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कवि परिचय – गोपाल दास ‘नीरज’

पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान से विभूषित गोपालदास ‘नीरज’ का जन्म 4 जनवरी 1925 को इटावा (उत्तर प्रदेश) के पुरावली ग्राम में हुआ था। हिंदी भाषा के प्रमुख गीतकार और कवि नीरज ने कविता के साथ-साथ हिंदी सिनेमा के लिए लोकप्रिय गीत लिखे हैं- कारवाँ गुजर गया, बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ ए भाई ! जरा देख के चलो आदि। जन सामान्य की दृष्टि में वे मानव प्रेम के अनन्य गायक हैं। उन्होंने अपनी मर्मस्पर्शी काव्यानुभूति तथा सहज, सरल भाषा द्वारा हिंदी कविता को आम जन तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कारवाँ गुजर गया, प्राण गीत, आसावरी, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की गीतिकाएँ, संघर्ष, विभावरी, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तक, गीत भी अगीत आदि उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।

कविता परिचय – जीवन नहीं मरा करता है

जीवन में निराशा और हताशा के ऐसे कई क्षण आते हैं, जब हम पूरी तरह हार कर बैठ जाते हैं। नीरज की कविता जीवन नहीं मरा करता है निराशा के इन्हीं क्षणों से हमें मुक्त कर आशा का संचार करती है।

जीवन नहीं मरा करता है

छिप-छिप अश्रु बहाने वालो !

मोती व्यर्थ लुटाने वालो !

कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

सपना क्या है? नयन सेज पर

सोया हुआ आँख का पानी,

और टूटना है उसका ज्यों

जागे कच्ची नींद जवानी,

गीली उमर बनाने वालो!

डूबे बिना नहाने वालो!

कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर

केवल जिल्द बदलती पोथी,

जैसे रात उतार चाँदनी

पहने सुबह धूप की धोती,

वस्त्र बदलकर आने वालो!

चाल बदलकर जाने वालो!

चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

लाखों बार गगरियाँ फूटीं

शिकन न आई पनघट पर,

लाखों बार कश्तियाँ डूबीं

चहल-पहल वो ही है तट पर,

तम की उमर बढ़ाने वालो!

लौ की आयु घटाने वालो!

लाख करे पतझर कोशिश पर

उपवन नहीं मरा करता है।

लूट लिया माली ने उपवन

लुटी न लेकिन गंध फूल की,

तूफानों तक ने छेड़ा पर

खिड़की बंद न हुई धूल की,

नफ़रत गले लगाने वालो !

सब पर धूल उड़ाने वालो !

कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पण नहीं मरा करता है।

 

पाठ का सार

प्रथम छंद –

जीवन नहीं मरा करता है

छिप-छिप अश्रु बहाने वालो!

मोती व्यर्थ लुटाने वालो!

कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

व्याख्या – कवि रोने वालों को डाँटते हुए कहते हैं कि सपनों के नष्ट होने से जीवन समाप्त नहीं होता। सपने क्षणिक हैं, जैसे स्वप्न। व्यर्थ रोना मोतियों की बर्बादी है। जीवन संघर्षों से मजबूत होता है। यह छंद निराशा पर प्रहार करता है और हौसला बढ़ाता है।

द्वितीय छंद –

सपना क्या है?

नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी,

और टूटना है उसका ज्यों जागे कच्ची नींद जवानी, गी

ली उमर बनाने वालो! डूबे बिना नहाने वालो!

कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

व्याख्या – सपना आंख का सोया पानी है, जो युवावस्था (कच्ची नींद जवानी) जागने पर टूट जाता है। कवि युवाओं को संबोधित कर कहते हैं कि आंसू बहाकर उम्र गीली न बनाओ (गीली उमर=दुखी जीवन), बिना प्रयास के नहाने वाले (डूबे बिना=बिना संघर्ष)। वर्षा ऋतु (सावन) का पानी बहने से समाप्त नहीं होता—नया पानी आता रहता है। अर्थ: हानियाँ प्राकृतिक हैं, जीवन रुकता नहीं।

तृतीय छंद –

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर

केवल जिल्द बदलती पोथी,

जैसे रात उतार चाँदनी पहने सुबह धूप की धोती,

वस्त्र बदलकर आने वालो! चाल बदलकर जाने वालो!

चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

व्याख्या – कुछ खोता नहीं, केवल रूप (जिल्द) बदलता है—जैसे किताब की जिल्द बदलती रहती है, लेकिन ज्ञान वही। रात चांदनी उतारकर सुबह धूप की धोती पहन लेती है। कवि परिवर्तनशील लोगों को कहते हैं कि खिलौनों के खोने से बचपन समाप्त नहीं। अर्थ: जीवन चक्रीय है; पुराना रूप छोड़ नया अपनाओ।

चतुर्थ छंद –

लाखों बार गगरियाँ फूटीं

शिकन न आई पनघट पर,

लाखों बार कश्तियाँ डूबीं

चहल-पहल वो ही है तट पर,

तम की उमर बढ़ाने वालो!

लौ की आयु घटाने वालो!

लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।

व्याख्या – लाख मटके (गगरियाँ) टूटने से कुएँ का घाट चिंतित नहीं। नावें डूबने से तट की हलचल नहीं रुकती। कवि बुराई बढ़ाने वालों (तम=अंधकार) को चेतावनी देते हैं। पतझर (शरद) पत्ते झाड़कर बगीचे को उजाड़ने की कोशिश करे, लेकिन वसंत आकर हरा-भरा कर देता। अर्थ: संकट कितने भी, जीवन पुनर्जीवित होता है। समाज में बुराई बढ़े, अच्छाई बनी रहती है।

पंचम छंद –

लूट लिया माली ने उपवन

लुटी न लेकिन गंध फूल की,

तूफानों तक ने छेड़ा पर खिड़की

बंद न हुई धूल की, नफ़रत गले लगाने वालो!

सब पर धूल उड़ाने वालो!

कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पण नहीं मरा करता है।

व्याख्या – माली बगीचे को लूट ले, लेकिन फूल की सुगंध बनी रहती। तूफान धूल उड़ाए, खिड़की बंद न हो। कवि नफरत करने वालों (धूल उड़ाने वाले) को कहते हैं कि चेहरों की नाराजगी से आईना (सच्चाई/आत्मा) प्रभावित नहीं। अर्थ: बाहरी हमले मूल तत्व नष्ट नहीं कर पाते। सज्जन व्यक्ति छोटी आलोचनाओं से विचलित न हो।

भाषा-शैली और अलंकार

  • भाषा – सरल, बोलचाल की हिंदी; ग्रामीण छवियाँ (पनघट, सावन, उपवन)।
  • शैली – प्रेरक, संवादात्मक (वालो! संबोधन)।
  • अलंकार – उपमा (सपना=आँख का पानी), रूपक (जीवन=उपवन), अनुप्रास (मरा करता), मानवीकरण (रात उतार चाँदनी)।
  • छंद – मुक्त छंद, लयबद्ध।

कविता का संदेश

  • जीवन छोटी हानियों से मरता नहीं; संघर्ष और आशा से जीवंत रहता है।
  • प्रकृति से सीखो: परिवर्तन अनिवार्य, लेकिन विनाश नहीं।
  • व्यर्थ रोना छोड़ो, हौसला रखो—मंजिल संकट पार कर मिलती है।

यह व्याख्या स्कूली स्तर पर उपयोगी है। यदि कोई विशिष्ट भाग अधिक विस्तार चाहें, बताएँ!

