शब्दार्थ
गणित – Mathematics
अध्यापक – शिक्षक
भाग – Divide
श्यामपट्ट – Blackboard
केले – Bananas
प्रत्येक – हर
पंक्ति – कतार
होशियार – मेधावी
हज़ार – सहस्र
प्रतीक्षा – इंतज़ार
मूर्खता – बेवकूफी
प्रश्न – सवाल
मेज़ – Table
शून्य – सिफर, Zero
असंख्य – Uncountable
करतब – कला
बेकार – व्यर्थ
प्रशंसा – तारीफ़
गणितज्ञ – Mathematician
उलझन – समस्या
मुनीम – मुंशी
स्पष्ट – Clear
विलक्षण – अद्भुत
प्रतिभा – Talent
वरिष्ठ – Senior
लाइब्रेरी – पुस्तकालय
शोध-कार्य – Research work
प्रमेय – जिसे प्रमाणित किया जा सके
फ़ॉर्मूला – सूत्र
पुस्तक – किताब
प्रसिद्द – विख्यात
महत्त्वपूर्ण – Important
सिनोप्सिस – Synopsis
शीर्षक – Title
प्रेरणा – Inspiration
नोटबुक्स – Notebooks
अध्ययन – पठन
परिणाम – फल, Result
प्रमाणित – Proved
खंडन – तोड़ना
श्रेणी – Class
छात्रवृत्ति – Scholarship
इतिहास – History
अंग्रेज़ी – English
शरीर विज्ञान – Physiology
संख्या – अंक, Number
पागलपन – Lunacy
विवाह – शादी
फ़िराक – घात
दफ़्तर – कार्यालय
क्लर्क – लिपिक
प्रार्थनापत्र – Request Letter
अस्वीकार – रद्द
सौभाग्य – Good fate
निर्देशक – Director
पोर्ट – Port
ट्रस्ट – Trust
प्रति मास – Per Month
वेतन – तनख्वाह, Salary
प्राध्यापक – Lecturer
शिक्षा-शास्त्री – Educationist
दिलचस्पी – रुचि
शोध – Research
प्रयास – कोशिश
विश्वविद्यालय – University
डिग्री – Degree
समीकरण – Equation
अनुभव – Experience
मोडुलर – Modular
शृंखला – कड़ी
विख्यात – Famous
दुर्लभ – जो आसानी से न मिले
प्रतिभासंपन्न – Talented
प्रबंध – व्यवस्था, Arrangement
जहाज़ – Ship
अजनबी – Stranger
सरदी – जाड़ा
ब्राह्मण – Brahmin
शाकाहारी – Vegetarian
कठिन – मुश्किल
भोजन – खाना
स्वयं – खुद
संगति – Company
दृढ़निश्चयी – Strong Determined
शुद्ध – Pure
विज्ञान – Science
तपेदिक – Tuberculosis
बीमारी – रोग
ख़त्म – अंत, समाप्त
दर्द – पीड़ा
ज्योतिषी – Astrologer
भाषण – Speech
अनंत – जिसका अंत न हो, Endless
वक्ता – Speaker
भाषा अभ्यास
पाठ – 14
एस. रामानुजन
डायरी लेखन
दिनांक : 08/11/20XX
समय : 09:30 PM
आज हमारी हिंदी साहित्य की कक्षा में एक प्रसिद्ध महानुभाव गणितज्ञ एस. रामानुजन के बारे में पढ़ाया गया। अंकों में उनका सानी शायद कोई न था। वे अंकों से कुछ इस तरह खेलते थे जैसे कोई बालक खिलौनों से खेलता हो। ये लक्ष्मी के लाडले तो कभी भी न हुए पर सरस्वती के कृपापात्र हमेशा ही रहे। अपनी विलक्षण प्रतिभा के कारण इन्हें विलायत जाने का अवसर प्राप्त हुआ। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के जी. हार्डी और जे. ई. लिटिलवुड जैसे गणित के विद्वान भी इनकी प्रतिभा के कायल हो गए। परंतु भारत का यह लाल गणित और संख्या की दुनिया और भी नए कीर्तिमान स्थापित करता उससे पहले ही तपेदिक जैसी बीमारी ने इन्हें भीतर से खोखला करना शुरू कर दिया। मरणासन्न स्थिति में भी ये शोध कार्य में संलग्न थे। 26 अप्रैल 1920 को इन्होंने अपने ज्ञान का पीयूष वर्षण अंतिम बार किया और सदा-सदा के लिए बैकुंठ प्रस्थान कर गए।
अविनाश रंजन गुप्ता