पाठ परिचय – प्लास्टिक – कल का खतरा, आज ही जागें
सुदिप्ता घोष का लेख प्लास्टिक कल का खतरा, आज ही जागें हमें प्लास्टिक के उपयोग व उससे उपजे खतरों से अवगत कराता है। आज हम अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक से घिरे हुए हैं। पग-पग पर हमें प्लास्टिक की जरूरत पड़ती है। लेकिन फायदों के साथ ही यह सेहत व पर्यावरण के लिए घातक बन गया है।
प्रशांत महासागर की गहराइयों में कैलिफोर्निया के तट से 800 कि.मी. और जापान के तट से 300 कि.मी. की दूरी पर एक ऐसी पट्टी है, जिसे आधुनिक सभ्यता का क्रूर प्रतीक माना जा सकता है। इसे ‘द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच’ (प्रशांत कचरा पट्टी) नाम दिया गया है। माना जाता है कि इसका आकार भारत से चार गुना बड़ा है। इसमें पूरा कूड़ा करकट भरा हुआ है, जिसमें सबसे ज्यादा प्लास्टिक का कचरा भरा हुआ है। यह वह प्लास्टिक है जिसे हम इधर-उधर ज़मीन पर फेंक देते हैं। फिर यह हवा और बारिश के पानी से होता हुआ नालियों में जाता है। नालियों से नदियों और नदियों से महासागरों में पहुँच जाता है। यह फिर सागर की लहरों पर सवार होकर प्रशांत महासागर की इस पट्टी में जमा हो जाता है।
प्लास्टिक जिसे 20 वीं सदी में ‘चमत्कारिक पदार्थ की उपाधि से नवाजा गया था, अब हमारी आधुनिक सभ्यता के निष्ठुर चेहरे के रूप में उभर रहा है। इसके जैसा लचकदार पदार्थ प्रकृति में और कोई नहीं है। यह टिकाऊ है, वाटरप्रूफ है, बहुत हल्का व सस्ता है और सबसे बड़ी बात इसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। हर दिन इसमें नए-नए गुण जोड़े जा रहे हैं, जिससे प्लास्टिक की उपयोगिता और भी बढ़ती जा रही है। प्लास्टिक के इन्हीं फायदों की वजह से अब यह सेहत और पर्यावरण के लिए घातक बनता जा रहा है। प्लास्टिक को प्रकृति में अपघटित (नष्ट) नहीं किया जा सकता। इसलिए अब तक हमने जो भी प्लास्टिक निर्मित किया है, उसका प्रत्येक अणु कहीं न कहीं पर्यावरण में मौजूद है और आने वाले सैकड़ों सालों तक यह वैसा ही रहेगा।
मनचाहा आकार देकर उसे ठोस रूप से परिवर्तित किया जा सके, ऐसे पदार्थ की चाहत ने ही मनुष्य को प्रकृति में उपस्थित प्लास्टिक के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया। लेकिन बढ़ती माँग की पूर्ति यह प्राकृतिक प्लास्टिक नहीं कर पाया तो कृत्रिम प्लास्टिक के निर्माण की ज़रूरत महसूस हुई। आज अधिकांशतः कृत्रिम प्लास्टिक का ही इस्तेमाल होता है जो कच्चे तेल, कोयले अथवा प्राकृतिक गैस से बनाया जाता है।
लोकप्रिय क्यों?
हमारी जिंदगी पर प्लास्टिक का गहरा असर है। अनेक प्लास्टिक तो हमारे घर के सदस्य जैसे हो गए हैं, जैसे- नायलॉन, पॉलिस्टर, पॉलीथिन, टेफलॉन बहुउपयोगी और सस्ता होने के कारण प्लास्टिक इतना लोकप्रिय हुआ है। प्लास्टिक कृत्रिम रूप से बनाया जाता है और विभिन्न प्रकार के उपयोग के लिए अलग-अलग गुणों वाले प्लास्टिक का कोई भी मिश्रण तैयार किया जा सकता है। हमारे पास कई तरह के प्लास्टिक उपलब्ध हैं- कठोर प्लास्टिक, कम वजनी प्लास्टिक, पारदर्शी प्लास्टिक, ताप या बिजली का कुचालक इत्यादि। इन्हीं विशेषताओं के कारण प्लास्टिक बहुपयोगी पदार्थ बन गया है। पैकेजिंग, भवन निर्माण, स्वास्थ्य-सुविधाओं, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि, खेल सामग्री और वस्त्र उद्योग में इसका व्यापक इस्तेमाल होता है। आज प्लास्टिक बड़ी तेजी से सभी पारंपरिक पदार्थों जैसे- जूट, कॉटन, चमड़ा, पेपर और रबर का स्थान लेता जा रहा है। अधिकांश प्लास्टिक पेट्रो रसायन खासकर तेल व प्राकृतिक गैस से बनाए जाते हैं, जो सस्ते होते हैं। प्लास्टिक उद्योग का काफी मशीनीकरण हो चुका है और उसमें मानव श्रम का इस्तेमाल कम से कम होता है इस वजह से भी प्लास्टिक सस्ता पड़ता है।
प्लास्टिक की समस्याएँ
इस चमत्कारिक पदार्थ के साथ अनेक समस्याएँ भी जुड़ी हुई हैं, खासकर इसके जहरीले प्रभाव और पर्यावरणीय खतरों को लेकर सर्वत्र चिंता जताई जा रही है।
ज़हरीले प्रभाव – विशुद्ध प्लास्टिक पानी में अघुलनशील और रसायनिक तौर पर अपेक्षाकृत निष्क्रिय होता है। इसलिए प्लास्टिक अपने शुद्ध रुप में कम जहरीला होता है। लेकिन हम विशुद्ध प्लास्टिक का बहुत कम इस्तेमाल करते हैं। मनचाहा प्लास्टिक हासिल करने के लिए उसमें विभिन्न तरह के ज़हरीले एडिटिव मिलाए जाते हैं। खाद्य पदार्थों, पानी आदि के प्लास्टिक के संपर्क में आने से ये ज़हरीले रसायन उसमें से बाहर आ सकते हैं। पीवीसी को लचीला बनाने के लिए उसमें जो रसायन मिलाए जाते हैं, उनके बारे में पाया गया कि वे हार्मोनल प्रक्रियाओं में बाधा पहुँचाते हैं और इस तरह कैंसर की आशंका पैदा करते हैं। शिशुओं की दूध की पारदर्शी बोतल जिस पॉलीकार्बोनेट से बनाई जाती है, उसमें बिस्फिनॉल – ए (बीपीए) होता है, जो हार्मोन में गड़बड़ियों के लिए जाना जाता है। इससे कैंसर, इंसुलिन में बाधा, जलन और दिल की बीमारियाँ हो सकती हैं। कुछ एडिटिव आनुवंशिकी क्षति भी पहुँचा सकते हैं।
दैनिक जीवन में प्लास्टिक के लगातार बढ़ते इस्तेमाल के कारण जहर का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। भारत जैसे देश में सस्ता प्लास्टिक, खासकर गरीब तबकों के बीच, तेजी से पैठ बनाता जा रहा है। साथ ही इसके गलत इस्तेमाल से भी स्वास्थ्य संबंधी बड़े खतरे पैदा हो रहे हैं। जागरुकता की कमी और प्लास्टिक के निस्तारण की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण कई बार प्लास्टिक को अन्य कूड़े-करकट के साथ जला दिया जाता है। प्लास्टिक को जलाने पर कार्बन मोनोऑक्साइड, डाइऑक्सीन और यूरॉन जैसी जहरीली गैसें हवा में फैल जाती हैं। डाईआक्सीन और यूरॉन से कैंसर व श्वास संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं। इस तरह ये गैसें काफी खतरनाक होती हैं।
पर्यावरणीय खतरे – पर्यावरण के लिए प्लास्टिक लगातार घातक साबित हो रहा है। अधिकांश कृत्रिम प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बनाया जाता है। जिन तकनीकों का इस्तेमाल इसमें किया जाता है, उसमें ऊर्जा की बहुत अधिक खपत होती है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया में उत्पादित कुल कच्चे तेल में से 8 फीसदी का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने में किया जाता है। प्लास्टिक के निर्माण के दौरान भी बड़ी मात्रा में जहरीले रसायन उत्सर्जित होते हैं।
