तेत्सुको कुरोयानागी
यूनिसेफ की सद्भावना दूत रहीं तेत्सुको कुरोयानागी का जन्म 9 अगस्त 1933 को टोकियो, जापान में हुआ था। मूलतः जापानी भाषा में लिखी गई पुस्तक तोत्तो–चान विश्व साहित्य की एक चर्चित कृति है। इसका अनुवाद विश्व की कई भाषाओं में हो चुका है। यह एक ऐसी अद्भुत स्कूल तोमोए और उसमें पढ़नेवाले बच्चों की कहानी है, जिनके लिए रेल के डिब्बे कक्षाएँ थीं, गहरी जड़ोंवाले पेड़ स्कूल का गेट, पेड़ की शाखा बच्चों के खेलने के कोने। इस अनोखे स्कूल के संस्थापक थे श्री कोबायाशी। लेखिका स्वयं इस स्कूल की छात्रा थीं। उन्हीं के बचपन के अनुभवों पर आधारित पुस्तक तोत्तो–चान का एक अंश है ‘अपूर्व अनुभव।
पाठ परिचय
बच्चे भी कई बार ऐसे जोखिम भरे काम कर बैठते हैं, जो बड़ों की कल्पना से बाहर होते हैं। तोत्तो–चान द्वारा पोलियो से ग्रस्त साथी यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने का जोखिम भरा कार्य एक ऐसे अपूर्व अनुभव की सृष्टि करता है, जहाँ शब्द भी चूक जाते हैं। कहने-सुनने से अधिक गहरी अनुभूति के स्तर पर उतर कर इन्हें महसूस करने की जरुरत होती है।
अपूर्व अनुभव
सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोत्तो–चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन आया। इस दिन उसे यासुकी-चान से मिलना था। इस भेद का पता न तो तोत्तो–चान के माता-पिता को था न ही यासुकी-चान को उसने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्यौता दिया था।
तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्तो–चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जाने वाली सड़क के पास था। बड़ा सा पेड़ था उसका। चढ़ने जाओ तो पैर फिसल- फिसल जाते, पर ठीक से चढ़ने पर जमीन से कोई छह फुट की ऊँचाई पर एक द्विशाखा तक पहुँचा जा सकता था। बिल्कुल किसी झूले-सी आरामदेह जगह थी यह तोत्तो–चान अकसर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद ऊपर चढ़ी मिलती। वहाँ से वह सामने दूर तक ऊपर आकाश को, या नीचे सड़क पर चलते लोगों को देखा करती थी।
बच्चे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति मानते थे। किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ना हो तो उससे पहले पूरी शिष्टता से, “माफ कीजिए, क्या मैं अंदर आ जाऊँ?” पूछना पड़ता था।
यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था। अतः तोत्तो–चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। पर यह बात उन्होंने किसी से नहीं कही, क्योंकि अगर बड़े सुनते तो जरुर डाँटते।
घर से निकलते समय तोत्तो–चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है। चूँकि वह झूठ बोल रही थी, इसलिए उसने माँ की आँखों में नहीं झाँका। अपनी नजरें वह जूतों की फीतों पर ही गड़ाए रही। रॉकी उसके पीछे-पीछे स्टेशन तक आया। जाने से पहले उसे सच बताए बिना तोत्तो–चान से रहा नहीं गया।
“मैं यासुकी – चान को अपने पेड़ पर चढ़ने देने वाली हूँ।” उसने बताया।
जब तोत्तो–चान स्कूल पहुँची तो रेल-पास उसके गले के आसपास हवा में उड़ रहा था। यासुकी – चान उसे मैदान मे क्यारियों के पास मिला। गर्मी की छुट्टियों के कारण सब सूना पड़ा था। यासुकी-चान उससे कुल जमा एक ही वर्ष बड़ा था, पर तोत्तो–चान को वह अपने से बहुत बड़ा लगता था।
जैसे ही यासुकी-चान ने तोत्तो–चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा। उसके हाथ अपनी चाल को स्थिर करने के लिए दोनों ओर फैले हुए थे। तोत्तो–चान उत्तेजित थी। वे दोनों आज कुछ ऐसा जो करने वाले थे जिसका भेद किसी को भी न पता था। वह उत्तेजना में ठिठिया कर हँसने लगी। यासुकी – चान भी हँसने लगा।
तोत्तो–चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गयी और उसके बाद वह तुरंत चौकीदार के छप्पर की ओर भागी, जैसा उसने रात को ही तय कर लिया था। वहाँ से वह एक सीढ़ी घसीटती हुई लाई। उसे तने के सहारे ऐसे लगाया, जिससे वह द्विशाखा तक पहुँच जाए। वह फुर्ती से ऊपर चढ़ी और सीढ़ी के किनारे को पकड़ लिया। तब उसने पुकारा, “ठीक है, अब ऊपर चढ़ने की कोशिश करो। “
यासुकी – चान के हाथ-पैर इतने कमजोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया। इस पर तोत्तो–चान नीचे उतर आई और यासुकी-चान को पीछे से धकियाने लगी। पर तोत्तो–चान थी छोटी और नाजुक सी, इससे अधिक सहायता क्या करती। यासुकी-चान ने अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया और हताशा से सिर झुका कर खड़ा हो गया। तोत्तो–चान को पहली बार लगा कि काम उतना आसान नहीं है जितना वह सोचे बैठी थी। अब क्या करे वह?
यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े, यह उसकी हार्दिक इच्छा थी। यासुकी-चान के मन में भी उत्साह था। वह उसके सामने गई। उसका लटका चेहरा इतना उदास था कि तोत्तो–चान को उसे हँसाने के लिए गाल फुलाकर तरह-तरह के चेहरे बनाने पड़े।
“ठहरो, एक बात सूझी है।”
वह फिर चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़ी और हरेक चीज उलट-पुलट कर देखने लगी। आखिर उसे एक तिपाई-सीढ़ी मिली जिसे थामे रहना भी जरुरी नहीं था।
वह तिपाई-सीढ़ी को घसीटकर ले आई तो अपनी शक्ति पर हैरान होने लगी। तिपाई की ऊपरी सीढ़ी द्विशाखा तक पहुँच रही थी।
“देखो, अब डरना मत” उसने बड़ी बहन की सी आवाज में कहा, “यह डगमगाएगी नहीं।”
यासुकी-चान ने घबराकर तिपाई सीढ़ी की तरफ देखा। तब उसने पसीने से तरबतर तोत्तो–चान को देखा। यासुकी – चान को भी काफी पसीना आ रहा था। उसने पेड़ की ओर देखा और तब निश्चय के साथ पाँव उठाकर पहली सीढ़ी पर रखा।
उन दोनों को यह बिल्कुल भी पता नहीं चला कि कितना समय यासुकी – चान को ऊपर तक चढ़ने में लगा। सूरज का ताप उन पर पड़ रहा था, पर दोनों का ध्यान यासुकी-चान के ऊपर तक पहुँचने में रमा था। तोत्तो–चान नीचे से उसका एक-एक पैर सीढ़ी पर धरने में मदद कर रही थी। अपने सिर से वह उसके पिछले हिस्से को भी स्थिर करती रही। यासुकी-चान पूरी शक्ति के साथ जूझ रहा था, और आखिरकार वह ऊपर पहुँच गया।
“हुर्रे !”
