छात्र कर्नाटक की वीर महिला चैन्नम्मा की देशभक्ति का परिचय प्राप्त करते हैं। अंग्रेज़ों की अनेक कोशिशों के बाद भी कित्तूर को चेन्नम्मा ने बचाया। लेकिन चेन्नम्मा के बंदी बन जाने के कारण कित्तूर अंग्रेज़ों के वश में गया। चेन्नम्मा जैसी वीर महिला के कारण कर्नाटक गर्व का अनुभव करता है।
वीरांगना चेन्नम्मा
18वीं शताब्दी में सत्तालोलुप अंग्रेज़ों को नाकों चने चबानेवाली सर्वप्रथम भारतीय वीरांगना चेन्नम्मा थी। चेन्नम्मा का जन्म काकतीय वंश में सन् 1778 में हुआ था। उनके पिता का नाम धूलप्पा देसाई और माता का नाम पद्मावती था। एक तो इकलौती, फिर रूपवती और स्वस्थ। चेन्नम्मा शब्द का अर्थ ही है सुन्दर महिला। उनकी शिक्षा-दीक्षा राजकुल के अनुरूप ही हुई। घुड़सवारी, शस्त्रास्त्रों का अभ्यास, आखेट आदि युद्ध कलाएँ उन्हें अपने वीर पिता से प्राप्त हुई। अपने जंगमगुरु के मार्गदर्शन में उन्होंने उर्दू, मराठी और संस्कृत भाषाओं का अध्ययन किया।
कित्तूर कर्नाटक राज्य के उत्तरी बेलगावी जिले में है। उन दिनों कित्तूर कर्नाटक राज्य के व्यापार का प्रसिद्ध केन्द्र भी था। देश-विदेश के व्यापारी वहाँ के बाज़ारों में हीरे-जवाहरातें खरीदने के लिए आया करते थे। ऐसे समृद्ध राज्य के प्रजावत्सल राजा मल्लसर्ज थे। चेन्नम्मा के माता-पिता ने बड़े हौसले से उनका विवाह राजा मल्लसर्ज के साथ कर दिया।
रानी चेन्नम्मा कित्तूरु के राजमहल में सुख से रहने लगी। उनकी कोख से एक पुत्र रत्न का जन्म हुआ, जिसका नाम था शिवबसवराज। लेकिन बचपन में ही उसकी मृत्यु हुई। राजा मल्लसर्ज की पहली पत्नी थी रुद्रम्मा। पूना के पटवर्दन ने मल्लसर्ज को चालाकी से बन्दी बना लिया। वहीं उनकी मृत्यु हो गई। मल्लसर्ज की मृत्यु के बाद चेन्नम्मा ने रुद्रम्मा के पुत्र शिवलिंग रुद्रसर्ज को गद्दी पर बिठाया। शिवलिंग रुद्रसर्ज ने चेन्नम्मा की सलाह को हवा में उड़ाकर चाटुकारों से गहरी मित्रता कर ली, जिससे कित्तूर का पतन शुरू हुआ।
राजा शिवलिंग रुद्रसर्ज की मृत्यु 11 सितंबर 1824 को हुई। इसे अंग्रेज़ों ने कित्तूरु राज्य को हड़पने का बड़ा अच्छा अवसर समझा। राजा निःसन्तान मरा था। उसने अपने एक संबधी गुरुलिंग मल्लसर्ज को गोद लिया था। लेकिन अंग्रेज़ गोद लिए पुत्र को उत्तराधिकारी नहीं मानते थे। उस समय डालहौसी गवरनर- जनरल थे। ऐसे अवसर पर रानी चेन्नम्मा ने कित्तूरु राज्य को सँभालकर रक्षा करने की कसम खाई।
कित्तूरु राज्य में अंग्रेज़ी सैनिकों के प्रवेश से रानी चेन्नम्मा का रक्त खौल उठा, लेकिन उस समय वे कुछ नहीं कर सकीं। अंग्रेज़ों से लोहा लेने के लिए उन्होंने भीतर ही भीतर तैयारी आरंभ कर दी। अंग्रेज़ी प्रतिनिधि थैकरे ने रानी चेन्नम्मा को भाँति-भाँति के सन्देश भेजे। मगर रानी अपनी स्वाधीनता का सौदा करने पर राज़ी न हुई। इसी समय थैकरे को कित्तूरु राज्य के येल्लप्पशेट्टी और वेंकटराव नामक देशद्रोही मिल गये। वे कित्तूरु का नमक खाकर कित्तूरु की जड़ खोदने में लगे हुए थे। थैकरे ने उन्हें कित्तूरु का आधा-आधा राज्य सौंप देने की लालच दिखाया। बदले में वे कित्तूरु के सभी भेद खोलने और भरसक सहायता करने को तैयार हो गये। दोनों ने कित्तूरु का शासनभार सँभालने का परवाना लेकर चेन्नम्मा को दिया। उसे पढ़ते ही चेन्नम्मा ने थैकरे का पत्र टुकड़े-टुकड़े करते हुए कहा “हमने गोद लेकर अंग्रेज़ों के विरुद्ध कोई षड्यंत्र नहीं रचा है। गोद लेना हमारा अधिकार है, इसे थैकरे नहीं रोक सकता। हमारे घरेलू मामलों में बोलनेवाला वह है ही कौन? कित्तूर स्वतंत्र राज्य है और तब तक रहेगा जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं।” यह फटकार सुनते ही दोनों देशद्रोही अपना – सा मुँह लेकर चले गये। कित्तूरु में गुरुसिद्धप्पा जैसे कुशल दीवान और बालण्णा, रायण्णा, गजवीर और चेन्नबसप्पा जैसे वीर योद्धा भी थे, जिनके रहते कित्तूरु के लिए कोई खतरा न था।
कित्तूरु की जनता अंग्रेज़ों की चाल से भली-भाँति परिचित थी। थैकरे स्वयं बड़ी सेना लेकर कित्तूरु आ पहुँचा। किंतु रानी उससे नहीं डरीं। थैकरे ने 500 सिपाहियों के साथ कित्तूरु के किले पर चढ़ाई करने की आज्ञा दे दी। रानी ने वीर सैनिकों को युद्ध के लिए ललकारते हुए कहा – “मातृभूमि के सपूतो! अपने प्राणों की बाजी लगाकर हम अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हैं। अंग्रेज़ इसे हमसे बलपूर्वक छीनना चाहते हैं, लेकिन इसे हम कैसे छोड़ सकते हैं? यह हमें अपने पूर्वजों से मिली है।”
उधर थैकरे ने घमकी दी कि, “बीस मिनट में आत्मसमर्पण कर दिया जाए, नहीं तो किला तहस-नहस कर दिया जाएगा।” कुछ समय बाद मर्दानी वेश में रानी चेन्नम्मा शेरनी की भाँति अंग्रेज़ों की सेना पर टूट पड़ी। उनके पीछे दो हज़ार योद्धा थे। भयानक युद्ध हुआ। अंग्रेज़ों की सेना इस प्रवाह को सह न सकी। वह भाग खड़ी हुई और थैकरे मारा गया। देशद्रोहियों का काम तमाम कर दिया गया। बंदी गोरे अंग्रेज़ अफसरों के साथ उदारता का व्यवहार किया गया और उन्हें छोड़ दिया गया। लेकिन यह विजय बहुत दिनों तक न रही।
कुछ ही समय के बाद अंग्रेज़ों ने कित्तूरु राज्य पर फिर आक्रमण किया। अब अंग्रेज़ी सेना अधिक थी। लेकिन कित्तूरु के वीर सैनिकों के सम्मुख उसे दुबारा हार माननी पड़ी। फिर एक बार अंग्रेज़ों ने सारी शक्ति लगाकर घेरा डाला। इस युद्ध में रणचण्डी चेन्नम्मा बंदी बना ली गईं। अंग्रेज़ों ने कित्तूरु को लूटा। वहाँ कुछ भी न बचा। चेन्नम्मा को बैलहोंगला के दुर्ग में कारागार में डाल दिया गया। बंदीगृह में ही 2 फरवरी 1829 को चेन्नम्मा की जीवन ज्योति सदा के लिए बुझ गई।
यह कर्नाटक जनता के लिए गर्व की बात है कि कर्नाटक की वीरांगना चेन्नम्मा ने पहली बार स्वतंत्रता की जो चिनगारी डाली थी, बाद में वह सारे भारत में फैल गई।
शब्दार्थ :
सत्ता – अधिकार
लोलुप – लोभी, लालची
इकलौती – एकमात्र
आखेट – शिकार
जवाहरात – रत्न, मणि आदि
हौसला – उत्साह, साहस
कोख – गर्भ
