कृश्न चंदर – लेखक परिचय
कृश्न चंदर का जन्म वर्तमान पाकिस्तान में स्थित वजीराबाद, गुजरांवाला में 23 नवंबर सन् 1914 ई. को हुआ। उर्दू और हिंदी के मशहूर कहानीकार के रूप में उनके कई उपन्यास और कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं। उनके प्रसिद्ध उपन्यास एक गधे की आत्मकथा का सोलह से ज्यादा भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है। लघुकथा अन्नदाता पर ख्वाजा अहमद अब्बास ने ‘धरती के लाल’ नाम से फिल्म भी बनाई है। इनके द्वारा लिखी गई कई कहानियों पर फिल्मों का निर्माण भी हुआ है। 1969 में उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया। 8 मार्च सन् 1977 ई. को उनका देहावसान हो गया। संकलित कहानी उनके कहानी संग्रह फूल और पत्थर से ली गई है।
जामुन का पेड़ – पाठ परिचय
कृश्न चंदर की कहानी जामुन का पेड़ संवेदनशून्य व्यवस्था और उसमें फँसे आम आदमी के जीवन की विडंबना को व्यंग्यात्मक व हास्यपरक रूप में प्रस्तुत करती है। इस हास्यपरकता को बनाने के लिए कहानी में व्यवस्था पर अतिश्योक्तिपूर्ण व्यंग्य भी किया गया है।
कृश्न चंदर की कहानी जामुन का पेड़ संवेदनशून्य व्यवस्था और उसमें फँसे आम आदमी के जीवन की विडंबना को व्यंग्यात्मक व हास्यपरक रूप में प्रस्तुत करती है। इस हास्यपरकता को बनाने के लिए कहानी में व्यवस्था पर अतिश्योक्तिपूर्ण व्यंग्य भी किया गया है।
जामुन का पेड़
रात को बड़े ज़ोर का झक्कड़ चला। सेक्रेटेरियेट के लॉन में जामुन का एक पेड़ गिर पड़ा। सवेरे को जब माली ने देखा, तो उसे पता चला कि पेड़ के नीचे एक आदमी दबा पड़ा है।
माली दौड़ा-दौड़ा चपरासी के पास गया, चपरासी दौड़ा-दौड़ा क्लर्क के पास गया, क्लर्क दौड़ा-दौड़ा सुपरिंटेंडेंट के पास गया, सुपरिंटेंडेंट दौड़ा-दौड़ा बाहर लॉन में आया। मिनटों में गिरे हुए पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी के चारों ओर भीड़ इकट्ठी हो गई।
“बेचारा जामुन का पेड़। कितना फलदार था!’’ एक क्लर्क बोला।
“और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं!’’ दूसरा क्लर्क याद करते हुए बोला।
“मैं फलों के मौसम में झोली भरकर ले जाता था, मेरे बच्चे इसकी जामुनें कितनी खुशी से खाते थे।’’ तीसरा क्लर्क लगभग रुआँसा होकर बोला।
“मगर यह आदमी?’’ माली ने दबे हुए आदमी की तरफ़ इशारा किया।
“हाँ, यह आदमी।’’ सुपरिंटेंडेंट सोच में पड़ गया।
“पता नहीं ज़िंदा है कि मर गया?’’ एक चपरासी ने पूछा।
“मर गया होगा, इतना भारी पेड़ जिसकी पीठ पर गिरे वह बच कैसे सकता है?’’ दूसरा चपरासी बोला।
“नहीं, मैं ज़िंदा हूँ।’’ दबे हुए आदमी ने बड़ी कठिनता से कराहते हुए कहा। “ज़िंदा है!’’ एक क्लर्क ने ताज्जुब से कहा।
“पेड़ को हटाकर इसे जल्दी से निकाल लेना चाहिए।’’ माली ने सुझाव दिया। “मुश्किल मालूम होता है,’’ एक सुस्त, कामचोर और मोटा चपरासी बोला, “पेड़ का तना बहुत भारी और वज़नी है।’’
“क्या मुश्किल है?’’ माली बोला, “अगर सुपरिंटेंडेंट साहब हुक्म दें, तो अभी पंद्रह-बीस माली, चपरासी और क्लर्क लगाकर पेड़ के नीचे से दबे हुए आदमी को निकाला जा सकता है।’’
“माली ठीक कहता है,’’ बहुत-से क्लर्क एक साथ बोल पड़े,“लगाओ ज़ोर, हम तैयार हैं।’’
एक साथ बहुत से लोग पेड़ को उठाने को तैयार हो गए।
“ठहरो!’’ सुपरिंटेंडेंट बोला, “मैं अंडर-सेक्रेटरी से पूछ लूँ।’’ सुपरिंटेंडेंट अंडर-सेक्रेटरी के पास गया। अंडर-सेक्रेटरी डिप्टी सेक्रेटरी के पास गया। डिप्टी सेक्रेटरी ज्वाइंट सेक्रेटरी के पास गया। ज्वाइंट सेक्रेटरी चीफ़ सेक्रेटरी के पास गया। चीफ़ सेक्रेटरी मिनिस्टर के पास गया। मिनिस्टर ने चीफ़ सेक्रेटरी से कुछ कहा। चीफ़ सेक्रेटरी ने ज्वाइंट सेक्रेटरी से कुछ कहा। ज्वाइंट सेक्रेटरी ने डिप्टी सेक्रेटरी से कहा। डिप्टी सेक्रेटरी ने अंडर सेक्रेटरी से कहा। फ़ाइल चलती रही। इसी में आधा दिन बीत गया।
दोपहर के खाने पर दबे हुए आदमी के चारों ओर बहुत भीड़ हो गई थी। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कुछ मनचले क्लर्कों ने समस्या को खुद ही सुलझाना चाहा। वे हुकूमत के फैसले का इंतज़ार किए बिना पेड़ को अपने-आप हटा देने का निश्चय कर रहे थे कि इतने में सुपरिंटेंडेंट फ़ाइल लिए भागा-भागा आया। बोला – “हमलोग खुद इस पेड़ को नहीं हटा सकते। हमलोग व्यापार-विभाग से संबंधित हैं, और यह पेड़ की समस्या है, जो कृषि-विभाग के अधीन है। मैं इस फ़ाइल को अर्जेंट मार्क करके कृषि-विभाग में भेज रहा हूँ – वहाँ से उत्तर आते ही इस पेड़ को हटवा दिया जाएगा।’’
दूसरे दिन कृषि-विभाग से उत्तर आया कि पेड़ व्यापार-विभाग के लॉन में गिरा है, इसलिए इस पेड़ को हटवाने या न हटवाने की ज़िम्मेदारी व्यापार-विभाग पर पड़ती है।
यह उत्तर पढ़कर व्यापार विभाग को गुस्सा आ गया। उन्होंने फौरन लिखा कि पेड़ों को हटवाने या न हटवाने की ज़िम्मेदारी कृषि-विभाग पर लागू होती है, व्यापार विभाग का इससे कोई संबंध नहीं है।
दूसरे दिन भी फ़ाइल चलती रही। शाम को जवाब आ गयाख्रहम इस मामले को हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के हवाले कर रहे हैं, क्योंकि यह एक फलदार पेड़ का मामला है और एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट अनाज और खेती-बाड़ी के मामलों में फ़ैसलाकरने का हकदार है। जामुन का पेड़ चूँकि एक फलदार पेड़ है, इसलिए यह पेड़ हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है।