पर अचानक सारी की हुई मेहनत बेकार लगने लगी। तोत्तो–चान तो सीढ़ी पर से द्विशाखा पर छलाँग लगा कर पहुँच गई, पर यासुकी-चान को सीढ़ी से पेड़ पर लाने की हर कोशिश बेकार रही। यासुकी – चान सीढ़ी थामे तोत्तो–चान की ओर ताकने लगा। तोत्तो–चान की रुलाई छूटने को हुई। उसने चाहा था कि यासुकी – चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित कर तमाम नई-नई चीजें दिखाए।
पर वह रोई नहीं। उसे डर था कि उसके रोने पर यासुकी-चान भी रो पड़ेगा। उसने यासुकी-चान की पोलियो से पिचकी और अकड़ी उँगलियों वाला हाथ अपने हाथ में थाम लिया। उसके खुद के हाथ से वह बड़ा था, उँगलियाँ भी लंबी थीं। देर तक तोत्तो–चान उसका हाथ थामे रही। तब बोली, “तुम लेट जाओ, मैं तुम्हें पेड़ पर खींचने की कोशिश करती हूँ।”
उस समय द्विशाखा पर खड़ी तोत्तो–चान द्वारा यासुकी-चान को पेड़ की ओर खींचते अगर कोई बड़ा देखता तो वह जरूर डर के मारे चीख उठता। उसे वे सच में जोखिम उठाते ही दिखाई देते। पर यासुकी – चान को तोत्तो–चान पर पूरा भरोसा था और वह खुद भी यासुकी-चान के लिए भारी खतरा उठा रही थी। अपने नन्हे नन्हे हाथों से वह पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींचने लगी। बादल का एक बड़ा टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें कड़कती धूप से बचा रहा था।
काफी मेहनत के बाद दोनों आमने-सामने पेड़ की द्विशाखा पर थे। पसीने से तरबतर अपने बालों को चेहरे पर से हटाते हुए तोत्तो–चान ने सम्मान से झुककर कहा, “मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।”
यासुकी – चान डाल के सहारे खड़ा था। कुछ झिझकता हुआ वह मुस्कराया। तब उसने पूछा, “क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?”
उस दिन यासुकी-चान ने दुनिया की एक नई झलक देखी जिसे उसने पहले कभी न देखा था। “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना” यासुकी-चान ने खुश होते हुए कहा।
वे बड़ी देर तक पेड़ पर बैठे-बैठे इधर-उधर की गप्पें लड़ाते रहे।
“मेरी बहन अमरीका में है। उसने बताया है कि वहाँ एक चीज होती है- टेलीविजन।” यासुकी – चान उमंग से भरा बता रहा था। “वह कहती है कि जब वह जापान में आ जाएगा, तो हम घर बैठे-बैठे ही सूमो – कुश्ती देख सकेंगे। वह कहती है कि टेलीविजन एक डिब्बे जैसा होता है।”
तोत्तो–चान उस समय यह तो न समझ पाई कि यासुकी-चान के लिए, जो कहीं भी दूर तक चल नहीं सकता था, घर बैठे चीजों को देख लेने के क्या अर्थ होंगे।
वह तो यह ही सोचती रही कि सूमो पहलवान घर में रखे किसी डिब्बे में कैसे समा जाएँगे? उनका आकार तो बड़ा होता है। पर बात उसे बड़ी लुभावनी लगी। उन दिनों टेलीविजन के बारे में कोई नहीं जानता था। पहले-पहले यासुकी – चान ने ही तोत्तो–चान को उसके बारे में बताया था।
पेड़ मानो गीत गा रहे थे और दोनों बेहद खुश थे। यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंतिम मौका था।
अपूर्व अनुभव – सारांश
कहानी ‘अपूर्व अनुभव’ में तोत्तो-चान, एक नन्ही लड़की, अपने दोस्त यासुकी-चान, जो पोलियो से पीड़ित है, को अपने खास पेड़ पर चढ़ने में मदद करती है। यह एक गुप्त और साहसिक योजना है, जिसे उन्होंने किसी से साझा नहीं किया। तोत्तो-चान सीढ़ी और तिपाई-सीढ़ी की मदद से यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने में सफल होती है। यह अनुभव यासुकी-चान के लिए पहली बार पेड़ पर चढ़ने का अविस्मरणीय पल बन जाता है। दोनों पेड़ पर बैठकर बातें करते हैं, और यासुकी-चान टेलीविजन के बारे में बताता है, जो उस समय जापान में अज्ञात था। यह कहानी दोस्ती, साहस, और एक-दूसरे के लिए जोखिम उठाने की भावना को दर्शाती है।
शब्दार्थ
आशा का न रहना,
शिविर – तंबू आदि लगाकर बनाया गया यात्री निवास, अस्थाई पड़ाव
सभागार – वह स्थान जहाँ सभा होती है,सभाकक्ष
भेद – राज की बात, गुप्त बात
द्विशाखा – पेड़ की दो शाखाएँ या डाल
हताशा – निराशा।
हिंदी शब्द | हिंदी अर्थ | English Meaning |
सभागार | सभा का स्थान, जहाँ लोग एकत्रित होते हैं | Auditorium, assembly hall |
साहस | हिम्मत, नन्हा | Courage, bravery |
भेद | रहस्य, गुप्त बात | Secret, mystery |
न्यौता | आमंत्रण, बुलावा | Invitation |
द्विशाखा | पेड़ की दो शाखाओं वाला हिस्सा | Forked branch, bifurcation |
शिष्टता | सभ्यता, विनम्रता | Politeness, courtesy |
पोलियो | एक रोग जो अंगों को कमजोर करता है | Polio, poliomyelitis |
घसीटता | खींचते हुए चलना | Dragging, limping |
उत्तेजित | जोशपूर्ण, उत्साहित | Excited, thrilled |
छप्पर | छोटी छत, टीन का शेड | Shed, canopy |
तिपाई | तीन पैरों वाली सीढ़ी | Tripod ladder |
हताशा | निराशा, मायूसी | Despair, frustration |
पसीना | शरीर से निकलने वाला तरल पदार्थ | Sweat, perspiration |
डगमगाएगी | हिलना-डुलना, अस्थिर होना | Wobble, shake |
क्यारियाँ | बगीचे में फूलों की क्यारी | Flower beds |
सम्मान | आदर, इज्जत | Respect, honor |
उमंग | उत्साह, जोश | Enthusiasm, excitement |
लुभावनी | आकर्षक, मनमोहक | Fascinating, captivating |
झलक | संक्षिप्त दृश्य, नजारा | Glimpse, view |
गप्पें | अनौपचारिक बातचीत | Chitchat, gossip |
पाठ से
अभ्यास
ध्यातव्य – छात्र इन प्रश्नों के उत्तर छोटे करके लिख सकते हैं।
- पेड़ पर चढ़ना एक सुखद अनुभव है, इस पर अपने विचार रखिए और बताइए कि यासुकी-चान इस अपूर्व अनुभव से वंचित क्यों था?
