Path 5.2: Meghalaya Ka Ek Gaon: Mawlynnong, Yatra Vrittant, Anita Saxena, Class IX, Hindi Book, Chhattisgarh Board, The Best Solutions.

अनीता सक्सेना – लेखक परिचय

अनीता सक्सेना का जन्म 7 नवम्बर सन् 1956 ई. को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ। वे कला व साहित्य के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। वर्तमान में भोपाल में रहती हैं। उन्हें राज्यपाल द्वारा मध्य प्रदेश की स्टार यूनिसेफ वॉलंटियर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने देश-विदेश में कई जगहों की यात्राएँ की हैं। उनके यात्रावृत्त विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। टेलीविजन और आकाशवाणी के कार्यक्रमों में कहानी, कविता, पठन के माध्यम से सक्रिय हैं।

पाठ परिचय

मेघालय का एक गाँव मायलिनोंग एक रोचक यात्रा वृत्तांत है। चित्रात्मक शैली में लिखा गया यह यात्रावृत्त हमें अनेक छोटे-छोटे अनुभवों के जरिये एक ऐसे गांव का साक्षात्कार कराता है जिसे कि भारतवर्ष का सबसे स्वच्छ गांव घोषित किया गया है। अपने प्राकृतिक परिवेश से परिचित कराने के साथ यहां के निवासियों की साफ-सुथरी जीवन शैली से पाठकों को आकर्षित करना है।

मेघालय का एक गाँव  – मायलिनोंग

हाल ही में मुझे मेघालय जाने का मौका मिला। मेघालय (यानी बादलों का घर) की राजधानी शिलांग है। वहाँ पहुँचकर मुझे पता चला कि शिलांग से 75 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा है, एशिया का सबसे साफ-सुथरा गाँव कहा जानेवाला मायलिनोंग और मैंने वहाँ जाने का मन बना लिया।

हमारी यात्रा शुरू हुई। जल्द ही हम पहाड़ों के ऊपर थे। कहीं पहाड़ी झरने गिर रहे थे तो कहीं घने जंगल थे। मैंने देखा कि लोगों ने बाँस को आधा काटकर उसकी नाली बना दी थी, इससे पहाड़ से तेज धार में गिरनेवाले पानी को उसका सहारा मिल गया था।

आसमान में रुई के फाहों जैसे बादल उड़ रहे थे। पहाड़ पर चढ़ते वक्त हमारी कार के काँच पर नन्हीं-नन्हीं बूँदें दिखने लगीं। मैंने कहा, “अरे, बारिश आ गई!” गोबिन कार रोककर बोला, “नहीं मैडम जी, यह बारिश नहीं, बादल है। आप बाहर निकल कर देखिए जरा।” और सच में बाहर बिलकुल बारिश न थी। कार के ऊपर से बूँद-बूँद मिलकर पानी की धारा बहने लगी थी लेकिन ऐसे बाहर हाथ फैलाओ तो कुछ हाथ नहीं आता था। अद्भुत नजारा था ! चारों तरफ सफेद बादलों का समंदर लहरा रहा था। जहाँ हम खड़े थे वहाँ से दस मीटर की दूरी पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। सड़क से गुजरती सारी गाड़ियों ने अपनी इमरजेंसी लाइट जलाई हुई थीं। सामने से भी गाड़ियाँ आ रही थीं। सभी बहुत ही धीमे और एक के पीछे एक चल रही थीं ताकि कोई दुर्घटना न घट जाए। पहाड़ी रास्ता था। एक तरफ हजारों मीटर गहरी खाई थी, दूसरी तरफ पहाड़।

 

धुंध में रास्ता कुछ समझ नहीं आ रहा था। एक छोटी-सी जगह पर गोबिन ने गाड़ी रोककर एक टैक्सीवाले से द्वाकी का रास्ता पूछा। द्वाकी मुख्य सड़क पर बसा एक छोटा सा शहर है। टैक्सीवाला बोला, “मैं वहीं जा रहा हूँ। मेरे पीछे-पीछे चले आओ।” सारी बातचीत गोबिन के माध्यम से असमी में ही हो रही थी। हिंदी यहाँ कम ही बोलते हैं। धुंध में हम उसके पीछे-पीछे चल दिए।

आगे जाकर पोनटोंग नाम की एक जगह आई जहाँ से एक रास्ता द्वाकी जा रहा था और दूसरा मायलिनोंग। वहाँ उस सूमो के ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और काँच खोलकर इशारा किया कि इस तरफ चले जाइए और हमारी गाड़ी वहाँ से अठारह किमी दूर मायलिनोंग की तरफ बढ़ चली।

ट्रेवल मैगज़ीन डिस्कवर इंडिया द्वारा 2003 में मायलिनोंग को एशियाज क्लीनेस्ट विलेजकी उपाधि दी गई। इसके बाद 2005 में इसे भारत का सबसे साफ गाँव घोषित किया गया। यहाँ कचरा डालने के लिए जगह-जगह बाँस की टोकरियाँ लगाई गई हैं। इनमें इकट्ठे हुए कचरे से फिर खाद बनाई जाती है। आम जनता के लिए सड़क किनारे बने साफ-सुथरे शौचालय हैं।

मायलिनोंग में हमारा गाइड हेनरी बना। हेनरी यहाँ घूमने आए लोगों को गाँव दिखाने और उनके रहने-खाने की व्यवस्था का काम करता है। वह अंग्रेजी और खासी दो भाषाएँ जानता है।

हेनरी सबसे पहले हमें ट्री हाउस और बाँस के कॉटेज दिखाने ले गया। वे बेहद खूबसूरत थे, उन्हें हेनरी के पिता ने बनाया था। ट्री हाउस बनाने के लिए सड़क के दोनों ओर के बड़े-बड़े पेड़ों को बाँस से जोड़ा गया था, उसके ऊपर मचान जैसा एक घर बना था। नीचे बाँसों की सीढ़ी से एक घुमावदार रास्ता बना था। सारा काम बाँस का ही था। यहाँ तक कि बाँधने के लिए भी बाँस की ही पतली छालें इस्तेमाल की गई थीं। मैं ट्री हाउस में एकदम ऊपर तक चढ़ गई। ट्री हाउस की छत से दूर तक एक समन्दर दिखा। यह बांग्लादेश में आई बाढ़ का पानी है। बांग्लादेश यहाँ से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है। लोग पैदल ही वहाँ आना-जाना कर सकते हैं।

लाइव रूट ब्रिज

हम लोग लाइव रूट ब्रिज के रास्ते की ओर चल दिए। गाँव के अंदर से ही नीचे जंगल की तरफ उतरना था। शुरू में तो कोई दिक्कत नहीं हुई पर जब खड़ी चट्टानों से उतरना पड़ा तो फिसलने की चिन्ता हुई। मुझे यह ख्याल बार-बार सताने लगा कि चढ़ते समय क्या हाल होगा। खैर, हम धीरे-धीरे नीचे उतरते गए। कहीं-कहीं पर पक्की सीढ़ियाँ भी बनी थीं। चारों तरफ घना जंगल था। हमारे सिवा वहाँ और कोई नहीं दिख रहा था। शायद कम ही लोग आते होंगे यहाँ।

