प्रश्न
- ये प्रश्न किस के मन में उत्पन्न हुए थे?
उत्तर – ये प्रश्न स्वामी विवेकानंद के मन उत्पन्न हुए थे।
- स्वामी विवेकानंद ने इन प्रश्नों का उत्तर किस से पूछा होगा?
उत्तर – स्वामी विवेकानंद ने इन प्रश्नों का उत्तर अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस से पूछा होगा।
- इनके जीवन से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर – इनके जीवन से हमें यह संदेश मिलता है की जीवन लंबा नहीं बल्कि बड़ा (अनुकरणीय) होना चाहिए।
उददेश्य
कहानी विधा के माध्यम से कहानी लिखने का ज्ञान प्राप्त करना। जिज्ञासा व दार्शनिक प्रश्नों
के माध्यम से बौद्धिक विकास करना-
यक्ष प्रश्न
यह घटना महाभारत काल की है। उस समय पांडव द्रौपदी सहित बारह वर्ष के वनवास पर थे। एक दिन अचानक एक ब्राह्मण पांडवों के पास आया। वह अपनी व्यथा सुनाते हुए कहने लगा, “एक हिरण मेरी अरणी की लकड़ी लेकर भाग गया। अब मेरे पास यज्ञ की अग्नि पैदा करने के लिए दूसरी लकड़ी नहीं है। कृपया मेरी लकड़ी वापस दिला दो।”
पांडव ब्राह्मण की व्यथा से प्रभावित हुए। इसलिए वे हिरण की खोज में निकल पड़े। थोड़ी दूर जाने पर उन्हें हिरण दिखाई दिया। उसे पकड़ने के लिए वे आगे बढ़े परंतु हिरण उनकी आँखों से पुनः गायब हो गया। हिरण की खोज में भटकते हुए वे थक गए और विश्राम के लिए एक वृक्ष के नीचे बैठ गए। प्यास के मारे सभी के कंठ सूख रहे थे। युधिष्ठिर ने नकुल को पानी की तलाश में भेजा। नकुल पानी की खोज में निकला और चलते-चलते एक सरोवर के पास पहुँचा। सरोवर देखकर उसका मन प्रफुल्लित हो उठा। वह सोचने लगा कि क्यों न मैं पहले अपनी प्यास बुझा लूँ। वह पानी पीने के लिए उद्यत ही हुआ था कि सहसा एक आवाज़ गूँज उठी, “ऐ नकुल, पानी पीने का दुस्साहस न करें। सावधान ! पहले मेरे प्रश्नों के उत्तर दो।” नकुल चेतावनी की परवाह न करके पानी पीने लगा। पानी पीते ही वह भूमि पर गिर पड़ा। बहुत देर तक नकुल के न लौटने पर युधिष्ठिर को चिंता सताने लगी। उन्होंने उसकी खोज में बारी-बारी से सहदेव, अर्जुन और भीम को भेजा। यक्ष की चेतावनी की उपेक्षा करते हुए सभी ने सरोवर तट पर प्यास बुझाने का प्रयास किया और नकुल की भाँति धरा पर गिर गए। जब कोई भी लौटकर न आया तो युधिष्ठिर स्वयं चिंतित अवस्था में उनकी खोज में निकल पड़े। तृषा से व्याकुल युधिष्ठिर पहले अपनी प्यास शांत करने के लिए सरोवर की ओर गए। वहीं युधिष्ठिर को अपने भाई धरा पर पड़े दिखाई दिए। जैसे ही वे आगे बढ़े तो उन्हें भी वही आवाज़ सुनाई दी। सावधान ! तुम्हारे भाइयों ने मेरी चेतावनी की ओर ध्यान नहीं दिया। इसलिए उनकी यह दशा हुई। यदि तुम पानी पीना चाहते हो तो पहले मेरे प्रश्नों के उत्तर दो, फिर अपनी प्यास बुझाना। युधिष्ठिर ने कहा श्रीमान ! आप प्रश्न कीजिए, मैं उत्तर देने के लिए तैयार हूँ।
यक्ष – मनुष्य का साथ कौन देता है?