उत्तर – पेड़ पर चढ़ना एक सुखद अनुभव है क्योंकि यह बच्चों को स्वतंत्रता, साहस और प्रकृति से जुड़ाव का एहसास कराता है। पेड़ पर चढ़कर उन्हें एक नई दृष्टि मिलती है, जहाँ से वे दुनिया को एक अलग कोण से देख पाते हैं।
यासुकी-चान इस अपूर्व अनुभव से वंचित था क्योंकि वह पोलियो से ग्रस्त था। पोलियो के कारण उसके हाथ-पैर कमज़ोर थे और वह ठीक से चल भी नहीं पाता था, इसलिए उसके लिए पेड़ पर चढ़ना या किसी पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानना असंभव था।
- “तोत्तो–चान ने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है यह बात कहते हुए उसकी नजरें जूतों के फीते पर क्यों गड़ी रहीं? वह कौन सी स्थितियाँ होती हैं, जब आप अपने बड़ों से आँखें चुराते हैं। लिखिए।
उत्तर – तोत्तो-चान की नजरें जूतों के फीते पर गड़ी रहीं क्योंकि वह अपनी माँ से झूठ बोल रही थी। उसने माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है, जबकि सच्चाई यह थी कि वह यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता दे रही थी। वह जानती थी कि बड़े लोग इस साहसिक और जोखिम भरे काम के बारे में सुनकर डाँटेंगे या मना कर देंगे, इसलिए वह झूठ बोलने के कारण होने वाली अपराधबोध और डर की भावना से माँ की आँखों में आँखें मिलाकर बात नहीं कर पा रही थी।
हम अपने बड़ों से आँखें तब चुराते हैं जब –
- झूठ बोलते हैं या कोई बात छिपाते हैं जिसके पकड़े जाने का डर होता है।
- कोई गलती या शरारत की होती है और पकड़े जाने पर शर्मिंदगी या डर महसूस होता है।
- हम डर या घबराहट में होते हैं और सच्चाई बताने से बचने की कोशिश करते हैं।
- किसी अप्रिय या संवेदनशील विषय पर बात कर रहे होते हैं और असहज महसूस करते हैं।
- तोत्तो–चान की हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े, आपके अनुसार वह कौन-कौन से कारण रहे होंगे जिसकी वजह से तोत्तो–चान उसे अपने पेड़ पर चढ़ाना चाहती थी?
उत्तर – तोत्तो-चान की हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं –
दोस्त को खुशी देना – तोत्तो-चान जानती थी कि यासुकी-चान पोलियो के कारण इस अपूर्व अनुभव से वंचित है। वह उसे खुशी देना और दुनिया की नई झलक दिखाना चाहती थी।
सहानुभूति और मित्रता – वह यासुकी-चान की शारीरिक चुनौती को समझती थी और एक सच्ची दोस्त होने के नाते वह उसे सामान्य बच्चों जैसा अनुभव कराना चाहती थी।
साहस और चुनौती – तोत्तो-चान स्वभाव से उत्साही और साहसी थी। यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाना उसके लिए एक चुनौती थी जिसे वह पूरा करना चाहती थी, भले ही उसमें जोखिम हो।
भेदभाव मिटाना – तोमोए में हरेक बच्चे का अपना निजी पेड़ था। यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाकर, तोत्तो-चान उसे इस सामूहिक आनंद में शामिल करना चाहती थी और यह दिखाना चाहती थी कि शारीरिक अक्षमता के बावजूद वह भी खास है।
- “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना” यासुकी-चान के इस कथन को ध्यान में रखते हुए पेड़ पर चढ़ने के बाद हुई खुशी को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना” – यासुकी-चान का यह कथन उसके असीम आनंद और आश्चर्य को व्यक्त करता है। उसके लिए पेड़ पर चढ़ना सिर्फ एक शारीरिक क्रिया नहीं थी, बल्कि आज़ादी, विजय और एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी।
पेड़ पर चढ़ने के बाद उसकी खुशी दोहरी थी –
असंभव को संभव करने का सुख: पोलियो के कारण वह यह अनुभव कभी नहीं कर सकता था। तोत्तो-चान की मदद से जब वह आखिरकार द्विशाखा पर खड़ा हुआ, तो उसे लगा जैसे उसने एक बड़ी लड़ाई जीत ली हो। उसके मन में गर्व और आत्मविश्वास का भाव उमड़ आया होगा।
दुनिया की नई झलक – पेड़ की ऊँचाई से उसने दुनिया को एक नए कोण से देखा, जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। यह अनुभव उसके लिए लुभावना और उमंग से भरा था, जैसा कि उसने टेलीविजन के बारे में बताते हुए महसूस किया। वह दुनिया से और करीब जुड़ा महसूस कर रहा था, जहाँ पेड़ मानो उसके लिए गीत गा रहे थे।
- तोत्तो–चान द्वारा यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाना एक जोखिम भरा काम था। आपके अनुसार तोत्तो–चान का यह कार्य उचित था या अनुचित? अपने विचार रखिए।
उत्तर – मेरे विचार से तोत्तो-चान का यह कार्य भावनात्मक रूप से उचित था, हालाँकि शारीरिक रूप से जोखिम भरा।
उचित (तर्क) –
यह कार्य निस्वार्थ प्रेम, गहरी दोस्ती और अदम्य साहस का प्रतीक था। तोत्तो-चान का उद्देश्य पवित्र था—वह अपने दोस्त को एक ऐसा अपूर्व अनुभव देना चाहती थी जिससे वह अपनी शारीरिक सीमाओं के कारण वंचित था।
उसने हार नहीं मानी और तिपाई-सीढ़ी का प्रयोग करके समस्या-समाधान का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया।
