कवि परिचयः अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
सन् 1865 में आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में ‘हरिऔध’ जी का जन्म हुआ। ‘हरिऔध’ द्विवेदी युग के एक प्रमुख कवि हैं। ‘खड़ीबोली’ की रचनाओं के कारण आपको प्रसिद्धि मिली। आप एक कुशल वक्ता और सफल अध्यापक भी थे। सन्1914 ईस्वी में आपकी सर्वप्रथम रचना ‘प्रियप्रवास’ महाकाव्य का प्रकाशन हुआ। आपकी अन्य काव्य रचनाएँ हैं ‘ चुभते – चौपदे, ‘चोखे- चौपदे’ और ‘पारिजात’। ‘हरिऔध’ जी ने प्रकृति के साथ-साथ राष्ट्रीयता की भावना को भी उजागर किया है। कविवर हरिऔध जी कर्म के महत्त्व को दर्शाते हुए परिश्रमी लोगों की प्रशंसा करते हैं। भाग्य के भरोसे बैठे रहने वाले की अपेक्षा पुरुषार्थ करके लक्ष्य को प्राप्त करने वाले ही कर्मवीर कहलाते हैं। सच्चे कर्मवीर कभी बातें नहीं बनाते, बाधाओं से विचलित नहीं होते और संघर्ष से मुँह नहीं मोड़ते। वे कठिन से कठिन कार्य को भी अपने परिश्रम से संभव कर दिखाते हैं। समाज और देश की उन्नति ऐसे ही कर्म वीरों के पुरुषार्थ पर निर्भर होती है। देश के नवयुवकों को लगन और मेहनत की सीख देने वाली प्रेरक कविता।
कर्मवीर
“आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही।
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही॥
मानते जी की हैं सुनते हैं सदा सबकी कहीं।
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही॥
भूल कर भी दूसरों का मुँह कभी ताकते नहीं।
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।
जो कभी अपने समय को यूँ बिताते हैं नहीं।
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं॥
आज कल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहीं।
यत्न करने में कभी जी को चुराते हैं नहीं॥
बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए।
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए॥
चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देते बना।
काम पडने पर करें जो शेर का भी सामना॥
जो कि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना।
है कठिन कुछ भी नहीं जिनके है जी में यह ठना॥
कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं।
कौन-सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं॥
काम को आरंभ करके यूँ नहीं जो छोड़ते।
सामना करके नहीं जो भूल कर मुँह मोड़ते॥
वे गगन के फूल बातों से व्यथा नहीं तोड़ते।
संपदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते॥
बन गया हीरा उन्हीं के हाथ से है कारवान।
काँच को करके दिखा देते हैं वे उज्ज्वल रतन॥
पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं वे।
सैकड़ों मरुभूमि में नदियाँ बहा देते हैं वे॥
गर्भ में जल-राशि के बेड़ा चला देते हैं वे।
जंगलों में भी महामंगल रचा देते हैं वे॥
भेद नभतल का उन्होंने है बहुत बतला दिया।
है उन्होंने ही निकाली तार की सारी क्रिया॥
सब तरह से आज इतने देश है फूले- फले।
बुद्धि, विद्या, धन, वैभव के हैं जहाँ डेरे डले॥
वे बनाने से उन्हीं के बन गए इतने भले।
वे सभी हैं हाथ से ऐसे सपूतों के पले॥
लोग जब ऐसे समय पाकर जन्म लेगें कभी।
देश की और जाति की होगी भलाई भी तभी॥
कठिन शब्दार्थ –
जी – मन
मुँह ताकना – किसी के भरोसे बैठे रहना
नमूना – आदर्श जिसका अनुकरण किया जाए
लोहे के चने चबाना – अत्यंत कठिन कार्य को करना
आंख खुलना – उलझन दूर करना
विभव – शक्ति, प्रभुत्व
मदद – सहायता
मरुभूमि – रेगिस्तान।
Hindi Word | Hindi Meaning (व्याख्या) | English Meaning | Tamil Meaning (பொருள்) |
कर्मवीर | कर्मठ वीर व्यक्ति | Diligent hero | உழைப்பாளி வீரன் (Ulaippali Veeran) |
यत्न | प्रयत्न या मेहनत | Effort | முயற்சி (Muyarchi) |
नमूना | उदाहरण या मिसाल | Sample/Example | மாதிரி (Maathiri) |
चिलचिलाती | तेज जलती हुई | Scorching | வெப்பமான (Veppamaana) |
सामना | मुकाबला या सामना करना | Confrontation | எதிர்கொள்ளல் (Ethirkollal) |
ठना | निश्चित या दृढ़ | Determined | தீர்மானித்த (Theermaanitha) |
कोस | दूरी की इकाई (लगभग २ मील) | Unit of distance | கோஸ் (Kos) அல்லது தூர அளவு (Thoora Alavu) |
गाँठ | गांठ या समस्या | Knot/Problem | முடிச்சு (Mudichu) |
व्यथा | दुख या पीड़ा | Pain/Sorrow | வேதனை (Vedhanai) |
संपदा | संपत्ति या धन | Wealth | சொத்து (Sothu) |
