DAV Solution, Class 7, Gyan Abhyas Sagar Chapter – 14, S. Ramanujan एस. रामानुजन

गणित – Mathematics

अध्यापक – शिक्षक

भाग – Divide

श्यामपट्ट – Blackboard

केले – Bananas

प्रत्येक – हर

पंक्ति – कतार

होशियार – मेधावी

हज़ार – सहस्र

प्रतीक्षा – इंतज़ार

मूर्खता – बेवकूफी

प्रश्न – सवाल

मेज़ – Table

शून्य – सिफर, Zero

असंख्य – Uncountable

करतब – कला

बेकार – व्यर्थ

प्रशंसा – तारीफ़

गणितज्ञ – Mathematician

उलझन – समस्या

मुनीम – मुंशी

स्पष्ट – Clear

विलक्षण – अद्भुत

प्रतिभा – Talent

वरिष्ठ – Senior

लाइब्रेरी – पुस्तकालय

शोध-कार्य – Research work

प्रमेय – जिसे प्रमाणित किया जा सके

फ़ॉर्मूला – सूत्र

पुस्तक – किताब

प्रसिद्द – विख्यात

महत्त्वपूर्ण – Important

सिनोप्सिस – Synopsis

शीर्षक – Title

प्रेरणा – Inspiration

नोटबुक्स – Notebooks

अध्ययन – पठन

परिणाम – फल, Result

प्रमाणित – Proved

खंडन – तोड़ना

श्रेणी – Class

छात्रवृत्ति – Scholarship

इतिहास – History

अंग्रेज़ी – English

शरीर विज्ञान – Physiology

संख्या – अंक, Number  

पागलपन – Lunacy

विवाह – शादी

फ़िराक – घात

दफ़्तर – कार्यालय

क्लर्क – लिपिक

प्रार्थनापत्र – Request Letter

अस्वीकार – रद्द

सौभाग्य – Good fate

निर्देशक – Director

पोर्ट – Port

ट्रस्ट – Trust

प्रति मास – Per Month

वेतन – तनख्वाह, Salary

प्राध्यापक – Lecturer

शिक्षा-शास्त्री – Educationist

दिलचस्पी – रुचि

शोध – Research

प्रयास – कोशिश

विश्वविद्यालय – University

डिग्री – Degree

समीकरण – Equation

अनुभव – Experience

मोडुलर – Modular

शृंखला – कड़ी

विख्यात – Famous

दुर्लभ – जो आसानी से न मिले

प्रतिभासंपन्न – Talented

प्रबंध – व्यवस्था, Arrangement

जहाज़ – Ship

अजनबी – Stranger

सरदी – जाड़ा

ब्राह्मण – Brahmin

शाकाहारी – Vegetarian

कठिन – मुश्किल

भोजन – खाना

स्वयं – खुद

संगति – Company

दृढ़निश्चयी – Strong Determined

शुद्ध – Pure

विज्ञान – Science

तपेदिक – Tuberculosis

बीमारी – रोग

ख़त्म – अंत, समाप्त

दर्द – पीड़ा

ज्योतिषी – Astrologer

भाषण – Speech

अनंत – जिसका अंत न हो, Endless

वक्ता – Speaker

पाठ – 14

एस. रामानुजन

डायरी लेखन

दिनांक : 08/11/20XX

समय : 09:30 PM

आज हमारी हिंदी साहित्य की कक्षा में एक प्रसिद्ध महानुभाव गणितज्ञ एस. रामानुजन के बारे में पढ़ाया गया। अंकों में उनका सानी शायद कोई न था। वे अंकों से कुछ इस तरह खेलते थे जैसे कोई बालक खिलौनों से खेलता हो। ये लक्ष्मी के लाडले तो कभी भी न हुए पर सरस्वती के कृपापात्र हमेशा ही रहे। अपनी विलक्षण प्रतिभा के कारण इन्हें विलायत जाने का अवसर प्राप्त हुआ। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के जी. हार्डी और जे. ई. लिटिलवुड जैसे गणित के विद्वान भी इनकी प्रतिभा के कायल हो गए। परंतु भारत का यह लाल गणित और संख्या की दुनिया और भी नए कीर्तिमान स्थापित करता उससे पहले ही तपेदिक जैसी बीमारी ने इन्हें भीतर से खोखला करना शुरू कर दिया। मरणासन्न स्थिति में भी ये शोध कार्य में संलग्न थे। 26 अप्रैल 1920 को इन्होंने अपने ज्ञान का पीयूष वर्षण अंतिम बार किया और सदा-सदा के लिए बैकुंठ प्रस्थान कर गए।

अविनाश रंजन गुप्ता

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