श्री माखनलाल चतुर्वेदी
‘चाह’ कविता के कवि श्री माखनलाल चतुर्वेदी हैं। कवि का जन्म सन् 1988 में हुआ। वे स्वतंत्रता सेनानी थे। वे गाँधी के अनुयायी थे। अपनी जोशिली वाणी द्वारा आपने स्वतंत्रता की लहरों को आगे बढ़ाया। कवि अपने आपको एक भारतीय आत्मा मानते थे।
चाह
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ;
चाह नहीं, प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हरि ! मैं डाला जाऊँ;
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ में देना तुम फेंक;
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक॥
सप्रसंग व्याख्या सहित
पद्यांश –
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ;
चाह नहीं, प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हरि ! मैं डाला जाऊँ;
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ में देना तुम फेंक;
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक॥
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित प्रसिद्ध कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ (चाह) से ली गई हैं।
प्रसंग – इस कविता में कवि ने एक पुष्प की आंतरिक इच्छा को माध्यम बनाकर, देशवासियों में मातृभूमि के प्रति त्याग और बलिदान की भावना को जगाया गया है।
व्याख्या – फूल अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहता है कि मेरी यह चाह नहीं है कि मैं सुंदर अप्सराओं अर्थात् सुरबाला के आभूषणों में गूँथा जाऊँ। मेरी यह भी चाह नहीं है कि मैं प्रेमियों की माला में पिरोया जाकर अपनी प्रिया को मोहित करूँ। हे ईश्वर! मेरी यह भी इच्छा नहीं है कि मैं सम्राटों के मृत शरीर पर श्रद्धांजलि के रूप में डाला जाऊँ और न ही मेरी यह चाह है कि मैं देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर गर्व करूँ। पुष्प अपनी वास्तविक और अंतिम इच्छा व्यक्त करते हुए वनमाली से कहता है कि “हे माली! तुम मुझे तोड़ लेना और उस मार्ग पर फेंक देना जहाँ से अनेक वीर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना शीश चढ़ाने अर्थात् बलिदान होने जा रहे हों।” इस प्रकार, फूल अपने आप को देश के लिए बलिदान देने वाले वीरों के पैरों तले आकर स्वयं को धन्य महसूस करना चाहता है।
कठिन शब्दार्थ
सुरबाला – देवकन्या
गहना – आभूषण
बिंध – छेदा जाना
शीश चढ़ाना – प्राण त्यागना
इठलाना – गर्व करना
गूँथा – पिरोया
वनमाली – वनों का माली श्रीकृष्ण
पथ – रास्ता
क्रमांक | हिंदी शब्द | हिंदी पर्यायवाची | अंग्रेजी अर्थ | तमिल अर्थ |
1 | सुरबाला | अप्सरा/देवकन्या | Celestial maiden/Nymph | வான மங்கை (Vāṉa maṅkai) |
2 | गूँथा | पिरोया/बंधा | Threaded/Woven | இழைக்கப்பட்ட (Iḻaikkappaṭṭa) |
3 | प्रेमी | प्रियतम/आशिक | Lover | காதலன் (Kātalāṉ) |
4 | बिंध | पिरोया/छेदा | Pierced/Strung | துளைக்கப்பட்ட (Tuḷaikkappaṭṭa) |
5 | प्यारी | प्रिया/प्रेयसी | Beloved | அன்புக்குரியவள் (Aṉpukkuṟiyavaḷ) |
6 | ललचाऊँ | मोहित करूँ/लुभाऊँ | Tempt/Allure | ஈர்க்க (Īrkka) |
7 | सम्राटों | राजाओं/महाराजाओं | Emperors | பேரரசர்கள் (Pēraracarkaḷ) |
8 | शव | मृत देह/लाश | Corpse/Dead body | பிணம் (Piṇam) |
9 | हरि | ईश्वर/भगवान | Lord/God (Vishnu) | ஹரி (Hari) / கடவுள் (Kaṭavuḷ) |
10 | डाला | रखा/अर्पित | Placed/Offered | வைக்கப்பட்ட (Vaikkappaṭṭa) |
11 | देवों | देवताओं/ईश्वरों | Gods/Deities | தெய்வங்கள் (Teyvaṅkaḷ) |