पटवर्दन – एक राजा का नाम
गद्दी – सिंहासन
चाटुकार – झूठी प्रशंसा करनेवाले
पतन – विनाश
हड़पना – छीन लेना, अनुचित रूप से ले लेना
अवसर – मौका
गोद लेना – दत्तक रूप में स्वीकारना
सौदा करना – लेन-देन का व्यापार
जड़ खोदना – हानि पहुँचाना
सौंपना – वश में देना
भेद – रहस्य
भरसक – लगातार, निरंतर
परवाना – आज्ञा पत्र
फटकार – डाँट
खतरा – संकट, विपत्ति
चाल – आचरण, चलन
ललकारना- युद्ध के लिए आह्वान
सपूत – सुपुत्र
धमकी देना – भय दिखाना
तहस-नहस करना – चूर चूर करना
मर्दानी वेश – पुरुष वेश
योद्धा – सैनिक
सम्मुख – सामने
दुबारा – दूसरी बार
चिनगारी – आग का कण
मुहावरे :-
- नाकों चने चबाना – बहुत ही हैरान करना
- रक्त खौलना – अत्यधिक क्रोधित होना
- लोहा लेना – बदला लेना
- अपना सा मुँह लेकर चले जाना – अपमानित हो जाना
- प्राणों की बाजी लगाना – जान पर खेलना
- टूट पड़ना – आक्रमण करना
- काम तमाम करना – खत्म करना, मार डालना
- जीवन ज्योति बुझ जाना – देहांत होना, मर जाना
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- चेन्नम्मा का जन्म किस वंश में हुआ था?
उत्तर – चेन्नम्मा का जन्म काकतीय वंश में सन् 1778 में हुआ था।
- चेन्नम्मा शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर – चेन्नम्मा शब्द का अर्थ है – सुन्दर महिला।
- कित्तूर कहाँ है?
उत्तर – कित्तूर कर्नाटक राज्य के उत्तरी बेलगावी जिले में है।
- चेन्नम्मा का विवाह किसके साथ हुआ?
उत्तर – चेन्नम्मा का विवाह कित्तूर के प्रजावत्सल राजा मल्लसर्ज के साथ हुआ था।
- शिवलिंग रुद्रसर्ज ने किसको गोद लिया था?
उत्तर – शिवलिंग रुद्रसर्ज ने गुरुलिंग मल्लसर्ज को गोद लिया था।
- चेन्नम्मा को अंग्रेज़ों ने कहाँ बंदी बनाया था?
उत्तर – चेन्नम्मा को बैलहोंगला के दुर्ग में बंदी बनाया था।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- चेन्नम्मा के माता और पिता का नाम लिखिए।
उत्तर – चेन्नम्मा के पिता का नाम धूलप्पा देसाई और माता का नाम पद्मावती था।
- चेन्नम्मा को उनके पिता से कौन-सी कलाएँ प्राप्त हुई थीं?
उत्तर – चेन्नम्मा को अपने वीर पिता से घुड़सवारी, शस्त्रास्त्रों का अभ्यास, आखेट, युद्ध कलाएँ प्राप्त हुई थीं।
- कित्तूर राज्य की समृद्धि के बारे में लिखिए।
उत्तर – उन दिनों कित्तूर का शासन प्रजावत्सल राजा मल्लसर्ज संभालते थे। उनके शासन में कित्तूर कर्नाटक राज्य के व्यापार का प्रसिद्ध केन्द्र था। देश-विदेश के व्यापारी यहाँ के बाज़ारों में हीरे-जवाहरातें खरीदने के लिए आया करते थे।
- कित्तूर का पतन शुरू होने का कारण क्या था?
उत्तर – राजा मल्लसर्ज की मृत्यु के बाद उनके पुत्र शिवलिंग रुद्रसर्ज को गद्दी पर बिठाया गया। पर वह महारानी चेन्नम्मा की सलाह को हवा में उड़ाकर चाटुकारों से गहरी मित्रता कर बैठा था। इसी समय से कित्तूर का पतन शुरू हुआ।
- येल्लप्पशेट्टी और वेंकटराव कित्तूर के भेद खोलने क्यों तैयार हो गये?