विश्व में प्लास्टिक की खपत करीब 20 करोड़ टन है और यह पाँच फीसदी की सालाना दर से बढ़ रही है। हर साल दुनिया भर में प्लास्टिक की 500 अरब थैलियों का इस्तेमाल किया जाता है और अंत में वे कचरे के ढेर में फेंक दी जाती हैं। वे नालियों और ड्रेनेज सिस्टम को अवरुद्ध करती हैं। इसी का नतीजा होता है कि बारिश में अनेक शहरों में बाढ़ जैसे नजारे देखने को मिलते हैं।
प्लास्टिक का जैव अपघटन नहीं होता और वह विघटन की प्राकृतिक प्रक्रिया का प्रतिरोधी होता है। इसलिए वह प्रकृति में हजारों-लाखों सालों तक ऐसे ही बना रहेगा। जब वह अपघटित होता भी है, तब अनेक जहरीले रसायन प्रकृति में छोड़ता है, जिससे हमारी जमीन, झीलें, नदियाँ प्रदूषित हो जाती हैं। यह जमीन के भीतर रिसकर भूमिगत पानी को भी खराब कर देता है।
समुद्र में पाई जाने वाली कम से कम 267 जीव प्रजातियों पर प्लास्टिक के कचरे का असर पड़ा है। प्लास्टिक अनेक पशुओं जैसे बकरियों, गायों, हिरणों की आँतों में भी पाया गया है और इस कारण वे बैमौत मारे भी जाते हैं। पानी में बहते, हवा में उड़ते और सूरज के ताप के असर से प्लास्टिक समय के साथ बहुत ही सूक्ष्म कणों में बँट जाता है। ये सूक्ष्म कण प्लवक और अन्य छोटे जीवों में पहुँच जाते हैं। इन्हें बड़े जीव निगल लेते हैं। ऐसे में निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि प्लास्टिक हमारी खाद्य शृंखला में शामिल होते जा रहे हैं जिसके बहुत ही घातक व दूरगामी परिणाम होंगे।
समस्या का समाधान
सबसे पहले तो हमें प्लास्टिक का अंधाधुंध इस्तेमाल बंद करना होगा। ऐसे कुछ क्षेत्र हैं, जहाँ प्लास्टिक वाकई बहुत जरुरी है। उदाहरण के लिए आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में जहाँ प्लास्टिक से डिस्पोजल सिरिंज, कैथेटर, कृत्रिम कॉर्निया, श्रवण यंत्र और कैप्स्यूल के आवरण बनाए जाते हैं। इनके लिए ऐसा कोई वैकल्पिक पदार्थ नहीं है, जो प्लास्टिक जितना ही सस्ता और प्रभावी हो। लेकिन ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहाँ प्लास्टिक के इस्तेमाल को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कुल खपत का 35 फीसदी प्लास्टिक पैकेजिंग उद्योग में इस्तेमाल किया जाता है। इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। शैंपू के सैशे (छोटे पैकेट), दाल, चावल, बिस्कुट और अन्य पदार्थों की खुदरा पैकेजिंग में प्लास्टिक का बहुत इस्तेमाल होता है। इसे पूरी तरह से टाला जा सकता है। इसके लिए हमें पारंपरिक पैकेजिंग सामग्री जैसे जूट, कपड़ा, कॉटन आदि को फिर से चलन में लाने की जरुरत है।
पौधों के अर्क से ऐसे प्लास्टिक के विकास पर काफी अनुसंधान किया जा रहा है, जो जैव-अपघटन योग्य हो। इस तरह के कुछ प्लास्टिक पहले से ही बाजार में उपलब्ध हैं। जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक मौजूदा कृत्रिम प्लास्टिक का अच्छा विकल्प हो सकता है हालाँकि अभी यह अपेक्षाकृत महँगा है। इसके अलावा प्लास्टिक का रिसाइक्लिंग भी एक विकल्प है। वर्तमान में हम हर साल जितना प्लास्टिक फेंक रहे हैं, उसका महज 10 फीसदी ही रिसाइकल हो पाता है। पेट्रो रसायनों के दामों में लगातार वृद्धि के चलते नए प्लास्टिक का उत्पादन महँगा होता जाएगा। ऐसे में भविष्य में प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग की बड़ी भूमिका होगी।
छँटाई और प्रक्रियागत जटिलताओं के कारण भी प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग को काफी हद तक कम किया जा सकता है। प्लास्टिक में मिलाए जाने वाले एडिटिव और अन्य पदार्थों के साथ उनके मिश्रण के तरीकों के कारण भी कई बार वे रिसाइक्लिंग के लायक नहीं रहते हैं। उदाहरण के लिए पेय पदार्थों, दूध और तेल की पैकेजिंग में होने वाले टेट्रापैक में पतली पॉलीथीन के साथ पेपर बोर्ड का उपयोग किया जाता है। इससे उसका रिसाइक्लिंग मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा किसी प्लास्टिक को रिसाइकल करके उसी तरह का प्लास्टिक नहीं बनाया जा सकता। उदाहरण के लिए सॉफ्टड्रिंक की बोतल के प्लास्टिक को रिसाइकल करके प्लास्टिक की कुर्सियाँ ही बनाई जा सकती हैं, दुबारा बोतल नहीं बनाई जा सकती। और इससे भी बदतर, रिसाइकल किए गए प्लास्टिक से जो उत्पाद बनाए जाते हैं, उन्हें फिर से रिसाइकल नहीं किया जा सकता।
ऐसे में सबसे महत्त्वपूर्ण समाधान तो यह है कि हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव लाना चाहिए। हमें प्लास्टिक का कम-से-कम इस्तेमाल करना चाहिए, वहीं करना चाहिए जहाँ वाकई इसके बगैर काम नहीं चल सकता। अगर हमारे पदार्थ कम दूरी तय करेंगे तो उनकी पैकेजिंग की जरुरत भी कम होगी। ऐसे में हमें स्थानीय स्तर पर उत्पन्न मौसमी पदार्थों का ही अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए, जिनके लिए पैकेजिंग की आवश्यकता कम रहेगी।
विश्व स्तर पर प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत 26 कि.ग्रा. सालाना है। प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत का सीधा संबंध प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय से है। जो देश जितना अधिक संपन्न है, वहाँ प्लास्टिक की खपत भी उतनी अधिक होती है। प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत उत्तरी अमेरीका में 90 कि.ग्रा., पश्चिमी यूरोप में 65 कि.ग्रा., चीन में 12 कि.ग्रा. और भारत में 5 कि.ग्रा. है। लेकिन भारत के संदर्भ में बुरी खबर यह है कि यहाँ खपत 15 फीसदी की दर से बढ़ रही है। इसलिए हमें प्लास्टिक के कम से कम इस्तेमाल और एक ही प्लास्टिक के दुबारा इस्तेमाल की ओर बढ़ना होगा।
आज ही करें शुरुआत
हम सभी व्यक्तिगत स्तर पर भी प्लास्टिक का विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने की दिशा में प्रयास कर सकते हैं। सबसे पहले हम इस बात पर विचार करें कि अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक का कितना उपयोग करते हैं। क्लास रूम, स्कूल और घर में झाँके और चिह्नित करें कि कितनी चीजें प्लास्टिक से बनी हैं। इनमें से कितनी चीजें हमारे भोजन या पेय पदार्थों से सीधे संपर्क में आती हैं? सोचें कि पिछली बार आपने बिस्कुट के जिस पैकेट को खोला था उसके रैपर का क्या किया? पिछले माह आपके परिवार ने कितने पॉलीथिन बैग्स का इस्तेमाल किया? पिछली यात्रा के दौरान आपने पानी की कितनी बोतलें खरीदीं? उन खाली बोतलों का क्या किया? आप जिस गद्दे पर सोते हैं वह किससे बना है? आप जो कपड़े पहनते हैं वे किस पदार्थ से बने हैं? क्या आप भोजन गर्म करने के लिए किसी प्लास्टिक के बर्तन का इस्तेमाल करते हैं?
