शब्दार्थ
नाटक – रूपक, Drama
अभिनय – भूमिका, Performance
कलाकार – Artist
मंच – Stage
बुद्धू – बेवकूफ़
अधूरी – आधा, Unfulfilled
तैयारी – Preparation
अचानक – एकाएक
गर्दन – ग्रीवा
पट्टी – Bandage
स्वयं – खुद
विश्वास – भरोसा
आवश्यक – ज़रूरी
मोहल्ला – Colony
इज़्ज़त – आदर
फ़ालतू – बेकार
सार्वजनिक – सभी के लिए
मैदान – Field
दूब – एक प्रकार लंबी घास
योग्यता – काबिलियत
सप्ताह – हफ़्ता
मूर्खता – बेवकूफ़ी
उलझना – फँसना
पूर्वाभ्यास – Rehearsal
निर्देशन – Direction
साधारण – सामान्य
खैर – ऐसा ही सही
प्रदर्शन – Exhibition
साज-सज्जा कक्ष – Green room
कक्ष – Cabin
खास – विशेष
हिदायत – आदेश, Instruction
दिल – हृदय
साहसी – हिम्मती
हिम्मत – साहस
अभिनेता – Actor
पर्दा – यवनिका, Curtain
चित्रकार – Painter
उर्दू – एक भाषा
शायर – कवि
कला – Art
महान – Great
संगीतकार – Musician
मुलाकात – भेंट
बहस – वाद-विवाद, Debate
बजाय – बल्कि, Rather
मधुर – मीठा
विवाद – Debate
पार्ट – Role
आड़ – आश्रय
संवाद – Dialogue
सहसा – अचानक
महोदय – श्रीमान
माइक – Mike
वायलिन – एक प्रकार का वाद्य यंत्र
दर्शक – Audience
फुसफुसाना – Whispering
मुग्ध – फिदा
तपाक – अचानक से
अक्लमंदी – समझदारी
कोशिश – प्रयास
दाँत पीसना – मुहावरा- क्रोधित होना
झाड़ू फेरना – मुहावरा- बर्बाद करना
झख मारना – मुहावरा- समय बर्बाद करना
इज़्ज़त मिट्टी में मिलना – मुहावरा- बदनाम करना
हथेली मसलना – मुहावरा- पछताना
तरकीब – उपाय
तू-तू मैं-मैं – झगड़ा
कूँची – Brush
चमगादड़ – Bat
खाक – मिट्टी
करमकल्ले – नालायक, गोभी
आलूबुखारे – एक प्रकार का फल
सकपकाना – डरना
रिहर्सल – अभ्यास
हाल – स्थिति
डायरेक्टर – निर्देशक
गड़बड़ – उल्टा-पुल्टा
प्रशंसा – तारीफ़
भौंचक्के – आश्चर्यचकित
त्रुटि – Error
भूरि-भूरि प्रशंसा – बहुत तारीफ़ करना
पाठ में से
प्रश्न 1. राकेश ने नाटक में स्वयं अभिनय क्यों नहीं किया?
उत्तर – राकेश ने नाटक में स्वयं अभिनय नहीं किया क्योंकि फुटबॉल खेलते समय वह गिर पड़ा था और उसके हाथ में गहरी चोट आई थी जिसके कारण उसे हाथ को एक पट्टी में लपेटकर गर्दन के सहारे लटकाए रखना पड़ता था।
प्रश्न 2. राकेश के साथी अभिनय के मामले में कैसे थे?
उत्तर – राकेश के साथी अभिनय के मामले में बिलकुल नौसिखिया थे। मंच पर जाते ही वे घबरा जाते थे और घबराहट के कारण अपना संवाद भूल जाया करते थे।
प्रश्न 3. राकेश ने प्रदर्शन के दिन सभी को खास-खास हिदायतें फिर से क्यों दीं?
उत्तर – राकेश ने प्रदर्शन के दिन अपने सभी मित्रों को खास-खास हिदायतें फिर से दीं ताकि नाटक मंचन बिना किसी त्रुटि के हो जाए और मोहल्ले में उनके नाटक की प्रशंसा हो।
प्रश्न 4. राकेश ने नाटक को किस प्रकार सँभाला?