युधिष्ठिर – धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है।
यक्ष – वह कौन-सा शास्त्र है, जिसका अध्ययन करके मनुष्य बुद्धिमान बनता है?
युधिष्ठिर – कोई भी शास्त्र ऐसा नहीं है। महान लोगों की संगति से ही मनुष्य बुद्धिमान बनता है।
यक्ष – भूमि से भारी चीज़ क्या है?
युधिष्ठिर – संतान को कोख में धारण करनेवाली माता भूमि से भी भारी होती है।
यक्ष – आकाश से भी ऊँचा कौन है?
युधिष्ठिर – पिता।
यक्ष – हवा से भी तेज़ चलनेवाला कौन है?
युधिष्ठिर – मन।
यक्ष – विदेश जानेवाले का साथी कौन होता है?
युधिष्ठिर – विद्या।
यक्ष – मरणासन्न वृद्ध का मित्र कौन होता है?
युधिष्ठिर – दान, क्योंकि वही मृत्यु के बाद अकेले चलने वाले जीव के साथ-साथ चलता है।
यक्ष – सुख क्या है?
युधिष्ठिर – जो शील और सच्चरित्र पर स्थित है।
यक्ष – सबसे तुच्छ क्या है?
युधिष्ठिर – चिंता
यक्ष – किसके छूट जाने पर मनुष्य सर्वप्रिय बनता है?
युधिष्ठिर – अहंभाव के छूट जाने पर।
इसी प्रकार यक्ष ने कई अन्य प्रश्न भी किए और युधिष्ठिर ने उन सबके ठीक-ठीक उत्तर दिए। अंत में यक्ष बोला- “राजन् ! मैं तुम्हारे मृत भाइयों में से एक को जीवित कर सकता हूँ। तुम जिस किसी को भी चाहो, वह जीवित हो जाएगा।”
युधिष्ठिर ने पलभर सोचा कि किसे जीवित कराऊँ? थोड़ी देर रुककर बोले- “मेरा छोटा भाई नकुल जी उठें।”
युधिष्ठिर के इस प्रकार बोलते ही उन्होंने पूछा – “युधिष्ठिर ! दस हज़ार हाथियों के बलवाले भीमसेन को छोड़कर तुमने को नकुल जीवित करवाना क्यों ठीक समझा?”
युधिष्ठिर ने कहा- “यक्षराज ! मैंने जो नकुल को जीवित करवाना चाहा, वह सिर्फ़ इसी कारण कि माता कुंती का बचा हुआ एक पुत्र मैं हूँ, मैं चाहता हूँ कि माता माद्री को भी एक पुत्र जीवित हो उठे। अतः आप कृपा करके नकुल को जीवित कर दें।”
युधिष्ठिर के धर्म स्वभाव से यक्ष अत्यंत संतुष्ट हुए और उन्होंने ‘वर’ देते हुए यह कहा, “पक्षपात रहित मेरे प्यारे पुत्र! तुम्हारे चारों ही भाई जीवित हों।”
शब्द | हिंदी अर्थ | तेलुगु अर्थ | अंग्रेज़ी अर्थ |
यक्ष | स्वर्गीय जीव | యక్షుడు | Celestial being |
व्यथा | पीड़ा, कष्ट | బాధ, బాధనీయమైన | Pain, Suffering |
अरणी | यज्ञ की लकड़ी | అరణి కట్ట | Sacred wood for fire |
तृषा | प्यास | దాహం | Thirst |
चेतावनी | सतर्कता संदेश | హెచ్చరిక | Warning |
दुस्साहस | अत्यधिक साहस | అతిగా ధైర్యం | Recklessness |
अग्रसर | आगे बढ़ना | ముందుకు సాగడం | Progress |
पक्षपात | अन्यायपूर्ण झुकाव | పక్షపాతం | Bias |
विवेक | बुद्धिमत्ता | వివేకం | Wisdom |
