शब्दार्थ
कागा – कौआ
काको – किसका
धन – संपत्ति
हरै – लेना
कोयल – Cuckoo
देत – देना
जग – दुनिया
लेत – लेना
साधु – Saint
सूप – Winnowing Basket
सुभाय – स्वभाव
सार-सार – मुख्य-मुख्य
गहि – रखना
थोथा – व्यर्थ
देइ – देना
चाह – चाहत, इच्छा
चिंता – परेशानी
मनुआ – मन
बेपरवाह – जिसे परवाह न हो
कछु – कुछ
साहन – राजा
साह – राजा
परहित – परार्थ
बापुरो – गरीब
कृष्ण – श्याम
मिताई – मिटाना
जोग – योग
ओछे – छोटा
नरन – व्यक्ति
सौं – से
बैर – दुश्मनी
प्रीति – प्रेम
स्वान – कुत्ता
दोऊ – दोनों
भाँति – की तरह
विपरीत – विलोम
नीकी – स्थिति
पै – पर
फीकी – व्यर्थ
लगै – लगाना
बसत – होना
युद्ध – रण
रस – Sentiments
शृंगार – प्रेम
सुहात – शोभा देना
पहुँचि – पहुँच
बिचारि – विचार
कै – कर
करतब – कार्य
दौर – सीमा
तेते – उतना
पाँव – पैर
पसारिए – फैलाइए
जेती – जितना
लांबी- लंबा
सौर – चादर
कारज – कार्य
धीरे – धीमा
होतु – होना
काहे – क्यों
होत – होना
अधीर – Impatience
पाय – पाकर
तरुवर – पेड़
फलै – फल लगना
केतक – कितना
सींचौ – सींचना
नीर – जल
पाठ में से
प्रश्न 1. संसार को अपना किस प्रकार बनाया जा सकता है?
उत्तर – संसार को अपना बनाने के लिए हमें सबके साथ मीठे वचनों में बातें करनी चाहिए।
प्रश्न 2. साधु की तुलना किससे की गई है और क्यों ?
उत्तर – साधु की तुलना सूप से की गई है क्योंकि जिस प्रकार सूप अच्छी चीज़ों को अपने अंदर समाहित कर लेता है और थोथे चीज़ों को बाहर निकाल फेंकता है वैसे ही साधु भी अपने मन में केवल अच्छी चीज़ों को ही जगह देते हैं और बुरी चीज़ों को अपने मन से कोसों दूर रखते हैं।
प्रश्न 3. दूसरों की भलाई करने वाले ही बड़े लोग होते हैं-रहीम जी ने कौन-सा उदाहरण देकर यह बात बताई है?
उत्तर – दूसरों की भलाई करने वाले ही वास्तव में बड़े लोग होते हैं। इस बात को प्रमाणित करने के लिए रहीम जी ने श्रीकृष्ण और सुदामा का रमणीय वर्णन करते हुए कहा है कि श्रीकृष्ण ने अपने दरिद्र मित्र सुदामा को अपार धन देकर उनकी दरिद्रता सदा के लिए दूर कर दी।
प्रश्न 4. अपनी सामर्थ्य के अनुसार कार्य करने से क्या लाभ होता है?
उत्तर – अपने सामर्थ्य के अनुसार काम करने पर हमें कभी भी लज्जित नहीं होना पड़ता और न ही हम कभी उच्छृंखलता (Rampant) के मार्ग का ही अनुसरण करते हैं।
प्रश्न 5. पाठ के आधार पर नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। सही कथनों के सामने सही (P ) का और गलत के सामने गलत (x) का निशान लगाइए-
(क) जब कोई इच्छा होती है तो चिंता भी लगी रहती है। सही
(ख) हमें अवसर के अनुकूल बात करनी चाहिए। सही
(ग) हमें कार्य करने के बाद अपनी सामर्थ्य देखनी चाहिए। गलत
(घ) समय से पूर्व किसी कार्य की पूर्णता के लिए अधीर होना चाहिए। गलत
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. तुच्छ व्यक्तियों से बैर और दोस्ती क्यों अच्छी नहीं होती?
उत्तर – तुच्छ व्यक्तियों से बैर और दोस्ती अच्छी नहीं होती क्योंकि ऐसे लोग अपनी संकीर्ण मानसिकता के कारण हमारे लिए कभी भी संकट पैदा कर सकते हैं। रहीम ने ऐसे लोगों के आचरण की तुलना कुत्ते से की है। वे कहते हैं कि कुत्ते के चाटने और काटने दोनों से संक्रमित (Infected) होने का खतरा बना रहता है।
प्रश्न 2. रहीम ने शाहों के शाह की किन-किन विशेषताओं को उजागर किया है?
