विनोद कुमार शुक्ल – कवि परिचय
1 जनवरी सन् 1937 को राजनांदगाँव में जन्मे विनोद कुमार शुक्ल का पहला कविता संग्रह लगभग जयहिंद सन् 1971 में प्रकाशित हुआ था। उन्हें दूसरे कविता संग्रह ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर विचार की तरह के लिए रजा पुरस्कार प्राप्त हुआ। उनके रचना संसार में उपन्यास नौकर की कमीज़, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में एक खिड़की रहती थी और पीली छप्पर वाली झोंपड़ी और बौना पहाड़ तथा कहानी संग्रह पेड़ पर कमरा और महाविद्यालय भी शामिल हैं। कविता संग्रह सब कुछ होना बचा रहेगा पर उन्हें सन् 1992 में रघुवीर सहाय स्मृति सम्मान मिला।
कविता का केंद्रीय भाव
यह कविता इस सत्य को सामने लाती है कि प्रकृति ने हमें सब कुछ समान रूप से दिया है (आकाश, चाँद), पर मनुष्य ने अपने सामाजिक और आर्थिक विभाजन से गरीबी, अमीरी और जीवन के मौलिक संसाधनों से स्वच्छ हवा, भोजन, बेहतर समय/अवसर में भयानक असमानता पैदा कर दी है।
अपने हिस्से में लोग
अपने हिस्से में लोग आकाश देखते हैं
और पूरा आकाश देख लेते हैं
सबके हिस्से का आकाश
पूरा आकाश है।
अपने हिस्से का चंद्रमा देखते हैं
और पूरा चंद्रमा देख लेते हैं।
सबके हिस्से की जैसी-तैसी साँस सब पाते हैं
वह जो घर के बगीचे में बैठा हुआ
अखबार पढ़ रहा है
और वह भी जो बदबू और गंदगी के घेरे में जिंदा है।
सबके हिस्से की हवा वही हवा नहीं है।
अपने हिस्से की भूख के साथ
सब नहीं पाते अपने हिस्से का पूरा भात
बाजार में जो दिख रही है
तंदूर में बनती हुई रोटी
सबके हिस्से की बनती हुई रोटी नहीं है।
जो सबकी घड़ी में बज रहा है
वह सबके हिस्से का समय नहीं है।
इस समय।
व्याख्या सहित
पद – 01
अपने हिस्से में लोग आकाश देखते हैं
और पूरा आकाश देख लेते हैं
सबके हिस्से का आकाश
पूरा आकाश है।
अपने हिस्से का चंद्रमा देखते हैं
और पूरा चंद्रमा देख लेते हैं।
अर्थ – हर व्यक्ति अपने-अपने स्थान से जब आकाश की ओर देखता है, तो उसे पूरा आकाश दिखाई देता है। इसी तरह, जब वह अपने हिस्से का चाँद देखता है, तो उसे पूरा चाँद दिखाई देता है।
भाव – कवि कहता है कि प्रकृति की चीज़ें (आकाश, चाँद) सबके लिए समान हैं। इन्हें देखने या महसूस करने में कोई भेदभाव नहीं है। अमीर हो या गरीब, सबको एक जैसा, पूरा और अखंड आकाश या चंद्रमा मिलता है। यह समानता एक सुखद सत्य है।
पद – 02
सबके हिस्से की जैसी-तैसी साँस सब पाते हैं
वह जो घर के बगीचे में बैठा हुआ
अखबार पढ़ रहा है
और वह भी जो बदबू और गंदगी के घेरे में जिंदा है।
सबके हिस्से की हवा वही हवा नहीं है।
अर्थ – हर व्यक्ति साँस तो लेता है, लेकिन साँस लेने के लिए जो हवा मिलती है, वह सबके लिए एक जैसी नहीं है। वह व्यक्ति जो अपने सुंदर घर के बगीचे में बैठा है, उसे ताजी और स्वच्छ हवा मिलती है, जबकि वह जो गरीबी और बदबूदार गंदगी के बीच रह रहा है, उसे वही दूषित हवा मिलती है।
भाव – कवि यहाँ प्राकृतिक संसाधनों में आई विषमता को उजागर करते हैं। यद्यपि साँस लेना सबकी मूलभूत ज़रूरत है, पर समाज ने हवा की गुणवत्ता में अंतर पैदा कर दिया है। हवा तो एक ही है, लेकिन उसकी शुद्धता सबके हिस्से में अलग-अलग है।
पद – 03
अपने हिस्से की भूख के साथ
