मुकुंद कौशल – कवि परिचय
मुकुन्द कौशल का जन्म 7 नवम्बर सन् 1947 को दुर्ग नगर में हुआ। कौशल जी, हिंदी और छत्तीसगढ़ी के कुशल कवि एवं सुपरिचित गीतकार हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ी गज़लों को एक नई पहचान दी। उनकी प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ भिनसार (छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह), लालटेन जलने दो (हिंदी काव्य संग्रह), हमर भुइयाँ हमर अगास (छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह) मोर ग़ज़ल के उड़त परेवा (छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल संग्रह), कॅरवस (छत्तीसगढ़ी उपन्यास) हैं।
नरवा मा तँउरत हे – पाठ परिचय
गज़ल छत्तीसगढ़ी साहित्य के लिए एक नई विधा है। इस विधा से बच्चों को परिचित कराने के लिए एक छत्तीसगढ़ी गज़ल नँदिया-नरवा मा तँउरत हे को इस इकाई में शामिल किया गया है। इस गज़ल में छत्तीसगढ़ की समरसता, संघर्षशीलता एवं ऐतिहासिकता का चित्रण है।
नँदिया – नरवा मा तँउरत हे
नँदिया – नरवा मा तँउरत है, मनखे के बिसवास इहाँ।
पथरा – पथरा मा लिक्खे हे, भुइयाँ के इतिहास इहाँ॥
तीपत भोंभरा, बरसत पानी के हम्मन टकराहा हन,
लइका मन सँग खुडुवा खेलत रहिथे बारामास इहाँ।
पूस – माघ मा जाड़ जनावै, अँगरा कस बइसाख तपै,
बइहा होके धमसा कूदै सावन मा चउमास इहाँ।
ये भुईयां के बात अलग है, काए बतावौं गुन येकर,
बोहे रहिथें नान्हे – नान्हे लइका मनन अगास इहाँ।
पीरा फीजे जिनगानी के धुरघपटे अँधियारी मा,
हितवाई के दीया करथे, अंतस मा परकास इहाँ।
ये ममियारो राम-लखन के, बानासुर के राज इही,
राम लखन – सीता आइन हैं, पहुना बन के खास इहाँ।
हर चौका ले कोन्टा तक मा, माढ़े हें देवता धामी,
‘कौसल’ इहँचे गंगा मैया, अउ पाबे कैलास इहाँ।
गज़ल की व्याख्या
- नँदिया – नरवा मा तँउरत है, मनखे के बिसवास इहाँ।
पथरा – पथरा मा लिक्खे हे, भुइयाँ के इतिहास इहाँ॥
व्याख्या – इस छंद में कवि छत्तीसगढ़ की नदियों और नालों को विश्वास का प्रतीक बताता है। यहाँ की नदियाँ लोगों के विश्वास को तैरने की तरह जीवंत रखती हैं। साथ ही, धरती के पत्थरों पर इस क्षेत्र का प्राचीन इतिहास अंकित है, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समृद्धि को दर्शाता है। यह पंक्तियाँ प्रकृति और इतिहास के गहरे संबंध को उजागर करती हैं।
- तीपत भोंभरा, बरसत पानी के हम्मन टकराहा हन,
लइका मन सँग खुडुवा खेलत रहिथे बारामास इहाँ।
व्याख्या – इस छंद में गर्मी में भँवरों की तपन और बारिश में पानी की टकराहट का चित्रण है। यह प्रकृति की विविधता को दर्शाता है। साथ ही, बच्चे सालभर खुडुवा (पारंपरिक खेल) खेलते हैं, जो छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति और बच्चों की मासूमियत को दर्शाता है। यह जीवंतता और सादगी भरी जीवनशैली का प्रतीक है।
- पूस – माघ मा जाड़ जनावै, अँगरा कस बइसाख तपै,
बइहा होके धमसा कूदै सावन मा चउमास इहाँ।
व्याख्या – यह छंद छत्तीसगढ़ की जलवायु और उत्सवों का वर्णन करता है। पौष और माघ में ठंड, बैसाख में गर्मी, और सावन में बारिश के चार महीनों में लोग पागल होकर धमसा (पारंपरिक नृत्य) करते हैं। यह मौसमों के बदलाव और स्थानीय उत्सवों की जीवंतता को दर्शाता है, जो यहाँ की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
