नरेन्द्र मालवीय हिंदी साहित्य के बहुमुखी प्रतिभाशाली साहित्यकार है। हिंदी साहित्य में निबंध, कहानी, एकांकी एवं कविता में अपना योगदान दिया है। सरल और सहज भाषा उनके साहित्य की एक विशेषता रही है। मार्मिक भाषा में गहन बात को सरलता से पेश करते हैं।
यह एक सरल और सुबोध रचना है। इस कविता को एक कहानी के आधार पर लिखा गया है। वह कहानी ‘बुक ऑफ नॉलिज’ से ली गई है। इसे विश्व का एक श्रेष्ठ संवाद-काव्य माना जाता है।
तोता और इंद्र
सुनो भाइयो, तुम्हें सुनाते, आज एक प्राचीन कहानी।
जो है अति सुंदर, अति अद्भुत, सचमुच कहानियों की रानी॥
पुण्यभूमि काशी की महिमा, चारों दिशि में थी अति गुंजित।
देवों सहित देवपति उसको, लखकर होते थे अति हर्षित॥
गुजर रहे थे इंद्र एक दिन, जब कि निकट के निर्जन वन से
देखा एक पेड़ अति भारी, सूखा, निर्जीवित – सा तन से॥
उसके एक खोखले में था तोता एक बहुत ही सुंदर।
हुआ इंद्र को बेहद अचरज उसको सूखे तरु पर लखकर॥
पूछा तुरंत उन्होंने उससे ‘क्या न मूर्खता है यह भारी।
इस सूखे तरु पर तू रहता बन करके अनजान, अनारी॥
हरा-भरा तरु कहाँ नहीं है, क्या इस विस्तृत सुंदर वन में?
भला यहीं रहने में तूने सोचा है क्या हित निज मन में?
‘तोता बोला महाराज, यह तरु पहले था बेहद सुंदर।
सारे वन में एकमात्र था सबसे अच्छा सबसे मनहर॥
जैसा था यह सबसे सुंदर, वैसा ही था यह बलशाली।
यह ही था इस वन की शोभा, भाग्यवान, अति गौरवशाली॥
चिड़िया, तोते, कोयल, मैना, सबको ही यह अति प्यारा था।
महाराज, यह ही कुरूप तरु, शोभा में सबसे न्यारा था
मैं जन्मा हूँ इस पर जब इसकी शोभा थी नई – निराली।
अतः मुझे प्राणों से भी प्यारी है इसकी डाली – डाली॥
इसकी मोदमयी छाया में मैंने था निज होश सम्हाला।
यह है मुझको गाना, मुसकाना, उड़ना सिखलाने वाला॥
बचपन से ले करके अब तक इसने दी है मुझको छाया।
मैंने हरदम इसको ही सुख-दुख का सच्चा साथी पाया
किंतु आह, कुछ दिन पहले आया वन में एक शिकारी।
उसके विष से बुझे बाण ने इस पर ढा दी आफत भारी॥
विष के कारण सूख रहा है तब से यह तरुवर दिन-प्रतिदिन ।
अब तो इसके साथ-साथ ही मेरा भी होगा अंतिम क्षण॥
बचपन के साथी को तजकर, भला कहीं मैं जा सकता हूँ?
यदि जाऊँ भी, तो क्या सुख, संतोष, शांति मैं पा सकता हूँ?
इससे अच्छा है, मैं इसके दुख में थोड़ा हाथ बटाऊँ।
और अंत में सुख से इसके संग-संग मैं भी मर जाऊँ॥’
दंग रह गए इंद्रदेव तोते की यह सब बातें सुनकर।
फिर, तोते से बोले वे यों तुरंत अत्यधिक हर्षित होकर –
‘मैं प्रसन्न हूँ तुझसे पंछी, सुफल हुआ है तेरा जीवन।
माँग तुरंत वर कोई मुझसे, पूर्ण करूँगा मैं इस ही क्षण॥
तोता बोला- ‘देव, यही है अभिलाषा मेरे जीवन की।
हरा-भरा कर दें यह तरुवर, जो है शोभा सारे वन की॥
कहा इंद्र ने ‘एवमस्तु !’ और तरु ने फिर नवजीवन पाया।
शोभा नई, निराली सुंदरता लेकर वह फिर लहराया॥
प्राचीन – पुरानी
पुण्यभूमि – पवित्रभूमि
दिशि – दिशा
निर्जन – विरान
खोखला – पोला, कमजोर
अचरज – आश्चर्य
तरु – वृक्ष
मोदमयी – हँसी-मज़ाक करने वाला
एवमस्तु – ऐसा ही हो
निज – अपना स्वयं
कुरूप – बदसूरत
तजकर – त्याग करके
अभिलाषा – इच्छा
लखकर – देखकर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
(1) इंद्र कहाँ से गुजर रहे थे?