सब नहीं पाते अपने हिस्से का पूरा भात
बाजार में जो दिख रही है
तंदूर में बनती हुई रोटी
सबके हिस्से की बनती हुई रोटी नहीं है।
अर्थ – भूख तो सबको लगती है, यह सबके हिस्से में है, लेकिन हर व्यक्ति अपनी भूख मिटाने के लिए अपने हिस्से का पूरा भोजन (भात या रोटी) नहीं पाता। बाजार में तंदूर में जो गरमागरम रोटियाँ बन रही हैं, वे देखने में तो सबके लिए हैं, लेकिन वास्तव में वे सबके हिस्से की नहीं हैं (अर्थात गरीब उन्हें खरीद नहीं पाते)।
भाव – यह पंक्ति आर्थिक असमानता पर सबसे बड़ा प्रहार है। भूख एक प्राकृतिक सत्य है, लेकिन भोजन एक सामाजिक और आर्थिक वस्तु बन गई है। बाजार और पैसे की व्यवस्था ने यह तय कर दिया है कि किसकी थाली में पूरा भात आएगा और किसकी थाली खाली रहेगी।
पद – 04
जो सबकी घड़ी में बज रहा है
वह सबके हिस्से का समय नहीं है।
इस समय।
अर्थ – हर किसी की घड़ी में एक ही समय हो रहा है (उदाहरण के लिए 10 बज रहे हैं), पर वह समय सबके हिस्से का समय (यानी अवसर, सुविधा, या शांति) नहीं है।
भाव – कवि ‘समय’ को केवल क्षणों से नहीं, बल्कि अवसरों और सुख-सुविधाओं से जोड़ते हैं। एक व्यक्ति के लिए यह समय काम करने का, आराम करने का या उन्नति करने का हो सकता है, पर दूसरे के लिए यह समय संघर्ष, मजबूरी या निराशा का हो सकता है। घड़ी एक है, पर सबके जीवन में उसका अनुभव अलग है।
पाठ से
- “सबके हिस्से का आकाश व पूरा चंद्रमा” देख लेने से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर – “सबके हिस्से का आकाश व पूरा चंद्रमा” देख लेने से कवि का तात्पर्य है कि प्रकृति द्वारा प्रदत्त वस्तुएँ जैसे कि आकाश और चंद्रमा, सार्वभौमिक और समान हैं। इन पर सामाजिक या आर्थिक असमानता का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अमीर हो या गरीब, हर व्यक्ति को अपने हिस्से में पूरा और अखंड आकाश तथा चंद्रमा एक समान ही दिखाई देता है। यह प्रकृति की समानता का सुखद उदाहरण है।
- घर के बगीचे में अखबार पढ़ रहे व्यक्ति और बदबू के घेरे में जिंदा व्यक्ति की हवा में क्या अंतर है और क्यों?
उत्तर – अंतर – घर के बगीचे में अखबार पढ़ रहे व्यक्ति को ताजी, स्वच्छ और सुगंधित हवा मिलती है, जबकि बदबू और गंदगी के घेरे में जिंदा व्यक्ति को वही हवा दूषित, बदबूदार और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मिलती है।
कारण – हवा तो प्राकृतिक रूप से एक ही है, लेकिन मनुष्य निर्मित सामाजिक और आर्थिक विभाजन के कारण उसकी गुणवत्ता में अंतर आ गया है। समाज में अमीर लोग स्वच्छ वातावरण में रहते हैं, जबकि गरीब और वंचित लोग गंदगी, प्रदूषण और बदबू वाले इलाकों में रहने को मजबूर हैं। इसलिए, हवा का प्राकृतिक संसाधन होने के बावजूद, उसका उपभोग समान नहीं रह गया है।
- कौन लोग अपने हिस्से की भूख के साथ अपना भात नहीं पा रहे हैं?
उत्तर – वे लोग जो आर्थिक रूप से कमज़ोर और गरीब हैं, वे अपने हिस्से की भूख के साथ अपना पूरा भात व भोजन नहीं पा रहे हैं। वे भूख तो महसूस करते हैं, जो कि प्राकृतिक है, पर क्रय शक्ति अर्थात् खरीदने की क्षमता) न होने के कारण उन्हें पर्याप्त पोषण और भोजन नहीं मिल पाता है।
- बाजार में दिखती तंदूर में बनी हुई रोटी सबके हिस्से की रोटी क्यों नहीं है?
