कवि परिचय – हरिवंशराय ‘बच्चन’
श्री ‘बच्चन’ जी का जन्म इलाहाबाद में हुआ। हिन्दी के लोकप्रिय गीतकारों में आप अग्रगण्य माने जाते हैं। बच्चन जी महान साहित्यकार थे। इनकी कला निष्कपट और निश्छल है। मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, एकांत संगीत, निशा-निमंत्रण आदि आपकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
कविता परिचय – पांचजन्य
पांचजन्य कवि की राष्ट्र-प्रेम संबंधी रचना है जिस तरह श्रीकृष्ण ने महाभारत के भीषण युद्ध में अपना पांचजन्य नामक शंख बजाकर धर्म की जय की घोषणा की, उसी तरह भारत के स्वाधीनता संग्राम में भारत को विजय देने के लिए कवि पांचजन्य का आह्वान करते हैं। भारत के जन-जन में जिन गुणों की अपेक्षा है, उन पर कवि सुंदर शब्दों में प्रकाश डालते हैं।
पांचजन्य
पांचजन्य, कर पुनः गान।
यह मृतकों का सा देश,
बिसराकर अपना वीरवेश,
सब शौर्य-शक्ति हो गई नष्ट,
बस कायरता रह गई शेष,
बज कर अतीत से एक बार
दे सबके अंदर फूँक प्राण,
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
जर्जर जीवन का हटे भार,
तन-मन से हो यौवन प्रसार
जन की डाली में पात पत्र
गिर पड़ेवेग, आये बहार,
सुन पड़े चतुर्दिक से नूतन,
कोकिल कवियों की नयी तान,
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
नूतन युग का हो नया राग,
ले अनिल पले नूतन पराग
उज्जवल अतीत से हो सगर्व
पर जगह हृदय में नयी आग,
प्राचीन कीर्ति से हो न तुष्ट
हम रचें नित्य नूतन महान,
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
हम चलें विश्व को देने को
मानव स्वतंत्रता का संदेश
कर्तव्य मार्ग पर दृढ़ रहना,
हो एक ध्येय का एक ध्यान
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
हो पूर्ण विश्व आलस्यहीन
हो सब सत्कृत्यों में प्रवीण
हम जन्मसिद्ध अधिकारों को
लें एक दूसरों से न छीन,
पर पापी – शत्रुओं के ऊपर
हो खुली नित्य नंगी कृपाण,
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
कठिन शब्दार्थ –
पांचजन्य – श्रीकृष्ण का शंख
बिसरकर – बिखरकर, प्रसार, फैलाव, विस्तार
अनिल – पवन
दृढ़-स्थिर – मजबूत
नूतन – नवीन
आग – वेग, शक्ति
तृष्ट – तृप्त
ध्येय – लक्ष्य
आलस्य – सुस्ती
हीन – रहित
शब्द | हिंदी अर्थ (Hindi Meaning) | तमिल अर्थ (Tamil Meaning) | अंग्रेजी अर्थ (English Meaning) |
पांचजन्य | श्रीकृष्ण का शंख जो युद्ध में धर्म की जय घोषित करता है | பஞ்சஜன்யா (ஸ்ரீகிருஷ்ணரின் சங்கு, யுத்தத்தில் ர்ம விஜயத்தை அறிவிக்கும்) | Panchajanya (Krishna’s conch shell symbolizing victory of righteousness) |
वीरवेश | वीरता का स्वरूप या भेष | வீரமேகம் (வீரத்தின் உருவம் அல்லது உடை) | Heroic form or guise |
शौर्य-शक्ति | वीरता की शक्ति | சௌர்ய சக்தி (வீரத்தின் சக்தி) | Valor or heroic power |
कायरता | डरपोकपन या भयाक्रांतता | பயக்குட்டத்தன்மை (பயம் நிறைந்த நிலை) | Cowardice |
फूँक प्राण | प्राणवायु फूँकना, जीवन प्रदान करना | உயிர் அடிக்க (வாழ்வை அளிக்கும்) | Breathe life (infuse vitality) |
जर्जर | जीर्ण-शीर्ण, पुराना और टूटा-फूटा | ஜர்ஜரம் (பழையது, அழிந்து போனது) | Decrepit or dilapidated |
