SEBA, Assam Class IX Hindi Book, Alok Bhaag-1, Ch. 03 – Bindu-Bindu Vichar, Ramanada Doshi, The Best Solutions, बिंदु – बिंदु विचार – रामानंद दोषी

बिंदु-बिंदु विचार – पाठ का परिचय

प्रस्तुत पाठ में दो विचार प्रधान लघु निबंध प्रस्तुत किए गए हैं। पहले निबंध ‘वाणी और व्यवहार’ में लेखक ने किसी भी सीख को रट लेने तथा उसे समझ-बूझकर आचरण में सही ढंग से न उतार पाने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। उसने वाणी और व्यवहार की एकरूपता पर बल दिया है।

‘पारसमणि’ निबंध में लेखक ने प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर छिपी ‘पारसमणि’ को पहचानने के लिए परामर्श दिया है। लेखक की दृष्टि में यह पारसमणि है- हमारी सेवा भावना, हमारा अपना परिश्रम और लगन। ऐसी पारसमणि के स्पर्श से मनचाहा सोना बनाया जा सकता है, वांछित उपलब्धि प्राप्त की जा सकती है। किंतु इसके साथ ही उसने हमें यह चेतावनी भी दी है कि सोना बनाते समय मन की शुद्धता अनिवार्य है, अन्यथा सोने की मादकता तथा उसे और अधिक पाने का लालच हमें विनाश की ओर ले जा सकता है।

  1. वाणी और व्यवहार

मुन्ना जोर-जोर से अपना पाठ रट रहे हैं- “क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गॉडलीनेस : क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गॉडलीनेस।”

बड़ा सुंदर पाठ है। हिंदी में इसका अर्थ लगभग यह हुआ कि ‘शुचिता देवत्व की छोटी बहन है।’ मेरा ध्यान अपनी किताब से उचट कर मुन्ना की ओर लग जाता है।

पाठ याद हो गया। मुन्ना के मित्र बाहर से बुला रहे हैं। मुन्ना पैर में चप्पल डाल कर सपाटे-से बाहर निकल जाते हैं। उनके खेलने का समय हो गया है।

अब कमरे में बिटिया आती हैं। भाई पर बहुत लाड़ है इनका। मुन्ना सात समंदर पार की भाषा पढ़ रहे हैं- इसलिए भाई का आदर भी करती हैं। बिटिया अंग्रेजी नहीं पढ़तीं।

मेज के पास पहुँचकर बिटिया निशान के लिए कागज लगाकर मुन्ना की किताब बंद करती हैं; किताबों-कॉपियों-कागजों के बेतरतीब ढेर को सँवारकर करीने से चुनती हैं; खुले पड़े पेन की टोपी बंद करती हैं; गीला कपड़ा लाकर स्याही के दाग-धब्बे पोंछती हैं और कुरसी को कायदे से रखकर चुपचाप चली जाती हैं।

क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गॉडलीनेस!

मेरे सामने ज्ञान नंगा होकर खिसियाना – सा रह जाता है।

क्षण मात्र में सब कुछ बदल जाता है! गंभीर घोष से सुललित शैली में दिए गए अनेकानेक भाषणों में सुने सुंदर सुगठित वाक्य कानों में गूँजने लगते हैं! मनमोहिनी जिल्द की शानदार छपाईवाली पुस्तकों में पढ़े कलापूर्ण अंश आँखों के आगे तैर जाते हैं!

प्रवचन और अध्ययन सब बौने हो गए हैं!

आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है।

ज्ञान चाहे मस्तिष्क में रहे या पुस्तक में, वह चाहे मुँह से बखाना जाए या मुद्रण के बंदीखाने में रहे- आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है।

धर्म और राजनीति, समाज और व्यवहार के क्षेत्रों में विविध- विविध मंचों से उपदेश देनेवाले मुन्नाओ! केवल कंठ से मत बोलो- हम तुम्हारे हृदयों की गूँज सुनना चाहते हैं। वाणी और व्यवहार में समता आने दो- हम वास्तव में तुम्हारे समक्ष श्रद्धानत होना चाहते हैं।

मुन्ना! पाठ को रटो मत, उसे अपने अंदर समो लो!

बात को मुँह से और स्वयं को घर से बाहर निकालने से पहले इन दाग-धब्बों को पोंछ लो, जो तुम्हारी असावधानी से चारों ओर पड़ गए हैं।

