SEBA, Assam Class IX Hindi Book, Alok Bhaag-1, Ch. 16 – Toota Pahiya, Dharmveer Bharati, The Best Solutions, टूटा पहिया – धर्मवीर भारती

धर्मवीर भारती

‘धर्मयुग’ के संपादक के रूप में यश अर्जित करने वाले धर्मवीर भारती का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 1926 ई. में हुआ था। आपने प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूलों में पायी। उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और पीएच.डी. की उपाधि अर्जित कर वहीं पर आप हिंदी विभाग में अध्यापक हो गए। इसके पूर्व इन्होंने इलाहाबाद से छपने वाले साप्ताहिक संगम में उप-संपादक के रूप में काम किया। उन्हें शिक्षण की अपेक्षा पत्रकारिता से अधिक लगाव था। फलस्वरूप 1959 ई. में विश्वविद्यालय छोड़कर वे धर्मयुग साप्ताहिक पत्र का संपादन करने के लिए मुंबई चले गए।

दूसरा सप्तक में विशिष्ट कवि के रूप में स्थान पाने के कारण उनकी गिनती प्रयोगवादी कवियों में की जाती है, किंतु, मूलतः वे गीतकार ही थे। रोमानी कवि के रूप में वे प्रेम और सौंदर्य के गायक कवि हैं। इसके लिए उन्होंने पौराणिक आख्यानों को भी अपने काव्य का विषय बनाया है। अंधायुग और कनुप्रिया इसके साक्षी हैं। इन दोनों काव्यों में भारती के काव्य-शिल्प की एक नयी भंगिमा दिखती है।

उपर्युक्त कृतियों के अलावा भारतीजी की अन्य कृतियाँ हैं- ठंडा लोहा तथा सात गीत वर्ष। भारतीजी ने विश्व साहित्य से चुनकर श्रेष्ठ कविताओं का हिंदी रूपांतरण भी किया है।

कविता के साथ-साथ भारतीजी ने उपन्यास, नाटक, कहानी और निबंध भी लिखे हैं। इनमें उनकी प्रमुख पुस्तकें गुनाहों का देवता, सूरज का सातवाँ घोड़ा, ठेले पर हिमालय, कहनी-अनकहनी, बंद गली का आखिरी मकान आदि हैं। 1997 ई. में धर्मवीर भारती का देहावसान हो गया।

 

टूटा पहिया – कविता का परिचय  

संकलित कविता टूटा पहिया भारती जी के सात गीत वर्ष नामक काव्य- संकलन से ली गयी है। यह एक प्रतीकात्मक कविता है। इसका संदेश यह है कि जीवन में तुच्छ से तुच्छ और लघु से लघु समझी जाने वाली वस्तु अथवा व्यक्ति भी कभी असत्य और अन्याय से लड़ने में अत्यधिक उपयोगी और शक्तिशाली सिद्ध हो सकता है। महाभारत के चक्रव्यूह प्रसंग को आधार बनाकर कवि ने यहाँ इसी तथ्य को निरूपित किया है। चक्रव्यूह में घिरे, अकेले और निहत्थे अभिमन्यु ने अपने रथ के टूटे पहिए से असत्य पक्ष के भयंकर अस्त्रों से लोहा लिया था।

टूटा पहिया

मैं

रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ

लेकिन मुझे फेंको मत!

क्या जाने कब-

इस दुरूह चक्रव्यूह में

अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती देता

हुआ

कोई दुस्साहसी अभिमन्यु आकर घिर

जाय।

अपने पक्ष को असत्य जानते हुए भी

बड़े-बड़े महारथी

अकेली – निहत्थी आवाज को

अपने ब्रह्मास्त्रों से कुचल देना चाहें,

तब मैं

रथ का टूटा हुआ पहिया उसके हाथों में

ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ,

मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ!

लेकिन मुझे फेंको मत

इतिहासों की सामूहिक गति

सहसा झूठी पड़ जाने पर

क्या जाने-

सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले!!

 

टूटा पहिया – व्याख्या सहित

01

मैं

रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ

लेकिन मुझे फेंको मत!