कारवान | काफिला या यात्रियों का समूह | Caravan | காரவான் (Kaaravaan) அல்லது பயணக் கூட்டம் (Payana Kootam) |
रतन | रत्न या बहुमूल्य पत्थर | Jewel | ரத்தினம் (Rathinam) |
मरुभूमि | रेगिस्तान या सूखी भूमि | Desert | பாலைவனம் (Paalaivanam) |
बेड़ा | जहाजों का समूह या बेड़ा | Fleet/Raft | கப்பல் கூட்டம் (Kappal Kootam) |
भेद | रहस्य या अंतर | Secret/Difference | ரகசியம் (Ragasiyam) |
कर्मवीर कविता की व्याख्या
- आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही।
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही॥
अर्थ – जो काम आज करना है, उसे आज ही पूरा करना चाहिए। जो लोग केवल सोचते और कहते नहीं, बल्कि अपने विचारों को कार्य में बदलकर परिणाम दिखाते हैं, वही सच्चे कर्मवीर हैं।
व्याख्या – यहाँ कवि कहते हैं कि सच्चा कर्मवीर वह है जो काम को टालता नहीं, बल्कि तुरंत उसे शुरू करके पूरा करता है। केवल बातें करने या सपने देखने वाले नहीं, बल्कि जो लोग अपने लक्ष्यों को हासिल करते हैं, वही समाज में सम्मान पाते हैं।
- मानते जी की हैं सुनते हैं सदा सबकी कहीं।
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही॥
अर्थ – कर्मवीर अपने मन की बात को मानते हैं और दूसरों की सलाह को भी सुनते हैं। वे इस संसार में स्वयं दूसरों की मदद करते हैं।
व्याख्या – यह पंक्तियाँ बताती हैं कि कर्मवीर न केवल आत्मविश्वास से भरे होते हैं, बल्कि दूसरों की राय का भी सम्मान करते हैं। वे निस्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करते हैं, बिना किसी स्वार्थ के।
- भूल कर भी दूसरों का मुँह कभी ताकते नहीं।
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।
अर्थ – कर्मवीर कभी दूसरों पर निर्भर नहीं रहते और न ही उनकी ओर आशा भरी नजरों से देखते हैं। उनके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है।
व्याख्या – यहाँ कवि कर्मवीर की आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प को रेखांकित करता है। वे अपनी मेहनत और क्षमता पर भरोसा करते हैं और किसी भी चुनौती को स्वीकार करने से नहीं डरते।
- जो कभी अपने समय को यूँ बिताते हैं नहीं।
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं॥
अर्थ – कर्मवीर अपने समय को व्यर्थ नहीं गँवाते और न ही काम करने के बजाय केवल बातें बनाते हैं।
व्याख्या – यह पंक्तियाँ समय के महत्त्व और कर्मठता पर जोर देती हैं। कर्मवीर समय की कीमत समझते हैं और उसे बेकार की बातों में नहीं, बल्कि रचनात्मक कार्यों में लगाते हैं।
- आज कल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहीं।
यत्न करने में कभी जी को चुराते हैं नहीं॥
अर्थ – कर्मवीर काम को “आज-कल” कहकर टालते नहीं और न ही मेहनत करने से जी चुराते हैं।
व्याख्या – यहाँ कवि कहते हैं कि कर्मवीर लोग टालमटोल से बचते हैं। वे मेहनत करने में कभी पीछे नहीं हटते और अपने कर्तव्यों को पूरी लगन से निभाते हैं।
- बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए।
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए॥
अर्थ – कर्मवीर के लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वे अपने कार्यों से दूसरों के लिए प्रेरणा का उदाहरण बन जाते हैं।
व्याख्या – यह पंक्तियाँ कर्मवीर की असाधारण क्षमता और प्रेरणादायी व्यक्तित्व को दर्शाती हैं। उनके काम दूसरों को प्रेरित करते हैं और वे समाज के लिए आदर्श बन जाते हैं।
- चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देते बना।
काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना॥
अर्थ – कर्मवीर कठिन परिस्थितियों (चिलचिलाती धूप) को भी सुखद बना देते हैं और जरूरत पड़ने पर शेर जैसे खतरों का भी सामना करते हैं।
व्याख्या – यहाँ कवि कर्मवीर की साहसिकता और सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। वे कठिनाइयों को अवसर में बदलते हैं और किसी भी खतरे से डरते नहीं।
- जो कि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना।
है कठिन कुछ भी नहीं जिनके है जी में यह ठना॥
अर्थ – कर्मवीर सबसे कठिन चुनौतियों (लोहे का चना) को भी हँसते-हँसते हल कर लेते हैं, क्योंकि उनके मन में यह दृढ़ संकल्प होता है कि कुछ भी असंभव नहीं है।
व्याख्या – यह पंक्तियाँ कर्मवीर की निश्चय शक्ति और सकारात्मक रवैये को उजागर करती हैं। वे कठिन से कठिन काम को भी आसानी से कर लेते हैं।
- कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं।