यौवन प्रसार | युवावस्था का विस्तार | இளமை விரிவாக்கம் (யவ்வன கால விரிவு) | Spread of youthfulness |
पात पत्र | पत्तियाँ या पत्ता-पत्ता | இலைகள் (பட்டா இலை) | Leaves (foliage) |
बहार | बसंत या नवीनता का आगमन | வசந்தம் (புதுமை வருகை) | Spring (renewal or bloom) |
नूतन | नया या आधुनिक | புதியது (நவீனம்) | New or modern |
कोकिल | काव्य रचना करने वाला कवि (कोकिल रूपक) | குக்குவின் (கவி உருவகம்) | Nightingale (metaphor for poet) |
तान | स्वर या गान की धुन | தானம் (இசை மெட்டு) | Melody or tune |
राग | संगीत की धुन या भावुकता | ராகம் (இசை ராகம் அல்லது உணர்வு) | Raga (musical mode or passion) |
अनिल | हवा या वायु | காற்று (வளி) | Wind |
पराग | फूलों का परागकण | புழு (பூவின் தூசி) | Pollen |
सगर्व | गर्व के साथ | பெருமையுடன் (வீரமாக) | With pride |
प्राचीन कीर्ति | प्राचीन गौरव या प्रसिद्धि | பழங்கால புகழ் (புராதன கீர்த்தி) | Ancient glory |
ध्येय | उद्देश्य या लक्ष्य | ஏவல் (நோக்கம்) | Aim or objective |
आलस्यहीन | आलस्य से रहित, सक्रिय | சோம்பேறித்தனமில்லாத (செயல்படும்) | Free from laziness (active) |
सत्कृत्य | सदाचरण या अच्छे कर्म | நல்ல செயல்கள் (உத்தம கிரியை) | Good deeds |
प्रवीण | निपुण या कुशल | நிபுணன் (திறமையான) | Proficient or skilled |
जन्मसिद्ध | जन्म से प्राप्त | பிறப்பால் கிடைத்த (ஜன்ம சித்த) | Innate or birthright |
कृपाण | तलवार या खंजर | கத்தி (கிர்பாண்) | Sword or scimitar |
व्याख्या सहित
पहला स्तबक –
पंक्तियाँ –
पांचजन्य, कर पुनः गान।
यह मृतकों का सा देश,
बिसराकर अपना वीरवेश,
सब शौर्य-शक्ति हो गई नष्ट,
बस कायरता रह गई शेष,
बज कर अतीत से एक बार
दे सबके अंदर फूँक प्राण,
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
भावार्थ –
कवि कहता है — हे पांचजन्य! फिर से गूँज उठो, क्योंकि यह देश मृतप्राय हो गया है। भारतवासी अपने वीर रूप को भूल गए हैं। उनकी वीरता और शक्ति नष्ट हो गई है, और उनमें केवल भीरुपन रह गया है। कवि चाहता है कि अतीत के गौरव की याद दिलाकर पांचजन्य का शंखनाद लोगों के भीतर फिर से जीवन, ऊर्जा और साहस का संचार करे।
मुख्य भाव –
कवि राष्ट्र की निष्क्रियता और कायरता पर दुख व्यक्त करते हुए जन-जागरण की पुकार करता है।
दूसरा स्तबक –
पंक्तियाँ –
जर्जर जीवन का हटे भार,
तन-मन से हो यौवन प्रसार
जन की डाली में पात पत्र
गिर पड़े वेग, आये बहार,
सुन पड़े चतुर्दिक से नूतन,
कोकिल कवियों की नयी तान,
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
भावार्थ –
कवि कहता है कि यह जर्जर (थका-हारा) जीवन दूर हो जाए और देशवासियों के तन-मन में युवावस्था का जोश उमड़ आए। जनता के जीवन वृक्ष में फिर से नए पत्ते और फूल खिलें, चारों ओर नई स्फूर्ति और ऊर्जा फैल जाए। जैसे वसंत ऋतु में कोयल के गीत सुनाई देते हैं, वैसे ही पूरे देश में नई रचनात्मकता और जीवन की मधुर ध्वनि सुनाई दे।
मुख्य भाव –
कवि यहाँ राष्ट्र में नवजीवन, नवऊर्जा और नवचेतना का आह्वान करता है।
तीसरा स्तबक –