इस तरह कहा जा सकता है कि प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है और हमारी सेहत पर इसका काफी नकारात्मक असर पड़ा है। प्लास्टिक से मुक्त दुनिया बनाने की दिशा में काम करने की महती जरूरत है। आइए, हम इस नजरिये के साथ शुरुआत करें कि अधिकांश मौकों पर प्लास्टिक के इस्तेमाल की कोई जरूरत नहीं है। एक बेहतर कल के लिए हम बेहतर आदत डालें।
प्लास्टिक – कल का खतरा, आज ही जागें – सारांश
प्रशांत महासागर में ‘द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच’ भारत से चार गुना बड़ा कचरा क्षेत्र है, जिसमें मुख्यतः प्लास्टिक जमा है। प्लास्टिक, जो टिकाऊ, हल्का, और सस्ता है, पर्यावरण और सेहत के लिए खतरा बन गया है, क्योंकि यह अपघटित नहीं होता। यह कच्चे तेल, कोयले या गैस से बनता है और पैकेजिंग, निर्माण, स्वास्थ्य, और अन्य क्षेत्रों में उपयोग होता है। इसके जहरीले प्रभाव, जैसे हार्मोनल समस्याएं और कैंसर, चिंता का विषय हैं। जलाने से डाइऑक्सीन जैसी गैसें निकलती हैं, जो समुद्री जीवों और खाद्य शृंखला को नुकसान पहुँचाती हैं। समाधान में कम उपयोग, जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक, रिसाइक्लिंग, और जूट जैसे पारंपरिक सामग्री का उपयोग शामिल है। व्यक्तिगत जागरूकता और कम खपत जरूरी है।
प्लास्टिक – कल का खतरा, आज ही जागें – सारांश
प्रशांत महासागर में ‘द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच’ भारत से चार गुना बड़ा कचरा क्षेत्र है, जिसमें मुख्यतः प्लास्टिक जमा है। प्लास्टिक, जो टिकाऊ, हल्का, और सस्ता है, पर्यावरण और सेहत के लिए खतरा बन गया है, क्योंकि यह अपघटित नहीं होता। यह कच्चे तेल, कोयले या गैस से बनता है और पैकेजिंग, निर्माण, स्वास्थ्य, और अन्य क्षेत्रों में उपयोग होता है। इसके जहरीले प्रभाव, जैसे हार्मोनल समस्याएं और कैंसर, चिंता का विषय हैं। जलाने से डाइऑक्सीन जैसी गैसें निकलती हैं, जो समुद्री जीवों और खाद्य शृंखला को नुकसान पहुँचाती हैं। समाधान में कम उपयोग, जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक, रिसाइक्लिंग, और जूट जैसे पारंपरिक सामग्री का उपयोग शामिल है। व्यक्तिगत जागरूकता और कम खपत जरूरी है।
शब्दार्थ
पट्टी – क्षेत्र विशेष
क्रूर – निर्दयी
आनुवंशिकी – जनन संबंधी; निस्तारण
निष्ठुर – कठोर हृदय
जैव अपघटन – स्वाभाविक रूप से सड़ना;
निपटारा – निपटान।
हिंदी शब्द | हिंदी अर्थ | अंग्रेजी अर्थ (English Meaning) |
क्रूर | कठोर या निष्ठुर | Cruel |
चमत्कारिक | आश्चर्यजनक | Miraculous |
निष्ठुर | निर्दयी या कठोर | Ruthless |
लचकदार | लचीला या नरम | Flexible |
अपघटित | विघटित या नष्ट होना | Decompose |
कृत्रिम | मानव निर्मित | Artificial |
बहुउपयोगी | कई कार्यों में उपयोगी | Versatile |
कुचालक | जो संचालन न करे | Non-conductor |
जहरीले | विषैला या हानिकारक | Toxic |
एडिटिव | मिश्रित पदार्थ | Additive |
हार्मोनल | हार्मोन संबंधी | Hormonal |
आनुवंशिकी | जीन से संबंधित | Genetic |
निस्तारण | निपटान या प्रबंधन | Disposal |
डाइऑक्सीन | जहरीला रासायनिक यौगिक | Dioxin |
यूरॉन | जहरीला रासायनिक यौगिक | Furan |
जीवाश्म ईंधन | कोयला, तेल आदि | Fossil Fuel |
अवरुद्ध | रुकावट डालना | Obstruct |
सूक्ष्म | बहुत छोटा | Microscopic |
प्लवक | सूक्ष्म समुद्री जीव | Plankton |
जैव-अपघटन योग्य | प्रकृति में विघटित होने योग्य | Biodegradable |
रिसाइक्लिंग | पुनर्चक्रण | Recycling |
पाठ से
- “द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच” क्या है? इसे आधुनिक सभ्यता का क्रूर प्रतीक क्यों माना जाता है?
उत्तर – “द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच” प्रशांत महासागर में स्थित एक विशाल पट्टी है, जो भारत के आकार से भी लगभग चार गुना बड़ी है और पूरी तरह से कूड़े-करकट, विशेषकर प्लास्टिक कचरे से भरी हुई है। इसे आधुनिक सभ्यता का क्रूर प्रतीक इसलिए माना जाता है क्योंकि यह हम मनुष्यों द्वारा लापरवाही से फेंके गए प्लास्टिक कचरे का एक विशाल भंडार है, जो हमारी सभ्यता के पर्यावरण के प्रति निष्ठुर और विनाशकारी चेहरे को दर्शाता है।
- प्लास्टिक आज हमारे दैनिक जीवन में इतना जरूरी और लोकप्रिय क्यों हो गया है?
उत्तर – प्लास्टिक अपने कई अनूठे गुणों के कारण हमारे दैनिक जीवन में इतना जरूरी और लोकप्रिय हो गया है। यह बहुत लचकदार, टिकाऊ, वाटरप्रूफ, हल्का और सस्ता होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसे किसी भी आकार में आसानी से ढाला जा सकता है और अलग-अलग गुणों वाले प्लास्टिक का मिश्रण तैयार किया जा सकता है, जिस कारण यह बहुपयोगी बन गया है।
- 20 वीं सदी का सबसे चमत्कारिक पदार्थ आज आधुनिक सभ्यता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। प्लास्टिक के बारे में यह कथन हमें क्या संकेत देता है?
