अज्ञेय
अज्ञेय का मूल नाम सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन है। उन्होंने अज्ञेय नाम से काव्य रचना की है। उनका जन्म 7 मार्च, 1911 ई. को कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उनका बचपन लखनऊ, श्रीनगर और जम्मू में बीता। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अंग्रेजी और संस्कृत में हुई। हिंदी उन्होंने बाद में सीखी। वे आरंभ में विज्ञान के विद्यार्थी थे। बी.एस.सी. करने के बाद उन्होंने एम. ए. अंग्रेजी में प्रवेश लिया। क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें अपना अध्ययन बीच में ही छोड़ना पड़ा। वे चार वर्ष जेल में रहे तथा दो वर्ष नजरबंद।
अज्ञेय ने देश-विदेश की अनेक यात्राएँ कीं। उन्होंने कई नौकरियाँ कीं और छोड़ीं। कुछ समय तक वे जोधपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे। वे हिंदी के प्रसिद्ध समाचार साप्ताहिक दिनमान के संस्थापक संपादक थे। कुछ दिनों तक उन्होंने नवभारत टाइम्स का भी संपादन किया। इसके अलावा उन्होंने सैनिक, विशाल भारत, प्रतीक, नया प्रतीक आदि अनेक साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। आजादी के बाद की हिंदी कविता पर उनका व्यापक प्रभाव है। उन्होंने सप्तक परंपरा का सूत्रपात करते हुए तार सप्तक, दूसरा सप्तक, तीसरा सप्तक और चौथा सप्तक का संपादन किया। प्रत्येक सप्तक में सात कवियों की कविताएँ संगृहीत हैं, जो शताब्दी के कई दशकों की काव्य-चेतना को प्रकट करती हैं।
हिंदी के प्रयोगवाद और नई कविता के प्रवर्तक माने जाने वाले इस महान साहित्यकार का देहावसान 1987 ई. में हुआ। वे प्रकृति-प्रेम और मानव-मन के अंतर्द्वद्वों के कवि हैं। उनकी कविता में व्यक्ति की स्वतंत्रता का आग्रह है और बौद्धिकता का विस्तार भी। उन्होंने शब्दों को नया अर्थ देने का प्रयास करते हुए हिंदी काव्य – भाषा का विकास किया है। उन्हें अनेक पुरस्कार मिले हैं, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत भारती सम्मान और भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रमुख हैं।
उनकी मुख्य काव्य-कृतियाँ हैं- भग्नदूत, चिंता, हरी घास पर क्षण पर, इंद्रधनु रौंदे हुए ये, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार आदि। अज्ञेय की संपूर्ण कविताओं का संकलन सदानीरा नाम से दो भागों में हुआ है।
गाँव से शहर की ओर – कविता का परिचय
संकलित कविता गाँव से शहर की ओर में नगरीकरण की प्रक्रिया से उत्पन्न गाँव और शहर के विडंबनापूर्ण संबंध और उसमें मनुष्य की स्थिति की ओर संकेत है। पहले गाँव से शहर तक पहुँचाना मुश्किल था, जबकि अब गाँवों से शहर की ओर लोगों का पलायन बढ़ता जा रहा है। यह भारतीय मनुष्य की त्रासद स्थिति है।
गाँव से शहर की ओर
उस बार हम गाँव से
सैर को निकले थे
हमने पाया
कि गाँव के बाहर हमारी पहुँच नहीं है :
सारे रास्ते –
डगर और पगडंडियाँ तक
सब वापस गाँव की ओर ही लौट जाते हैं
इस बार हम फिर
शहर से गाँव की सैर को निकले
और हमने पाया
कि गाँव तक हमारी पहुँच नहीं रही :
सारे रास्ते,
अब
गाँव से शहर की ओर दौड़ रहे हैं।
गाँव से शहर की ओर – व्याख्या सहित
