प्रश्न
- चित्र में क्या दिखायी दे रहा है?
उत्तर – इस चित्र में किसी अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र से रॉकेट को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जा रहा है।
- अंतरिक्ष किसे कहते हैं? वहाँ कैसे पहुँच सकते हैं?
उत्तर – पृथ्वी के वायुमंडल व गुरुत्वाकर्षण से परे जहाँ अन्य खगोलीय पिंड मौजूद होते हैं और जहाँ अनंत विस्तार होता है उसे ही अंतरिक्ष कहते हैं। अंतरिक्ष में पहुँचने के लिए हमें द्रुतगामी रॉकेट की सहायता लेनी पड़ती है।
- इस चित्र से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर – इस चित्र से हमें यह संदेश मिलता है कि मनुष्य अपनी बुद्धि का प्रयोग करके अनंत अंतरिक्ष तक पहुँच चुका है। अर्थात् मनुष्य के लिए सभी कार्य संभव हैं।
उद्देश्य
साक्षात्कार विधा की जानकारी लेते हुए साक्षात्कार लेने का अभ्यास करना।
सुनीता विलियम्स
सुनीता ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ पर क़दम रखने वाली पहली भारतीय महिला है। सुनीता ने किसी भी महिला द्वारा अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा लंबा समय बिताने (195 दिन) व अंतरिक्ष में चलने का रिकॉर्ड भी बनाया है। इसके साथ-साथ अंतरिक्ष प्रयोगशाला में ऐसे कई परीक्षण भी किए, जो भावी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए लाभदायक सिद्ध होंगे। सुनीता ने इस साहसी अभियान में रुचि दिखा कर यह प्रमाणित कर दिया कि महिलाएँ भी पुरुषों से किसी भी तरह कम नहीं, वे बड़े से बड़े लक्ष्य को साकार करने का साहस रखती हैं। आइए, सुनीता विलियम्स से ही पूछते हैं कि उन्होंने ये कारनामे कैसे कर दिखाए-
प्रश्न – दुनिया में लाखों पायलट और वैज्ञानिक हैं। किंतु अमेरिका में बड़ी मुश्किल से 100 अंतरिक्ष यात्री हैं। वह कौन-सी चीज़ थी जिसने आपको अंतरिक्ष की दुनिया में क़दम रखने के लिए प्रेरित की?
उत्तर – बढ़िया प्रश्न है। जब मैं पाँच वर्ष की थी तो मैंने नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा पर पहला क़दम रखते और चलते हुए देखा था। मैं इस दृश्य से बहुत प्रेरित हुई और मैंने उसी दिन यह बात ठान ली कि मुझे अंतरिक्ष यात्री बनना है। किंतु यह इतना आसान काम नहीं था। मेरिलैंड स्थित टेस्ट पायलट स्कूल जाने तक अंतरिक्ष यात्री बनने का मेरा यह सपना, सपना ही रहा। मैंने जहाज़ और हेलीकॉप्टर के पायलट के रूप में अपना पेशा आरंभ किया। इसी दौरान मैं एक दिन जॉनसन अंतरिक्ष केंद्र पहुँची। यहीं पर मेरी मुलाकात जॉन यंग से हुई। उन्होंने हेलिकॉप्टर और अंतरिक्ष यान की तुलना की। यह तुलना काफ़ी प्रेरणात्मक थी। मैंने शोध कर यह पता लगाया कि अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए क्या करना चाहिए। मैंने इस क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त की और अंतरिक्ष की उड़ान के लिए मुझे बुलावा भी मिला। मैं अपने आपको बड़ी सौभाग्यशाली मानती हूँ कि मुझे यह सुनहरा अवसर मिला।
प्रश्न – आज आप एक सफल अंतरिक्ष यात्री हैं। जब आप अपने आपको देखती हैं तो आपके जीवन में मसाचुसेट्स शहर का क्या महत्त्व है? यहाँ के लोगों ने किस तरह आपकी सहायता की?
