SEBA, Assam Class IX Hindi Book, Alok Bhaag-1, Ch. 14 – Sabarmati Ke Sant, Pradeep, The Best Solutions, साबरमती के संत – प्रदीप

प्रदीप

देशभक्ति गीतों के रचयिता रामचंद्र द्विवेदी उर्फ प्रदीप का जन्म 6 फरवरी, 1915 ई. को मध्य प्रदेश में हुआ था। बचपन से ही आपको कविता लिखने का शौक था। 1939 ई. में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद आप शिक्षक बनना चाहते थे। पर, भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। उसी समय मुंबई में हो रहे एक कवि सम्मेलन में भाग लेने का मोह आप छोड़ नहीं सके। आपकी कविताओं से प्रभावित होकर बॉम्बे टॉकिज के मालिक हिमांशु राय ने आपको कंगन फिल्म के लिए गीत लिखने की पेशकश की। 1939 ई. में प्रदर्शित इस फिल्म के गीत जबर्दस्त हिट हुए। 1940 ई. में ज्ञान मुखर्जी के निर्देशन में आपने बंधन फिल्म के गीत लिखे। फिर आपने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आपने बॉम्बे टॉकिज के बैनर तले नया संसार, अंजान, झूला, पुनर्मिलन, किस्मत आदि कई हिट फिल्मों के गीत लिखे।

आप संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, नेशनल इंटीग्रेशन अवार्ड, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, फिल्म जर्नलिस्ट अवार्ड, इम्पा अवार्ड, महान कलाकार का पुरस्कार, राजीव गांधी अवार्ड तथा संत ज्ञानेश्वर जैसे अनेक पुरस्कारों से नवाजे गए हैं।

11 दिसंबर 1998 ई. को भारत का यह महान गीतकार इस संसार से विदा हो गये। प्रदीप आज हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके द्वारा लिखे गीत आज भी देशवासियों के दिलोंदिमाग में देशभक्ति का जज्बा बुलंद कर रहे हैं। उनके गीतों में प्रवाह है, ओज है। भाषा शैली सरल सहज एवं गीतों के भाव अत्यंत स्पष्ट हैं।

 

साबरमती के संत – कविता का परिचय

साबरमती के संत कवि एवं गीतकार प्रदीप का बहुचर्चित गीत है। इसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवनादर्शों पर प्रकाश डाला गया है। गांधी जी विलक्षण प्रतिभा के धनी महापुरुष थे। वे ऐसे अनोखे संत थे, जिन्होंने बिना हथियार और गोला-बारूद के ही देश को विदेशी शासन के चंगुल से मुक्त करा लिया। यह स्वाधीनता भारतवासियों के लिए एक चमत्कार था और यह चमत्कार साबरमती के महान संत गांधी जी ने कर दिखाया। भारत से अंग्रेजों को भगाना बड़ा कठिन कार्य था, परन्तु गांधीजी ने इस कार्य को बड़ी आसानी से किया। उनमें गजब की संगठन शक्ति थी। शरीर में मात्र धोती लपेटे और हाथ में लाठी लेकर जिधर से गुजरते, लाखों मजदूर, किसान, हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, पठान सभी उनके पीछे चल पड़ते थे। सत्य और अहिंसा ही उनका एकमात्र अस्त्र था, जिसके बल पर शक्तिशाली अंग्रेजी जाति से उन्होंने टक्कर ली थी। उनके प्रयास से देश आजाद हुआ, पर उन्होंने नवगठित सरकार में कोई भी पद ग्रहण नहीं किया। उन्होंने खुद कष्ट झेला, पर देशवासियों को स्वाधीनता-रूपी अमृत प्रदान किया। उन्होंने पूरे विश्व को सत्य, अहिंसा और प्रेम का संदेश दिया है।

साबरमती के संत

दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

आंधी में जलती रहे गांधी तेरी मशाल, साबरमती के संत …।

रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम

घर ही पे लड़ी तूने अजब की लड़ाई

दागा न कहीं तोप न बन्दूक चलाई

दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई

वाह रे फकीर खूब करामात दिखाई

चुटकी में दिया दुश्मनों को देश से निकाल, साबरमती के संत…

शतरंज बिछाकर बैठा था यहीं पे जमाना

लगता था मुश्किल है फिरंगी को हटाना

टक्कर था बड़े जोर का दुश्मन भी था जाना

पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना

मारा वो दाव कसके उल्टी भी न चली चाल, साबरमती के संत …।

जब-जब तेरी बिगुल बजी जवान चल पड़े

मजदूर चल पड़े किसान चल पड़े

हिन्दू, मुसलमान, सिख, पठान चल पड़े

कदम पे तेरा कोटि-कोटि प्राण चल पड़े

फूलों के सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल, साबरमती के संत …।