 

शब्दार्थ

नयन – आँख

सेज – बिस्तर बिछावन

अश्रु – आँसू

व्यर्थ – अर्थहीन, अनावश्यक

शिकन – सिलवटें सिकुड़न

पनघट – पानी भरने का घाट, वह घाट जहाँ लोग पानी भरते हों।

शब्द

हिंदी अर्थ

अंग्रेजी अर्थ

अश्रु

आँसू

Tears

मोती

कीमती रत्न, यहाँ आँसुओं की उपमा

Pearl, metaphor for tears

व्यर्थ

बेकार, निष्फल

In vain, useless

नयन

आँखें

Eyes

सेज

शय्या, बिस्तर

Bed, couch

कच्ची नींद

अधूरी नींद, जो आसानी से टूट जाए

Light/fragile sleep

जवानी

युवावस्था

Youth

गीली उमर

दुखी जीवन

Sorrowful life

सावन

वर्षा ऋतु

Monsoon season

जिल्द

किताब का आवरण

Book cover

पोथी

किताब, विशेषकर धार्मिक

Book, scripture

चाँदनी

चाँद की रोशनी

Moonlight

धोती

वस्त्र, परंपरागत पुरुष परिधान

Traditional male garment

गगरियाँ

मटके, घड़े

Earthen pots

शिकन

झुर्री, चिंता का भाव

Wrinkle, sign of worry

पनघट

कुएँ या नदी का घाट

Village water well or riverbank

कश्तियाँ

नावें

Boats

चहल-पहल

भीड़, हलचल

Bustle, activity

तट

किनारा

Shore, bank

तम

अंधेरा

Darkness

लौ

दीपक की ज्योति

Flame, light

पतझर

शरद ऋतु, जब पत्ते गिरते हैं

Autumn, season of falling leaves

उपवन

बगीचा

Garden

माली

बागबान, माली

Gardener

गंध

सुगंध

Fragrance

धूल

मिट्टी, रज

Dust

नफ़रत

घृणा, बैर

Hatred

मुखड़े

चेहरे

Faces

दर्पण

आईना

Mirror

 

पाठ से

अभ्यास

  1. कविता में वे कौन-कौन सी पंक्तियाँ हैं जो हमारे अंदर आशा का संचार करती हैं?

उत्तर – कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ हमारे अंदर आशा का संचार करती हैं:

कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।

कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पण नहीं मरा करता है।

यह सभी पंक्तियाँ हमें यह सिखाती हैं कि छोटी-मोटी असफलताओं और नुकसान से जीवन रुक नहीं जाता, बल्कि निरंतर आगे बढ़ता रहता है।

  1. ‘मोती व्यर्थ लुटाने वालो!’ पंक्ति में मोती से क्या आशय है?

उत्तर – ‘मोती व्यर्थ लुटाने वालो!’ पंक्ति में ‘मोती’ से आशय ‘आँसू’ से है। कवि आँसुओं को मोती के समान कीमती मानते हैं और यह संदेश देना चाहते हैं कि हमें छोटी-छोटी असफलताओं और दुखों पर अपने कीमती आँसू बहाकर उन्हें व्यर्थ नहीं करना चाहिए।

  1. ‘तम की उमर बढ़ाने वालो! लौ की आयु घटाने वालो।’ कविता की इन पंक्तियों में किस तरह के लोगों को संबोधित किया गया है और इनकी तुलना किससे की गई है?

उत्तर – इन पंक्तियों में कवि ने उन निराशावादी लोगों को संबोधित किया है जो हमेशा नकारात्मक बातें करते हैं और दूसरों की हिम्मत तोड़ते हैं। यहाँ ‘तम’ (अंधकार) की तुलना निराशा से और ‘लौ’ (प्रकाश की किरण) की तुलना आशा से की गई है। कवि ऐसे लोगों पर कटाक्ष कर रहे हैं जो निराशा के अंधकार को बढ़ाते हैं और आशा की लौ को बुझाने का काम करते हैं।

  1. “लूट लिया माली ने उपवन, लुटी न लेकिन गंध फूल की” कविता की इन पंक्तियों में कवि क्या संदेश देना चाह रहा है? अपने विचार लिखिए।