रात को माली ने दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया, जबकि उसके चारों तरफ़ पुलिस का पहरा था कि कहीं लोग कानून को अपने हाथ में लेकर पेड़ को खुद से हटवाने की कोशिश न करें। मगर एक पुलिस कांस्टेबल को दया आ गई और उसने माली को दबे हुए आदमी को खाना खिलाने की इजाज़त दे दी।
माली ने दबे हुए आदमी से कहा, “तुम्हारी फ़ाइल चल रही है, उम्मीद है कल तक फ़ैसला हो जाएगा।’’
दबा हुआ आदमी कुछ नहीं बोला।
माली ने पेड़ के तने को ध्यान से देखकर कहा, “अच्छा हुआ कि तना तुम्हारे कूल्हे पर गिरा, अगर कमर पर गिरता तो रीढ़ की हड्डी टूट जाती।’’
दबा हुआ आदमी फिर भी कुछ नहीं बोला। माली ने फिर कहा, “तुम्हारा यहाँ कोई वारिस है तो मुझे उसका अता-पता बताओ, मैं उन्हें खबर देने की कोशिश करूँगा।’’
“मैं लावारिस हूँ।’’ दबे हुए आदमी ने बड़ी मुश्किल से कहा।
माली खेद प्रकट करता हुआ वहाँ से हट गया।
तीसरे दिन हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट से जवाब आ गया। बड़ा कड़ा जवाब था और व्यंग्यपूर्ण!हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट का सेक्रेटरी साहित्य-प्रेमी आदमी जान पड़ता था। उसने लिखा था, “आश्चर्य है, इस समय जब हम ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम ऊँचे स्तर पर चला रहे हैं, हमारे देश में ऐसे सरकारी अफ़सर मौजूद हैं जो पेड़ों को काटने का सुझाव देते हैं, और वह भी एक फलदार पेड़ को, और वह भी जामुन के पेड़ को, जिसके फल जनता बड़े चाव से खाती है! हमारा विभाग किसी हालत में इस फलदार वृक्ष को काटने की इजाज़त नहीं दे सकता।’’
“अब क्या किया जाए?’’ इसपर एक मनचले ने कहा, “अगर पेड़ काटा नहीं जा सकता, तो इस आदमी ही को काटकर निकाल लिया जाए।’’
“यह देखिए,’’ उस आदमी ने इशारे से बताया, “अगर इस आदमी को ठीक बीच में से, यानी धड़ से काटा जाए तो आधा आदमी इधर से निकल आएगा, आधा आदमी उधर से बाहर आ जाएगा और पेड़ वहीं का वहीं रहेगा।
“मगर इस तरह तो मैं मर जाऊँगा।’’ दबे हुए आदमी ने आपत्ति प्रकट करते हुए कहा।
“यह भी ठीक कहता है।’’ एक क्लर्क बोला।
आदमी को काटने वाली युक्ति प्रस्तुत करने वाले ने भरपूर विरोध किया, “आप जानते नहीं हैं, आजकल प्लास्टिक सर्जरी कितनी उन्नति कर चुकी है। मैं तो समझता हूँ, अगर इस आदमी को बीच में से काटकर निकाल लिया जाए तो प्लास्टिक सर्जरी से धड़ के स्थान से इस आदमी को फिर से जोड़ा जा सकता है।’’
इस बार फ़ाइल को मेडिकल डिपार्टमेंट में भेज दिया गया। मेडिकल डिपार्टमेंट ने फ़ौरन एक्शन लिया और जिस दिन फ़ाइल उनके विभाग में पहुँची, उसके दूसरे ही दिन उन्होंने अपने विभाग का सबसे योग्य प्लास्टिक सर्जन छान-बीन के लिए भेज दिया। सर्जन ने दबे हुए आदमी को अच्छी तरह टटोलकर, उसका स्वास्थ्य देखकर, खून का दबाव देखा, नाड़ी की गति को परखा, दिल और फेफड़ों की जाँच करके रिपोर्ट भेज दी कि इस आदमी का प्लास्टिक ऑपरेशन तो हो सकता है, और ऑपरेशन सफल भी होगा, मगर आदमी मर जाएगा।
इसलिए यह फ़ैसला भी रद्द कर दिया गया।
रात को माली ने दबे हुए आदमी के मुँह में खिचड़ी डालते हुए उसे बताया कि अब मामला ऊपर चला गया है। सुना है कि कल सेक्रेटेरियेट के सारे सेक्रेटेरियों की मीटिंग होगी। उसमें तुम्हारा केस रखा जाएगा।
उम्मीद है सब काम ठीक हो जाएगा। दबा हुआ आदमी एक आह भरकर धीरे से बोला –
“ये तो माना कि तगाफ़ुल न करोगे लेकिन खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!’’
माली ने अचंभे से मुँह में उँगली दबा ली और चकित भाव से बोला, “क्या तुम शायर हो?’’
दबे हुए आदमी ने धीरे से सिर हिला दिया।
दूसरे दिन माली ने चपरासी को बताया, चपरासी ने क्लर्क को, क्लर्क ने हैड-क्लर्क को। थोड़ी ही देर में सेक्रेटेरियेट में यह अफ़वाह फैल गई कि दबा हुआ आदमी शायर है। बस, फिर क्या था। लोगों का झुंड का झुंड शायर को देखने के लिए ’ मिर्ज़ा गालिब का शेर उमड़ पड़ा। इसकी चर्चा शहर में भी फैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए। सेक्रेटेरियेट का लॉन भाँति-भाँति के कवियों से भर गया और दबे हुए आदमी के चारों ओर कवि-सम्मेलन का-सा वातावरण उत्पन्न हो गया। सेक्रेटेरियेट के कई क्लर्क और अंडर सेक्रेटरी तक जिन्हें साहित्य और कविता से लगाव था, रुक गए। कुछ शायर दबे हुए आदमी को अपनी कविताएँ और दोहे सुनाने लगे। कई क्लर्क उसको अपनी कविता पर आलोचना करने को मजबूर करने लगे।
जब यह पता चला कि दबा हुआ आदमी एक कवि है, तो सेक्रेटेरियेट की सब-कमेटी ने फैसला किया कि – चूँकि दबा हुआ आदमी एक कवि है, इसलिए इस फ़ाइल का संबंध न एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से है, न हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट से, बल्कि सिर्फ़ कल्चरल डिपार्टमेंट से है। कल्चरल डिपार्टमेंट से अनुरोध किया गया कि जल्द से जल्द मामले का फ़ैसला करके अभागे कवि को इस फलदार पेड़ से छुटकारा दिलाया जाए।
फ़ाइल कल्चरल डिपार्टमेंट के अनेक विभागों से गुज़रती हुई साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी के पास पहुँची। बेचारा सेक्रेटरी उसी समय अपनी गाड़ी में सवार होकर सेक्रेटेरियेट पहुँचा और दबे हुए आदमी से इंटरव्यू लेने लगा।
“तुम कवि हो?’’ उसने पूछा।
“जी हाँ।’’ दबे हुए आदमी ने जवाब दिया।
“किस उपनाम से शोभित हो?’’