पंक्तियाँ –
नूतन युग का हो नया राग,
ले अनिल पले नूतन पराग
उज्जवल अतीत से हो सगर्व
पर जगह हृदय में नयी आग,
प्राचीन कीर्ति से हो न तुष्ट
हम रचें नित्य नूतन महान,
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
भावार्थ –
कवि कहता है कि हमें नए युग का नया गीत गाना चाहिए। जैसे हवा नई खुशबू फैलाती है, वैसे ही हमें भी नई प्रेरणा और नई ऊर्जा से भर जाना चाहिए। हमें अपने उज्ज्वल अतीत पर गर्व तो होना चाहिए, लेकिन केवल उसी पर संतुष्ट नहीं रहना चाहिए। हमें वर्तमान में भी कुछ नया और महान रचना चाहिए।
मुख्य भाव –
कवि नवसृजन की भावना प्रकट करता है — अतीत पर गर्व करते हुए भी वर्तमान में नए कार्यों से राष्ट्र को गौरवशाली बनाना चाहिए।
चौथा स्तबक –
पंक्तियाँ –
हम चलें विश्व को देने को
मानव स्वतंत्रता का संदेश
कर्तव्य मार्ग पर दृढ़ रहना,
हो एक ध्येय का एक ध्यान
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
भावार्थ –
कवि कहता है कि हमें पूरी दुनिया को मानव स्वतंत्रता का संदेश देना है। इसके लिए हमें अपने कर्तव्य के मार्ग पर अडिग रहना होगा। हमारे मन में एक ही उद्देश्य और एक ही लक्ष्य होना चाहिए — मानवता और स्वतंत्रता की रक्षा।
मुख्य भाव –
कवि यहाँ राष्ट्र के कर्तव्यबोध और विश्वबंधुत्व की भावना व्यक्त करता है।
पाँचवाँ स्तबक –
पंक्तियाँ –
हो पूर्ण विश्व आलस्यहीन
हो सब सत्कृत्यों में प्रवीण
हम जन्मसिद्ध अधिकारों को
लें एक दूसरों से न छीन,
पर पापी – शत्रुओं के ऊपर
हो खुली नित्य नंगी कृपाण,
रे पांचजन्य, कर पुनः गान।
भावार्थ –
कवि कहता है कि संपूर्ण विश्व आलस्य (सुस्ती) से मुक्त हो जाए और सभी लोग अच्छे कार्यों में निपुण हों। सभी अपने जन्मसिद्ध अधिकारों का सम्मान करें और एक-दूसरे से उन्हें छीनें नहीं। लेकिन जो पापी और शत्रु हैं, उनके ऊपर न्याय की तलवार सदैव खुली रहनी चाहिए। कवि चाहता है कि धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए साहस और न्याय की भावना सदैव जीवित रहे।
मुख्य भाव –
यह स्तबक न्याय, वीरता और कर्तव्यनिष्ठा का संदेश देता है। कवि चाहता है कि सत्य और धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष आवश्यक है।
समग्र भावार्थ (कविता का केंद्रीय विचार) –
कवि राष्ट्र के गौरव, वीरता, और कर्तव्यबोध को जगाने का आह्वान करता है। वह चाहता है कि भारत फिर से अपनी सोई हुई शक्ति को पहचानकर, आलस्य और कायरता छोड़कर, नवसृजन के मार्ग पर चले। पांचजन्य शंख का प्रतीक राष्ट्रजागरण, पराक्रम, और धर्म की विजय का प्रतीक है।
अभ्यास के लिए प्रश्न
- पांचजन्य कविता की रचना किसने की?
उत्तर – पांचजन्य कविता की रचना कवि हरिवंशराय ‘बच्चन’ ने की है।
- कवि पांचजन्य का पुन – गान करने के लिए क्यों कहते हैं?
उत्तर – कवि पांचजन्य का पुनः गान करने के लिए इसलिए कहते हैं ताकि देशवासियों में सोई हुई शक्ति और वीरता जाग उठे तथा वे कायरता छोड़कर अपने कर्तव्यों का पालन करें।
- कवि तन-मन से किसका प्रचार करने के लिए कहते हैं?
उत्तर – कवि तन-मन से यौवन और नवचेतना के प्रसार का प्रचार करने के लिए कहते हैं।
- कवियों की नयी तान क्या है?