- ये भुईयां के बात अलग है, काए बतावौं गुन येकर,
बोहे रहिथें नान्हे – नान्हे लइका मनन अगास इहाँ।
व्याख्या – कवि कहता है कि छत्तीसगढ़ की धरती अनूठी है, जिसके गुणों का वर्णन करना मुश्किल है। यहाँ छोटे-छोटे बच्चे आकाश की तरह ऊँचे सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा लेते हैं। यह छंद छत्तीसगढ़ के लोगों की महत्वाकांक्षा और सादगी को दर्शाता है, जो उनकी विशेषता है।
- पीरा फीजे जिनगानी के धुरघपटे अँधियारी मा,
हितवाई के दीया करथे, अंतस मा परकास इहाँ।
व्याख्या – इस छंद में जीवन की कठिनाइयों और अंधेरे को दर्शाया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ के लोग मित्रता और सहानुभूति के दीपक जलाकर मन में प्रकाश फैलाते हैं। यह छंद यहाँ की सामाजिक एकता, मित्रता और आशावाद को उजागर करता है, जो लोगों के हृदय को रोशन करता है।
- ये ममियारो राम-लखन के, बानासुर के राज इही,
राम लखन – सीता आइन हैं, पहुना बन के खास इहाँ।
व्याख्या – यह छंद छत्तीसगढ़ के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्त्व को दर्शाता है। यहाँ राम, लक्ष्मण और सीता ने अतिथि बनकर विश्राम किया था। यह बानासुर के शासनकाल से भी जुड़ा है। यह पंक्तियाँ छत्तीसगढ़ को रामायण और पौराणिक कथाओं से जोड़कर उसकी सांस्कृतिक धरोहर को रेखांकित करती हैं।
- हर चौका ले कोन्टा तक मा, माढ़े हें देवता धामी,
‘कौसल‘ इहँचे गंगा मैया, अउ पाबे कैलास इहाँ।
व्याख्या – इस छंद में छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिकता का वर्णन है। हर घर और गाँव में देवता और धामी (स्थानीय पुजारी) विराजमान हैं। यहाँ कोसल क्षेत्र की गंगा और कैलाश जैसी पवित्रता है। यह छंद छत्तीसगढ़ की धार्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है, जो इसे पवित्र भूमि बनाता है।
टिप्पणी
बाणासुर – पुराणों के अनुसार असुरराज बाणासुर बलि वैरोचन के सौ पुत्रों में ज्येष्ठ पुत्र था, जो पाताललोक का राजा था। शोणितपुर अथवा लोहितपुर उसकी राजधानी थी। कृष्ण के साथ बाणासुर का युद्ध हुआ था जिसमें कृष्ण ने बाणासुर ने के सहस्त्र हाथों में से दो को छोड़कर शेष काट डाले थे। उसे महाबलि सहस्त्रबाहु तथा भूतराज भी कहा जाता था।
शब्दार्थ
नरवा – नाला
तैउरत हे – तैर रहा है
पथरा – पत्थर
भुइयाँ – जमीन
भॉभरा – सूर्य के ताप से गर्म धूल;
टकराहा – आदी, अभ्यस्त,
खुडुवा – कबड्डी के समान एक खेल
फीजे – भीगा हुआ
माढ़े हे – रखे है
पहुना – मेहमान
नान्हे नान्हे – छोटे-छोटे
अगास – आकाश, आसमान
धुरघपटे – अत्यंत घना
Chhattisgarhi Word | Hindi Meaning | English Meaning |
नँदिया | नदी | River |
नरवा | नाला | Stream/Canal |
तँउरत | तैरता हुआ | Floating/Swimming |
बिसवास | विश्वास | Faith/Belief |
पथरा | पत्थर | Stone |
लिक्खे | लिखा हुआ | Written/Inscribed |
भुइयाँ | धरती | Land/Earth |
तीपत | तपता हुआ | Scorching/Burning |
भोंभरा | भँवरा | Bumblebee |
हम्मन | हम | We/Us |
टकराहा | टकराना | Colliding |
लइका | बच्चे | Children |
खुडुवा | पारंपरिक खेल | Traditional game |