न्यायप्रियता | निष्पक्षता | న్యాయప్రియత | Justice |
संतोष | तृप्ति, खुशी | సంతృప్తి | Contentment |
अहंकार | घमंड, अभिमान | అహంకారం | Ego |
सत्यवादी | सच्चाई का पालन करने वाला | సత్యవాది | Truthful |
संगति | साथ, मेलजोल | సహవాసం | Company, Association |
कोख | गर्भ | గర్భం | Womb |
तुच्छ | नगण्य, महत्वहीन | లౌకికమైన | Trivial, Insignificant |
शील | आचरण, स्वभाव | శీలం | Character |
सच्चरित्र | अच्छा आचरण | మంచివ్యక్తిత్వం | Good character |
विद्या | ज्ञान, शिक्षा | విద్య | Knowledge |
दान | परोपकार, देना | దానం | Charity |
स्वभाव | प्रकृति, आदत | స్వభావం | Nature |
सतर्कता | सावधानी | జాగ్రత్త | Alertness |
धैर्य | संयम, सहनशीलता | సహనం | Patience |
मित्र | दोस्त, साथी | మిత్రుడు | Friend |
कर्तव्य | दायित्व, जिम्मेदारी | కర్తవ్య | Duty |
महत्वपूर्ण | आवश्यक, जरूरी | ముఖ్యమైన | Important |
सुख | आनंद, प्रसन्नता | సుఖం | Happiness |
मृत्यु | जीवन का अंत | మరణం | Death |
सफलता | विजय, उपलब्धि | విజయము | Success |
यक्ष प्रश्न – पाठ का सार
महाभारत काल में, वनवास के दौरान, एक ब्राह्मण ने पांडवों से अपनी यज्ञ की लकड़ी वापस लाने की प्रार्थना की, जिसे एक हिरण ले गया था। हिरण की खोज में प्यासे पांडव एक सरोवर पर पहुँचे, लेकिन यक्ष ने उन्हें चेतावनी दी कि पहले उसके प्रश्नों के उत्तर दें। नकुल, सहदेव, अर्जुन और भीम ने चेतावनी की अवहेलना की और जल पीते ही मूर्छित हो गए।
युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी प्रश्नों के उत्तर बुद्धिमानी से दिए। जब यक्ष ने एक भाई को जीवित करने का अवसर दिया, तो युधिष्ठिर ने निष्पक्षता दिखाते हुए नकुल को जीवित करने का अनुरोध किया ताकि उनकी सौतेली माता माद्री का एक पुत्र जीवित रहे, जैसे उनकी माता कुंती का पुत्र (युधिष्ठिर) जीवित था। उनकी धर्मपरायणता से प्रसन्न होकर यक्ष ने उनके सभी भाइयों को पुनः जीवित कर दिया।
यह कथा न्याय, सत्य और धर्म के महत्त्व को दर्शाती है और सिखाती है कि धैर्य, ज्ञान और निष्पक्षता सर्वोत्तम गुण हैं।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
(अ) प्रश्नों के उत्तर सोचकर दीजिए।
- युधिष्ठिर के बारे में बताइए।
उत्तर – युधिष्ठिर पांडवों में सबसे बड़े भाई थे और धर्मपरायण सज्जन थे। वे सत्यवादी, न्यायप्रिय और सहनशील राजा थे। उनकी नीतिपूर्ण सोच और निर्णय लेने की क्षमता अतुलनीय थी।
- युधिष्ठिर की जगह तुम होते तो किसे जीवित करवाना चाहते और क्यों?