उत्तर – बाजार में दिखती तंदूर में बनी हुई रोटी सबके हिस्से की रोटी इसलिए नहीं है क्योंकि बाजार की व्यवस्था पर पैसे और क्रय शक्ति का नियंत्रण होता है। रोटी सबके लिए उपलब्ध तो है, लेकिन पैसे के अभाव में गरीब लोग उसे खरीद नहीं सकते। इस प्रकार, भोजन जो एक प्राकृतिक आवश्यकता है, वह सामाजिक और आर्थिक वस्तु बन गई है।
- सबकी घड़ी में बज रहा है, वह समय सबके लिए समान नहीं है। इसका क्या अभिप्राय है?
उत्तर – इसका अभिप्राय यह है कि काल (समय के क्षण) भले ही सबके लिए एक जैसे हों, लेकिन उस समय का अनुभव, अर्थ और उससे मिलने वाले अवसर (opportunity) सबके लिए समान नहीं हैं।
एक व्यक्ति के लिए ‘समय’ का अर्थ आराम, अध्ययन या उन्नति का अवसर हो सकता है।
दूसरे व्यक्ति के लिए उसी ‘समय’ का अर्थ मज़दूरी, संघर्ष, मजबूरी या निराशा में जीना हो सकता है।
कवि यहाँ समय की अमूल्य संपत्ति (अवसर और सुविधा) के असमान वितरण पर टिप्पणी कर रहे हैं।
पाठ से आगे
- क्या अपने हिस्से की चीजें पाकर हमें संतुष्ट हो जाना चाहिए? कारण सहित अपने विचार दीजिए।
उत्तर – अपने हिस्से की चीजें पाकर संतुष्ट हो जाना उचित नहीं है, खासकर तब जब वह हिस्सा असमानता और मजबूरी के कारण तय हुआ हो।
नहीं, संतुष्ट नहीं होना चाहिए – यदि ‘हिस्सा’ का अर्थ केवल अभावग्रस्त जीवन या न्यूनतम आवश्यकताएँ हैं जैसा कि कविता में गरीब को दूषित हवा या अधूरी रोटी मिलना, तो हमें कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए। मानव होने के नाते हर व्यक्ति को स्वच्छ वातावरण, भरपूर भोजन और बेहतर अवसर पाने का अधिकार है।
कारण – संतुष्ट न होने का कारण यह है कि हमें सामाजिक न्याय और समानता के लिए लड़ना चाहिए। हमें केवल व्यक्तिगत उन्नति नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए। संतुष्टि, जहाँ आवश्यक है, वहाँ निष्क्रियता भी ला सकती है, जबकि विषमता के सामने सक्रियता ही एकमात्र रास्ता है।
- हमारे समाज में लोगों की आवश्यकताओं के संदर्भ में कहाँ-कहाँ विसंगतियाँ दिखाई देती हैं, उन्हें चिह्नित कीजिए और एक सूची बनाइए।
उत्तर – हमारे समाज में लोगों की आवश्यकताओं के संदर्भ में प्रमुख विसंगतियाँ (असमानताएँ) निम्न स्थानों पर दिखाई देती हैं –
विसंगति का क्षेत्र | उदाहरण |
स्वास्थ्य और चिकित्सा | अमीरों के लिए महंगे निजी अस्पताल, गरीबों के लिए भीड़भाड़ वाले और अपर्याप्त सरकारी अस्पताल। |
शिक्षा | धनवानों के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले निजी स्कूल और कोचिंग, गरीबों के बच्चों के लिए मूलभूत सुविधाओं की कमी वाले सरकारी स्कूल। |
आवास और स्वच्छता | एक वर्ग के लिए सुरक्षित, स्वच्छ आवास और दूसरे वर्ग के लिए मलिन बस्तियों में गंदगी और बदबूदार जीवन। |
रोजगार के अवसर | एक वर्ग के लिए उच्च-वेतन वाली नौकरियाँ, दूसरे वर्ग के लिए कम-वेतन वाली दैनिक मज़दूरी और अनौपचारिक क्षेत्र में काम। |
स्वच्छ पर्यावरण | अमीरों के आवास स्वच्छ क्षेत्रों में, गरीबों के आवास औद्योगिक प्रदूषण और कचरे के डंपिंग स्थलों के पास। |
- सबको बराबरी के अवसर मिलें, इसके लिए हमारे संविधान में क्या-क्या प्रावधान हैं?