उत्तर – येल्लप्पशेट्टी और वेंकटराव कित्तूर के भेद खोलने के लिए तैयार हो गये क्योंकि थैकरे ने उन्हें कित्तूरु का आधा-आधा राज्य सौंप देने का लालच दिखाया था।
- कर्नाटक की जनता के लिए गर्व की बात क्या है?
उत्तर – कर्नाटक की जनता के लिए यह गर्व की बात है कि कर्नाटक की वीरांगना चेन्नम्मा ने पहली बार स्वतंत्रता की जो चिंगारी डाली थी, बाद में वह पूरे भारत में फैल गई।
III. इन शब्दों का विलोम शब्द पाठ में से ढूँढ़कर लिखिए :-
- अस्वस्थ X स्वस्थ
- कुरूप X रूपवान
- देश X परदेश
- शत्रुता X मित्रता
- बाहर X भीतर
- देशभक्त X देशद्रोही
- कायर X वीर
- पराजय X विजय
IV. अन्य लिंग शब्द लिखिए :-
- पिता – माता
- रानी – राजा
- पुत्री – पुत्र
- बाप – माँ
- दादा – दादी
- शेरनी – शेर
V. जोड़ी मिलाइए :-
- चेन्नम्मा का जन्म 1. सन् 1829
- चेन्नम्मा की कोख से जन्मा पुत्र 2. गवरनर-जनरल
- शिवलिंग रुद्रसर्ज की मृत्यु 3. सन् 1778
- डालहौसी 4. सन् 1824
- चेन्नम्मा की जीवन ज्योति बुझी 5. शिवबसवराज
उत्तर –
- चेन्नम्मा का जन्म 3. सन् 1778
- चेन्नम्मा की कोख से जन्मा पुत्र 5. शिवबसवराज
- शिवलिंग रुद्रसर्ज की मृत्यु 4. सन् 1824
- डालहौसी 2. गवरनर-जनरल
- चेन्नम्मा की जीवन ज्योति बुझी 1. सन् 1829
VI. अनेक शब्द के लिए एक शब्द लिखिए:-
जैसे : एक से ज़्यादा भाषा जाननेवाला – बहुभाषी
- सामान खरीदना एवं बेचना – क्रय-विक्रय
- झूठी प्रशंसा करनेवाले – चाटुकार
- जिनका कोई संतान न हो – नि:संतान
- देश के प्रति द्रोह करनेवाला – देशद्रोही
- जो परिचित न हो – अपरिचित
- स्वयं को समर्पित करना – आत्मसमर्पण
VII. पुराने समय में युद्ध करने के लिए तलवार, भाले, तीर-कमान आदि शस्त्रास्त्रों का उपयोग होता था।
अब आप तीन वाक्यों में लिखिए कि अगर आजकल युद्ध होता है तो किस प्रकार की चीज़ों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर – आजकल के युद्धों में उन्नत तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसमें ड्रोन, मिसाइलें और साइबर हमले प्रमुख हैं। सेना आधुनिक टैंकों, स्टील्थ विमानों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित रक्षा प्रणालियों का सहारा लेती है। साथ ही, संचार और निगरानी के लिए सैटेलाइट और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीकों का व्यापक उपयोग किया जाता है।
VIII. कित्तूर रानी चेन्नम्मा के जो भी संवाद इस पाठ में आये हैं, उनका अभिनय कक्षा में करके दिखाइए।
उत्तर – छात्र इसे शिक्षक के दिशानिर्देश में पूरा करेंगे।
IX. कन्नड में अनुवाद कीजिए :-
- कित्तूर कर्नाटक राज्य के उत्तरी बेलगावी जिले में है।
उत्तर – ಕಿತ್ತೂರು ಕರ್ನಾಟಕ ರಾಜ್ಯದ ಉತ್ತರ ಬೆಳಗಾವಿ ಜಿಲ್ಲೆಯಲ್ಲಿ ಇದೆ.