बारामास | सालभर | Year-round |
पूस – माघ | पौष-माघ (महीने) | Winter months |
जाड़ | ठंड | Cold |
जनावै | लगता है | Feels like |
अँगरा | अंगार | Ember |
बइसाख | बैसाख (महीना) | Summer month |
तपै | तपता है | Burns/Scorches |
बइहा | पागल | Crazy/Enthusiastic |
धमसा | पारंपरिक नृत्य | Traditional dance |
चउमास | चार महीने (बरसात) | Four months (monsoon) |
काए | क्या | What |
गुन | गुण | Qualities |
बोहे | बहना/लहराना | Flow/Dream |
नान्हे | छोटे | Small/Young |
अगास | आकाश | Sky |
पीरा | पीड़ा | Pain/Sorrow |
फीजे | फीका पड़ना | Fade/Wane |
धुरघपटे | अंधेरा | Darkness/Chaos |
अँधियारी | अंधेरा | Darkness |
हितवाई | मित्रता | Friendship |
परकास | प्रकाश | Light |
अंतस | हृदय/मन | Heart/Mind |
ममियारो | ममता/प्रेम | Affection/Love |
बानासुर | बानासुर (पौराणिक राजा) | Mythical king |
पहुना | अतिथि | Guest |
खास | विशेष | Special |
चौका | रसोई/घर | Kitchen/Home |
कोन्टा | गाँव | Village |
माढ़े | विराजमान | Established/Seated |
धामी | पुजारी | Priest |
कौसल | कोसल क्षेत्र | Kosala region |
पाबे | प्राप्त करना | Attain/Obtain |
पाठ से
निर्देश – हिंदी में दिए गए प्रश्नों के उत्तर हिंदी में तथा छत्तीसगढ़ी में दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपनी मातृभाषा
में लिखिए।
- “नँदिया – नरवा मा तँउरत है, मनखे के बिसवास इहाँ इस पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि छत्तीसगढ़ के लोगों की अटूट आस्था और विश्वास यहाँ की नदियों और नालों में बहते जल की तरह सदैव जीवंत और प्रवाहित है। यह दर्शाता है कि यहाँ के निवासियों का विश्वास, उनकी संस्कृति और उनके जीवन का आधार है, जो प्राकृतिक जलधाराओं की तरह कभी न सूखने वाला और निरंतर बहने वाला है।
- “तीपत भोंभरा बरसत पानी के हम्मन टकराहा हन” में छत्तीसगढ़ के लोगों की कौन-सी विशेषता को दर्शाया गया है?
उत्तर – इस पंक्ति में छत्तीसगढ़ के लोगों की संघर्षशीलता, दृढ़ता और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता (The trait of resilience, fortitude, and ability to face adverse circumstances) को दर्शाया गया है। “तीपत भोंभरा” (जलती हुई आग या भीषण गर्मी) और “बरसत पानी” (बरसता पानी) विपरीत और कठोर मौसम की स्थितियों का प्रतीक हैं। “टकाराहा” का अर्थ है टकराने वाला या सामना करने वाला। इसका आशय है कि छत्तीसगढ़ के लोग गर्मी, बारिश और अन्य तमाम कठिनाइयों का डटकर सामना करते हैं और हर परिस्थिति में अपनी जीवटता बनाए रखते हैं।
- “लइका मन अगास ला बोहे रहिथे ” के का मतलब हे?
उत्तर – “लइका मन अगास ला बोहे रहिथे” के मतलब लइका मन अपन मन म बड़-बड़ सपना, अउ ऊँच बिचार ल संजोए रहिथें। (It means that children harbour big dreams and high aspirations in their hearts.) ये मने हे के लइका मन म गियान के, नवा बिचार के अउ नवा काम कर के आगू बढ़ाय के असीमता समाए हे जउन ह अगास (आकाश) कस विशाल अउ असीमित होथे। ओ मन अपन छोट उमर म भी भविष्य के बड़का भार ल उठा के चलत हें।
- कवि हर छत्तीसगढ़ ल राम-लखन के ममियारो कोन अधार म केहे हे?