इस अनुभव ने यासुकी-चान के मन में खुशी, आत्मविश्वास और उमंग भर दी, जो उसके जीवन में बहुत मायने रखती थी।
जोखिम भरा (विपरीत तर्क) –
बच्चों की देखरेख में, खासकर पोलियो से ग्रस्त बच्चे को इतनी ऊँचाई पर चढ़ाना असुरक्षित था। गिरने से गंभीर चोट लग सकती थी।
उसने यह काम बड़ों से छिपाकर किया, जो यह दर्शाता है कि वह खुद भी जानती थी कि यह अनुमोदित नहीं होगा।
निष्कर्ष यह है कि तोत्तो-चान की भावनाएँ और उसका प्रयास सराहनीय थे। दोस्ती में जोखिम उठाना स्वाभाविक है, और इस कार्य का सकारात्मक भावनात्मक परिणाम इसके शारीरिक जोखिम से अधिक महत्त्वपूर्ण था।
- दृढनिश्चय और कठिन परिश्रम से पेड़ पर अपने मित्र को चढ़ाने के बाद तोत्तो–चान और यासुकी-चान को जिस प्रकार की खुशी हुई, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – दृढ़निश्चय और कठिन परिश्रम से यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने के बाद दोनों को असाधारण और गहरी खुशी हुई –
तोत्तो-चान की खुशी –
तोत्तो-चान की खुशी सफलता की थी। उसका हार्दिक सपना पूरा हो गया था। जब यासुकी-चान अंततः ऊपर पहुँचा, तो उसकी रुलाई छूटने की इच्छा, सफलता में बदल गई।
उसने एक असंभव कार्य को पूरा करने का गर्व महसूस किया और अपने मित्र को सम्मान के साथ अपने निजी संसार में स्वागत किया। उसके लिए यह उसकी मेहनत और साहस की जीत थी।
यासुकी-चान की खुशी –
यासुकी-चान की खुशी जीत और आज़ादी की थी। उसने अपने जीवन में पहली बार दुनिया को उस ऊँचाई से देखा। उसके मन में असीम उमंग और हर्ष था।
उसने महसूस किया कि उसकी शारीरिक सीमाएँ उसकी इच्छाशक्ति के आगे छोटी हैं। उसने खुश होते हुए कहा, “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना,” जो यह दर्शाता है कि यह अनुभव जीवन बदलने वाला था।
पेड़ की द्विशाखा पर आमने-सामने बैठकर गप्पें लड़ाते हुए, दोनों की खुशी आत्मिक संतोष और पवित्र मित्रता की थी, जहाँ पेड़ मानो गीत गा रहे थे।
- “यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंतिम मौका था सोचकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर – लेखिका ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि:
जोखिम की पुनरावृत्ति असंभव – यह कार्य बहुत जोखिम भरा था और इसमें अत्यधिक शारीरिक श्रम लगा था, खासकर तोत्तो-चान का। दोनों ही खतरे में थे। बड़े लोग यह जान जाते तो उन्हें दोबारा कभी ऐसा करने नहीं देते।
शारीरिक सीमाएँ – यासुकी-चान पोलियो से ग्रस्त था और उसका शरीर कमज़ोर था। बिना तोत्तो-चान के भारी सहारे के वह स्वयं कभी पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। हर बार ऐसी भारी-भरकम सहायता मिल पाना संभव नहीं था।
एक बार की विजय – यह घटना एक असाधारण, एक बार की साहसिक पहल थी। यह दर्शाती है कि जीवन में कुछ अनुभव इतने अद्वितीय होते हैं कि वे पहला और अंतिम दोनों हो सकते हैं, लेकिन उनकी याद हमेशा के लिए अमिट रहती है। यह घटना हमेशा के लिए यासुकी-चान के लिए अपूर्व बनी रहेगी।
पाठ से आगे
- तोत्तो–चान द्वारा यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाना साहसिक कार्य था। हम अपने दैनिक जीवन में कौन-कौन से बहादुरी या साहस के कार्य करते हैं। उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर – दैनिक जीवन में साहस का अर्थ सिर्फ शारीरिक वीरता नहीं होता, बल्कि नैतिक दृढ़ता और मानसिक मजबूती भी होती है। तोत्तो-चान का कार्य शारीरिक और भावनात्मक साहस दोनों का उदाहरण था।
हम अपने दैनिक जीवन में निम्नलिखित बहादुरी या साहस के कार्य करते हैं –
सत्य बोलना और स्वीकार करना (नैतिक साहस) – जब किसी गलती के लिए डाँट पड़ने या परिणाम भुगतने का डर हो, तब भी सच बोलना और अपनी गलती स्वीकार करना।
उदाहरण – होमवर्क न करने पर झूठ न बोलकर शिक्षक को ईमानदारी से कारण बताना।
भेदभाव का विरोध करना (सामाजिक साहस) – किसी के साथ हो रहे अन्याय या भेदभाव को देखकर उसके पक्ष में आवाज उठाना, भले ही आपको समूह या दोस्तों के बीच अलोकप्रिय होने का डर हो।
उदाहरण – किसी दोस्त को उसके रंग-रूप या शारीरिक कमजोरी के कारण चिढ़ाया जा रहा हो, तो उसका समर्थन करना।
अपनी कमजोरी पर विजय पाना (व्यक्तिगत साहस) – किसी बड़े डर (जैसे ऊँचाई, पानी, मंच पर बोलने का डर) का सामना करना या किसी बुरी आदत को छोड़ना।
उदाहरण – परीक्षा में कम अंक आने के डर के बावजूद, कठिन विषय को सीखने के लिए अतिरिक्त मेहनत करना।
मदद के लिए आगे आना (मानवीय साहस) – किसी मुसीबत में फंसे व्यक्ति, खासकर अपरिचित की मदद के लिए जोखिम उठाना।
उदाहरण – सड़क पर किसी को चोट लगी हो तो तुरंत मदद करना या आपातकालीन नंबर पर कॉल करना।
- यासुकी – चान जैसे शारीरिक चुनौतियों वाले व्यक्ति के प्रति सहानुभूति जताना अथवा असंवेदनशीलता दोनों ही प्रकार के व्यवहार उन्हें ठेस पहुँचाते हैं। आपकी समझ से उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए?