क्रम संख्या

शब्द

हिंदी में अर्थ

अंग्रेज़ी में अर्थ

1

वाणी

बोलने की शक्ति, बात करने की शैली

Speech, voice

2

व्यवहार

आचरण, आचरणिक क्रिया

Behaviour, conduct

3

जोर-जोर से

ऊँची आवाज़ में

Loudly

4

रटना

बिना समझे याद करना

To cram, rote learning

5

शुचिता

पवित्रता, सफ़ाई

Purity, cleanliness

6

देवत्व

ईश्वर का गुण, दिव्यता

Divinity

7

ध्यान

एकाग्रता, मन लगाना

Attention, concentration

8

उचटना

हट जाना, ध्यान हटना

To get distracted

9

सपाटे-से

तेज़ी से, तुरंत

Swiftly, in a rush

10

लाड़

प्यार, स्नेह

Affection, fondness

11

आदर

सम्मान

Respect

12

करीने से

व्यवस्थित ढंग से

Neatly, systematically

13

स्याही

लिखने की काली नीली द्रव्य

Ink

14

दाग-धब्बे

गंदे निशान

Stains, spots

15

कायदे से

नियमपूर्वक, ठीक प्रकार से

Properly, orderly

16

खिसियाना

शर्मिंदा होना

To feel embarrassed

17

घोष

घोषणा, उच्चारण

Declaration, announcement

18

सुललित

मधुर, कर्णप्रिय

Melodious, pleasant

19

सुगठित

अच्छी तरह बना हुआ

Well-structured

20

गूँजना

प्रतिध्वनि होना

Echo

21

तैरना

आँखों के सामने आना

To float (in memory or vision)

22

बौने हो जाना

छोटा हो जाना

To become insignificant

23

लकीर

रेखा, संकेत

Line, mark

24

विफल

असफल

Unsuccessful, failed

25

मनोरथ

उद्देश्य, इच्छा

Wish, intention

26

उपदेश

शिक्षा, सीख

Teaching, preaching

27

समता

समानता, संतुलन

Equality, harmony

28

श्रद्धानत

श्रद्धा से झुकना

To bow with reverence

29

समो लेना

आत्मसात करना, अपनाना

To absorb, assimilate

30

असावधानी

लापरवाही, ध्यान की कमी

Carelessness, negligence

शब्दार्थ एवं टिप्पणी

वाणी – बोली, वचन

शुचिता – पवित्रता

घोष – आवाज, ध्वनि

बेतरतीब – अव्यवस्थित, बिना क्रम के

करीने से – अच्छी तरह से, ढंग से

प्रवचन – उपदेशपरक भाषण

समक्ष – सामने, सम्मुख

बौना – छोटा, नाटा

लकीर – रेखा

मस्तिष्क – दिमाग

मनोरथ – मनोकामना

श्रद्धानत – श्रद्धा से नत

वाणी और व्यवहार’ पाठ का सार

यह पाठ ‘वाणी और व्यवहार’ हमें यह समझाने का प्रयास करता है कि केवल ज्ञान प्राप्त करना या उसे बोलकर जताना पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उसका आचरण में उतरना आवश्यक है। लेखक एक दृश्य के माध्यम से यह बात स्पष्ट करते हैं—मुन्ना अंग्रेज़ी का एक सुंदर वाक्य रट रहे हैं: “Cleanliness is next to Godliness” (स्वच्छता ईश्वरत्व के समीप है)। परंतु जैसे ही उनका खेलने का समय होता है, वे किताबें बिखेरकर, बिना सफ़ाई के बाहर भाग जाते हैं। इसके विपरीत, उनकी बहन, जो अंग्रेज़ी नहीं पढ़तीं, चुपचाप कमरे में आकर किताबें, कापियाँ और स्याही के दागों को साफ़ करती हैं, और चीज़ों को करीने से रखकर चली जाती हैं।

यह घटना लेखक को सोचने पर मजबूर कर देती है कि सच्चा ज्ञान वही है जो व्यवहार में झलके। सिर्फ वाणी से कहे गए शब्द, पढ़े गए पाठ या दिए गए उपदेश तब तक अधूरे हैं जब तक वे जीवन में न उतारें जाएँ। व्यवहार और आचरण ही ज्ञान की सच्ची कसौटी है।

लेखक अंत में सभी ‘मुन्नाओं’ से आग्रह करते हैं कि सिर्फ बातें न करें, हृदय से बोलें और आचरण से उदाहरण बनें।

  1. पारसमणि

पारसमणि है तुम्हारे पास?

नहीं तो।

और तुम्हारे पास?

नहीं।

और तुम्हारे?

नहीं।

यहाँ-वहाँ जाने कितनों से पूछा, पर पारसमणि तो कहीं मिली नहीं। क्या इस अद्भुत मणि की बात निरी कल्पना है? यदि वास्तव में ऐसी कोई मणि है, तो मुझ अभागे को मिलती क्यों नहीं? तभी किसी ने कहा, “है, मेरे पास है पारसमणि। तुम्हें चाहिए? क्या करोगे उसका?”

उत्तर दिया : हाँ, चाहिए। इसीलिए न, खोजता फिर रहा हूँ। उसके स्पर्श से लोहे को सोना बनाऊँगा।  

उसी ने कहा : शुभ संकल्प है तुम्हारा। मणि तो मैं तुम्हें दे दूँ, पर एक बात बताओ – लोहा है तुम्हारे पास?

