DAV Solutions Class – VIII Chapter – 4 Dopaharee दोपहरी

नभ – आकाश

तारकोल – अलकतरे वाली

आंगार – अग्निशिखा

छाँह – छाया

झुलस – त्वचा का जल जाना

दीर्घकाय – बड़े शरीरवाला

कंकाल – अस्थि-पंजर Skeleton

अकाल –सूखा / Drought

तांगा – घोड़ागाड़ी

चाबुक – Horsewhip 

सर्प – साँप

सरीखी – की तरह

अँगीठी – चूल्हा

ग्रामीण – देहाती

आत्मा – soul

जतन – कोशिश

खपरैलों – Tiles

चोंच- Beak

श्वान – कुत्ता

नैन – आँख

साँझ – संध्या

विलोम

नभ # भूमि

अंगार # राख़

छाँह # धूप

दीर्घकाय # लघुकाय

ग्रामीण # शहरी 

साँझ # सुबह

पर्यायवाची

नभ – आकाश, गगन, अंबर, व्योम

सर्प – साँप, अहि, भुजंग

जतन – कोशिश, प्रयास,

श्वान – कुत्ता, कुक्कुर

नैन – आँख, नयन, नेत्र, लोचन

उपसर्ग / प्रत्यय

अकाल = अ + काल 

ग्रामीण – ग्राम +ईन

प्रश्न 1. गरमी का वृक्षों पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर – गर्मी की प्रचंडता के कारण पेड़ के पत्ते झुलस गए थे। कुछ वृक्षों के पत्ते तो पूरे झड़ गए थे जिन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानो बड़े-बड़े कंकाल खड़े हों।

प्रश्न 2. ‘जूते फटे हुए, जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा’ – कविता की इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘जूते फटे हुए, जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा’ इस पंक्ति के माध्यम से कवयित्री हमें गाँव की आर्थिक दुर्दशा के बारे में बता रही हैं कि ग्रामीण लोगों की वेश-भूषा और जीवन शैली से यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि उनका जीवन अभावों में बीत रहा है।

प्रश्न 3. गरमी में बड़े घर के कुत्तों को प्राप्त सुविधाओं और आम आदमी की मजबूरी की तुलना कीजिए।

उत्तर – गर्मी में बड़े घरों के कुत्ते वातानुकूलित (Air Conditioned) कमरों में रहते हैं। बाथरूम में पानी की हल्की ठंडक में आँख मूँदकर लेटे रहते हैं और दूसरी तरफ़ आम आदमी अपने दो वक़्त की रोटी के लिए गर्मी की ताप सहने के लिए मज़बूर हैं जो इस बात को दर्शाता है कि अमीर घर के कुत्ते आम आदमी से श्रेयस्कर जीवन व्यतीत करते हैं।

प्रश्न 4. दोपहर बीत जाने के बाद संध्या के समय भी कोई बाहर क्यों नहीं निकलता?

उत्तर – दोपहर बीत जाने के बाद संध्या में भी कोई बाहर नहीं निकलता क्योंकि संध्या में भी गरम हवा की लहरों से शरीर को कष्ट पहुँचता है।

प्रश्न 5. उचित उत्तर पर सही ( P ) का निशान लगाइए-

प्रश्न (क) वृक्ष कैसे लग रहे थे ?

कंकालों-से

अवतार-से

सर्प-से

चाबुक से

उत्तर – कंकालों से

प्रश्न (ख) घोड़ा आगे कैसे बढ़ता था ?

अँगीठी के बल पर

अँगारों के बल पर

चाबुक के बल पर

सर्प के बल पर

उत्तर – चाबुक के बल पर

प्रश्न (ग) संध्या की चहल-पहल ने क्या ओढ़ा हुआ था?

अँगारों की चादर

गहरे रंग की चादर

सूने रंग की चादर

गहरे – सूने रंग की चादर

उत्तर – गहरे सूने रंग की चादर

प्रश्न 6. कविता के दिए गए अंश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

कभी एक ग्रामीण धरे कंधे पर लाठी

सुख-दुख की मोटी-

लिए पीठ पर भारी

जूते फटे हुए

गठरी

जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा

जिंदा रहने के कठिन जतन में

पाँव बढ़ाए आगे जाता ।

घर की खपरैलों के नीचे

चिड़ियाँ भी दो-चार चोंच खोल उड़ती-छिपती थीं

खुले हुए आँगन में फैली

कड़ी धूप से।

प्रश्न (क) ग्रामीण ने कंधे पर क्या उठाया हुआ था?

उत्तर – ग्रामीण ने लाठी के सहारे अपने कंधे पर एक गठरी उठा रखी है।

(ख) ग्रामीण पाँव आगे क्यों बढ़ाता जा रहा था?