उत्तर – इन पंक्तियों के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाह रहे हैं कि किसी भी चीज़ का बाहरी या भौतिक स्वरूप नष्ट किया जा सकता है, परंतु उसकी आत्मा, उसके गुण और उसकी esencia को कोई नहीं छीन सकता। जिस प्रकार माली बगीचे के सारे फूल तोड़ सकता है, लेकिन उन फूलों की सुगंध को खत्म नहीं कर सकता, वह हवा में फैल ही जाती है, उसी प्रकार मनुष्य के शरीर या उसकी संपत्ति को छीना जा सकता है, पर उसके आंतरिक गुण, विचार और उसकी आत्मा को कोई नष्ट नहीं कर सकता।

  1. कविता के शीर्षक ‘जीवन नहीं मरा करता की उपयुक्तता पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर – कविता का शीर्षक ‘जीवन नहीं मरा करता है’ सर्वथा उपयुक्त और सार्थक है। पूरी कविता इसी एक केंद्रीय भाव के इर्द-गिर्द घूमती है। कवि ने विभिन्न उदाहरणों जैसे- सपनों का टूटना, सावन का पानी बहना, खिलौनों का खो जाना, पतझड़ का आना और पनघट पर गगरियों का फूटना, के माध्यम से यह सिद्ध किया है कि छोटी-छोटी हानियों या अस्थायी असफलताओं से जीवन का वृहद प्रवाह कभी नहीं रुकता। हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत होता है। यह शीर्षक कविता के मूल संदेश को सफलतापूर्वक व्यक्त करता है कि जीवन निरंतर चलने वाली एक प्रक्रिया है जो कभी समाप्त नहीं होती।

पाठ से आगे

  1. कुछ सपनों के मर जाने से जीवन समाप्त नहीं हो जाता है। क्या आप इस बात से सहमत हैं? अपने पक्ष में उदाहरण सहित तर्क दीजिए।

उत्तर – हाँ, मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि कुछ सपनों के मर जाने से जीवन समाप्त नहीं हो जाता है। जीवन एक लंबी यात्रा है जिसमें अनेक पड़ाव और लक्ष्य होते हैं। यदि कोई एक सपना पूरा नहीं हो पाता, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि सारे रास्ते बंद हो गए।

उदाहरण के लिए: यदि कोई छात्र डॉक्टर बनने का सपना देखता है और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफल नहीं हो पाता, तो वह निराश हो सकता है। लेकिन यह जीवन का अंत नहीं है। हो सकता है कि वह फार्मेसी, नर्सिंग, वैज्ञानिक अनुसंधान या स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन जैसे किसी अन्य क्षेत्र में जाकर बहुत अधिक सफलता प्राप्त करे। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पायलट बनना चाहते थे, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। उन्होंने हार नहीं मानी, विज्ञान के क्षेत्र में काम किया और एक महान वैज्ञानिक तथा भारत के राष्ट्रपति बने। यह इस बात का प्रमाण है कि एक सपने के टूटने पर जीवन हमें और भी बेहतर अवसर प्रदान कर सकता है।

  1. अपने या अपने आसपास के लोगों के जीवन की कुछ ऐसी घटनाओं का वर्णन कीजिए जिनके घटित होने पर भी जीवन के वृहद परिदृश्य प्रभावित नहीं होते।

उत्तर – हमारे आस-पास ऐसी कई घटनाएँ होती हैं जो उस क्षण बहुत बड़ी लगती हैं, पर जीवन की निरंतरता पर कोई खास प्रभाव नहीं डालतीं।

उदाहरण 1: मेरे एक मित्र ने बड़े उत्साह से एक दुकान खोली, लेकिन कुछ महीनों में ही उसे भारी नुकसान हुआ और दुकान बंद करनी पड़ी। उस समय वह बहुत निराश था, उसे लगा कि सब कुछ खत्म हो गया। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और एक दूसरी कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन किया। आज वह उस कंपनी में एक अच्छे पद पर है और पहले से कहीं ज्यादा खुश और सफल है। उसकी एक असफलता ने उसके जीवन को समाप्त नहीं किया, बल्कि एक नए और बेहतर रास्ते पर मोड़ दिया।