उत्तर- हाँ ! तो जैसा कि मैंने आपको बताया कि मेरा पालन-पोषण बॉस्टन के समीप हुआ। मैं जहाँ तैरने जाती थी वह प्रांत हार्वर्ड में पड़ता था। यह प्रांत कैंब्रिज क्षेत्र में है। इसलिए मैंने अपना बहुत सारा समय यहीं बिताया। मेरे पिता डॉक्टर हैं। वे हार्वर्ड मेडिकल स्कूल तथा बॉस्टन विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे। यह क्षेत्र शिक्षा का गढ़ माना जाता है। यहाँ बहुत सारे शिक्षा केंद्र होने के कारण मेरी रुचि को असली पहचान मिली। यही कारण है कि आज जो मैं आपके सामने दिखायी दे रही हूँ, उसमें यहाँ के लोगों की प्रेरणा भी शामिल है।
प्रश्न- अपनी पढ़ाई के बारे में बताइए।
उत्तर- मैं पढ़ाई में श्रेष्ठ नहीं थी। औसत थी। स्नातक की पढ़ाई के बाद भाई को नेवी में भर्ती होते हुए देखा। मुझे भी प्रेरणा मिली। मुझे अपने लंबे-लंबे बालों की बड़ी चिंता थी। आज भी मेरे बाल वैसे ही हैं। मैं अपने बालों को कटाकर नेवी में भर्ती होना नहीं चाहती थी। मेरा नेवी में चयन हो गया। मेरी दृष्टि सटीक होने के कारण मुझे पायलट की नौकरी मिल गई। मैं जेट पायलट बनना चाहती थी, किंतु मेरी यह इच्छा पूरी नहीं हुई। मुझे हेलीकॉप्टर पायलट से ही संतोष करना पड़ा। यहाँ पर मैंने बहुत कुछ सीखा। कई बार विफल भी हुई। इससे मैं निराश नहीं हुई बल्कि मुझे और प्रेरणा मिली। उसी दिन मुझे लगा कि हर जीत के पीछे हार की प्रेरणा होती है।
प्रश्न- आप हेलीकॉप्टर पायलट से अंतरिक्ष यात्री कैसे बनीं?
उत्तर- जब मुझे किसी कारणवश टेस्ट स्कूल जाना पड़ा तो वहाँ मेरी मुलाकात जॉन यंग से हुई। उन्होंने ही मुझे प्रेरित किया। एक सामान्य हेलीकाप्टर पायलट से अंतरिक्ष यात्री बनने के सफ़र में उनका योगदान हमेशा याद रखने लायक है।
प्रश्न- अंतरिक्ष यात्री की उड़ान खतरों से भरी होती है। इतने खतरों में भी आपको उड़ान भरने की प्रेरणा कैसे मिलती है?
उत्तर- जैसे कि मैंने आपको पहले ही बताया है कि अंतरिक्ष यात्री बनना आसान काम नहीं है। स्वाभाविक है कि यह क्षेत्र खतरों से भरा पड़ा है। किंतु जब कभी कोई अंतरिक्ष यात्री उड़ान के लिए तैयार होता है, तो सारी दुनिया उसी की ओर देखती है। मेरे पिता भारत से हैं। मैं भारत संतति की अंतरिक्ष यात्री हूँ। हर भारतीय अपनी प्रार्थनाओं में मेरी सफ़लता की कामना कर रहा है। यही वे प्रार्थनाएँ हैं, जो व्यक्ति के साहस को दुगुना कर देती हैं।
प्रश्न – भारत के भावी नागरिकों के लिए आपका संदेश क्या है?