उत्तर – यदि मैं युधिष्ठिर की जगह होता, तो भी मैं युधिष्ठिर के समान न्यायपूर्वक निर्णय लेकर नकुल को ही जीवित करवाता, ताकि दोनों माताओं को समान रूप से संतान सुख मिल सके।
(आ) पाठ के आधार पर वाक्यों को सही क्रम दीजिए।
- युधिष्ठिर ने नकुल को पानी की तलाश में भेजा।
उत्तर – (2)
- पक्षपात रहित मेरे प्यारे पुत्र! तुम्हारे चारों ही भाई जीवित
उत्तर – (4)
- तुम जिस किसी को भी चाहो, वह जीवित हो जाएगा।
उत्तर – (3)
- पांडव ब्राहमण की व्यथा से प्रभावित हुए।
उत्तर – (1)
(इ) गद्यांश पढ़िए। प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
रानी सुदेष्णा का भाई कीचक बड़ा ही बलिष्ठ और प्रतापी वीर था। मत्स्य देश की सेना का वही नायक बना हुआ था। उसने अपने कुल के लोगों को साथ लेकर मत्स्याधिपति बूढ़े विराटराज की सत्ता पर अप्रत्यक्ष रूप से अधिकार कर लिया था। कीचक की धाक लोगों में ऐसी बनी हुई थी कि लोग कहा करते थे कि मत्स्य देश का राजा तो कीचक ही है।
- रानी सुदेष्णा का भाई कौन था?
उत्तर – रानी सुदेष्णा का भाई कीचक था।
- विराट किस देश के राजा थे?
उत्तर – विराट मत्स्य देश के राजा थे।
- देश की सेना का नायक कौन बना हुआ था?
उत्तर – मत्स्य देश की सेना का नायक कीचक बना हुआ था।
(ई) इन प्रश्नों के उत्तर तीन वाक्यों में दीजिए।
- ब्राह्मण पांडवों के पास आकर कौन सी व्यथा सुनाने लगा?
उत्तर – ब्राह्मण ने पांडवों बताया कि एक हिरण उसकी यज्ञ की लकड़ी लेकर भाग गया है। उसके पास दूसरी लकड़ी नहीं थी जिससे वह यज्ञ की अग्नि उत्पन्न कर सके। इसीलिए उसने पांडवों से सहायता माँगी।
- युधिष्ठिर को सरोवर के पास कौन-सी चेतावनी सुनाई दी?
उत्तर – यक्ष ने चेतावनी दी कि बिना उसके प्रश्नों के उत्तर दिए पानी पीना दुस्साहस होगा। उसने बताया कि जो भी उसकी चेतावनी को अनसुना करेगा, वह मृत्युतुल्य हो जाएगा। युधिष्ठिर ने उसकी चेतावनी को गंभीरता से लिया।
- युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करवाने का अनुरोध क्यों किया?
उत्तर – युधिष्ठिर ने निष्पक्षता और न्याय की भावना से नकुल को जीवित करने का अनुरोध किया। वे चाहते थे कि उनकी सौतेली माँ माद्री का एक पुत्र जीवित रहे, क्योंकि उनकी माता कुंती का पुत्र वे स्वयं थे।
- यक्ष ने युधिष्ठिर के सद्गुणों से मुग्ध होकर कौन-सा वर दिया?
उत्तर – यक्ष युधिष्ठिर के न्यायप्रिय स्वभाव और धर्मपरायणता से प्रसन्न हुए। उन्होंने वरदान दिया कि उनके सभी भाई पुनः जीवित हो जाएँ।
अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता
(अ) इन प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
- धैर्य ही मनुष्य का साथ कैसे देता है?