उत्तर – यह कथन हमें यह संकेत देता है कि जिस प्लास्टिक को हमने उसकी उपयोगिता के कारण एक वरदान (चमत्कारिक पदार्थ) समझा था, वही अब हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए एक अभिशाप (खतरा) बन गया है। इसका मुख्य कारण प्लास्टिक का प्राकृतिक रूप से अपघटित (नष्ट) न होना और उसमें मिलाए जाने वाले ज़हरीले रसायन हैं। यह हमें सिखाता है कि किसी भी चीज़ का अत्यधिक और विवेकहीन उपयोग विनाशकारी हो सकता है।
- लेखिका ने प्लास्टिक की समस्या से निपटने का सबसे उत्तम उपाय क्या बताया है?
उत्तर – लेखिका ने प्लास्टिक की समस्या से निपटने का सबसे उत्तम उपाय हमारी अपनी जीवन शैली में बदलाव लाना बताया है। उनके अनुसार, हमें प्लास्टिक का इस्तेमाल कम-से-कम करना चाहिए और केवल वहीं करना चाहिए जहाँ इसके बिना काम बिलकुल नहीं चल सकता।
- विशुद्ध प्लास्टिक कम जहरीला क्यों होता है?
उत्तर – विशुद्ध प्लास्टिक कम जहरीला इसलिए होता है क्योंकि यह पानी में अघुलनशील होता है और रासायनिक तौर पर भी अपेक्षाकृत निष्क्रिय (Non-reactive) होता है।
- प्रति व्यक्ति प्लास्टिक खपत की दृष्टि से भारत की स्थिति चिंताजनक क्यों है?
उत्तर – यद्यपि भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत (5 कि.ग्रा. सालाना) उत्तरी अमेरिका (90 कि.ग्रा.) जैसे विकसित क्षेत्रों की तुलना में बहुत कम है, फिर भी यहाँ की स्थिति चिंताजनक है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत में यह खपत 15 फीसदी की बहुत तेज़ दर से बढ़ रही है, जो भविष्य में एक बड़ी समस्या का रूप ले लेगी।
पाठ से आगे
- आज प्लास्टिक के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। आप बताएँ कि कब-कब हमारा प्लास्टिक के बिना काम चल सकता है और कब नहीं?
उत्तर – हमारा काम प्लास्टिक के बिना तब चल सकता है जब हम बाज़ार से सामान लाने के लिए कपड़े या जूट के थैलों का उपयोग करें, पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतलों की जगह धातु की बोतल रखें और खाद्य पदार्थों की खुदरा पैकेजिंग (जैसे दाल, चावल, बिस्कुट) के लिए प्लास्टिक की जगह कागज़ या पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल करें। लेकिन, आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं जैसे कि डिस्पोजल सिरिंज, कैथेटर, कृत्रिम कॉर्निया और खून की थैलियों जैसे जीवनरक्षक उपकरणों के क्षेत्र में फिलहाल प्लास्टिक के बिना काम चलना बहुत मुश्किल है।
- यदि प्लास्टिक का इस्तेमाल ही न करने दिया जाए तो आपको किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा?
उत्तर – यदि प्लास्टिक का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर दिया जाए, तो कई समस्याएँ आएँगी। चिकित्सा के क्षेत्र में सस्ते और संक्रमण-रहित उपकरण (जैसे सिरिंज, दस्ताने) मिलने बंद हो जाएँगे। बिजली के तारों की कुचालक कवरिंग और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (जैसे कंप्यूटर, फ़ोन) का निर्माण लगभग असंभव हो जाएगा। खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित रखना (पैकेजिंग) बहुत महँगा और मुश्किल हो जाएगा।
- प्लास्टिक के खतरों को देखते हुए यदि आपको प्लास्टिक के इस्तेमाल के बजाय कोई अन्य विकल्प सुझाने हों तो वे क्या होंगे?
उत्तर – प्लास्टिक के खतरों को देखते हुए इसके कई विकल्प हो सकते हैं –
थैलियों के लिए – जूट, कपड़े या मोटे कागज के थैले।
पैकेजिंग के लिए – कागज, गत्ता, काँच के जार और धातु के डिब्बे।
तरल पदार्थों के लिए – काँच या धातु की बोतलें।
भविष्य का विकल्प – पौधों के अर्क से बनने वाला जैव-अपघटन योग्य (बायोडिग्रेडेबल) प्लास्टिक।
- यदि प्लास्टिक के अंधाधुंध इस्तेमाल को नहीं रोका गया तो भविष्य में इंसान को इसके क्या दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर – यदि प्लास्टिक का अंधाधुंध इस्तेमाल नहीं रोका गया, तो भविष्य में महासागरों में कचरे के ढेर और भी विशाल हो जाएँगे। प्लास्टिक के सूक्ष्म कण हमारी खाद्य शृंखला (Food Chain) में पूरी तरह शामिल हो जाएँगे, जिससे कैंसर और हार्मोनल गड़बड़ी जैसी घातक बीमारियाँ आम हो जाएँगी। हमारी ज़मीन बंजर और भूमिगत जल ज़हरीला हो जाएगा, नालियाँ जाम होने से बाढ़ की समस्या विकराल हो जाएगी और अनगिनत समुद्री व स्थलीय जीव-जंतु मारे जाएँगे।
- प्लास्टिक कचरे के सही निस्तारण के लिए आपके क्या सुझाव हैं?