मुझे जैसे काठ मार गया। पारस की पहली शर्त लोहा है- यह तो कभी ध्यान ही न आया।

मेरा असमंजस देख वही बोला “न सही लोहा, लकड़ी, पत्थर, चमड़ा, पीतल कुछ तो होगा, वही लाओ, मेरे पास बहुत प्रकार की पारसमणियाँ हैं।”

आश्चर्य! क्या पारसमणियों के भी बहुत प्रकार होते हैं? परंतु मेरे पास तो कुछ भी नहीं है। बिल्कुल खाली हाथ हूँ। हाय, सोना बनाने का कैसा सुयोग हाथ से निकला जा रहा है।

उसी ने धीरज बँधाया : निराश मत हो। जिसके पास कुछ नहीं है, उसके लिए भी पारसमणि है।

सुखद आश्चर्य से भर उठा मैं। मणि लेने के लिए हाथ फैला दिए। वही बोला : याचना के लिए फैलाए गए हाथ का भाग केवल तिरस्कार है, बंधु!

हाथ बढ़ाओ तो किसी उद्योग के लिए। तुम पारसमणि खोजते फिर रहे हो न, परंतु वह तो तुम्हारे भीतर ही है- स्पर्शमणि। खाली हाथ हो, तो सेवा के स्पर्श से, लोहे – पीतल वाले हो, तो कौशल के स्पर्श से और प्रतिभा वाले हो, तो लगन के स्पर्श से मनचाहा सोना बना सकते हो तुम। स्पर्श तुम्हारा जितना शुद्ध होगा, सोना भी उसी मात्रा में शुद्ध प्राप्त होगा तुम्हें।

मैं धन्य होकर लौटने लगा, तो उसी ने टोका : गुर सिखाया है, इसलिए यह पूछने का अधिकार है मेरा, सोना बनाकर उसका करोगे क्या?

मैं हत्प्रभ रह गया – यह भी कोई प्रश्न हुआ भला!

उसी ने कहा : प्रश्न यह उचित है और आवश्यक भी। सोने में अच्छाई जितनी है, बुराई उससे कम नहीं है। सोना जिसके पास है, उसे मद से मारता है और जिसके पास नहीं है, उसे लोभ से त्रस्त रखता है। शुद्ध सोने का वास शुद्ध व्यक्ति और शुद्ध समाज में ही संभव है।

क्रम

शब्द

हिंदी में अर्थ

अंग्रेज़ी में अर्थ

1

पारसमणि

वह मणि जो लोहे को छूकर सोना बना दे

Philosopher’s stone

2

निरी

केवल, मात्र

Mere, only

3

कल्पना

सोच, विचार

Imagination

4

अद्भुत

आश्चर्यजनक, विचित्र

Wonderful, miraculous

5

अभागा

दुर्भाग्यशाली

Unfortunate

6

खोजना

ढूँढ़ना

To search

7

स्पर्श

छूना, छुवन

Touch

8

संकल्प

निश्चय, दृढ़ इच्छा

Determination, resolution

9

काठ मार जाना

स्तब्ध हो जाना, कुछ सोच न पाना

To be stunned

10

असमंजस

दुविधा, भ्रम

Confusion, dilemma

11

पीतल

एक पीले रंग की धातु

Brass

12

उद्योग

परिश्रम, मेहनत

Effort, industry

13

याचना

भीख माँगना, विनती

Begging, plea

14

तिरस्कार

अपमान, अवहेलना

Disdain, rejection

15

सेवा

दूसरों के काम आना, मदद

Service, help

16

कौशल

कुशलता, दक्षता

Skill, efficiency

17

प्रतिभा

विशेष योग्यता, क्षमता

Talent, ability

18

लगन

समर्पण, उत्साह

Dedication, passion

19

शुद्ध

साफ, पवित्र

Pure, clean

20

धन्य

कृतज्ञ, भाग्यशाली

Blessed, grateful

21

टोका

रोका, ध्यान दिलाया

Interrupted, reminded

22

गुर

शिक्षक, ज्ञान देनेवाला

Teacher, guide

23

मद

घमंड, अभिमान

Pride, arrogance

24

लोभ

लालच

Greed

25

त्रस्त

पीड़ित, परेशान

Troubled, tormented

26

आवश्यक

ज़रूरी

Necessary, essential

27

समाज

लोग, समुदाय

Society

28

स्पर्शमणि

वह शक्ति जिससे कुछ बदल सके

Transformative power (metaphorical stone)