नदी के तेज बहाव की आवाज आ रही थी। जल्दी ही रूट ब्रिज हमें दिखाई दे गया। अद्भुत दृश्य था- नीचे तेज बहती वाह थिलोंग नदी और उसके ऊपर लाइव रूट ब्रिज यानी रबर के पेड़ों की मोटी-मोटी जड़ों को जोड़-जोड़ कर बनाया गया पुल ऐसी जड़ें जिन्हें कहीं से भी बाँधा नहीं गया था। जो स्वाभाविक रूप से जुड़ी हुई थीं। पुल अच्छा-खासा चौड़ा था। उस पर बीच में मिट्टी बिछी हुई थी और गोल-गोल पत्थर रखे हुए थे।

 

हेनरी ने बताया कि यह पुल बहुत मज़बूत है। तीस लोग भी खड़े हो जाएँ तो इसका कुछ नहीं बिगड़ने वाला। हम लोग पुल पार कर उसके दूसरी तरफ पहुँचे। वहाँ दूसरे गाँव जाने के लिए पहाड़ काटकर सीढ़ियाँ बनाई गई थीं। हम लोगों ने चारों तरफ से पुल का मुआयना किया। हर तरफ से वह और ज्यादा सुंदर दिखता। यह कुदरत नहीं इंसान का करिश्मा था।

इस बीच हम हेनरी के पिता से मिले। मैंने उनको अभिवादन किया तो उनके चेहरे की झुर्रियों के बीच एक भोली सी मुस्कान छा गई। उनकी उम्र करीब साठ बासठ होगी। वे सिर्फ खासी भाषा जानते थे। हेनरी हमारा दुभाषिया बना।

मैंने पूछा, “आपका नाम क्या है?”

वे कुछ बोलते इससे पहले हेनरी बोल पड़ा- “दिसम्बर।”

“हाँ, मैडम जी। इनका नाम दिसम्बर और मेरी माँ का नाम है फेस्टिवल। यहाँ ऐसे ही नाम रखे जाते हैं। आपको गाँव में वोडाफोन, आइडिया, एयरटेल जैसे नाम भी मिल जाएँगे। जो नाम सुने जाते हैं वही रख दिए जाते हैं। यहाँ महीनों के नाम पर, सप्ताह के दिनों के नाम पर भी लोगों के नाम हैं।”

दिसम्बर जी से मेरी बातचीत शुरू हुई। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने दादा से इस पुल के बारे में सुना था। खासी जनजाति के लोगों का मकसद, ऐसे पुल नोवेत गाँव से रिवाई गाँव को जोड़ना है।

पुल बनाने की इस परंपरा को एक विशेष जनजाति के लोगों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रखा है। आज वे कहाँ पुल बना रहे होंगे कोई नहीं जानता। एक पुल बनाने में करीब सौ साल लग जाते हैं। लाइव रूट ब्रिज बनाने के लिए सबसे पहले रबर के पौधों को सोचे-समझे तरीके से लगाया जाता है। जब पौधे बड़े होने लगते हैं और उनकी हवाई जड़ें (सपोर्टिंग रूट्स) बाहर लटकने लगती हैं तब उनको बाँसों से चोटी की तरह गूँथते हुए चलते हैं। यह कोई एक दिन का काम नहीं होता, न ही एक महीने का, क्योंकि जीवित पेड़ों की जड़ें तब तक बढ़ नहीं जातीं तब तक उन्हें बाँधा नहीं जा सकता। रस्सी की तरह बढ़ती ये जड़ें चिपकती जाती हैं। एक-दूसरे से बँधती जाती हैं, धीरे-धीरे बाँसों की जगह बदलती जाती हैं। हमने जो पुल देखा वह करीब तीन सौ साल पुराना है।

मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा था। “ऐसे पुल और कहाँ हैं?” मैंने पूछा। उन्होंने बताया कि चेरापूँजी के पास डबल डेकर पुल हैं, यानी एक पुल के ऊपर एक और पुल।

अचानक मुझे ट्री हाउस याद आया। मैंने उनसे इशारे में कहा कि आपने बहुत ही सुन्दर घर बनाया है तो वे मुस्कुरा उठे। “कितने दिन लगे इसे बनाने में?” मैंने पूछा।

हेनरी ने बताया, “दो महीने।”

मैंने पूछा “आपने ट्री-हाउस के सहारे के लिए जो बड़े-बड़े पेड़ों के तने लगाए हैं वे किस पेड़ के हैं?” वे बोले “कटहल के।”

दिसम्बर जी से बात करते-करते समय का पता ही नहीं चला। बाहर अँधेरा हो गया था और बारिश भी हो रही थी। वैसे भी यहाँ रात जल्दी हो जाती है। हेनरी ने जब कहा कि आप खाना खाकर सो जाइए तो हम फौरन मान गए। हम थक भी बहुत गए थे।

हेनरी की बहन सारा ने बहुत स्वादिष्ट दाल-चावल और परवल की सब्जी बनाई थी। उसे खाकर हम लोग गहरी नींद में सो गए।

सारी रात बारिश होती रही। सुबह उठे तो बिजली गायब थी। बाहर बादलों ने हमें चारों तरफ से घेरा हुआ था। अच्छा हुआ जो कल हम रूट ब्रिज देख आए थे। आज तो जाना संभव ही नहीं होता।

यहाँ चूँकि बारिश बहुत तेज होती है इसलिए हरियाली ज़्यादा और धूल कम है। यहाँ खासतौर पर सुपारी, काली मिर्च, तेज पत्ता, बाँस, फूल-झाडू, कटहल, लीची, अनन्नास, संतरा, केला आदि के पेड़ मिलते हैं। यहाँ मैंने पिचर प्लांट भी देखा। छोटे-छोटे कीड़े जब उसके पास पहुँचते हैं तो वह झट से ढक्कन बंद कर देता है। जब वे कीड़े मर जाते हैं तब उनको खा जाता है।

नीचे पहाड़ पर लकड़ी के बड़े-बड़े खम्बों के सहारे बनी कॉटेज में दो बड़े-बड़े कमरे, शौचालय और एक डायनिंग रूम था। सब कुछ बना था लकड़ी और बाँस का। बाँस की चटाइयों की दीवारें और छत सुपारी व झाडू के पत्तों से बनी है। छत इतनी मज़बूत और वाटर प्रूफ है कि लगातार होनेवाली बारिशों में भी एक भी बूँद पानी अंदर नहीं टपकता।

घने जंगल और पहाड़ों के बीच बसा होने के कारण मायलिनोंग किसी भी कमी का एहसास नहीं कराता। यहाँ लोग पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करते। हेनरी ने बताया कि मायलिनोंग में 94 परिवार बसे हुए हैं। यहाँ कुल 506 लोग रहते हैं। साक्षरता की दर यहाँ सौ प्रतिशत है। गाँव में दो स्कूल हैं- एक खासी और एक अंग्रेजी माध्यम का। सभी बच्चे पढ़ने जाते हैं। आठवीं के बाद पढ़ाई के लिए बच्चे शिलांग जाते हैं।