मन थी अहिंसा की बदन पे थी लंगोटी

लाखों में लिए घुमता था सत्य की सोटी

वैसे तो देखने में भी हस्ती तेरी छोटी

सर देख के झुकती थी हिमालय की भी चोटी

दुनियां में तू बेजोड़ था इंसान बेमिशाल, साबरमती के संत …।

जग में कोई जिया तो बापू ने ही जिया

तूने वतन की राह पर सब कुछ लूटा दिया

मांगा न तूने कोई तख्त बेताज ही रहा

अमृत दिया सभी को खुद जहर पिया

जिस दिन तेरी चिता जली रोया था महाकाल, साबरमती के संत …।

साबरमती के संत – व्याख्या सहित

01

दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल

आँधी में जलती रहे गांधी तेरी मशाल, साबरमती के संत …।

शब्दार्थ

शब्द

हिंदी अर्थ

English Meaning

आज़ादी

स्वतंत्रता

Freedom, Independence

बिना

के बिना

Without

खड्ग

तलवार

Sword

ढाल

सुरक्षा करने वाला कवच

Shield

संत

साधु, तपस्वी

Saint

कमाल

चमत्कार, अद्भुत कार्य

Miracle, Wonder

आँधी

तेज़ तूफ़ान, विपरीत परिस्थिति

Storm, Adversity

मशाल

जलती हुई लौ, प्रेरणा का प्रतीक

Torch (symbol of light/inspiration)

 

व्याख्या –

इन पंक्तियों में कवि महात्मा गांधी के नेतृत्व और उनके अहिंसात्मक स्वतंत्रता संग्राम की प्रशंसा कर रहे हैं। कवि कहते हैं कि गांधी जी ने भारत को बिना हथियार उठाए, बिना तलवार (खड्ग) और बिना कवच (ढाल) के स्वतंत्रता दिलाई। वे साबरमती के संत के रूप में जाने जाते हैं क्योंकि उनका आश्रम साबरमती नदी के किनारे स्थित था और वे एक संत जैसे जीवन जीते थे। उन्होंने ऐसा कमाल कर दिखाया जो असंभव-सा लगता था—बिना खून-खराबे के आज़ादी। गांधी जी की मशाल (प्रेरणा, विचारधारा) तेज़ आँधियों (संकटों) में भी जलती रही, अर्थात् उनका सत्य और अहिंसा का मार्ग बाधाओं के बावजूद भी जीवित रहा।

 

02

रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम

घर ही पे लड़ी तूने अजब की लड़ाई

दागा न कहीं तोप न बन्दूक चलाई

दुश्मन के किले पर भी न की तूने चढ़ाई

वाह रे फकीर खूब करामात दिखाई

चुटकी में दिया दुश्मनों को देश से निकाल, साबरमती के संत…

शब्दार्थ –

शब्द / पद

हिंदी अर्थ

English Meaning

रघुपति राघव राजा राम

भगवान राम का भजन

A devotional hymn of Lord Rama

पतित पावन

पापियों को पवित्र करने वाला

Purifier of the fallen/sinners

अजब

अनोखी, अद्भुत

Amazing, unique

लड़ाई

संघर्ष, युद्ध

Fight, struggle

दागा

चलाया, फायर किया

Fired (a weapon)

तोप

भारी बंदूक

Cannon

बन्दूक

हथियार जिससे गोली चलती है

Gun

चढ़ाई

आक्रमण, हमला

Attack, assault

फकीर

त्यागी, संत, साधु

Ascetic, saint

करामात

चमत्कार

Miracle, marvel

चुटकी में

बहुत ही आसान या जल्दी

In a snap, very easily

दुश्मनों

शत्रु, विरोधी

Enemies

निकाल

बाहर कर देना

Remove, drive out

 

व्याख्या –

इन पंक्तियों में कावे प्रदीप जी कह रहे हैं कि पंक्ति “रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम” एक प्रसिद्ध भजन है जिसे गांधी जी गाया करते थे। यह भजन उनके आध्यात्मिक और नैतिक आदर्शों को दर्शाता है। कवि कहते हैं कि गांधी जी ने कोई युद्धभूमि नहीं चुनी, बल्कि अपने सिद्धांतों और आंदोलनों से घर पर रहकर ही एक अनोखा संग्राम किया। उन्होंने हिंसा या हथियारों का प्रयोग नहीं किया। कवि यह दर्शाते हैं कि उन्होंने ब्रिटिश सत्ता पर कोई सैन्य हमला नहीं किया, बल्कि नैतिक बल और जनजागरण से उन्हें चुनौती दी। यहाँ गांधी जी को फकीर कहा गया है, यानी एक साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति ने असाधारण कार्य कर दिखाया।  गांधी जी ने अपने अद्भुत नेतृत्व से ऐसा प्रभाव डाला कि शक्तिशाली अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