उदाहरण 2: हमारे मोहल्ले में एक बहुत पुराना पेड़ था जिसे सब लोग पसंद करते थे। एक तूफान में वह पेड़ गिर गया। सबको बहुत दुःख हुआ, लगा कि अब यहाँ सूनापन हो जाएगा। लेकिन कुछ ही दिनों में नगर पालिका ने वहाँ दो नए पौधे लगा दिए। धीरे-धीरे वे पौधे भी बड़े हो रहे हैं और फिर से वहाँ हरियाली छा रही है। उस एक पेड़ के गिरने से जीवन का चक्र नहीं रुका।

 

भाषा के बारे में

  1. हिंदी भाषा में कई बार एक ही अर्थ के लिए एक से अधिक शब्द रूप इस्तेमाल किए जाते हैं, उदाहरण के लिए कविता में ‘ज्यों शब्द आया है, इसके लिए ‘जैसे’ शब्द का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इन्हें पर्यायवाची भी कहते हैं। निम्नांकित शब्दों के पर्यायवाची बताइए।

(क) अश्रु – आँसू, नयनजल, नेत्रनीर

(ख) व्यर्थ – बेकार, निरर्थक, बेमतलब

(ग) नयन – आँख, नेत्र, चक्षु, लोचन

(घ) चंद – कुछ, थोड़े, अल्प

(ङ) कश्ती – नाव, नौका, तरी

(च) तम – अंधकार, अँधेरा, तिमिर

(छ) उपवन – बाग, बगीचा, वाटिका, उद्यान

(ज) कोशिश – प्रयास, प्रयत्न, चेष्टा

योग्यता विस्तार

  1. गोपाल दास ‘नीरज’ के कुछ प्रसिद्ध गीतों को खोजकर पढ़िए और गाइए।

उत्तर – छात्र अपने स्तर पर करें।

  1. जीवन में आशा का संचार करने वाली रामधारी सिंह दिनकर की दी गई कविता को भी पढ़िए।

यह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है

थक कर बैठ गए क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।

चिंगारी बन गई लहू की बूँद गिरी जो पग से

चमक रहे पीछे मुड़ देखो चरण चिह्न जगमग से।

शुरू हुई आराध्य भूमि यह क्लांत नहीं रे राही;

और नहीं तो पाँव लगे हैं क्यों पड़ने डगमग से।

बाकी होश तभी तक जब तक जलता तूर नहीं

थक कर बैठ गए क्या भाई ! मंजिल दूर नहीं है।

अपनी हड्डी की मशाल से हृदय चीरते तम का,

सारी रात चले तुम, दुख झेलते कुलिश निर्मम का।

एक खेप है शेष, किसी विध पार उसे कर जाओ;

वह देखो, उस पार चमकता है मंदिर प्रियतम का।

आकर इतना पास फिरे, वह सच्चा शूर नहीं है;

थककर बैठ गए क्या भाई ! मंजिल दूर नहीं है।

दिशा दीप्त हो उठी प्राप्त कर पुण्य – प्रकाश तुम्हारा,

लिखा जा चुका अनल – अक्षरों में इतिहास तुम्हारा।

जिस मिट्टी ने लहू पिया, वह फूल खिलाएगी ही,

अंबर पर घन बन छाएगा ही उच्छ्वास तुम्हारा।

और अधिक ले जाँच, देवता इतना क्रूर नहीं है।

थककर बैठ गए क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।

रामधारी सिंह ‘दिनकर’

शब्दार्थ

आराध्य – जिनकी पूजा की जाती हो

क्लांत – थका हुआ

तूर – नाद, घोष

कुलिश – आकाशीय बिजली, गाज

खेप – उतनी वस्तु जो एक बार लादी, ढोई या पहुँचाई जा सके

अनल – अग्नि

अंबर आकाश;