उत्तर – इंद्र काशी के निकट के निर्जन वन से गुजर रहे थे।
(2) इंद्र ने खोखले वृक्ष में क्या देखा?
उत्तर – इंद्र ने खोखले वृक्ष में एक अति सुंदर तोते को देखा।
(3) पेड़ क्यों सूख गया था?
उत्तर – एक दिन एक शिकारी ने विष का बाण उस पेड़ पर दाग दिया था जिस कारण से वह पेड़ प्रतिदिन सूख रहा था।
(4) पेड़ पर किसने आफ़त ढा दी थी?
उत्तर – पेड़ पर एक शिकारी ने विष का बाण दाग कर आफ़त ढा दी थी।
2. निम्नलिखित प्रश्न के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
(1) सूखे पेड़ पर तोते को देख इंद्र को क्यों आश्चर्य हुआ?
उत्तर – सूखे पेड़ पर तोते को देख इंद्र को आश्चर्य हुआ क्योंकि उस वन में बहुत सारे हरे-भरे पेड़ थे फिर भी उन पेड़ों को छोड़कर वह सुंदर तोता उस सूखे पेड़ के खोखले में अपना निवास स्थान बनाया हुआ था।
(2) तोते ने उस सूखे वृक्ष पर रहने का कारण क्या बतलाया? क्या आप उसे ठीक समझते हो?
उत्तर – तोते ने उस सूखे वृक्ष पर रहने का कारण यह बतलाया कि मेरा जन्म इसी पेड़ पर हुआ है। यह पेड़ पहले बहुत ही हरा-भरा और आकर्षक हुआ करता था। आज इस पेड़ की एक शिकारी की वजह से बुरी गति हो चुकी है। यह दिन-प्रतिदिन सूख रहा है लेकिन मैं इसका साथ नहीं छोड़ूँगा। मेरी समझ से तोते का उस सूखे पेड़ पर रहना बिलकुल उचित है।
(3) तोते के उत्तर का इंद्रदेव पर क्या प्रभाव पड़ा? और उसका फल क्या हुआ?
उत्तर – तोते के उत्तर से इंद्रदेव का मन हर्षित हो गया। उन्होंने तोते से कहा कि तुम्हारा जीवन सफल हो गया है। इंद्र देव ने तोते से मनचाहा वर माँगने को कहा जिसमें तोते ने पेड़ को फिर से हरा-भरा करने की इच्छा प्रकट की और इंद्र देव ने तत्काल प्रभाव से उस पेड़ को पहले जैसा हरा-भरा कर दिया।
3. निम्नलिखित प्रश्न के सविस्तार उत्तर लिखिए :-
(1) तोते ने उस पेड़ से अपने अत्यधिक लगाव के क्या-क्या कारण बतलाए हैं?
उत्तर – तोते ने उस पेड़ से अपने अत्यधिक लगाव के निम्नलिखित कारण बतलाए हैं, जैसे-
– तोते ने उसी पेड़ पर जन्म लिया था।
– पहले वह पेड़ अति सुंदर और हरा-भरा था।
– वह उस मोदमयी पेड़ की डालियों से खेला है।
– उस पेड़ ने ही उसे गाना, मुसकराना और उड़ना सिखलाया है।
– वह पेड़ उसके सुख-दुख का सच्चा साथी है।
(2) तोता और इंद्र का संवाद अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – इंद्र – तुम इस सूखे पेड़ के खोखले में क्यों रहते हो?