12 | इठलाऊँ | गर्व करूँ/अकड़ूँ | Swagger/Boast | பெருமைப்படு (Perumaippaṭu) |
13 | वनमाली | माली/बागवान | Gardener | தோட்டக்காரன் (Tōṭṭakkāraṉ) |
14 | फेंक | डालना/फेंकना | Throw/Cast | எறி (Eṟi) |
15 | मातृभूमि | मातृभूमि/जन्मभूमि | Motherland | தாய்நாடு (Tāy nāṭu) |
16 | शीश | सिर/मस्तक | Head | தலை (Talai) |
17 | चढ़ाने | अर्पित करने/बलिदान देने | Offer/Sacrifice | பலியிட (Paliyiṭa) |
18 | वीर | बहादुर/शूरवीर | Brave/Hero | வீரன் (Vīraṉ) |
19 | अभिलाषा | इच्छा/कामना | Desire/Aspiration | ஆசை (Ācai) |
20 | त्याग | बलिदान/परित्याग | Sacrifice/Renunciation | தியாகம் (Tiyākam) |
प्रश्नों का उत्तर लिखिए –
- चाह कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर – ‘चाह’ कविता वास्तव में ‘पुष्प की अभिलाषा’ के कवि माखनलाल चतुर्वेदी हैं।
- कवि अपने आपकों क्या मानते थे?
उत्तर – कवि अपने आप को देशभक्त मानते थे और उनकी भावनाएँ कविता के माध्यम से बलिदान की भावना से भरी हुई थीं।
- फूल की चाह क्या है?
उत्तर – फूल की चाह है कि उसे तोड़कर उस मार्ग पर फेंक दिया जाए, जहाँ से अनेक वीर अपनी मातृभूमि पर शीश चढ़ाने अर्थात् बलिदान देने के लिए जाते हैं।
- फूल की चाह के माध्यम से कवि का क्या कहना है?
उत्तर – फूल की चाह के माध्यम से कवि का यह कहना है कि जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य ऐश्वर्य, सौंदर्य या पूजा-पाठ नहीं, बल्कि मातृभूमि की सेवा और बलिदान है। कवि देशवासियों को स्वार्थ रहित होकर देशप्रेम की भावना अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
- ‘चाह’ कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर – ‘चाह’ कविता में कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने एक पुष्प की अभिलाषा के माध्यम से देशभक्ति और बलिदान की भावना को व्यक्त किया है। फूल किसी भी प्रकार के वैभव या अलंकरण की कामना नहीं करता—न वह देवांगनाओं के गहनों में गूँथना चाहता है, न प्रेमी की माला बनना चाहता है, न सम्राटों के शव पर चढ़ना चाहता है और न ही देवताओं के मस्तक पर सुशोभित होकर अपने भाग्य पर गर्व करना चाहता है। फूल की एकमात्र तीव्र इच्छा यह है कि उसे तोड़कर उन वीर सपूतों के मार्ग पर फेंक दिया जाए जो देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने जा रहे हैं। इस प्रकार, यह कविता निज देश के लिए सर्वस्व त्याग की प्रेरणा देती है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ के कवि कौन हैं?
a) मैथिलीशरण गुप्त
b) माखनलाल चतुर्वेदी
c) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
d) जयशंकर प्रसाद
उत्तर – b) माखनलाल चतुर्वेदी
पुष्प की पहली इच्छा क्या नहीं है?
a) सुरबाला के गहनों में गूँथा जाना
b) प्रेमी माला में बिंधना
c) सम्राटों के शव पर डाला जाना
d) मातृभूमि के लिए बलिदान होना
उत्तर – d) मातृभूमि के लिए बलिदान होना
‘वनमाली’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त है?
a) ईश्वर
b) माली
c) वीर
d) सम्राट
उत्तर – b) माली
पुष्प किस मार्ग पर फेंके जाने की इच्छा रखता है?
a) देवताओं के मंदिर में
b) प्रेमियों के बगीचे में
c) वीरों के बलिदान के पथ पर
d) सम्राटों के महल में
उत्तर – c) वीरों के बलिदान के पथ पर
‘हरि’ से कविता में किसे संबोधित किया गया है?
a) माली
b) ईश्वर
c) पुष्प
d) वीर
उत्तर – b) ईश्वर
पुष्प देवों के सिर पर चढ़कर क्या नहीं करना चाहता?