उत्तर – यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों वाले व्यक्तियों के साथ सम्मान, संवेदनशीलता और समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए।
सहानुभूति (Pity) क्यों नहीं – सहानुभूति में अक्सर दया का भाव होता है, जो उन्हें कमजोर या असहाय महसूस करा सकता है। यह उन्हें अपमानित या दूसरों से भिन्न महसूस कराता है। वे सहानुभूति नहीं, बल्कि समान अवसर और सामान्य व्यवहार चाहते हैं।
असंवेदनशीलता क्यों नहीं – असंवेदनशीलता (जैसे- नज़रअंदाज़ करना, मज़ाक उड़ाना, या उनकी चुनौतियों को न समझना) उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से गहरा ठेस पहुँचाती है।
सही व्यवहार कैसा हो –
समानता और सम्मान – उनके साथ सामान्य व्यक्ति की तरह व्यवहार करें। उनकी शारीरिक चुनौती को पहचानें, लेकिन उसे ही उनकी संपूर्ण पहचान न मानें। उन्हें फैसले लेने और भाग लेने का मौका दें।
सक्रिय सहयोग (Empathy) – सहानुभूति की जगह समानुभूति (Empathy) रखें, यानी उनकी स्थिति को समझने की कोशिश करें और जरूरत पड़ने पर ही पूछकर मदद करें, न कि जबरदस्ती।
सुविधाजनक वातावरण – ऐसे भौतिक संसाधन (जैसे रैंप, सुलभ शौचालय) उपलब्ध कराने में सहयोग करें जिससे वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें।
उनकी क्षमता पर ध्यान दें – उनकी चुनौतियों पर नहीं, बल्कि उनकी क्षमताओं, हुनर और सकारात्मक गुणों पर ध्यान केंद्रित करें। जैसे तोत्तो-चान ने यासुकी-चान के पोलियो पर ध्यान न देकर, उसके पेड़ पर चढ़ने की इच्छा पर ध्यान दिया।
- तोत्तो–चान ने माता-पिता से झूठ बोलकर अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने जैसा साहसिक कार्य किया। आपने भी यदि किसी की सहयोग के लिए या किसी अच्छे कार्य के लिए झूठ का सहारा लिया हो, तो निःसंकोच उल्लेख करें।
उत्तर – हाँ, एक बार मैंने भी किसी की मदद के लिए झूठ का सहारा लिया था।
एक बार मेरी दोस्त स्कूल के एक महत्त्वपूर्ण खेल प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती थी, लेकिन उसके पास उस खेल के लिए जरूरी जूते नहीं थे और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उसने मुझे बताया था कि वह झूठ बोलकर घर पर रुकेगी क्योंकि वह शर्मिंदा थी।
मैंने अपने माता-पिता से झूठ बोला कि मुझे एक अतिरिक्त प्रोजेक्ट के लिए पैसे चाहिए थे और मैंने उस पैसे से चुपके से अपनी दोस्त के लिए वे जूते खरीद लिए। मैंने उससे कहा कि ये जूते मेरे छोटे हो गए हैं और वह इन्हें रख ले।
यह झूठ बोलना उचित नहीं था, लेकिन उस समय मुझे लगा कि दोस्त का आत्मविश्वास और उसका सपना मेरे एक छोटे से झूठ से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण है। मेरी दोस्त ने प्रतियोगिता में भाग लिया और जीत गई भी। बाद में मैंने अपनी माँ को सच्चाई बताई, जिन्होंने मुझे झूठ न बोलने की सलाह दी, लेकिन मदद करने की भावना की सराहना भी की।
- यासुकी – चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से जूझने वाले व्यक्तियों के लिए विशेष सुविधा की आवश्यकता होती है। विद्यालयों अथवा सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे कौन-कौन से भौतिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। आपसी चर्चा के पश्चात् एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर – यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों (विशेषकर चलने-फिरने से संबंधित) वाले व्यक्तियों के लिए सुगम्यता (Accessibility) सबसे महत्त्वपूर्ण है। विद्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर आवश्यक भौतिक संसाधनों की सूची इस प्रकार है:
क्र.सं. | भौतिक संसाधन (Physical Resources) | उपयोगिता (Utility) |
1. | रैंप (ढलान वाले रास्ते) | सीढ़ियों की जगह, व्हीलचेयर और बैसाखी के सहारे चलने वालों के लिए सुगम प्रवेश/निकास सुनिश्चित करना। |
2. | लिफ्ट या एस्केलेटर | बहुमंजिला इमारतों में ऊपरी मंजिलों तक आसानी से पहुँचना। |
3. | सुलभ शौचालय (Accessible Toilets) | चौड़े दरवाज़े, हैंडरेल और व्हीलचेयर की जगह वाला विशेष शौचालय। |
4. | हैंडरेल (सहारे वाली रेलिंग) | सीढ़ियों, रैंप और गलियारों में सहारे के लिए मजबूत रेलिंग। |
5. | चौड़े दरवाज़े और गलियारे | व्हीलचेयर को बिना रुकावट के अंदर-बाहर आने-जाने के लिए पर्याप्त जगह। |
6. | विशेष पार्किंग स्थान | प्रवेश द्वार के सबसे पास दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित पार्किंग की जगह। |
7. | संकेतक और सूचनाएँ | ऊँचाई पर लगे स्पर्शनीय (Tactile) संकेत और ब्रेले लिपि में सूचना पट्ट (दृष्टिबाधितों के लिए भी)। |
8. | कम ऊँचाई के काउंटर | टिकट काउंटर, रिसेप्शन डेस्क या कैंटीन काउंटर की ऊँचाई व्हीलचेयर पर बैठे व्यक्ति के अनुकूल होना। |
9. | श्रवण सहायता प्रणाली | सभागार, क्लासरूम में कम सुनने वालों के लिए ऑडियो सिस्टम (Hearing Loop System)। |
भाषा के बारे में
- द्विशाखा, तिपाई जैसे शब्दों का उल्लेख इस पाठ में हुआ है। इन शब्दों का पहला पद संख्यावाची विशेषण है। इस तरह के शब्दों से बने संख्यावाची पदों को द्विगु समास कहते हैं। जब संख्यावाची पदों से किसी विशेष अर्थ का बोध होता है तब वहाँ बहुब्रीहि समास होता है, जैसे- दशानन। द्विगु और बहुब्रीहि समास के पाँच-पाँच उदाहरण लिखिए।
उत्तर – द्विगु समास – जिस समास का पहला पद संख्यावाची विशेषण हो और वह समूह का बोध कराए, उसे द्विगु समास कहते हैं।
क्र.सं. | शब्द (Term) | विग्रह (Decomposition) |
1. | त्रिलोक | तीन (त्रि) लोकों का समूह। |
2. | दोपहर | दो पहरों का समाहार (समूह)। |
3. | चौराहा | चार राहों का समूह। |
4. | सप्ताह | सात दिनों का समूह। |
5. | नवरत्न | नौ रत्नों का समूह। |
बहुब्रीहि समास – जिस समास में दोनों पद मिलकर किसी तीसरे विशेष अर्थ की ओर संकेत करते हैं, उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। (भले ही पहला पद संख्यावाची हो, पर वह समूह न बताकर विशेष अर्थ बताए)।
क्र.सं. | शब्द (Term) | विग्रह (Decomposition) | विशेष अर्थ (Special Meaning) |
1. | चतुर्भुज | चार हैं भुजाएँ जिसकी। | विष्णु (या कोई अन्य देवता) |
2. | त्रिलोचन | तीन हैं लोचन (आँखें) जिसके। | शिव |
3. | दशानन | दस हैं आनन (मुख) जिसके। | रावण |
4. | पीताम्बर | पीत (पीला) है अम्बर (वस्त्र) जिसका। | कृष्ण |
5. | वीणापाणि | वीणा है पाणि (हाथ) में जिसके। | सरस्वती |
- नीचे दी गई पंक्तियों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग करें-
यासुकी – चान डाल के सहारे खड़ा था कुछ झिझकता हुआ वह मुस्कराया तब उसने पूछा क्या मैं अंदर आ सकता हूँ
उस दिन यासुकी-चान ने दुनिया की एक नई झलक देखी जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना यासुकी-चान ने खुश होते हुए कहा
उत्तर – यासुकी-चान डाल के सहारे खड़ा था। कुछ झिझकता हुआ वह मुस्कराया। तब उसने पूछा, “क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?”