उत्तर – राकेश पर्दे के पीछे से सारा नाटक देख रहा था पर जब उसके मित्रों ने अपने-अपने संवाद न कहकर बहस करने लग गए और उनके संवादों को सुनकर दर्शकगण उनकी मूर्खता पर हँसने लगे तो बिगड़ते नाटक को सँभालने के लिए राकेश खुद मंच पर उपस्थित हो गया और कुर्सी पर बैठकर बोला- “आज मुझे अस्पताल में हाथ में पट्टी बँधवाने में देर क्या हो गई तुमने इस तरह ‘रिहर्सल’ की है! और आपस में ही लड़ने लगे।” यह कथन सुनकर मित्रों को थोड़ी समझ आई और उन्होंने राकेश की हाँ में हाँ मिलाकर बिगड़ते नाटक को बचा लिया।
प्रश्न 5. इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक बताते हुए उसके चुनाव का कारण भी बताइए ।
उत्तर – इस कहानी के लिए ‘राकेश की समझदारी’ शीर्षक रखना ज़्यादा उचित होगा क्योंकि पूरी कहानी में राकेश ही सबसे समझदार पात्र है और उसने अपनी सूझ-बुझ से बिगड़ते नाटक को सँभाल लिया।
प्रश्न 6. नीचे दिए गए कथन किसने कहे, किससे कहे-
(क) मेरा दिल तो बहुत जोरों से धड़क रहा है।
(ख) तुम लोग पानी पियो और मन को साहसी बनाओ।
(ग) गाजर साहब! आप क्या समझते हैं हमें ?
क. मोहन ने राकेश से कहा
ख. राकेश ने अपने मित्रों से कहा
ग. श्याम ने कहा सोहन से
प्रश्न 7. कहानी के आधार पर नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। सही कथनों पर सही () का और गलत कथनों पर गलत (x) का चिह्न लगाइए। गलत कथन को सही करके दोबारा कॉपी में लिखिए-
(क) राकेश ने नाटक का निर्देशन किया था। सही
ख) राकेश के साथी अभिनय के मामले में नए थे। सही
(ग) राकेश को उनके अभिनय पर पूरा भरोसा था। नहीं
(घ) मोहन चित्रकार बना था। सही
(ङ) राकेश हाथ पर पट्टी बँधवाने के लिए अस्पताल चला गया था। नहीं
(च) नाटक का नाम था – बड़ा कलाकार। नहीं
(छ) नाटक को बिगड़ता देख दर्शक ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे। नहीं
ज) नाटक का रिहर्सल ही नाटक था। सही
(झ) सोहन अपना संवाद भूल गया था। नहीं
(ञ) राकेश ने मंच पर आकर नाटक को सँभाला। सही
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. राकेश को अपने साथियों के किस बुद्धूपन से डर था?
उत्तर – राकेश को अपने साथियों के मंच पर आते ही घबराहट में अपना संवाद भूल जाना और बहस कर बैठने के बुद्धूपन से डर था।
प्रश्न 2. क्या आपने कभी नाटक में हिस्सा लिया है? नाटक के मंचन से जुड़ी कोई रोचक घटना बताइए।
उत्तर – हाँ, मैंने नाटक में हिस्सा लिया है जिसमें मैं स्त्री की भूमिका अदा कर रहा था पर बार-बार अपने संवादों में पुल्लिंग क्रियाओं का प्रयोग कर रहा था जिस वजह से दर्शक बहुत हँस रहे थे।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. अगर श्याम अपना संवाद नहीं भूलता तो कहानी कैसे आगे बढ़ती बताइए ।
उत्तर – अगर श्याम अपना संवाद नहीं भूलता तो नाटक के सामान्य रूप से आगे बढ़ने की संभावना बनी रहती और न ही शायर, चित्रकार और संगीतकार में किसी भी प्रकार की बहस होती और न ही दर्शक उनके उल-जलूल संवादों पर हँसते।
प्रश्न 2. राकेश की जगह यदि आप होते तो नाटक कैसे सँभालते?