क्या जाने कब-

इस दुरूह चक्रव्यूह में

अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती देता

हुआ

कोई दुस्साहसी अभिमन्यु आकर घिर

जाय।

शब्दार्थ –

क्रमांक

शब्द/शब्दांश

हिंदी अर्थ

English Meaning

1

रथ

युद्ध या यात्रा में उपयोग होने वाला वाहन

Chariot

2

टूटा हुआ पहिया

रथ का खराब या टूटा हुआ चक्का

Broken wheel

3

फेंको मत

त्यागो मत, बेकार मत समझो

Don’t throw away, don’t discard

4

दुरूह

कठिन, जटिल

Complex, difficult

5

चक्रव्यूह

युद्ध की घेराबंदी की विशेष रणनीति

Battle formation (Chakravyuha)

6

अक्षौहिणी सेना

विशाल सेना की एक इकाई (महाभारतकालीन माप)

A huge army division (from Mahabharata)

7

चुनौती देना

मुकाबले के लिए आमंत्रण देना

To challenge

8

दुस्साहसी

अत्यधिक साहसी, जोखिम उठाने वाला व्यक्ति

Extremely brave, daring

9

अभिमन्यु

महाभारत के वीर पात्र, अर्जुन का पुत्र

Abhimanyu, brave warrior from Mahabharata

10

घिर जाए

फँस जाए, घेर लिया जाए

To get trapped, surrounded

 

व्याख्या –

कवि स्वयं को एक टूटे हुए रथ के पहिए के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे कहते हैं कि भले ही मैं टूटा हुआ हूँ, पर मुझे व्यर्थ या बेकार समझकर फेंको मत। अभी भी मेरे भीतर कुछ उपयोगिता हो सकती है। कवि कहते हैं कि यह जीवन एक कठिन चक्रव्यूह जैसा है, जिसमें कभी कोई साहसी योद्धा जैसे अभिमन्यु आकर घिर सकता है। ऐसे समय में शायद मेरा टूटे हुए पहिए का भी कोई उपयोग हो जाए। इसलिए मुझे व्यर्थ न समझो।

विशेष –

यह कवितांश संघर्ष, आत्म-मूल्य और आशा का प्रतीक है। कवि यह संदेश देते हैं कि भले ही कोई टूटा हुआ हो या परिस्थितियों में कमजोर प्रतीत होता हो, फिर भी उसके भीतर कुछ मूल्य छिपा हो सकता है। जीवन के किसी मोड़ पर वही उपयोगी साबित हो सकता है।

02

अपने पक्ष को असत्य जानते हुए भी

बड़े-बड़े महारथी

अकेली – निहत्थी आवाज को

अपने ब्रह्मास्त्रों से कुचल देना चाहें,

तब मैं

रथ का टूटा हुआ पहिया उसके हाथों में

ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ,

मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ!

लेकिन मुझे फेंको मत

इतिहासों की सामूहिक गति

सहसा झूठी पड़ जाने पर

क्या जाने-

सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले!!

शब्दार्थ –

क्रमांक

शब्द/शब्दांश

हिंदी अर्थ

English Meaning

1

पक्ष

विचार, मत

Opinion, side

2

असत्य

झूठ, सत्य का अभाव

False, untrue

3

महारथी

महान योद्धा, वीर

Great warrior

4

निहत्थी आवाज

बिना हथियार की आवाज, असहाय सच्चाई की बात

Unarmed voice, helpless truth

5

ब्रह्मास्त्र

अत्यंत शक्तिशाली अस्त्र

Divine weapon

6

कुचल देना

नष्ट कर देना, दबा देना

Crush, suppress

7

रथ का टूटा हुआ पहिया

बेकार समझा गया व्यक्ति या साधन

Broken chariot wheel (symbolic)