उत्तर – प्लास्टिक कचरे के सही निस्तारण के लिए मेरे मुख्य सुझाव हैं –
कचरे का पृथक्करण – घरों और दफ्तरों में प्लास्टिक कचरे को अन्य गीले व सूखे कचरे से अलग इकट्ठा करना अनिवार्य किया जाए।
रीसाइक्लिंग को बढ़ावा – रीसाइक्लिंग (Recycling) उद्योग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाए ताकि पुराने प्लास्टिक से नए उत्पाद बनाए जा सकें।
सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर बैन – एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक (जैसे थैली, स्ट्रॉ) पर कड़ाई से प्रतिबंध लगाया जाए।
जागरूकता – लोगों को प्लास्टिक के कम उपयोग (Reduce) और पुन – उपयोग (Reuse) के लिए जागरूक किया जाए।
- इस पाठ के और क्या-क्या शीर्षक हो सकते हैं? चर्चा करके लिखिए।
उत्तर – इस पाठ के अन्य शीर्षक हो सकते हैं –
“प्लास्टिक – एक धीमा ज़हर”
“चमत्कार से अभिशाप बना प्लास्टिक”
“प्लास्टिक – आज की सुविधा, कल की तबाही”
“धरती का दम घोंटता प्लास्टिक”
भाषा के बारे में
- इस पाठ में अनेक ऐसे शब्द आए हैं, जो शायद आपके लिए नए होंगे। बहुत से ऐसे शब्द भी हैं, जिन्हें आपने विज्ञान की किताबों में देखा होगा? ऐसे सभी शब्दों को पाठ से छाँटिए और इनके अर्थ भी पता कीजिए।
उत्तर – पाठ में आए कुछ नए शब्द और उनके अर्थ –
अपघटित – छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाना (Decompose)।
कृत्रिम – मानव द्वारा बनाया गया, जो प्राकृतिक न हो (Artificial)।
एडिटिव – किसी पदार्थ के गुण बदलने के लिए उसमें मिलाया जाने वाला अतिरिक्त पदार्थ (Additive)।
पॉलीकार्बोनेट – एक प्रकार का मज़बूत, पारदर्शी प्लास्टिक (Polycarbonate)।
बिस्फिनॉल-ए (बीपीए) – प्लास्टिक बनाने में प्रयुक्त एक रसायन, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है (Bisphenol-A)।
डाइऑक्सीन / यूरॉन – प्लास्टिक जलाने पर निकलने वाली अत्यंत ज़हरीली गैसें (Dioxin / Furan)।
जीवाश्म ईंधन – करोड़ों साल पहले मरे हुए जीवों व वनस्पतियों से बना ईंधन, जैसे- कच्चा तेल, कोयला (Fossil Fuel)।
जैव अपघटन – जीवाणुओं (Bacteria) द्वारा किसी पदार्थ को प्राकृतिक रूप से नष्ट करने की प्रक्रिया (Biodegradation)।
प्लवक – पानी की सतह पर तैरने वाले बहुत सूक्ष्म जीव (Plankton)।
कैथेटर – चिकित्सा में प्रयुक्त एक पतली लचीली नली (Catheter)।
- पाठ में अंग्रेजी भाषा के निम्नलिखित शब्द आए हैं। शब्दकोश में इसके अर्थ खोजिए।
गार्बेज, रिसाइकल, वाटरप्रूफ, टेट्रापैक, पैकेजिंग, रैपर, एडिटिव, पीवीसी, ड्रेनेज सिस्टम
उत्तर – गार्बेज (Garbage) – कचरा, कूड़ा-करकट।
रिसाइकल (Recycle) – पुनर्चक्रण (पुरानी अनुपयोगी वस्तु को प्रक्रिया द्वारा नई उपयोगी वस्तु में बदलना)।
वाटरप्रूफ (Waterproof) – जलरोधी (जिसके आर-पार पानी न जा सके)।
टेट्रापैक (Tetra Pak) – पेय पदार्थों (जैसे जूस, दूध) को पैक करने का एक विशेष प्रकार का डिब्बा जिसमें कागज, प्लास्टिक और एल्युमिनियम की कई परतें होती हैं।
पैकेजिंग (Packaging) – सामान को सुरक्षित रखने या बेचने के लिए उसे पैक करने की प्रक्रिया या सामग्री।
रैपर (Wrapper) – किसी वस्तु (जैसे बिस्कुट, टॉफी) को लपेटने का कागज या प्लास्टिक का आवरण।
एडिटिव (Additive) – किसी चीज़ में (विशेषकर गुण बदलने के लिए) मिलाया जाने वाला अतिरिक्त पदार्थ।
पीवीसी (PVC) – पॉलीविनाइल क्लोराइड, एक प्रकार का सस्ता और मज़बूत प्लास्टिक जिसका उपयोग पाइप, खिलौने आदि बनाने में होता है।
ड्रेनेज सिस्टम (Drainage System) – जल निकासी की व्यवस्था, नाली तंत्र।
- इस पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए (शब्द सीमा लगभग 200)।
उत्तर – सारांश – यह पाठ प्लास्टिक के ‘चमत्कारिक पदार्थ’ से ‘गंभीर खतरा’ बनने की यात्रा को दर्शाता है। प्रशांत महासागर का ‘ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच’ इसका जीता-जागता सबूत है। प्लास्टिक अपने लचीलेपन, सस्तेपन, टिकाऊ और वाटरप्रूफ होने के कारण लोकप्रिय हुआ, लेकिन इसका सबसे बड़ा दुर्गुण यह है कि यह प्राकृतिक रूप से नष्ट (अपघटित) नहीं होता।
विशुद्ध प्लास्टिक कम जहरीला होता है, लेकिन इसे मनचाहा रूप देने के लिए मिलाए जाने वाले ‘एडिटिव’ (जैसे बीपीए) कैंसर और हार्मोनल गड़बड़ी पैदा करते हैं। प्लास्टिक को जलाने से भी डाइऑक्सीन जैसी ज़हरीली गैसें निकलती हैं। यह जीवाश्म ईंधन से बनता है, नालियों को जाम कर बाढ़ लाता है और समुद्री जीवों की मौत का कारण बनता है। यह सूक्ष्म कणों के रूप में हमारी खाद्य शृंखला में भी प्रवेश कर रहा है।
समाधान के तौर पर, पाठ स्वास्थ्य सेवाओं जैसे जरूरी क्षेत्रों को छोड़कर, खासकर पैकेजिंग में, इसके इस्तेमाल को कम करने पर जोर देता है। जूट और कपड़े जैसे पारंपरिक विकल्पों को अपनाना, जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक का विकास और रीसाइक्लिंग अन्य उपाय हैं। लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण समाधान अपनी जीवन शैली में बदलाव लाकर प्लास्टिक का उपयोग न्यूनतम करना है। भारत में इसकी खपत तेज़ी से बढ़ रही है, इसलिए हमें आज ही जागने की ज़रूरत है।
- निम्नांकित अनुच्छेद महादेवी वर्मा द्वारा लिखित संस्मरण ‘मेरे बचपन के दिन‘ से लिया गया है। इसे ध्यानपूर्वक पढ़िए और खाली छूटे स्थानों पर उचित सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कीजिए।
बचपन की स्मृतियों में एक विचित्र – सा आकर्षण होता है। कभी-कभी लगता है, जैसे सपने में सब देखा होगा। परिस्थितियाँ बहुत बदल जाती हैं।
अपने परिवार में मैं कई पीढ़ियों के बाद उत्पन्न हुई। मेरे परिवार में प्रायः दो सौ वर्ष तक कोई लड़की थी ही नहीं सुना है, उसके पहले लड़कियों को पैदा होते ही परमधाम भेज देते थे। फिर __________ बाबा ने बहुत दुर्गा पूजा की। __________ कुल- देवी दुर्गा थीं। मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। परिवार में बाबा फ़ारसी और उर्दू जानते थे। पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी। हिंदी का कोई वातावरण नहीं था।
मेरी माता जबलपुर से आई तब __________ अपने साथ हिंदी लाई। वे पूजा-पाठ भी बहुत करती थीं। पहले-पहल __________ मुझको ‘पंचतंत्र पढ़ना सिखाया।
बाबा कहते थे, __________ विदुषी बनाएँगे। मेरे संबंध में उनका विचार बहुत ऊँचा रहा। इसलिए ‘पंचतंत्र‘ भी पढ़ा मैंने, संस्कृत भी पढ़ी। वे अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फ़रसी सीख लूँ, लेकिन __________ मेरे वश की नहीं थी। __________ जब एक दिन मौलवी साहब को देखा तो बस, दूसरे दिन __________ चारपाई के नीचे जा छिपी। तब पंडित जी आए संस्कृत पढ़ाने। माँ थोड़ी संस्कृत जानती थीं गीता में __________ विशेष रुचि थी।
अपने परिवार में मैं कई पीढ़ियों के बाद उत्पन्न हुई। मेरे परिवार में प्रायः दो सौ वर्ष तक कोई लड़की थी ही नहीं सुना है, उसके पहले लड़कियों को पैदा होते ही परमधाम भेज देते थे। फिर मेरे बाबा ने बहुत दुर्गा पूजा की। हमारी कुल- देवी दुर्गा थीं। मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। परिवार में बाबा फ़ारसी और उर्दू जानते थे। पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी। हिंदी का कोई वातावरण नहीं था। मेरी माता जबलपुर से आई तब वे अपने साथ हिंदी लाईं। वे पूजा-पाठ भी बहुत करती थीं। पहले-पहल उन्होंने मुझको ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया। बाबा कहते थे, इसको विदुषी बनाएँगे। मेरे संबंध में उनका विचार बहुत ऊँचा रहा। इसलिए ‘पंचतंत्र’ भी पढ़ा मैंने, संस्कृत भी पढ़ी। वे अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फ़रसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी। मैंने जब एक दिन मौलवी साहब को देखा तो बस, दूसरे दिन मैं चारपाई के नीचे जा छिपी। तब पंडित जी आए संस्कृत पढ़ाने। माँ थोड़ी संस्कृत जानती थीं। गीता में उनकी विशेष रुचि थी।
योग्यता विस्तार
- यहाँ भारत द्वारा 2012-13 में किए गए प्लास्टिक उत्पादों के निर्यात के आँकड़ों को निम्नांकित पाई चार्ट में दर्शाया गया है। आप इसे ध्यान से देखिए और बताइए।
(क) भारत ने सबसे अधिक प्लास्टिक की किस सामग्री का निर्यात किया है?
उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।
(ख) भारत ने सबसे कम प्लास्टिक की किस सामग्री का निर्यात किया है?
उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।
(ग) कौन से उत्पाद ऐसे हैं जो समान मात्रा में निर्यात किए गए?
उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।
(घ) कुल निर्यात का आधा निर्यात किन उत्पादों को मिलाकर होता है? यह काम आप आँकड़ों को जोड़े बिना केवल ग्राफ देखकर कीजिए।
उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।
- विश्व पर्यावरण दिवस पर लोगों को प्लास्टिक के खतरों के प्रति जागरुक करने के लिए कुछ स्लोगन या एक लेख लिखिए।
उत्तर – प्लास्टिक के खतरों के प्रति जागरूक करने के लिए स्लोगन (नारे) –
“प्लास्टिक हटाओ, धरती बचाओ।”
“अगर है पर्यावरण से प्यार, तो प्लास्टिक को कहो ‘नकार’।”
“जूट और कपड़े का करो सम्मान, प्लास्टिक है धरती का अपमान।”
“प्लास्टिक का प्रयोग रोकें, आने वाले कल को न टोकें।”
“पॉलीथीन को ‘ना’ कहें, कपड़े के थैले संग रहें।”
- जब प्लास्टिक नहीं था या सीमित था, तब माँ / दादी / दादा का इनके बिना काम कैसे चलता था? उनसे पूछकर लिखिए।
उत्तर – मेरी दादी जी बताती हैं कि जब प्लास्टिक नहीं था, तब उनका काम बहुत अच्छे से और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से चलता था। वे बाज़ार से सामान लाने के लिए हमेशा कपड़े का थैला या जूट की बोरी साथ ले जाती थीं। दूध, तेल और घी आदि तरल पदार्थ खुले मिलते थे, जिन्हें वे अपने स्टील या पीतल के बर्तनों (कनस्तर) में लाती थीं। बिस्कुट, दाल और अन्य सूखी चीजें कागज के लिफाफों या अख़बार में लपेटकर मिलती थीं। घर में वे चीजों को काँच के मर्तबानों (जार) या धातु के डिब्बों में सहेज कर रखती थीं। पानी पीने के लिए मिट्टी के घड़े और धातु के गिलासों का प्रयोग होता था।
- प्लास्टिक कचरा के निराकरण या पर्यावरणीय स्वच्छता से जुड़े समाचारों की कतरनों को एकत्र कर शाला की भित्ति पत्रिका में पढ़ने के लिए लगाइए।
उत्तर – छात्र इसे स्वयं करें।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
‘द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच‘ कहाँ स्थित है?
a) कैलिफोर्निया और जापान के बीच
b) भारत के तट पर
c) अटलांटिक महासागर में
d) हिंद महासागर में
उत्तर – a) कैलिफोर्निया और जापान के बीच
प्रशांत कचरा पट्टी का आकार कितना बड़ा है?
a) भारत से दोगुना
b) भारत से चार गुना
c) भारत से छोटा
d) भारत जितना
उत्तर – b) भारत से चार गुना
प्रशांत कचरा पट्टी में मुख्य रूप से क्या जमा है?
a) कागज
b) प्लास्टिक
c) धातु
d) कांच
उत्तर – b) प्लास्टिक
प्लास्टिक को 20वीं सदी में क्या उपाधि दी गई थी?
a) खतरनाक पदार्थ
b) चमत्कारिक पदार्थ
c) अनुपयोगी पदार्थ
d) प्राकृतिक पदार्थ
उत्तर – b) चमत्कारिक पदार्थ
प्लास्टिक की कौन-सी विशेषता इसे लोकप्रिय बनाती है?
a) भारी और महंगा होना
b) हल्का, सस्ता और टिकाऊ होना
c) केवल पारदर्शी होना
d) जल्दी नष्ट होना
उत्तर – b) हल्का, सस्ता और टिकाऊ होना
अधिकांश कृत्रिम प्लास्टिक किससे बनाया जाता है?
a) पौधों से
b) कच्चा तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस
c) रेत और चूना
d) लकड़ी और कागज
उत्तर – b) कच्चा तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस
प्लास्टिक का कौन-सा प्रकार दूध की बोतलों में उपयोग होता है?
a) नायलॉन
b) पॉलीकार्बोनेट
c) टेफलॉन
d) पॉलीथिन
उत्तर – b) पॉलीकार्बोनेट
पीवीसी को लचीला बनाने के लिए मिलाए गए रसायन क्या करते हैं?
a) हार्मोनल प्रक्रियाओं में बाधा
b) स्वाद बढ़ाते हैं
c) रंग बदलते हैं
d) वजन बढ़ाते हैं
उत्तर – a) हार्मोनल प्रक्रियाओं में बाधा
बिस्फिनॉल-ए (बीपीए) से क्या खतरा है?
a) केवल जलन
b) कैंसर, हार्मोनल गड़बड़ी, दिल की बीमारी
c) केवल वजन बढ़ना
d) कोई खतरा नहीं
उत्तर – b) कैंसर, हार्मोनल गड़बड़ी, दिल की बीमारी
प्लास्टिक जलाने से कौन-सी जहरीली गैस निकलती है?
a) ऑक्सीजन
b) डाइऑक्सीन
c) नाइट्रोजन
d) हाइड्रोजन
उत्तर – b) डाइऑक्सीन
विश्व में प्लास्टिक की सालाना खपत कितनी है?
a) 10 करोड़ टन
b) 20 करोड़ टन
c) 50 करोड़ टन
d) 5 करोड़ टन
उत्तर – b) 20 करोड़ टन
प्लास्टिक की खपत की सालाना वृद्धि दर क्या है?
a) 2%
b) 5%
c) 10%
d) 15%
उत्तर – b) 5%
प्लास्टिक की थैलियों की सालाना खपत कितनी है?
a) 100 अरब
b) 500 अरब
c) 50 अरब
d) 10 अरब
उत्तर – b) 500 अरब
समुद्र में प्लास्टिक से कितनी जीव प्रजातियाँ प्रभावित हैं?
a) 100
b) 267
c) 500
d) 50
उत्तर – b) 267
प्लास्टिक के सूक्ष्म कण कहाँ तक पहुँचते हैं?