उच्छ्वास – साँस छोड़ना।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

  1. कविता का मुख्य संदेश क्या है?
    a) सपनों का टूटना जीवन का अंत है
    b) छोटी हानियों से जीवन नहीं मरता
    c) आँसू बहाना व्यर्थ है
    d) प्रकृति का कोई महत्व नहीं
    उत्तर – b) छोटी हानियों से जीवन नहीं मरता
  2. ‘नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी’ में ‘आँख का पानी’ का अर्थ है?
    a) आँसू
    b) सपना
    c) नींद
    d) युवावस्था
    उत्तर – a) आँसू
  3. ‘गीली उमर बनाने वालो’ से कवि का तात्पर्य है?
    a) रोने वालों से
    b) साहसी लोगों से
    c) मेहनती लोगों से
    d) सपने देखने वालों से
    उत्तर – a) रोने वालों से
  4. कविता में ‘सावन’ का प्रतीक है?
    a) पतझर
    b) जीवन की निरंतरता
    c) सूखा
    d) मृत्यु
    उत्तर – b) जीवन की निरंतरता
  5. ‘जिल्द बदलती पोथी’ का अर्थ है?
    a) किताब का नष्ट होना
    b) केवल बाहरी रूप बदलना
    c) ज्ञान का ह्रास
    d) किताब का चोरी होना
    उत्तर – b) केवल बाहरी रूप बदलना
  6. ‘चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है’ का भाव है?
    a) बचपन स्थायी होता है
    b) खिलौने महत्वपूर्ण हैं
    c) बचपन खो जाता है
    d) खिलौने जीवन हैं
    उत्तर – a) बचपन स्थायी होता है
  7. ‘पनघट’ शब्द का अर्थ है?
    a) बगीचा
    b) नदी का किनारा
    c) मंदिर
    d) बाजार
    उत्तर – b) नदी का किनारा
  8. ‘तम की उमर बढ़ाने वालो’ से कवि का संबोधन है?
    a) बुराई फैलाने वालों से
    b) अच्छाई करने वालों से
    c) साहसी लोगों से
    d) बच्चों से
    उत्तर – a) बुराई फैलाने वालों से
  9. ‘माली ने उपवन लूट लिया’ में ‘उपवन’ का अर्थ है?
    a) बगीचा
    b) फूल
    c) सुगंध
    d) माली
    उत्तर – a) बगीचा
  10. ‘कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पण नहीं मरा करता है’ में ‘दर्पण’ प्रतीक है?
    a) सत्य/आत्मा
    b) चेहरा
    c) नफरत
    d) धूल
    उत्तर – a) सत्य/आत्मा

 

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. कवि के अनुसार कुछ सपनों के टूटने पर हमें क्या नहीं करना चाहिए?

उत्तर – कवि के अनुसार, कुछ सपनों के टूट जाने पर हमें छिप-छिप कर आँसू नहीं बहाने चाहिए क्योंकि जीवन केवल कुछ सपनों के सहारे नहीं चलता।

प्रश्न 2. ‘मोती व्यर्थ लुटाने वालो’ पंक्ति में कवि ने ‘मोती’ किसे कहा है?

उत्तर – ‘मोती व्यर्थ लुटाने वालो’ पंक्ति में कवि ने मनुष्य के कीमती आँसुओं को ‘मोती’ कहा है, जिन्हें छोटी-छोटी बातों पर व्यर्थ नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 3. कवि ने सपने की तुलना किससे की है?

उत्तर – कवि ने सपने की तुलना आँख के उस पानी से की है जो नयनों की सेज पर सोया हुआ होता है और कच्ची नींद में जागने पर टूट जाता है।

प्रश्न 4. ‘केवल जिल्द बदलती पोथी’ पंक्ति का क्या आशय है?

उत्तर – ‘केवल जिल्द बदलती पोथी’ पंक्ति का आशय है कि इस संसार में कुछ भी वास्तव में समाप्त नहीं होता, बस उसका बाहरी रूप बदल जाता है, जैसे किताब पुरानी होने पर उस पर नई जिल्द चढ़ा दी जाती है।

प्रश्न 5. बचपन के अमर होने का कवि ने क्या उदाहरण दिया है?

उत्तर – कवि ने यह उदाहरण दिया है कि कुछ खिलौनों के खो जाने या टूट जाने से किसी का बचपन समाप्त नहीं हो जाता है।

प्रश्न 6. पनघट और तट का उदाहरण देकर कवि क्या सिद्ध करना चाहते हैं?