8

लोहा लेना

टक्कर देना, मुकाबला करना

To challenge, to confront

9

फेंको मत

त्यागो मत, उपयोगी मानो

Don’t discard, don’t throw away

10

इतिहासों की सामूहिक गति

इतिहास की सामूहिक दिशा या प्रवाह

Collective momentum of history

11

सहसा

अचानक, एकाएक

Suddenly

12

झूठी पड़ जाना

गलत सिद्ध होना

To turn out false

13

सच्चाई

सत्य

Truth

14

आश्रय लेना

सहारा लेना

To take shelter, to rely upon

 

व्याख्या

कभी-कभी समाज के शक्तिशाली लोग यह जानते हुए भी कि उनका पक्ष झूठा है, वे सच्चाई की अकेली और असहाय आवाज को अपने प्रभावशाली साधनों से दबा देना चाहते हैं। ऐसे में कवि कहते हैं कि यदि सच्चाई को कुचलने की कोशिश की जाए, तो मैं, जो एक टूटा हुआ पहिया हूँ, उस सच्चे व्यक्ति के हाथों में ब्रह्मास्त्रों से भी टक्कर लेने में सक्षम हो सकता हूँ। कवि दोबारा दोहराते हैं कि भले ही वे टूटा हुआ पहिया हैं, लेकिन उन्हें व्यर्थ समझकर फेंकना नहीं चाहिए क्योंकि वे अभी भी काम आ सकते हैं। अंत में कवि कहते हैं कि जब पूरा की पूरा इतिहास की दिशा अचानक झूठी साबित हो जाए, तब शायद सच्चाई उन उपेक्षित, टूटे हुए लोगों (जैसे टूटे पहिए) का ही सहारा ले।

विशेष –

कवि का यह संदेश है कि समाज जिन लोगों को टूटे हुए, बेकार या निष्प्रयोज्य समझता है, वे वास्तव में किसी बड़े बदलाव या सत्य के वाहक बन सकते हैं। जब शक्तिशाली लोग झूठ को बचाने के लिए सच्चाई को कुचलना चाहें, तब वही उपेक्षित व्यक्ति सत्य की रक्षा का माध्यम बन सकते हैं। इसलिए किसी को तुच्छ समझकर नकारना नहीं चाहिए।

 

 

शब्दार्थ एवं टिप्पणी

दुरूह = कठिन

चक्रव्यूह = चक्र के आकार में सेना की स्थापना, महाभारत के युद्ध में जिस दिन अभिमन्यु लड़ा था, उस दिन द्रोणाचार्य ने इसी व्यूह की रचना की थी।

अक्षौहिणी = चतुरंगिनी सेना का एक विभाग (जिसमें 109350 पैदल, 65610 घोड़े, 21870 रथ और इतने ही हाथी शामिल होते हैं)

दुस्साहसी = खतरे से भरे कार्य के लिए साहस करने वाला

महारथी = योद्धा

ब्रह्मास्त्र = ब्रह्मशक्ति से परिचालित अमोघ माना जाने वाला एक अस्त्र, महाविनाशकारी अस्त्र।

इतिहासों की … आश्रय ले = ब्रह्मास्त्रों (जैसे आज के परमाणु बम) की सहायता से लड़े गये युद्ध की व्यापक विनाश लीला के बाद इतिहास की गति अवरुद्ध- सी जान पड़े और जो भी साधारण से साधारण व्यक्ति और टूटे पहिये जैसा हथियार शेष बचे, उससे ही इतिहास को नयी गति मिले।

आश्रय = आसरा, सहारा

निडर = जो डरे नहीं

पंथ = मार्ग

बोध एवं विचार

(अ) सही विकल्प का चयन करो :-

  1. रथ का टूटा पहिया स्वयं को न फेंके जाने की सलाह देता है, क्योंकि

(क) उसे मरम्मत करके फिर से रथ में लगाया जा सकता है।

(ख) किसी दुस्साहसी अभिमन्यु के हाथों में आकर ब्रह्मास्त्र से लोहा ले सकता है।

(ग) इतिहासों की सामूहिक गति झूठी पड़ जाने पर सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले सकता है।

(घ) ऊपर के ख और ग दोनों सही है।

उत्तर – (घ) ऊपर के ख और ग दोनों सही है।

  1. दुरूह चक्रव्यूह में अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती ‘ किसने दी थी?