उस दिन यासुकी-चान ने दुनिया की एक नई झलक देखी, जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना,” यासुकी-चान ने खुश होते हुए कहा।
- ‘इस भेद का पता न तो तोत्तो–चान के माता-पिता को था न ही यासुकी-चान को।’ इस वाक्य में भेद शब्द का प्रयोग राज़ या गुप्त बात के लिए हुआ है। भेद शब्द का प्रयोग कई बार अंतर बताने (जैसे – मनुष्य और पशु में भेद होता है।), प्रकार बताने (संज्ञा शब्द के तीन भेद होते हैं।) आदि के लिए होता है। आप भी भेद शब्द का विभिन्न अर्थो में प्रयोग करते हुए कुछ वाक्य बनाइए।
उत्तर – राज़/गुप्त बात (Secret) –
उसने अपनी डायरी में राज़ की बातें लिख रखी थीं, लेकिन उसका भेद किसी को नहीं पता चला।
अंतर/भिन्नता (Difference) –
सच्चे मित्र और स्वार्थी मित्र के बीच का भेद बुरे वक्त में ही पता चलता है।
प्रकार/किस्म (Type/Kind) –
व्याकरण में क्रिया के मुख्य रूप से दो भेद होते हैं – सकर्मक और अकर्मक।
छिद्र/छेदन/तोड़ना (Piercing/Breaking) –
शिकारी का निशाना इतना अचूक था कि तीर ने हाथी के मस्तक का भेद कर दिया।
- कुछ क्रियाओं से संज्ञा शब्द बनते हैं जैसे- रोना से रुलाई, धोना से धुलाई इत्यादि। यहाँ ओ- ‘उ’ में तथा आ- ‘ई’ में बदल जाते हैं। कुछ इसी तरह की क्रियाओं से संज्ञा शब्द बनाइए और यह भी देखिए कि इसके लिए उनमें किस तरह के बदलाव की जरूरत पड़ती है?
उत्तर – इस प्रकार की क्रियाओं से संज्ञा बनाने में अक्सर क्रिया के अंत में लगे ‘ना’ को हटाकर ‘-आई’, लड़ाई ‘-वाई’ बुवाई जैसे प्रत्ययों का प्रयोग किया जाता है, जिससे क्रिया का मूल स्वर बदल जाता है।
योग्यता विस्तार
- अपने विद्यालय के पुस्तकालय से या शिक्षकों की मदद से निम्नलिखित के बारे में जानकारी इकट्ठा कीजिए और पढ़िए।
शिवानी की कहानी ‘अपराजिता, हेलेन केलर की जीवनी, यशपाल की कहानी ‘गूँगे।
उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।
- शारीरिक चुनौती वाले व्यक्तियों का समाज के प्रति क्या दृष्टिकोण होता है उनसे चर्चा कर लिखिए।
उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।
- समास व इसके भेदों पर अपने शिक्षकों से जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
- तोत्तो-चान का पेड़ स्कूल के मैदान में कहाँ था?
a) स्कूल के बीच में
b) कुहोन्बुत्सु जाने वाली सड़क के पास
c) स्कूल के पीछे
d) बगीचे के केंद्र में
उत्तर – b) कुहोन्बुत्सु जाने वाली सड़क के पास - तोत्तो-चान का पेड़ कितनी ऊँचाई तक चढ़ने पर द्विशाखा तक पहुँचता था?
a) चार फुट
b) छह फुट
c) आठ फुट
d) दस फुट
उत्तर – b) छह फुट - बच्चे अपने पेड़ को क्या मानते थे?
a) सामूहिक संपत्ति
b) निजी संपत्ति
c) स्कूल की संपत्ति
d) कोई संपत्ति नहीं
उत्तर – b) निजी संपत्ति - यासुकी-चान को कौन-सा रोग था?
a) मधुमेह
b) पोलियो
c) दमा
d) बुखार
उत्तर – b) पोलियो - तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को क्या करने का न्यौता दिया था?
a) खेलने
b) पेड़ पर चढ़ने
c) पढ़ने
d) गाने
उत्तर – b) पेड़ पर चढ़ने - तोत्तो-चान ने माँ से क्या कहा था?
a) वह स्कूल जा रही है
b) वह यासुकी-चान के घर जा रही है
c) वह पार्क जा रही है
d) वह बाजार जा रही है
उत्तर – b) वह यासुकी-चान के घर जा रही है - तोत्तो-चान ने अपनी योजना किससे साझा की थी?
a) अपनी माँ से
b) अपने पिता से
c) रॉकी से
d) किसी से नहीं
उत्तर – c) रॉकी से - यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने पहले क्या इस्तेमाल किया?
a) रस्सी
b) सीढ़ी
c) तिपाई-सीढ़ी
d) डंडा
उत्तर – b) सीढ़ी - तिपाई-सीढ़ी को तोत्तो-चान ने कहाँ से लाया?
a) स्कूल के कमरे से
b) चौकीदार के छप्पर से
c) घर से
d) बगीचे से
उत्तर – b) चौकीदार के छप्पर से - यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने में तोत्तो-चान को सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
a) यासुकी-चान का वजन
b) यासुकी-चान की कमजोरी
c) सीढ़ी की ऊँचाई
d) पेड़ की ऊँचाई
उत्तर – b) यासुकी-चान की कमजोरी - तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को हँसाने के लिए क्या किया?
a) गाना गाया
b) तरह-तरह के चेहरे बनाए
c) कहानी सुनाई
d) नाच दिखाया
उत्तर – b) तरह-तरह के चेहरे बनाए - पेड़ पर चढ़ने के बाद यासुकी-चान ने क्या कहा?
a) यह बहुत आसान था
b) तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना
c) मुझे डर लग रहा है
d) मैं फिर कभी नहीं चढ़ूँगा
उत्तर – b) तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना - यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को किस नई चीज के बारे में बताया?
a) रेडियो
b) टेलीविजन
c) टेलीफोन
d) कंप्यूटर
उत्तर – b) टेलीविजन - टेलीविजन के बारे में यासुकी-चान ने क्या बताया?
a) यह एक डिब्बे जैसा होता है
b) यह एक किताब जैसा होता है
c) यह एक खिलौना है
d) यह एक मशीन है
उत्तर – a) यह एक डिब्बे जैसा होता है - तोत्तो-चान ने यासुकी-चान का हाथ क्यों थामा?