उत्तर – पनघट पर लाखों घड़ियों के टूटने और तट पर लाखों नावों के डूबने का उदाहरण देकर कवि यह सिद्ध करना चाहते हैं कि छोटी-मोटी हानियों से जीवन की चहल-पहल पर कोई असर नहीं पड़ता।

प्रश्न 7. ‘तम की उमर बढ़ाने वालों’ से कवि का तात्पर्य क्या है?

उत्तर – ‘तम की उमर बढ़ाने वालों’ से कवि का तात्पर्य उन निराशावादी लोगों से है जो हमेशा नकारात्मकता फैलाते हैं और आशा की लौ को कम करते हैं।

प्रश्न 8. पतझड़ के प्रयास के बावजूद क्या नहीं मरता है?

उत्तर – पतझड़ की लाख कोशिशों के बाद भी उपवन या बगीचा नहीं मरता है, क्योंकि वसंत आने पर वह फिर से हरा-भरा हो जाता है।

प्रश्न 9. फूल और धूल के उदाहरण से कवि ने क्या संदेश दिया है?

उत्तर – फूल की गंध और धूल के उदाहरण से कवि ने यह संदेश दिया है कि किसी भी वस्तु का बाहरी स्वरूप नष्ट किया जा सकता है, लेकिन उसकी आत्मा या मौलिक गुण को कोई नहीं मिटा सकता।

प्रश्न 10. कविता का मूल संदेश क्या है?

उत्तर – इस कविता का मूल संदेश यह है कि जीवन में आने वाले दुखों, असफलताओं और निराशाओं से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि जीवन इन छोटी-छोटी बाधाओं से कभी रुकता या मरता नहीं है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

  1. ‘जीवन नहीं मरा करता है’ का मुख्य संदेश क्या है?
    उत्तर – कविता का संदेश है कि छोटी हानियाँ जैसे सपनों का टूटना, खिलौनों का खोना, या पतझर का आना जीवन को समाप्त नहीं करते। जीवन निरंतर चलता है, केवल रूप बदलता है। हमें निराशा छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए।
  2. ‘छिप-छिप अश्रु बहाने वालो’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
    उत्तर – कवि उन लोगों को संबोधित करते हैं जो चुपके-चुपके आँसू बहाते हैं और छोटी असफलताओं पर दुखी होकर हिम्मत हार जाते हैं। कवि कहते हैं कि आँसुओं की बर्बादी व्यर्थ है।
  3. ‘सपना क्या है?’ प्रश्न का कवि ने क्या उत्तर दिया?
    उत्तर – कवि कहते हैं कि सपना ‘नयन सेज पर सोया हुआ आँख का पानी’ है, अर्थात् आँसू जो नींद में आते हैं। यह क्षणिक है और टूटने पर जीवन समाप्त नहीं होता।
  4. ‘कच्ची नींद जवानी’ का क्या अर्थ है?
    उत्तर – ‘कच्ची नींद जवानी’ से तात्पर्य युवावस्था की अधूरी नींद है, जो आसानी से टूट जाती है। कवि कहते हैं कि सपने टूटना स्वाभाविक है, पर यह जीवन का अंत नहीं।
  5. ‘कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है’ का भाव क्या है?
    उत्तर – कवि कहते हैं कि वर्षा ऋतु में पानी का बहना स्वाभाविक है, पर इससे सावन समाप्त नहीं होता। इसी तरह, छोटी हानियों से जीवन की निरंतरता रुकती नहीं।
  6. ‘जिल्द बदलती पोथी’ से कवि क्या समझाना चाहते हैं?
    उत्तर – कवि कहते हैं कि जीवन में कुछ खोता नहीं, केवल रूप बदलता है, जैसे किताब की जिल्द बदलने से ज्ञान नष्ट नहीं होता। जीवन भी परिवर्तनशील है।
  7. ‘रात उतार चाँदनी, पहने सुबह धूप की धोती’ का अर्थ क्या है?
    उत्तर – कवि प्रकृति के उदाहरण से समझाते हैं कि रात चाँदनी उतारकर सुबह धूप पहन लेती है। यह जीवन के परिवर्तन का प्रतीक है, जो निरंतर चलता है।
  8. ‘लाखों बार गगरियाँ फूटीं’ का क्या तात्पर्य है?
    उत्तर – कवि कहते हैं कि लाख मटके टूटने पर भी पनघट की चहल-पहल कम नहीं होती। यह दर्शाता है कि छोटी हानियाँ जीवन की गति को प्रभावित नहीं करतीं।
  9. ‘पतझर’ और ‘उपवन’ से कविता में क्या संदेश दिया गया है?
    उत्तर – पतझर पत्तों को झाड़ता है, पर बगीचा (उपवन) फिर हरा-भरा हो जाता है। कवि कहते हैं कि संकटों के बावजूद जीवन पुनर्जनन करता है।
  10. ‘दर्पण’ कविता में किसका प्रतीक है?
    उत्तर – ‘दर्पण’ सत्य या आत्मा का प्रतीक है। कवि कहते हैं कि कुछ लोगों की नाराजगी या नफरत से सत्य प्रभावित नहीं होता; यह अडिग रहता है।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