“ओस।’’
“ओस?’’ सेक्रेटरी ज़ोर से चीखा, “क्या तुम वही ‘ओस’ हो, जिसका गद्य-संग्रह ‘ओस के फूल’ अभी हाल ही में प्रकाशित हुआ है?”
दबे हुए कवि ने हुँकार में सिर हिलाया।
“क्या तुम हमारी अकादमी के मेंबर हो?’’
सेक्रेटरी ने पूछा। “नहीं!”
“आश्चर्य है,” सेक्रेटरी ज़ोर से चीखा, “इतना बड़ा कवि – ‘ओस के फूल’ का लेखक और हमारी अकादमी का मेंबर नहीं है। उफ़! कैसी भूल हो गई हमसे, कितना बड़ा कवि और कैसी अँधेरी गुमनामी में दबा पड़ा है।’’
“गुमनामी में नहीं, – एक पेड़ के नीचे दबा हूँ, कृपया मुझे इस पेड़ के नीचे से निकालिए।’’
“अभी बंदोबस्त करता हूँ।’’ सेक्रेटरी फ़ौरन बोला और फ़ौरन उसने अपने विभाग में रिपोर्ट की।दूसरे दिन सेक्रेटरी भागा-भागा कवि के पास आया और बोला, “मुबारक हो, मिठाई खिलाओ। हमारी सरकारी साहित्य अकादमी ने तुम्हें अपनी केंद्रीय शाखा का मेंबर चुन लिया है, यह लो चुनाव-पत्र।’’
“मगर मुझे इस पेड़ के नीचे से तो निकालो!’’ दबे हुए आदमी ने कराहकर कहा। उसकी साँस बड़ी मुश्किल से चल रही थी और उसकी आँखों से मालूम होता था कि वह घोर पीड़ा और दुःख में पड़ा है।
“यह हम नहीं कर सकते।’’ सेक्रेटरी ने कहा, “और जो हम कर सकते थे, वह हमने कर दिया है, बल्कि हम तो यहाँ तक कर सकते हैं कि अगर तुम मर जाओ, तो तुम्हारी बीवी को वज़ीफा दे सकते हैं, अगर तुम दरख्वास्त दो, तो हम वह भी कर सकते हैं।’’
“मैं अभी जीवित हूँ।’’ कवि रुक-रुककर बोला, “मुझे ज़िंदा रखो।’’
“मुसीबत यह है,’’ सरकारी साहित्य अकादमी का सेक्रेटरी हाथ मलते हुए बोला, “हमारा विभाग सिर्फ़ कल्चर से संबंधित है। पेड़ काटने का मामला कलम- दवात से नहीं, आरी-कुल्हाड़ी से संबंधित है। उसके लिए हमने फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिख दिया है और अर्जेंट लिखा है।’’
शाम को माली ने आकर दबे हुए आदमी को बताया, “कल फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आकर इस पेड़ को काट देंगे और तुम्हारी जान बच जाएगी।’’
माली बहुत खुश था। दबे हुए आदमी का स्वास्थ्य जवाब दे रहा था, मगर वह किसी न किसी तरह अपने जीवन के लिए लड़े जा रहा था। कल तक, कल सवेरे तक…किसी न किसी तरह उसे जीवित रहना है।दूसरे दिन जब फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आरी-कुल्हाड़ी लेकर पहुँचे तो उनको पेड़ काटने से रोक दिया गया। मालूम हुआ कि विदेश-विभाग से हुक्म आया था कि इस पेड़ को न काटा जाए। कारण यह था कि इस पेड़ को दस साल पहले पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगाया था। अब अगर यह पेड़ काटा गया, तो इस बात का काफ़ी अंदेशा था कि पीटोनिया सरकार से हमारे संबंध सदा के लिए बिगड़ जाएँगे।
“मगर एक आदमी की जान का सवाल है,’’ एक क्लर्क चिल्लाया।
“दूसरी ओर दो राज्यों के संबंधों का सवाल है,’’ दूसरे क्लर्क ने पहले क्लर्क को समझाया, “और यह भी तो समझो कि पीटोनिया सरकार हमारे राज्य को कितनी सहायता देती है – क्या हम उनकी मित्रता की खातिर एक आदमी के जीवन का भी बलिदान नहीं कर सकते?’’
“कवि को मर जाना चाहिए।’’
“निस्संदेह।’’
अंडर सेक्रेटरी ने सुपरिंटेंडेंट को बताया, “आज सवेरे प्रधानमंत्री दौरे से वापस आ गए हैं। आज चार बजे विदेश विभाग इस पेड़ की फ़ाइल उनके सामने पेश करेगा। जो वे फैसला देंगे, वही सबको स्वीकार होगा।’’
शाम के पाँच बजे स्वयं सुपरिंटेंडेंट कवि की फ़ाइल लेकर उसके पास आया, “सुनते हो!’’ आते ही वह खुशी से फ़ाइल को हिलाते हुए चिल्लाया, “प्रधानमंत्री ने इस पेड़ को काटने का हुक्म दे दिया, और इस घटना की सारी अंतर्राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी अपने सिर ले ली है। कल यह पेड़ काट दिया जाएगा, और तुम इस संकट से छुटकारा हासिल कर लोगे। सुनते हो? आज तुम्हारी फ़ाइल पूर्ण हो गई।’’
मगर कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव और चींटियों की एक लंबी पाँत उसके मुँह में जा रही थी….।
उसके जीवन की फ़ाइल भी पूर्ण हो चुकी थी।
पाठ का सार
कहानी “जामुन का पेड़” नौकरशाही की उदासीनता और लालफीताशाही पर करारा व्यंग्य है। सेक्रेटेरियट के लॉन में एक जामुन का पेड़ गिरने से उसके नीचे एक कवि दब जाता है। माली, चपरासी, क्लर्क और सुपरिंटेंडेंट से लेकर मंत्रियों तक, सभी इस मामले को विभिन्न विभागों—कृषि, बागवानी, चिकित्सा, सांस्कृतिक और वन विभाग—के बीच टालते रहते हैं। फाइलें चलती रहती हैं, पर कवि को बचाने का कोई ठोस कदम नहीं उठता। लोग पेड़ की जामुनों और उसकी उपयोगिता की बात करते हैं, लेकिन दबे हुए कवि की जान की परवाह नहीं करते। अंत में, जब पेड़ काटने का फैसला होता है, तब तक कवि की मृत्यु हो चुकी होती है, जो नौकरशाही की देरी और मानव जीवन के प्रति असंवेदनशीलता को उजागर करता है।
शब्दार्थ
- झक्कड़ -आँधी
- सेक्रेटेरियट – सचिवालय
- रुआँसा – रोता हुआ-सा
- वज़नी – भारी
- मनचला – बेफिक्र
- हुकूमत – सरकार
- हॉर्टिकल्चर – उद्यान कृषि
- वारिस – उत्तराधिकारी
- लावारिस – जिसका कोई वारिस न हो
- युक्ति – तरीका
- तग़ाफ़ुल – उपेक्षा
- खाक – मिट्टी
- शायर – कवि