 

03

शतरंज बिछाकर बैठा था यहीं पे जमाना

लगता था मुश्किल है फिरंगी को हटाना

टक्कर था बड़े जोर का दुश्मन भी था जाना

पर तू भी था बापू बड़ा उस्ताद पुराना

मारा वो दाव कसके उल्टी भी न चली चाल, साबरमती के संत …।

शब्दार्थ –

शब्द / पद

हिंदी अर्थ

English Meaning

शतरंज बिछाकर

चालाकी से योजना बनाकर

Strategically planning like a chess game

ज़माना

समय, समाज, दुनिया

Time, world, society

मुश्किल

कठिन, दुष्कर

Difficult

फिरंगी

अंग्रेज़, विदेशी शासक

British, foreign rulers

हटाना

निकालना, दूर करना

Remove, expel

टक्कर

संघर्ष, भिड़ंत

Clash, confrontation

ज़ोर

शक्ति, बल

Force, strength

जाना

प्रसिद्ध, जाना-पहचाना

Known, recognized

बापू

महात्मा गांधी का प्रिय नाम

Bapu – affectionate name for Gandhi

उस्ताद

कुशल व्यक्ति, मास्टर

Master, expert

दाँव

चाल, युक्ति

Move, strategy

कसके

पूरी ताकत से

Firmly, strongly

चाल

योजना, क़दम

Move, trick

उलटी न चली चाल

विरोधी की कोई योजना सफल नहीं हुई

The opponent’s move failed completely

व्याख्या –

कवि प्रदीप जी कहते हैं कि दुनिया अर्थात् ब्रिटिश शासन ने बहुत चालाकी और रणनीति से भारत में शासन की योजना बनाई थी। यह एक शतरंज के खेल की तरह था, जिसमें हर चाल सोच-समझकर चली जा रही थी। उस समय लोगों को लगता था कि ब्रिटिशों को भारत से निकालना असंभव या बहुत कठिन होगा। अंग्रेज़ बहुत ताक़तवर थे और एक जाने-पहचाने, चालाक और संगठित दुश्मन थे। उनके पास सेना, शक्ति और संसाधन थे। लेकिन गांधी जी भी कोई साधारण नेता नहीं थे। वे एक पुराने, अनुभवी और कुशल उस्ताद (रणनीतिकार) की तरह थे, जिन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार बनाया। गांधी जी ने ऐसा सटीक और प्रभावशाली कदम उठाया जैसे – सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन आदि कि अंग्रेज़ों की सारी योजनाएँ और रणनीतियाँ विफल हो गईं। उनकी चालें उलटी भी नहीं चलीं – यानी उन्हें वापस लेने की नौबत आ गई।

 

04

जब-जब तेरी बिगुल बजी जवान चल पड़े

मजदूर चल पड़े किसान चल पड़े

हिन्दू, मुसलमान, सिख, पठान चल पड़े

कदम पे तेरा कोटि-कोटि प्राण चल पड़े

फूलों के सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल, साबरमती के संत …।

शब्दार्थ –

शब्द / पद

हिंदी अर्थ

English Meaning

जब-जब

हर बार, जितनी बार

Whenever

बिगुल

युद्ध या संदेश की घोषणा करने वाला फूंकने वाला यंत्र

Bugle (a call to action)

जवान

सैनिक, युवा

Soldiers, youth

मज़दूर

श्रमिक, मेहनत करने वाला व्यक्ति

Laborer, worker

किसान

खेती करने वाला व्यक्ति

Farmer

हिन्दू, मुसलमान, सिख, पठान

भारत के विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग

People of different Indian communities

कदम

चरण, पाँव

Step, foot

कोटि-कोटि

असंख्य, लाखों-करोड़ों

Millions and millions

प्राण

जीवन, व्यक्ति, प्राणी

Lives, souls

फूलों के सेज

आरामदायक जीवन

Comfortable life, bed of roses

दौड़े

तेजी से चले

Rushed, ran

जवाहरलाल

पं. जवाहरलाल नेहरू (गांधीजी के अनुयायी)