उत्तर – भारतीय संविधान में सबको बराबरी के अवसर (सामाजिक और आर्थिक समानता) सुनिश्चित करने के लिए कई महत्त्वपूर्ण प्रावधान हैं –
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14) – कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं।
भेदभाव का निषेध (अनुच्छेद 15) – धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक।
लोक नियोजन में अवसर की समानता (अनुच्छेद 16) – सरकारी नौकरियों और पदों पर सभी नागरिकों को समान अवसर देना। (इसमें समाज के पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान भी शामिल है, जो अवसर की वास्तविक समानता सुनिश्चित करने के लिए है।)
राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व (DPSP) – अनुच्छेद 38, 39 आदि राज्य को ऐसे सामाजिक और आर्थिक न्याय की स्थापना करने का निर्देश देते हैं जहाँ धन और संसाधनों का वितरण समान हो और आय की असमानता कम हो।
भाषा के बारे में
- इन शब्दों को हम और किन-किन नाम से जानते हैं- आकाश, चंद्रमा, बगीचा, घर, हवा।
उत्तर –
शब्द | अन्य नाम (पर्यायवाची) |
आकाश | नभ, गगन, अंबर, व्योम, आसमान |
चंद्रमा | चाँद, शशि, इंदु, राकेश, मयंक, सोम |
बगीचा | बाग, वाटिका, उपवन, फुलवारी, निकुंज |
घर | गृह, आवास, निकेतन, सदन, आलय |
हवा | पवन, वायु, समीर, अनिल, बयार |
- ‘चंद्रमा‘ और ‘आकाश‘ पर दो-दो मुहावरे लिखिए।
उत्तर – चंद्रमा पर मुहावरे –
चाँद का टुकड़ा – बहुत सुंदर।
चाँद पर थूकना – किसी सज्जन या पूज्य व्यक्ति पर कलंक लगाने की कोशिश करना (जो व्यर्थ है)।
आकाश पर मुहावरे –
आसमान सिर पर उठा लेना – बहुत शोर मचाना या बहुत हंगामा करना।
आकाश पाताल एक कर देना – किसी काम को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करना।
- ‘बदबू‘ शब्द में ‘बद एक उपसर्ग है। सामान्यतः उर्दू शब्दों में यह लगता है। आप ऐसे पाँच शब्द लिखिए जिसमें ‘बद‘ उपसर्ग लगा हो।
उत्तर – ‘बद’ (बुरा/अशुभ) उपसर्ग लगे पाँच शब्द –
बदनाम (बुरा नाम, अप्रतिष्ठित)
बदहाल (बुरी हालत/दशा)
बदकिस्मत (बुरा भाग्य/अभागा)
बदमिजाज (बुरा स्वभाव)
बदहजमी (बुरा पाचन/अपच)
- ‘गंदगी‘ शब्द में ‘गी‘ प्रत्यय लगा है। उर्दू शब्दों में यह लगता है। ‘गी‘ प्रत्यय लगाकर आप कोई पाँच शब्द बनाइए।
उत्तर – ‘गी’ प्रत्यय लगे पाँच शब्द –
ताज़गी (ताज़ा + गी)
दीवानगी (दीवाना + गी)
साफ़गी (साफ़ + गी)
ज़िंदगी (ज़िंदा + गी)
सादगी (सादा + गी)
योग्यता विस्तार
- सूर, कबीर, तुलसी के ‘पद‘ और विनोद कुमार शुक्ल की कविता की भाषा में क्या अंतर है? लिखिए।
उत्तर – छात्र इसे पाने स्तर पर करें।
- नई कविता के बारे में अपने शिक्षक से चर्चा कीजिए या पुस्तकालय की पुस्तकों का अध्ययन कर जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर – छात्र इसे पाने स्तर पर करें।
- अपने आस-पास के लोगों के जीवन की असमानता को देखिए और उस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर – छात्र इसे पाने स्तर पर करें।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
पहले पद में कवि किस प्राकृतिक तत्त्व की समानता की बात करता है?
A) हवा
B) आकाश और चंद्रमा
C) भोजन
D) समय
उत्तर – B) आकाश और चंद्रमा
पहले पद का मुख्य भाव क्या है?
A) आर्थिक असमानता
B) प्रकृति की समानता
C) समय की असमानता
D) भूख का महत्त्व
उत्तर – B) प्रकृति की समानता
दूसरे पद में हवा के बारे में क्या कहा गया है?