  1. कविता ‘जीवन नहीं मरा करता है’ का मुख्य संदेश प्रकृति के उदाहरणों से कैसे व्यक्त हुआ है?
    उत्तर – कविता में कवि प्रकृति के उदाहरणों जैसे सावन का पानी, पतझर और उपवन, रात और सुबह के परिवर्तन, पनघट की चहल-पहल, और फूल की गंध के माध्यम से बताते हैं कि छोटी हानियाँ जीवन को समाप्त नहीं करतीं। जीवन निरंतर चलता है, केवल रूप बदलता है। यह आशावाद और धैर्य का संदेश देता है।
  2. ‘कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है’ पंक्ति की व्याख्या करें।
    उत्तर – इस पंक्ति में कवि कहते हैं कि सपनों का टूटना जीवन का अंत नहीं है। सपने आँखों के आँसुओं जैसे क्षणिक हैं, जो युवावस्था में टूट सकते हैं। कवि निराशा छोड़कर हौसला बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं, क्योंकि जीवन इन छोटी असफलताओं से परे निरंतर चलता रहता है।
  3. कविता में ‘पनघट’ और ‘कश्तियाँ’ के प्रतीकों का क्या महत्व है?
    उत्तर – ‘पनघट’ और ‘कश्तियाँ’ जीवन की निरंतरता के प्रतीक हैं। लाख मटके टूटने पर भी पनघट की चहल-पहल और नावें डूबने पर भी तट की हलचल बनी रहती है। कवि कहते हैं कि संकट और हानियाँ जीवन की गति को रोक नहीं पातीं; जीवन पुनर्जनन करता है।
  4. ‘लूट लिया माली ने उपवन, लुटी न लेकिन गंध फूल की’ का भाव स्पष्ट करें।
    उत्तर – इस पंक्ति में कवि कहते हैं कि माली बगीचे को लूट सकता है, पर फूल की सुगंध को नहीं। यह दर्शाता है कि बाहरी नुकसान आतंरिक मूल्यों को नष्ट नहीं कर सकते। जीवन की असली ताकत उसकी आत्मा और सकारात्मकता में है, जो हमेशा बनी रहती है।
  5. कविता में ‘नफ़रत गले लगाने वालो’ और ‘दर्पण’ से क्या संदेश मिलता है?
    उत्तर – कवि नफरत फैलाने वालों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि कुछ लोगों की नाराजगी से ‘दर्पण’ (सत्य/आत्मा) प्रभावित नहीं होता। यह दर्शाता है कि बाहरी आलोचना या द्वेष सज्जन व्यक्ति की आंतरिक शुद्धता को कम नहीं कर सकता। सत्य अडिग रहता है।

 

    

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