कौन-सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं॥
अर्थ – कर्मवीर कितनी भी लंबी यात्रा करें, कभी थकते नहीं और कोई भी समस्या ऐसी नहीं जो वे हल न कर सकें।
व्याख्या – यहाँ कर्मवीर की अथक मेहनत और समस्या-समाधान की क्षमता की प्रशंसा की गई है। वे हर चुनौती को हल करने में सक्षम होते हैं।
- काम को आरंभ करके यूँ नहीं जो छोड़ते।
सामना करके नहीं जो भूल कर मुँह मोड़ते॥
अर्थ – कर्मवीर शुरू किया हुआ काम कभी बीच में नहीं छोड़ते और न ही किसी चुनौती से मुँह मोड़ते हैं।
व्याख्या – यह पंक्तियाँ कर्मवीर की जिम्मेदारी और साहस को दर्शाती हैं। वे अपने कर्तव्यों को पूरी तरह निभाते हैं और कठिनाइयों से भागते नहीं।
- वे गगन के फूल बातों से व्यथा नहीं तोड़ते।
संपदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते॥
अर्थ – कर्मवीर केवल बातों से बड़े-बड़े सपने (गगन के फूल) नहीं तोड़ते और न ही केवल मन में धन-संपत्ति जोड़ने की सोचते हैं।
व्याख्या – यहाँ कवि कहते हैं कि कर्मवीर खोखली बातें या केवल धन की लालसा में नहीं पड़ते। वे अपने कार्यों से वास्तविक परिणाम लाते हैं।
- बन गया हीरा उन्हीं के हाथ से है कारवान।
काँच को करके दिखा देते हैं वे उज्ज्वल रतन॥
अर्थ – कर्मवीर अपने कार्यों से साधारण चीजों को मूल्यवान (हीरा) बना देते हैं और काँच जैसे साधारण पदार्थ को रत्न में बदल देते हैं।
व्याख्या – यह पंक्तियाँ कर्मवीर की रचनात्मकता और परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाती हैं। वे साधारण चीजों को भी अपने प्रयासों से असाधारण बना देते हैं।
- पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं वे।
सैकड़ों मरुभूमि में नदियाँ बहा देते हैं वे॥
अर्थ – कर्मवीर पर्वतों को काटकर रास्ते बनाते हैं और मरुभूमि में नदियाँ बहाते हैं।
व्याख्या – यहाँ कवि कर्मवीर की असंभव को संभव बनाने की क्षमता की प्रशंसा करते हैं। वे बड़ी से बड़ी बाधाओं को हटाकर समाज के लिए रास्ते बनाते हैं।
- गर्भ में जल-राशि के बेड़ा चला देते हैं वे।
जंगलों में भी महामंगल रचा देते हैं वे॥
अर्थ – कर्मवीर समुद्र में जहाज चलाते हैं और जंगलों में भी समृद्धि और खुशहाली लाते हैं।
व्याख्या – यह पंक्तियाँ कर्मवीर की साहसिकता और रचनात्मकता को दर्शाती हैं। वे हर परिस्थिति में कुछ नया और सकारात्मक रचते हैं।
- भेद नभतल का उन्होंने है बहुत बतला दिया।
है उन्होंने ही निकाली तार की सारी क्रिया॥
अर्थ – कर्मवीरों ने आकाश के रहस्यों को उजागर किया और तारों (ग्रहों) की गतिविधियों को समझाया।
व्याख्या – यहाँ कवि कर्मवीरों की वैज्ञानिक और अनुसंधानात्मक उपलब्धियों की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने विज्ञान और खोजों के माध्यम से दुनिया को नई दिशा दी।
- सब तरह से आज इतने देश है फूले- फले।
बुद्धि, विद्या, धन, वैभव के हैं जहाँ डेरे डले॥
अर्थ – कर्मवीरों के कारण आज कई देश समृद्ध और विकसित हो रहे हैं, जहाँ बुद्धि, विद्या, धन और वैभव का निवास है।
व्याख्या – यह पंक्तियाँ कर्मवीरों के योगदान को विश्व स्तर पर दर्शाती हैं। उनके प्रयासों से देशों में समृद्धि और प्रगति आई है।
- वे बनाने से उन्हीं के बन गए इतने भले।
वे सभी हैं हाथ से ऐसे सपूतों के पले॥
अर्थ – कर्मवीरों के निर्माण के कारण ही देश इतने अच्छे बने हैं। ये सभी उनकी मेहनत और लगन का परिणाम हैं।
व्याख्या – यहाँ कवि कहते हैं कि कर्मवीरों की मेहनत और समर्पण से ही समाज और देश का विकास हुआ है।
- लोग जब ऐसे समय पाकर जन्म लेगें कभी।
देश की और जाति की होगी भलाई भी तभी॥
अर्थ – जब लोग कर्मवीरों जैसे गुणों के साथ जन्म लेंगे, तभी देश और समाज का कल्याण होगा।
व्याख्या – कविता का समापन इस प्रेरणा के साथ होता है कि कर्मवीर जैसे लोग ही समाज और देश को बेहतर बनाते हैं। जब लोग उनके जैसे बनेंगे, तभी सच्ची प्रगति होगी।
अभ्यास
- I) सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही।
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही॥
मानते जी की हैं सुनते हैं सदा सबकी कहीं।
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही॥
उत्तर – प्रसंग – ‘कर्मवीर’ कविता के ये अंश मनुष्यों के वास्तविक कर्म और व्यवहार पर प्रकाश डाला गया है।
