Telangana, Class IX, Sugandha -01, Hindi Text Book, Ch. 04, Prakriti Ki Seekh, Sohanlal Dwiwedi, The Best Solutions, प्रकृति की सीख  

प्रश्न

  1. चित्र में क्या दिखा दे रहा है?

उत्तर – चित्र में एक विशाल समुद्र, एक नौका और दो नाविक दिखाई दे रहे हैं।

  1. वे क्या कर रहे हैं?

उत्तर – चित्र में दो नाविक मछलियाँ पकड़ने के लिए जाल फेंक रहे हैं।

  1. इनसे क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर – इनसे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जीवन में संघर्ष करना ही पड़ता है और हमें अपने जीवन में आने वाले संघर्षों का सामना डट कर करना चाहिए।

उद्देश्य

प्रेरणाप्रद कविताओं का संकलन कर उनका पठन करना, भाव समझना प्रकृति के कण-कण में कुछ न कुछ संदेश छिपा होता है। ये पर्वत, नदियाँ, झरने, पेड़ आदि हमसे कुछ कहते हैं। इनके संदेशों से हम जीवन सफल बना सकते हैं।

कवि परिचय – सोहनलाल द्विवेदी

गांधीवादी रचनाओं के कवि माने जाने वाले सोहनलाल द्विवेदी का जन्म सन् 1906 में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- भैरवी, पूजागीत, सेवाग्राम, प्रभाती, युगाधार, कुणाल, चेतना, बाँसुरी तथा बच्चों के लिए दूध बतासा आदि। इनकी रचनाएँ राष्ट्रीयता और मानवता की परिचायक हैं। भारत सरकार ने सन् 1969 में इन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया। इनका निधन सन् 1988 में हुआ।

प्रकृति की सीख

पर्वत कहता शीश उठाकर

तुम भी ऊँचे बन जाओ।

सागर कहता है लहराकर,

मन में गहराई लाओ॥

समझ रहे हो क्या कहती है,

उठ उठ गिर कर तरल तरंग।

भर लो, भर लो अपने मन में,

मीठे-मीठे मृदुल उमंग॥

पृथ्वी कहती, धैर्य न छोड़ो,

कितना ही हो सिर पर भार।

नभ कहता है, फैलो इतना,

ढक लो तुम सारा संसार॥

शब्द (हिंदी)

अर्थ (हिंदी)

तेलुगु

अर्थ (इंग्लिश)

