(जन्म सन् 1922 निधन 2002 ई.)
श्री वसंत बापट ख्यातनाम कवि हैं आपका जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड नामक गाँव में हुआ था। पूणे आपकी कर्मभूमि है। राष्ट्र सेवा दल में आप अग्रणी रहे हैं। व्यवसाय से प्राध्यापक रहे। आपके काव्यों में राष्ट्रभक्ति, समाज जागरण एवं मानवीय संवेदनाएँ व्यक्त हुई हैं। सेतु, बिजली, सकीना, अकरावी (ग्यारहवीं) दिशा, तेजसी आपकी रचनाएँ हैं।
प्रस्तुत प्रार्थना में ‘सत्यं शिवं सुंदरम्’ की भावना के साथ दीन-दुखियों की रक्षा करना, मानवता की उपासना करना, भेदभावों को दूर करना, बैरभाव से मुक्त हो कर विश्वबन्धुत्व की स्थापना करना- जैसे वैश्विक मूल्यों को हस्तान्तरण करने की प्रेरणा देनेवाली यह प्रार्थना मराठी से अनुदित हैं।
आराधना
देहमंदिर, चित्तमंदिर एक ही है प्रार्थना।
सत्य-सुंदर मांगल्य की नित्य हो आराधना॥
दुखियारों का दुःख जाए है, यही मनकामना।
वेदना को परख पाने जगाएँ संवेदना॥
दुर्बलों के रक्षणार्थं पौरुष की साधना॥
जीवन में नवतेज हो, अंतरंग में भावना।
सुंदरता की आस हो मानवता की हो उपासना॥
शौर्य पावें, धैर्य पावें, यही है अभ्यर्थना॥
भेद सभी अस्त होवें वैर और वासना॥
मानवों की एकता की पूर्ण हो कल्पना।
मुक्त हम, चाहें एक ही बंधुता की कामना॥
प्रार्थना – निवेदन करना, भक्ति एवं श्रद्धापूर्वक ईश्वर से माँगना
मांगल्य – मंगलकारी
नित्य – निरंतर, प्रतिदिन, हर रोज
आराधना – पूजा
वेदना – कष्ट, व्यथा
परख – गुण-दोष को निश्चित करने की परीक्षा
संवेदना – अनुभूति, सहानुभूति
दुर्बल – कमज़ोर
साधना – उपासना, आराधना
अंतरंग – शरीर के भीतरी अंग (मन, मस्तक)
आस – आशा, भरोसा, सहारा, कामना
मानवता – मनुष्यता
आसना – आराधना, भक्ति
धैर्य – धीरता, धीरज, सब्र
अभ्यर्थना – अनुरोध, बिनती
अस्त – ओझल, अंत, नाश, समाप्त
बैर – दुश्मनी, शत्रुभाव
वासना – कामना
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :-
(1) कवि नित्य कैसी आराधना चाहते हैं?
उत्तर – कवि नित्य सत्य, सुंदर और मंगलकारी आराधना चाहते हैं।
(2) कवि किसकी मनोकामना चाहते हैं?
उत्तर – कवि दुखीजनों के दुख का अंत हो जाए इसी मनोकामना की पूर्ति चाहते हैं।
(3) कवि दुर्बलों के रक्षणार्थ किसकी साधना चाहते हैं?
उत्तर – कवि दुर्बलों के रक्षणार्थ पौरुष की साधना चाहते हैं।
(4) कवि किसकी अभ्यर्थना करते हैं?
उत्तर – कवि शौर्य प्राप्ति और धैर्य प्राप्ति की अभ्यर्थना करते हैं।
(5) कवि कैसी बंधुता की कामना करते हैं?
उत्तर – कवि सभी मानवों को एक ही बंधुता के रज्जु से बँधे होने की कामना करते हैं।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(1) कवि कैसे मांगल्य की आराधना करते हैं?