व्याख्या – यहाँ कवि कहते हैं कि सच्चा कर्मवीर वह है जो काम को टालता नहीं, बल्कि तुरंत उसे शुरू करके पूरा करता है। केवल बातें करने या सपने देखने वाले नहीं, बल्कि जो लोग अपने लक्ष्यों को हासिल करते हैं, वही समाज में सम्मान पाते हैं। यह पंक्तियाँ बताती हैं कि कर्मवीर न केवल आत्मविश्वास से भरे होते हैं, बल्कि दूसरों की राय का भी सम्मान करते हैं। वे निस्वार्थ भाव से दूसरों की सहायता करते हैं, बिना किसी स्वार्थ के।
- जो कभी अपने समय को यूँ बिताते हैं नहीं।
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं॥
आज कल करते हुए जो दिन गँवाते हैं नहीं।
यत्न करने में कभी जी को चुराते हैं नहीं॥
बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिए।
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए॥
उत्तर – प्रसंग – ‘कर्मवीर’ कविता की इन पंक्तियों में कर्मवीर और कर्मशील मनुष्यों के सटीक कर्म और दिनचर्या पर प्रकाश डाला गया है।
व्याख्या – ये पंक्तियाँ समय के महत्त्व और कर्मठता पर जोर देती हैं। कर्मवीर समय की कीमत समझते हैं और उसे बेकार की बातों में नहीं, बल्कि रचनात्मक कार्यों में लगाते हैं। यहाँ कवि कहते हैं कि कर्मवीर लोग टालमटोल से बचते हैं। वे मेहनत करने में कभी पीछे नहीं हटते और अपने कर्तव्यों को पूरी लगन से निभाते हैं। अंतिम पंक्तियाँ कर्मवीर की असाधारण क्षमता और प्रेरणादायी व्यक्तित्व को दर्शाती हैं। उनके काम दूसरों को प्रेरित करते हैं और वे समाज के लिए आदर्श बन जाते हैं।
- चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देते बना।
काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना॥
जो कि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना।
है कठिन कुछ भी नहीं जिनके है जी में यह ठना॥
कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं।
कौन-सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं॥
प्रसंग – ‘कर्मवीर’ कविता की इन पंक्तियों में मेहनती और संघर्षशील मनुष्यों के आचरण, कर्म और दिनचर्या पर प्रकाश डाला गया है।
व्याख्या – यहाँ कवि कर्मवीर की साहसिकता और सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। वे कठिनाइयों को अवसर में बदलते हैं और किसी भी खतरे से डरते नहीं। यहाँ कवि कर्मवीर की निश्चय शक्ति और सकारात्मक रवैये को उजागर करती हैं। वे कठिन से कठिन काम को भी आसानी से कर लेते हैं। यहाँ कर्मवीर की अथक मेहनत और समस्या-समाधान की क्षमता की प्रशंसा की गई है। वे हर चुनौती को हल करने में सक्षम होते हैं।
- पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं वे।
सैकड़ों मरुभूमि में नदियाँ बहा देते हैं वे॥
गर्भ में जल-राशि के बेड़ा चला देते हैं वे।
जंगलों में भी महामंगल रचा देते हैं वे॥
भेद नभतल का उन्होंने है बहुत बतला दिया।
है उन्होंने ही निकाली तार की सारी क्रिया॥
प्रसंग – ‘कर्मवीर’ कविता की इन पंक्तियों में मेहनती और संघर्षशील मनुष्यों के निरंतर प्रयासों द्वारा जो परिवर्तन आता है उसे बारे में बताया गया है।
व्याख्या – यहाँ कवि कर्मवीर की असंभव को संभव बनाने की क्षमता की प्रशंसा करते हैं। वे बड़ी से बड़ी बाधाओं को हटाकर समाज के लिए रास्ते बनाते हैं। यह कर्मवीर की साहसिकता और रचनात्मकता को दर्शाती हैं। वे हर परिस्थिति में कुछ नया और सकारात्मक रचते हैं। यहाँ कवि कर्मवीरों की वैज्ञानिक और अनुसंधानात्मक उपलब्धियों की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने विज्ञान और खोजों के माध्यम से दुनिया को नई दिशा दी।
- II) ‘कर्मवीर’ कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर – कविता “कर्मवीर” उन लोगों की प्रशंसा करती है जो अपने कार्यों, दृढ़ संकल्प, और साहस से समाज में बदलाव लाते हैं। यह आत्मनिर्भरता, समय के महत्त्व, और निस्वार्थ सेवा पर जोर देती है। कर्मवीर कठिनाइयों को अवसर में बदलते हैं, असंभव को संभव बनाते हैं, और अपने प्रयासों से देश व समाज को समृद्ध करते हैं। कविता प्रेरित करती है कि हमें भी कर्मठता, लगन, और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर समाज के लिए योगदान देना चाहिए।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
- कविता “कर्मवीर” का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) आलस्य की प्रशंसा करना
b) परिश्रमी और दृढ़ लोगों की प्रशंसा करना
c) धन संचय पर जोर देना
d) केवल बातें करने की प्रेरणा देना
उत्तर – b - पंक्ति “आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही” का संदेश क्या है?