Jawaharlal Nehru

व्याख्या –

इन पंक्तियों में कावे प्रदीप कहते हैं कि जब-जब गांधी जी ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए आवाज़ उठाई देश के नौजवान तुरंत साथ चल पड़े। सिर्फ पढ़े-लिखे या सैनिक ही नहीं, बल्कि आम मेहनतकश लोग जैसे मज़दूर और किसान भी गांधी जी के आंदोलन में शामिल हो गए। गांधी जी के नेतृत्व में सभी धर्मों और समुदायों के लोग एकजुट हो गए। उन्होंने जाति और धर्म की दीवारों को गिराकर एकता की मिसाल पेश की। गांधी जी के एक इशारे पर लाखों-करोड़ों लोग बिना किसी डर के उनके साथ हो लिए। यह उनके नेतृत्व की ताकत और लोगों का विश्वास दर्शाता है। यहाँ यह कहा जा रहा है कि पंडित नेहरू जैसे शिक्षित और सुविधाजनक जीवन जीने वाले व्यक्ति भी गांधी जी के आह्वान पर अपना आराम त्याग कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। कविता के इस भाग में गांधी जी की नेतृत्व शक्ति और उनके पीछे चलने वाली विशाल जनता का अद्भुत चित्रण हुआ है।

05

मन थी अहिंसा की बदन पे थी लंगोटी

लाखों में लिए घुमता था सत्य की सोटी

वैसे तो देखने में भी हस्ती तेरी छोटी

सर देख के झुकती थी हिमालय की भी चोटी

दुनियाँ में तू बेजोड़ था इंसान बेमिशाल, साबरमती के संत …।

शब्दार्थ –

शब्द / पद

हिंदी अर्थ

English Meaning

मन

हृदय, दिल, भावना

Heart, mind

अहिंसा

बिना हिंसा के, किसी को नुकसान न पहुँचाना

Non-violence

बदन

शरीर

Body

लंगोटी

एक छोटा वस्त्र जो गांधी जी पहनते थे

Loincloth

लाखों में

हजारों-लाखों लोगों के बीच

Among millions

सोटी

छड़ी, डंडा

Stick (symbolizing truth)

हस्ती

काया, व्यक्तित्व, शरीर

Existence, stature

छोटी

आकार में सामान्य

Small in appearance

सर झुकना

सम्मानपूर्वक सिर झुकाना

To bow the head in respect

हिमालय की चोटी

सबसे ऊँची पर्वत चोटी

The peak of the Himalayas

बेजोड़

जिसका कोई जोड़ नहीं, अद्वितीय

Unmatched

बेमिशाल

अनुपम, अत्युत्तम

Extraordinary, unparalleled

व्याख्या –

इन पंक्तियों में कवि प्रदीप गांधी जी के व्यक्तित्व की सराहना करते हुए कह रहे हैं कि  गांधी जी का मन पूरी तरह से अहिंसा के सिद्धांतों से भरा था। उन्होंने अत्यंत साधारण जीवन जिया और केवल लंगोटी अर्थात् सादा वस्त्र ही पहना। वे लाखों लोगों के बीच चलते थे, और उनके हाथ में हमेशा एक छड़ी रहती थी, जो सत्य और धैर्य का प्रतीक थी। शारीरिक रूप से वे सामान्य कद-काठी वाले व्यक्ति थे, कोई बाहरी चमक-दमक नहीं थी। लेकिन उनका व्यक्तित्व, चरित्र और महानता इतनी ऊँची थी कि मानो हिमालय की चोटी भी उनके सामने झुक जाती हो। पूरी दुनिया में गांधी जी जैसे न तो कोई था और न होगा — वे एक बेमिसाल इंसान थे, जिनकी कोई तुलना नहीं हो सकती। कविता का यह अंश गांधी जी के विनम्र लेकिन प्रभावशाली व्यक्तित्व की महानता को दर्शाया गया है – कैसे एक सामान्य दिखने वाला व्यक्ति पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बन गया।

 

06

जग में कोई जिया तो बापू ने ही जिया

तूने वतन की राह पर सब कुछ लूटा दिया

मांगा न तूने कोई तख्त बेताज ही रहा

अमृत दिया सभी को खुद जहर पिया

जिस दिन तेरी चिता जली रोया था महाकाल, साबरमती के संत …।

शब्दार्थ –

शब्द / पद

हिंदी अर्थ

English Meaning

जग

संसार, दुनिया

World

जिया

सही मायनों में जीवन जीना

Truly lived

बापू

महात्मा गांधी का प्रिय नाम

Bapu – affectionate name for Gandhi

वतन

देश

Nation, country

राह

मार्ग, रास्ता

Path

लूटा दिया

त्याग दिया, सब कुछ अर्पण कर दिया

Gave up everything, sacrificed

मांगा

माँग करना, इच्छा प्रकट करना

Asked, demanded

तख्त

राजगद्दी, शासन-सिंहासन

Throne

बेताज

जिसके सिर पर ताज (मुकुट) न हो

Without a crown

अमृत

अमरता या सुख देने वाला पेय

Nectar, immortality-giving essence

ज़हर

विष, पीड़ा देने वाला तरल

Poison

चिता

अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों का ढेर

Funeral pyre

महाकाल

कालों के भी काल (काल के देवता – शिव)

Lord of Time (Mahakaal, form of Shiva)

