- मञ्जूषायाः उचितम् विशेषणं चित्वा सम्पूर्णं लिखत
क्रमांक | विशेष्य (संज्ञा) | विशेषण (मञ्जूषा से) |
(i) | सुप्तः | बालकः |
(ii) | म्विकसितम् | पुष्प |
(iii) | धावितः | अश्वः |
(iv) | तप्त: | सूर्यः |
(v) | पठितः | पाठः |
(vi) | सुप्ता | बालिका |
(vii) | श्रान्त: | पथिक: |
(viii) | पक्वम् | फलम् |
- अधोलिखितेषु वाक्येषु स्थूलपदानां प्रकृति–प्रत्ययौ संयोज्य विशेषणं वा लिखत
क्रमांक | वाक्य | प्रकृति + प्रत्यय = संधिपद / क्रियापद |
(i) | छात्रैः संस्कृतदिवस्य आयोजनं कु + कृत। | कृतम् |
(ii) | व्यासेन महाभारतं विरचितम्। | वि + रच् + क्त = विरचितम् |
(iii) | कालिदासेन त्राणि नाटकानि रच् + क्त। | रचितानि |
(iv) | विष्णुशर्मणा पञ्चतन्त्रम् लिख् + क्त। | लिखितम् |
(v) | अन्नग्रहः – भोगः – न भुज् + क्त। | भुक्तः |
(vi) | भोगः – वयमेव भुज् + क्त। | भुक्तः |
(vii) | संयमिनः तपः तप् + क्त। | तप्तम् |
(viii) | मया मधुराणि फलानि खादितानि। | खाद् + क्त = खादितानि |
- ‘क्तवतु’ प्रत्ययः (Active Voice) एवं प्रयोगः —
क्रम | वाक्य (वर्तमान) | क्तवतु प्रयोग (भूतकाल) |
(i) | बालकः अभ्रमत् । | बालकः भ्रमितवान्। |
(ii) | बालकौ अभ्रमताम्। | बालकौ भ्रमितवन्तौ । |
(iii) | बालका: पठन्ति। | बालका: भ्रमितवन्त: |
(iv) | सः अचिन्तयत्। | सः चिन्तितवान्। |
(v) | तौ अगच्छताम्। | तौ गतवन्तौ। |
(vi) | ते अखादन्। | ते खादितवन्तः। |
(vii) | त्वं किं अखादः? | त्वं किं खादितवान्? |
(viii) | युवाम् किं अखादतम्? | युवाम् किं खादितवन्तौ? |
(ix) | यूयं किं अखादत? | यूयं किं खादितवन्तः? |
(x) | अहम् अपठम्। | अहम् पठितवान्। |
(xi) | आवाम् अपठाव। | आवाम् पठितवन्तौ। |
(xii) | वयम् अपठाम। | वयम् पठितवन्तः। |
- स्त्रीलिङ्गे परिवर्तनं कुरुत —
क्रम | पुल्लिंग रूप | स्त्रीलिंग रूप |
(i) | अध्यापकः कथितवान्। | अध्यापिका कथितवती। |
(ii) | मूषकः इतस्ततः भ्रमितवान्। | मूषिका इतस्ततः भ्रमितवती। |
(iii) | युवकः खादितवान्। | युवती खादितवती। |
(iv) | बालकः गतवान्। | बालिका गतवती। |
(v) | शिक्षकः पाठितवान्। | शिक्षिका पाठितवती। |
(vi) | पुत्रः निवेदितवान्। | पुत्री निवेदितवती। |
(vii) | वृद्धः पृष्टवान् | वृद्धा पृष्टवती। |
(viii) | जनकः दत्तवान्। | जननी दत्तवती। |