a) कार्य को टालना
b) कार्य को तुरंत पूरा करना
c) केवल सोचना और योजना बनाना
d) जिम्मेदारियों से बचना
उत्तर – b - कर्मवीरों की विशेषता क्या है, जैसा कि कविता में वर्णित है?
a) दूसरों पर निर्भरता
b) आत्मनिर्भरता और साहस
c) समय की बर्बादी
d) चुनौतियों से भागना
उत्तर – b - “चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देते बना” का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
a) कठिनाइयों को अवसर में बदलना
b) गर्मी से बचना
c) समस्याओं की शिकायत करना
d) खतरों को अनदेखा करना
उत्तर – a - “लोहे का चना” कविता में किसका प्रतीक है?
a) आसान कार्य
b) कठिन चुनौती
c) भोजन की वस्तु
d) धातु की वस्तु
उत्तर – b - कर्मवीर समय के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?
a) इसे व्यर्थ बातों में गंवाते हैं
b) समय का महत्त्व समझते और उपयोग करते हैं
c) समय को अनदेखा करते हैं
d) समय को आराम में बिताते हैं
उत्तर – b - कविता में कर्मवीरों को किस रूप में प्रस्तुत किया गया है?
a) आलसी व्यक्तियों के रूप में
b) दूसरों के लिए प्रेरणा के रूप में
c) समाज से अलग-थलग
d) केवल धन कमाने वाले
उत्तर – b - “पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं वे” का अर्थ क्या है?
a) प्रकृति का विनाश
b) असंभव को संभव बनाना
c) पहाड़ों पर घर बनाना
d) यात्रा से बचना
उत्तर – b - कर्मवीर साधारण चीजों के साथ क्या करते हैं?
a) उन्हें अनदेखा करते हैं
b) उन्हें मूल्यवान बनाते हैं
c) उन्हें नष्ट करते हैं
d) उन्हें बेच देते हैं
उत्तर – b - कविता में “आज-कल” करने की प्रवृत्ति की क्या आलोचना की गई है?
a) यह समय की बर्बादी है
b) यह योजना का हिस्सा है
c) यह विश्राम का समय है
d) यह रचनात्मकता को बढ़ाता है
उत्तर – a - “भेद नभतल का उन्होंने है बहुत बतला दिया” का अर्थ क्या है?
a) आकाश को अनदेखा करना
b) ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करना
c) विज्ञान से दूरी बनाना
d) ऊंचाइयों से डरना
उत्तर – b - कर्मवीर चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं?
a) उनसे भागकर
b) हंसते हुए और साहस के साथ
c) शिकायत करके
d) दूसरों की मदद मांगकर
उत्तर – b - कविता का अंतिम संदेश क्या है?
a) आलस्य को अपनाना
b) कर्मवीर जैसे बनकर समाज का कल्याण करना
c) व्यक्तिगत लाभ पर ध्यान देना
d) दूसरों की आलोचना करना
उत्तर – b - “यत्न करने में कभी जी को चुराते हैं नहीं” का क्या अर्थ है?
a) मेहनत से नहीं हटना
b) कार्य को टालना
c) आलस्य अपनाना
d) दूसरों पर निर्भर होना
उत्तर – a - कविता में कर्मवीरों की रचनात्मकता को कैसे दर्शाया गया है?
a) बातों से सपने बनाकर
b) कांच को रत्न में बदलकर
c) समस्याएं बढ़ाकर
d) समय व्यर्थ करके
उत्तर – b - “कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं” क्या दर्शाते हैं?
a) शारीरिक कमजोरी
b) अथक परिश्रम और दृढ़ता
c) यात्रा से बचना
d) थकान की शिकायत
उत्तर – b - कविता के अनुसार देशों की समृद्धि का कारण क्या है?