पर्वत

बड़ा पहाड़

పర్వతం

Mountain

शीश

सिर

తల

Head

ऊँचे

महान, उच्च

ఎత్తైన

High, Great

सागर

समुद्र

సముద్రం

Ocean

लहराकर

हिलते हुए

అలలు

Waving

गहराई

गंभीरता

లోతు

Depth

तरंग

लहर

తరంగం

Wave

मन

हृदय, चित्त

మనస్సు

Mind

मिठास

मधुरता

తీపి

Sweetness

मृदुल

कोमल, नरम

మృదువైన

Soft, Gentle

उमंग

उत्साह

ఉల్లాసం

Enthusiasm

पृथ्वी

धरती

భూమి

Earth

धैर्य

सहनशीलता

సహనం

Patience

भार

वजन

బరువు

Weight

नभ

आकाश

ఆకాశం

Sky

फैलो

विस्तृत हो जाओ

వ్యాపించు

Spread

संसार

दुनिया

ప్రపంచం

World

सीख

शिक्षा

బోధ

Lesson

लहर

जल की तरंग

అల

Wave

तरल

द्रव अवस्था

ద్రవం

Liquid

हृदय

दिल

గుండె

Heart

स्वाभाविक

प्राकृतिक

సహజమైన

Natural

प्रेरणा

उत्साह बढ़ाना

ప్రేరణ

Inspiration

संदेश

सूचना

సందేశం

Message

स्थिर

अडिग

స్థిరమైన

Stable

कर्मशील

परिश्रमी

కృషి చేసే

Hardworking

प्रकृति की सीख – पाठ का सार

इस कविता में प्रकृति के विभिन्न तत्त्वों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण जीवन शिक्षाएँ दी गई हैं। पर्वत हमें ऊँचा उठकर महान बनने की प्रेरणा देता है, जबकि सागर अपने लहराने से हमें गहराई और गंभीरता का संदेश देता है। तरंगें गिरकर भी बार-बार उठती हैं, जिससे हमें संघर्षों के बावजूद आगे बढ़ने की सीख मिलती है। पृथ्वी हमें धैर्य और सहनशीलता बनाए रखने का संदेश देती है, चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों। आकाश हमें विस्तार और उदारता की प्रेरणा देता है, जिससे हम पूरे संसार को अपने प्रेम और ज्ञान से ढक सकें। इस प्रकार, यह कविता हमें प्रकृति से प्रेरणा लेकर जीवन में ऊँचाई, गहराई, धैर्य, उत्साह और विस्तार की भावना अपनाने की सीख देती है।

अर्थग्राहयता-प्रतिक्रिया

(अ) प्रश्नों के उत्तर बताइए।

  1. नदियाँ खेती के लिए किस प्रकार उपयोगी हैं?

उत्तर – नदियाँ प्यास बुझाने के लिए और खेतों की सिंचाई के लिए जल प्रदान करती हैं, जिससे खेतों में फसलें लहलहाती हैं और कृषि उत्पादन बढ़ता है।

  1. ऋतुओं के नियंत्रण में पर्वत कैसे सहायक होते हैं?

उत्तर – पर्वत मौसम को संतुलित रखते हैं, बादलों को रोककर वर्षा कराते हैं और ठंडी हवाओं को नियंत्रित करते हैं, जिससे ऋतुओं का संतुलन बना रहता है।

(आ) कविता के आधार पर उचित क्रम दीजिए।

  1. सागर कहता है लहरा कर।

उत्तर – (1)

  1. पर्वत कहता है शीश उठाकर।

उत्तर – (3)

  1. मन में गहराई लाओ।

उत्तर – (2)

  1. तुम भी ऊँचे बन जाओ।

उत्तर – (4)

 

(इ) स्तंभ को स्तंभ से जोड़िए और उसका भाव बताइए।

क    ख

पर्वत – धैर्य न छोड़ो – उदाः धैर्यवान बनना।

सागर – ढक लो तुम सारा संसार –

तरंग – गहराई लाओ

पृथ्वी – हृदय में उमंग भर लो

नभ – ऊँचे बन जाओ

उत्तर –

पर्वत – ऊँचे बन जाओ – ऊँचा स्थान प्राप्त करना

सागर – गहराई लाओ – विचारों की गहराई

तरंग – हृदय में उमंग भर लो – हमेशा उत्साहित रहो

पृथ्वी – धैर्य न छोड़ो – धीरज धारण करो

नभ – ढक लो तुम सारा संसार – अपना व्यतित्व प्रभाशाली बनाना

 

(ई) पद्यांश पढ़िए। अब इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

भई सूरज –

ज़रा इस आदमी को जगाओ।

भई पवन,

ज़रा इस आदमी को हिलाओ।

यह आदमी जो सोया पड़ा है

जो सच से बेखबर

सपनों में खोया पड़ा है

भई पंछी इनके कानों पर चिल्लाओ

भई सूरज

जरा इस आदमी को जगाओ।

प्रश्न

  1. सूरज के बारे में आप क्या जानते हैं?

उत्तर – सूरज पृथ्वी का प्रमुख ऊर्जा स्रोत है, जो प्रकाश और ऊष्मा प्रदान करता है। यह दिन और रात का निर्धारण करता है और पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाता है। इसी कारण से कवि यह कहना चाहते हैं कि सूर्य अपनी ऊर्जा से मानवों में स्फूर्ति का संचार करो ताकि वे कर्मशील बन सकें।

  1. कवि ने सूरज, पंछी, हवा से क्या कहा?