उत्तर – कवि एक ऐसे मांगल्य अर्थात् मंगलकारी कामना की आराधना करते हैं जो सत्यता और सुंदरता के अमूल्य गुणों से निर्मित हो।
(2) कवि के अनुसार किसके दुःख दूर होने चाहिए?
उत्तर – कवि के अनुसार संसार के समस्त दुखीजनों के दुःख दूर होने चाहिए।
(3) कवि की क्या अभ्यर्थना है?
उत्तर – कवि की अभ्यर्थना या परम पिता परमेश्वर से यह अनुरोध है कि समस्त जन शौर्य के अधिकारी और धैर्य के स्वामी बनें।
(4) कवि भेदों को नाश करने की बात क्यों करते हैं?
उत्तर – समाज में व्याप्त जातिगत भेद, वर्ण आधारित भेद, वर्ग आधारित भेद, पारस्परिक शत्रुता और वासना की भावना समाज को उन्नति के मार्ग पर चलने में अवरोधों की सृष्टि करती है इसलिए कवि ने इन भेदों को नाश करने की बात की है।
3. निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए :-
(1) देहमंदिर चित्तमंदिर एक ही है प्रार्थना।
सत्य सुंदर मांगल्य की नित्य हो आराधना॥
उत्तर – इन काव्य पंक्तियों का आशय यह है कि कवि यह प्रार्थना करते हैं कि हमारा शरीर रूपी मंदिर और मन रूपी मंदिर एक ही विनती कर रहा है कि इस संसार में प्रतिदिन सत्य, सुंदर और मंगलकारी कामनाओं की आराधना होती रहे जिससे यह संसार समृद्ध और सुखमय बन सके।
(2) भेद सभी अस्त होवें बैर और वासना
मानवों की एकता की पूर्ण हो कल्पना
मुक्त हमें चाहे एक ही बंधुता की कल्पना॥
उत्तर – इन काव्य पंक्तियों का आशय यह है कि कवि समाज की उन्नति चाहते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि समाज के विभेदक अवगुण जैसे- पारस्परिक शत्रुता, वासना, जाति, धर्म, वर्ण, वर्ग आधारित भेद भाव का समूल विनाश हो। सभी मानवजन बंधुता के एक ही सूत्र में बँधकर सामूहिक प्रयत्नों द्वारा समाज, देश और दुनिया का उद्धार करें।
4. काव्य पंक्तियों को पूर्ण कीजिए :-
(1) देहमंदिर चित्तमंदिर एक ही……
… ….. ….. ….. ….. ….. ……..
पौरुष की साधना॥
उत्तर – देहमंदिर, चित्तमंदिर एक ही है प्रार्थना।
सत्य- सुंदर मांगल्य की नित्य हो आराधना॥
दुखियारों का दुःख जाए है, यही मनकामना।
वेदना को परख पाने जगाएँ संवेदना॥
दुर्बलों के रक्षणार्थं पौरुष की साधना॥
(2) जीवन में नवतेज हो..
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बंधुता की कामना॥
उत्तर – जीवन में नवतेज हो, अंतरंग में भावना।
सुंदरता की आस हो मानवता की हो उपासना॥
शौर्य पावें, धैर्य पावें, यही है अभ्यर्थना॥
भेद सभी अस्त होवें वैर और वासना॥
मानवों की एकता की पूर्ण हो कल्पना।
मुक्त हम, चाहें एक ही बंधुता की कामना॥
5. विरोधी शब्द लिखिए :-
(1) दुःख – सुख
(2) जीवन – मरण, मृत्यु
(3) सत्य – असत्य
(4) सुंदर – असुंदर
(5) अस्त – उदय
पठित प्रार्थना गीत को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।
‘आराधना’ प्रार्थना गीत का समूहगान करवाइए।
उत्तर –शिक्षक इसे अपने स्तर पर करें।
अन्य भाषाओं के प्रार्थना गीतों का छात्रों से संकलन करवाइए।
उत्तर – शिक्षक इसे अपने स्तर पर करें।