a) प्राकृतिक संसाधन
b) कर्मवीरों के प्रयास
c) विदेशी सहायता
d) भाग्य
उत्तर – b - “वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए” का अर्थ है –
a) दूसरों की नकल करना
b) दूसरों के लिए प्रेरणा बनना
c) कार्य छिपाना
d) दूसरों की आलोचना करना
उत्तर – b - कर्मवीरों की समस्या-समाधान क्षमता को कैसे दर्शाया गया है?
a) समस्याओं से भागकर
b) हर गांठ को खोलकर
c) समस्याओं को अनदेखा करके
d) दूसरों पर छोड़कर
उत्तर – b - कविता “कर्मवीर” की समग्र थीम क्या है?
a) विश्राम और आनंद
b) समाज को बदलने वाले परिश्रमी लोगों की प्रशंसा
c) धन संचय पर जोर
d) आलस्य की प्रशंसा
उत्तर – b
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – कविता ‘कर्मवीर’ के रचयिता किस प्रकार के व्यक्तियों की प्रशंसा करते हैं?
उत्तर – रचयिता उन व्यक्तियों की प्रशंसा करते हैं जो कर्मशील, परिश्रमी और समय का सही उपयोग करने वाले होते हैं।
प्रश्न 2 – कवि के अनुसार जो काम आज करना है, उसे कब करना चाहिए?
उत्तर – कवि के अनुसार जो काम आज करना है, उसे आज ही करना चाहिए।
प्रश्न 3 – कर्मवीर व्यक्ति सोचते और कहते हैं तो क्या करते हैं?
उत्तर – कर्मवीर व्यक्ति जो सोचते और कहते हैं, उसे करके दिखाते हैं।
प्रश्न 4 – कर्मवीर दूसरों की बातों के प्रति कैसा व्यवहार रखते हैं?
उत्तर – कर्मवीर दूसरों की बातें ध्यान से सुनते हैं और सबकी राय का सम्मान करते हैं।
प्रश्न 5 – कर्मवीर दूसरों से मदद लेने के बजाय क्या करते हैं?
उत्तर – कर्मवीर दूसरों से मदद लेने के बजाय स्वयं अपनी मदद करते हैं।
प्रश्न 6 – कर्मवीर कभी दूसरों की ओर क्यों नहीं ताकते?
उत्तर – कर्मवीर दूसरों की ओर इसलिए नहीं ताकते क्योंकि वे अपने कार्य करने में आत्मनिर्भर और विश्वासपूर्ण होते हैं।
प्रश्न 7 – कर्मवीर समय का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर – कर्मवीर अपने समय को व्यर्थ न गँवाकर हर क्षण को कार्य में लगाते हैं।
प्रश्न 8 – कर्मवीर कार्य के स्थान पर क्या नहीं करते?
उत्तर – कर्मवीर कार्य करने की जगह केवल बातें नहीं बनाते।
प्रश्न 9 – कर्मवीर किस प्रकार के व्यक्ति नहीं होते?
उत्तर – कर्मवीर आलसी या टालमटोल करने वाले व्यक्ति नहीं होते।
प्रश्न 10 – कर्मवीर अपने यत्न से किस प्रकार के परिणाम प्राप्त करते हैं?
उत्तर – कर्मवीर अपने निरंतर यत्न से कठिन से कठिन कार्यों को भी संभव बना लेते हैं।
प्रश्न 11 – कर्मवीर दूसरों के लिए किस प्रकार का उदाहरण बनते हैं?
उत्तर – कर्मवीर अपने कर्मों से दूसरों के लिए प्रेरणादायक नमूना बन जाते हैं।
प्रश्न 12 – कर्मवीर कठिन परिस्थितियों में क्या करते हैं?
उत्तर – कर्मवीर कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य रखते हैं और शेर की तरह उनका सामना करते हैं।
प्रश्न 13 – “हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना” का क्या अर्थ है?
उत्तर – इसका अर्थ है कि कर्मवीर असंभव प्रतीत होने वाले कार्यों को भी हँसते हुए पूरा कर लेते हैं।
प्रश्न 14 – कर्मवीर थकान को कैसे देखते हैं?
उत्तर – कर्मवीर थकान को अपने रास्ते की रुकावट नहीं बनने देते और निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं।
प्रश्न 15 – कर्मवीर किस प्रकार की गाँठें खोल सकते हैं?
उत्तर – कर्मवीर हर कठिनाई और समस्या की गाँठ खोल सकते हैं।
प्रश्न 16 – कर्मवीर कार्य आरंभ करने के बाद क्या नहीं करते?
उत्तर – कर्मवीर कार्य आरंभ करने के बाद उसे अधूरा नहीं छोड़ते।
प्रश्न 17 – कर्मवीर बातों से व्यथा क्यों नहीं तोड़ते?
उत्तर – कर्मवीर केवल बातों से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से सफलता प्राप्त करते हैं, इसलिए वे व्यर्थ बातें नहीं करते।
प्रश्न 18 – कवि ने कर्मवीरों की तुलना किससे की है?
उत्तर – कवि ने कर्मवीरों की तुलना हीरे से की है जो साधारण काँच को भी रत्न बना देते हैं।
प्रश्न 19 – कर्मवीरों के प्रयास से देश को क्या लाभ होता है?