उत्तर – ग्रामीण पाँव आगे बढ़ाता जा रहा था क्योंकि उसे जीवित  रहना है।

प्रश्न (ग) चिड़ियाँ किस कारण से और कहाँ उड़ती – छिपती थीं?

उत्तर – चिड़ियाँ धूप से बचने के लिए इधर-उधर छाया की तलाश में उड़ती-छिपती थीं।

प्रश्न 1. घोड़ा दोपहरी में भी आगे बढ़ने के लिए क्यों मजबूर था?

उत्तर – घोड़ा दोपहरी में भी आगे बढ़ने के लिए मज़बूर था क्योंकि उसकी पीठ पर चाबुक की मार पड़ रही थी जो प्रचंड गर्मी से कहीं अधिक पीड़ादायक थी।

प्रश्न 2. गरमी की छुट्टियों में दोपहर के समय आप क्या करते हैं? कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर – गर्मी की छुट्टियों में दोपहर में मैं चित्रकारी करना, देर तक नहाना, किताबें पढ़ना, आइसक्रीम खाना आदि काम करता हूँ।

प्रश्न 3. क्या मानव समाज के समान पशु-जगत के जीव भी अमीर-गरीब की श्रेणी में आते हैं? अपने उत्तर के लिए कारण भी दीजिए।

उत्तर – मानव-समाज के समान पशु-जगत के जीव भी अमीर-गरीब की श्रेणी में आते हैं क्योंकि जिन पशुओं को घरों में पाला जाता है, अधिकतर यह देखा गया है कि उसके मालिक के पास अपार धन होता है और इस वजह से वे भी अमीर की श्रेणी में आ जाते हैं।

प्रश्न 4. कविता ‘दोपहरी’ के किस अंश ने आपको प्रभावित किया और क्यों?

उत्तर – “कभी एक ग्रामीण धरे कंधे पर लाठी 
सुख-दुख की मोटी-सी गठरी 
लिए पीठ पर भारी”  

कविता के इस अंश ने मुझे बहुत प्रभावित किया है क्योंकि इन पंक्तियों में गाँव और ग्रामीणों के वास्तविक चित्र को उकेरा गया है।

प्रश्न 1. कविता में आए निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए-

क. नभ  – गगन, अंबर         

ख. सर्प  – अहि, भुजंग       

ग. घर – सदन, आलय

घ. नैन – नेत्र, चक्षु

प्रश्न 2. कविता के आधार पर दिए गए विशेष्य शब्दों के लिए विशेषण लिखिए-

विशेषण            विशेष्य 

काली              सड़कें

दुबला             घोड़ा

गरम             पीठ

एक               ग्रामीण

मोटी              गठरी

फटे               जूते   

प्रश्न 1. समाज में अमीर-गरीब के भेदभाव पर चर्चा कीजिए और बताइए कि निर्धन वर्ग के विकास के लिए क्या-क्या किया जा रहा है ?

उत्तर – समाज में निर्धन वर्ग के विकास के लिए सरकार की तरफ़ से अनेक योजनाएँ चलाईं जा रही हैं जैसे- जन-धन योजना, इंदिरा आवास, लाडली योजना, मनरेगा योजना इत्यादि।      

प्रश्न 2. मनुष्य को जीवन में सुख के साथ कठिन परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ता है। ऐसी कठिन परिस्थितियों में मनुष्य को क्या करना चाहिए?

उत्तर – जीवन सुख-दुख के चक्रों में निरंतर घूमता रहता है। सुख की बेला में तो बड़ा आनंद आता है पर कठिन परिस्थिति में हम विचलित हो जाते हैं। हमें चाहिए कि हम कठिन परिस्थिति में धैर्य और साहस से काम लें क्योंकि जब सुख स्थायी नहीं है तो दुख स्थायी कैसे रह सकता है?

प्रश्न 1. ऋतुओं पर अनेक कविताएँ लिखी गई हैं। सरदी, वर्षा और बसंत ऋतु पर एक- एक कविता कॉपी में लिखिए व कक्षा में सुनाइए ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें

प्रश्न 2. सरदी, गरमी और वर्षा ऋतु में दोपहर का समय कैसा होता है? कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें

पाठ – 4

दोपहरी

अलंकार(अनुप्रास, उपमा, रूपक,

मानवीकरण) अपठित काव्यांश

1.

क.   सर्प सरीखी

ख. स  साँझ समय

ग. च    चमचम, चपला, चमकी   

घ. ल    लाली, लाल, लाल

2.

अनुप्रास अलंकार को अच्छे से पढ़ने और समझने के लिए-   

3.

क. तरणि, तनूजा, तट, तमाल, तरुवर में ‘त’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

ख. मधुर, मधुर, मुस्कान, मनोहर, मनुज में ‘म’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

ग. देखि, दीन, दसा, करुना, करिकै, करुनानिधि में ‘द’ और ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

4.

उपमा अलंकार को अच्छे से पढ़ने एवं समझने के लिए।

5.