a) उसे डर लग रहा था
b) उसे प्रोत्साहित करने के लिए
c) उसे नीचे उतारने के लिए
d) उसे गले लगाने के लिए
उत्तर – b) उसे प्रोत्साहित करने के लिए - पेड़ पर चढ़ने के बाद दोनों ने क्या किया?
a) गाना गाया
b) गप्पें लड़ाईं
c) खाना खाया
d) किताब पढ़ी
उत्तर – b) गप्पें लड़ाईं - तोत्तो-चान को यासुकी-चान की उँगलियाँ कैसी लगीं?
a) छोटी और मोटी
b) लंबी और पतली
c) पिचकी और अकड़ी
d) मुलायम और गोल
उत्तर – c) पिचकी और अकड़ी - यासुकी-चान ने अपनी बहन के बारे में क्या बताया?
a) वह जापान में रहती है
b) वह अमेरिका में रहती है
c) वह स्कूल में पढ़ती है
d) वह डॉक्टर है
उत्तर – b) वह अमेरिका में रहती है - कहानी में किस मौसम का जिक्र है?
a) सर्दी
b) गर्मी
c) बरसात
d) बसंत
उत्तर – b) गर्मी - तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर खींचने की कोशिश क्यों की?
a) उसे डराना चाहती थी
b) उसे पेड़ की द्विशाखा पर लाना चाहती थी
c) उसे नीचे उतारना चाहती थी
d) उसे खेल दिखाना चाहती थी
उत्तर – b) उसे पेड़ की द्विशाखा पर लाना चाहती थी
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न – तोत्तो-चान के लिए बड़ा साहस करने का दिन कब आया?
उत्तर – तोत्तो-चान के लिए बड़ा साहस करने का दिन तब आया, जब सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद उसे यासुकी-चान से मिलना था।
प्रश्न – तोत्तो-चान और यासुकी-चान ने कौन सा भेद छिपा रखा था?
उत्तर – तोत्तो-चान और यासुकी-चान ने यह भेद छिपा रखा था कि तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्यौता दिया था।
प्रश्न – तोमोए में बच्चों के लिए पेड़ का क्या महत्त्व था?
उत्तर – तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था, जिसे वे अपनी निजी संपत्ति समझते थे।
प्रश्न – तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के किस हिस्से में था?
उत्तर – तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्बुत्सु जाने वाली सड़क के पास था।
प्रश्न – तोत्तो-चान अपने पेड़ पर चढ़कर क्या किया करती थी?
उत्तर – तोत्तो-चान अपने पेड़ पर चढ़कर सामने दूर तक ऊपर आकाश को, या नीचे सड़क पर चलते लोगों को देखा करती थी।
प्रश्न – बच्चे किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पहले क्या कहते थे?
उत्तर – बच्चे किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पहले पूरी शिष्टता से कहते थे, “माफ कीजिए, क्या मैं अंदर आ जाऊँ?”
प्रश्न – यासुकी-चान पेड़ पर क्यों नहीं चढ़ पाता था?
उत्तर – यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए उसके हाथ-पैर कमजोर थे और वह न तो किसी पेड़ पर चढ़ पाता था और न ही किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था।
प्रश्न – तोत्तो-चान ने अपनी माँ से क्या झूठ बोला?
उत्तर – तोत्तो-चान ने अपनी माँ से झूठ बोला कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है।
प्रश्न – झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नजरें कहाँ गड़ी थीं?
उत्तर – झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नजरें जूतों की फीतों पर गड़ी थीं क्योंकि वह माँ की आँखों में नहीं झाँकना चाहती थी।
प्रश्न – यासुकी-चान तोत्तो-चान से कितने वर्ष बड़ा था?
उत्तर – यासुकी-चान तोत्तो-चान से कुल जमा एक ही वर्ष बड़ा था।
प्रश्न – यासुकी-चान अपनी चाल को स्थिर करने के लिए क्या करता था?
उत्तर – यासुकी-चान अपनी चाल को स्थिर करने के लिए अपने हाथों को दोनों ओर फैलाए रखता था।
प्रश्न – तोत्तो-चान चौकीदार के छप्पर से कौन सी दो चीजें लेकर आई?
उत्तर – तोत्तो-चान चौकीदार के छप्पर से पहले एक सीढ़ी और बाद में एक तिपाई-सीढ़ी घसीटकर लाई थी।
प्रश्न – यासुकी-चान पहली सीढ़ी पर क्यों नहीं चढ़ पाया?
उत्तर – यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह बिना सहारे के पहली सीढ़ी पर भी नहीं चढ़ पाया।
प्रश्न – तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को चढ़ाने के लिए दूसरी बार कौन सा उपाय सोचा?
उत्तर – तोत्तो-चान ने दूसरी बार चौकीदार के छप्पर से एक तिपाई-सीढ़ी लाने का उपाय सोचा, जिसे थामे रहना भी ज़रूरी नहीं था।
प्रश्न – पेड़ पर चढ़ने के अंतिम चरण में तोत्तो-चान ने यासुकी-चान की मदद कैसे की?
उत्तर – पेड़ पर चढ़ने के अंतिम चरण में तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को लेट जाने के लिए कहा और पूरी ताकत से उसे द्विशाखा पर खींचने लगी।
प्रश्न – द्विशाखा पर पहुँचने के बाद तोत्तो-चान ने सम्मान से झुककर यासुकी-चान से क्या कहा?
उत्तर – द्विशाखा पर पहुँचने के बाद तोत्तो-चान ने सम्मान से झुककर कहा, “मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।”
प्रश्न – पेड़ पर चढ़कर यासुकी-चान ने दुनिया की नई झलक देखकर क्या महसूस किया?
उत्तर – पेड़ पर चढ़कर यासुकी-चान ने खुश होते हुए कहा, “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना।”
प्रश्न – यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को किस नई चीज़ के बारे में बताया?
उत्तर – यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को अपनी बहन द्वारा अमरीका में देखी गई चीज़, टेलीविजन, के बारे में बताया।
प्रश्न – यासुकी-चान की बहन ने टेलीविजन के बारे में क्या बताया था?
उत्तर – यासुकी-चान की बहन ने बताया था कि टेलीविजन एक डिब्बे जैसा होता है और उसके आने पर घर बैठे-बैठे ही सूमो-कुश्ती देखी जा सकेगी।
प्रश्न – यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने के इस अनुभव को अंतिम क्यों कहा गया है?
उत्तर – यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने के इस अनुभव को अंतिम कहा गया है क्योंकि यह कार्य बहुत जोखिम भरा था, जिसे वह अपनी शारीरिक चुनौतियों के कारण दोबारा कभी नहीं दोहरा पाएगा।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- प्रश्न – तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्यौता क्यों दिया?