A) सबके लिए एक जैसी है
B) सबके लिए अलग-अलग है
C) केवल अमीरों के लिए है
D) केवल गरीबों के लिए है
उत्तर – B) सबके लिए अलग-अलग है
“जैसी-तैसी साँस” से क्या तात्पर्य है?
A) स्वच्छ हवा
B) किसी भी तरह की साँस
C) दूषित हवा
D) तेज साँस
उत्तर – B) किसी भी तरह की साँस
दूसरे पद में कवि किस सामाजिक समस्या को उजागर करता है?
A) भूख की समस्या
B) हवा की गुणवत्ता में विषमता
C) समय की कमी
D) शिक्षा की कमी
उत्तर – B) हवा की गुणवत्ता में विषमता
तीसरे पद में “भात” किसका प्रतीक है?
A) हवा
B) भोजन
C) समय
D) चंद्रमा
उत्तर – B) भोजन
तीसरे पद में बाजार में बन रही रोटी के बारे में क्या कहा गया है?
A) यह सबके लिए उपलब्ध है
B) यह केवल अमीरों के लिए है
C) यह सबके हिस्से की नहीं है
D) यह मुफ्त बाँटी जाती है
उत्तर – C) यह सबके हिस्से की नहीं है
तीसरे पद का मुख्य भाव क्या है?
A) समय की असमानता
B) आर्थिक असमानता और भूख
C) प्रकृति की समानता
D) हवा की शुद्धता
उत्तर – B) आर्थिक असमानता और भूख
चौथे पद में “समय” से क्या तात्पर्य है?
A) केवल घड़ी का समय
B) अवसर और सुविधाएँ
C) भोजन का समय
D) साँस लेने का समय
उत्तर – B) अवसर और सुविधाएँ
कविता का केंद्रीय भाव क्या है?
A) प्रकृति की सुंदरता
B) सामाजिक और आर्थिक असमानता
C) समय का महत्त्व
D) भूख का दुख
उत्तर – B) सामाजिक और आर्थिक असमानता
पहले पद में चंद्रमा को कैसे दर्शाया गया है?
A) सबके लिए पूरा और अखंड
B) केवल अमीरों के लिए
C) दूषित और खंडित
D) केवल रात का हिस्सा
उत्तर – A) सबके लिए पूरा और अखंड
दूसरे पद में बगीचे में बैठा व्यक्ति किसे दर्शाता है?
A) गरीब व्यक्ति
B) अमीर व्यक्ति
C) बीमार व्यक्ति
D) कवि स्वयं
उत्तर – B) अमीर व्यक्ति
“बदबू और गंदगी के घेरे में जिंदा” किसे संदर्भित करता है?
A) अमीर व्यक्ति
B) गरीब व्यक्ति
C) मध्यम वर्ग
D) बच्चे
उत्तर – B) गरीब व्यक्ति
तीसरे पद में भूख को किस प्रकार वर्णित किया गया है?
A) सबके लिए समान
B) केवल गरीबों के लिए
C) केवल अमीरों के लिए
D) असमान रूप से वितरित
उत्तर – A) सबके लिए समान
कविता में तंदूर में बन रही रोटी किसका प्रतीक है?
A) समय
B) भोजन की उपलब्धता
C) हवा की शुद्धता
D) चंद्रमा की सुंदरता
उत्तर – B) भोजन की उपलब्धता
चौथे पद में समय की असमानता का क्या कारण बताया गया है?
A) प्रकृति का भेदभाव
B) सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था
C) घड़ी की गलती
D) भूख की समस्या
उत्तर – B) सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था
कविता में प्रकृति की कौन सी चीज़ें सबके लिए समान बताई गई हैं?
A) हवा और भोजन
B) आकाश और चंद्रमा
C) समय और अवसर
D) भूख और रोटी
उत्तर – B) आकाश और चंद्रमा
कविता में किस संसाधन को सामाजिक विभाजन ने असमान बना दिया है?
A) आकाश
B) हवा और भोजन
C) चंद्रमा
D) समय का अनुभव
उत्तर – B) हवा और भोजन
कविता में किस प्राकृतिक तत्त्व को सबसे अधिक असमानता का शिकार बताया गया है?
A) आकाश
B) भोजन
C) चंद्रमा
D) साँस
उत्तर – B) भोजन
कविता का अंतिम संदेश क्या है?