उत्तर – धैर्य विपरीत परिस्थितियों में मनुष्य को साहस और सहनशीलता प्रदान करता है। यह उसे सही निर्णय लेने और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देता है। कठिन समय में धैर्य बनाए रखने से ही व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है।
- अच्छी संगति से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर – अच्छी संगति से व्यक्ति का चरित्र उज्ज्वल बनता है। वह जीवन में सही मार्ग चुनता है और बुराइयों से दूर रहता है। श्रेष्ठ व्यक्तियों की संगति से ज्ञान, नैतिकता और सफलता प्राप्त होती है।
- नकुल के लिए जीवनदान माँगकर युधिष्ठिर ने सही किया या गलत? अपने उत्तर का कारण बताइए।
उत्तर – युधिष्ठिर का निर्णय पूर्णतः सही था क्योंकि उन्होंने न्याय और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी। उन्होंने यह दिखाया कि माता माद्री का भी उतना ही अधिकार था जितना माता कुंती का। उनके इस निर्णय से उनकी धार्मिकता और निष्पक्षता सिद्ध हुई।
(आ) यक्ष के किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अपने दृष्टिकोण के आधार पर लिखिए।
उत्तर – सबसे महान धन क्या है?
उत्तर – सबसे महान धन संतोष है क्योंकि इससे मनुष्य सदैव प्रसन्न रहता है।
सबसे बड़ा शत्रु कौन है?
उत्तर – मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार और क्रोध होता है।
संसार में सबसे मूल्यवान चीज क्या है?
उत्तर – समय सबसे मूल्यवान चीज है क्योंकि इसे लौटाया नहीं जा सकता।
जीवन का सबसे बड़ा सत्य क्या है?
उत्तर – मृत्यु जीवन का सबसे बड़ा सत्य है, जिसे कोई टाल नहीं सकता।
किसे सबसे अधिक सम्मान देना चाहिए?
उत्तर – सज्जन को सबसे अधिक सम्मान देना चाहिए क्योंकि वे हमें जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं।
(इ) यदि यक्ष के स्थान पर आप होते तो कौन-कौन से प्रश्न पूछते?
उत्तर – यदि यक्ष के स्थान पर मैं होता तो निम्नलिखित प्रश्न पूछता –
मनुष्य का सबसे बड़ा कर्तव्य क्या है?
सच्चा मित्र कौन होता है?
जीवन में सबसे अधिक क्या आवश्यक है?
सच्चा ज्ञान कैसे प्राप्त होता है?
सफलता का रहस्य क्या है?
(ई) ‘यक्ष प्रश्न‘ पाठ आपको क्यों अच्छा लगा? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – यह पाठ हमें धर्म, न्याय और सत्य के महत्त्व को समझाता है। इसमें युधिष्ठिर के विवेकपूर्ण उत्तर और न्यायप्रियता प्रेरणादायक हैं। इस कथा से हमें धैर्य, ज्ञान और निष्पक्षता के महत्त्व की सीख मिलती है।
भाषा की बात
(अ) इन शब्दों के वाक्य प्रयोग कीजिए।
- तृषा – आजकल लोगों को भौतिक वस्तुओं की तृषा लगी है।
- अग्रसर – जीवन में अग्रसर बढ़ते रहना ही मानव स्वभाव है।
- चेतावनी – पुलिस ने कई बार चोरो को चेतावनी दी थी।
- दुस्साहस – शरारती लड़के दुस्साहस करने में पीछे नहीं हटते।
- पक्षपात – कभी-कभी किसी प्रतियोगिता में पक्षपात हो ही जाता है।
(आ) पर्यायवाची शब्द पहचानकर रेखा खींचिए।
धरती – भूमि, धरा, पृथ्वी
पिता – तात, जनक, बाप
खोज – अन्वेषण, आविष्कार, तलाश
वायु – पवन, समीर, हवा
(इ) निम्न शब्दों पर ध्यान दीजिए। दो शब्दों के मेल में हुए विकार को समझिए।
अत्यंत, यद्यपि, दुस्साहस, निस्संदेह, निस्सार, मरणासन्न,
पुस्तकालय, सच्चरित्र, सज्जनता, प्रत्यक्ष, प्रत्येक, प्रत्यंग,