रोया

आँसू बहाए, शोक मनाया

Wept, mourned

व्याख्या –

कविता की अंतिम पंक्तियों में कवि प्रदीप सार्थक जीवन के बारे में बताते हुए कह रहे हैं कि यदि इस संसार में किसी ने सही अर्थों में जीवन को जिया, तो वह महात्मा गांधी ही थे, क्योंकि उन्होंने अपना जीवन केवल दूसरों के लिए जिया। उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए अपना आराम, परिवार, सुख और यहाँ तक कि प्राण तक त्याग दिए। उन्होंने कभी सत्ता, पद, या शासन की इच्छा नहीं की; वे बिना ताज के राजा की तरह थे — बेताज बादशाह। उन्होंने सबको शांति, सत्य और प्रेम का अमृत दिया, पर स्वयं कष्ट, विरोध और अंत में हत्या जैसे ज़हर को झेला। जिस दिन गांधी जी का अंतिम संस्कार हुआ, उस दिन स्वयं काल अर्थात् मृत्यु के देवता महाकाल ने भी शोक मनाया। यह उनके अप्रतिम योगदान और दिव्यता का प्रतीक है। कविता का अंतिम अंश गांधी जी के महान जीवन, त्याग, और मृत्यु की मार्मिक स्मृति का चित्रण करता है — एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने सबके लिए जिया और सबके दिलों में अमर हो गया।

शब्दार्थ एवं टिप्पणी

खड्ग = तलवार

पतित = गिरा हुआ, पापी

पावन = पवित्र

अजब = अनोखा, विचित्र

करामत = चमत्कार

फिरंगी = अंग्रेज, विदेशी

उस्ताद = गुरु

बिगुल = युद्ध भूमि में बजाया जानेवाला एक वाद्य-यंत्र, युद्ध का शंखनाद

कोटि = करोड़

सोटी = लाठी

बेमिशाल = अतुलनीय

वतन = जन्मभूमि

बेताज = मुकुटहीन

सेज = बिस्तर, सय्या

आंधी में जलती रहे गांधी तेरी मशाल = संकट के समय भी गाँधी जी का आदर्श कायम रहे

साबरमती = गुजरात प्रदेश की एक प्रसिद्ध नदी। इसी नदी के तट पर गांधीजी का आश्रम था। इसे गांधी आश्रम, हरिजन आश्रम और सत्याग्रह आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। इस आश्रम का ऐतिहासिक महत्त्व है। यहीं से गांधीजी ने अपने 78 साथियों को साथ लेकर 12 मार्च, 1930 ई. को दांडी यात्रा शुरू की थी और समुद्र किनारे पहुँचकर समुद्र के जल से स्वयं नमक बनाकर नमक कानून भंग किया था। साबरमती आश्रम आजकल ‘गांधी संग्रहालय’ के रूप में राष्ट्रीय धरोहर है।

बोध एवं विचार

अ. सही विकल्प का चयन करो :-

  1. गांधी तेरी मशाल’ का किस अर्थ में प्रयोग हुआ है?

(क) गांधी जी का दीप

(ख) गांधी जी की तलवार

(ग) गांधीजी का आश्रम

(घ) गांधीजी का आदर्श

उत्तर – (घ) गांधीजी का आदर्श

  1. स्वाधीनता से पहले भारत पर किसका शासन था?

(क) अंग्रेजों का

(ख) फ्रांसीसियों का

(ग) डचों का

(घ) पुर्तगालियों का

उत्तर – (क) अंग्रेजों का

  1. गांधी जी को प्यार से लोग क्या कहकर पुकारते थे?

(क) महात्मा

(ख) बापू

(ग) मोहन दास

(घ) राष्ट्रपिता

उत्तर – (ख) बापू

  1. गांधीजी के ऊँचा मस्तक के सामने किसकी चोटी भी झुकती थी?

(क) विध्यांचल की

(ख) हिमालय की

(ग) महाकाल की

(घ) ताजमहल की

उत्तर – (ख) हिमालय की

(आ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :-

  1. साबरमती के संत’ किसे कहा गया है?

उत्तर साबरमती के संतमहात्मा गांधी को कहा गया है।

  1. गांधीजी ने क्या कमाल कर दिखाया?

उत्तर – गांधीजी ने बिना खड्ग और बिना ढाल के देश को आज़ादी दिलाकर अद्भुत कमाल कर दिखाया।

  1. महात्मा गांधी का वास्तविक हथियार क्या था?

उत्तर – महात्मा गांधी का वास्तविक हथियार सत्य और अहिंसा था।

  1. गांधीजी ने लोगों को किस मार्ग पर चलना सिखाया?