29

भाग

हिस्सा, अधिकार

Share, right

30

शुद्ध व्यक्ति

सच्चा, नैतिक व्यक्ति

Pure person, righteous person

शब्दार्थ और टिप्पणी

पारसमणि – ऐसी मणि जिसके स्पर्श से लोहा सोना हो जाए

निरी – मात्र, सिर्फ

काठ मारना – सुन्न रह जाना, जड़वत हो जाना

हाथ से निकलना – मौका चूक जाना

असमंजस – दुविधा

सुयोग – सुअवसर, अच्छा मौका

याचना – माँगना

प्रतिभा गुर सिखाना- सृजनशील बुद्धि

गुर सिखाना – रहस्य की बात बताना

हत्प्रभ – भौंचक

मद – नशा, घमंड

त्रस्त – परेशान, दुखी

पारसमणि पाठ का सार

पाठ ‘पारसमणि’ एक प्रतीकात्मक और प्रेरणात्मक रचना है, जो यह सिखाती है कि वास्तविक चमत्कार किसी बाहरी वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे अपने भीतर छिपे हुए गुणों में है। लेखक पारसमणि जो लोहे को सोना बना देती है की खोज में इधर-उधर भटकता है, लेकिन वह कहीं नहीं मिलती। अंततः एक व्यक्ति उसे समझाता है कि पारसमणि बाहर नहीं, हमारे भीतर है—हमारे ‘स्पर्श’ में है।

यदि हमारे पास सेवा, कौशल या प्रतिभा है, तो उसके शुद्ध और सच्चे प्रयोग से हम किसी भी साधारण चीज़ को कीमती बना सकते हैं। पर सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सोने का क्या करना है, इसका उद्देश्य भी स्पष्ट होना चाहिए। क्योंकि सोना (या सफलता) यदि गलत हाथों में जाए, तो वह अहंकार और लोभ को जन्म देती है। अतः लेखक के माध्यम से पाठ हमें यह सिखाता है कि सच्चा मूल्य बाहरी नहीं, आंतरिक गुणों और उद्देश्य में है।

बोध एवं विचार

  1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :-

(क) मुन्ना कौन – सा पाठ याद कर रहा था?

उत्तर – मुन्ना “क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गॉडलीनेस” वाला पाठ याद कर रहा था।

(ख) मुन्ना को बाहर कौन बुला रहा था?

उत्तर – मुन्ना को उसके मित्र बाहर से बुला रहे थे।

(ग) मुन्ना की बहन उसके लिए क्या-क्या कार्य किया करती थी?

उत्तर – मुन्ना की बहन उसकी किताब बंद करती थी, किताबों और कागज़ों को सजाकर रखती थी, पेन की टोपी बंद करती थी, गीले कपड़े से स्याही के दाग पोंछती थी और कुर्सी को ठीक से रखती थी।

(घ) आपकी राय में अंग्रेजी की सूक्ति का मुन्ना और उसकी बहन में से किसने सही-सही अर्थ समझा?

उत्तर – मेरी राय में मुन्ना की बहन ने अंग्रेजी की सूक्ति “क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गॉडलीनेस” का सही-सही अर्थ समझा, क्योंकि उसने व्यवहार में सफाई और व्यवस्था का पालन किया।

(ङ) पाठ के अनुसार सात समंदर की भाषा क्या है?

उत्तर – पाठ के अनुसार सात समंदर की भाषा अंग्रेज़ी है।

  1. संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में) :-

(क) लेखक का ध्यान अपनी किताब से उचट कर मुन्ना की ओर क्यों गया?

उत्तर – लेखक का ध्यान अपनी किताब से उचट कर मुन्ना की ओर गया क्योंकि मुन्ना ज़ोर-ज़ोर से पाठ रट रहा था और “क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गॉडलीनेस” जैसे सुंदर विचार को केवल रटने तक सीमित रख रहा था।

(ख) बिटिया मुन्ना की मेज को क्यों सँवार देती है?

उत्तर – बिटिया अपने भाई के प्रति स्नेह और सम्मान के कारण उसकी बिखरी हुई मेज को चुपचाप साफ़-सुथरा और व्यवस्थित कर देती है। दूसरी तरफ उसे साफ़-सफ़ाई भी बहुत पसंद थी।

(ग) लेखक को सारे प्रवचन – अध्ययन बौने क्यों लगे?

उत्तर लेखक को सारे प्रवचन – अध्ययन बौने लगे क्योंकि व्यवहार में उतरा एक छोटा-सा कार्य सारे बड़े-बड़े भाषणों और पुस्तकीय ज्ञान पर भारी पड़ गया और उसे व्यर्थ सिद्ध कर दिया।  

(घ) “हम वास्तव में तुम्हारे समक्ष श्रद्धानत होना चाहते हैं।”- इस वाक्य में लेखक ने ‘वास्तव’ शब्द का प्रयोग क्यों किया है?

उत्तर – लेखक ने ‘वास्तव’ शब्द का प्रयोग इसलिए किया है क्योंकि वह केवल दिखावे की नहीं, बल्कि सच्चे मन से श्रद्धा व्यक्त करने की बात कर हे हैं।

(ङ) ‘वाणी और व्यवहार में समता आने दो।’ यदि वाणी और व्यवहार एक हो तो इसका परिणाम क्या होगा? अपना अनुभव व्यक्त करो।

उत्तर – यदि वाणी और व्यवहार एक हों, तो व्यक्ति पर विश्वास और सम्मान बढ़ता है। ऐसा व्यक्ति समाज में प्रेरणा का स्रोत बन जाता है। मैंने ऐसे व्यक्तियों से सीख पाई है।

(च) ‘पाठ याद हो गया।’ मुन्ना का पाठ याद हो जाने पर भी लेखक उससे प्रसन्न नहीं हैं, क्यों?