यहाँ के लोग खाना मिट्टी के चूल्हे पर बनाते हैं। चूँकि यहाँ बारिश ज्यादा होती है इसलिए चूल्हे के ऊपर बने एक झूले में लकड़ियाँ सुखाने के लिए रख दी जाती हैं, गर्म धुएँ से लकड़ियाँ सूख जाती हैं। इनका कपड़े सुखाने का तरीका भी निराला है, इन्होंने बाँस का एक बड़ा-सा पिंजरा बनाया हुआ है, जिसके नीचे कोयले के जलते हुए अंगार रख देते हैं और ऊपर कपड़े फैला दिए जाते हैं, हल्की गर्मी के ताप से कपड़े सूख जाते हैं।

मायलिनोंग में एक छोटी-सी दुकान है जो साबुन, मोमबत्ती, माचिस वगैरह छोटी-मोटी जरुरतों को पूरा करती है। मायलिनोंग से दो टैक्सियाँ हर रोज सुबह शिलांग जाती हैं और शाम को वापस आती हैं। यहाँ के लोग आटा, दाल, चावल, हरी सब्जियाँ तथा खाने-पीने का हर सामान शिलांग से ही लाते हैं। यहाँ सब्जी, अनाज कुछ भी पैदा नहीं होता। हाँ मछली, सुअर, मुर्गियाँ जरुर पाली जाती हैं। हेनरी ने बताया कि शिलांग से मायलिनोंग के बीच सड़क बने बारह साल हुए हैं। इसके पहले आना-जाना और मुश्किल था। गाँव के मुखिया को सभी हेडमैन कहते हैं, उन्होंने गाँव को साफ़-सुथरा रखने के लिए नियमों को जगह-जगह लगा रखा है। जिसका सभी गाँववाले पालन करते हैं।

रूट ब्रिज के रास्ते में मैंने बड़े बच्चों को एक रोचक खेल खेलते देखा। केले के एक तने को उन्होंने जमीन में गाड़ दिया था। दूर एक रेखा खिंची हुई थी जिसके पीछे खड़े होकर वे नुकीले तीर से उस तने को भेदने की कोशिश कर रहे थे। आसपास खड़े बच्चे निशाना लगने पर तालियाँ बजा रहे थे।

हम भी इस अनूठी जगह के लिए मन ही मन तालियाँ बजाते हुए आगे बढ़ गए…….  

शब्दार्थ –

मुआयना – निरीक्षण

दुभाषिया – दो भाषा-भाषी लोगों के बीच संवाद स्थापित करनेवाला

मकसद – उद्देश्य

कठिन शब्द (Difficult Word)

हिंदी अर्थ (Hindi Meaning)

अंग्रेज़ी अर्थ (English Meaning)

रुई के फाहों

रुई के गोल, हल्के टुकड़े

Cotton fluff/tufts

अद्भुत

निराला, अनोखा, विस्मयकारी

Marvellous, amazing, wonderful

समंदर

बहुत बड़ा जलराशि, सागर

Sea, ocean

दुर्घटना

बुरी घटना, अनहोनी

Accident, mishap

झुर्रियों

त्वचा पर पड़ी सिलवटें

Wrinkles

भोली

सीधी, नासमझ, सरल

Innocent, simple

मुआयना

जाँच, बारीकी से देखना

Inspection, close examination

दुभाषिया

दो भाषाओं का अनुवाद करनेवाला

Interpreter, translator

पीढ़ी-दर-पीढ़ी

एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक

Generation after generation

नोवेत

एक गाँव का नाम (गद्यांश के अनुसार)

Name of a village (as per the text)

रिवाई

एक गाँव का नाम (गद्यांश के अनुसार)

Name of a village (as per the text)

साक्षरता

पढ़ा-लिखा होना, शिक्षा का स्तर

Literacy, literacy rate

निराला

अद्भुत, अनूठा, असाधारण

Unique, extraordinary

पिचर प्लांट

कीटभक्षी पौधा (घटपर्णी)

Pitcher Plant (Insectivorous plant)

झट से

तुरंत, बिना देर किए

Quickly, instantly

पाठ से

  1. मायलिनोंग गाँव में बने घरों व कॉटेज की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर – मायलिनोंग गाँव में बने घर और कॉटेज पूरी तरह से प्राकृतिक चीजों से बने हैं। इनकी मुख्य विशेषताएँ हैं –

वे लकड़ी और बाँस के बड़े-बड़े खंभों के सहारे बनाए जाते हैं।

उनकी दीवारें बाँस की चटाइयों से बनी होती हैं।

छतें सुपारी और झाड़ू के पत्तों से बनाई जाती हैं, जो इतनी मजबूत और वाटरप्रूफ होती हैं कि तेज बारिश में भी पानी अंदर नहीं टपकता।

  1. पहाड़ पर चढ़ते हुए दृश्य को लेखिका ने अद्भुत क्यों कहा है?

उत्तर – पहाड़ पर चढ़ते हुए लेखिका ने दृश्य को अद्भुत इसलिए कहा क्योंकि वे बादलों के समंदर के बीच थीं। चारों तरफ रुई के फाहों जैसे सफेद बादल उड़ रहे थे। कार के शीशे पर पानी की नन्हीं-नन्हीं बूँदें थीं, लेकिन बाहर हाथ फैलाने पर बारिश महसूस नहीं हो रही थी। यह पानी बारिश का नहीं, बल्कि बादलों का था। चारों तरफ इतनी धुंध थी कि कुछ मीटर की दूरी पर भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। यह नज़ारा उनके लिए बिल्कुल नया और आश्चर्यजनक था।

  1. गाँव के पुल का नाम “लाइव रूट ब्रिज” ही क्यों रखा गया होगा?

उत्तर – गाँव के पुल का नाम “लाइव रूट ब्रिज” इसलिए रखा गया है क्योंकि यह पुल किसी निर्जीव वस्तु (जैसे लकड़ी, लोहा या सीमेंट) से नहीं, बल्कि रबर के पेड़ की जीवित जड़ों (Live Roots) से बना है। इन जड़ों को आपस में गूँथकर नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुँचाया जाता है और वे समय के साथ बढ़कर और मजबूत होकर एक प्राकृतिक पुल का रूप ले लेती हैं। चूँकि यह एक जीवित पुल है, इसीलिए इसे “लाइव रूट ब्रिज” कहते हैं।

  1. यह कोई एक दिन का काम नहीं होता, न ही एक महीने का।” लाइव रूट ब्रिज के बारे में ऐसा क्यों कहा गया?