उत्तर – रहीम ने शाहों के शाह शहंशाह के बेफिक्र रहने की अदा और चीज़ों को बटोरने की अनिच्छा जैसे विशेष गुणों को उजागर किया है।
प्रश्न 3. अवसर के अनुसार बात न करने के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर – अवसर के अनुसार बात न करने पर बातचीत में आनंद की जगह विषाद घुल जाता है जिससे स्थान, काल और वातावरण अनाकर्षक लगने लगता है।
प्रश्न 4. समय से ही सब कार्य होते हैं। इस बात को समझाने के लिए आप कौन-से उदाहरण देना चाहेंगे?
उत्तर – समय से ही सब कार्य होते हैं इस बात को समझाने के लिए मैं उम्र का उदाहरण देना चाहूँगा जैसे जो कार्य जवानी में संभव है वह न तो बाल्यावस्था में ही हो सकता है और न ही वृद्धावस्था में।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. मान लीजिए कि आपके पिता आपको जेब खर्च के लिए हर महीने सौ रुपए देते हैं। आप उसे किस तरह खर्च करेंगे?
उत्तर – अगर मेरे पिताजी मुझे जेब खर्च के लिए हर महीने 100 रुपए दें तो मैं उन पैसों को केवल और केवल उचित कार्यों में ही खर्च करूँगा, जैसे- किसी की मदद में, अपने पढ़ाई में, दान आदि में।
प्रश्न 2. बाज़ार से सब्ज़ी खरीदते समय, स्कूल की फीस भरते हुए, नाटक की तैयारी करते समय कौन-कौन सी बातें करना अवसर के अनुकूल नहीं होंगी? हर स्थिति के लिए दो-दो बातें बताइए ।
उत्तर – बाज़ार में सब्ज़ी खरीदते समय आतंकवाद की बातें या अपने सहपाठी के बारे में बात करना अनुचित होगा। स्कूल की फीस भरते हुए डकैती और अपने बचपन की बातें करना अनुचित होगा तथा नाटक की तैयारी करते समय सिलाई-बुनाई एवं अर्थनीति की बातें व्यर्थ हैं।
भाषा की बात
भाषा की बात
1. नीचे दिए गए उदाहरण को पढ़िए और समझिए –
• कागा काकौ धन हरै, कोयल काको देत।
• चाह गई चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह ।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘क’ वर्ण का प्रयोग कई बार हुआ है और दूसरी में ‘च’ का प्रयोग। इस प्रकार बार- बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। यहाँ अनुप्रास अलंकार है ।
प्रश्न 2. नीचे दी गई पंक्तियों में से ऐसे शब्दों को छाँटिए जिनके प्रारंभ में किसी एक वर्ण की आवृत्ति हुई हो। साथ ही यह भी बताइए कि किस वर्ण की आवृत्ति हुई है?
प्रश्न (क) साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
उत्तर – क. सूप सुभाय ‘स’ वर्ण की आवृत्ति।
प्रश्न (ख) कारज धीरे होतु है, काहे होत अधीर ।
उत्तर – ख. होतु है ‘ह’ वर्ण की आवृत्ति।
प्रश्न (ग) नीकी पै फीकी लगे, बिन अवसर की बात ।
उत्तर – ग. नीकी फीकी ‘क’ वर्ण की आवृत्ति।
प्रश्न 3. नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए-
3. क. काको – किसका ङ. कारज – कार्य
ख. बिचारि – विचार च. साह – शाह
ग. सुभाय – स्वभाव छ. सुनाय – सुनाना
घ. कछु – कुछ
जीवन मूल्य
1. अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए-
प्रश्न (क) जब आपके मधुर व्यवहार के कारण आपकी प्रशंसा हुई हो ।
उत्तर – क. मेरे घर पर एक दिन कुछ मेहमान आए थे। मैंने उनके साथ इतनी विनम्रतापूर्वक व्यवहार किया कि वे कभी भी कहीं जाते हैं तो मेरी प्रशंसा ज़रूर करते हैं।
प्रश्न (ख) जब आपके कटु व्यवहार के कारण आपको अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा हो।