उत्तर – कवियों की नयी तान का अर्थ है नवजीवन, नवचेतना और उत्साह से भरी हुई रचनाओं की मधुर ध्वनि जो देश में नई उमंग भर दे।
- कवि नित्य क्या करना चाहते हैं?
उत्तर – कवि नित्य कुछ नया और महान रचना करना चाहते हैं ताकि देश प्रगति और गौरव के मार्ग पर आगे बढ़ सके।
- कवि नूतन युग में क्या-क्या चाहते हैं?
उत्तर – कवि नूतन युग में नई ऊर्जा, नए विचार, नई चेतना, और नई सृजनशीलता का प्रसार चाहते हैं ताकि देश फिर से महान बन सके।
- कवि देश की स्थिति के बारे में क्या कहते हैं?
उत्तर – कवि कहते हैं कि देश मृतप्राय-सा हो गया है, लोगों ने अपना वीरवेश और शौर्य भूलकर कायरता अपना ली है।
- कवि पांचजन्य शंख नाद के द्वारा देश के हालत को कैसे सुधारना चाहते हैं?
उत्तर – कवि चाहते हैं कि पांचजन्य शंखनाद से देशवासियों के भीतर देशभक्ति, साहस, और कर्तव्यबोध की नई लहर उठे जिससे वे निष्क्रियता छोड़कर नवजीवन प्राप्त करें।
- पांचजन्य कविता में कवि की कामना क्या है?
उत्तर – कवि की कामना है कि भारत पुनः वीरता, उत्साह, और नवजीवन से परिपूर्ण होकर विश्व को स्वतंत्रता और मानवता का संदेश दे।
- कवि इस किवता के द्वारा क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर – कवि इस कविता के माध्यम से देशभक्ति, नवजागरण, कर्तव्यपालन, और विश्वबंधुत्व का संदेश देना चाहते हैं।
- पांचजन्य कविता का सारांश लिखिए?
उत्तर – ‘पांचजन्य’ कविता में कवि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रप्रेम की भावना व्यक्त करते हैं। वे भगवान श्रीकृष्ण के पांचजन्य शंख का प्रतीक लेकर देशवासियों को कायरता छोड़कर वीरता, साहस, और नवजीवन अपनाने का आह्वान करते हैं। कवि चाहता है कि भारतवासी अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर वर्तमान में नए उत्साह के साथ आगे बढ़ें और विश्व को स्वतंत्रता, मानवता और कर्तव्यनिष्ठा का संदेश दें। यह कविता राष्ट्रजागरण, नवसृजन और देशभक्ति का प्रेरक गीत है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 – कविता ‘पांचजन्य’ के कवि कौन हैं?
- A) सूरदास
- B) मैथिलीशरण गुप्त
- C) तुलसीदास
- D) जायसी
उत्तर – B
प्रश्न 2 – ‘पांचजन्य’ कविता का मुख्य विषय क्या है?
- A) प्रेम
- B) राष्ट्र-प्रेम और स्वाधीनता
- C) प्रकृति
- D) भक्ति
उत्तर – B
प्रश्न 3 – कविता में ‘पांचजन्य’ क्या का प्रतीक है?
- A) शंख
- B) तलवार
- C) वीणा
- D) मृदंग
उत्तर – A
प्रश्न 4 – ‘यह मृतकों का सा देश’ पंक्ति से क्या तात्पर्य है?
- A) जीवंत देश
- B) मृतप्राय देश
- C) समृद्ध देश
- D) शांतिपूर्ण देश
उत्तर – B
प्रश्न 5 – ‘बिसराकर अपना वीरवेश’ का अर्थ क्या है?
- A) वीरता भूल जाना
- B) वीरता याद रखना
- C) शौर्य बढ़ाना
- D) कायरता अपनाना
उत्तर – A
प्रश्न 6 – ‘सब शौर्य-शक्ति हो गई नष्ट’ से देश की क्या स्थिति?
- A) शक्तिशाली
- B) शौर्यहीन
- C) यौवनपूर्ण
- D) नूतन
उत्तर – B
प्रश्न 7 – कवि पांचजन्य से क्या अपेक्षा करते हैं?
- A) प्राण फूँकना
- B) संगीत बजाना
- C) युद्ध समाप्त करना
- D) शांति लाना
उत्तर – A
प्रश्न 8 – ‘जर्जर जीवन का हटे भार’ का अर्थ?