- अंग्रेज़ गोद लिये पुत्र को उत्तराधिकारी नहीं मानते थे।
उत्तर – ಆಂಗ್ಲರು ದತ್ತಕ ಪುತ್ರನನ್ನು ಉತ್ತರಾಧಿಕಾರಿಯಾಗಿ ಒಪ್ಪಿಕೊಳ್ಳುತ್ತಿರಲಿಲ್ಲ.
- चेन्नम्मा ने भीतर ही भीतर तैयारी आरंभ कर दी।
उत्तर – ಚೆನ್ನಮ್ಮ ಒಳಗೇ ಒಳಗೆ ತಯಾರಿ ಪ್ರಾರಂಭಿಸಿದರು.
- कित्तूर स्वतंत्र राज्य है।
उत्तर – ಕಿತ್ತೂರು ಸ್ವತಂತ್ರ ರಾಜ್ಯವಾಗಿದೆ.
- चेन्नम्मा के पीछे दो हज़ार योद्धा थे।
उत्तर – ಚೆನ್ನಮ್ಮ ಅವರ ಹಿಂದೆ ಎರಡು ಸಾವಿರ ಯೋಧರು ಇದ್ದರು.
- अंग्रेज़ों को दुबारा हार माननी पड़ी।
उत्तर – ಆಂಗ್ಲರು ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ಸೋಲನ್ನು ಒಪ್ಪಿಕೊಳ್ಳಬೇಕಾಯಿತು.
X. वीरांगना चेन्नम्मा जैसी अनेक महिलाओं का जन्म भारत देश में हुआ था। ‘ओनके (मूसल) ओबव्वा’ कर्नाटक की ही थी। उनकी कहानी पढ़कर कक्षा में सुनाइए और दोनों महिलाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर – ओनके ओबव्वा 18वीं शताब्दी की एक वीर महिला थीं, जिन्होंने अकेले ही हैदर अली की सेना के कई सैनिकों को मार गिराया था। वे कर्नाटक के चित्रदुर्ग किले की सुरक्षा से जुड़ी हुई थीं।
ओनके ओबव्वा की वीरता
जब हैदर अली की सेना चित्रदुर्ग किले पर आक्रमण कर रही थी, तो उन्होंने एक संकरी गुफा (गुप्त प्रवेश मार्ग) से सैनिकों को अंदर घुसाने की योजना बनाई। ओबव्वा ने यह देख लिया और अपनी ओनके (मूसल – अनाज कूटने का भारी लकड़ी का हथियार) से एक-एक कर अंदर घुसते दुश्मनों को मार गिराया। उनकी वीरता की बदौलत उस समय किले को बचाया जा सका।
कन्नड़ संस्कृति में ओबव्वा का महत्त्व
आज भी कर्नाटक में ओनके ओबव्वा को बहादुरी और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक माना जाता है। चित्रदुर्ग में उनकी स्मृति में एक स्मारक बनाया गया है और उनका नाम वीरता की मिसाल के रूप में लिया जाता है।
XI. इस पाठ में आये हुए सभी पात्रों की सूची बनाइए और उनके बारे में एक-एक वाक्य लिखिए :-
जैसे : 1. चेन्नम्मा – कर्नाटक की एक वीरांगना थी।
- धूलप्पा देसाई – चेन्नम्मा के वीर पिता
- गुरुसिद्धप्पा – कुशल दीवान और जैसे वीर योद्धा
- बालण्णा – वीर योद्धा
- रायण्णा – वीर योद्धा
- गजवीर – वीर योद्धा
- चेन्नबसप्पा – वीर योद्धा
- येल्लप्पशेट्टी – कित्तूरु राज्य का देशद्रोही
- वेंकटराव – कित्तूरु राज्य का देशद्रोही
XII. भारत देश को अंग्रेज़ों से बचाने के लिए जिन देशभक्तों ने दिन-रात परिश्रम किया, उनका चित्र इकट्ठा कीजिए और उनके बारे में दो-तीन वाक्य लिखिए।
उत्तर – भारत को अंग्रेज़ों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए कई देशभक्तों ने अपने जीवन की आहुति दी और दिन-रात परिश्रम किया।
महात्मा गांधी ने सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से अंग्रेज़ों के विरुद्ध आंदोलन चलाया, जिससे लाखों भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए।
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों ने अपने साहस और बलिदान से ब्रिटिश शासन को चुनौती दी।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” का नारा देकर आज़ाद हिंद फौज का गठन किया और सशस्त्र संघर्ष किया।
रानी लक्ष्मीबाई, मंगल पांडे और तात्या टोपे जैसे वीरों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ युद्ध कर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। ऐसे ही असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान के कारण 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
XIII. अनुरूपता :-