उत्तर – लेखक इसलिए प्रसन्न नहीं हैं क्योंकि मुन्ना ने पाठ का व्यवहार में पालन नहीं किया, केवल रटकर उसे दोहराया, जिससे उसका उद्देश्य ही व्यर्थ हो गया।

(छ) लेखक ने इस निबंध में अंग्रेजी की सूक्ति- ‘क्लीनलीनेस इज़ नैक्स्ट टु गॉडलीनेस’ को आधारबिंदु क्यों बनाया है?

उत्तर – लेखक ने इस सूक्ति को आधार इसलिए बनाया क्योंकि वह दिखाना चाहते हैं कि जीवन में केवल ज्ञान नहीं, आचरण की शुद्धता, अच्छी बातों का व्यवहार में उतरना और साफसफाई भी आवश्यक है।

  1. आशय स्पष्ट करो (लगभग 50 शब्दों में) :-

(क) आचरण की एक लकीर ने सबको छोटा कर दिया है।

उत्तर – इस पंक्ति का आशय है कि व्यवहार में उतरा हुआ एक छोटा-सा अच्छा कार्य भी बड़े-बड़े ज्ञान, प्रवचनों और पुस्तकीय बातों से अधिक प्रभावशाली होता है। जब कोई व्यक्ति अपने आचरण से श्रेष्ठता दिखाता है, तो केवल बातों में महान बनने वाले लोग तुच्छ प्रतीत होते हैं।

(ख) केवल कंठ से मत बोलो – हम तुम्हारे हृदयों की गूज सुनना चाहते हैं।

उत्तर – इसका अर्थ है कि बातें केवल ज़ुबान से करना पर्याप्त नहीं है। जब शब्द दिल से निकलते हैं और आचरण में उतरते हैं, तभी वे प्रभावशाली बनते हैं। लोग वही सुनना और समझना चाहते हैं जो दिल से निकले और सच्चे मन से किया गया हो। साथ ही साथ कहने वाला उसे अपने प्रतिदिन के जीवन में भी उतारता हो।

  1. सही शब्दों का चयन कर वाक्यों को फिर से लिखो :-

(क) लेखक ______ पढ़ रहा था।(समाचार पत्र, किताब, पत्रिका, चिट्ठी)

उत्तर – किताब

(ख) बिटिया ______ नहीं पढ़तीं। (अंग्रेजी, हिंदी, असमीया, बंगला)

उत्तर – अंग्रेजी

(ग) ______ आचरण में उतरे बिना विफल मनोरथ है। (प्रवचन, अध्ययन, व्यवहार, ज्ञान)

उत्तर – ज्ञान

(घ) आचरण की एक ______ ने सबको छोटा कर दिया है। (रेखा, बिंदू, लकीर, इच्छा)

उत्तर – लकीर

(ङ) प्रवचन और अध्ययन सब ______ हो गए हैं। (छोटे, नाटे, ऊँचे, बौने)

उत्तर – बौने

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

  1. कुछ शब्द ऐसे हैं जिनका एक वचन और बहुवचन दोनों में एक ही रूप रहता है; किंतु वाक्य में प्रयुक्त क्रियाओं को देखकर वचन निर्णय किए जाते हैं। जैसे-