उत्तर – राकेश की जगह अगर मैं होता तो नाटक के बिगड़ने की स्थिति पैदा ही नहीं होने देता। अपने मित्रों के बुद्धूपन को जान लेने के बाद उनके संवादों को मैं पहले से रिकॉर्ड करा लेता और मंच पर केवल उन्हें अभिनय के साथ मुँह हिलाना होता न कि सच में संवाद बोलने होते।
भाषा की बात
प्रश्न 1. नीचे दिए गए शब्दों को शब्द-कोश के क्रमानुसार लिखिए-
पट्टी, मंच, सार्वजनिक, सप्ताह, पूर्वाभ्यास, पर्दा, स्वयं, संवाद, प्रशंसा, त्रुटि ।
त्रुटि
पट्टी
पर्दा
पूर्वाभ्यास
प्रशंसा
मंच
संवाद
सप्ताह
सार्वजनिक
स्वयं
प्रश्न 2. पाठ में आए इन युग्म शब्दों को पूरा कीजिए-
–
क. स्वर – लहरी साज – सज्जा
ख. फूल – पौधे लोट – पोट
ग. जैसे – तैसे पशु – पक्षी
3. नीचे दिए गए शब्दों में से नए शब्द बनाकर लिखिए-
क. मूर्खतापूर्ण मूर्ख पूर्ण
ख. साधारण धार धारण रण
ग. संगीतकार संगीत गीत कार
घ. बनाकर बना नाक कर
ङ. कलाकार कल कला कार
जीवन मूल्य
• राकेश अपने साथियों की मूर्खता के कारण घबरा रहा था। उसे गुस्सा भी आ रहा था और रोना भी।
प्रश्न 1. क्या हम रोकर, घबराकर या गुस्से में किसी मुश्किल परिस्थिति का सामना कर सकते हैं? क्यों?
उत्तर – हम रोकर, घबराकर या गुस्से में किसी मुश्किल परिस्थिति का सामना नहीं कर सकते हैं क्योंकि ये सारे कमज़ोर मनुष्य की निशानियाँ होने के साथ-साथ खोखले व्यक्तित्व की पहचान भी है।
प्रश्न 2. गुस्से या क्रोध को शांत करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर – गुस्से या क्रोध को शांत करने के लिए हमें अपने आप से सवाल करना चाहिए कि क्या क्रोध से मेरा कुछ भी लाभ हो रहा है? उत्तर यही मिलेगा कि नहीं। इसके अलावा गुस्से या क्रोध को शांत करने के लिए हमें शांतचित्त से एकांत में बैठ जाना चाहिए।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. नीचे दिए गए संवादों को अभिनय के साथ बोलिए-
(क) देख, मुँह सँभालकर बोल ।
(ख) ओफ ! मेरे सिर पर क्यों चढ़े आ रहे हो?
(ग) हे भगवान! न जाने मेरी बेटी कब ठीक होगी?
(घ) भई वाह ! यह तो अच्छी रही।
प्रश्न 2. कहानी ‘नाटक में नाटक‘ को नाटक रूप में खेलने के लिए किस-किस सामान की ज़रूरत होगी? उस सामान की एक सूची बनाइए ।
उत्तर – कहानी ‘नाटक में नाटक‘ को नाटक रूप में खेलने के लिए जिन-जिन सामानों की ज़रूरत होगी वो हैं, पोशाकें, टोपी, वाद्य यंत्र, चित्रकला सामग्री, दाढ़ी-मूँछें तथा नाट्य सामग्रियों की जरूरतें पड़ेंगी।
प्रश्न 3. ‘नाटक में नाटक‘ शीर्षक कहानी का विद्यालय मंच पर मंचन कीजिए।
अभ्यास सागर
पाठ – 2
नाटक में नाटक
अनुस्वार एवं अनुनासिक
1.
संगीतकार संवाद हँस दाँत
मंच कंधे पहुँच सँभाल
2.
क. प्रशंसा
ख. स्वयं
ग. संवाद
घ. जंगल
ङ. व्यंजन
च. आनंद
3.
क. पहुँचते
ख. हँसी
ग. बँधवाने
घ. धुआँ
ङ. काँपना
च. महँगा
4.
क. संभव
ख. फाँदना
ग. गूँजती
घ. सुगंध
ङ. शृंगार
च. आँसू
5.
क. ङ ञ ण न म
ख. वर्ण, अनुस्वार
ग. नहीं
घ. पंचम, अनुस्वार
ङ. नाक, अनुनासिक
च. मात्रा, अनुस्वार
6.