- चेन्नम्मा के पिता : धूलप्पा देसाई :: चेन्नम्मा की माता : पद्मावती
- चेन्नम्मा के पति : मल्लसर्ज :: चेन्नम्मा का पुत्र : शिवबसवराज
- गुरुसिद्दप्पा : कुशल दीवान :: चेन्नबसप्पा : वीर योद्धा
- 1778 : चेन्नम्मा का जन्म :: 1829 : चेन्नम्मा की मृत्यु
अध्यापन संकेत :-
* कक्षा में देशभक्तों के संबंध में आशुभाषण स्पर्धा का आयोजन करें।
उत्तर – देशभक्तों के संबंध में आशुभाषण
नमस्कार,
आज मैं उन महान देशभक्तों के बारे में कुछ शब्द कहना चाहता/चाहती हूँ, जिन्होंने अपने जीवन को देश के लिए समर्पित कर दिया। भारत की स्वतंत्रता कोई आसान उपलब्धि नहीं थी। यह उन वीर सेनानियों के बलिदान और संघर्ष का परिणाम है, जिन्होंने अंग्रेज़ों के अत्याचारों का डटकर सामना किया।
महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर आज़ादी की लड़ाई लड़ी, जबकि भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने क्रांतिकारी आंदोलन चलाकर अंग्रेज़ों को हिलाकर रख दिया। रानी लक्ष्मीबाई, मंगल पांडे और तात्या टोपे जैसे वीरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर मातृभूमि की रक्षा की।
आज हम स्वतंत्र भारत में साँस ले रहे हैं, तो इसका श्रेय इन वीरों को जाता है। हमें भी इनसे प्रेरणा लेकर देश के विकास और सम्मान के लिए कार्य करना चाहिए। यही सच्ची देशभक्ति होगी।
“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।”
धन्यवाद! जय हिंद!
* देश-विदेश की वीर महिलाओं की साहस गाथा कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर – इतिहास वीर महिलाओं की अदम्य साहस और त्याग की गाथाओं से भरा पड़ा है। चाहे भारत हो या विश्व के अन्य देश, महिलाओं ने हमेशा अपनी वीरता से समाज और राष्ट्र की रक्षा की है।
भारत की वीर महिलाएँ –
रानी लक्ष्मीबाई (भारत) – झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में वीरता से अंग्रेजों से लोहा लिया और अपने अंतिम समय तक मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ीं।
कित्तूर की रानी चेन्नम्मा (भारत) – उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह किया और अपने राज्य की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।
कनकलता बरुआ (भारत) – असम की इस बहादुर युवती ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और तिरंगा फहराने के प्रयास में शहीद हो गईं।
कलपना चावला (भारत-अमेरिका) – अंतरिक्ष में जाने वाली भारत की पहली महिला बनीं और विज्ञान के क्षेत्र में योगदान दिया।
विदेश की वीर महिलाएँ:
जोन ऑफ आर्क (फ्रांस) – फ्रांस की इस योद्धा ने मात्र 17 साल की उम्र में अपनी सेना का नेतृत्व किया और देश की रक्षा के लिए वीरतापूर्वक लड़ीं।
रोजा पार्क्स (अमेरिका) – नस्लभेद के खिलाफ आवाज़ उठाकर अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन का नेतृत्व किया।
मदर टेरेसा (अल्बानिया-भारत) – परोपकार और मानव सेवा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया और भारत में गरीबों की सेवा की।
मलाला यूसुफजई (पाकिस्तान) – बालिका शिक्षा के लिए संघर्ष किया और आतंकवादियों के हमले के बावजूद अपनी आवाज़ बुलंद रखी।
ये सभी महिलाएँ साहस, संकल्प और निडरता की प्रतीक हैं। हमें इनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन में भी आत्मनिर्भरता और संघर्ष का जज़्बा बनाए रखना चाहिए।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
प्रश्न-उत्तर (एक वाक्य में)
प्रश्न: रानी चेन्नम्मा का जन्म कब और किस वंश में हुआ था?