मुन्ना का पाठ याद हो गया।

मुन्ना के मित्र बाहर बुला रहे हैं।

ऐसे ही किन्हीं दस शब्दों का चयन करो और दोनों वचनों में वाक्य बनाओ।

उत्तर – मित्र – मेरा एक मित्र घर आया। – मेरे मित्र बाहर खेल रहे हैं।

छात्र – वह छात्र मेहनती है। – छात्र कक्षा में पढ़ रहे हैं।

पानी – पानी ठंडा है। – सभी जगों में पानी भर दिया गया है।

फल – यह फल मीठा है। – बाजार में ताजे फल बिक रहे हैं।

दूध – दूध गरम है। – बोतलों में दूध रखा गया है।

मछली – तालाब में मछली तैर रही है। – मछली पकड़ने वाले आए हैं।

फूल – बग़ीचे में एक सुंदर फूल खिला है। – पेड़ पर कई फूल खिले हैं।

पाठ – आज का पाठ कठिन है। – सभी पाठ ध्यान से पढ़े गए।

समाचार – यह समाचार चौंकाने वाला है। – टीवी पर समाचार आ रहे हैं।

पशु – यह पशु बड़ा सीधा है। – जंगल में कई पशु रहते हैं।

  1. निम्नलिखित शब्दों का सही उच्चारण करो :-

शुचिता, क्षण, प्रवचन, आचरण, मुद्रण, मस्तिष्क, भाषण, कॉपी।

उत्तर – शुचिता – शु-चि-ता

क्षण – क्ष-ण

प्रवचन – प्र- व- च-न

आचरण – आ- च- र- ण

मुद्रण – मु- द्र- ण

मस्तिष्क – म- स्- ति- ष्क

भाषण – भा- ष- ण

कॉपी – कॉ- पी

  1. निम्नलिखित शब्दों के लिए दो-दो समानार्थी (पर्याय) लिखो

किताब, सोना, लाड़, पत्थर, समंदर, आँख।

उत्तर – किताब – पुस्तक, ग्रंथ

सोना – स्वर्ण, कंचन

लाड़ – स्नेह,  ममता

पत्थर – शिला,  प्रस्तर

समंदर – समुद्र,  सागर

आँख – नेत्र,  लोचन

  1. नीचे दिए गए शब्दों में विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) अलग-थलग हुए हैं। आप इनके उपयुक्त विशेषण- विशेष्य के जोड़े बनाओ : विशाल, ऊँची, सड़क, बुटी, सुदीर्घ, प्राणदायी, विष, विध्वंसक, मंदिर, मीनार, तोप, प्राणघातक।

उत्तर – विशाल – मंदिर

ऊँची – मीनार

सुदीर्घ – सड़क

प्राणदायी – वायु

प्राणदायी – बुटी

विध्वंसक – तोप

प्राणघातक – विष

योग्यता – विस्तार

कथनी और करनी में समानता की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त निबंध लिखो।

उत्तर – कथनी और करनी में समानता की आवश्यकता

कथनी और करनी का अर्थ है—जो कहा जाए, वही किया भी जाए। जीवन में सफलता और सम्मान पाने के लिए आवश्यक है कि हमारे शब्द और हमारे कार्य एक जैसे हों। यदि कोई व्यक्ति अच्छे विचारों की बातें करता है, परंतु उसका व्यवहार विपरीत होता है, तो उस पर विश्वास करना कठिन हो जाता है।

समाज में ऐसे कई लोग मिलते हैं जो दूसरों को उपदेश देते हैं, पर स्वयं उनका पालन नहीं करते। ऐसे लोगों की बातों का कोई असर नहीं होता। वहीं, जो व्यक्ति जैसा बोलता है, वैसा ही आचरण भी करता है, वह दूसरों के लिए प्रेरणा बनता है। महापुरुषों की वाणी और आचरण में सदा समानता रही है, इसी कारण लोग उन्हें श्रद्धा से याद करते हैं। अतः हमें भी अपने जीवन में कथनी और करनी में एकता लाने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यही सच्चे चरित्र की पहचान है।

“जो बोले सो करे, वही सच्चा इंसान कहलाए।”

वाणी और व्यवहार’ पाठ के अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न – मुन्ना कौन-सा वाक्य रट रहे थे?

उत्तर – मुन्ना रट रहे थे—”Cleanliness is next to Godliness”।

प्रश्न – मुन्ना के खेलने का समय होते ही उन्होंने क्या किया?

उत्तर – मुन्ना किताबें बिखेरकर जल्दी से बाहर चले गए।

प्रश्न – मुन्ना की बहन ने कमरे में आकर क्या किया?

उत्तर – उन्होंने किताबें समेटीं, स्याही के दाग पोंछे और कुरसी ठीक से रखी।

प्रश्न – लेखक को सबसे ज़्यादा किस बात ने प्रभावित किया?

उत्तर – लेखक को बहन का व्यवहारिक स्वच्छता प्रेम सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है।

प्रश्न – लेखक ने ‘मुन्नाओं’ से क्या आग्रह किया?

उत्तर – उन्होंने आग्रह किया कि वाणी और व्यवहार में समानता लाएँ।

 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो से तीन वाक्यों में लिखिए

प्रश्न – पाठ में लेखक ने मुन्ना और उसकी बहन की तुलना किस प्रकार की है?

उत्तर – लेखक ने मुन्ना को केवल रटनेवाला बताया है, जो स्वच्छता पर पाठ तो पढ़ता है पर व्यवहार में नहीं लाता। वहीं बहन बिना पढ़े ही स्वच्छता का पालन करती है। यह तुलना आचरण की महत्ता को दर्शाती है।

प्रश्न – लेखक को मुन्ना की बहन का व्यवहार क्यों सराहनीय लगा?

उत्तर – मुन्ना की बहन ने बिना कुछ कहे चुपचाप कमरे को साफ़-सुथरा कर दिया। उन्होंने स्वच्छता को अपने आचरण से दिखाया, जो किताबों और भाषणों से कहीं अधिक प्रभावी था।

प्रश्न – लेखक ने ज्ञान को आचरण से जोड़कर क्या संदेश दिया है?