तोता – क्योंकि यह मेरा घर है।
इंद्र – यहाँ तो और भी हरे-भरे पेड़ है तुम उसमें जाकर क्यों नहीं रहते?
तोता – क्योंकि मेरा जन्म इसी पेड़ पर हुआ था।
इंद्र – तो क्या हुआ, अब तुम बड़े हो गए हो और घर बदल सकते हो।
तोता – महाराज, यह पेड़ भी पहले हरा-भरा और आकर्षक था।
इंद्र – फिर यह पेड़ सूख कैसे गया?
तोता – एक दिन एक शिकारी ने इस पर विष का बाण दाग दिया था इसलिए।
इंद्र – तो तुम इसके साथ अपनी ज़िंदगी क्यों खराब कर रहे हो?
तोता – क्योंकि यह पेड़ मेरे सुख-दुख का साथी रह चुका है, इसने मुझे गाना, मुसकाना और उड़ना सिखाया है। अब इसकी विपत्ति के समय में मैं इसे कैसे छोड़ सकता हूँ।
इंद्र – मुझे तुम्हारी बात बहुत अच्छी लगी। मैं प्रसन्न हूँ। बोलो तुम्हें क्या चाहिए?
तोता – मैं तो बस इतना ही चाहता हूँ कि यह पेड़ फिर से हरा-भरा और आकर्षक हो जाए।
इंद्र – एवमस्तु।
4. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए :-
विस्तृत – कुछ प्रश्नों के उत्तर विस्तृत रूप से ही देने होते हैं।
गौरवशाली – भारत का इतिहास गौरवशाली है।
मोदमयी – रचित स्वभाव से मोदमयी (हँसी-मज़ाक करने वाला) है।
एवमस्तु – बच्चे के डॉक्टर बनने की चाह पर अभिभावक ने एवमस्तु कहकर उसका हौसला बढ़ाया।
5. शब्दसमूह के लिए एक-एक शब्द लिखिए :-
(1) जहाँ मनुष्य न हो – निर्जन
(2) जिसमें बल न हो – निर्बल
(3) देवों के अधिपति – इंद्र
(4) भू के पति – भूपति
इस कथा – काव्य का कहानी में रूपांतर कीजिए।
उत्तर – एक बार की बात है देवों के अधिपति इंद्र काशी के निकट के एक निर्जन वन से कहीं जा रहे थे। उन्होंने जंगल में एक तोते को देखा जो अति सुंदर था और एक सूखी पेड़ के खोखले में रह रहा था। उसे देखकर इंद्र विस्मित हुए और उससे पूछने लगे कि इस वन में और भी कितने हरे-भरे आकर्षक पेड़ है, तुम उसमें अपना डेरा क्यों नहीं डालते? इस प्रश्न के उत्तर में तोते ने विनम्र भाव से कहा कि यह पेड़ मेरा जन्म स्थान है। इस पेड़ की मोदमायी डाली से मैं खेला करता था। इस पेड़ ने ही मुझे गाना, मुसकाना और उड़ना सिखलाया है। पर एक दिन एक शिकारी ने इस पर विष के बाण को दाग दिया और अब यह पेड़ दिन-प्रतिदिन सूखता ही जा रहा है। अब इसके दुख के क्षणों में इसे छोड़ कर जाना, मेरे मन को नहीं भाएगा। सच कहूँ तो इस पेड़ के साथ ही मैं भी अपने जीवन का अंत कर दूँगा। तोते की बातें सुनकर इंद्र देव अत्यधिक प्रसन्न हुए। उन्होंने तोते से कहा कि तुम्हारा जीवन सफल हो गया है। तुम मुझसे वर माँगों मैं उसे पूरा कर दूँगा। इस पर तोते ने इंद्र देव से कहा कि मैं तो केवल इतना ही चाहता हूँ कि यह पेड़ फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौट आए। इंद्र के प्रभाव से वह पेड़ तत्काल अपने हरे-भरे और आकर्षक रूप को पुनः प्राप्त कर लेता है और इस तरह से इस कहानी का सुखद और संदेशदायी अंत होता है।
- अन्य कथाकाव्य ढूँढ़कर छात्रों को सुनाइए।
उत्तर – शिक्षक इसे अपने स्तर पर करें।