उत्तर – लाइव रूट ब्रिज के बारे में ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि इसे बनाने की प्रक्रिया बहुत धीमी और प्राकृतिक है। इसके लिए पहले सही जगह पर रबर के पौधे लगाए जाते हैं। जब वे बड़े होते हैं और उनकी जड़ें लटकने लगती हैं, तब उन्हें बाँसों के सहारे धीरे-धीरे गूँथा जाता है। जड़ों को बढ़ने और आपस में जुड़कर मजबूत होने में कई दशक लग जाते हैं। पाठ के अनुसार, एक पुल को पूरी तरह तैयार होने में करीब सौ साल तक लग सकते हैं।

  1. मायलिनोंग में किस प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं? और स्थानीय लोग इनका किस-किस तरह से उपयोग करते हैं?

उत्तर – मायलिनोंग में सुपारी, काली मिर्च, तेज पत्ता, बाँस, फूल-झाडू, कटहल, लीची, अनन्नास, संतरा और केला जैसे पेड़-पौधे पाए जाते हैं।

स्थानीय लोग इनका उपयोग इस प्रकार करते हैं –

बाँस – घर, कॉटेज, कचरे की टोकरियाँ, सीढ़ियाँ और पानी की नाली बनाने के लिए।

सुपारी और फूल-झाडू के पत्ते – घरों की छत बनाने के लिए।

कटहल के पेड़ – इसके मजबूत तनों का उपयोग ट्री-हाउस बनाने के लिए किया जाता है।

रबर के पेड़ – इनकी जड़ों से लाइव रूट ब्रिज बनाया जाता है।

  1. मायलिनोंग को एशिया और भारत का सबसे स्वच्छ गाँव घोषित किया गया। ऐसी कौन-कौन सी विशेष बातें हैं, जिनके कारण इसे यह सम्मान प्राप्त हुआ?

उत्तर – मायलिनोंग को यह सम्मान मिलने के पीछे निम्नलिखित विशेष बातें हैं –

कचरा प्रबंधन – गाँव में जगह-जगह कचरा डालने के लिए बाँस की टोकरियाँ लगी हैं और इकट्ठे हुए कचरे से खाद बनाई जाती है।

स्वच्छता – गाँव में आम जनता के लिए भी साफ-सुथरे शौचालय हैं।

पॉलिथीन मुक्त – गाँव के लोग पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करते।

सामुदायिक भागीदारी – गाँव के मुखिया द्वारा बनाए गए स्वच्छता के नियमों का सभी गाँव वाले सख्ती से पालन करते हैं।

 

पाठ से आगे

  1. मायलिनोंग में लोगों के नाम हमारे और आपके नामों से भिन्न रखे जाते हैं, जैसे- फेस्टिवल, वोडाफोन, एयरटेल, दिसम्बर आदि।

(क) कल्पना करके लिखिए कि मायलिनोंग के लोगों ने और कौन-कौन से नए नाम रखे होंगे?

उत्तर – मायलिनोंग के लोगों ने इस तरह के और भी नए नाम रखे होंगे, जैसे –

महीनों के नाम पर – जनवरी, अप्रैल, अगस्त।

दिनों के नाम पर – संडे, मंडे, फ्राइडे।

ब्रांड्स के नाम पर – गूगल, सैमसंग, नोकिया।

अंग्रेजी शब्दों पर – वेलकम, हैप्पी, शाइनिंग, रॉकेट।

(ख) सुखिया की काकी का नाम बुधवारी बाईहै क्योंकि वह बुधवार के दिन पैदा हुई थी। इसी प्रकार आपके आसपास भी ऐसे लोग होंगे जिनके नाम से कोई न कोई रोचक बात जुड़ी होगी। अपने साथियों व बड़ों से बातचीत करके ऐसे नामों व उसके बारे में पता कीजिए और लिखिए।

उत्तर – हाँ, मेरे पड़ोस में एक लड़के का नाम ‘मंगलू’ है क्योंकि उसका जन्म मंगलवार को हुआ था। इसी तरह, मेरे एक दोस्त का नाम ‘सूरज’ है क्योंकि उसके दादाजी चाहते थे कि वह सूरज की तरह चमके और दुनिया में नाम रोशन करे। हमारी एक पुरानी नौकरानी का नाम ‘धनिया’ था, शायद उनके माता-पिता को यह नाम बहुत प्रिय लगा होगा।

  1. मायलिनोंग में कटहल के बड़े तनों पर ही ट्री हाउस बनाए जाते हैं तथा रबर के पेड़ों की जड़ों से ब्रिज तथा बाँस के पेड़ों से घर की नालियाँ, दीवारें आदि बनाई जाती हैं। यदि यही सब कुछ हमारे यहाँ बनाया जाए तो कौन-कौन से पेड़ों का उपयोग किया जाएगा और क्यों।

   पेड़      क्यों?

(क) ट्री हाउस

(ख) घर की दीवारें

(ग) घरों की छतें

(घ) यदि ब्रिज बनाना हो तो –

उत्तर –

कार्य

पेड़

क्यों?

(क) ट्री हाउस

साल, आम, महुआ

क्योंकि इनके तने बहुत मोटे, मजबूत और टिकाऊ होते हैं।

(ख) घर की दीवारें

बाँस, साल की लकड़ी

क्योंकि ये आसानी से उपलब्ध हैं और इनसे मजबूत दीवारें बनती हैं।

(ग) घरों की छतें

खपरैल (मिट्टी की टाइलें), ताड़ के पत्ते

क्योंकि ये बारिश के पानी को आसानी से रोकते हैं और गर्मी में घर को ठंडा रखते हैं।

(घ) यदि ब्रिज बनाना हो तो

साल की लकड़ी के लट्ठे

क्योंकि साल की लकड़ी बहुत कठोर, भारी और पानी में जल्दी खराब नहीं होती।

 

3 आपने किसी ऐसे प्राकृतिक स्थान का भ्रमण अपने परिवार या स्कूल के विद्यार्थियों के साथ किया होगा उसका वर्णन इस प्रकार कीजिए कि पढ़नेवाले उसे पढ़कर उस स्थान के बारे में अच्छे से समझ पाएँ।

उत्तर – पिछले साल मैं अपने स्कूल के दोस्तों के साथ खंडाधार जलप्रपात घूमने गया था, जो राउरकेला के पास स्थित है। घने जंगलों और पहाड़ों के बीच से गुजरता हुआ हमारा रास्ता बहुत रोमांचक था। जैसे-जैसे हम नजदीक पहुँच रहे थे, पानी के गिरने की गर्जना तेज होती जा रही थी।

वहाँ पहुँचकर जो दृश्य हमने देखा, वह अविस्मरणीय था। लगभग 244 मीटर की ऊँचाई से पानी की एक मोटी धारा दूध की तरह सफेद दिखती हुई नीचे गिर रही थी। पानी की फुहारें हवा के साथ उड़कर हमारे चेहरों पर पड़ रही थीं, जो बहुत ताज़गी भरा एहसास दे रही थीं। चारों ओर हरियाली, चट्टानें और पानी का शोर था। हमने वहाँ पत्थरों पर बैठकर प्रकृति की इस अद्भुत कला को घंटों निहारा। वह यात्रा आज भी मेरे मन में बसी हुई है।

  1. लेखिका ने हेनरी के लिए एक शब्द का प्रयोग किया है दुभाषिया अर्थात दो भाषा-भाषी लोगों के बीच संवाद स्थापित करनेवाला।

(क) आपके आस-पास लोग कौन-कौनसी भाषाएँ / बोलियाँ बोलते हैं? लिखिए।

उत्तर – मेरे आस-पास राउरकेला में लोग मुख्य रूप से ओड़िया, हिंदी और सादरी बोलते हैं। इसके अलावा यहाँ हो, मुंडारी जैसी आदिवासी बोलियाँ तथा काम के सिलसिले में बाहर से आए लोगों द्वारा बंगाली, तेलुगु और भोजपुरी भी बोली जाती है।

(ख) यदि आपको कोई अन्य भाषा-भाषी व्यक्ति से बात करना हो और आप एक-दूसरे की भाषा नहीं जानते हों तब आप एक दूसरे से कैसे बात करेंगे?