उत्तर – लेखक कहते हैं कि ज्ञान तभी सार्थक है जब वह व्यवहार में उतरे। केवल पढ़ना और बोलना काफी नहीं, बल्कि उस पर अमल करना ज़रूरी है। आचरण की एक लकीर सब उपदेशों पर भारी पड़ती है।

(2)

बोध एवं विचार

(अ) सही विकल्प का चयन करो :-

  1. किसी ने कहा : “मेरे पास है पारसमणि”- इसमें ‘किसी कौन है?

(क) कोई राह चलता व्यक्ति

(ख) लेखक का विवेक

(ग) लेखक की बुद्धि

(घ) लेखक की कल्पना

उत्तर – (ख) लेखक का विवेक

  1. लोहा है तुम्हारे पास?”में ‘लोहा’ से क्या आशय है?

(क) उद्यमशीलता

(ख) लौह धातु

(ग) भौतिक उपकरण

(घ) अनुभव

उत्तर – (क) उद्यशीलता

(आ) संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में) :-

  1. लेखक पारसमणि क्यों ढूँढ़ रहा था?

उत्तर – लेखक पारसमणि इसलिए ढूँढ़ रहा था ताकि वह उसके स्पर्श से लोहे को सोना बना सके। इससे वह जीवन को मूल्यवान और सफल बनाने की इच्छा पूर्ण कर सकते थे।

  1. लेखक ने स्पर्शमणि के कौन-कौन से रूप बताए हैं?

उत्तर – लेखक ने तीन प्रकार की स्पर्शमणियों का उल्लेख किया है—सेवा का स्पर्श, कौशल का स्पर्श और लगन का स्पर्श। इनकी सहायता से साधारण वस्तुओं को भी मूल्यवान बनाया जा सकता है।

  1. शुद्ध स्पर्श’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर – ‘शुद्ध स्पर्श’ से आशय है – सच्चे मन, निष्कलंक उद्देश्य और नेक भावना से किया गया कार्य। ऐसा स्पर्श ही जीवन में सकारात्मक और मूल्यवान परिवर्तन ला सकता है।

  1. सोना का होना और न होना दोनों ही समस्या के कारण क्यों हैं?

उत्तर – सोना यदि हो तो वह व्यक्ति को अहंकार से भर देता है और यदि न हो तो व्यक्ति लालच में डूब जाता है। इस प्रकार, सोना दोनों ही स्थितियों में मानसिक और सामाजिक समस्याओं को जन्म देता है।

(इ) आशय स्पष्ट करो (लगभग 50 शब्दों में) :-

(क) याचना के लिए फैलाए हाथ का भाग केवल तिरस्कार है, बंधु!

उत्तर – इस पंक्ति का आशय है कि केवल माँगने के लिए हाथ फैलाना अपमानजनक होता है। सम्मान और सफलता उसी को मिलती है जो अपने श्रम और प्रयास से कुछ प्राप्त करता है। याचना व्यक्ति को निर्बल और दूसरों पर निर्भर बना देती है। जबकि उद्यम के लिए फैलाया हुआ हाथ उसे विशिष्टता की ओर ले जाता है।

(ख) शुद्ध सोने का वास शुद्ध व्यक्ति और शुद्ध समाज में ही संभव है।

उत्तर – इसका आशय है कि असली मूल्य और संपदा केवल वहीं टिक सकती है जहाँ ईमानदारी, नैतिकता और पवित्रता हो। यदि व्यक्ति या समाज भ्रष्ट हो, तो वहाँ प्राप्त साधन भी विनाश का कारण बन सकते हैं। अतः शुद्धता परम आवश्यक है।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

नीचे दिए गए वाक्य को पढ़ो :

(क) सोना पाकर उसका करोगे क्या?

सोना पाकर उसका क्या करोगे?

(ख) सोने के आकांक्षी हो तुम।

तुम सोने के आकांक्षी हो।

वाक्य में विशेष अंश पर बल देने के लिए पदों के सामान्य क्रम को बदल दिया जाता है। पाठ में से इसी प्रकार के वाक्य छाँटकर लिखो और उनका सामान्य पदक्रम भी लिखो।

उत्तर – पाठ से वाक्य –

 – पारस की पहली शर्त लोहा है।

सामान्य पदक्रम –

 – लोहा पारस की पहली शर्त है।

पाठ से वाक्य –

 – शुद्ध सोने का वास शुद्ध व्यक्ति और शुद्ध समाज में ही संभव है।

सामान्य पदक्रम –

 – शुद्ध व्यक्ति और शुद्ध समाज में ही शुद्ध सोने का वास संभव है।

पाठ से वाक्य –

 – हाथ बढ़ाओ तो किसी उद्योग के लिए।

सामान्य पदक्रम –

 – किसी उद्योग के लिए हाथ बढ़ाओ।

पाठ से वाक्य –

 – प्रश्न यह उचित है और आवश्यक भी।

सामान्य पदक्रम –

 – यह प्रश्न उचित और आवश्यक है।

पाठ से वाक्य –

 – स्पर्श तुम्हारा जितना शुद्ध होगा, सोना भी उसी मात्रा में शुद्ध प्राप्त होगा तुम्हें।