उत्तर – भारत प्रतिभावानों का देश है। यहाँ के गाँव-गाँव में भी प्रतिभाशाली बच्चे हैं। यहाँ की लड़कियाँ भी विशेष प्रतिभा रखती हैं। सब सुशिक्षित होकर आगे बढ़े और देश का नाम हमेशा ऊँचा रखें।
शब्द | हिंदी अर्थ | तेलुगु अर्थ | अंग्रेज़ी अर्थ |
अंतरिक्ष | ब्रह्मांड, गगन | అంతరిక్షం | Space |
यात्री | सफर करने वाला | ప్రయాణికుడు | Traveler |
प्रेरणा | उत्साह, उद्दीपन | ప్రేరణ | Inspiration |
परीक्षण | जाँच, परीक्षा | పరీక్ష | Experiment/Test |
प्रमाणित | सिद्ध, पुष्टि करना | ధృవీకరించు | Prove/Verify |
लक्ष्य | उद्देश्य, मकसद | లక్ష్యం | Goal/Target |
अभियान | यात्रा, मुहिम | ప్రచారం, యాత్ర | Mission/Campaign |
साहस | हिम्मत, वीरता | ధైర్యం | Courage |
खतरों | जोखिम, संकट | ప్రమాదాలు | Dangers/Risks |
सफलता | विजय, उपलब्धि | విజయం | Success |
प्रतिभा | कौशल, योग्यता | ప్రతిభ | Talent |
सुशिक्षित | अच्छी शिक्षा प्राप्त | మంచి విద్య పొందిన | Well-educated |
उड़ान | आकाश में उड़ना | విమానం | Flight |
परीक्षण | जांच, अनुभव | పరీక్ష | Testing/Experimentation |
अवसर | मौका, स्थिति | అవకాశం | Opportunity |
योगदान | सहयोग, भागीदारी | సహకారం | Contribution |
संतोष | तृप्ति, खुशी | సంతృప్తి | Satisfaction |
भविष्य | आगे आने वाला समय | భవిష్యత్తు | Future |
सफलता | विजय, उपलब्धि | విజయం | Success |
कठिनाई | परेशानी, समस्या | కష్టం | Difficulty |
उपलब्धि | सफलता, कामयाबी | సాధన | Achievement |
आत्मविश्वास | खुद पर भरोसा | ఆత్మవిశ్వాసం | Self-confidence |
वैज्ञानिक | विज्ञान में निपुण व्यक्ति | శాస్త్రవేత్త | Scientist |
शिक्षा | पढ़ाई, विद्या | విద్య | Education |
चुनौतियाँ | कठिनाइयाँ, मुश्किलें | సవాళ్లు | Challenges |
निर्णय | फैसला, निश्चय | నిర్ణయం | Decision |
प्रेरित | उत्साहित, प्रभावित | ప్రేరణ పొందిన | Inspired |
क़दम | चरण, पग | అడుగు | Step |
वज़नहीनता | गुरुत्वाकर्षण रहित स्थिति | బరువులేని స్థితి | Weightlessness |
सम्मान | आदर, प्रतिष्ठा | గౌరవం | Respect/Honor |
उड़ान | हवा में सफर | ఎగిరిన | Flight |
सुनीता विलियम्स – पाठ का सार
सुनीता विलियम्स अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर कदम रखने वाली पहली भारतीय मूल की महिला हैं। उन्होंने अंतरिक्ष में 195 दिन बिताने और वहाँ चलने का रिकॉर्ड बनाया। अंतरिक्ष प्रयोगशाला में किए गए उनके प्रयोग भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
सुनीता को अंतरिक्ष यात्री बनने की प्रेरणा पाँच वर्ष की उम्र में मिली जब उन्होंने नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा पर चलते देखा। हालाँकि, यह यात्रा आसान नहीं थी। उन्होंने हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और बाद में जॉन यंग से प्रेरित होकर अंतरिक्ष यात्री बनने का निर्णय लिया। उनका पालन-पोषण बॉस्टन के पास हुआ, जहाँ के शैक्षिक माहौल ने उनकी रुचि को प्रोत्साहित किया। वे पढ़ाई में औसत थीं, लेकिन अपने भाई को नेवी में देखकर उन्हें भी प्रेरणा मिली। जेट पायलट बनने की इच्छा अधूरी रह गई, पर उन्होंने हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में महत्त्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया। अंतरिक्ष यात्रा खतरों से भरी होती है, लेकिन सुनीता का मानना है कि जब कोई अंतरिक्ष यात्री उड़ान भरता है, तो पूरी दुनिया उसे देखती है। भारतीय मूल की होने के कारण उन्हें भारतवासियों की प्रार्थनाएँ और शुभकामनाएँ मिलती हैं, जो उनके साहस को बढ़ाती हैं। उन्होंने भारत के युवाओं, विशेषकर लड़कियों को संदेश दिया कि वे अपनी शिक्षा पर ध्यान दें और अपने सपनों को साकार करने का साहस रखें ताकि देश का नाम रोशन हो सके।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
(अ) नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सोचकर बताइए।
- कुछ अंतरिक्ष यात्रियों के नाम बताइए।
उत्तर – कुछ अंतरिक्ष यात्रियों के नाम हैं – नील आर्मस्ट्रांग, कल्पना चावला, राकेश शर्मा, यूरी गागरिन, बज़ एल्ड्रिन, क्रिस हैडफील्ड।
- स्त्री एवं पुरुष दोनों एक समान बुद्धिमान और कुशल होते हैं। सुनीता विलियम्स इसका उदाहरण हैं। सुनीता विलियम्स के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर – सुनीता विलियम्स के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास से कोई भी व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। स्त्रियाँ भी पुरुषों के समान सक्षम होती हैं और किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं।
(आ) नीचे दी गयी पंक्तियों पूरी कीजिए।
- जब मैं पाँच वर्ष की थी……….. चलते हुए देखा।
उत्तर – जब मैं पाँच वर्ष की थी, तो मैंने नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा पर पहला कदम रखते और चलते हुए देखा।
- हर भारतीय अपनी ……….. कर रहा है।
उत्तर – हर भारतीय अपनी प्रार्थनाओं में मेरी सफलता की कामना कर रहा है।
- उसी दिन लगा कि हर जीत ……….. प्रेरणा होती है।
उत्तर – उसी दिन लगा कि हर जीत के पीछे हार की प्रेरणा होती है।
(इ) अनुच्छेद पढ़िए। अनुच्छेद से संबंधित तीन प्रश्न बनाइए।
प्राचीन समय में मनुष्य गुफाओं, जंगलों व पहाड़ों में रहा करता था। तब वह अपने आप में अकेला था। धीरे-धीरे उसे आभास हुआ कि समुदाय या समाज में रहने वाला सुखी जीवन व्यतीत करता है। यहीं से उसने समाज की रचना की और सामाजिक प्राणी कहलाने लगा। यह सब एक-दूसरे के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान से ही संभव हो सका है। सूचना को समाज के विकास का मूल स्रोत कहा जा सकता है।
प्रश्न – 01 – प्राचीन समय में मनुष्य कहाँ रहता था?
प्रश्न – 02 – समाज की रचना कैसे हुई?
प्रश्न – 03 – समाज के विकास का मूल स्रोत क्या कहा गया है?
अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता
(अ) इन प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
- भारत को प्रतिभावानों का देश क्यों कहा जाता है?
उत्तर – भारत को प्रतिभावानों का देश कहा जाता है क्योंकि यहाँ के गाँव-गाँव में भी अत्यंत प्रतिभाशाली बच्चे होते हैं। विज्ञान, तकनीक, चिकित्सा, खेल और अन्य क्षेत्रों में भारतीयों ने वैश्विक स्तर पर अपनी क्षमता साबित की है।
- सुनीता विलियम्स ने ऐसा क्यों कहा कि हर जीत के पीछे हार की प्रेरणा होती है?