उत्तर – यदि मुझे किसी ऐसे व्यक्ति से बात करनी हो जिसकी भाषा मैं नहीं जानता, तो मैं निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करूँगा –

इशारों की भाषा (Sign Language) – अपने हाथों और शरीर के हाव-भाव से अपनी बात समझाने की कोशिश करूँगा।

चित्र बनाकर – कागज पर चित्र बनाकर अपनी जरूरत या बात बता सकता हूँ।

मोबाइल ट्रांसलेशन ऐप – यदि संभव हो तो गूगल ट्रांसलेट जैसे ऐप का उपयोग करूँगा।

किसी तीसरे व्यक्ति की मदद – किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढने की कोशिश करूँगा जो हम दोनों की भाषा जानता हो और एक दुभाषिए का काम कर सके।

 

भाषा के बारे में

  1. जड़के लिए पाठ में कई विशेषण शब्दों का प्रयोग किया गया है जैसे मजबूत, मोटी-मोटी, हवाई आदि। इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों के लिए कौन-कौनसे विशेषण शब्द प्रयुक्त किए जा सकते हैं? सोचकर लिखिए।

बादल

रास्ता

बारिश

पुल

साड़ी

पेड़

नदी

उत्तर – बादल – सफेद, काले, घने, उमड़ते-घुमड़ते

रास्ता – पहाड़ी, घुमावदार, लंबा, पथरीला

बारिश – तेज, मूसलाधार, रिमझिम

पुल – मजबूत, पुराना, चौड़ा, जीवित

साड़ी – सुंदर, रंगीन, रेशमी, नई

पेड़ – बड़े-बड़े, हरे-भरे, ऊँचे

नदी – तेज बहती, गहरी, चौड़ी

  1. पाठ में एक शब्द प्रयुक्त हुआ है- अद्भुत नज़ारा इसमें से अद्भुत शब्द हिंदी का है और नज़ारा उर्दू का। हम बोल-चाल में इस तरह से भाषाओं का मिला-जुला प्रयोग करते हैं। आप इसी तरह के कुछ अन्य शब्द खोजकर लिखिए।

उत्तर – इस तरह के कुछ अन्य शब्द हैं –

किताब-घर (अरबी + हिंदी)

रेलगाड़ी (अंग्रेजी + हिंदी)

हेडमास्टर साहब (अंग्रेजी + हिंदी)

शादी-हॉल (फारसी + अंग्रेजी)

लापरवाह (फारसी + फारसी/हिंदी)

जन्मदिन (संस्कृत + हिंदी)

  1. बाँस‘, सड़कदोनों संज्ञाएँ व्यंजनांत हैं। लेकिन बाँसका बहुवचन बाँसही रहता है पर सड़कका सड़कें हो जाता है।

जैसे- दस सड़कें, कई सड़कें

दस बाँस, कई बाँस

पाठ में अन्य संज्ञाएँ ढूँढ़िये और बहुवचन बनाने के नियमों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर – पाठ में आई कुछ अन्य संज्ञाएँ और उनके बहुवचन बनाने के नियम –

पुल्लिंग संज्ञा – पाठ में आए पुल्लिंग शब्द जैसे गाँव, पेड़, घर, पुल का एकवचन और बहुवचन रूप एक ही होता है। (जैसे – एक गाँव, दस गाँव)।

स्त्रीलिंग संज्ञा (अ-अंत) – जो स्त्रीलिंग संज्ञाएँ ‘अ’ पर समाप्त होती हैं, उनका बहुवचन बनाने के लिए ‘एँ’ जोड़ा जाता है।

सड़क → सड़कें

बात → बातें

रात → रातें

स्त्रीलिंग संज्ञा (ई-अंत) – जो स्त्रीलिंग संज्ञाएँ ‘ई’ पर समाप्त होती हैं, उनका बहुवचन बनाने के लिए ‘ई’ को ‘इ’ करके ‘याँ’ जोड़ा जाता है।

गाड़ी → गाड़ियाँ

सीढ़ी → सीढ़ियाँ

टोकरी → टोकरियाँ

नदी → नदियाँ

लड़की → लड़कियाँ

योग्यता विस्तार

गतिविधि

  1. इस यात्रा वृत्तांत की लेखिका को एक पत्र लिखिए, जिसमें आप निम्नांकित बिन्दुओं की मदद ले सकते हैं-
  • आपको उनका लेख कैसा लगा?

इस गाँव के बारे में आप और क्या-क्या जानना चाहते हैं?

अपनी किसी यात्रा से जुड़े अनुभव या घटना को भी साझा कर सकते हैं।

उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।

  1. चेरापूँजी के डबल डेकर रूट ब्रिज की कल्पना करके चित्र बनाइए।

उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।

  1. यदि आप अपने गाँव / शहर को सबसे स्वच्छ / सुन्दर बनाना चाहते हैं तो निम्नांकित स्तरों पर क्या-क्या कार्य करने की आवश्यकता है-

स्वयं के स्तर पर

प्रशासनिक स्तर पर

पंचायत स्तर पर।

उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।

  1. एक समाचार पत्र में प्रकाशित इस खबर को ध्यानपूर्वक पढ़िए।

इसी तरह आदर्श ग्रामपंचायत अथवा स्वच्छ ग्राम से संबंधित समाचारों को एकत्र करें?

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

  1. मेघालय की राजधानी क्या है?

अ) गुवाहाटी

ब) दिसपुर

स) शिलांग

द) आइजोल

उत्तर – स) शिलांग

  1. मायलिनोंग को एशिया का सबसे साफ-सुथरा गाँव कब घोषित किया गया?

अ) 2005 में

ब) 2003 में

स) 2010 में

द) 2015 में

उत्तर – ब) 2003 में

  1. लेखिका के अनुसार, कार के काँच पर दिखने वाली नन्हीं-नन्हीं बूँदें क्या थीं?

अ) बारिश

ब) ओस

स) बादल

द) कोहरा

उत्तर – स) बादल

  1. मायलिनोंग में कचरा डालने के लिए किसका उपयोग किया जाता है?

अ) प्लास्टिक के डिब्बे

ब) लोहे की बाल्टियाँ

स) बाँस की टोकरियाँ

द) गड्ढे

उत्तर – स) बाँस की टोकरियाँ

  1. कचरे का उपयोग मायलिनोंग में किस काम के लिए किया जाता है?