क. मंदिर
ख. कंगन
ग. पंचम
घ. संबंध
ङ. मंच
च. ठंडा
7.
क. बसन्त – हाँ – कारण – ‘न्’ पंचम वर्ण के बाद उसी के वर्ग का ‘त्’ वर्ण आया है।
ख. मण्डी – हाँ – कारण – ‘ण्’ पंचम वर्ण के बाद उसी के वर्ग का ‘ड्’ वर्ण आया है।
ग. अन्न – नहीं – कारण – ‘न्’ पंचम वर्ण के बाद पुनः ‘न्’ पंचम वर्ण आया है।
घ. बन्दर– हाँ – कारण – ‘न्’ पंचम वर्ण के बाद उसी के वर्ग का ‘द्’ वर्ण आया है।
ङ. जन्म – नहीं – कारण – ‘न्’ पंचम वर्ण के बाद पुनः ‘प’ वर्ग का पंचम वर्ण ‘म्’ आया है।
च. सम्बोधन– हाँ – कारण – ‘म्’ पंचम वर्ण के बाद उसी के वर्ग का ‘ब्’ वर्ण आया है।
छ. सम्मान – नहीं – कारण – ‘म्’ पंचम वर्ण के बाद पुनः ‘म्’ पंचम वर्ण आया है।
8.
क. चौक – चौंक
ख. आधी – आँधी
ग. घटा – घंटा
घ. सास – साँस
ङ. बाधा – बाँधा
च. गोद – गोंद
9.
क. बाधा – मैं चाहता हूँ ईश्वर मेरी बाधा न हरें बल्कि मुझे शक्ति दें।
ख. बाँधा – किसान ने अपनी गाय को खूँटे से बाँधा था।
गोद – बच्चा माँ की गोद में सोया हुआ है।
गोंद – गोंद से हम कागज़ चिपकाते हैं।
10.
क. हो
ख. हैं
ग. है
घ. हैं
ङ. है
11.
क. पट्टियाँ
ख. पक्षियों ने
ग. चित्रों की
घ. मोहल्ले
ङ. मित्रों से
च. कठिनाइयाँ
12.
क. दाँत पीसना – गुस्सा करना – बेटे की करतूत सुनकर पिताजी दाँत पीसने लगे।
ख. मुँह की खाना – हार जाना – युद्ध में दुश्मनों को मुँह की खानी पड़ी।
ग. अक्ल का दुश्मन – मूर्ख होना – कुछ लोग अक्ल के दुश्मन होते ही हैं।
घ. आँखें खुलना – वास्तविकता का पता चलना – साधु की बातों से रमेश की आँखें खुल गईं।
ङ. कोल्हू का बैल – बहुत परिश्रम करना – भारतीय किसान कोल्हू के बैल की तरह खटते हैं।
च. नाक में दम करना – तंग करना – कभी-कभी बच्चे नाक में दम कर देते हैं।
13.
दिनांक – 23.03.20xx
घर संख्या – W/414
बदामबाड़ी, कटक
प्रिय मित्र सुनील
मधुर स्मृति !
मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी मुंबई में सपरिवार सकुशल होगे। मित्र, मैं यह पत्र तुम्हें अपनी प्रत्युत्पन्नमति (Promptness) के बारे में बताने के उद्देश्य से लिख रहा हूँ। इस वार्षिक समारोह में मेरे मित्र एक नाटक मंचन कर रहे थे। मंच पर कुछ देर अभिनय करने के बाद वे अपना-अपना संवाद ही भूल गए। उनके ऊल-जलूल संवादों से नाटक बिगड़ता ही जा रहा था और दर्शक उपहास वाली हँसी हँस रहे थे, तभी मैंने मंच पर जाकर दर्शकों से निवेदन किया कि ये वे बच्चे हैं जो पहली बार मंच पर आए हैं और डर के मारे अपना संवाद भूल गए हैं। इन्हें आपके समर्थन की आवश्यकता है। फिर क्या था, दर्शकों ने उनका उत्साह बढ़ाया और नाटक सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
शेष सब सामान्य है, बाकी अगले पत्र में। चाचा-चाची को मेरा प्रणाम देना और बंटी को ढेर सारा प्यार।
तुम्हारा मित्र
अविनाश