a) केवल पानी में
b) खाद्य शृंखला में
c) केवल हवा में
d) केवल मिट्टी में
उत्तर – b) खाद्य शृंखला में
स्वास्थ्य सेवा में प्लास्टिक का उपयोग किसमें होता है?
a) केवल पैकेजिंग
b) डिस्पोजल सिरिंज, कैथेटर
c) केवल कपड़े
d) केवल खेल सामग्री
उत्तर – b) डिस्पोजल सिरिंज, कैथेटर
प्लास्टिक की खपत का 35% हिस्सा किस उद्योग में जाता है?
a) वस्त्र उद्योग
b) पैकेजिंग उद्योग
c) स्वास्थ्य उद्योग
d) निर्माण उद्योग
उत्तर – b) पैकेजिंग उद्योग
जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक का क्या लाभ है?
a) सस्ता और टिकाऊ
b) प्रकृति में विघटित हो सकता है
c) भारी और कठोर
d) केवल पारदर्शी
उत्तर – b) प्रकृति में विघटित हो सकता है
विश्व में कितना प्लास्टिक रिसाइकल होता है?
a) 50%
b) 10%
c) 75%
d) 25%
उत्तर – b) 10%
भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक खपत कितनी है?
a) 26 कि.ग्रा.
b) 90 कि.ग्रा.
c) 5 कि.ग्रा.
d) 65 कि.ग्रा.
उत्तर – c) 5 कि.ग्रा.
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- ‘द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच’ क्या है?
उत्तर – ‘द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच’ प्रशांत महासागर में प्लास्टिक और अन्य कचरे से बनी एक विशाल पट्टी है, जो भारत से लगभग चार गुना बड़ी है। - यह कचरा पट्टी महासागर में कैसे बनती है?
उत्तर – हम जो प्लास्टिक जमीन पर फेंक देते हैं, वह हवा और पानी से बहकर नालियों, नदियों और अंततः महासागरों में पहुँच जाता है और सागर की लहरों पर सवार होकर इस पट्टी में जमा हो जाता है। - प्लास्टिक को ‘चमत्कारिक पदार्थ’ क्यों कहा गया था?
उत्तर – प्लास्टिक को ‘चमत्कारिक पदार्थ’ इसलिए कहा गया था क्योंकि यह हल्का, टिकाऊ, सस्ता, वाटरप्रूफ होता है और इसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। - प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए हानिकारक क्यों माना जाता है?
उत्तर – प्लास्टिक पर्यावरण के लिए हानिकारक इसलिए है क्योंकि यह प्रकृति में अपघटित नहीं होता और सैकड़ों सालों तक वैसा ही बना रहता है। - कृत्रिम प्लास्टिक कैसे बनाया जाता है?
उत्तर – कृत्रिम प्लास्टिक कच्चे तेल, कोयले या प्राकृतिक गैस से बनाया जाता है। - प्लास्टिक इतना लोकप्रिय क्यों हुआ?
उत्तर – प्लास्टिक बहुउपयोगी, सस्ता और आसानी से ढलने योग्य होने के कारण बहुत लोकप्रिय हुआ है। - किन-किन उद्योगों में प्लास्टिक का उपयोग होता है?
प्लास्टिक का उपयोग पैकेजिंग, भवन निर्माण, स्वास्थ्य, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि, खेल सामग्री और वस्त्र उद्योग में किया जाता है। - प्लास्टिक जूट, कपड़ा और कागज़ जैसे पारंपरिक पदार्थों की जगह क्यों ले रहा है?
उत्तर – प्लास्टिक सस्ता, हल्का और टिकाऊ होने के कारण पारंपरिक पदार्थों की जगह ले रहा है। - विशुद्ध प्लास्टिक और मिश्रित प्लास्टिक में क्या अंतर है?
उत्तर – विशुद्ध प्लास्टिक रासायनिक रूप से निष्क्रिय और कम जहरीला होता है, जबकि मिश्रित प्लास्टिक में मिलाए गए एडिटिव्स उसे जहरीला बना देते हैं। - पीवीसी से बने प्लास्टिक में कौन-सा खतरा होता है?
उत्तर – पीवीसी में मिलाए गए रसायन हार्मोनल प्रक्रियाओं में बाधा डालते हैं और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं। - प्लास्टिक जलाने से क्या हानियाँ होती हैं?
उत्तर – प्लास्टिक जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, डाइऑक्सीन और यूरॉन जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं, जो श्वास रोग और कैंसर का कारण बन सकती हैं। - प्लास्टिक नालियों और जल निकासी तंत्र के लिए क्यों खतरनाक है?
उत्तर – प्लास्टिक नालियों को जाम कर देता है, जिससे बरसात के समय शहरों में जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है। - समुद्री जीवों पर प्लास्टिक का क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर – समुद्र में पाई जाने वाली कम से कम 267 जीव प्रजातियाँ प्लास्टिक से प्रभावित हुई हैं और अनेक जीव प्लास्टिक निगलने के कारण मर जाते हैं। - प्लास्टिक हमारी खाद्य शृंखला में कैसे शामिल हो रहा है?
उत्तर – प्लास्टिक के सूक्ष्म कण पानी के छोटे जीवों में पहुँच जाते हैं, जिन्हें बड़े जीव खाते हैं, और इस प्रकार यह हमारी खाद्य शृंखला में शामिल हो जाता है। - जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक क्या होता है?
उत्तर – जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक वह होता है जो पौधों के अर्क से बनता है और प्राकृतिक रूप से नष्ट हो सकता है। - प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग में क्या कठिनाइयाँ हैं?
उत्तर – प्लास्टिक में मिलाए गए एडिटिव्स और मिश्रण की जटिलता के कारण कई बार उसे पुनर्चक्रित नहीं किया जा सकता। - रिसाइकल किए गए प्लास्टिक से क्या बनाया जा सकता है?
उत्तर – रिसाइकल किए गए प्लास्टिक से कुर्सियाँ, बाल्टियाँ आदि बन सकती हैं, परंतु उसी प्रकार की बोतलें दोबारा नहीं बनाई जा सकतीं। - प्लास्टिक की खपत और देश की संपन्नता में क्या संबंध है?
उत्तर – प्लास्टिक की खपत प्रति व्यक्ति आय से जुड़ी होती है; जितना देश संपन्न होता है, वहाँ प्लास्टिक की खपत भी उतनी अधिक होती है। - भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत कितनी है?
उत्तर – भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत लगभग 5 किलोग्राम प्रतिवर्ष है और यह 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। - हमें प्लास्टिक की समस्या से निपटने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर – हमें प्लास्टिक का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए, रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देना चाहिए और पारंपरिक पदार्थों जैसे जूट, कपड़ा आदि का प्रयोग फिर से शुरू करना चाहिए।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- प्रश्न – ‘द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच‘ क्या है और इसका आकार कैसा है?
उत्तर – यह प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया और जापान के बीच कचरे का क्षेत्र है, जिसमें मुख्यतः प्लास्टिक जमा है। इसका आकार भारत से चार गुना बड़ा है। यह आधुनिक सभ्यता का क्रूर प्रतीक माना जाता है।
- प्रश्न – प्लास्टिक को ‘चमत्कारिक पदार्थ‘ क्यों कहा गया?