उत्तर – सुनीता विलियम्स ने कई बार असफलता का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इससे सीख लेकर आगे बढ़ीं। उन्होंने महसूस किया कि असफलताएँ हमें और मजबूत बनाती हैं और सफलता की ओर ले जाती हैं।
- सुनीता विलियम्स से क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर – हमें यह प्रेरणा मिलती है कि यदि हमारे अंदर दृढ़ निश्चय, मेहनत और आत्मविश्वास हो, तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
(आ) ‘सुनीता विलियम्स‘ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – सुनीता विलियम्स पहली भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री हैं जिन्होंने अंतरिक्ष में 195 दिन बिताने का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में अपना करियर शुरू किया और जॉन यंग से प्रेरित होकर अंतरिक्ष यात्री बनने का निर्णय लिया। उनका बचपन अमेरिका में बीता और शिक्षा के प्रति रुचि हार्वर्ड के शैक्षणिक वातावरण से विकसित हुई। उन्होंने विभिन्न कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन हार न मानते हुए आगे बढ़ती रहीं। उनकी सफलता यह साबित करती है कि महिलाएँ भी पुरुषों के समान हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं। उनका संदेश है कि भारत के बच्चे और खासकर लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त करके देश का नाम रोशन करें।
(इ) यदि आप सुनीता विलियम्स का साक्षात्कार लेते तो क्या-क्या पूछते? लिखिए।
उत्तर – अंतरिक्ष में पहली बार कदम रखने पर आपको कैसा महसूस हुआ?
अंतरिक्ष में रहने के दौरान आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
क्या अंतरिक्ष में वज़नहीनता की स्थिति में काम करना मुश्किल था?
अंतरिक्ष यात्रा के दौरान आपका सबसे यादगार अनुभव क्या था?
भारतीय युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
(ई) सुनीता विलियम्स की सफलताओं के लिए एक बधाई संदेश तैयार कीजिए।
उत्तर – प्रिय सुनीता विलियम्स,
(सप्रेम नमस्ते)
आपकी अद्भुत उपलब्धियों के लिए हार्दिक बधाई! आपने अंतरिक्ष में कदम रखकर न केवल विज्ञान के क्षेत्र में योगदान दिया, बल्कि महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनीं। आपकी लगन, मेहनत और साहस हमें यह सिखाता है कि कोई भी सपना असंभव नहीं होता। हमें गर्व है कि आप भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री हैं। आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ!
सादर,
अविनाश रंजन गुप्ता
भाषा की बात
(अ) वाक्य पढ़िए। क्रियाओं पर ध्यान दीजिए।
- सुनीता विलियम्स देश का नाम ऊँचा करती हैं।
- सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।
- वैज्ञानिक अंतरिक्ष की खोज और भी करते होंगे।
इन वाक्यों से क्रिया का होना वर्तमान समय में बताया जाता है।
- वैज्ञानिक अंतरिक्ष की जानकारी प्राप्त करेंगे।
- वैज्ञानिक अपनी खोज करते रहेंगे।
- निकट भविष्य में संसार और भी विकास कर चुकेगा।
- हम भी कुछ कर दिखायें।
इन वाक्यों से स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में क्रिया होने वाली है।
- मैंने इसी क्षेत्र को पेशा बनाने की ठान ली।
- मेरा पालन-पोषण बॉस्टन के समीप में हुआ है।
- मैंने अंतरिक्ष यात्रा करनी चाही थी।
- वैज्ञानिकों ने बहुत से आविष्कार किये होंगे।
- इसे मैं एक छोटा शहर मानती थी।
- हम सुनिता विलियम्स से मिलते तो बहुत खुश होते।
इन वाक्यों से प्रतीत होता है कि क्रिया बीते हुए समय में पूरी हो चुकी है।
भूतकाल
- सामान्य भूत – लड़के ने पुस्तक पढ़ी।
- आसन्न भूत – लड़के ने पुस्तक पढ़ी है।
- पूर्ण भूत – लड़के ने पुस्तक पढ़ी थी।
- संदिग्ध भूत – लड़के ने पुस्तक पढ़ी होगी।
- अपूर्ण भूत – लड़का पुस्तक पढ़ रहा था।
- हेतु – हेतुमद् भूत – लड़के को पुस्तक मिलती तो पढ़ता।
वर्तमानकाल
- सामान्य वर्तमान – लड़का पुस्तक पढ़ता है।
- अपूर्ण वर्तमान – लड़का पुस्तक पढ़ रहा है।
- संदिग्ध वर्तमान – लड़का पुस्तक पढ़ रहा होगा।
भविष्यकाल –
- सामान्य भविष्य – लड़का पुस्तक पढ़ेगा।
- सातत्य बोधक भविष्य – लड़का पुस्तक पढ़ता रहेगा।
- पूर्ण भविष्य – लड़का पुस्तक पढ़ चुकेगा।
- संभाव्य भविष्य – आप पुस्तक पढ़ें।
- संभाव्य भविष्य – आप पुस्तक पढ़ें।
परियोजना कार्य
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए उपग्रहों की जानकारी इकट्ठा कीजिए। किसी एक उपग्रह के बारे में लिखिए।
उत्तर – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 1975 से अब तक अनेक उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है, जिनमें संचार, सुदूर संवेदन, नेविगेशन, खगोल विज्ञान, और तकनीकी प्रदर्शन से जुड़े उपग्रह शामिल हैं।
(बाकी का उत्तर छात्र अपने स्तर पर शिक्षक की सहायता से पूरा करें।)
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए –
प्रश्न – सुनीता विलियम्स कौन हैं?