(का) अभिमन्यु ने

(ख) द्रोणाचार्य ने

(ग) अर्जुन ने

(घ) दुर्योधन ने

उत्तर – (का) अभिमन्यु ने

  1. अपने पक्ष को असत्य जानते हुए भी – यहाँ किसके पक्ष को असत्य कहा गया है।

(क) युधिष्ठिर का

(ख) दुर्योधन का

(ग) अभिमन्यु का

(घ) कृष्ण का

उत्तर – (ख) दुर्योधन का

  1. ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ’ – यह किसका कथन है?

(क) भीष्म का कथन

(ख) परशुराम का कथन

(ग) टूटे हुए पहिए का कथन

(घ) भीम के गदा का कथन

उत्तर – (ग) टूटे हुए पहिए का कथन

(आ) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दो :-

  1. कवि ने अभिमन्यु को दुस्साहसी क्यों बताया है?

उत्तर – कवि ने अभिमन्यु को दुस्साहसी इसलिए कहा है क्योंकि वह अकेला ही महाभारत के युद्ध में अत्यंत कठिन ‘चक्रव्यूह’ में प्रवेश कर गया था और उसने विशाल अक्षौहिणी सेनाओं को चुनौती दी थी। यह कार्य साहस और आत्मबल का प्रतीक है।

  1. दुरूह चक्रव्यूह’ का महाभारत के संदर्भ में और आज के संदर्भ में क्या तात्पर्य है?

उत्तर – महाभारत के संदर्भ में ‘दुरूह चक्रव्यूह’ एक युद्ध रचना थी जिसे भेदना अत्यंत कठिन था।
आज के संदर्भ में यह जीवन की जटिल समस्याओं, सामाजिक अन्याय, भ्रष्टाचार या कठिन परिस्थितियों का प्रतीक है, जिन्हें समझना और पार करना बहुत कठिन होता है।

  1. कवि ने किस तथ्य के आधार पर कहा कि -‘ असत्य कभी सत्य को बर्दाश्त नहीं कर पाता’?

उत्तर – कवि ने यह कथन इस आधार पर कहा है कि जब सत्य अपनी बात शांतिपूर्वक और निर्भीक रूप से रखता है, तब असत्य के समर्थक, चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों, उसे सहन नहीं कर पाते और उसे कुचलने का प्रयास करते हैं।

  1. लघु से लघु और तुच्छ से तुच्छ वस्तु’ किन परिस्थितियों में अत्यधिक उपयोगी हो सकती है?

उत्तर – जब सत्य और न्याय के लिए संघर्ष करना हो, तब एक छोटी-सी वस्तु भी अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हो सकती है। जैसे – टूटा हुआ पहिया भी यदि किसी साहसी के हाथ में पड़ जाए, तो वह असत्य और अन्याय से टक्कर ले सकता है।

  1. इतिहास की सामूहिक गति का सहसा झूठी पड़ जाने’ का क्या आशय है?

उत्तर – इसका अर्थ है कि जब समाज या इतिहास का बहुमत किसी झूठ को ही सच मानकर उसे अपनाता है, और बाद में वह झूठ प्रकट हो जाता है, तब इतिहास की वह गति व दिशा असत्य सिद्ध हो जाती है।

  1. कवि के अनुसार सच्चाई टूटे पहियों का आश्रय लेने को कब विवश हो सकती है?