उत्तर – गांधीजी ने लोगों को सत्य, अहिंसा और एकता के मार्ग पर चलना सिखाया।

(इ) संक्षिप्त उत्तर लिखो (लगभग 50 शब्दों में) :-

  1. गांधीजी की संगठन शक्ति के बारे में तुम क्या जानते हो?

उत्तर – गांधीजी की संगठन शक्ति अद्वितीय थी। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए करोड़ों भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध दिया। उनके आह्वान पर किसान, मजदूर, जवान, बच्चे, महिलाएँ – सभी स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए।

  1. गांधीजी ने किस प्रकार अंग्रेजों से टक्कर लिया था?

उत्तर –  गांधीजी ने बिना हथियारों के सत्याग्रह और अहिंसात्मक आंदोलनों द्वारा अंग्रेजों से टक्कर ली। उन्होंने न तो कोई तोप चलाई, न ही युद्ध किया, बल्कि शांतिपूर्ण ढंग से विरोध करके अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

  1. प्रस्तुत गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखो।

उत्तर –  इस गीत में महात्मा गांधी के शांतिपूर्ण आंदोलन, त्याग, अद्वितीय नेतृत्व और महान व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है। कवि उन्हें ‘साबरमती के संत’ कहकर संबोधित करता है और बताता है कि उन्होंने बिना हथियार के देश को आज़ादी दिलाई। उनका आदर्श आज भी लोगों को प्रेरित करता है।

  1. साबरमती के संत’ गीत के आधार पर गांधीजी के व्यक्तित्व पर एक संक्षिप्त लेख लिखो।

उत्तर –  ‘साबरमती के संत’ गीत के अनुसार, गांधीजी एक साधारण जीवन जीने वाले असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे। वे सत्य, अहिंसा और आत्मबल के प्रतीक थे। उन्होंने बिना युद्ध किए देश को आज़ादी दिलाई। उनका जीवन त्याग, सेवा और प्रेरणा का स्रोत था। वे सच्चे अर्थों में महान नेता थे।

 

(ई) भावार्थ लिखो

(क) मन थी अहिंसा की बदन पे थी लंगोटी

लाखों में लिए घुमता था सत्य की सोटी।

उत्तर – गांधीजी का मन पूरी तरह अहिंसा के सिद्धांतों में रमा हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी हिंसा का मार्ग नहीं अपनाया। उन्होंने सादा जीवन और उच्च विचार को अपना आदर्श बनाया, और सत्य की राह पर चलते हुए लोगों को प्रेरित किया। सत्य के मार्ग को दर्शाने के लिए उन्होंने हाथ में छड़ी रखी, जो उनके जीवन के सत्य और अनुशासन का प्रतीक थी। वे लाखों लोगों के बीच घूमें, लेकिन उनका जीवन केवल सत्य और अहिंसा पर आधारित था।

(ख) माँगा न तूने कोई तख्त बेताज ही रहा

अमृत दिया सभी को खुद जहर पिया।

उत्तर – गांधीजी ने कभी सत्ता या तख्त (राजगद्दी) की आकांक्षा नहीं की। वे हमेशा देश की सेवा में लगे रहे, और इसी कारण वे बेताज बादशाह के रूप में जाने गए। उन्होंने समाज को शांति और सत्य का अमृत दिया, जबकि स्वयं ने कठिनाइयाँ, संघर्ष और जहर के रूप में पीड़ा को सहन किया। उनका जीवन दूसरों के कल्याण के लिए था, न कि व्यक्तिगत सुख-सुविधा के लिए। उन्होंने अपने लिए कुछ भी नहीं माँगा, बल्कि हर दुख और कष्ट को सहन किया।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

  1. निम्नलिखित मुहावरों/ वाक्यांशों से वाक्य बनाओ :

चुटकी में, बड़े जोर का टक्कर, पुराना उस्ताद, बिगुल बजाना, फूलों के सेज

उत्तर – 1. चुटकी में

वाक्य – वह चुटकी में अपना काम निपटा देता है, ऐसा उसकी तेज़ी और मेहनत का असर है।

  1. बड़े जोर का टक्कर

वाक्य – दोनों टीमों के बीच बड़े जोर की टक्कर हुई, लेकिन अंत में हमारी टीम ने जीत हासिल की।

  1. पुराना उस्ताद

वाक्य – वह क्रिकेट का पुराना उस्ताद है, उसके खेल में अनुभव और तकनीक की झलक दिखती है।

  1. बिगुल बजाना

वाक्य – जैसे ही गांधीजी ने बिगुल बजाया, पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम की लहर दौड़ पड़ी।

  1. फूलों के सेज

वाक्य – रवि की माँ उसे हमेशा फूलों के सेज पर बिठाती है, क्योंकि वह उसका प्रिय है और वह उससे बहुत प्यार करती है।

 

