मेरा प्रथम कर्तव्य है –
सींचू अपने परिवार को
उत्तम विचारों से
मानवीय व्यवहारों से
समन्वित आचारों से
ऐक्य भावों के प्रकारों से
मेरा द्वितीय कर्तव्य है –
बचाऊँ अपने परिवार को
क्षुधा के प्रहारों से
मानसिक विकारों से
अश्लीलता के दुष्प्रचारों से
संकीर्ण विचारों से
मेरा तृतीय कर्तव्य है –
संपूर्ण मानवता के प्रति
अखिल ब्रह्मांड के प्रति कि
सत्कर्मों में लिप्त रहूँ
काम मोह से निर्लिप्त रहूँ
रहूँ जगत में मैं कुछ ऐसे
सब कर्तव्यों का हो निष्पादन
अमर व्यक्तित्व का हो आच्छादन।
अविनाश रंजन गुप्ता