उत्तर – प्लास्टिक हल्का, टिकाऊ, वाटरप्रूफ, सस्ता और किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। इसकी बहुउपयोगिता और नए गुणों के कारण इसे 20वीं सदी में चमत्कारिक पदार्थ कहा गया, लेकिन अब यह पर्यावरण और सेहत के लिए खतरा है।
- प्रश्न – कृत्रिम प्लास्टिक का निर्माण किससे होता है?
उत्तर – अधिकांश कृत्रिम प्लास्टिक कच्चे तेल, कोयले या प्राकृतिक गैस से बनाया जाता है। प्राकृतिक प्लास्टिक मांग पूरी नहीं कर पाया, इसलिए कृत्रिम प्लास्टिक का उपयोग बढ़ा, जो सस्ता और विभिन्न गुणों वाला होता है।
- प्रश्न – प्लास्टिक की लोकप्रियता के क्या कारण हैं?
उत्तर – प्लास्टिक हल्का, सस्ता, टिकाऊ, वाटरप्रूफ और बहुउपयोगी है। इसे विभिन्न गुणों जैसे कठोर, पारदर्शी, या कुचालक बनाया जा सकता है। पैकेजिंग, निर्माण, स्वास्थ्य, और वस्त्र उद्योग में इसका व्यापक उपयोग इसे लोकप्रिय बनाता है।
- प्रश्न – प्लास्टिक के जहरीले प्रभाव क्या हैं?
उत्तर – विशुद्ध प्लास्टिक कम जहरीला है, लेकिन एडिटिव्स जैसे बिस्फिनॉल-ए हार्मोनल गड़बड़ी, कैंसर, और दिल की बीमारियाँ पैदा करते हैं। पीवीसी के रसायन हार्मोन में बाधा डालते हैं। खाद्य पदार्थों के संपर्क से ये रसायन नुकसान पहुँचाते हैं।
- प्रश्न – प्लास्टिक जलाने से क्या समस्याएँ होती हैं?
उत्तर – प्लास्टिक जलाने से डाइऑक्सीन और यूरॉन जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं, जो कैंसर और श्वास संबंधी समस्याएँ पैदा करती हैं। ये गैसें हवा में फैलकर पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुँचाती हैं।
- प्रश्न – प्लास्टिक पर्यावरण को कैसे नुकसान पहुँचाता है?
उत्तर – प्लास्टिक अपघटित नहीं होता, जिससे यह हजारों साल तक पर्यावरण में रहता है। यह मिट्टी, पानी, और खाद्य शृंखला को प्रदूषित करता है। समुद्री जीवों और पशुओं की मृत्यु का कारण बनता है और ड्रेनेज सिस्टम को अवरुद्ध करता है।
- प्रश्न – स्वास्थ्य सेवा में प्लास्टिक का उपयोग क्यों जरूरी है?
उत्तर – स्वास्थ्य सेवा में प्लास्टिक से डिस्पोजल सिरिंज, कैथेटर, कृत्रिम कॉर्निया, और कैप्स्यूल बनाए जाते हैं। ये सस्ते और प्रभावी हैं, और इनका कोई वैकल्पिक पदार्थ नहीं है, इसलिए इन क्षेत्रों में प्लास्टिक का उपयोग आवश्यक है।
- प्रश्न – जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक क्या है और इसका महत्त्व क्या है?
उत्तर – जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक पौधों के अर्क से बनता है और प्रकृति में विघटित हो सकता है। यह कृत्रिम प्लास्टिक का विकल्प है, जो पर्यावरण को कम नुकसान पहुँचाता है, हालांकि अभी यह महंगा है। इसका उपयोग पर्यावरण संरक्षण में मदद करता है।
- प्रश्न – प्लास्टिक रिसाइक्लिंग की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर – केवल 10% प्लास्टिक रिसाइकल होता है। टेट्रापैक जैसे मिश्रित पदार्थों का रिसाइक्लिंग मुश्किल है। रिसाइकल प्लास्टिक से वही उत्पाद नहीं बनाया जा सकता, और रिसाइकल उत्पाद को दोबारा रिसाइकल नहीं किया जा सकता, जिससे प्रक्रिया सीमित हो जाती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- प्रश्न – ‘द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच‘ क्या है और यह आधुनिक सभ्यता के लिए क्यों चिंता का विषय है?
उत्तर – ‘द ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच’ प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया और जापान के बीच कचरे का विशाल क्षेत्र है, जो भारत से चार गुना बड़ा है। इसमें मुख्यतः प्लास्टिक जमा है, जो अपघटित नहीं होता। यह समुद्री जीवों, खाद्य शृंखला, और पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है। यह आधुनिक सभ्यता की लापरवाही और प्लास्टिक के अंधाधुंध उपयोग का क्रूर प्रतीक है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
- प्रश्न – प्लास्टिक की विशेषताएँ और इसके उपयोग के क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – प्लास्टिक हल्का, टिकाऊ, वाटरप्रूफ, सस्ता, और किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। यह कठोर, पारदर्शी, या कुचालक हो सकता है। इसका उपयोग पैकेजिंग, भवन निर्माण, स्वास्थ्य (सिरिंज, कैथेटर), इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि, खेल सामग्री, और वस्त्र उद्योग में होता है। यह जूट, कॉटन, और रबर जैसे पारंपरिक पदार्थों का स्थान ले रहा है, जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।
- प्रश्न – प्लास्टिक के जहरीले प्रभाव और स्वास्थ्य पर इसके नकारात्मक परिणाम क्या हैं?
उत्तर – प्लास्टिक में मिलाए गए एडिटिव्स जैसे बिस्फिनॉल-ए और पीवीसी के रसायन हार्मोनल गड़बड़ी, कैंसर, दिल की बीमारियाँ, और आनुवंशिकी क्षति का कारण बनते हैं। खाद्य पदार्थों के संपर्क से ये रसायन निकलते हैं। जलाने पर डाइऑक्सीन और यूरॉन जैसी गैसें श्वास और कैंसर की समस्याएँ पैदा करती हैं। भारत में जागरूकता की कमी और गलत निस्तारण से खतरा बढ़ता है।
- प्रश्न – प्लास्टिक पर्यावरण को कैसे नुकसान पहुँचाता है और इसके परिणाम क्या हैं?
उत्तर – प्लास्टिक अपघटित नहीं होता, हजारों साल तक पर्यावरण में रहता है, मिट्टी, पानी, और भूमिगत जल को प्रदूषित करता है। यह ड्रेनेज सिस्टम को अवरुद्ध कर बाढ़ का कारण बनता है। समुद्र में 267 जीव प्रजातियों को नुकसान पहुँचाता है। सूक्ष्म कण खाद्य शृंखला में शामिल होकर जीवों और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। निर्माण में जीवाश्म ईंधन और ऊर्जा की खपत भी पर्यावरण को हानि पहुँचाती है।
- प्रश्न – प्लास्टिक की समस्या के समाधान के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
उत्तर – प्लास्टिक का अंधाधुंध उपयोग कम करना, जैव-अपघटन योग्य प्लास्टिक को बढ़ावा देना, और रिसाइक्लिंग को बेहतर करना जरूरी है। पैकेजिंग में जूट, कॉटन जैसे पारंपरिक पदार्थों का उपयोग बढ़ाना चाहिए। स्थानीय और मौसमी उत्पादों का उपयोग पैकेजिंग कम करेगा। व्यक्तिगत स्तर पर जागरूकता और कम खपत महत्त्वपूर्ण है। स्वास्थ्य सेवा जैसे आवश्यक क्षेत्रों में ही प्लास्टिक का उपयोग सीमित करना चाहिए।