- A) बोझ बढ़ना
- B) बोझ हटना
- C) जीवन नष्ट होना
- D) यौवन समाप्त होना
उत्तर – B
प्रश्न 9 – ‘जन की डाली में पात पत्र गिर पड़ेवेग’ से क्या संकेत?
- A) पतझड़
- B) बसंत का आगमन
- C) वर्षा
- D) सूखा
उत्तर – B
प्रश्न 10 – ‘कोकिल कवियों की नयी तान’ में ‘कोकिल’ क्या प्रतीक?
- A) पक्षी
- B) कवि
- C) हवा
- D) फूल
उत्तर – B
प्रश्न 11 – ‘नूतन युग का हो नया राग’ से क्या अपेक्षा?
- A) पुराना गान
- B) नया संगीत
- C) पुरानी कीर्ति
- D) आलस्य
उत्तर – B
प्रश्न 12 – ‘ले अनिल पले नूतन पराग’ का अर्थ?
- A) हवा पुराना पराग ले
- B) हवा नया पराग पाले
- C) फूल मुरझाए
- D) राग समाप्त हो
उत्तर – B
प्रश्न 13 – ‘उज्जवल अतीत से हो सगर्व’ का तात्पर्य?
- A) अतीत से लज्जित
- B) अतीत से गर्वित
- C) भविष्य से निराश
- D) वर्तमान से संतुष्ट
उत्तर – B
प्रश्न 14 – ‘प्राचीन कीर्ति से हो न तुष्ट’ से क्या सुझाव?
- A) पुरानी प्रसिद्धि से संतुष्ट रहें
- B) नया महान रचें
- C) अतीत भूलें
- D) गर्व छोड़ें
उत्तर – B
प्रश्न 15 – ‘हम चलें विश्व को देने को मानव स्वतंत्रता का संदेश’ का उद्देश्य?
- A) बंधन
- B) स्वतंत्रता का प्रचार
- C) युद्ध
- D) आलस्य
उत्तर – B
प्रश्न 16 – ‘कर्तव्य मार्ग पर दृढ़ रहना’ से क्या भाव?
- A) कर्तव्य से विमुख
- B) कर्तव्य पर अडिग
- C) ध्यान भटकाना
- D) ध्येय बदलना
उत्तर – B
प्रश्न 17 – ‘हो पूर्ण विश्व आलस्यहीन’ की कामना?
- A) आलस्यपूर्ण विश्व
- B) सक्रिय विश्व
- C) शत्रुपूर्ण विश्व
- D) पापी विश्व
उत्तर – B
प्रश्न 18 – ‘हो सब सत्कृत्यों में प्रवीण’ का अर्थ?
- A) पाप में निपुण
- B) सदाचरण में कुशल
- C) अधिकार छीनना
- D) शत्रु से प्रेम
उत्तर – B
प्रश्न 19 – ‘जन्मसिद्ध अधिकारों को लें एक दूसरों से न छीन’ से क्या?
- A) अधिकार छीनना
- B) अधिकारों का सम्मान
- C) शत्रु पर कृपा
- D) कृपाण छिपाना
उत्तर – B
प्रश्न 20 – ‘पर पापी – शत्रुओं के ऊपर हो खुली नित्य नंगी कृपाण’ से भाव?
- A) शत्रु पर दया
- B) शत्रु पर प्रहार
- C) शांति
- D) आलस्य
उत्तर – B
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- प्रश्न – ‘पांचजन्य’ कविता के रचयिता कौन हैं?
उत्तर – ‘पांचजन्य’ कविता के रचयिता हरिवंशराय ‘बच्चन’ हैं। - प्रश्न – ‘पांचजन्य’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर – ‘पांचजन्य’ भगवान श्रीकृष्ण के शंख का नाम है, जो धर्मयुद्ध के आरंभ में बजाया गया था। - प्रश्न – कवि पांचजन्य से क्या करने का आग्रह करता है?
उत्तर – कवि पांचजन्य से पुनः गान करने अर्थात फिर से शंखनाद करने का आग्रह करता है। - प्रश्न – कवि के अनुसार देश की वर्तमान स्थिति कैसी है?