उत्तर – कवि ने सूरज, पंछी और हवा से आग्रह किया कि वे उन सभी व्यक्तियों को जगाएँ, जो सच से अनजान होकर सपनों में खोया हुआ है। कवि चाहते हैं कि यह व्यक्ति वास्तविकता को पहचाने, सचेत हो जाए और कर्म करें।

  1. वास्तव में जगने का क्या तात्पर्य है?

उत्तर – वास्तव में जगने का तात्पर्य केवल शारीरिक रूप से जागना नहीं, बल्कि मानसिक और बौद्धिक रूप से भी सचेत होना है। इसका अर्थ है, व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों और सच्चाई को समझकर सही दिशा में कार्य करना और अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

(अ) प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

  1. पर्वत सिर उठाकर जीने के लिए क्यों कह रहा होगा?

उत्तर – पर्वत हमें आत्मसम्मान और आत्मविश्वास के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है, जिससे हम जीवन में ऊँचाइयों तक पहुँच सकें। इसलिए पर्वत सिर उठाकर जीने के लिए कह रहा होगा।

  1. हमें विपत्तियों का सामना कैसे करना चाहिए?

उत्तर – हमें विपत्तियों का सामना धैर्य, साहस और आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे पृथ्वी भारी भार सहन करने के बावजूद स्थिर रहती है।

  1. प्रकृति के अन्य तत्त्व जैसे:- नदियाँ, सूरज, पेड़ आदि हमें क्या सीख देते हैं?

उत्तर – नदियाँ निरंतर आगे बढ़ने की सीख देती हैं, सूरज उजाला फैलाने और कर्मशील रहने की प्रेरणा देता है और पेड़ दूसरों के लिए उपयोगी बनने का संदेश देते हैं अर्थात् प्रकृति के ये सारे उपादान अपना श्रेष्ठ कार्य निरंतर करते रहते हैं। 

(आ) कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – यह कविता प्रकृति के विभिन्न तत्त्वों से प्रेरणा लेने का संदेश देती है। पर्वत हमें ऊँचे लक्ष्य बनाने और आत्मसम्मान से जीने की प्रेरणा देता है, सागर गहराई से सोचने और धैर्य बनाए रखने की सीख देता है। पृथ्वी सहनशीलता और धैर्य का प्रतीक है, जबकि आकाश हमें अपने विचारों और क्षमताओं का विस्तार करने की प्रेरणा देता है। यह कविता हमें विपत्तियों का सामना करने और सकारात्मक सोच अपनाने की शिक्षा देती है।

(इ) कविता के भाव से दो सूक्तियाँ बनाइए।

उत्तर – “जीवन में ऊँचाइयों को छूने के लिए आत्मविश्वास और धैर्य जरूरी है।”

“विपत्तियों में धैर्य और कर्मशीलता ही सफलता की कुंजी होती है।”

 

(ई) नीचे दी गई पंक्तियों के आधार पर छोटी-सी कविता लिखिए।

हरियाली कहती

हमें भी मूल्यवान बनना है।

महकते फूल कहते

कि हमें निर्मल इंसान बनना है।

चहचहाते पक्षी कहते

कि हमें मधुरभाषी बनना है।

बहती नदियाँ कहतीं

कि हमें कर्म नित्य करना है।

भाषा की बात

(अ) पाठ में आये पुनरुक्त शब्द रेखांकित कीजिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।

जैसे – मीठी-मीठी – बच्चे मीठी-मीठी बातें करते हैं।

उठ-उठ – सागर की लहरें उठ-उठकर नीचे गिरती हैं।

(आ) विपरीत अर्थ लिखिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।

जैसे: न्याय X अन्याय

हमें अन्याय का विरोध करना चाहिए।

(धैर्य, हिंसा, शांति, यश, धर्म, गौरव, सत्य)