क. सड़कों के अत्यधिक गरम होने के कारण उनकी तुलना अंगारों से की गई है।   

ख. एक उपवन के अत्यधिक सुंदर होने के कारण उसकी तुलना नंदनवन अर्थात् इंद्र देवता के वन से की गई है।    

ग. पत्ररहित और गर्मी से झुलस जाने के कारण उन लंबे-लंबे वृक्षों की तुलना हड्डियों के ढाँचे अर्थात् कंकालों से की गई है।  

घ. नीले गगन की निःशब्दता या स्थिरता के कारण उसकी तुलना हृदय के शांत होने से की जा रही है।

6.

रूपक अलंकार को अच्छे से पढ़ने एवं समझने के लिए।

7.

क. चरण (उपमेय) में कमल (उपमान) का अत्यधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान का अभेद आरोप किया गया है। अतः, यहाँ रूपक अलंकार है।

ख. पद (उपमेय) में पंकज (उपमान) का अत्यधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान का अभेद आरोप किया गया है। अतः, यहाँ रूपक अलंकार है।

ग. मन (उपमेय) में सागर (उपमान) का अत्यधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान का अभेद आरोप किया गया है। अतः, यहाँ रूपक अलंकार है।

8.

मानवीकरण अलंकार को अच्छे से पढ़ने एवं समझने के लिए।

9.

क. कलियों को मनुष्य के समान दरवाजे खोलने और मुसकाने की क्रिया करते दिखाया गया है। अतः, यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

ख. वनस्पतियों को मनुष्य के समान अलसाने और चेहरा धोने की क्रिया करते दिखाया गया है। अतः, यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

ग. संध्या को परी के समान धीरे-धीरे उतरने की क्रिया करते दिखाया गया है। अतः, यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

10.

क. कवि श्रम करके मिट्टी को सोना बनाने की बात कर रहे    हैं।

ख. सामूहिक परिश्रम से जब सभी एक साथ मिलकर एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य करेंगे तब ये ज़माना बदल जाएगा और धरा जगमगाने लगेगी। 

ग. घृणा को घृणा से जीतना और शत्रुता को शत्रुता से दबाना बहुत कठिन कार्य है।

घ. कवि के अनुसार उठे हुओं को गिराना और बने हुए को मिटाना बड़ा सरल है।

ङ. कवि जीवन को सुकोमल बनाने, जीवन मूल्य स्थापित करने और नवनिर्माण करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। 

11.

क. ग्रह

ख. कर्म

ग. ट्रेन

घ. ग्राम

ङ. धर्म

च. ड्रम

12.

क. श्रीमती

ख. ब्राह्मण

ग. पैतृक

घ. चिह्न

ङ. स्थायी

च. दृष्टि

छ. स्वास्थ्य

ज. कवयित्री

13.

क. जिह्वा

ख. सर्प

ग. मृत्तिका

घ. हस्ती

ङ. गृह

च. चंद्र

14.

क. योगी – योग + ई   

ख. लुहार – लोहा + आर

ग. धार्मिक – धर्म + इक

घ. सपेरा – साँप + एरा

ङ. प्रभुता – प्रभु + ता

15.

क. अति – अतिरिक्त, अतिशीघ्र

ख. वि – वियोग, विशुद्ध

ग. स्व – स्वाधीन, स्वरचित

घ. प्र – प्रखंड, प्रमुख

ङ. अ – असत्य , अतिथि  

16.

क. खाता    सकर्मक

ख. चले         सकर्मक

ग. उड़      सकर्मक

घ. पढ़      सकर्मक

ङ. उड़ा      सकर्मक

17.

क. को

ख. अरे!

ग. के, पर

घ. ने, से, को

ङ. ने, की

18.

क. नातिन

ख. सदस्या

ग. अभिनेत्री

घ. देवरानी

ङ. मालिन

च. श्रीमती

19.

यह दृश्य किसी सुंदर उपवन का है जहाँ शाम के समय बच्चे खेल-कूद का आनंद उठा रहे हैं। कुछ बच्चे फुटबॉल खेल रहे हैं तो दूसरी तरफ़ लड़कों की टोली आपस में बातें कर रही हैं। इस उपवन में अशोक के पेड़, तरह-तरह के फूलों के पौधे लगे हुए हैं। उपवन के बीच में एक सुंदर-सा फव्वारा भी है। यह दृश्य सचमुच बड़ा मनमोहक है पर इसी दृश्य में एक व्यक्ति पेड़ की आड़ से लड़कों की टोली की तरफ़ देख रहा है। उसकी इस क्रिया से उसकी संधिग्धता का बोध हो रहा है। इसकी वेश-भूषा से मुझे यही लग रहा है कि यह कोई गरीब व्यक्ति है जो कुछ खाने की लालसा में हसरत भरी नज़रों से बच्चों की तरफ़ एकटक देख रहा है।      

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