उत्तर – जब समाज में सत्य की आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है और असत्य का बोलबाला हो जाता है, तब सच्चाई को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए साधारण और उपेक्षित वस्तुओं में भी आश्रय लेना पड़ता है, जैसे — टूटे हुए रथ के पहिए में।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान

  1. निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय अलग करो :-

सामूहिक, आवश्यकता, सनसनाहट, पाठक, पूजनीय, परीक्षित

उत्तर – 1. सामूहिक = समूह + इक

2.आवश्यकता = आवश्यक + ता

3.सनसनाहट = सनसनाना + आहट

4.पाठक = पठ् + अक

5.पूजनीय = पूज + अनीय

6.परीक्षित = परीक्षा + इत

  1. निम्नांकित शब्दों में से उपसर्ग अलग करो :-

दुस्साहस, अनुदार, बदसूरत, निश्चिंत, बेकारी, अज्ञानी

उत्तर – 1.दुस्साहस = दुस् + साहस

2.अनुदार = अन् + उदार

3.बदसूरत = बद + सूरत

4.निश्चिंत = नि: + चिंत

5.बेकारी = बे + कार + ई

6.अज्ञानी = अ + ज्ञानी

 

योग्यता- विस्तार

  1. महाभारत में वर्णित चक्रव्यूह का प्रसंग पढ़ो और कक्षा में चर्चा करो

उत्तर – 1. चक्रव्यूह क्या है?

चक्रव्यूह एक अत्यंत जटिल और घेराबंदी वाली सैन्य रचना थी, जो कई गोल घेरों (व्यूहों) से बनी होती थी। यह रचना इस प्रकार होती थी कि शत्रु सेना उसमें फँस जाती और बाहर निकलना लगभग असंभव हो जाता।

  1. किसने बनाया था चक्रव्यूह?

कौरवों की ओर से सेनापति द्रोणाचार्य ने इस व्यूह की रचना की थी। यह योजना थी पांडवों को भारी नुकसान पहुँचाने की।

  1. अभिमन्यु का प्रवेश

पांडवों का वीर पुत्र अभिमन्यु (अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र), जो केवल सोलह वर्ष का था, चक्रव्यूह में प्रवेश करता है। उसे चक्रव्यूह में प्रवेश करने की विधि तो आती थी, परंतु व्यूह से निकलने की विधि नहीं आती थी।

  1. अभिमन्यु का संघर्ष

अभिमन्यु अकेला ही चक्रव्यूह के भीतर जाता है और वहाँ कौरवों की अनेक महारथी सेनाएँ—जयद्रथ, कर्ण, दु:शासन, अश्वत्थामा, कृपाचार्य आदि—उसे घेर लेते हैं और नियमों के विरुद्ध मिलकर उस पर आक्रमण किया जाता है।

  1. वीरगति

अंततः अत्यधिक संघर्ष के बाद अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त होता है। यह घटना युद्ध का एक अत्यंत करुण और क्रोध पैदा करने वाला क्षण था, जिससे अर्जुन और पांडवों का आक्रोश और युद्ध की तीव्रता बढ़ गई।

महत्त्व और प्रतीकात्मकता:

चक्रव्यूह का प्रसंग युवाओं के साहस और बलिदान का प्रतीक है।

यह दिखाता है कि ज्ञान अधूरा हो तो कितना घातक हो सकता है।

यह कहानी अन्याय और कायरता के विरुद्ध संघर्ष को दर्शाती है।

साथ ही यह प्रसंग हमें सिखाता है कि सच्चे वीर अकेले भी असत्य के विरुद्ध खड़े हो सकते हैं।

 

  1. ब्रह्मास्त्र’ क्या है? इसकी जानकारी हासिल करो और कक्षा में चर्चा करो।

उत्तर – ब्रह्मशक्ति से परिचालित अमोघ माना जाने वाला एक अस्त्र, महाविनाशकारी अस्त्र।

 

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए –

  1. कवि ने रथ के टूटा हुआ पहिया होने की स्थिति में किसका उल्लेख किया है?

उत्तर – कवि ने रथ के टूटे हुए पहिये का उल्लेख उसके लिए किया है जो चुनौती लेता है और किसी कारणवश हार जाता है पर अपने संघर्ष से वह सबको सबको अचंभित कर देता है। वह हार कर भी, अपने अस्तित्व को बनाए रखता है और एक दिन किसी वीर योद्धा की तरह विजय प्राप्त कर सकता है। कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि कमजोरी भी कभी शक्ति में बदल सकती है।

  1. रथ का टूटा हुआ पहिया’ किस प्रकार के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल हुआ है?