A) प्रकृति सबके लिए समान है
B) सामाजिक असमानता ने प्राकृतिक संसाधनों को विभाजित किया है
C) समय सबके लिए एक जैसा है
D) भूख को मिटाना असंभव है
उत्तर – B) सामाजिक असमानता ने प्राकृतिक संसाधनों को विभाजित किया है
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कविता के पहले पद में कवि ने कौन-सी प्राकृतिक वस्तुओं का उल्लेख किया है?
उत्तर – कविता के पहले पद में कवि ने आकाश और चंद्रमा का उल्लेख किया है।
प्रश्न 2. कवि के अनुसार सबको पूरा आकाश कैसे दिखाई देता है?
उत्तर – कवि के अनुसार जब कोई व्यक्ति अपने स्थान से आकाश की ओर देखता है, तो उसे पूरा आकाश दिखाई देता है।
प्रश्न 3. कवि आकाश और चंद्रमा के उदाहरण से क्या कहना चाहता है?
उत्तर – कवि यह कहना चाहता है कि प्रकृति की वस्तुएँ सबके लिए समान हैं और उनमें कोई भेदभाव नहीं है।
प्रश्न 4. पहले पद का भाव क्या है?
उत्तर – पहले पद का भाव यह है कि प्रकृति सबको समान रूप से उपलब्ध है — अमीर और गरीब दोनों को एक-सा आकाश और चाँद मिलता है।
प्रश्न 5. दूसरे पद में कवि ने किस असमानता की ओर संकेत किया है?
उत्तर – दूसरे पद में कवि ने स्वच्छ हवा और प्रदूषित हवा की असमानता की ओर संकेत किया है।
प्रश्न 6. कवि ने किसके उदाहरण से हवा की विषमता दिखाई है?
उत्तर – कवि ने उस व्यक्ति का उदाहरण दिया है जो अपने बगीचे में अख़बार पढ़ रहा है और उस व्यक्ति का जो गंदगी में जी रहा है।
प्रश्न 7. क्या सबको एक जैसी हवा मिलती है?
उत्तर – नहीं, सबको एक जैसी हवा नहीं मिलती, क्योंकि कुछ को स्वच्छ हवा मिलती है और कुछ को दूषित।
प्रश्न 8. दूसरे पद का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर – दूसरे पद का मुख्य भाव यह है कि समाज ने प्राकृतिक संसाधनों में भी असमानता पैदा कर दी है।
प्रश्न 9. तीसरे पद में कवि किस विषय पर बात करता है?
उत्तर – तीसरे पद में कवि भूख और भोजन की असमानता के विषय में बात करता है।
प्रश्न 10. कवि के अनुसार सबको भूख क्यों लगती है?
उत्तर – कवि के अनुसार भूख एक प्राकृतिक आवश्यकता है, इसलिए वह सबको लगती है।
प्रश्न 11. सबको भूख लगने के बावजूद क्या सबको भोजन मिलता है?
उत्तर – नहीं, सबको भूख लगती है, पर हर व्यक्ति को अपने हिस्से का पूरा भोजन नहीं मिलता।
प्रश्न 12. तंदूर में बनती रोटियों का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
उत्तर – तंदूर में बनती रोटियाँ उस भोजन का प्रतीक हैं जो दिखने में सबके लिए है, पर वास्तव में केवल अमीरों के हिस्से में आता है।
प्रश्न 13. तीसरे पद का भाव क्या है?
उत्तर – तीसरे पद का भाव यह है कि आर्थिक असमानता के कारण कुछ लोग भूख से तड़पते हैं, जबकि कुछ लोगों के पास भोजन की कोई कमी नहीं होती।
प्रश्न 14. चौथे पद में कवि ने किस चीज़ का उल्लेख किया है?
उत्तर – चौथे पद में कवि ने ‘समय’ का उल्लेख किया है।
प्रश्न 15. कवि के अनुसार सबकी घड़ी में एक ही समय क्यों सबके हिस्से का समय नहीं होता?
उत्तर – क्योंकि सबके जीवन में परिस्थितियाँ, अवसर और सुख-दुख अलग-अलग होते हैं।
प्रश्न 16. चौथे पद का भाव क्या है?
उत्तर – चौथे पद का भाव यह है कि समान समय में भी सबके जीवन की गति, संघर्ष और अवसर भिन्न होते हैं।
प्रश्न 17. कवि ने ‘समय’ को केवल घड़ी के अर्थ में क्यों नहीं लिया?