प्रत्युपकार, प्रत्युत्तर, अत्यंत, अत्याचार, अत्युत्साह, दिनांक
मरण + आसन्न = मरणासन्न
प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष
सत् + चरित्र सच्चरित्र
दुः + साहस = दुस्साहस
इस तरह दो शब्दों के मेल से एक नया शब्द बनता है और दोनों के बीच विकार होता है। इसे संधि कहते हैं। संधि के प्रकार-
- स्वर संधि, 2. व्यंजन संधि, 3. विसर्ग संधि
दो स्वरों के बीच विकार हो तो स्वर संधि कहते हैं। स्वर संधि के प्रकार
- दीर्घ संधि
जैसे-
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
कवि + इंद्र = कवींद्र,
- गुण संधि
जैसे-
महा + ईश्वर = महेश्वर,
महा + ऋषि = महर्षि
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश,
पर + उपकार = परोपकार,
- वृद्धि संधि
जैसे –
एक + एक = एकैक,
महा + औषधि = महौषधि
- यण् संधि
जैसे – प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष,
सु + आगत = स्वागत
मातृ + अनुमति = मात्रनुमति
- अयादि संधि
जैसे –
ने + अन = नयन,
भो + अन = भवन
व्यंजन संधि में व्यंजन के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार होता है। जैसे-
जगत् + ईश = जगदीश,
दिक् + गज = दिग्गज, दिग्गज,
वि + सम = विषम
सत् + जन = सज्जन,
षट् + दर्शन = षड्दर्शन
वाक् + ईश = वागीश.
विसर्ग संधि में विसर्ग का परिवर्तन समझिए-
श् ष् स् र् ई लोप ओ
निः + चल = निश्चल
निः + कपट = निष्कपट
निः + संदेह = निस्संदेह
निः + भय = निर्भय
निः + रस = नीरस
निः + शुल्क = निशुल्क
मनः + रंजन = मनोरंजन
परियोजना कार्य
पंचतंत्र की नीतिप्रद कहानियों से किसी एक कहानी का संग्रह कीजिए।
उत्तर – कहानी का नाम – ‘मूर्ख बंदर और चालाक मगरमच्छ’
कहानी –
बहुत समय पहले की बात है, एक बड़ा और मीठे फल देने वाला जामुन का पेड़ नदी के किनारे खड़ा था। उस पेड़ पर एक बुद्धिमान बंदर रहता था। वह हर दिन स्वादिष्ट जामुन खाता और खुश रहता।
एक दिन एक मगरमच्छ उस नदी में आया और उस पेड़ के नीचे विश्राम करने लगा। बंदर ने देखा कि मगरमच्छ थका हुआ और भूखा है, तो उसने कुछ मीठे जामुन नीचे गिरा दिए। मगरमच्छ ने जामुन खाए और बहुत प्रसन्न हुआ।
धीरे-धीरे मगरमच्छ और बंदर में दोस्ती हो गई। बंदर रोज़ मगरमच्छ को जामुन देता और वे दोनों घंटों बातें करते।
एक दिन मगरमच्छ ने कुछ जामुन अपनी पत्नी को भी खिलाए। मगरमच्छ की पत्नी को जामुन बहुत स्वादिष्ट लगे, लेकिन उसने लालच में आकर कहा, “अगर बंदर ऐसे स्वादिष्ट फल खाता है, तो उसका दिल तो और भी मीठा होगा! मुझे उसका दिल चाहिए।” मगरमच्छ पहले तो झिझका, लेकिन पत्नी के ज़ोर देने पर वह बंदर को छल से बुलाकर उसे पीठ पर बैठाकर नदी पार कराने लगा। बीच नदी में पहुँचकर मगरमच्छ ने सच्चाई बता दी। बंदर चतुर था। उसने तुरंत कहा, “अरे! तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मेरा दिल तो मैंने पेड़ पर रख दिया था! चलो, वापस चलते हैं, मैं लेकर आता हूँ।”
मगरमच्छ उस पर विश्वास करके उसे वापस ले आया। जैसे ही बंदर पेड़ पर चढ़ा, वह बोला – “मूर्ख मगरमच्छ! क्या कोई अपना दिल निकालकर बाहर रख सकता है? जाओ, अब तुमसे कभी दोस्ती नहीं करूँगा।”
संदेश – “बुद्धिमानी से संकट से बचा जा सकता है। संकट में भी धैर्य और चतुराई से काम लेना चाहिए।”
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए –
प्रश्न – यक्ष ने नकुल को क्या चेतावनी दी?