उस बार हम गाँव से
सैर को निकले थे
हमने पाया
कि गाँव के बाहर हमारी पहुँच नहीं है :
सारे रास्ते –
डगर और पगडंडियाँ तक
सब वापस गाँव की ओर ही लौट जाते हैं
इस बार हम फिर
शहर से गाँव की सैर को निकले
और हमने पाया
कि गाँव तक हमारी पहुँच नहीं रही :
सारे रास्ते,
अब
गाँव से शहर की ओर दौड़ रहे हैं।
शब्दार्थ –
शब्द | हिंदी अर्थ | English Meaning |
सैर | घूमना, भ्रमण | Excursion, outing |
पहुँच | पहुँचने की क्षमता या मार्ग | Access, reach |
डगर | रास्ता, पथ | Path, route |
पगडंडी | छोटा, संकरा रास्ता | Footpath, narrow trail |
दौड़ रहे हैं | तेज़ी से बढ़ना, भागना | Running, rushing |
शब्दार्थ एवं टिप्पणी
सैर = भ्रमण
पहुँच = पकड़, विस्तार
रास्ते, डगर और पगडंडियाँ = कवि ने रास्ते का प्रयोग मुख्य मार्गों के लिए किया है तथा डगर का कच्चे और कम प्रचलित मार्गों के लिए। पगडंडियाँ उन पतले- संकरे मार्गों को कहते हैं, जो लोगों के आने- जाने से बन जाते हैं।
संदर्भ –
यह कविता एक गहरी सामाजिक और भावनात्मक सच्चाई को सामने लाती है — गाँव और शहर के बदलते संबंध को। इसमें कवि ने गाँव से शहर की ओर हो रहे पलायन, और गाँव के बदलते स्वरूप को प्रतीकों और बिंबों के माध्यम से बड़ी सुंदरता से प्रस्तुत किया है।
व्याख्या –
यह कविता गाँव और शहर के बीच बदलते सामाजिक-सांस्कृतिक रिश्ते को दिखाती है। पहले, गाँव आत्मनिर्भर था, वहाँ से बाहर निकलना आवश्यक नहीं था। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। गाँव में अब वैसी आत्मनिर्भरता या स्थायित्व नहीं रहा और अधिकतर लोग रोजगार, शिक्षा और आधुनिक जीवन की चाह में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।
कविता ‘गाँव से शहर की ओर’ की दो प्रमुख अवस्थाएँ हैं –
- पहले का गाँव – सीमित लेकिन संपूर्ण; आत्मनिर्भर; जहाँ से बाहर जाने की ज़रूरत महसूस नहीं होती थी।
- आज का गाँव – खाली होता हुआ, विकास की कमी से जूझता हुआ; जहाँ से सभी रास्ते शहर की ओर भागते हैं।
इस कविता में कवि ने गाँव और शहर के बदलते संबंध को दर्शाया है। पहले जब कवि गाँव में था और बाहर निकलना चाहता था, तो उसने पाया कि गाँव आत्मनिर्भर था, और वहाँ के रास्ते वापस गाँव की ओर ही मुड़ते थे। लेकिन अब जब वह शहर से गाँव लौटना चाहता है, तो पाता है कि सारे रास्ते गाँव से शहर की ओर भाग रहे हैं। यह दर्शाता है कि गाँव से शहर की ओर पलायन हो रहा है और गाँव अब पिछड़ते जा रहे हैं।
कविता का मुख्य संदेश
पहले गाँव आत्मनिर्भर थे, अब वे पिछड़ चुके हैं।
अब जीवन, अवसर और भविष्य शहर में केंद्रित हो गया है।
गाँव से शहर की ओर पलायन बढ़ गया है।
यह कविता आधुनिक सामाजिक परिवर्तनों और गाँव के विघटन की संवेदनशील अभिव्यक्ति है।
बोध एवं विचार
अ. सही विकल्प का चयन करो
- कवि ने गाँव से शहर की ओर निकलने के बाद क्या अनुभव किया?
(क) गाँव से शहर बहुत अच्छा है।
(ख) शहर के लोग गाँव के लोगों से अच्छे हैं।
(ग) गाँव के बाहर रहना बुरी बात है
(घ) उनकी पहुँच गाँव के बाहर नहीं है।
उत्तर – (घ) उनकी पहुँच गाँव के बाहर नहीं है।
- शहर से गाँव की सैर को निकलने के पश्चात् कवि को कैसा लगा?