उत्तर – कवि ने समय को अवसर, परिस्थिति और जीवन की स्थिति के रूप में लिया है, न कि केवल घड़ी के घंटे-मिनट के रूप में।
प्रश्न 18. कविता का केंद्रीय विचार क्या है?
उत्तर – कविता का केंद्रीय विचार यह है कि प्रकृति सबको समान रूप से देती है, लेकिन समाज ने असमानता और भेदभाव पैदा कर दिए हैं।
प्रश्न 19. कवि किस असमानता की सबसे अधिक आलोचना करता है?
उत्तर – कवि सबसे अधिक आर्थिक और सामाजिक असमानता की आलोचना करता है, जिससे व्यक्ति का जीवन स्तर अलग-अलग हो गया है।
प्रश्न 20. यह कविता हमें क्या सिखाती है?
उत्तर – यह कविता हमें सिखाती है कि हमें समानता, न्याय और साझा जीवन मूल्यों की भावना रखनी चाहिए, ताकि हर व्यक्ति को प्रकृति के संसाधनों का समान अधिकार मिले।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- प्रश्न – पहले पद में आकाश और चंद्रमा के बारे में कवि क्या कहता है?
उत्तर – कवि कहता है कि हर व्यक्ति अपने स्थान से पूरा आकाश और चंद्रमा देखता है। प्रकृति की ये चीज़ें सबके लिए समान और अखंड हैं, चाहे व्यक्ति अमीर हो या गरीब। यह प्रकृति की उदारता और समानता को दर्शाता है।
- प्रश्न – दूसरे पद में हवा की असमानता को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर – कवि बताता है कि साँस लेना सबके लिए ज़रूरी है, लेकिन हवा की गुणवत्ता सबके लिए एक जैसी नहीं। बगीचे में बैठा व्यक्ति स्वच्छ हवा पाता है, जबकि गरीब गंदगी और बदबू वाली हवा में साँस लेता है। यह सामाजिक विषमता को उजागर करता है।
- प्रश्न – तीसरे पद में भूख और भोजन के बीच क्या अंतर बताया गया है?
उत्तर – कवि कहता है कि भूख तो सबको लगती है, लेकिन भोजन सबको पूरा नहीं मिलता। बाजार में तंदूर की रोटियाँ बनती दिखती हैं, पर वे सबके हिस्से की नहीं, क्योंकि आर्थिक असमानता के कारण गरीब भोजन से वंचित रहते हैं।
- प्रश्न – चौथे पद में समय की असमानता का क्या भाव है?
उत्तर – कवि कहता है कि घड़ी में समय एक जैसा है, पर यह सबके लिए समान अवसर या सुविधा नहीं लाता। किसी के लिए यह सुख और उन्नति का समय है, तो किसी के लिए संघर्ष और निराशा का। यह सामाजिक विभाजन को दर्शाता है।
- प्रश्न – कविता में प्रकृति की समानता का क्या महत्त्व है?
उत्तर – कविता में प्रकृति की समानता (आकाश और चंद्रमा) यह दर्शाती है कि प्रकृति भेदभाव नहीं करती। हर व्यक्ति को ये चीज़ें पूरी तरह उपलब्ध हैं। यह मानव निर्मित असमानताओं के विपरीत प्रकृति की उदारता को उजागर करता है।
- प्रश्न – कविता में सामाजिक असमानता को किन तत्वों के माध्यम से दिखाया गया है?
उत्तर – कविता में सामाजिक असमानता को हवा, भोजन और समय के माध्यम से दिखाया गया है। स्वच्छ हवा और भोजन अमीरों को अधिक मिलता है, जबकि गरीब दूषित हवा और भूख में रहते हैं। समय भी अवसरों के रूप में असमान है।
- प्रश्न – तीसरे पद में तंदूर की रोटी का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
उत्तर – तंदूर की रोटी भोजन की उपलब्धता का प्रतीक है, जो बाजार में दिखती तो सबके लिए है, लेकिन आर्थिक असमानता के कारण गरीबों के हिस्से में नहीं आती। यह दर्शाता है कि भोजन, जो मूल ज़रूरत है, सामाजिक व्यवस्था ने असमान बना दिया है।
- प्रश्न – कविता में समय को कैसे परिभाषित किया गया है?