  1. निम्नलिखित शब्दों का विलोम शब्द लिखो :-

अहिंसा, देश, सत्य, अमृत, पुराना, दुश्मन, आजादी, मुश्किल, गुरु, मिशाल

उत्तर – अहिंसा – हिंसा

देश – विदेश

सत्य – असत्य

अमृत – विष

पुराना – नया

दुश्मन – मित्र

आजादी – दासता

मुश्किल – आसान

गुरु – शिष्य

मिशाल – बुराई

 

  1. पठित कविता में प्रयुक्त बेजोड़, बेमिशाल और बेताज शब्द अरबी भाषा के शब्द हैं। तुम भी ‘बे’ उपसर्ग लगाकर अन्य दस शब्द बनाओ।

उत्तर – बेतरतीब (बे + तरतीब) – बेढंग, अस्त-व्यस्त

बेरोकटोक (बे + रोकटोक) – बिना किसी रुकावट के

बेफिक्र (बे + फिक्र) – चिंता मुक्त

बेबस (बे + बस) – किसी भी स्थिति को बदलने में असमर्थ

बेहद (बे + हद) – अत्यधिक, बहुत ज्यादा

बेइंतेहा (बे + इंतेहा) – अनंत, बिना सीमा के

बेइज़्ज़त (बे + इज़्ज़त) – बिना इज़्ज़त के

बेधड़क (बे + धड़क) – निडर, बिना किसी डर के

बेहिसाब (बे + हिसाब) – अनगिनत, जिनका कोई हिसाब न हो

बेईमान (बे + ईमान) – निष्ठाहीन, धोखेबाज

योग्यता- विस्तार

  1. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में महात्मा गांधी के योगदान पर एक परियोजना प्रस्तुत करो।

उत्तर – परियोजना कार्य

परियोजना का शीर्षक –

“महात्मा गांधी और उनका योगदान – भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में”

 

परियोजना का उद्देश्य –

इस परियोजना का उद्देश्य महात्मा गांधी के योगदान को समझना है, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अहिंसात्मक मार्ग से नेतृत्व दिया और स्वाधीनता के लिए उनका संघर्ष विश्वभर में प्रेरणा का स्रोत बना। इस परियोजना में उनके द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलनों, उनके विचारों और प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

अध्याय 1: महात्मा गांधी का जीवन परिचय

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनका असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्होंने अपनी शिक्षा इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, और वहां अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों को अपनाया।

 

अध्याय 2: गांधीजी का भारत लौटना और स्वाधीनता संग्राम में प्रवेश

1915 में गांधीजी भारत लौटे और उन्होंने भारतीय जनता को संगठित करना शुरू किया। उनका उद्देश्य था कि भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता मिले और साथ ही साथ समाज में व्याप्त असमानताओं को भी दूर किया जाए।

 

अध्याय 3: महात्मा गांधी के प्रमुख आंदोलन

चंपारण सत्याग्रह (1917): गांधीजी ने चंपारण (बिहार) में नीलकी खेती करने वाले किसानों के लिए सत्याग्रह किया। यह उनका पहला सफल सत्याग्रह था।

अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन (1918): गांधीजी ने मजदूरों के हक में संघर्ष किया और मिल मालिकों से मजदूरी बढ़वाने में सफलता प्राप्त की।

रॉलेट एक्ट के विरोध में जुलूस (1919): रॉलेट एक्ट के खिलाफ गांधीजी ने विरोध किया।

नमक सत्याग्रह (1930): गांधीजी ने नमक कानून के खिलाफ दांडी मार्च शुरू किया, जिसके अंतर्गत उन्होंने समुद्र तट पर नमक बनाने की प्रक्रिया को शुरू किया, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ा विरोध था।

भारत छोड़ो आंदोलन (1942): यह आंदोलन गांधीजी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ चलाया, जिसमें उन्होंने “करो या मरो” का नारा दिया। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़ साबित हुआ।

अध्याय 4: गांधीजी के विचार और सिद्धांत

महात्मा गांधी के विचार और सिद्धांत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आधार बने।

अहिंसा (Non-Violence): गांधीजी का मानना था कि अहिंसा ही सबसे प्रभावी हथियार है। उन्होंने बिना किसी हिंसा के स्वतंत्रता प्राप्त करने का मार्ग अपनाया।

सत्याग्रह (Civil Disobedience): गांधीजी ने सत्याग्रह का सिद्धांत पेश किया, जिसके तहत लोग अन्याय के खिलाफ बिना हिंसा के विरोध करते थे।

स्वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement): गांधीजी ने स्वदेशी वस्त्रों और उत्पादों के उपयोग का प्रचार किया और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया।

सादा जीवन उच्च विचार (Simple Living, High Thinking): गांधीजी का जीवन सादगी और तपस्या से भरा हुआ था।

