(जन्म सन् 1926 ई., निधन सन् 1983 ई.)
नई कविता के इस प्रमुख कवि का जन्म बस्ती (उ.प्र.) में हुआ। आर्थिक अभावों से जूझते हुए इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एम.ए. किया। स्कूल में शिक्षक, क्लर्क की और आकाशवाणी में नौकरी की। बाद में ‘दिनमान’ के उपसम्पादक रहे।
इनकी कविताओं में आधुनिक जीवन की विडंबना, विषम स्थिति में भी व्यक्ति की जिजीविषा आदि का मार्मिक चित्रण मिलता है।’ जंगल का दर्द’ , ‘कुआनो नदी’ , ‘गर्म हवाएँ’ , ‘खूटियों पर टंगे लोग’ , ‘क्या कह कर पुकारूँ’ , ‘कोई मेरे साथ चले’ आदि इनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। इनकी रचनाएँ ‘तीसरा सप्तक’ में भी संकलित हैं। ‘बतूता का जूता बाल कविताओं का अनूठा संग्रह है। इन्होंने नाटक भी लिखे हैं।
प्रस्तुत कविता में कवि ने सौन्दर्य को वैयक्तिक रुचि से हटाकर संघर्षशीलता के साथ जोड़ दिया है।
भूख
जब भी भूख से लड़ने
कोई खड़ा हो जाता है
सुन्दर दीखने लगता है।
झपटता बाज,
फन उठाये साँप,
दो पैरों पर खड़ी
काँटों से नन्हीं पत्तियाँ खाती बकरी,
दबे पाँव झाड़ियों में चलता चीता,
डाल पर उल्टा लटक
फल कुतरता तोता,
या इन सबकी जगह
आदमी होता।
जब भी
भूख से लड़ने
कोई खड़ा हो जाता है
सुन्दर दीखने लगता है।
बाज़ – एक शिकारी पक्षी
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
(1) कवि ने प्राणियों में सौन्दर्य कब देखा है?
उत्तर – कवि ने प्राणियों में सौंदर्य उस समय देखा है जब वे अपनी पेट की भूख को शांत करने के लिए उद्यम करते हैं।
(2) कवि के अनुसार बकरी में सुन्दरता कब प्रकट होती है।
उत्तर – कवि के अनुसार बकरी में सुंदरता तब प्रकट होती है जब वह अपनी भूख को शांत करने के लिए कंटीली झाड़ियों से पत्ते खाने के लिए वह अपने दो पैरों पर खड़ी होकर पत्ते खाती है।
(3) कवि ने भूख की दशा को क्यों सुन्दर कहा है?
उत्तर – कवि ने भूख की दशा को सुन्दर कहा है क्योंकि भूख एक ऐसी स्थिति है जिसमें उद्यम की अनिवार्यता हमेशा से बनी हुई है और इसके लिए सभी प्राणियों को उद्यम करना ही पड़ता है। अपनी भूख शांत करने के लिए जब प्राणी उद्यम करते हैं तो यह दुनिया वास्तविक प्रतीत होती है।
2. निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए :-
जब भी
भूख से लड़ने
कोई खड़ा हो जाता है
सुन्दर दीखने लगता है
उत्तर – कवि का यह दृढ़ विश्वास है कि भूख से लड़ना इस चराचर जगत के सभी प्राणियों की मूलभूत आवश्यकता है। अपनी क्षुधा को शांत करने के लिए मनुष्य व मनुष्येत्तर प्राणी उद्यम करते हैं। उनके विविध उद्यमों से ही उनकी वास्तविक सुंदरता दिखने लगती है।
- इस कविता के साथ बच्चन जी की ‘बंगाल का अकाल’ कविता ढूँढ़कर पढ़िए।
उत्तर – शिक्षक छात्र को कविता उपलब्ध कराएँ।