- गुमनामी – अपरिचय
- अंदेशा – डर
- निर्जीव – मुर्दा
- पाँत – पंक्ति
Hindi Word | Hindi Meaning | English Meaning |
झक्कड़ | तेज हवा, आँधी | Storm, strong wind |
सेक्रेटेरियट | सचिवालय, सरकारी कार्यालय | Secretariat, government office |
रसीली | रस से भरी, स्वादिष्ट | Juicy, succulent |
रुआँसा | रोने जैसी स्थिति, उदास | Tearful, emotional |
ताज्जुब | आश्चर्य, हैरानी | Surprise, astonishment |
सुस्त | आलसी, कम सक्रिय | Lazy, sluggish |
कामचोर | काम से बचने वाला | Shirker, idle |
हुक्म | आदेश, निर्देश | Order, command |
अर्जेंट | तत्काल, जरूरी | Urgent, immediate |
हॉर्टीकल्चर | बागवानी, फल-फूल की खेती | Horticulture |
खेद | दुख, अफसोस | Regret, sorrow |
व्यंग्यपूर्ण | कटाक्षयुक्त, तंज भरा | Satirical, sarcastic |
युक्ति | तरीका, उपाय | Plan, strategy |
नाड़ी | नब्ज, धमनी | Pulse |
अफ़वाह | गपशप, अनौपचारिक बात | Rumor, gossip |
उमड़ पड़ा | बहुत अधिक संख्या में आना | Flocked, gathered in large numbers |
शोभित | सुशोभित, सम्मानित | Adorned, distinguished |
गुमनामी | अज्ञात स्थिति, प्रसिद्धि का अभाव | Obscurity, anonymity |
वज़ीफा | आर्थिक सहायता, भत्ता | Stipend, allowance |
तगाफ़ुल | उपेक्षा, अनदेखी | Neglect, indifference |
अभ्यास
पाठ से
- जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी को आधा दिन बीत जाने तक भी क्यों नहीं निकाला जा सका?
उत्तर – आधा दिन बीत जाने तक भी उस आदमी को इसलिए नहीं निकाला जा सका क्योंकि सेक्रेटेरियेट के अधिकारी और कर्मचारी नियमों और प्रक्रियाओं में उलझे हुए थे। सुपरिंटेंडेंट ने पेड़ हटाने से पहले अपने से बड़े अधिकारी, अंडर-सेक्रेटरी, से पूछना ज़रूरी समझा और यह मामला एक विभाग से दूसरे विभाग में भेजा जाता रहा, जिससे फाइल चलती रही और कीमती समय बर्बाद होता गया।
- आदमी को पेड़ के नीचे से निकालने के लिए फाइल किन-किन विभागों में घूमती रही?
उत्तर – आदमी को निकालने के लिए फाइल निम्नलिखित विभागों में घूमती रही –
व्यापार-विभाग (Trade Department)
कृषि-विभाग (Agriculture Department)
हॉर्टीकल्चर विभाग (Horticulture Department)
मेडिकल विभाग (Medical Department)
कल्चरल विभाग (Cultural Department)
साहित्य अकादमी (Sahitya Akademi)
वन-विभाग (Forest Department)
विदेश-विभाग (Foreign Department)
अंत में, फाइल प्रधानमंत्री के सामने पेश की गई।
- कृषि विभाग ने पेड़ हटाने का मामला हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिए?
उत्तर – कृषि विभाग ने तर्क दिया कि चूँकि जामुन का पेड़ एक फलदार पेड़ है, इसलिए यह मामला हॉर्टीकल्चर (उद्यान-कृषि) विभाग के अंतर्गत आता है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग केवल अनाज और खेती-बाड़ी से संबंधित मामलों में फैसला करने का अधिकार रखता है।
- पेड़ के नीचे दबे आदमी ने ग़ालिब का एक शेर कहा। पाठ में खोजिए कि
(क) वह शेर क्या है?
उत्तर – वह शेर है – “ये तो माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन, ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको ख़बर होने तक!”
(ख) उसका क्या अर्थ है?
उत्तर – इसका अर्थ है – “मैं यह मानता हूँ कि तुम मेरी मदद करने में लापरवाही नहीं करोगे, लेकिन जब तक तुम तक खबर पहुँचेगी और तुम कार्रवाई करोगे, तब तक हम मिट्टी में मिल चुके होंगे (मर चुके होंगे)।”
(ग) उसने यह शेर क्यों कहा?
उत्तर – उसने यह शेर सरकारी व्यवस्था की धीमी और जटिल कार्यप्रणाली पर व्यंग्य करते हुए कहा। वह समझ गया था कि जब तक ये विभाग फैसला लेंगे, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी और उसकी जान नहीं बचेगी।
- “उसके जीवन की फ़ाइल मुकम्मल हो चुकी थी।” पंक्ति का क्या आशय है?
उत्तर – इस पंक्ति का आशय है कि उस आदमी की मृत्यु हो चुकी थी। लेखक ने व्यंग्यात्मक रूप से सरकारी भाषा का प्रयोग करते हुए कहा है कि जिस तरह उसकी सरकारी फाइल पूरी हुई, उसी तरह उसके जीवन का अध्याय भी समाप्त हो गया था।
- जामुन का पेड़ गिरने पर जब भीड़ इकट्ठी हुई तब क्लर्कों व माली की बातचीत में आप किस प्रकार का अंतर देखते हैं? उनकी बातचीत से उनके व्यक्तित्व के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर – क्लर्कों और माली की बातचीत में स्पष्ट अंतर है। क्लर्क गिरे हुए पेड़ और उसकी रसीली जामुनों को याद करके दुखी हो रहे थे; उन्हें दबे हुए आदमी की कोई चिंता नहीं थी। इससे उनके संवेदनहीन और स्वार्थी व्यक्तित्व का पता चलता है। इसके विपरीत, माली की चिंता का केंद्र दबा हुआ आदमी था और वह उसे बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई करना चाहता था। इससे माली के मानवीय, संवेदनशील और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व का पता चलता है।
- प्रधानमंत्री ने इस घटना की सारी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी अपने सर ले ली।” इस पंक्ति में क्या व्यंग्य किया गया है?