उत्तर – कवि हर छत्तीसगढ़ ल राम-लखन के ममियारो (ननिहाल) इतिहास अउ जन-मान्यता के अधार म केहे हे।
येकर मुख्य अधार –
कौसल्या माता के जन्मभूमि – जन-मान्यता अउ पुराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम के महतारी माता कौसल्या के जनम इहें छत्तीसगढ़ (प्राचीन कोसल प्रदेश) म होए रहिस हे।
भूमिका के महत्त – ए पद्य म कवि ह ए बात के जिकर करत हे के “ये ममियारो राम-लखन के, बानासुर के राज इही, राम लखन – सीता आइन हैं, पहुना बन के खास इहाँ।” मतलब छत्तीसगढ़ ह राम-लखन बर ननिहाल आय अउ ओ मन बिसेस पहुना (अतिथि) बनके इहाँ आए रिहिन। ये कथन ह छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक अउ धार्मिक महत्त ल बतावत हे।
पाठ से आगे
- छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – छत्तीसगढ़ की संस्कृति सरल, प्रकृति से जुड़ी और जीवंत है।
विशेषता | विवरण |
लोक-कला और नृत्य | यहाँ पंडवानी (महाभारत की कथा-गायन), पंथी नृत्य (सतनामी समुदाय का), और सुआ नृत्य (महिलाएँ द्वारा) जैसी समृद्ध लोक-कलाएँ हैं। |
पर्व और त्यौहार | प्रमुख त्यौहारों में पोला, तीजा, हरेली, और छेरछेरा शामिल हैं, जो कृषि और प्रकृति से गहरे रूप से जुड़े हैं। |
सरलता और आत्मीयता | यहाँ के लोग सरल, मेहनती और अतिथि-सत्कार के लिए प्रसिद्ध हैं, जिनमें आपसी मेलजोल और भाईचारा बहुत अधिक है। |
जनजातीय परंपराएँ | छत्तीसगढ़ की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा जनजातीय है, जिनकी अपनी विशिष्ट भाषाएँ, रीति-रिवाज और प्रकृति-पूजा की परंपराएँ हैं। |
संगीत और साहित्य | लोकगीतों (ददरिया) और लोक-साहित्य की एक मज़बूत परंपरा है, जो यहाँ के जनजीवन को दर्शाती है। |
- छत्तीसगढ़ में कुछ ऐसे स्थल हैं, जो देवस्थलों के रूप में जाने जाते हैं। अपने गाँव के किसी एक देवस्थल के संबंध में अपनी धारणाएँ लिखिए।
उत्तर – (यह उत्तर एक उदाहरण के तौर पर दिया गया है, छात्र अपने गाँव के देवस्थल के बारे में लिख सकते हैं।)
मेरे गाँव का देवस्थल – ठाकुर देव (या कोई अन्य स्थानीय देवता)
मेरे गाँव के बीचों-बीच एक बरगद के पेड़ के नीचे हमारे पूज्य ठाकुर देव का स्थान है। यहाँ कोई बड़ा मंदिर नहीं है, बल्कि एक चबूतरा है जहाँ एक पत्थर को देव-स्वरूप मानकर पूजा जाता है।
मेरी धारणाएँ –
गाँव का संरक्षक – मेरी धारणा है कि ठाकुर देव पूरे गाँव के संरक्षक (Guardian) हैं। हम मानते हैं कि उनकी कृपा से ही गाँव में कोई बड़ी विपदा नहीं आती और हमारे खेती-बाड़ी में बरकत होती है।
सात्विकता और सादगी – यह देवस्थल छत्तीसगढ़ की सरल धार्मिकता का प्रतीक है। पूजा-पाठ में कोई दिखावा नहीं होता; लोग अपनी श्रद्धा से मौसमी फल, फूल और नारियल अर्पित करते हैं।
न्याय और विश्वास का केंद्र – गाँव में जब भी कोई विवाद होता है या किसी को कोई मन्नत मांगनी होती है, तो लोग यहाँ आकर संकल्प लेते हैं। यह स्थान हमारे लिए न्याय और अटूट विश्वास का केंद्र है।
- विपरीत परिस्थितियों में भी यहाँ के निवासियों का हृदय किन मानवीय गुणों से परिपूर्ण रहता है?
उत्तर – विपरीत परिस्थितियों (जैसे, कड़ी मेहनत, मौसमी मार, आर्थिक चुनौतियाँ) में भी छत्तीसगढ़ के निवासियों का हृदय निम्नलिखित मानवीय गुणों से परिपूर्ण रहता है –
दृढ़ संकल्प और जीवटता (Resilience and Tenacity) – वे हार नहीं मानते और हर कठिनाई का सामना मुस्कुराहट के साथ करते हैं, जैसा कि कविता की पंक्ति “तीपत भोंभरा बरसत पानी के हम्मन टकराहा हन” से स्पष्ट होता है।
सहनशीलता (Tolerance) – वे अपनी दैनिक समस्याओं और प्राकृतिक चुनौतियों को धैर्यपूर्वक सहते हैं।
प्रेम और भाईचारा (Love and Fraternity) – “हितवाई के दीया करथे, अंतस मा परकास इहाँ” के अनुसार, वे एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सहयोग की भावना रखते हैं, जो दुख की अँधेरी में भी प्रकाश का काम करता है।