a) इठलाना
b) मोहित करना
c) बलिदान होना
d) गूँथा जाना
उत्तर – a) इठलाना
कविता का मुख्य प्रसंग क्या है?
a) प्रेम की अभिव्यक्ति
b) मातृभूमि के प्रति त्याग और बलिदान
c) प्रकृति का वर्णन
d) धार्मिक भक्ति
उत्तर – b) मातृभूमि के प्रति त्याग और बलिदान
‘शीश चढ़ाने’ से क्या तात्पर्य है?
a) सिर झुकाना
b) बलिदान देना
c) गहने पहनाना
d) फूल डालना
उत्तर – b) बलिदान देना
पुष्प प्रेमी माला में बिंधकर क्या नहीं करना चाहता?
a) प्यारी को ललचाना
b) सुरबाला के गहनों में जाना
c) वीरों के पथ पर फेंका जाना
d) देवों के सिर पर चढ़ना
उत्तर – a) प्यारी को ललचाना
कविता में पुष्प किस भावना को जगाती है?
a) लोभ और मोह
b) देशभक्ति और बलिदान
c) ईर्ष्या और घृणा
d) आलस्य और स्वार्थ
उत्तर – b) देशभक्ति और बलिदान
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. उपर्युक्त पद्यांश किस कविता से लिया गया है और इसके कवि कौन हैं?
उत्तर – यह पद्यांश राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी की प्रसिद्ध कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ से लिया गया है।
प्रश्न 2. कवि ने इस कविता में किस वस्तु की अभिलाषा के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त की है?
उत्तर – कवि ने इस कविता में एक पुष्प (फूल) की अभिलाषा के माध्यम से अपनी देशभक्ति की भावना व्यक्त की है।
प्रश्न 3. पुष्प किस प्रकार के गहनों में गूँथा जाना नहीं चाहता?
उत्तर – पुष्प यह नहीं चाहता कि वह सुरबाला (अप्सरा या सुंदर नारी) के गहनों में गूँथा जाए।
प्रश्न 4. पुष्प प्रेमी माला में क्यों नहीं बिंधना चाहता?
उत्तर – पुष्प यह नहीं चाहता कि वह प्रेमियों की माला में बिंधकर उनकी प्रिया को ललचाए, क्योंकि वह भोग-विलास की वस्तु नहीं बनना चाहता।
प्रश्न 5. पुष्प की सम्राटों के शव पर चढ़ाए जाने की क्या भावना है?
उत्तर – पुष्प यह नहीं चाहता कि वह सम्राटों के शव पर श्रद्धांजलि के रूप में चढ़ाया जाए, क्योंकि वह निष्क्रिय या मृत शरीर पर नहीं, जीवंत देशभक्तों के मार्ग में उपयोगी बनना चाहता है।
प्रश्न 6. पुष्प देवताओं के सिर पर चढ़कर क्यों इठलाना नहीं चाहता?
उत्तर – पुष्प यह नहीं चाहता कि वह देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर इठलाए, क्योंकि उसे गर्व नहीं, त्याग और सेवा में सुख मिलता है।
प्रश्न 7. पुष्प अपनी वास्तविक अभिलाषा किससे प्रकट करता है?
उत्तर – पुष्प अपनी वास्तविक अभिलाषा वनमाली (माली) से प्रकट करता है और उससे निवेदन करता है कि उसे वीरों के पथ में फेंक दिया जाए।
प्रश्न 8. पुष्प वीरों के पथ में क्यों फेंका जाना चाहता है?
उत्तर – पुष्प चाहता है कि वह उन वीरों के पैरों तले आ जाए जो मातृभूमि के लिए अपना शीश चढ़ाने जा रहे हों, ताकि वह भी राष्ट्रसेवा में भागी बन सके।
प्रश्न 9. कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर – कवि इस कविता के माध्यम से देश के प्रति त्याग, बलिदान और सच्ची देशभक्ति की भावना को जागृत करना चाहता है।
प्रश्न 10. ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता देशवासियों को किस प्रकार की प्रेरणा देती है?
उत्तर – ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता देश के लिए समर्पण, निःस्वार्थ सेवा और वीरता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ में पुष्प की मुख्य इच्छा क्या है?