अ) ईंधन जलाने के लिए

ब) खाद बनाने के लिए

स) सड़क बनाने के लिए

द) नदी में बहाने के लिए

उत्तर – ब) खाद बनाने के लिए

  1. मायलिनोंग में लेखिका का गाइड कौन बना?

अ) दिसंबर

ब) गोबिन

स) सारा

द) हेनरी

उत्तर – द) हेनरी

  1. ट्री हाउस और बाँस के कॉटेज किसने बनाए थे?

अ) हेनरी

ब) हेनरी के पिता

स) गाँव के कारीगरों ने

द) लेखिका ने

उत्तर – ब) हेनरी के पिता

  1. ट्री हाउस की छत से लेखिका को दूर तक किसका पानी दिखा?

अ) स्थानीय नदी का

ब) बंगाल की खाड़ी का

स) बांग्लादेश में आई बाढ़ का

द) अरब सागर का

उत्तर – स) बांग्लादेश में आई बाढ़ का

  1. बांग्लादेश मायलिनोंग से कितनी दूरी पर स्थित है?

अ) सिर्फ तीन किलोमीटर

ब) दस किलोमीटर

स) पच्चीस किलोमीटर

द) पैंतालीस किलोमीटर

उत्तर – अ) सिर्फ तीन किलोमीटर

  1. लाइव रूट ब्रिज किस नदी पर बना हुआ है?

अ) ब्रह्मपुत्र नदी

ब) वाह थिलोंग नदी

स) गंगा नदी

द) हुगली नदी

उत्तर – ब) वाह थिलोंग नदी

  1. लाइव रूट ब्रिज बनाने में लगभग कितना समय लगता है?

अ) एक साल

ब) दस साल

स) करीब सौ साल

द) तीन सौ साल

उत्तर – स) करीब सौ साल

  1. लाइव रूट ब्रिज बनाने के लिए किस पेड़ की जड़ों का इस्तेमाल किया जाता है?

अ) पीपल के पेड़

ब) बरगद के पेड़

स) रबर के पेड़

द) बाँस के पेड़

उत्तर – स) रबर के पेड़

  1. हेनरी के पिता का नाम क्या था?

अ) वोडाफोन

ब) दिसंबर

स) जनवरी

द) फेस्टिवल

उत्तर – ब) दिसंबर

  1. रूट ब्रिज की मज़बूती के बारे में हेनरी ने क्या बताया?

अ) सिर्फ दो लोग खड़े हो सकते हैं

ब) दस लोग खड़े हो सकते हैं

स) तीस लोग भी खड़े हो जाएँ तो कुछ नहीं बिगड़ेगा

द) सौ लोग खड़े हो सकते हैं

उत्तर – स) तीस लोग भी खड़े हो जाएँ तो कुछ नहीं बिगड़ेगा

  1. लेखिका के अनुसार लाइव रूट ब्रिज किसका करिश्मा था?

अ) कुदरत का

ब) इंसान का

स) भगवान का

द) जादू का

उत्तर – ब) इंसान का

  1. मायलिनोंग में कौन-कौन से पेड़ खासतौर पर मिलते हैं?

अ) आम, नीम, बरगद

ब) सुपारी, काली मिर्च, तेज पत्ता

स) शीशम, सागौन, देवदार

द) चंदन, चमेली, गुलाब

उत्तर – ब) सुपारी, काली मिर्च, तेज पत्ता

  1. मायलिनोंग के एक खास कीटभक्षी पौधे का नाम क्या है?

अ) वीनस फ्लाई ट्रैप

ब) संड्यू

स) पिचर प्लांट

द) ब्लैडरवर्ट

उत्तर – स) पिचर प्लांट

  1. मायलिनोंग में पढ़ाई के लिए बच्चे आठवीं के बाद कहाँ जाते हैं?

अ) द्वाकी

ब) पोनटोंग

स) चेरापूँजी

द) शिलांग

उत्तर – द) शिलांग

  1. मायलिनोंग गाँव में कुल कितने परिवार बसे हुए हैं?

अ) 506

ब) 94

स) 100

द) 75

उत्तर – ब) 94

  1. दिसंबर जी के अनुसार खासी जनजाति के लोगों का मकसद ऐसे पुल बनाकर किन दो गाँवों को जोड़ना है?