उत्तर – यक्ष ने नकुल को पानी पीने से पहले प्रश्नों के उत्तर देने की चेतावनी दी।
प्रश्न – युधिष्ठिर ने नकुल को ही क्यों जीवित करवाना चाहा?
उत्तर – युधिष्ठिर ने नकुल को ही जीवित करवाना चाहा ताकि माता माद्री का एक पुत्र जीवित रहे।
प्रश्न – यक्ष ने युधिष्ठिर की परीक्षा क्यों ली?
उत्तर – यक्ष ने युधिष्ठिर की परीक्षा उनकी न्यायप्रियता और धर्मपरायणता जाँचने के लिए।
प्रश्न – मनुष्य का सच्चा साथी कौन है?
उत्तर – धैर्य।
प्रश्न – विदेश में मनुष्य का मित्र कौन होता है?
उत्तर – विद्या।
प्रश्न – मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन है?
उत्तर – अहंकार।
प्रश्न – सबसे मूल्यवान चीज़ क्या है?
उत्तर – समय।
प्रश्न – सबसे भारी वस्तु क्या है?
उत्तर – गर्भवती स्त्री
प्रश्न – मृत्यु के बाद मनुष्य के साथ कौन जाता है?
उत्तर – दान।
प्रश्न – सबसे तेज़ गति से क्या चलता है?
उत्तर – मन।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए –
प्रश्न – यक्ष ने पांडवों को क्यों रोका और उन्हें क्या शर्त दी?
उत्तर – यक्ष ने चेतावनी दी कि बिना उसके प्रश्नों के उत्तर दिए कोई भी पानी नहीं पी सकता। उसने कहा कि जो उसकी शर्त नहीं मानेगा, वह मृत्यु को प्राप्त होगा।
प्रश्न – युधिष्ठिर के उत्तर सुनकर यक्ष ने उन्हें कौन-सा वरदान दिया?
उत्तर – युधिष्ठिर की धर्मप्रियता और न्यायप्रियता देखकर यक्ष प्रसन्न हुए। उन्होंने वरदान दिया कि उनके सभी भाई पुनः जीवित हो जाएँ।
प्रश्न – युधिष्ठिर ने अन्य शक्तिशाली भाइयों के बजाय नकुल को क्यों चुना?
उत्तर – युधिष्ठिर ने निष्पक्ष निर्णय लिया और माता माद्री के पुत्र नकुल को जीवित करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यदि माता कुंती का पुत्र जीवित है, तो माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित रहना चाहिए।
प्रश्न – यक्ष प्रश्न से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर – यह कथा हमें सच्चाई, धैर्य, न्याय और धर्म का पालन करने की प्रेरणा देती है। युधिष्ठिर की बुद्धिमत्ता और निष्पक्षता से हमें नैतिक मूल्यों का महत्त्व समझ में आता है।
प्रश्न – यक्ष कौन था और उसने यह परीक्षा क्यों ली?
उत्तर – यक्ष असल में युधिष्ठिर के पिता धर्मराज का अवतार थे। उन्होंने यह परीक्षा युधिष्ठिर की सत्यनिष्ठा और न्यायप्रियता की परख के लिए ली।