उत्तर – इस पंक्ति में व्यवस्था पर गहरा व्यंग्य किया गया है। एक आदमी को बचाने के लिए पेड़ काटने जैसे छोटे से काम को इतना जटिल बना दिया गया कि वह दो देशों के संबंधों का मामला बन गया। इस मामले को सुलझाने के लिए जब प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़ा और इसकी “अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी” लेनी पड़ी, तो यह हमारी व्यवस्था की हास्यास्पद और तर्कहीन कार्यप्रणाली का मजाक उड़ाता है।
पाठ से आगे
- जामुन के पेड़ को हटाने की जिम्मेदारी सभी विभाग एक दूसरे पर डालते रहे और किसी को भी आदमी को बचाने की चिंता नहीं थी। यह स्थिति हमारे व्यवस्था की कार्यप्रणाली के किस चरित्र को उजागर करती है?
उत्तर – यह स्थिति हमारी व्यवस्था की कार्यप्रणाली के निम्नलिखित चरित्रों को उजागर करती है –
संवेदनहीनता – अधिकारियों में मानवीय जीवन के प्रति कोई संवेदना नहीं है।
गैर-जिम्मेदाराना रवैया – कोई भी विभाग जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है और सब एक-दूसरे पर काम टालते हैं।
लालफीताशाही – पूरी व्यवस्था नियमों और प्रक्रियाओं के जाल में इस कदर उलझी है कि सामान्य ज्ञान और मानवता के लिए कोई जगह नहीं है।
पदानुक्रम का अंधानुकरण – हर कोई अपने से ऊपर के अधिकारी के आदेश का इंतजार करता है, कोई भी स्वयं पहल नहीं करता।
- आपके घर के सामने यदि पेड़ गिर जाए तो उसे हटाने के लिए आप क्या – क्या करेंगे?
उत्तर – यदि मेरे घर के सामने पेड़ गिर जाए, तो मैं सबसे पहले यह देखूँगा कि कोई उसके नीचे दबा तो नहीं है। यदि कोई दबा हो तो तुरंत पड़ोसियों की मदद से उसे निकालने की कोशिश करूँगा और एम्बुलेंस को फोन करूँगा। साथ ही, मैं नगर निगम या आपदा प्रबंधन विभाग को सूचित करूँगा ताकि वे पेड़ को हटाने के लिए कर्मचारियों को भेज सकें।
- यदि आप माली की जगह होते तो ऊपर के फैसले का इंतज़ार करते या नहीं? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों?
उत्तर – यदि मैं माली की जगह होता, तो मैं बिल्कुल भी ऊपर के फैसले का इंतजार नहीं करता। मेरे लिए एक इंसान की जान बचाना किसी भी सरकारी नियम या प्रक्रिया से बढ़कर है। मैं तुरंत वहाँ मौजूद लोगों को इकट्ठा करता और हम सब मिलकर पेड़ को उठाकर उस आदमी को बचाने की कोशिश करते। मानवता का नियम किसी भी दफ्तरी नियम से बड़ा होता है।
- यदि पेड़ हटाने की फाइल को पर्यावरण विभाग, जल विभाग व शिक्षा विभाग को भेजना पड़े, तो वे विभाग पेड़ न हटाने के क्या तर्क देंगे?
उत्तर – वे विभाग पेड़ न हटाने के निम्नलिखित तर्क दे सकते हैं –
पर्यावरण विभाग – यह पेड़ पर्यावरण संतुलन के लिए आवश्यक है। इसे काटने से प्रदूषण बढ़ेगा और यह पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के विरुद्ध होगा।
जल विभाग – यह पेड़ भू-जल स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। इसे काटने से उस क्षेत्र में जल संकट पैदा हो सकता है।
शिक्षा विभाग – यह जामुन का पेड़ स्कूल के बच्चों के लिए एक जीवंत शैक्षिक उदाहरण है। वे इससे वनस्पति विज्ञान के बारे में सीखते हैं। इसे काटना बच्चों को एक प्राकृतिक प्रयोगशाला से वंचित करना होगा।
- आपके विचार से कहानी में मूल समस्या क्या है, पेड़ को हटाना या आदमी को निकालना? तर्क सहित अपना जवाब दीजिए।
उत्तर – मेरे विचार से, कहानी में मूल समस्या न तो पेड़ को हटाना है और न ही आदमी को निकालना। मूल समस्या उस अमानवीय और जटिल सरकारी व्यवस्था की है जो एक सीधे-सादे काम को भी असंभव बना देती है। पेड़ हटाना और आदमी को निकालना तो एक सामान्य कार्य था जिसे कुछ लोग मिलकर मिनटों में कर सकते थे। लेकिन कहानी यह दर्शाती है कि कैसे व्यवस्था की संवेदनहीनता और लालफीताशाही एक जीवित व्यक्ति को मरने के लिए मजबूर कर देती है।
भाषा के बारे में
- किसी भी भाषा में उसके संपर्क में आने वाली अन्य भाषाओं के शब्द सहज रूप से घुल-मिल जाते हैं। इस पाठ में ऐसे शब्दों का बहुतायत में प्रयोग हुआ है, जैसे- केस, क्लर्क, हुकूमत आदि। पाठ में ऐसे शब्दों को पहचानने का प्रयास करें जो आपको दूसरी भाषाओं के जान पड़ते हों। साथ ही यह भी लिखिए कि वे किस भाषा से लिए गए हैं?
उत्तर –
शब्द | भाषा |
सेक्रेटेरियेट, लॉन, सुपरिंटेंडेंट, क्लर्क, अंडर-सेक्रेटरी, अर्जेंट, हॉर्टीकल्चर, डिपार्टमेंट, मेडिकल, प्लास्टिक सर्जरी, कल्चरल, मेंबर, फॉरेस्ट, इंटरनेशनल | अंग्रेजी |
मुश्किल, फ़ाइल, सिर्फ़, फ़ौरन, ज़िम्मेदारी, वज़ीफा | फारसी/अरबी |
हुकूमत, ताज्जुब, दरख्वास्त, ज़िंदगी | अरबी |
- इस कहानी में कई प्रशासनिक विभागों और पदानुक्रमों का जिक्र हुआ है, उन्हें छाँटकर उनके हिंदी नाम लिखिए।
उत्तर –
अंग्रेजी नाम | हिंदी नाम |
Superintendent | अधीक्षक |
Under-Secretary | अवर सचिव |
Deputy Secretary | उप सचिव |
Joint Secretary | संयुक्त सचिव |
Chief Secretary | मुख्य सचिव |
Minister | मंत्री |
Trade Department | व्यापार विभाग |
Agriculture Department | कृषि विभाग |
Horticulture Department | उद्यान-कृषि विभाग |
Medical Department | चिकित्सा विभाग |
Cultural Department | सांस्कृतिक विभाग |
Forest Department | वन विभाग |
Foreign Department | विदेश विभाग |
- किसी भी भाषा में संज्ञा के बहुवचन बनाने के अपने नियम होते हैं। हिंदी भाषा में किसी भी शब्द को बहुवचन में बदलने के भी कुछ नियम हैं। जैसे कि-
(क) संज्ञा को कर्ता के स्थान पर बहुवचन में बदलने के नियम
(ख) संज्ञा का संबोधन के रूप में उपयोग पर बहुवचन के नियम
(ग) संज्ञा के अन्यत्र, जैसे कि विभक्ति के साथ प्रयोग में बहुवचन के नियम
इसी तरह संज्ञा में लिंग और अंतिम ध्वनि भी उसे बहुवचन में परिवर्तित करने को प्रभावित करती है। इस आधार पर विभिन्न ध्वनियों से समाप्त होने वाले तथा विभिन्न लिंग वाले शब्दों की कल्पना कर उनके बहुवचन रूपों को लिखिए। इस आधार पर संज्ञा को बहुवचन में बदलने के नियम बताइए।
संज्ञा को बहुवचन में बदलने के आधार
वचन बदलने का आधार एकवचन बहुवचन
कर्ता लड़का लड़के
विभक्ति के साथ लड़के ने लड़कों ने
संबोधन के साथ ए लड़के! ए लड़को!