उत्तर – ख. एक बार विद्यालय में मैंने अपने एक सहपाठी से बड़े ही अभद्र तरीके से बातचीत की थी जिसकी जानकारी हमारे कक्षाध्यापक को मॉनिटर के माध्यम से मिली। उस समय मुझे अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा।
प्रश्न 2. दूसरों की भलाई करने वाले ही वास्तव में बड़े लोग होते हैं।
क्या आपको कभी किसी ज़रूरतमंद की सहायता कर खुशी का अनुभव हुआ है? कक्षा में बताइए।
उत्तर – एक बार की बात है, मैं रेलवे टिकट खिड़की पर अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहा था तभी मैंने देखा कि एक व्यक्ति को 3 रुपए चिल्लर की ज़रूरत आ पड़ी। मैंने उन्हें 3 रुपए चिल्लर देकर उनकी मदद की थी।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. ‘मीठी वाणी’ तथा ‘मित्रता’ से संबंधित दोहों का संकलन कर चार्ट पर लिखिए और कक्षा में लगाइए।
उत्तर – मीठी वाणी बोलना, काम नहीं आसान।
जिसको आती ये कला, होत वही सुजान॥
गाँठ बाँध लो आज तुम, संत जनों का ज्ञान।
मीठी वाणी कर सके, हर मुश्किल आसान॥
कहि रहीम संपति सगे बनत बहुत बह रीत।
विपति कसौटी जे कसे, तेई सांचे मीत॥
“जौ चाहत, चटकन घटे, मैलो होई न मित्त।
राज राजसु न छुवाइ तौ, नेह चीकन चित्त॥”
प्रश्न 2. कबीर, रहीम, वृंद के (पाठ्य पुस्तक के अतिरिक्त) दोहों का संकलन कीजिए तथा सामूहिक रूप से कक्षा में दोहा गायन प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
उत्तर –
तिनका कबहुं ना निंदए, जो पांव तले होए।
कबहुं उड़ अंखियन पड़े, पीर घनेरी होए॥
गुरु गोविंद दोऊं खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताय॥
खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥
आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान॥
अभ्यास सागर
पाठ – 12
दोहे
विविध शब्द प्रयोग
1.
तरु – पेड़, वृक्ष
नीर – पानी, जल
2.
क. मनुष्य – आदमी, मानव, मनुज
ख. युद्ध – संग्राम, समर, रण
ग. सोना – स्वर्ण, कनक, कंचन
घ. कपड़ा – वस्त्र, वसन, अंबर
ङ. सरस्वती – भारती, शारदा, वागीश्वरी
3.
क. पावन
ख. मंदाकिनी
ग. राकेश
घ. कूल
ङ. प्रसून
4.
क. हार – युद्ध में दुश्मनों की हार हुई। (पराजय)
हार – हीरे का हार बहुत कीमती होता है। (माला)
ख. ग्रहण – मैंने रमेश का उपहार ग्रहण किया। (स्वीकार)
ग्रहण – अतिथियों ने भोजन ग्रहण किया। (खाना)
ग. काल – भक्तिकाल भारत का स्वर्ण युग कहलाता है। (समय)
काल – हम सबको एक न एक दिन काल निगल लेगा।(मृत्यु)
घ. फल – फल खाने से ताकत मिलती है। (फल)
फल – मेहनत का फल मीठा होता है। (नतीजा)
ङ. उत्तर – मुझे इस प्रश्न का उत्तर पता है। (जवाब)
उत्तर – दिल्ली उत्तर दिशा में है। (दिशा का नाम)
5.
क. उदार – एपीजे उदार हृदय वाले महान पुरुष थे।
उधार – रमेश ने मुझसे एक लाख रुपए उधार लिया है।
ख. अपेक्षा – शिक्षक छात्रों से पढ़ने की अपेक्षा रखते हैं।
उपेक्षा – हमें किसी की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
ग. प्रणाम – हमें बड़ों को प्रणाम करना चाहिए।
प्रमाण – कानून प्रमाण पर विश्वास करता है।
घ. प्रसाद – पूजा के बाद प्रसाद सेवन किया जाता है।
प्रासाद – मैसूर में एक बड़ा प्रासाद है।
6.
क. उलट-पलट
ख. घास-फूस
ग. चमक-दमक
घ. जीव-जंतु
ङ. पालन-पोषण
च. भूख-प्यास
7.
क. तिमिर – प्रकाश
ख. स्वार्थ – निःस्वार्थ
ग. तरल – ठोस
घ. अनुकूल – प्रतिकूल
8.
क. कपड़े धोता
ख. गाना सुनाया
ग. खाना बना
घ. कहानी लिखी
ङ. चावल खाए
9.
क. देश में साफ-सफ़ाई में जागरूकता बढ़ाने के लिए-
ख. स्वास्थ्यवर्धक पेय पदार्थ