उत्तर – तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्यौता दिया क्योंकि वह पोलियो के कारण खुद पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। वह चाहती थी कि यासुकी-चान भी पेड़ पर चढ़ने का आनंद ले और नई चीजें देखे। - प्रश्न – तोत्तो-चान ने अपनी योजना को गुप्त क्यों रखा?
उत्तर – तोत्तो-चान ने अपनी योजना को गुप्त रखा क्योंकि अगर बड़े यह जान लेते कि वह यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की कोशिश कर रही है, तो वे डर के मारे डाँटते और इस जोखिम भरे काम को रोक देते। - प्रश्न – यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने में तोत्तो-चान को क्या कठिनाई आई?
उत्तर – यासुकी-चान के हाथ-पैर पोलियो के कारण कमजोर थे, जिससे वह सीढ़ी पर चढ़ नहीं पा रहा था। तोत्तो-चान छोटी और नाजुक थी, इसलिए उसे यासुकी-चान को धक्का देकर ऊपर चढ़ाने में बहुत मुश्किल हुई। - प्रश्न – तोत्तो-चान ने तिपाई-सीढ़ी का उपयोग क्यों किया?
उत्तर – तोत्तो-चान ने तिपाई-सीढ़ी का उपयोग इसलिए किया क्योंकि यह स्थिर थी और डगमगाती नहीं थी। यह यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने में मददगार थी, क्योंकि सामान्य सीढ़ी से वह चढ़ नहीं पा रहा था। - प्रश्न – यासुकी-चान ने टेलीविजन के बारे में क्या बताया?
उत्तर – यासुकी-चान ने बताया कि उसकी बहन ने अमेरिका से टेलीविजन के बारे में बताया, जो एक डिब्बे जैसा होता है। उसने कहा कि इसके जरिए घर बैठे सूमो-कुश्ती देखी जा सकती है, जो उस समय जापान में अज्ञात था। - प्रश्न – तोत्तो-चान ने अपनी माँ से झूठ क्यों बोला?
उत्तर – तोत्तो-चान ने अपनी माँ से झूठ बोला कि वह यासुकी-चान के घर जा रही है, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि माँ को उसकी खतरनाक योजना का पता चले, वरना उसे रोक दिया जाता। - प्रश्न – रॉकी को तोत्तो-चान ने अपनी योजना क्यों बताई?
उत्तर – तोत्तो-चान ने रॉकी को अपनी योजना इसलिए बताई क्योंकि वह उसे बहुत चाहती थी और उससे सच छिपा नहीं पाई। रॉकी उसका पालतू कुत्ता था, जो स्टेशन तक उसके पीछे-पीछे आया था। - प्रश्न – पेड़ पर चढ़ने के बाद यासुकी-चान ने क्या महसूस किया?
उत्तर – पेड़ पर चढ़ने के बाद यासुकी-चान ने खुशी महसूस की और कहा, “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना।” यह उसके लिए एक नया और अविस्मरणीय अनुभव था, जो उसने पहले कभी नहीं किया था। - प्रश्न – तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को प्रोत्साहित करने के लिए क्या किया?
उत्तर – तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को प्रोत्साहित करने के लिए उसका हाथ थामा और तरह-तरह के चेहरे बनाकर उसे हँसाया। उसने उसे डरने से मना किया और तिपाई-सीढ़ी का उपयोग करके चढ़ने में मदद की। - प्रश्न – कहानी में दोस्ती का महत्त्व कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर – कहानी में दोस्ती का महत्त्व तोत्तो-चान के यासुकी-चान के लिए जोखिम उठाने और उसे पेड़ पर चढ़ाने की कोशिश से दिखता है। वह उसकी कमजोरी के बावजूद उसे खुशी देना चाहती थी, जो सच्ची दोस्ती को दर्शाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- प्रश्न – तोत्तो-चान और यासुकी-चान के बीच की दोस्ती कहानी में कैसे उजागर होती है?
उत्तर – तोत्तो-चान और यासुकी-चान की दोस्ती कहानी में गहरी संवेदनशीलता और समर्पण के साथ उजागर होती है। तोत्तो-चान, यासुकी-चान की पोलियो की कमजोरी को समझते हुए उसे अपने पेड़ पर चढ़ाने का जोखिम उठाती है। वह उसकी मदद के लिए तिपाई-सीढ़ी लाती है और उसे प्रोत्साहित करती है। दोनों पेड़ पर बैठकर गप्पें लड़ाते हैं, जो उनकी निश्छल दोस्ती और एक-दूसरे के प्रति विश्वास को दर्शाता है। - प्रश्न – तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए?
उत्तर – तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने के लिए पहले चौकीदार के छप्पर से एक सीढ़ी लाकर तने के सहारे लगाई, लेकिन यासुकी-चान की कमजोरी के कारण यह असफल रहा। फिर उसने तिपाई-सीढ़ी ढूंढी, जो स्थिर थी। वह नीचे से यासुकी-चान को धक्का देकर और उसका पैर सीढ़ी पर रखकर मदद करती रही। अंत में, वह उसे खींचकर द्विशाखा तक पहुँचाने में सफल हुई। - प्रश्न – कहानी में यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का अनुभव क्यों महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर – यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का अनुभव महत्त्वपूर्ण था क्योंकि पोलियो के कारण वह कभी पेड़ पर नहीं चढ़ पाया था। यह उसके लिए एक नया और रोमांचक अनुभव था, जिसने उसे दुनिया को नई नजर से देखने का मौका दिया। तोत्तो-चान की मदद से यह पल उसके जीवन का अविस्मरणीय क्षण बन गया, जो उसे आत्मविश्वास और खुशी प्रदान करता है। - प्रश्न – कहानी में टेलीविजन का जिक्र किस संदर्भ में आया और इसका क्या महत्त्व था?
उत्तर – यासुकी-चान ने पेड़ पर बैठकर तोत्तो-चान को बताया कि उसकी बहन ने अमेरिका से टेलीविजन के बारे में बताया, जो एक डिब्बे जैसा होता है और घर बैठे सूमो-कुश्ती दिखाता है। उस समय जापान में टेलीविजन अज्ञात था, इसलिए यह बात नई और लुभावनी थी। यह यासुकी-चान की सीमित गतिशीलता में भी दुनिया को जानने की उत्सुकता को दर्शाता है। - प्रश्न – कहानी में साहस और जोखिम का तत्व कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर – कहानी में साहस और जोखिम का तत्व तोत्तो-चान के यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने के प्रयास में दिखता है। उसने गुप्त योजना बनाई, सीढ़ी और तिपाई-सीढ़ी का उपयोग किया, और अपनी छोटी उम्र के बावजूद यासुकी-चान को खींचकर द्विशाखा तक पहुँचाया। यह जोखिम भरा था, लेकिन उसका साहस और दोस्ती के प्रति समर्पण इस कार्य को सफल बनाता है।