उत्तर: रानी चेन्नम्मा का जन्म 1778 में काकतीय वंश में हुआ था।
प्रश्न: रानी चेन्नम्मा के माता-पिता का क्या नाम था?
उत्तर: उनके पिता का नाम धूलप्पा देसाई और माता का नाम पद्मावती था।
प्रश्न: रानी चेन्नम्मा ने किन युद्ध कलाओं का अभ्यास किया था?
उत्तर: उन्होंने घुड़सवारी, शस्त्रास्त्रों का अभ्यास और आखेट सीखा था।
प्रश्न: कित्तूरु राज्य का राजा कौन था जिससे रानी चेन्नम्मा का विवाह हुआ?
उत्तर: रानी चेन्नम्मा का विवाह राजा मल्लसर्ज से हुआ था।
प्रश्न: अंग्रेज़ों ने कित्तूरु राज्य को हड़पने के लिए कौन सा बहाना बनाया?
उत्तर: अंग्रेज़ों ने यह तर्क दिया कि राजा शिवलिंग रुद्रसर्ज निःसंतान मरे थे, इसलिए राज्य अंग्रेज़ों के अधीन होगा।
प्रश्न: रानी चेन्नम्मा ने किस अंग्रेज़ अधिकारी को युद्ध में हराया?
उत्तर: उन्होंने अंग्रेज़ अधिकारी थैकरे को युद्ध में हराकर मार दिया।
प्रश्न: किस युद्ध में रानी चेन्नम्मा को बंदी बना लिया गया?
उत्तर: तीसरे अंग्रेज़ी आक्रमण के दौरान उन्हें बंदी बना लिया गया।
प्रश्न: रानी चेन्नम्मा की मृत्यु कब और कहाँ हुई?
उत्तर: उनकी मृत्यु 2 फरवरी 1829 को बैलहोंगला के कारागार में हुई।
प्रश्न-उत्तर (दो से तीन वाक्यों में)
प्रश्न: रानी चेन्नम्मा ने कित्तूरु राज्य की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए?
उत्तर: रानी चेन्नम्मा ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध युद्ध की पूरी तैयारी की और अपने वीर सैनिकों को संगठित किया। उन्होंने अंग्रेज़ अधिकारी थैकरे को हराकर उसकी सेना को पराजित कर दिया। हालांकि, बाद में अंग्रेज़ों ने अधिक शक्तिशाली सेना भेजकर कित्तूरु पर अधिकार कर लिया।
प्रश्न: अंग्रेज़ों ने कित्तूरु को हड़पने के लिए क्या चाल चली?
उत्तर: अंग्रेज़ों ने दावा किया कि राजा शिवलिंग रुद्रसर्ज निःसंतान मरे थे, इसलिए कित्तूरु राज्य अंग्रेज़ों के अधीन होगा। उन्होंने देशद्रोही येल्लप्पशेट्टी और वेंकटराव को अपनी तरफ कर लिया और उन्हें आधा राज्य देने का लालच दिया। लेकिन रानी चेन्नम्मा ने अंग्रेज़ों की इस चाल को नाकाम कर दिया और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
प्रश्न: रानी चेन्नम्मा को किस तरह से गिरफ्तार किया गया और उनका क्या हुआ?
उत्तर: अंग्रेज़ों ने कित्तूरु राज्य पर तीन बार आक्रमण किया, जिसमें पहले दो बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन तीसरी बार उन्होंने बड़ी सेना के साथ हमला कर रानी चेन्नम्मा को बंदी बना लिया। अंततः उन्हें बैलहोंगला के किले में कैद कर दिया गया, जहाँ 2 फरवरी 1829 को उनकी मृत्यु हो गई।
प्रश्न: रानी चेन्नम्मा को भारतीय इतिहास में क्यों याद किया जाता है?
उत्तर: रानी चेन्नम्मा को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली वीरांगना माना जाता है, जिन्होंने अंग्रेज़ों के विरुद्ध सबसे पहले संगठित युद्ध किया। उन्होंने न केवल अपने राज्य की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया, बल्कि अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को भी प्रेरणा दी। उनका साहस और बलिदान कर्नाटक और संपूर्ण भारत के लिए गौरव की बात है।