उत्तर – कवि के अनुसार देश मृतप्राय हो गया है, लोग अपनी वीरता और शौर्य भूलकर कायर हो गए हैं। - प्रश्न – कवि पांचजन्य को क्यों पुकारता है?
उत्तर – कवि पांचजन्य को इसलिए पुकारता है ताकि वह लोगों के अंदर फिर से प्राण और उत्साह फूँक दे। - प्रश्न – ‘जर्जर जीवन का हटे भार’ पंक्ति से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर – कवि कहना चाहता है कि लोगों के भीतर की जड़ता और आलस्य समाप्त हो जाए और वे नवजीवन से भर उठें। - प्रश्न – कवि ‘तन-मन से यौवन प्रसार’ से क्या आशय लेता है?
उत्तर – कवि का आशय है कि देशवासियों में फिर से युवा-ऊर्जा, साहस और स्फूर्ति का संचार हो। - प्रश्न – ‘जन की डाली में पात पत्र गिर पड़े वेग, आये बहार’ का क्या अर्थ है?
उत्तर – इसका अर्थ है कि समाज में निष्क्रियता दूर हो जाए और जीवन वृक्ष पर फिर से नई बहार आ जाए। - प्रश्न – कवि को ‘कोकिल कवियों की नयी तान’ से क्या आशा है?
उत्तर – कवि आशा करता है कि कवियों के नए गीत देश में नवचेतना और जागृति लाएँगे। - प्रश्न – कवि ‘नूतन युग का नया राग’ क्यों गाना चाहता है?
उत्तर – कवि चाहता है कि लोग नए विचारों और नई चेतना के साथ युग की आवश्यकताओं के अनुरूप आगे बढ़ें। - प्रश्न – ‘उज्जवल अतीत से हो सगर्व’ का क्या अर्थ है?
उत्तर – इसका अर्थ है कि हमें अपने गौरवशाली अतीत पर गर्व होना चाहिए। - प्रश्न – कवि अतीत की कीर्ति से संतुष्ट क्यों नहीं होना चाहता?
उत्तर – कवि चाहता है कि केवल पुराने गौरव पर गर्व न करें, बल्कि वर्तमान में भी नए महान कार्य करें। - प्रश्न – कवि विश्व को क्या देना चाहता है?
उत्तर – कवि विश्व को मानव स्वतंत्रता और समानता का संदेश देना चाहता है। - प्रश्न – कवि ‘कर्तव्य मार्ग पर दृढ़ रहने’ की बात क्यों करता है?
उत्तर – क्योंकि देश और मानवता की प्रगति के लिए कर्तव्यनिष्ठ रहना अत्यंत आवश्यक है। - प्रश्न – ‘हो एक ध्येय का एक ध्यान’ का क्या अर्थ है?
उत्तर – इसका अर्थ है कि सभी का लक्ष्य और उद्देश्य एक होना चाहिए — राष्ट्र का उत्थान और मानव कल्याण। - प्रश्न – कवि पूर्ण विश्व को कैसा बनाना चाहता है?
उत्तर – कवि चाहता है कि पूरा विश्व आलस्यरहित हो और सब लोग सत्कर्मों में निपुण बनें। - प्रश्न – कवि जन्मसिद्ध अधिकारों के बारे में क्या कहता है?
उत्तर – कवि कहता है कि सभी अपने अधिकारों का सम्मान करें और एक-दूसरे से उन्हें न छीनें। - प्रश्न – पापी और शत्रुओं के प्रति कवि का दृष्टिकोण क्या है?
उत्तर – कवि का मानना है कि पापी और शत्रुओं के ऊपर न्याय की तलवार सदैव खुली रहनी चाहिए। - प्रश्न – कवि पांचजन्य के गान से क्या परिणाम चाहता है?