सादगी और संतोष (Simplicity and Contentment) – कड़ी मेहनत के बावजूद वे प्रकृति के करीब रहते हैं और अपने सीमित साधनों में संतुष्ट जीवन जीते हैं।
- अपने क्षेत्र में खेले जाने वाले कुछ पारंपरिक खेलों के संबंध में आपको जानकारी होगी। उन खेलों के संबंध में निम्नानुसार जानकारी दीजिए-
उत्तर –
क्र. सं. | खेल का नाम | खिलाड़ियों की संख्या | खेलने के तरीके | प्रमुख विशेषताएँ |
1. | फुगड़ी | 2 या उससे अधिक (केवल लड़कियाँ/महिलाएँ) | खिलाड़ी आमने-सामने खड़ी होकर हाथ पकड़ती हैं और गोल घूमते हुए झुककर बैठती-उठती हैं। | यह संतुलन और तालमेल का खेल है, जो आमतौर पर तीजा त्यौहार के आस-पास खेला जाता है। |
2. | गिल्ली-डंडा | 2 दल या व्यक्तिगत | लकड़ी की छोटी गिल्ली को डंडे से उछालकर दूर मारा जाता है। | यह सटीकता और दूरी मापने का खेल है। पूरे देश में लोकप्रिय है पर छत्तीसगढ़ में इसका विशेष चलन है। |
3. | खुडुवा (कबड्डी का स्थानीय रूप) | प्रत्येक दल में 7-10 | दो दलों के खिलाड़ी एक-दूसरे के पाले में “खुड़-खुड़” बोलते हुए जाकर खिलाड़ियों को छूने का प्रयास करते हैं। | यह शक्ति, श्वास नियंत्रण और रणनीति का खेल है। यह गाँव के मैदानों में पूरे वर्ष खेला जाता है। |
भाषा के बारे में
- छत्तीसगढ़ी के निम्नलिखित क्रियापदों को हिंदी में लिखिए-
जैसे “बोहे रहिथे” अर्थात् धारण किया रहता है।
(क) माढ़े हे
(ख) खेलत रहिथे
(ग) धमसा कूदै
(घ) लिक्खे हे
(ङ) तउँरत हे
छत्तीसगढ़ी क्रियापद | हिंदी में अर्थ |
(क) माढ़े हे | स्थापित हैं/जमे हुए हैं |
(ख) खेलत रहिथे | खेलता रहता है |
(ग) धमसा कूदै | तेजी से कूदता है (यानी उत्साह से कूदना) |
(घ) लिक्खे हे | लिखा हुआ है/लिखा है |
(ङ) तउँरत हे | तैर रहा है/बह रहा है |
योग्यता विस्तार
- छत्तीसगढ़ी और हिंदी में लिखी गई कुछ अन्य ग़ज़लों का संग्रह कीजिए और अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर – निर्देश – इस गतिविधि के लिए आप छत्तीसगढ़ी के प्रमुख कवि पद्मश्री मुकुटधर पाण्डेय या डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा की रचनाओं से और हिंदी के लिए दुष्यंत कुमार या निदा फ़ाज़ली की ग़ज़लों का संग्रह कर सकते हैं।
- आपके गाँव में विराजित लोक देवी-देवताओं के नाम लिखिए।
उत्तर – शीतला माता
ठाकुर देव
बूढ़ा देव
दाई (स्थानीय ग्राम देवी)
बानासुर बाबा
- अपने आस-पास के ऐतिहासिक स्थलों के बारे में अपने बड़े-बुजुर्गों से जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर – अपने दादा-दादी या गाँव के वरिष्ठ लोगों से अपने क्षेत्र के किसी पुराने मंदिर, किले के अवशेष, या पुरातत्व स्थल के बारे में पूछें। उस स्थल का नाम, उसका इतिहास (कब बना, किसने बनवाया) और उससे जुड़ी कोई स्थानीय कहानी या मान्यता लिख सकते हैं।
उदाहरण – मेरे क्षेत्र में एक पुरानी शिव मंदिर (या कोई प्राचीन तालाब) है जिसके बारे में बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि यह कलचुरी काल के राजाओं ने बनवाया था। इससे जुड़ी एक कहानी… (आगे कहानी लिखें)।
- यहाँ दिए गए अन्य रचनाकारों की ग़ज़ल भी पढ़िए-
छत्तीसगढ़ी गज़ल
बार के दिया संगी, अँगना मा घरके
फेंकव अँधियारी ला झउँहा मा भरके।
अलगू अउ जुम्मन कहाँ बइठे होंहीं।
खोजत हे प्रेमचंद गाँव मा उतर के।
कारखाना चर डारिस जंगल ला भइया।
दउँरत हे खेत डहर जंगल ला चरके।
फोटुच मा बड़ सुघ्घर दिखथे समारू।
माटी के भिथिया अउ छानी खदर के।
डॉ. जीवन यदु
हिंदी गज़ल
कैसे मंजर सामने आने लगे हैं,
गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं।
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो,
ये कँवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं।
वो सलीबों के करीब आए तो हमको
कायदे-कानून समझाने लगे हैं।
एक कब्रिस्तान में घर मिल रहा है
जिसमें तहखानों में तहखाने लगे हैं।
दुष्यन्त कुमार
शब्दार्थ
सलीब – सूली
मंजर – दृश्य
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
- कविता में नँदिया और नरवा में क्या तैरता है?