उत्तर – ‘रथ का टूटा हुआ पहिया’ एक प्रतीक है, जो जीवन के संघर्ष, कठिनाइयों और टूटने के बावजूद पुनर्निर्माण की संभावना को दर्शाता है। यह कविता में व्यक्ति की हार न मानने और संघर्ष करने की भावना का प्रतीक बनता है।

  1. कविता में ‘बड़े-बड़े महारथी’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर – कविता में ‘बड़े-बड़े महारथी’ से कवि का आशय उन शक्तिशाली लोगों से है, जो अपने पक्ष के झूठ को सत्य मानते हुए कमजोर आवाजों को कुचल देना चाहते हैं। वे अपने सामर्थ्य का गलत उपयोग करते हैं।

 

  1. सच्चाई टूटे हुए पहियों का आश्रय ले’ से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर – यहाँ कवि यह कहना चाहते हैं कि जब इतिहास की गति झूठी हो जाती है और सामूहिक सत्य से भटक जाता है, तब सत्य उन टूटे हुए, नष्ट हुए प्रतीकों में अपना आश्रय लेता है, जो पहले अवज्ञा और उपेक्षा का शिकार थे।

  1. कवि ने अभिमन्यु को ‘दुस्साहसी’ क्यों कहा है?

उत्तर – कवि ने अभिमन्यु को ‘दुस्साहसी’ इसलिए कहा है क्योंकि अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में प्रवेश किया था, जिसे तोड़ने का साहस उसने दिखाया था, जबकि उसे पूरा मार्गदर्शन नहीं था। यह उसकी निडरता और साहस का प्रतीक है।

  1. कविता के अनुसार रथ का टूटा हुआ पहिया कब महत्त्वपूर्ण हो सकता है?

उत्तर – रथ का टूटा हुआ पहिया महत्त्वपूर्ण तब हो सकता है जब इतिहास या समाज की सामूहिक गति झूठी पड़ जाए और सच्चाई की आवश्यकता हो। टूटे हुए पहिए का पुनः उपयोग इतिहास की सच्चाई को स्थापित करने में किया जा सकता है।

  1. कविता में ‘ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ’ से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर – ‘ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ’ का तात्पर्य है कि, भले ही किसी के पास अत्यधिक शक्ति हो, लेकिन सच्चाई की ताकत उन शक्तियों से भी अधिक होती है। कविता यह संदेश देती है कि ब्रह्मास्त्र जैसे शक्तिशाली अस्त्र भी सत्य के सामने हार सकते हैं।

  1. कविता में ‘चक्रव्यूह’ का क्या महत्त्व है?

उत्तर – ‘चक्रव्यूह’ एक जटिल संरचना या जाल का प्रतीक है, जिसमें प्रवेश करना कठिन होता है। यह जीवन के संघर्षों और समस्याओं को दर्शाता है, जिसमें कोई भी व्यक्ति या शक्ति अकेले मुकाबला नहीं कर सकती, और उसे किसी साहसी व्यक्ति के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

  1. कवि ने ‘रथ का टूटा हुआ पहिया’ क्यों कहा है कि उसे ‘फेंको मत’?

उत्तर – कवि ने ‘रथ का टूटा हुआ पहिया’ को ‘फेंको मत’ इसलिए कहा है क्योंकि, भले ही वह टूट चुका हो, वह एक दिन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और सच्चाई के पक्ष में खड़ा हो सकता है। यह जीवन में निरंतर संघर्ष और पुनर्निर्माण की उम्मीद को दर्शाता है।

  1. कविता में ‘दुस्साहसी अभिमन्यु’ का क्या संदर्भ है?

उत्तर – ‘दुस्साहसी अभिमन्यु’ का संदर्भ महाभारत के उस महान क्षण से है जब अभिमन्यु ने चक्रव्यूह को तोड़ने का साहस किया, जिसे कोई भी अन्य योद्धा करने की हिम्मत नहीं करता। यह उसका वीरता और साहस का प्रतीक है।

 

 

 

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