उत्तर – कवि चाहता है कि पांचजन्य के गान से देश में उत्साह, साहस, और नवजीवन की लहर उठे। - प्रश्न – ‘पांचजन्य’ कविता का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर – इस कविता का मुख्य संदेश है — कायरता छोड़कर राष्ट्रप्रेम, कर्तव्य, और मानवता के मार्ग पर आगे बढ़ना तथा नवजागरण लाना।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – कविता ‘पांचजन्य’ का परिचय संक्षेप में दीजिए।
उत्तर – ‘पांचजन्य’ मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्र-प्रेमपूर्ण रचना है। श्रीकृष्ण के शंख ‘पांचजन्य’ की भाँति कवि स्वाधीनता संग्राम में विजय के लिए इसका आह्वान करते हैं। देश को मृतप्राय बताते हुए जन-जन में वीरता, यौवन और सक्रियता जगाने का आग्रह है। नूतन युग का निर्माण और विश्व को स्वतंत्रता संदेश देने की प्रेरणा दी गई है।
प्रश्न 2 – ‘पांचजन्य, कर पुनः गान’ पंक्ति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – कवि पांचजन्य शंख से पुनः गान करने का आह्वान करते हैं। मृतकों-सा देश वीरवेश भूल चुका है, शौर्य नष्ट हो गया। कायरता शेष है। शंख की ध्वनि से अतीत से प्रेरणा लें, सबमें प्राण फूँकें। यह राष्ट्र जागरण का प्रतीक है, स्वाधीनता के लिए ऊर्जा संचारित करने का भाव है।
प्रश्न 3 – ‘यह मृतकों का सा देश, बिसराकर अपना वीरवेश’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – देश मृतकों-सा जर्जर हो गया है। वीरता का स्वरूप भूलकर शौर्य-शक्ति नष्ट हो चुकी, केवल कायरता बची। कवि दुख व्यक्त करते हुए पांचजन्य से प्राण फूँकने का आग्रह करते हैं। यह औपनिवेशिक गुलामी की स्थिति का चित्रण है, जागृति की पुकार है।
प्रश्न 4 – ‘जर्जर जीवन का हटे भार, तन-मन से हो यौवन प्रसार’ की व्याख्या।
उत्तर – जीर्ण जीवन का बोझ हटे, तन-मन में यौवन फैले। जन की डालियों पर पत्तियाँ गिरने की गति रुककर बसंत आए। चारों ओर नूतन ध्वनियाँ सुनाई दें, कवियों की नई तान गूँजे। यह पुनरुत्थान का भाव है, राष्ट्र को युवा ऊर्जा से भरने की कामना।
प्रश्न 5 – ‘नूतन युग का हो नया राग’ पंक्ति का तात्पर्य।
उत्तर – नूतन युग का नया संगीत हो। हवा नया पराग पाले। उज्ज्वल अतीत से गर्व तो करें, किंतु हृदय में नई आग जलाएँ। प्राचीन कीर्ति से संतुष्ट न हों, नित्य नया महान रचें। कवि अतीत से प्रेरणा लेकर भविष्य निर्माण का संदेश देते हैं।
प्रश्न 6 – ‘हम चलें विश्व को देने को मानव स्वतंत्रता का संदेश’ का भाव।
उत्तर – हम विश्व को मानव स्वतंत्रता का संदेश दें। कर्तव्य पथ पर दृढ़ रहें, एक ध्येय का एकाग्रचित ध्यान हो। पांचजन्य से प्रेरित होकर राष्ट्र केवल स्वाधीन न हो, विश्व बंधु बने। यह वैश्विक मानवता और कर्तव्यनिष्ठा का आह्वान है।
प्रश्न 7 – ‘हो पूर्ण विश्व आलस्यहीन’ की कामना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – समस्त विश्व आलस्यरहित हो, सब सदाचरणों में निपुण हों। जन्मसिद्ध अधिकारों को न छीनें। पापी-शत्रुओं पर खुली कृपाण हो। कवि सक्रिय, नैतिक और न्यायपूर्ण विश्व की कल्पना करते हैं, जहाँ शत्रु पर प्रहार हो मगर सह-अधिकार सुरक्षित।
प्रश्न 8 – कविता में पांचजन्य का महत्त्व क्या है?
उत्तर – पांचजन्य श्रीकृष्ण के शंख का प्रतीक है, जो धर्म-विजय घोषित करता। कवि इसे राष्ट्र जागरण के लिए बजाते हैं। मृतप्राय देश में वीरता, यौवन, नूतन राग जगाने हेतु। यह स्वाधीनता संग्राम की प्रेरणा है, जन-जन को शौर्य प्रदान करने वाला।
प्रश्न 9 – ‘ले अनिल पले नूतन पराग’ की व्याख्या।
उत्तर – हवा नया पराग पाले। अतीत से गर्वित होकर हृदय में नई ज्वाला जागे। प्राचीन गौरव से तृप्त न हों, नया निर्माण करें। यह परिवर्तन और सृजन की पुकार है, पुराने को आधार बनाकर नूतन युग रचने का भाव।
प्रश्न 10 – कविता का समग्र भाव क्या है?