a) मछलियाँ
b) विश्वास
c) पत्थर
d) बच्चे
उत्तर – b) विश्वास - पथरों पर क्या लिखा है, जैसा कविता में बताया गया है?
a) कविता
b) इतिहास
c) गीत
d) कहानी
उत्तर – b) इतिहास - कविता में गर्मी में क्या तपता है?
a) भँवरा
b) पानी
c) बच्चे
d) नदी
उत्तर – a) भँवरा - बच्चे सालभर क्या खेलते हैं?
a) क्रिकेट
b) खुडुवा
c) फुटबॉल
d) कबड्डी
उत्तर – b) खुडुवा - पूस और माघ में क्या अनुभव होता है?
a) गर्मी
b) ठंड
c) बारिश
d) कोहरा
उत्तर – b) ठंड - बैसाख महीने को किसके समान बताया गया है?
a) बर्फ
b) अंगार
c) पानी
d) हवा
उत्तर – b) अंगार - सावन में लोग क्या करते हैं?
a) सोते हैं
b) धमसा कूदते हैं
c) खेती करते हैं
d) गाते हैं
उत्तर – b) धमसा कूदते हैं - छत्तीसगढ़ की धरती के गुणों को क्या बताया गया है?
a) साधारण
b) अनूठा
c) सामान्य
d) कमजोर
उत्तर – b) अनूठा - बच्चे इस कविता में क्या बोते हैं?
a) फसल
b) सपने (अगास)
c) बीज
d) फूल
उत्तर – b) सपने (अगास) - जीवन की पीड़ा कहाँ फीकी पड़ती है?
a) अंधेरे में
b) मित्रता में
c) नदी में
d) खेत में
उत्तर – b) मित्रता में - कविता में मित्रता को किसके समान बताया गया है?
a) दीया
b) सूरज
c) पानी
d) पत्थर
उत्तर – a) दीया - कविता में छत्तीसगढ़ को किस पौराणिक कथा से जोड़ा गया है?
a) महाभारत
b) रामायण
c) भागवत
d) वेद
उत्तर – b) रामायण - राम, लक्ष्मण और सीता को कविता में क्या कहा गया है?
a) राजा
b) अतिथि
c) योद्धा
d) पुजारी
उत्तर – b) अतिथि - कविता में बानासुर का उल्लेख किसके संदर्भ में है?
a) राजा
b) योद्धा
c) राक्षस
d) पुजारी
उत्तर – a) राजा - हर चौका से कोन्टा तक क्या विराजमान है?
a) फूल
b) देवता और धामी
c) नदियाँ
d) बच्चे
उत्तर – b) देवता और धामी - कविता में छत्तीसगढ़ को किस क्षेत्र से जोड़ा गया है?
a) मगध
b) कोसल
c) अवध
d) पांचाल
उत्तर – b) कोसल - कविता में गंगा मैया और कैलास का क्या महत्त्व है?
a) ऐतिहासिक
b) आध्यात्मिक
c) प्राकृतिक
d) सांस्कृतिक
उत्तर – b) आध्यात्मिक - कविता में जीवन के अंधेरे को क्या दूर करता है?
a) सूरज
b) मित्रता का दीया
c) नदी
d) पत्थर
उत्तर – b) मित्रता का दीया - कविता में बच्चों के सपनों को किसके समान बताया गया है?
a) नदी
b) आकाश
c) पत्थर
d) आग
उत्तर – b) आकाश - कविता में छत्तीसगढ़ की धरती को कैसे वर्णित किया गया है?