उत्तर – कविता में समय को केवल घड़ी के क्षणों से नहीं, बल्कि अवसरों, सुविधाओं और जीवन के अनुभवों से परिभाषित किया गया है। यह हर व्यक्ति के लिए अलग है—किसी के लिए सुखद, तो किसी के लिए निराशाजनक, जो सामाजिक असमानता को दर्शाता है।
- प्रश्न – कविता का केंद्रीय संदेश क्या है?
उत्तर – कविता का केंद्रीय संदेश है कि प्रकृति (आकाश, चंद्रमा) सबके लिए समान है, लेकिन मानव निर्मित सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था ने हवा, भोजन और समय जैसे संसाधनों में असमानता पैदा कर दी है। यह समाज में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- प्रश्न – कवि ने भूख को प्राकृतिक सत्य क्यों कहा है?
उत्तर – कवि भूख को प्राकृतिक सत्य कहता है, क्योंकि यह हर व्यक्ति को समान रूप से लगती है, चाहे अमीर हो या गरीब। लेकिन भोजन की उपलब्धता आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है, जो सामाजिक असमानता को दर्शाता है, क्योंकि गरीब भूखे रह जाते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- प्रश्न – पहले और दूसरे पद के बीच प्रकृति और मानव निर्मित संसाधनों की तुलना कैसे की गई है?
उत्तर – पहले पद में कवि प्रकृति की समानता को दर्शाता है, जहाँ आकाश और चंद्रमा सबके लिए पूरे और अखंड हैं। दूसरे पद में हवा की असमानता दिखाई गई है, जो सामाजिक विभाजन के कारण अमीरों को स्वच्छ और गरीबों को दूषित मिलती है। यह तुलना प्रकृति की उदारता और मानव निर्मित विषमता के बीच अंतर को उजागर करती है, जो समाज की असमानताओं पर चिंतन को प्रेरित करती है।
- प्रश्न – तीसरे पद में भूख और भोजन की असमानता को कवि ने कैसे व्यक्त किया है और इसका क्या प्रभाव है?
उत्तर – तीसरे पद में कवि कहता है कि भूख तो सबको समान लगती है, पर भोजन सबको पूरा नहीं मिलता। बाजार में तंदूर की रोटियाँ बनती दिखती हैं, लेकिन गरीबों की पहुँच से बाहर हैं। यह आर्थिक असमानता पर प्रहार करता है, जो पाठक को भोजन जैसे मूलभूत संसाधन की असमान वितरण व्यवस्था पर विचार करने के लिए मजबूर करता है। यह सामाजिक सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- प्रश्न – चौथे पद में समय की असमानता का भाव कैसे व्यक्त किया गया है और यह कविता के केंद्रीय संदेश को कैसे मजबूत करता है?
उत्तर – चौथे पद में कवि कहता है कि घड़ी का समय एक है, पर यह अवसरों और सुविधाओं के रूप में सबके लिए समान नहीं। अमीरों के लिए यह उन्नति का समय है, जबकि गरीबों के लिए संघर्ष का। यह सामाजिक असमानता को दर्शाता है और कविता के केंद्रीय संदेश को मजबूत करता है कि मानव निर्मित व्यवस्था ने प्राकृतिक संसाधनों और अवसरों को असमान बना दिया है।
- प्रश्न – कविता में प्रकृति और समाज के बीच की असमानता को कैसे चित्रित किया गया है?
उत्तर – कविता में प्रकृति (आकाश, चंद्रमा) को समान और उदार दिखाया गया है, जो सबके लिए पूरा उपलब्ध है। इसके विपरीत, समाज ने हवा, भोजन और समय जैसे संसाधनों में असमानता पैदा की है। अमीर स्वच्छ हवा और भोजन पाते हैं, जबकि गरीब दूषित हवा और भूख में रहते हैं। यह मानव निर्मित विषमता पर कटाक्ष करता है और समाज में सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है।
- प्रश्न – कविता का केंद्रीय भाव क्या है और यह सामाजिक समस्याओं को कैसे उजागर करता है?
उत्तर – कविता का केंद्रीय भाव है कि प्रकृति सबके लिए समान है, पर मानव निर्मित सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था ने हवा, भोजन और समय में असमानता पैदा की है। यह भूख, दूषित हवा और अवसरों की कमी जैसी समस्याओं को उजागर करता है। कविता पाठक को इन असमानताओं पर विचार करने और सामाजिक सुधार के लिए प्रेरित करती है, जो गरीबों के जीवन को प्रभावित करती हैं।