अ) शिलांग और द्वाकी

ब) पोनटोंग और मायलिनोंग

स) नोवेत और रिवाई

द) चेरापूँजी और द्वाकी

उत्तर – स) नोवेत और रिवाई

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

  1. प्रश्न – मायलिनोंग कहाँ स्थित है?
    उत्तर – मायलिनोंग मेघालय राज्य में शिलांग से लगभग 75 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा है।
  2. प्रश्न – मेघालय का क्या अर्थ है?
    उत्तर – मेघालय का अर्थ है ‘बादलों का घर’।
  3. प्रश्न – मायलिनोंग गाँव किस नाम से प्रसिद्ध है?
    उत्तर – मायलिनोंग गाँव एशिया का सबसे साफ-सुथरा गाँव कहलाता है।
  4. प्रश्न – मायलिनोंग गाँव को ‘एशियाज क्लीनेस्ट विलेज’ की उपाधि कब मिली?
    उत्तर – मायलिनोंग गाँव को 2003 में ‘एशियाज क्लीनेस्ट विलेज’ की उपाधि मिली।
  5. प्रश्न – भारत का सबसे साफ गाँव कब घोषित किया गया?
    उत्तर – मायलिनोंग को 2005 में भारत का सबसे साफ गाँव घोषित किया गया।
  6. प्रश्न – वहाँ कचरा इकट्ठा करने की क्या व्यवस्था है?
    उत्तर – गाँव में जगह-जगह बाँस की टोकरियाँ रखी गई हैं जिनमें कचरा इकट्ठा करके उससे खाद बनाई जाती है।
  7. प्रश्न – मायलिनोंग के लोगों की स्वच्छता के प्रति क्या सोच है?
    उत्तर – मायलिनोंग के लोग बहुत स्वच्छता-प्रिय हैं, वे गाँव को साफ रखने के लिए नियमों का पालन करते हैं और पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करते।
  8. प्रश्न – लेखक की यात्रा किस शहर से शुरू हुई थी?
    उत्तर – लेखक की यात्रा मेघालय की राजधानी शिलांग से शुरू हुई थी।
  9. प्रश्न – पहाड़ों पर लोगों ने पानी की व्यवस्था कैसे की है?
    उत्तर – लोगों ने बाँस को आधा काटकर उसकी नालियाँ बना दी हैं जिनसे पहाड़ से गिरने वाला पानी नीचे आता है।
  10. प्रश्न – लेखक को बादलों से जुड़ा कौन-सा दृश्य अद्भुत लगा?
    उत्तर – लेखक को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि बादल इतने नीचे थे कि कार पर बूँदें जम रही थीं परंतु बाहर बारिश नहीं थी।
  11. प्रश्न – मायलिनोंग की यात्रा के दौरान सड़क की स्थिति कैसी थी?
    उत्तर – सड़क पर घना कोहरा था, दस मीटर दूर तक कुछ दिखाई नहीं देता था और सभी गाड़ियाँ धीमी गति से चल रही थीं।
  12. प्रश्न – गाँव पहुँचने से पहले लेखक किस छोटे शहर का नाम सुनता है?
    उत्तर – लेखक ने द्वाकी नामक छोटे शहर का नाम सुना था।
  13. प्रश्न – मायलिनोंग गाँव दिखाने में लेखक की मदद किसने की?
    उत्तर – मायलिनोंग गाँव दिखाने में गाइड हेनरी ने लेखक की मदद की।
  14. प्रश्न – हेनरी किन भाषाओं को जानता है?
    उत्तर – हेनरी अंग्रेजी और खासी दोनों भाषाएँ जानता है।
  15. प्रश्न – ट्री हाउस किसने बनाया था?
    उत्तर – ट्री हाउस हेनरी के पिता दिसम्बर जी ने बनाया था।
  16. प्रश्न – ट्री हाउस किस सामग्री से बनाया गया था?
    उत्तर – ट्री हाउस पूरी तरह बाँस से बनाया गया था, यहाँ तक कि बाँधने के लिए भी बाँस की छाल का प्रयोग किया गया था।
  17. प्रश्न – ट्री हाउस की छत से लेखक ने क्या देखा?
    उत्तर – ट्री हाउस की छत से लेखक ने दूर बांग्लादेश में आई बाढ़ का पानी देखा।
  18. प्रश्न – मायलिनोंग से बांग्लादेश की दूरी कितनी है?
    उत्तर – मायलिनोंग से बांग्लादेश की दूरी केवल तीन किलोमीटर है।
  19. प्रश्न – ‘लाइव रूट ब्रिज’ क्या है?
    उत्तर – लाइव रूट ब्रिज रबर के पेड़ों की जीवित जड़ों से बना एक प्राकृतिक पुल है।
  20. प्रश्न – लाइव रूट ब्रिज किस नदी पर बना है?
    उत्तर – लाइव रूट ब्रिज वाह थिलोंग नदी पर बना है।
  21. प्रश्न – एक लाइव रूट ब्रिज बनने में कितना समय लगता है?
    उत्तर – एक लाइव रूट ब्रिज बनने में लगभग सौ वर्ष लगते हैं।
  22. प्रश्न – लाइव रूट ब्रिज बनाने की परंपरा किसने शुरू की?
    उत्तर – यह परंपरा खासी जनजाति के लोगों ने शुरू की थी।
  23. प्रश्न – जिस पुल को लेखक ने देखा वह कितने वर्ष पुराना था?
    उत्तर – लेखक द्वारा देखा गया पुल लगभग तीन सौ वर्ष पुराना था।
  24. प्रश्न – दिसम्बर जी की उम्र लगभग कितनी थी?
    उत्तर – दिसम्बर जी की उम्र लगभग साठ से बासठ वर्ष के बीच थी।
  25. प्रश्न – मायलिनोंग में लोगों के नाम कैसे रखे जाते हैं?
    उत्तर – वहाँ लोग महीने, सप्ताह के दिनों या लोकप्रिय ब्रांडों के नाम पर अपने नाम रखते हैं।
  26. प्रश्न – मायलिनोंग में कितने परिवार रहते हैं?
    उत्तर – मायलिनोंग में कुल 94 परिवार रहते हैं।
  27. प्रश्न – गाँव की कुल जनसंख्या कितनी है?
    उत्तर – गाँव की कुल जनसंख्या लगभग 506 है।
  28. प्रश्न – मायलिनोंग की साक्षरता दर कितनी है?
    उत्तर – मायलिनोंग की साक्षरता दर 100 प्रतिशत है।
  29. प्रश्न – मायलिनोंग में बच्चों की पढ़ाई की क्या व्यवस्था है?
    उत्तर – गाँव में दो स्कूल हैं — एक खासी माध्यम का और दूसरा अंग्रेजी माध्यम का; आठवीं के बाद बच्चे शिलांग पढ़ने जाते हैं।
  30. प्रश्न – मायलिनोंग के लोग अपना जीवन किस प्रकार व्यतीत करते हैं?
    उत्तर – मायलिनोंग के लोग स्वच्छ, सरल, शिक्षित और पर्यावरण-संवेदनशील जीवन व्यतीत करते हैं। वे नियमों का पालन करते हुए गाँव को सुंदर बनाए रखते हैं।

 

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

  1. लेखिका को पहाड़ों पर किन अद्भुत दृश्यों का अनुभव हुआ?

उत्तर – लेखिका को पहाड़ों पर कहीं पहाड़ी झरने गिरते हुए और कहीं घने जंगल देखने को मिले। लोगों ने बाँस को आधा काटकर पानी की नाली बनाई थी, जिससे झरने के तेज बहाव को सहारा मिला था। इसके अलावा, रुई के फाहों जैसे बादलों का समंदर लहरा रहा था, जो कि एक अद्भुत नज़ारा था।

  1. गोबिन ने लेखिका को कार के काँच पर दिखने वाली बूँदों के बारे में क्या बताया?

उत्तर – लेखिका को लगा कि कार के काँच पर दिखने वाली नन्हीं-नन्हीं बूँदें बारिश हैं। इस पर गोबिन ने कार रोककर बताया, “नहीं मैडम जी, यह बारिश नहीं, बादल है।” बाहर निकलने पर सच में बारिश नहीं थी, बल्कि चारों तरफ बादलों का समंदर लहरा रहा था।

  1. मायलिनोंग को एशियाज क्लीनेस्ट विलेजकी उपाधि क्यों और कब दी गई?

उत्तर – ट्रैवल मैगज़ीन डिस्कवर इंडिया द्वारा मायलिनोंग को 2003 में ‘एशियाज क्लीनेस्ट विलेज’ की उपाधि दी गई और 2005 में यह भारत का सबसे साफ गाँव घोषित हुआ। यह उपाधि गाँव की असाधारण साफ-सफाई, जहाँ कचरा बाँस की टोकरियों में इकट्ठा कर खाद बनाया जाता है और सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता के कारण मिली।

  1. मायलिनोंग में लोगों के नाम रखने का तरीका कैसा है? उदाहरण सहित बताइए।

उत्तर – मायलिनोंग में लोग जो नाम सुनते हैं, वही रख देते हैं। यहाँ महीनों के नाम, सप्ताह के दिनों के नाम और यहाँ तक कि ब्रांड के नाम पर भी लोगों के नाम हैं। उदाहरण के लिए, गाइड के पिता का नाम दिसंबर और उसकी माँ का नाम फेस्टिवल है, तथा गाँव में वोडाफोन, आइडिया जैसे नाम भी मिलते हैं।

  1. ट्री हाउस की बनावट कैसी थी और यह किन पेड़ों के सहारे बना था?