(क) गाँव तक उनकी पहुँच नहीं रही।
(ख) गाँव के लोग शहर के लोगों से मिल नहीं पाते।
(ग) शहर के लोग गाँव में रह नहीं सकते।
(घ) गाँव के लोग शहर वालों से अच्छा बर्ताव नहीं करते।
उत्तर – (क) गाँव तक उनकी पहुँच नहीं रही।
- कवि इस कविता के माध्यम से यही कहना चाहता है कि
(क) लोगों को गाँव में रहना अच्छा लगता है और वे शहर में आना नहीं चाहते।
(ख) अब गाँव के लोग शहर की ओर आने लगे और वे फिर वापस गाँव जाना नहीं चाहते।
(ग) लोगों को शहर में रहना अच्छा लगता है और वे गाँव में जाना नहीं चाहते।
(घ) लोग कुछ दिन शहर में और कुछ दिन गाँव में बिताना पसन्द करते हैं।
उत्तर – (ख) अब गाँव के लोग शहर की ओर आने लगे और वे फिर वापस गाँव जाना नहीं चाहते।
(आ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :-
- पहली बार लेखक कहाँ सैर करने निकले थे?
उत्तर – पहली बार लेखक गाँव से शहर सैर करने निकले थे।
- दूसरी बार लेखक कहाँ सैर करने निकले?
उत्तर – दूसरी बार लेखक शहर से गाँव की सैर करने निकले थे।
- ‘गाँव के बाहर हमारी पहुँच नहीं है’ – हमारे जीवन की किस स्थिति का परिचायक है?
उत्तर – ‘गाँव के बाहर हमारी पहुँच नहीं है’ यह हमारे सीमित संसाधनों और सीमित जीवन क्षेत्र की स्थिति का परिचायक है, जहाँ गाँव आत्मनिर्भर होते हुए भी बाहरी दुनिया से कटे हुए थे।
(इ) लगभग 50 शब्दों में उत्तर दो :-
- पहले गाँव के लोग शहर क्यों नहीं आना चाहते थे या आये भी तो गाँव क्यों लौट जाना चाहते थे?
उत्तर – पहले गाँव आत्मनिर्भर और प्रकृति से जुड़ा हुआ था। लोग वहाँ की सादगी, अपनापन और परंपराओं से संतुष्ट रहते थे। शहर की भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवन उन्हें आकर्षित नहीं करता था, इसलिए यदि वे शहर आए भी, तो जल्दी ही गाँव लौट जाना पसंद करते थे।
- वर्तमान समय में लोग गाँव की अपेक्षा शहर में रहना अधिक पसन्द करने लगे हैं, क्यों?
उत्तर – आज के समय में शहरों में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और जीवन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। तकनीकी और आधुनिक विकास ने शहर को आकर्षक बना दिया है। इसके विपरीत गाँव में सुविधाओं की कमी के कारण लोग अब शहर में बसना अधिक पसंद करते हैं।
- ‘गाँव तक हमारी पहुँच नहीं रही’ – इस कथन से कवि का आशय क्या है?
उत्तर – इस कथन से कवि यह दर्शाना चाहते हैं कि अब शहरी जीवन में इतना व्यस्त और उलझा हुआ इंसान गाँव की सरलता और शांति तक पहुँच ही नहीं पाता। भौतिकता की दौड़ में वह अपनी जड़ों, यानी गाँव से दूर होता जा रहा है।
- ‘पहुँच नहीं है’ और ‘पहुँच नहीं रही’ – कथनों के अभिप्राय में क्या अन्तर है?
उत्तर – ‘पहुँच नहीं है’ स्थिर स्थिति को दर्शाता है, जहाँ कोई रास्ता या साधन ही नहीं था। जबकि ‘पहुँच नहीं रही’ गतिशील स्थिति है, जो बताती है कि पहले रास्ते थे, पर अब वे समाप्त हो गए हैं या बदल गए हैं। यह समयानुसार बदलाव को दर्शाता है।
- ‘उस बार’ और ‘इस बार’ की स्थितियों में कवि ने क्या परिवर्तन पाया है?
उत्तर – ‘उस बार’ में गाँव आत्मनिर्भर था और सभी रास्ते वापस गाँव की ओर मुड़ते थे। लेकिन ‘इस बार’ में स्थिति बदल गई है – अब सारे रास्ते गाँव से शहर की ओर भागते हैं। कवि ने गाँव की बदलती दिशा और महत्त्व का यह परिवर्तन अनुभव किया है।
- ‘सारे रास्ते’ कहने के बाद भी ‘डगर’ और ‘पगडंडियाँ’ इस कथन का अभिप्राय क्या है?