उत्तर – हिंदी में संज्ञा शब्दों को बहुवचन में बदलने के कई नियम हैं जो लिंग, अंतिम ध्वनि और विभक्ति के प्रयोग पर निर्भर करते हैं।
नियम 1 – आकारांत पुल्लिंग संज्ञाओं (जो ‘आ’ पर समाप्त होती हैं) में ‘आ’ को ‘ए’ में बदलकर बहुवचन बनाया जाता है।
एकवचन – लड़का, कमरा, बेटा
बहुवचन – लड़के, कमरे, बेटे
नियम 2 – अकारांत स्त्रीलिंग संज्ञाओं (जो ‘अ’ पर समाप्त होती हैं) में ‘अ’ के साथ ‘एँ’ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है।
एकवचन – रात, बात, दीवार
बहुवचन – रातें, बातें, दीवारें
नियम 3 – ‘इ’ या ‘ई’ पर समाप्त होने वाली स्त्रीलिंग संज्ञाओं में ‘इयाँ’ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है। बड़ी ‘ई’ को छोटी ‘इ’ में बदल दिया जाता है।
एकवचन – लड़की, चिट्ठी, नीति
बहुवचन – लड़कियाँ, चिट्ठियाँ, नीतियाँ
नियम 4 – जब संज्ञा के साथ कोई विभक्ति (जैसे- ने, को, से) लगती है, तो बहुवचन बनाने के लिए प्रायः ‘ओं’ या ‘यों’ का प्रयोग होता है।
एकवचन – लड़के ने, आदमी को, नदी से
बहुवचन – लड़कों ने, आदमियों को, नदियों से
नियम 5 – संबोधन में ‘ओ’ या ‘यो’ लगाकर बहुवचन बनाया जाता है।
एकवचन – ए लड़के!
बहुवचन – ए लड़को!
योग्यता विस्तार
- हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित व्यंग्य “भोलाराम का जीव” में भी व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया गया है। इसे पुस्तकालय से या अपने शिक्षकों की मदद से पढ़िए एवं कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।
- प्रोजेक्ट कार्य-
पाठ में कई प्रशासनिक कार्यालयों के नामों का उल्लेख हुआ है। इसी तरह-
(क) आपके आसपास कौन-कौन से प्रशासनिक कार्यालय हैं? इनकी सूची तैयार कीजिए।
उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।
(ख) अपने द्वारा बताए गए कार्यालयों में से किन्हीं तीन कार्यालयों में कौन-कौन से पद हैं, उनके हिंदी व अंग्रेजी (दोनों भाषाओं) में नाम लिखिए। अपने इस प्रोजेक्ट कार्य को विद्यालय / कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
- कहानी “जामुन का पेड़” का मुख्य विषय क्या है?
a) प्रकृति संरक्षण
b) नौकरशाही की लालफीताशाही
c) जामुन के पेड़ की उपयोगिता
d) कवि की कविताएँ
उत्तर – b) नौकरशाही की लालफीताशाही - पेड़ के नीचे दबा हुआ व्यक्ति कौन था?
a) माली
b) क्लर्क
c) कवि
d) सुपरिंटेंडेंट
उत्तर – c) कवि - पेड़ के गिरने का कारण क्या था?
a) भूकंप
b) तेज झक्कड़
c) बाढ़
d) आग
उत्तर – b) तेज झक्कड़ - सबसे पहले पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति को किसने देखा?
a) सुपरिंटेंडेंट
b) चपरासी
c) माली
d) क्लर्क
उत्तर – c) माली - लोगों ने पेड़ के बारे में सबसे पहले क्या चर्चा की?
a) पेड़ की जामुनों की रसीलापन
b) दबे हुए व्यक्ति की स्थिति
c) पेड़ काटने की योजना
d) फाइल की प्रक्रिया
उत्तर – a) पेड़ की जामुनों की रसीलापन - सुपरिंटेंडेंट ने पेड़ हटाने से पहले किससे अनुमति माँगी?
a) माली
b) अंडर-सेक्रेटरी
c) चीफ सेक्रेटरी
d) मिनिस्टर
उत्तर – b) अंडर-सेक्रेटरी - पेड़ हटाने की जिम्मेदारी पहले किस विभाग को सौंपी गई?
a) हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट
b) कृषि-विभाग
c) व्यापार-विभाग
d) सांस्कृतिक विभाग
उत्तर – b) कृषि-विभाग - कृषि-विभाग ने पेड़ हटाने की जिम्मेदारी क्यों नहीं ली?
a) क्योंकि पेड़ व्यापार-विभाग के लॉन में था
b) क्योंकि पेड़ फलदार था
c) क्योंकि उनके पास संसाधन नहीं थे
d) क्योंकि यह विदेश-विभाग का मामला था
उत्तर – a) क्योंकि पेड़ व्यापार-विभाग के लॉन में था - हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट ने पेड़ काटने से क्यों मना किया?
a) क्योंकि पेड़ विदेशी था
b) क्योंकि वे ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम चला रहे थे
c) क्योंकि उनके पास अनुमति नहीं थी
d) क्योंकि पेड़ बहुत पुराना था
उत्तर – b) क्योंकि वे ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम चला रहे थे - दबे हुए व्यक्ति ने अपनी स्थिति के बारे में क्या कहा?
a) मैं लावारिस हूँ
b) मैं मर चुका हूँ
c) मुझे तुरंत निकालो
d) मैं ठीक हूँ
उत्तर – a) मैं लावारिस हूँ - दबे हुए व्यक्ति को खाना किसने खिलाया?
a) सुपरिंटेंडेंट
b) माली
c) पुलिस कांस्टेबल
d) क्लर्क
उत्तर – b) माली - दबे हुए व्यक्ति के कवि होने की खबर कैसे फैली?
a) उसने खुद बताया
b) माली ने चपरासी को बताया
c) सुपरिंटेंडेंट ने घोषणा की
d) अखबार में छपा
उत्तर – b) माली ने चपरासी को बताया - दबे हुए कवि का उपनाम क्या था?