a) सामान्य
b) अलग और गुणवान
c) सूखी
d) ठंडी
उत्तर – b) अलग और गुणवान
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
क्र. सं. | प्रश्न | उत्तर |
1. | कवि के अनुसार, इस धरती पर किसकी आस्था और विश्वास बह रहा है? | कवि के अनुसार, इस धरती पर मनुष्यों (मनखे) का विश्वास नदियों और नालों (नँदिया-नरवा) में बह रहा है। |
2. | इस भूमि का इतिहास कहाँ लिखा हुआ है? | इस भूमि का इतिहास पत्थर-पत्थर (पथरा-पथरा) पर लिखा हुआ है। |
3. | इस धरती के लोग किन दो विपरीत परिस्थितियों का सामना करने वाले हैं? | इस धरती के लोग तीव्र अग्नि या भीषण गर्मी (तीपत भोंभरा) और बरसते हुए पानी का सामना करने वाले हैं। |
4. | यहाँ के बच्चे साल भर कौन-सा खेल खेलते रहते हैं? | यहाँ के बच्चे साल भर खुडुवा (कबड्डी जैसा खेल) खेलते रहते हैं। |
5. | किस महीने में यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है? | पूस (पौष) और माघ के महीने में यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है। |
6. | कौन-सा महीना यहाँ अंगारे की तरह तपाता है? | बइसाख (वैशाख) का महीना यहाँ अंगारे की तरह तपाता है। |
7. | सावन (श्रावण) के चौमास में लोग क्या करते हैं? | सावन के चौमास में लोग पागलों की तरह उत्साहित होकर जोर-जोर से उछलते-कूदते (धमसा कूदै) हैं। |
8. | इस धरती के छोटे-छोटे बच्चे क्या धारण किए रहते हैं? | इस धरती के छोटे-छोटे बच्चे आकाश (अगास) को धारण किए रहते हैं, जिसका तात्पर्य बड़े सपनों से है। |
9. | अंधकारमय जीवन में कौन-सा दीपक प्रकाश करता है? | हितैषी भाव या मित्रता (हितवाई) का दीपक जीवन के घने अंधेरे में भी हृदय में प्रकाश करता है। |
10. | कवि ने इस भूमि को किसका ननिहाल बताया है? | कवि ने इस भूमि को भगवान राम और लक्ष्मण का ननिहाल बताया है। |
11. | यह भूमि किस राक्षसराज का राज्य भी रही है? | यह भूमि राक्षसराज बानासुर का राज्य भी रही है। |
12. | राम, लक्ष्मण और सीता यहाँ किस रूप में आए थे? | राम, लक्ष्मण और सीता यहाँ खास मेहमान (पहुना) बनकर आए थे। |
13. | हर घर के चौके से कोने तक में कौन स्थापित हैं? | हर घर के चौके से कोने तक में देवता और धामी (देवता धामी) स्थापित हैं। |
14. | कवि ‘कौसल’ के अनुसार, यहाँ किस नदी और तीर्थ के दर्शन होते हैं? | कवि ‘कौसल’ के अनुसार, यहाँ गंगा मैया और कैलाश तीर्थ के दर्शन होते हैं। |
15. | “मनखे के बिसवास” का “तँउरत हे” होने का क्या अभिप्राय है? | इसका अभिप्राय है कि लोगों का विश्वास इस भूमि पर हमेशा जीवित और गतिशील (प्रवाहित) है। |
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- कविता में नदियों और नालों का क्या महत्त्व बताया गया है?
उत्तर – कविता में नदियाँ और नाले लोगों के विश्वास को तैरने का प्रतीक हैं। ये छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और भावनात्मक धरोहर को दर्शाते हैं। यहाँ की नदियाँ जीवन और विश्वास का आधार हैं, जो लोगों को एकजुट रखती हैं। - पत्थरों पर लिखे इतिहास से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – कविता में पत्थरों पर लिखा इतिहास छत्तीसगढ़ की प्राचीन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाता है। यह क्षेत्र की गौरवशाली परंपराओं, कथाओं और पौराणिक महत्त्व को संरक्षित करने का प्रतीक है, जो पीढ़ियों तक जीवित रहता है। - कविता में गर्मी और बारिश का वर्णन कैसे किया गया है?
उत्तर – कविता में गर्मी में भँवरों की तपन और बारिश में पानी की टकराहट का वर्णन है। भँवरे गर्मी की तीव्रता और पानी की टकराहट बरसात की जीवंतता को दर्शाते हैं, जो छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक विविधता को रेखांकित करता है। - बच्चों के खेल “खुडुवा” का कविता में क्या महत्त्व है?
उत्तर – खुडुवा खेल बच्चों की मासूमियत और छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति को दर्शाता है। सालभर खेलने से बच्चों की ऊर्जा और सामाजिकता झलकती है। यह स्थानीय परंपराओं और सामुदायिक जीवन की सादगी को उजागर करता है। - कविता में मौसमों का वर्णन कैसे किया गया है?
उत्तर – कविता में पूस-माघ में ठंड, बैसाख में अंगार-सी गर्मी और सावन में चार महीने बारिश का वर्णन है। लोग सावन में धमसा नृत्य करते हैं, जो छत्तीसगढ़ की जलवायु और उत्सवों की जीवंतता को दर्शाता है। - छत्तीसगढ़ की धरती को अनूठा क्यों बताया गया है?