उत्तर – कर्मवीरों के प्रयास से देश में विकास, समृद्धि, ज्ञान और विज्ञान की वृद्धि होती है।
प्रश्न 20 – कवि के अनुसार देश और जाति की भलाई कब होगी?
उत्तर – कवि के अनुसार देश और जाति की भलाई तब होगी जब ऐसे कर्मवीर व्यक्ति जन्म लेंगे।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- कविता “कर्मवीर” की केंद्रीय थीम क्या है?
उत्तर – कविता कर्मठ व्यक्तियों की प्रशंसा करती है जो परिश्रम, आत्मनिर्भरता और दृढ़ता से समाज में परिवर्तन लाते हैं। यह चुनौतियों को अवसर में बदलने, टालमटोल से बचने और दूसरों को प्रेरित करने पर जोर देती है। कर्मवीर असंभव को संभव बनाते हैं और सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।
- कविता में कर्मवीरों के समय के प्रति दृष्टिकोण को कैसे वर्णित किया गया है?
उत्तर – कर्मवीर समय को अत्यधिक महत्त्व देते हैं और व्यर्थ बातों या देरी में नहीं गंवाते। वे कार्यों को तुरंत करते हैं, “आज-कल” के बहानों से बचते हैं और हर पल को उत्पादक बनाते हैं। यह अनुशासित दृष्टिकोण सफलता सुनिश्चित करता है और उन्हें दूसरों से अलग करता है।
- “लोहे का चना चबाना” के प्रतीक को समझाइए।
उत्तर – यह वाक्यांश कठिन चुनौतियों को आसानी और हंसते हुए हल करने का प्रतीक है। कर्मवीर मजबूत इच्छाशक्ति से कठिनाइयों को विजय में बदलते हैं। यह उनकी लचीलापन दर्शाते हैं, जो दर्शाते हैं कि दृढ़ संकल्प वाले के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
- कविता के अनुसार समाज में कर्मवीरों की भूमिका क्या है?
उत्तर – कर्मवीर आदर्श के रूप में कार्य करते हैं, दूसरों को प्रेरित करते हैं। वे निस्वार्थ मदद करते हैं, समस्याएँ हल करते हैं और प्रगति को बढ़ावा देते हैं। पर्वतों में सड़कें और रेगिस्तान में नदियां बनाकर वे राष्ट्रीय विकास में योगदान देते हैं, जब अधिक लोग उनके जैसे बनें तो कल्याण होता है।
- कविता में कर्मवीरों की आत्मनिर्भरता कैसे चित्रित है?
उत्तर – कर्मवीर कभी दूसरों पर निर्भर नहीं रहते या मदद की आशा नहीं करते। वे अपने प्रयासों पर भरोसा करते हैं और किसी भी कार्य को आत्मविश्वास से करते हैं। यह स्वतंत्रता उन्हें असंभव हासिल करने की अनुमति देती है और निर्भरता के नुकसान से बचाती है।
- “चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देते बना” पंक्ति पर चर्चा कीजिए।
उत्तर – यह पंक्ति कर्मवीरों की आशावादिता दर्शाती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल में बदलते हैं। वे सकारात्मक सोच और प्रयास से असहनीय को सुखद बनाते हैं, शेर जैसे खतरों का सामना डटकर करते हैं और दृढ़ता से।
- कविता टालमटोल के बारे में क्या कहती है?
उत्तर – कविता “आज-कल” की प्रवृत्ति की आलोचना करती है, जो दिन व्यर्थ गंवाती है। कर्मवीर इससे बचते हैं, कार्यों को तुरंत और पूरे मन से करते हैं। इससे उत्पादकता और सफलता सुनिश्चित होती है, जबकि हिचकिचाहट अवसर गंवाती है।
- कर्मवीर चुनौतियों को कैसे संभालते हैं?
उत्तर – कर्मवीर सीधे चुनौतियों का सामना करते हैं, शुरू किया कार्य नहीं छोड़ते और मुँह नहीं मोड़ते। वे किसी भी गांठ को खोलते हैं, मीलों चलकर थकते नहीं और भय का सामना करते हैं। उनका दृष्टिकोण साधारण को असाधारण बनाता है, जंगलों या समुद्रों में समृद्धि लाता है।
- कविता में कर्मवीरों का राष्ट्रीय प्रगति पर प्रभाव समझाइए।
उत्तर – आविष्कारों, खोजों और परिश्रम से कर्मवीर देशों को बुद्धि, विद्या और धन से समृद्ध करते हैं। वे ब्रह्मांड के रहस्य उजागर करते हैं, बुनियादी ढांचा बनाते हैं और विकास को बढ़ावा देते हैं। राष्ट्र उनकी मेहनत से पुष्पित होते हैं, जब अधिक लोग उन्हें अपनाएं तो कल्याण होता है।
- कविता सपनों और कार्यों के बारे में क्या संदेश देती है?