उत्तर – ‘सारे रास्ते’ के साथ ‘डगर’ और ‘पगडंडियाँ’ जोड़कर कवि ने यह बताया है कि केवल मुख्य सड़कें ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे मार्ग, गलियाँ और पगडंडियाँ भी अब गाँव से शहर की ओर जा रही हैं। यह गाँव से पूर्ण पलायन और जीवन की दिशा के परिवर्तन का प्रतीक है।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान
(क) उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :-
- _____ भरपेट भोजन किया।
(क) भिक्षुओं को
(ख) भिक्षुओं से
(ग) भिक्षुओं ने
(घ) भिक्षुओं द्वारा
उत्तर – (ग) भिक्षुओं ने
- रमेश तो _______ आदमी है।
(क) घरों का
(ख) घर का
(ग) घर में
(घ) घर से
उत्तर – (ख) घर का
- _____ छात्रों को पढ़ाया गया।
(क) अध्यापक ने
(ख) अध्यापकों द्वारा
(ग) अध्यापक द्वारा
(घ) अध्यापक से
उत्तर – (ग) अध्यापक द्वारा
- वह _____ गिर पड़ा।
(क) छत से
(ख) छत के द्वारा
(ग) छत में
(घ) छत के साथ
उत्तर – (क) छत से
- _____ बादल देखकर मोर प्रसन्नता से नाच उठे।
(क) नभ के
(ख) नभ में
(ग) नभ से
(घ) नभ पर
उत्तर – (ख) नभ में
- युद्ध में सैनिक _____ लड़ते हैं।
(का शत्रु में
(ख) शत्रु को
(ग) शत्रु द्वारा
(घ) शत्रु से
उत्तर – (घ) शत्रु से
(ख) उपयुक्त परसर्ग चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :-
- मोहिनी _____ गाय _____ पानी पिलाया।
(क) ने, को
(ख) ने, से
(ग) द्वारा, ने
(घ) को, ने
उत्तर – (क) ने, को
- बच्चों _____ नदी _____ नहाकर बन्दरों _____ केले खिलाए।
(क) को, में, द्वारा
(ख) ने, में, के
(ग) ने, में, को
(घ) से, में, ने
उत्तर – (ग) ने, में, को
- अध्यापक बाजार _____ विद्यार्थियों _____ पुस्तकें लाए।
(का) में, की
(ख) से, के लिए
(ग) से, की
(घ) द्वारा, को
उत्तर – (ख) से, के लिए
- सुरेश _____ बहन _____ विवाह सोमवार _____ संपन्न हुआ।
(का) ने, का, द्वारा
(ग) पर, ने, को
(ख) द्वारा, की, को
(घ) की, का, को
उत्तर – (घ) की, का, को
- आसमान _____ तारा टूटकर धरती _____ गिरा।
(क) पर, पर
(ख) पर, में
(ग) से, पर
(घ) से, में
उत्तर – (ग) से, पर
योग्यता- विस्तार
- गाँव और शहर की तुलना करते हुए यह सिद्ध करो कि दोनों के ही अपने-अपने अलग महत्त्व है।
उत्तर – गाँव और शहर दोनों का जीवन एक-दूसरे से भिन्न होते हुए भी आवश्यक हैं। गाँव हमें शुद्ध हवा, शांति, प्रकृति और आत्मीयता देता है, जबकि शहर विकास, तकनीक, शिक्षा, रोजगार और आधुनिक सुविधाएँ प्रदान करता है। गाँव देश की कृषि व्यवस्था का आधार है और शहर आर्थिक उन्नति का केंद्र। गाँव जीवन की सादगी सिखाता है और शहर अवसरों की दुनिया खोलता है। इसलिए दोनों का अपना-अपना महत्त्व है और समाज की संतुलित प्रगति के लिए दोनों का विकास जरूरी है।
- ग्रामीण और शहरी जीवन में से तुम किसे चुनोगे? लगभग 100 शब्दों में अपने विचार लिखो।
उत्तर – मैं ग्रामीण जीवन को चुनना पसंद करूँगा क्योंकि यह प्रकृति के निकट होता है और वहाँ का वातावरण शांत, स्वच्छ और तनावमुक्त होता है। गाँव में लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ होते हैं, जिससे सामाजिक जुड़ाव बना रहता है। हालाँकि शहर में सुविधाएँ अधिक होती हैं, पर वहाँ की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सुकून की कमी होती है। अगर गाँवों में शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार की पर्याप्त सुविधाएँ हों, तो मैं गाँव में रहकर भी एक संतुलित और खुशहाल जीवन जीना चाहूँगा। गाँव का सादा जीवन और स्वच्छ वातावरण मुझे अधिक प्रिय है।