उत्तर – छत्तीसगढ़ की धरती को अनूठा बताया गया है क्योंकि यहाँ की प्रकृति, संस्कृति और आध्यात्मिकता अद्वितीय हैं। यहाँ के बच्चे आकाश जैसे सपने देखते हैं, जो इसकी प्रेरणादायक और गुणवान प्रकृति को दर्शाता है। - मित्रता का दीया कविता में क्या प्रतीक है?
उत्तर – मित्रता का दीया जीवन के अंधेरे और कठिनाइयों में प्रकाश का प्रतीक है। यह छत्तीसगढ़ के लोगों की सामाजिक एकता और सहानुभूति को दर्शाता है, जो संकट में एक-दूसरे का साथ देकर मन को रोशन करते हैं। - रामायण से छत्तीसगढ़ का संबंध कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर – कविता में राम, लक्ष्मण और सीता को छत्तीसगढ़ में अतिथि के रूप में वर्णित किया गया है। बानासुर के राज का उल्लेख क्षेत्र की पौराणिकता को जोड़ता है, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को रेखांकित करता है। - कविता में कोसल क्षेत्र का उल्लेख क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर – कोसल क्षेत्र का उल्लेख छत्तीसगढ़ की पौराणिक और ऐतिहासिक पहचान को दर्शाता है। गंगा और कैलास की पवित्रता इसे आध्यात्मिक केंद्र बनाती है, जो इसकी धार्मिक समृद्धि और सांस्कृतिक महत्त्व को उजागर करता है। - कविता में बच्चों के सपनों को आकाश से क्यों जोड़ा गया है?
उत्तर – बच्चों के सपनों को आकाश से जोड़ा गया है क्योंकि वे ऊँचे और असीमित हैं। यह छत्तीसगढ़ के लोगों की महत्वाकांक्षा और प्रेरणा को दर्शाता है, जो साधारण जीवन में भी बड़े सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने का साहस रखते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- कविता में छत्तीसगढ़ की प्रकृति और संस्कृति का वर्णन कैसे किया गया है?
उत्तर – कविता में छत्तीसगढ़ की प्रकृति को नदियों, नालों, तपते भँवरों, और बरसात की टकराहट से दर्शाया गया है। संस्कृति का चित्रण बच्चों के खुडुवा खेल, धमसा नृत्य, और रामायण से संबंध के माध्यम से हुआ है। यहाँ की धरती अनूठी है, जहाँ विश्वास, इतिहास, और उत्सव जीवंत हैं, जो छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक और सांस्कृतिक समृद्धि को रेखांकित करता है। - कविता में आध्यात्मिकता को कैसे उजागर किया गया है?
उत्तर – कविता में आध्यात्मिकता को हर घर और गाँव में विराजमान देवताओं और धामियों, कोसल क्षेत्र की गंगा, और कैलास की पवित्रता से दर्शाया गया है। राम, लक्ष्मण और सीता का अतिथि के रूप में आना छत्तीसगढ़ की धार्मिक धरोहर को रेखांकित करता है। मित्रता का दीया अंतस में प्रकाश फैलाता है, जो आध्यात्मिक एकता को दर्शाता है। - मित्रता और सामाजिकता का कविता में क्या महत्त्व है?
उत्तर – कविता में मित्रता को दीये के रूप में वर्णित किया गया है, जो जीवन की कठिनाइयों और अंधेरे में प्रकाश फैलाता है। यह छत्तीसगढ़ के लोगों की सामाजिक एकता और सहानुभूति को दर्शाता है। संकट में एक-दूसरे का साथ देना और मन को रोशन करना यहाँ की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो कविता को गहराई देता है। - कविता में छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर – कविता में पत्थरों पर लिखा इतिहास और बानासुर का राज छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाता है। राम, लक्ष्मण और सीता का अतिथि के रूप में आना रामायण से संबंध जोड़ता है। कोसल क्षेत्र, गंगा और कैलास की पवित्रता इसे पौराणिक केंद्र बनाती है, जो छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को उजागर करता है। - कविता में बच्चों के सपनों और छत्तीसगढ़ की धरती के गुणों का क्या संबंध है?
उत्तर – कविता में बच्चों के सपनों को आकाश से जोड़ा गया है, जो उनकी असीमित महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। छत्तीसगढ़ की धरती को अनूठा और गुणवान बताया गया है, जो इन सपनों को प्रेरणा देती है। यहाँ की प्रकृति, संस्कृति और आध्यात्मिकता बच्चों को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस देती है, जो कविता का केंद्रीय संदेश है।