उत्तर – सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला हैं।
प्रश्न – सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में कितने दिन बिताए?
उत्तर – सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में 195 दिन बिताए।
प्रश्न – सुनीता विलियम्स ने कौन-सा रिकॉर्ड बनाया?
उत्तर – सुनीता विलियम्स ने किसी भी महिला द्वारा सबसे अधिक समय अंतरिक्ष में बिताने और वहाँ चलने का रिकॉर्ड बनाया।
प्रश्न – सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष यात्री बनने की प्रेरणा कब मिली?
उत्तर – जब सुनीता विलियम्स ने पाँच वर्ष की उम्र में नील आर्मस्ट्रांग को चंद्रमा पर चलते देखा।
प्रश्न – सुनीता विलियम्स ने अपने करियर की शुरुआत कैसे की?
उत्तर – सुनीता विलियम्स ने जहाज और हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में अपना करियर शुरू किया।
प्रश्न – सुनीता विलियम्स का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर – सुनीता विलियम्स का पालन-पोषण बॉस्टन के समीप हुआ था।
प्रश्न – सुनीता विलियम्स ने कौन-सा स्कूल जॉइन किया?
उत्तर – सुनीता विलियम्स ने मेरिलैंड स्थित टेस्ट पायलट स्कूल जॉइन किया।
प्रश्न – किस व्यक्ति ने सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष यात्री बनने की प्रेरणा दी?
उत्तर – जॉन यंग ने सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए प्रेरित किया।
प्रश्न – सुनीता विलियम्स ने किस कारण हेलीकॉप्टर पायलट बनना स्वीकार किया?
उत्तर – सुनीता विलियम्स ने हेलीकॉप्टर पायलट बनना स्वीकार किया क्योंकि वे जेट पायलट नहीं बन पाईं।
प्रश्न – सुनीता विलियम्स के पिता क्या करते थे?
उत्तर – सुनीता विलियम्स के पिता डॉक्टर थे और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में पढ़ाते थे।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए –
प्रश्न – सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर – सुनीता विलियम्स को कई वर्षों तक प्रशिक्षण लेना पड़ा और हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में कार्य करना पड़ा। इसके बाद जॉन यंग से प्रेरणा लेकर उन्होंने अंतरिक्ष यात्री बनने का प्रयास किया।
प्रश्न – मसाचुसेट्स शहर ने उनके जीवन में क्या भूमिका निभाई?
उत्तर – मसाचुसेट्स में उनके पिता का काम था, और यह क्षेत्र शिक्षा का केंद्र था। यहाँ की प्रेरणा और शैक्षिक माहौल ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।
प्रश्न – उन्होंने भारत के युवाओं के लिए क्या संदेश दिया?
उत्तर – उन्होंने कहा कि भारत प्रतिभाशाली लोगों का देश है और सभी बच्चों, विशेषकर लड़कियों को सुशिक्षित होकर आगे बढ़ना चाहिए ताकि वे देश का नाम रोशन कर सकें।