उत्तर – ट्री हाउस और कॉटेज बेहद खूबसूरत थे, जो हेनरी के पिता ने बनाए थे। ट्री हाउस बनाने के लिए सड़क के दोनों ओर के बड़े-बड़े पेड़ों को बाँस से जोड़ा गया था। उस पर मचान जैसा घर बना था और नीचे बाँसों की सीढ़ी से घुमावदार रास्ता बना था। इसके सहारे के लिए कटहल के बड़े-बड़े पेड़ों के तने लगाए गए थे।

  1. मायलिनोंग के लोग पॉलिथीन का प्रयोग क्यों नहीं करते हैं?

उत्तर – गद्यांश के अनुसार, मायलिनोंग के लोग पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करते हैं। यह वहाँ के हेडमैन द्वारा बनाए गए नियमों का हिस्सा है, जिसका पालन सभी गाँववाले करते हैं ताकि गाँव की स्वच्छता और प्राकृतिक सुंदरता बनी रहे।

  1. खासी जनजाति के लोग कपड़े सुखाने के लिए किस निराले तरीके का प्रयोग करते हैं?

उत्तर – खासी जनजाति के लोग कपड़े सुखाने के लिए बाँस का एक बड़ा-सा पिंजरा बनाते हैं। इसके नीचे कोयले के जलते हुए अंगार रख दिए जाते हैं और ऊपर कपड़े फैला दिए जाते हैं। कोयले की हल्की गर्मी से कपड़े सूख जाते हैं, जो यहाँ की लगातार बारिश को देखते हुए एक अनूठा उपाय है।

  1. मायलिनोंग के लोग अपने खाने-पीने की जरूरतों को कैसे पूरा करते हैं?

उत्तर – मायलिनोंग के लोग आटा, दाल, चावल, हरी सब्ज़ियाँ और खाने-पीने का हर सामान शिलांग से लाते हैं, क्योंकि गाँव में अनाज या सब्ज़ी पैदा नहीं होती। हाँ, वे मछली, सुअर और मुर्गियाँ ज़रूर पालते हैं।

  1. पिचर प्लांट की क्या विशेषता बताई गई है?

उत्तर – पिचर प्लांट (कीटभक्षी पौधा) की विशेषता यह है कि यह छोटे-छोटे कीटों को खाता है। जब कीड़े उसके पास पहुँचते हैं, तो वह झट से ढक्कन बंद कर देता है। जब वे कीड़े मर जाते हैं, तब वह उनको खा जाता है।

  1. मायलिनोंग गाँव में साक्षरता की दर और शिक्षा की व्यवस्था कैसी है?

उत्तर – मायलिनोंग गाँव में साक्षरता की दर सौ प्रतिशत है। गाँव में दो स्कूल हैं – एक खासी और एक अंग्रेजी माध्यम का। सभी बच्चे पढ़ने जाते हैं और आठवीं के बाद की पढ़ाई के लिए शिलांग जाते हैं।

 

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

  1. लाइव रूट ब्रिजक्या है और इसे किस प्रकार बनाया जाता है? विस्तार से समझाइए।

उत्तर – ‘लाइव रूट ब्रिज’ रबर के पेड़ों की मोटी-मोटी जड़ों को जोड़-जोड़कर बनाया गया एक पुल है, जो पूरी तरह से स्वाभाविक रूप से जुड़ा होता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले रबर के पौधों को सोच-समझकर लगाया जाता है। जब उनकी हवाई जड़ें लटकने लगती हैं, तब उन्हें बाँसों से चोटी की तरह गूँथा जाता है। यह कोई एक दिन या एक महीने का काम नहीं है, बल्कि जड़ों के बढ़ने और एक-दूसरे से चिपकने में करीब सौ साल लग जाते हैं।

  1. धुंध भरे रास्ते में लेखिका की यात्रा कैसे संपन्न हुई और उन्हें किस प्रकार सहायता मिली?

उत्तर – पहाड़ी रास्ते पर धुंध इतनी घनी थी कि दस मीटर की दूरी पर भी कुछ नजर नहीं आ रहा था। सभी गाड़ियों ने अपनी इमरजेंसी लाइट जलाई हुई थी और दुर्घटना से बचने के लिए बहुत ही धीमी गति से एक के पीछे एक चल रही थीं। जब रास्ता समझ नहीं आया, तो गोबिन ने एक टैक्सीवाले से द्वाकी का रास्ता पूछा। टैक्सीवाला उसी ओर जा रहा था, इसलिए उसने लेखिका की कार को अपने पीछे-पीछे आने का संकेत दिया और इस प्रकार वे मायलिनोंग के रास्ते तक पहुँच पाए।

  1. मायलिनोंग गाँव की स्वच्छता बनाए रखने के लिए क्या-क्या उपाय किए गए हैं?

उत्तर – मायलिनोंग गाँव को स्वच्छ रखने के लिए कई प्रभावी उपाय किए गए हैं। कचरा डालने के लिए जगह-जगह बाँस की टोकरियाँ लगाई गई हैं, जिससे इकट्ठा हुए कचरे को बाद में खाद बनाने में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, आम जनता के लिए सड़क किनारे साफ-सुथरे शौचालय बनाए गए हैं और यहाँ के लोग पॉलिथीन का प्रयोग बिल्कुल नहीं करते हैं। गाँव के हेडमैन ने स्वच्छता के नियम बना रखे हैं जिनका सभी पालन करते हैं।

  1. हेनरी के पिता दिसंबर जी से बातचीत में लेखिका को रूट ब्रिज की परंपरा के बारे में क्या जानकारी मिली?

उत्तर – दिसंबर जी ने बताया कि उन्होंने इस पुल के बारे में अपने दादा से सुना था। खासी जनजाति के लोगों का मकसद ऐसे पुल बनाकर नोवेत गाँव से रिवाई गाँव को जोड़ना है। पुल बनाने की यह परंपरा एक विशेष जनजाति के लोगों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रखी है। उन्होंने यह भी बताया कि एक पुल बनाने में करीब सौ साल लग जाते हैं और उन्होंने जो पुल देखा वह लगभग तीन सौ साल पुराना है।

  1. लेखिका ने कॉटेज और चूल्हे के बारे में कौन सी दो व्यावहारिक बातें बताईं जो वहाँ के मौसम के अनुकूल हैं?

उत्तर – लेखिका ने दो व्यावहारिक बातें बताईं –

कॉटेज की छत – कॉटेज की दीवारें बाँस की चटाइयों की और छत सुपारी व झाडू के पत्तों से बनी थी। यह छत इतनी मज़बूत और वाटर प्रूफ थी कि लगातार होने वाली बारिशों में भी एक बूँद पानी अंदर नहीं टपकता था, जो अधिक बारिश वाले क्षेत्र के लिए ज़रूरी है।

चूल्हा और लकड़ी सुखाने का तरीका – यहाँ बारिश ज्यादा होती है, इसलिए लोग मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाते हैं। चूल्हे के ऊपर बने एक झूले में लकड़ियाँ सुखाने के लिए रख दी जाती हैं, जिससे चूल्हे के गर्म धुएँ से लकड़ियाँ सूख जाती हैं, जिससे उन्हें जलाने में आसानी होती है।

 

 

 

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