उत्तर – पुष्प अपनी इच्छा व्यक्त करता है कि वह सुरबाला के गहनों, प्रेमी माला, सम्राटों के शव या देवों के सिर पर न जाकर, वीरों के बलिदान के पथ पर फेंका जाए। इससे वह मातृभूमि के लिए त्याग की भावना को दर्शाता है, जो देशभक्ति को प्रेरित करता है।
- ‘चाह नहीं’ की पुनरावृत्ति कविता में किस उद्देश्य से है?
उत्तर – ‘चाह नहीं’ की पुनरावृत्ति से पुष्प अपनी सांसारिक इच्छाओं का त्याग दर्शाता है, जैसे गहनों में गूँथा जाना या देवों के सिर पर चढ़ना। यह बलिदान की भावना को बल देती है, जो देशवासियों में मातृभूमि के प्रति समर्पण जगाती है।
- कवि ने पुष्प को माध्यम क्यों बनाया है?
उत्तर – कवि ने पुष्प को माध्यम बनाकर देशवासियों में त्याग और बलिदान की भावना जगाई है। पुष्प की निस्वार्थ इच्छा वीरों के पथ पर फेंके जाने की है, जो सादगी से देशभक्ति का संदेश देती है तथा सामान्य जन में राष्ट्रीय भावना को उजागर करती है।
- ‘वनमाली उस पथ में देना तुम फेंक’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – पुष्प माली से कहता है कि उसे तोड़कर उस मार्ग पर फेंक दो जहाँ वीर मातृभूमि के लिए बलिदान देने जा रहे हों। यह पंक्ति त्याग की पराकाष्ठा दर्शाती है, जो पुष्प को वीरों के चरणों में समर्पित कर धन्यता की अनुभूति कराती है।
- कविता का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर – कविता मातृभूमि के प्रति निस्वार्थ बलिदान का संदेश देती है। पुष्प की इच्छा सांसारिक सुखों का त्याग कर वीरों के पथ पर समर्पित होने की है, जो देशवासियों को प्रेरित करती है कि जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य राष्ट्र सेवा और त्याग हो।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ में पुष्प की विभिन्न ‘चाह नहीं’ से कवि क्या भाव व्यक्त करते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर – पुष्प सुरबाला के गहनों, प्रेमी माला, सम्राटों के शव और देवों के सिर पर उपयोग होने की इच्छा का त्याग करता है, जो सांसारिक वैभव और मोह का प्रतीक है। कवि इससे देशवासियों में निस्वार्थ भावना जगाते हैं, कि जीवन का उद्देश्य मातृभूमि के लिए बलिदान हो। यह राष्ट्रीय त्याग की भावना को बल देती है, जहाँ पुष्प वीरों के पथ पर फेंके जाने से धन्यता पाता है।
- माखनलाल चतुर्वेदी की इस कविता में देशभक्ति की अभिव्यक्ति कैसे हुई है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कविता में देशभक्ति पुष्प की इच्छा से व्यक्त होती है, जो सांसारिक सुख त्याग कर मातृभूमि के वीरों के बलिदान पथ पर समर्पित होना चाहता है। उदाहरणस्वरूप, ‘मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक’ से त्याग का संदेश मिलता है। कवि इससे जनमानस में राष्ट्रीय समर्पण जगाते हैं, जो स्वतंत्रता संग्राम की भावना को प्रतिबिंबित करता है तथा बलिदान को सर्वोच्च मूल्य बनाता है।
- प्रसंग और व्याख्या के आधार पर कविता का सामाजिक महत्त्व क्या है? विस्तार से समझाइए।
उत्तर – कविता पुष्प के माध्यम से त्याग और बलिदान की भावना जगाती है, जो सामाजिक रूप से देशवासियों को मातृभूमि के प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित करती है। व्याख्या में पुष्प की निस्वार्थ इच्छा सांसारिक मोह का त्याग दर्शाती है, जो समाज में एकता और राष्ट्रीयता को मजबूत करती है। इसका महत्त्व स्वतंत्रता आंदोलन में है, जहाँ यह जनता को वीरों के बलिदान से जोड़ती है तथा सामूहिक त्याग की संस्कृति विकसित करती है।

