व दिया जाता है।
समापन
जगन्नाथ पुरी धाम ना सिर्फ हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण भी है। यहाँ आने से मन को शांति मिलती है और आस्था को नया बल मिलता है। यह स्थल हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो यहाँ आकर भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन और पुण्य की प्राप्ति करते हैं।
‘कलापी’ का कश्मीर दर्शन यात्रा वर्णन पढ़िए।
उत्तर – ‘कलापी’ गुजरात के एक मशहूर लेखक हैं जिनका पूरा नाम सुर सिंह तख्त सिंह गोहिल है इनकी रचना ‘कश्मीरनो प्रवास’ एक यात्रा वृतांत (Travelogue) है, जिसमें कवि ने कश्मीर यात्रा के दौरान अपने अनुभवों और दृष्टिकोणों को व्यक्त किया है।
इस काव्य रचना में कवि कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता, वहाँ की संस्कृति, लोगों की जीवनशैली और सामाजिक व्यवस्था का जीवंत चित्रण करता है। कश्मीर के पर्वत, झीलें, घाटियाँ और वहाँ की हरियाली ने कवि को गहरी प्रेरणा दी। इसके अलावा, कलापी ने कश्मीर के ऐतिहासिक स्थल और वहाँ के ऐतिहासिक संदर्भों पर भी प्रकाश डाला है।
कवि ने यात्रा के दौरान महसूस की गई शांति, सौंदर्य और कश्मीर की विशिष्टता को अपनी कविता में बहुत प्रभावी ढंग से व्यक्त किया। कश्मीर के प्राकृतिक सौंदर्य के अलावा, उन्होंने वहाँ की राजनीति, संघर्ष और मानवीय कठिनाइयों का भी उल्लेख किया। इस यात्रा वृतांत के माध्यम से कलापी ने कश्मीर के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएँ और प्रेम को व्यक्त किया है। यह काव्य रचना न केवल एक यात्रा वृतांत है, बल्कि यह कश्मीर के भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव को भी दर्शाती है।