a) गालिब
b) ओस
c) तुलसी
d) मीर
उत्तर – b) ओस - साहित्य अकादमी ने कवि के लिए क्या किया?
a) उसे पेड़ के नीचे से निकाला
b) उसे अपनी केंद्रीय शाखा का सदस्य बनाया
c) उसे पुरस्कार दिया
d) उसकी कविताएँ प्रकाशित कीं
उत्तर – b) उसे अपनी केंद्रीय शाखा का सदस्य बनाया - पेड़ को काटने से रोकने का अंतिम कारण क्या था?
a) पेड़ बहुत भारी था
b) विदेश-विभाग ने मना किया
c) पेड़ फलदार था
d) माली ने विरोध किया
उत्तर – b) विदेश-विभाग ने मना किया - विदेश-विभाग ने पेड़ काटने से क्यों मना किया?
a) क्योंकि पेड़ पुराना था
b) क्योंकि पेड़ पीटोनिया के प्रधानमंत्री ने लगाया था
c) क्योंकि पेड़ दुर्लभ प्रजाति का था
d) क्योंकि पेड़ काटना महंगा था
उत्तर – b) क्योंकि पेड़ पीटोनिया के प्रधानमंत्री ने लगाया था - अंत में पेड़ काटने का फैसला किसने लिया?
a) साहित्य अकादमी
b) विदेश-विभाग
c) प्रधानमंत्री
d) माली
उत्तर – c) प्रधानमंत्री - कवि की मृत्यु का कारण क्या था?
a) भूख
b) पेड़ के नीचे दबे रहने की देरी
c) बीमारी
d) पुलिस की लापरवाही
उत्तर – b) पेड़ के नीचे दबे रहने की देरी - कहानी में कवि ने कौन-सा शेर कहा?
a) मिर्ज़ा गालिब का
b) अपनी रचना
c) तुलसीदास का
d) कबीर का
उत्तर – a) मिर्ज़ा गालिब का - कहानी का अंत क्या दर्शाता है?
a) नौकरशाही की उदासीनता
b) पेड़ की उपयोगिता
c) कवि की प्रसिद्धि
d) माली की मेहनत
उत्तर – a) नौकरशाही की उदासीनता
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – सेक्रेटेरियेट के लॉन में कौन सा पेड़ गिरा था?
उत्तर – सेक्रेटेरियेट के लॉन में जामुन का एक फलदार पेड़ गिरा था।
प्रश्न 2 – माली ने सबसे पहले पेड़ गिरने और आदमी के दबने की सूचना किसे दी?
उत्तर – माली ने सबसे पहले यह सूचना चपरासी को दी।
प्रश्न 3 – क्लर्क दबे हुए आदमी के बजाय किस बात पर अफसोस कर रहे थे?
उत्तर – क्लर्क पेड़ की रसीली जामुनों को याद करके अफसोस कर रहे थे जो वे अब नहीं खा पाएँगे।
प्रश्न 4 – दबे हुए आदमी को खाना खिलाने की अनुमति किस पुलिस वाले ने दी?
उत्तर – एक दयालु पुलिस कांस्टेबल ने माली को दबे हुए आदमी को खाना खिलाने की अनुमति दी।
प्रश्न 5 – माली के अनुसार, यह अच्छा क्यों हुआ कि पेड़ का तना आदमी के कूल्हे पर गिरा?
उत्तर – माली के अनुसार, यह अच्छा हुआ क्योंकि अगर तना कमर पर गिरता तो उसकी रीढ़ की हड्डी टूट जाती।
प्रश्न 6 – दबे हुए आदमी को काटने का बेतुका सुझाव किसने दिया था?
उत्तर – यह बेतुका सुझाव एक मनचले व्यक्ति ने दिया था।
प्रश्न 7 – प्लास्टिक सर्जन ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?
उत्तर – प्लास्टिक सर्जन ने कहा कि ऑपरेशन सफल हो जाएगा, मगर आदमी मर जाएगा।
प्रश्न 8 – दबे हुए आदमी के शायर होने का पता कैसे चला?
उत्तर – जब माली ने उससे कहा कि उसकी फाइल चल रही है, तो उसने आह भरकर गालिब का एक शेर कहा, जिससे माली को उसके शायर होने का पता चला।
प्रश्न 9 – दबे हुए कवि का उपनाम (तखल्लुस) क्या था?
उत्तर – दबे हुए कवि का उपनाम “ओस” था।
प्रश्न 10 – कवि की प्रसिद्ध गद्य-संग्रह का क्या नाम था?
उत्तर – कवि की प्रसिद्ध गद्य-संग्रह का नाम “ओस के फूल” था।
प्रश्न 11 – साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी ने कवि को बचाने की जगह क्या किया?
उत्तर – साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी ने कवि को अकादमी की केंद्रीय शाखा का सदस्य चुन लिया और उसे चुनाव-पत्र दिया।
प्रश्न 12 – सेक्रेटरी के अनुसार, पेड़ काटने का मामला किस चीज से संबंधित था?
उत्तर – सेक्रेटरी के अनुसार, पेड़ काटने का मामला कलम-दवात से नहीं, बल्कि आरी-कुल्हाड़ी से संबंधित था।
प्रश्न 13 – पेड़ को काटने से क्यों रोक दिया गया?
उत्तर – पेड़ को काटने से इसलिए रोक दिया गया क्योंकि विदेश-विभाग से हुक्म आया था कि उस पेड़ को दस साल पहले पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था।
प्रश्न 14 – एक क्लर्क ने आदमी की जान से ज्यादा महत्त्वपूर्ण किसे बताया?
उत्तर – एक क्लर्क ने आदमी की जान से ज्यादा महत्त्वपूर्ण दो राज्यों (भारत और पीटोनिया) के संबंधों को बताया।
प्रश्न 15 – पेड़ काटने का अंतिम आदेश किसने दिया?
उत्तर – पेड़ काटने का अंतिम आदेश देश के प्रधानमंत्री ने दिया।
प्रश्न 16 – जब सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर पहुँचा, तब कवि की क्या दशा थी?
उत्तर – जब सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर पहुँचा, तब कवि का हाथ ठंडा पड़ चुका था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव थीं और चींटियों की एक कतार उसके मुँह में जा रही थी, अर्थात वह मर चुका था।
प्रश्न 17 – “तुम्हारी फाइल पूर्ण हो गई” का दोहरा अर्थ क्या है?
उत्तर – इसका पहला अर्थ है कि सरकारी कागजी कार्रवाई पूरी हो गई और दूसरा व्यंग्यात्मक अर्थ है कि उस आदमी के जीवन का अध्याय समाप्त हो गया।
प्रश्न 18 – यह कहानी किस सामाजिक बुराई पर चोट करती है?