उत्तर – कविता केवल सपने देखने या मानसिक धन संचय की चेतावनी देती है। कर्मवीर विचारों को कार्य में बदलते हैं, कांच को रत्न और कारवां को हीरा बनाते हैं। यह लगातार कार्य से वास्तविकता बनाने का आग्रह करती है, खोखली बातों से बचकर सच्ची उपलब्धि के लिए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- कविता “कर्मवीर” आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प को कैसे प्रेरित करती है?
उत्तर – कविता कर्मवीरों को आत्मनिर्भर योद्धाओं के रूप में चित्रित करती है जो दूसरों पर निर्भर नहीं रहते या चुनौतियों से डरते नहीं। वे तय करते हैं कि कुछ भी असंभव नहीं, चिलचिलाती धूप को चाँदनी बनाते हैं या लोहे की चुनौतियों को हंसते हुए निगलते हैं। यात्राओं में थकते नहीं और जीवन की गांठें खोलते हैं। यह पाठकों को आंतरिक शक्ति विकसित करने, टालमटोल से बचने और व्यक्तिगत प्रयासों को सामाजिक उदाहरण में बदलने के लिए प्रेरित करती है, स्वतंत्रता और अटूट संकल्प की संस्कृति को बढ़ावा देकर सफलता के लिए।
- कविता में कर्मवीरों की परिवर्तनकारी शक्ति को विस्तार से समझाइए।
उत्तर – कर्मवीर असंभव को वास्तविकता में बदलने की असाधारण क्षमता रखते हैं, जैसे पर्वतों में सड़कें काटना या रेगिस्तान में नदियां बहाना। वे साधारण कांच को चमकदार रत्न और कारवां को हीरा बनाते हैं। ब्रह्मांड के रहस्यों का अन्वेषण और जंगलों में समृद्धि सृजन करते हैं, वे राष्ट्रों को बुद्धि, विद्या और वैभव से समृद्ध करते हैं। कविता उनके राष्ट्रीय पुष्पन पर जोर देती है, ऐसे व्यक्तियों के जन्म का आग्रह करती है जो सामाजिक कल्याण के लिए कार्य पर ध्यान देते हैं, मात्र शब्दों से नहीं।
- कविता कर्मवीरों और साधारण लोगों के बीच अंतर कैसे दर्शाती है?
उत्तर – साधारण लोग टालमटोल करते हैं, समय व्यर्थ बातों में गंवाते हैं और प्रयास से दूर रहते हैं, जबकि कर्मवीर तुरंत कार्य करते हैं, हर पल को महत्त्व देते हैं और चुनौतियों का डटकर सामना करते हैं। वे मानसिक धन नहीं संचय करते या आकाश के फूल नहीं तोड़ते। इसके बजाय, वे समस्याएं हल करते हैं, निस्वार्थ मदद करते हैं और प्रेरणा बनते हैं। कविता साधारण लोगों की हिचकिचाहट से दिन गंवाने की आलोचना करती है, जबकि कर्मवीर असंभव हासिल करते हैं, व्यक्तिगत और राष्ट्रीय सुधार के लिए उनके गुण अपनाने का आग्रह करती है।
- कविता में प्रयुक्त प्रतीकात्मक छवियों का विश्लेषण कीजिए जो कर्मवीरों के गुणों को दर्शाती हैं।
उत्तर – कविता जीवंत प्रतीकों का उपयोग करती है जैसे “लोहे का चना चबाना” कठिन कार्यों को आसानी से करने के लिए, “चिलचिलाती धूप को चाँदनी बनाना” प्रतिकूलता को सुख में बदलने के लिए, और “शेर का सामना” निर्भय सामना के लिए। “गांठ खोलना” समस्या-समाधान का प्रतीक है, जबकि रेगिस्तान में नदियां और पर्वतों में सड़कें प्राकृतिक बाधाओं पर विजय दर्शाती हैं। ये छवियां कर्मवीरों की लचीलापन, आशावादिता और रचनात्मकता को उजागर करती हैं, पाठकों को चुनौतियों को विकास के अवसर के रूप में देखने के लिए प्रेरित करती हैं।
- कविता में बेहतर राष्ट्र निर्माण में कर्मवीरों की भूमिका का क्या संदेश है?
उत्तर – कर्मवीर राष्ट्रीय प्रगति की रीढ़ हैं, वैज्ञानिक रहस्यों का खुलासा करते हैं, बुनियादी ढाँचा बनाते हैं और समाजों को बुद्धि, धन और वैभव से समृद्ध करते हैं। वे बंजर भूमि को समृद्ध बनाते हैं। कविता समाप्त होती है कि सच्चा कल्याण तब होता है जब लोग इन गुणों से जन्म लेते हैं। यह सामाजिक बीमारियों को दूर करने, एकता को बढ़ावा देने और सामूहिक कल्याण हासिल करने के लिए कार्य-उन्मुख जीवन का आग्रह करती है, जातीय और राष्ट्रीय उन्नति के लिए।