- ‘शहरीकरण से उत्पन्न समस्याएँ’ – विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन करो।
उत्तर – शहरीकरण यानी गाँवों से लोगों का शहरों की ओर पलायन और शहरों का तेजी से विस्तार। यद्यपि यह आधुनिकता और विकास का प्रतीक है, फिर भी इससे कई गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
आवास की समस्या – बढ़ती जनसंख्या के कारण शहरों में घरों की भारी कमी है, जिससे झुग्गी-झोपड़ियाँ बढ़ती जा रही हैं।
प्रदूषण – वाहनों, फैक्ट्रियों और जनसंख्या की अधिकता के कारण वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में लगातार वृद्धि हो रही है।
यातायात जाम – अधिक वाहन और सीमित सड़कें यातायात की गंभीर समस्या पैदा करती हैं, जिससे समय और ऊर्जा की बर्बादी होती है।
बेरोज़गारी – हर व्यक्ति को रोजगार नहीं मिल पाता, जिससे शहरों में बेरोज़गारी और अपराध दोनों बढ़ते हैं।
स्वास्थ्य समस्याएँ – भीड़भाड़, गंदगी और प्रदूषण के कारण संक्रामक रोग फैलते हैं और स्वास्थ्य सेवाओं पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।
सामाजिक असमानता – अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है, जिससे सामाजिक असंतोष जन्म लेता है।
निष्कर्षतः, शहरीकरण आवश्यक है, लेकिन यदि यह बिना योजना और संतुलन के हो, तो यह अनेक समस्याओं को जन्म देता है। इसका समाधान तभी संभव है जब गाँवों का भी समुचित विकास हो और शहरों की संरचना सुनियोजित ढंग से की जाए।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के एक वाक्य में उत्तर दीजिए –
प्रश्न – कवि पहली बार कहाँ से सैर को निकले थे?
उत्तर – कवि पहली बार गाँव से सैर को निकले थे।
प्रश्न – गाँव से बाहर कौन-कौन से रास्ते नहीं जाते थे?
उत्तर – डगर और पगडंडियाँ तक गाँव से बाहर नहीं जाती थीं।
प्रश्न – दूसरी बार कवि ने सैर कहाँ से शुरू की?
उत्तर – दूसरी बार कवि ने सैर शहर से शुरू की।
प्रश्न – अब सारे रास्ते किस दिशा में जा रहे हैं?
उत्तर – अब सारे रास्ते गाँव से शहर की ओर जा रहे हैं।
प्रश्न – पहली बार कवि ने क्या अनुभव किया?
उत्तर – उन्होंने अनुभव किया कि गाँव के बाहर उनकी पहुँच नहीं है।
प्रश्न – दूसरी बार कवि ने क्या अनुभव किया?
उत्तर – उन्होंने अनुभव किया कि अब गाँव तक उनकी पहुँच नहीं रही।
प्रश्न – कविता में ‘डगर’ और ‘पगडंडियाँ’ किसका प्रतीक हैं?
उत्तर – वे गाँव की सरल और पारंपरिक जीवनशैली का प्रतीक हैं।
प्रश्न – ‘अब सारे रास्ते दौड़ रहे हैं’ – यह किस ओर संकेत करता है?
उत्तर – यह शहरीकरण और गाँव से पलायन की ओर संकेत करता है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न – कवि ने पहली बार जब गाँव से बाहर निकलने की कोशिश की, तो उन्हें क्या महसूस हुआ और क्यों?
उत्तर – कवि को लगा कि गाँव के बाहर उनकी कोई पहुँच नहीं है, क्योंकि उस समय गाँव आत्मनिर्भर थे और वहाँ से निकलने की जरूरत ही नहीं थी।
प्रश्न – अब जब कवि शहर से गाँव की ओर लौटना चाहते हैं, तो वे क्या अनुभव करते हैं?
उत्तर – कवि अनुभव करते हैं कि अब गाँव तक उनकी पहुँच नहीं रही, क्योंकि सभी रास्ते अब गाँव से शहर की ओर जा रहे हैं। इससे गाँव का महत्त्व कम होता जा रहा है।
प्रश्न – कविता ‘गाँव से शहर की ओर’ किस सामाजिक बदलाव को दर्शाती है?
उत्तर – यह कविता गाँव से शहर की ओर हो रहे पलायन, शहरीकरण और गाँवों की गिरती स्थिति को दर्शाती है। यह आधुनिकता के प्रभाव से गाँव के जीवन की बदलती दिशा को प्रकट करती है।