उत्तर – राष्ट्र-प्रेम, जागरण और स्वाधीनता का आह्वान। देश की जर्जरता पर दुख, पांचजन्य से प्राण संचार। नूतन युग, सक्रिय विश्व और मानव अधिकारों का संदेश। कवि जनता को वीरता, कर्तव्य और शत्रु-प्रहार की प्रेरणा देते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – कविता ‘पांचजन्य’ में देश की स्थिति का चित्रण कैसे हुआ है?
उत्तर – कविता में देश को ‘मृतकों का सा’ बताया गया, जहाँ वीरवेश भूलकर शौर्य-शक्ति नष्ट हो चुकी, केवल कायरता शेष है। जर्जर जीवन का बोझ है, यौवन क्षीण। कवि दुख व्यक्त करते हुए पांचजन्य शंख से प्राण फूँकने, अतीत से प्रेरणा लेने का आग्रह करते हैं। यह औपनिवेशिक गुलामी की पृष्ठभूमि में राष्ट्र की मृतप्राय अवस्था का मार्मिक चित्रण है, जागृति की आवश्यकता पर बल देता।
प्रश्न 2 – कविता में नूतन युग की कल्पना का वर्णन कीजिए।
उत्तर – नूतन युग में नया राग हो, अनिल नूतन पराग पाले। उज्ज्वल अतीत से सगर्व रहें मगर प्राचीन कीर्ति से तुष्ट न हों, हृदय में नई आग जलाएँ, नित्य नया महान रचें। जन की डालियों पर बहार आए, कोकिल कवियों की नई तान गूँजे। कवि पुराने गौरव को आधार बनाकर सृजन, युवावस्था प्रसार और सक्रियता की कामना करते हैं, जो स्वाधीनता के बाद के पुनर्निर्माण का संदेश है।
प्रश्न 3 – पांचजन्य शंख के माध्यम से कवि का आह्वान क्या है?
उत्तर – पांचजन्य से पुनः गान कर अतीत से प्रेरणा लें, सबमें प्राण फूँकें। जर्जर बोझ हटाकर यौवन प्रसार हो, नूतन ध्वनियाँ सुनाई दें। विश्व को स्वतंत्रता संदेश दें, कर्तव्य पर दृढ़ रहें। आलस्यहीन विश्व हो, सदाचरणों में प्रवीण, अधिकार न छीनें मगर शत्रुओं पर कृपाण खुली। यह बार-बार दोहराया आह्वान राष्ट्र जागरण, नैतिकता और वैश्विक बंधुता का प्रतीक है, स्वाधीनता संग्राम की प्रेरणा।
प्रश्न 4 – कविता में विश्व के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कवि विश्व को मानव स्वतंत्रता का संदेश देने का आह्वान करते हैं। पूर्ण विश्व आलस्यहीन हो, सब सत्कृत्यों में प्रवीण। जन्मसिद्ध अधिकारों को न छीनें, एक-दूसरे से सौहार्द रखें। पापी-शत्रुओं पर नंगी कृपाण हो। एक ध्येय का ध्यान हो, कर्तव्य मार्ग पर दृढ़ता। यह राष्ट्र-वादी दृष्टि है जो स्वाधीन भारत को विश्व गुरु बनाने की कल्पना करती, शांति-अहिंसा के साथ न्यायपूर्ण प्रहार पर बल देती।
प्रश्न 5 – ‘पांचजन्य’ कविता की समग्र व्याख्या कीजिए।
उत्तर – मैथिलीशरण गुप्त की यह राष्ट्र-प्रेम रचना श्रीकृष्ण के शंख से प्रेरित है। मृतप्राय देश में वीरता जगाने, यौवन प्रसार, नूतन राग रचने का आह्वान। अतीत से गर्व लें मगर नया निर्माण करें। विश्व को स्वतंत्रता संदेश दें, आलस्य त्यागें, अधिकार सुरक्षित रखें, शत्रु पर प्रहार करें। कविता जागरण, सृजन और नैतिकता का भावपूर्ण चित्रण है, स्वाधीनता संग्राम की प्रेरणा स्रोत।