अध्याय 5: गांधीजी का वैश्विक प्रभाव

महात्मा गांधी का भारत ही नहीं, बल्कि विश्वभर पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनके अहिंसा के सिद्धांत को विश्वभर के नेताओं ने अपनाया, जैसे कि मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला ने। गांधीजी का आदर्श आज भी मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

अध्याय 6: गांधीजी की असामान्य शैली

गांधीजी का व्यक्तित्व और उनका संघर्ष असामान्य था। उन्होंने खुद को एक साधारण व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया, और हमेशा सत्य, अहिंसा, और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी। उनका आदर्श आज भी हर क्षेत्र में जीवन जीने के लिए प्रेरणा देता है।

निष्कर्ष –

महात्मा गांधी ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम को केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि एक मानसिक और सामाजिक आंदोलन बना दिया। उन्होंने अपने सिद्धांतों से भारतीयों को सशक्त किया और दुनिया को यह दिखाया कि किसी भी संघर्ष को अहिंसा और सत्य के माध्यम से जीता जा सकता है। गांधीजी के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, और उनका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

संदर्भ –

गांधीजी की जीवनी – राजीव कुमार

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम – सरोजनी नायडू

गांधीजी के सिद्धांत – महात्मा गांधी

 

  1. इतिहास में सत्य-अहिंसा एवं प्रेम का मार्ग दिखाने वाले अनेक महापुरुषों के नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। उनमें से भगवान गौतम बुद्ध, पैगम्बर हजरत मुहम्मद और ईशा मसीह के जीवन एवं उपदेशों के बारे में जानकारी प्राप्त करो।

उत्तर – छात्र इसे गृहकार्य के रूप में पूरा करें।

  1. पठित गीत का सीडी संग्रह कर सुनो और लय के साथ विद्यालय के किसी विशेष अवसर पर गाओ।

उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो तीन वाक्यों में दीजिए-

  1. गांधीजी ने बिना खड्ग और बिना ढाल के भारत को स्वतंत्रता कैसे दिलाई?

उत्तर: गांधीजी ने सत्य, अहिंसा और जनजागरण के बल पर भारत को बिना युद्ध के स्वतंत्रता दिलाई। उन्होंने जनता को एकजुट कर अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन चलाया।

 

  1. साबरमती के संत’ गीत में गांधीजी के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ वर्णित हैं?

उत्तर: इस गीत में गांधीजी को सत्यवादी, अहिंसावादी, संगठनकर्ता, त्यागी, और आदर्श नेता के रूप में दिखाया गया है, जिनका जीवन सादगी और तपस्या से परिपूर्ण था।

  1. गांधीजी की नीति से समाज के किन-किन वर्गों को प्रेरणा मिली?

उत्तर: गांधीजी की नीति से जवान, मजदूर, किसान, हिन्दू, मुसलमान, सिख और पठान सभी समाज वर्गों को प्रेरणा मिली और वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए।

  1. गांधीजी को ‘पुराना उस्ताद’ क्यों कहा गया है?

उत्तर: उन्हें ‘पुराना उस्ताद’ इसलिए कहा गया है क्योंकि उन्होंने अपनी चतुराई और अनुभव से अंग्रेजों की रणनीति को असफल कर दिया और देश को आज़ादी दिलाई।

  1. गांधीजी ने क्या मागा और क्या त्याग दिया?

उत्तर: गांधीजी ने कभी तख्त या सत्ता की माँग नहीं की। उन्होंने अपना सारा जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया और स्वयं कष्ट सहकर दूसरों को अमृत प्रदान किया।

 

निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-

  1. सत्य की सोटी’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: ‘सत्य की सोटी’ से तात्पर्य गांधीजी के सत्य और अहिंसा के मार्ग से है, जिसे वे जीवन भर अपनाए रहे।

  1. फूलों के सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: इसका तात्पर्य है कि गांधीजी के आह्वान पर पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे नेता भी ऐश-आराम छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

  1. हिमालय की चोटी भी क्यों झुकती थी?

उत्तर: यह पंक्ति गांधीजी की महानता दर्शाती है। उनके चरित्र की ऊँचाई के आगे हिमालय की चोटी भी झुकती प्रतीत होती है।

  1. गांधीजी ने किस प्रकार का ‘कमाल’ किया?

उत्तर: उन्होंने बिना हथियार के अंग्रेजों को भारत से निकाल दिया, जो अपने आप में एक अनोखा और अद्भुत कार्य था।

  1. गांधीजी की ‘मशाल’ का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?

उत्तर: ‘मशाल’ गांधीजी के आदर्शों, सिद्धांतों और मार्गदर्शन का प्रतीक है, जो स्वतंत्रता संग्राम में लोगों को प्रेरित करती रही।

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