सामान्य पदक्रम –

 – जितना तुम्हारा स्पर्श शुद्ध होगा, उतना ही शुद्ध सोना तुम्हें प्राप्त होगा।

योग्यता – विस्तार

गांधीवादी चिंतक के रूप में विख्यात रवींद्र केलेकर का यह लघु निबंध पढ़ो और कक्षा में चर्चा करो

गिनी का सोना

शुद्ध सोना अलग है और गिन्नी का सोना अलग। गिन्नी के सोने में थोड़ा- सा ताँबा मिलाया हुआ होता है, इसलिए वह ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से मजबूत भी होता है। औरतें अकसर इसी सोने के गहने बनवा लेती हैं।

फिर भी होता तो वह है गिन्नी का ही सोना।

शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते हैं। चंद लोग उनमें व्यावहारिकता का थोड़ा-सा ताँबा मिला देते हैं और चलाकर दिखाते हैं। तब हमलोग उन्हें ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट”कहकर उनका बखान करते हैं।

पर बात न भूलें कि बखान आदर्शों का नहीं होता, बल्कि व्यावहारिकता का होता है। और जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब “प्रैक्टिकल आइडियॉलिस्टों”के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझबूझ ही आगे आने लगती है।

सोना पीछे रहकर ताँबा ही आगे आता है।

चंद लोग कहते हैं, गांधी जी ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ थे। व्यावहारिकता को पहचानते थे। उसकी कीमत जानते थे। इसी लिए वे अपने विलक्षण आदर्श चला सके। वरना हवा में ही उड़ते रहते। देश उनके पीछे न जाता।

हाँ, पर गांधीजी कभी आदर्शों को व्यावहारिकता के स्तर पर उतरने नहीं देते थे। बल्कि व्यावहारिकता को आदर्शों के स्तर पर चढ़ाते थे। वे सोने में ताँबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे।

इसलिए सोना ही हमेशा आगे आता रहता था।

व्यवहारवादी लोग हमेशा सजग रहते हैं। लाभ-हानि का हिसाब लगाकर ही कदम उठाते हैं। वे जीवन में सफल होते हैं, अन्यों से आगे भी जाते हैं पर क्या वे ऊपर चढ़ते हैं। खुद ऊपर चढ़ें और अपने साथ दूसरों को भी ऊपर ले चलें, यही महत्त्व की बात है। यह काम तो हमेशा आदर्शवादी लोगों ने ही किया है। समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है। व्यवहारवादी लोगों ने तो समाज को गिराया ही है।

उत्तर – छात्र शिक्षक की सहायता से इसे पूरा करें।

पारसमणि’ पाठ के अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न – लेखक क्या खोज रहे थे?

उत्तर – लेखक पारसमणि खोज रहे थे।

प्रश्न – लेखक को पारसमणि किसने देने की बात कही?

उत्तर – एक व्यक्ति ने कहा कि उसके पास पारसमणि है और वह उन्हें दे सकता है।

प्रश्न – पारसमणि देने से पहले उस व्यक्ति ने लेखक से क्या पूछा?

उत्तर – पारसमणि देने से पहले उस व्यक्ति ने लेखक से पूछा कि क्या लेखक के पास लोहा है।

प्रश्न – लेखक के पास क्या नहीं था?

उत्तर – लेखक के पास न लोहा था, न कोई अन्य साधन।

प्रश्न – असली पारसमणि कहाँ बताई गई है?

उत्तर – असली पारसमणि हमारे भीतर बताई गई है।

 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो से तीन वाक्यों में लिखिए

प्रश्न – लेखक पारसमणि से क्या करना चाहता था?

उत्तर – लेखक पारसमणि के स्पर्श से लोहे को सोना बनाना चाहता था। उसे विश्वास था कि पारसमणि पाकर वह साधारण चीज़ को मूल्यवान बना सकेगा।

प्रश्न – जब लेखक के पास कुछ भी नहीं था, तब उस व्यक्ति ने क्या सुझाव दिया?

उत्तर – व्यक्ति ने क्या सुझाव दिया कि जिसके पास कुछ नहीं है, उसके लिए भी पारसमणि है। सेवा, कौशल और प्रतिभा से भी सोना बनाया जा सकता है।

प्रश्न – उस व्यक्ति ने हाथ फैलाने को क्यों तिरस्कार का भाग कहा?

उत्तर – उस व्यक्ति ने कहा कि याचना का हाथ तिरस्कार का पात्र होता है। हाथ फैलाना चाहिए तो केवल उद्योग और परिश्रम के लिए।

प्रश्न – लेखक को अंत में कौन-सा महत्त्वपूर्ण सिख मिलती है?

उत्तर – लेखक को यह सिख मिलती है कि असली पारसमणि हमारे भीतर है—हमारी सेवा, लगन और कौशल में। यह भी कि सोना बना लेने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि उसका उपयोग कैसे और किस उद्देश्य से किया जाएगा।

 

 

 

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