धैर्य X अधैर्य

कठिन परिस्थितियों में हमें अधैर्य नहीं दिखाना चाहिए।

हिंसा X अहिंसा

महात्मा गांधी अहिंसा के मार्ग पर चलते थे।

शांति X अशांति

समाज में अशांति फैलाना गलत कार्य है।

यश X अपयश

बुरे कर्म करने से अपयश मिलता है।

धर्म X अधर्म

अधर्म के मार्ग पर चलने से विनाश होता है।

गौरव X अपमान

देश के लिए खेलना हर खिलाड़ी का गौरव होता है।

सत्य X असत्य

असत्य की राह पर चलने से अंत में हार होती है।

(इ) इन शब्दों के बीच का अंतर समझिए और स्पष्ट कीजिए। ऐसे ही तीन शब्द लिखिए।

गहरा – गहराई (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

ऊँचा – ऊँचाई (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

लंबा – लंबाई (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

अच्छा – अच्छाई (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

स्वतंत्र – स्वतंत्रता (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

परतंत्र – परतंत्रता (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

नैतिक – नैतिकता (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

धार्मिक – धार्मिकता (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

उत्तर – सुंदर – सुंदरता (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

मौलिक – मौलिकता (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

चौड़ा – चौड़ाई (विशेषण – भाववाचक संज्ञा)

 

(ई) नीचे दिए गए शब्दों के साथ इकप्रत्यय जोड़कर लिखिए।

वर्ष + इक = वार्षिक

मास + इक = मासिक

इतिहास + इक = ऐतिहासिक

उपचार + इक = औपचारिक

परियोजना कार्य

सोहनलाल द्विवेदी के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए। उनकी किसी एक कविता का संकलन कीजिए।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर शिक्षक की सहायता से पूरा करें।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न – पर्वत हमें क्या सिखाता है?

उत्तर – पर्वत हमें ऊँचा उठकर महान बनने की सीख देता है।

प्रश्न – सागर अपने लहराने से क्या संकेत देता है?

उत्तर – सागर हमें मन में गहराई और गंभीरता लाने का संदेश देता है।

प्रश्न – तरल तरंगों से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

उत्तर – तरल तरंगें हमें गिरकर भी बार-बार उठने की प्रेरणा देती हैं।

प्रश्न – पृथ्वी हमें कौन-सा महत्त्वपूर्ण गुण सिखाती है?

उत्तर – पृथ्वी हमें धैर्य और सहनशीलता का महत्त्व समझाती है।

प्रश्न – आकाश हमें क्या प्रेरणा देता है?

उत्तर – आकाश हमें विशालता और उदारता अपनाने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न – प्राकृतिक तत्त्वों का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है?

उत्तर – प्राकृतिक तत्त्व हमें जीवन में संघर्ष, धैर्य और सफलता की सीख देते हैं।

प्रश्न – संसार को ढकने का क्या अर्थ है?

उत्तर – इसका अर्थ है कि हमें अपने ज्ञान और प्रेम से पूरे संसार को जोड़ना चाहिए।

 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए –

प्रश्न – कवि ने पर्वत को ऊँचा उठने का प्रतीक क्यों बताया है?

उत्तर – कवि ने पर्वत को ऊँचा उठने का प्रतीक इसलिए बताया है क्योंकि यह हमें संघर्षों के बावजूद अडिग रहने और ऊँचाइयों तक पहुँचने की प्रेरणा देता है। यह आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है।

प्रश्न – सागर की लहरें हमें किस प्रकार जीवन की सच्चाइयों से जोड़ती हैं?

उत्तर – सागर की लहरें निरंतर उठती और गिरती रहती हैं, जो हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और हर कठिनाई से सीखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

प्रश्न – पृथ्वी और आकाश हमें क्या जीवन मूल्य सिखाते हैं?

उत्तर – पृथ्वी हमें धैर्य और सहनशीलता सिखाती है, जिससे हम कठिन परिस्थितियों में भी मजबूती से खड़े रह सकें। आकाश हमें अपने विचारों को विशाल बनाने और पूरे संसार के कल्याण के लिए कार्य करने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न – कविता का मुख्य संदेश क्या है?

उत्तर – यह कविता हमें सिखाती है कि हमें प्रकृति से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में ऊँचाई, गहराई, धैर्य, उत्साह और उदारता जैसे गुणों को अपनाना चाहिए, जिससे हम एक सफल और संतुलित जीवन जी सकें।

 

 

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