उत्तर – यह कहानी सरकारी दफ्तरों में व्याप्त लालफीताशाही और संवेदनहीनता पर गहरी चोट करती है।
प्रश्न 19 – हॉर्टीकल्चर विभाग के सेक्रेटरी ने पेड़ काटने की इजाजत क्यों नहीं दी?
उत्तर – हॉर्टीकल्चर विभाग के सेक्रेटरी ने यह कहकर इजाजत नहीं दी कि उनका विभाग ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम चला रहा है, ऐसे में वे एक फलदार पेड़ को काटने की अनुमति नहीं दे सकते।
प्रश्न 20 – कहानी में माली की भूमिका क्या दर्शाती है?
उत्तर – कहानी में माली की भूमिका दर्शाती है कि दफ़्तरशही व्यवस्था के बाहर आम आदमी में अभी भी मानवता और संवेदना जीवित है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- कहानी “जामुन का पेड़” का मुख्य व्यंग्य क्या है?
उत्तर – कहानी नौकरशाही की लालफीताशाही और उदासीनता पर व्यंग्य करती है। एक कवि पेड़ के नीचे दबा है, लेकिन विभाग फाइलों को टालते रहते हैं, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है, जो मानव जीवन के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है। - पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति की पहचान क्या थी?
उत्तर – पेड़ के नीचे दबा व्यक्ति एक कवि था, जिसका उपनाम “ओस” था। उसका गद्य-संग्रह “ओस के फूल” हाल ही में प्रकाशित हुआ था, लेकिन वह गुमनामी में था और लावारिस था। - माली ने दबे हुए कवि के लिए क्या किया?
उत्तर – माली ने कवि को खाना खिलाया, उसकी स्थिति का ख्याल रखा और उसकी खबर चपरासी को दी। उसने कवि को आश्वासन दिया कि उसकी फाइल चल रही है और जल्द फैसला हो जाएगा। - नौकरशाही ने कवि को बचाने में क्या बाधा डाली?
उत्तर – नौकरशाही ने फाइलों को विभिन्न विभागों—कृषि, बागवानी, सांस्कृतिक, वन और विदेश विभाग—के बीच टालकर देरी की। प्रत्येक विभाग ने जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की, जिससे कवि को समय पर नहीं बचाया जा सका। - हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट ने पेड़ काटने से क्यों मना किया?
उत्तर – हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट ने ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम का हवाला देकर पेड़ काटने से मना किया। उन्होंने इसे फलदार पेड़ बताकर काटने की अनुमति देने से इनकार किया, जो उनकी नौकरशाही मानसिकता को दर्शाता है। - कवि ने अपनी स्थिति में क्या शेर कहा?
उत्तर – कवि ने मिर्ज़ा गालिब का शेर कहा – “ये तो माना कि तगाफ़ुल न करोगे लेकिन खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!” यह उसकी निराशा और नौकरशाही की देरी को दर्शाता है। - साहित्य अकादमी ने कवि के लिए क्या किया?
उत्तर – साहित्य अकादमी ने कवि को अपनी केंद्रीय शाखा का सदस्य चुन लिया और उसे चुनाव-पत्र दिया। लेकिन वे पेड़ हटाने में असमर्थ रहे, क्योंकि यह उनके क्षेत्र से बाहर था। - विदेश-विभाग ने पेड़ काटने से क्यों रोका?
उत्तर – विदेश-विभाग ने पेड़ काटने से इसलिए मना किया क्योंकि इसे पीटोनिया के प्रधानमंत्री ने लगाया था। पेड़ काटने से दोनों देशों के संबंध बिगड़ने का डर था, जो राजनयिक प्राथमिकता को दर्शाता है। - कहानी में माली की भूमिका क्या थी?
उत्तर – माली ने कवि को खाना खिलाकर और उसकी खबर फैलाकर उसकी मदद की। वह कवि की स्थिति से सहानुभूति रखता था और उसे आश्वासन देता रहा, पर नौकरशाही की देरी के सामने वह असहाय था। - कहानी का अंत कवि की मृत्यु से क्या संदेश देता है?
उत्तर – कवि की मृत्यु नौकरशाही की लालफीताशाही और मानव जीवन के प्रति उदासीनता को उजागर करती है। जब तक फाइलों का चक्कर पूरा हुआ, कवि मर चुका था, जो व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- कहानी “जामुन का पेड़” में नौकरशाही की लालफीताशाही को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर – कहानी में नौकरशाही की लालफीताशाही को फाइलों के विभिन्न विभागों—कृषि, बागवानी, सांस्कृतिक, वन और विदेश विभाग—के बीच टालमटोल के माध्यम से दर्शाया गया है। प्रत्येक विभाग जिम्मेदारी से बचता है, जिससे कवि को बचाने में देरी होती है। यह देरी अंततः कवि की मृत्यु का कारण बनती है, जो व्यवस्था की मानव जीवन के प्रति उदासीनता को उजागर करती है। - कहानी में जामुन के पेड़ का प्रतीकात्मक महत्त्व क्या है?
उत्तर – जामुन का पेड़ नौकरशाही की जटिलता और मानव जीवन के प्रति उसकी उदासीनता का प्रतीक है। लोग इसकी जामुनों और उपयोगिता की बात करते हैं, लेकिन दबे हुए कवि की जान की परवाह नहीं करते। पेड़ का पीटोनिया के प्रधानमंत्री द्वारा लगाया जाना राजनयिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है, जो मानवता से ऊपर रखी जाती है। - कहानी में कवि की स्थिति समाज में उसकी उपेक्षा को कैसे दर्शाती है?
उत्तर – कवि की गुमनामी और लावारिस स्थिति समाज में कलाकारों की उपेक्षा को दर्शाती है। उसका “ओस के फूल” प्रकाशित होने के बावजूद, वह अज्ञात रहता है। नौकरशाही उसे बचाने के बजाय फाइलों में उलझी रहती है, और उसकी मृत्यु समाज की संवेदनहीनता और कलाकारों के प्रति लापरवाही को उजागर करती है। - कहानी में माली और अन्य कर्मचारियों की भूमिका में क्या अंतर है?
उत्तर – माली दयालु और सहानुभूतिपूर्ण है, जो कवि को खाना खिलाता है और उसकी खबर फैलाता है। अन्य कर्मचारी, जैसे क्लर्क और सुपरिंटेंडेंट, पेड़ की जामुनों की चर्चा करते हैं और नौकरशाही प्रक्रिया में उलझे रहते हैं। माली की मानवता अन्य कर्मचारियों की उदासीनता और औपचारिकता के विपरीत है, जो व्यवस्था की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। - कहानी का अंत कवि की मृत्यु के साथ क्या संदेश देता है?
उत्तर – कवि की मृत्यु नौकरशाही की देरी और मानव जीवन के प्रति उदासीनता का कटु संदेश देती है। जब तक फाइलों का चक्कर पूरा होता है और पेड़ काटने का फैसला होता है, कवि मर चुका होता है। यह व्यवस्था की विफलता, प्राथमिकताओं की गलत व्यवस्था और समाज में कलाकारों की उपेक्षा को दर्शाता है।

