शब्दार्थ
बातचीत की कला – Art of Conversation
भाव – Feeling
मणि – Gems
सूत्र – धागा
अभिव्यक्ति – Expression
हृदयंगम – मन में स्थित
क्षमता – ताकत
वरदान – Boon
चराचर – जड़ और चेतन
कुशलता/प्रवीण/निपुण – पारंगत , Skilled
प्रभावशाली – Effective
ग्रहण – Accept
लाभान्वित – Benefitted
खेद – Regret
सर्वाधिक – सबसे अधिक
उपेक्षित – त्याग किया हुआ
उन्नति – विकास
शिखर –Summit
रोज़मर्रा – प्रतिदिन का
प्रशिक्षण – Training
सांस्कृतिक – Cultural
धार्मिक गोष्ठियों – Religious Committees
विक्रय-केंद्र- Sale Centre
व्यापारिक – Commercial
विरुद्ध – Against
सहिष्णुता – अपनेपन का भाव
वैमनस्यता – दुश्मनी
अभीष्ट – इच्छित / Desired
सतत – लगातार
आत्मचिंतन – Introspect
आत्मशोधन – खुद को सुधारना
मृदु – मीठी
सदैव – हमेशा
अवसान – मिटा देना
मौजूदा – वर्तमान
दृष्टिगोचर – दिखना
प्रवृत्ति – Nature
निश्छल – जिसमें धोखा न हो
स्वाभाविक – Natural
उद्विग्न – परेशान
भग्नाश – निराश
प्रस्फुटित – खिलना
प्रतीक – Symbol
अक्षय – जिसका क्षय न हो
कोष – खजाना
दोनों हाथों में लड्डू – फायदे में रहना
व्यायाम – कसरत
पकवान /व्यंजन – Dish
विधि – तरीका
कूल्हा – कमर के नीचे का हिस्सा
संतुलित – Balanced
विनोद – कारण
स्नायविक – Neurological
क्षोभ – क्रोध
मलाल – दुख
तुनुक मिज़ाजी – short tempered
हिदायत – निर्देश
गरीबपरवर – गरीबों पर दया करने वाले
नम्रतापूर्वक – politely
वाक्पटुता – बोलने में चतुराई
निरुत्तर – unanswered
हाज़िरजवाबी – प्रत्युत्पन्नमति
अमोघ – अचूक
प्रगल्भ – अभिमान
विकलांग – अपंग
आघात – चोट
लाभप्रद – Beneficial
उपसर्ग
प्रभाव + शाली = प्रभावशाली
संस्कृति + इक = सांस्कृतिक
धर्म + इक = धार्मिक
व्यापार + इक = व्यापारिक
सहिष्णु + ता = सहिष्णुता
उपेक्षा + इत = उपेक्षित
मौजूद + आ = मौजूदा
स्वभाव + इक = स्वाभाविक
प्रत्यय
अभि + व्यक्ति = अभिव्यक्ति
आ + घात = आघात
वि + आयाम = व्यायाम
प्र + शिक्षण = प्रशिक्षण
पर्यायवाची
मणि – रत्न, लाल, जौहर, हीरा, नग, जवाहर
सूत्र – धागा, डोर, तन्तु, तागा, सूत
क्षमता – ताकत, बल, शक्ति, सामर्थ्य, पौरुष
वरदान – अनुकंपा, नियामत, कृपा, नेमत, शुभाशीष
प्रभावशाली – तासीर, असर, छाप, रसूख
ग्रहण – स्वीकार, वरण, कुबूल, लेन
उन्नति – विकास, तरक्की, प्रगति
शिखर – शृंग, कँगूरा, पर्वताग्र, चोटी
विरुद्ध – प्रतिकूल, उलट, विपरीत, खिलाफ़
वैमनस्यता – दुश्मनी, शत्रुता
सतत – लगातार, निरंतर
व्यायाम – कसरत, वर्जीस
मलाल – दुख, अनुताप, परिताप
हिदायत – निर्देश, संकेत, ताकीद, पथप्रदर्शन
प्रगल्भ – अभिमान, घमंड, दर्प
विकलांग – अपंग, अपाहिज, अंगहीन, पंगु, लूला
आघात – चोट, हमला, आक्रमण, प्रहार
विलोम
अधिकार # कर्तव्य
निश्चित # अनिश्चित
अनेक # एक
बिक्री # खरीद
समीप # दूर
मृत्यु # जीवन
शोक # हर्ष, अशोक
पाठ में से
प्रश्न 1. बातचीत करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर – बातचीत करते समय हमें अपने से ज़्यादा सामने वाले को महत्त्व देना चाहिए, उनकी रुचि-अरुचि, सुख-सुविधा, विचारों-सिद्धांतों, भावनाओं और मान-सम्मान का पूरा-पूरा ख्याल रखान चाहिए।
प्रश्न 2. सुदृढ़ चरित्र का अभाव व्यक्ति विशेष और सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव डालता है?
उत्तर – सुदृढ़ चरित्र का अभाव में व्यक्ति मौजूदा समाज में व्याप्त हिंसा, द्वेष, घृणा, भ्रष्टाचार, कलह, धोखाधड़ी, दुराचार आदि असामाजिक प्रवृत्तियों का शिकार हो जाता है और समाज में भी सम्मानित स्थान प्राप्त नहीं कर पाताІ
प्रश्न 3. बीरबल ने अपने किन गुणों से तोते की देख-रेख करने वाले की जान बचाई?
उत्तर – बीरबल अत्यंत ही चतुर थे। उन्होंने बादशाह अकबर से मृत तोते के बारे में इतना ही कहा कि हुज़ूर जो आपका तोता था, वह न आज वह कुछ खाता है, न पीता है, न मुँह खोलता है, न बात करता है, न चलता है, न उठता है, न फुदकता है। जब बादशाह अकबर ने खुद आकर तोते को देखा तो उन्हें सच्चाई का पता चला तब बीरबल ने बादशाह को उनके द्वारा तय की गई मौत की सज़ा के बारे में याद दिलाया और इस प्रकार बीरबल ने तोते की देख-रेख करने वाले की जान बचाई।
प्रश्न 4. बातचीत की कला में निपुणता प्राप्त करने के लिए क्या-क्या करना चाहिए?
उत्तर – बातचीत की कला में निपुण बनने के लिए हमें आत्मचिंतन और आत्मशोधन करना होगा क्योंकि इन दो विधियों से हम अपने आपको को भली-भाँति परख सकते हैं और आवश्यकतानुसार अपने व्यवहार में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, जिससे हम बातचीत की कला के सही मार्ग की ओर अग्रसर हो सकते हैं। इसके अलावा हमें अपने-से बड़ों और अनुभवी लोगों को सुनना होगा और बातचीत के दौरान किसी भी रूप में अपने स्वार्थ को प्रकट नहीं होने देना चाहिएІ
प्रश्न 5. नीचे दिए गए गलत कथनों को सही करके दोबारा लिखिए-
प्रश्न (क) अवसर के प्रतिकूल आचरण करने से व्यक्ति की प्रशंसा होती है।
उत्तर – अवसर के प्रतिकूल आचरण करने से व्यक्ति की निंदा होती है।
प्रश्न (ख) मधुर मुसकान से सद्भावना व मित्रता को क्षति पहुँचती है।
उत्तर – मधुर मुसकान से सद्भावना व मित्रता को लाभ पहुँचाता है।
प्रश्न (ग) बिना सोचे-समझे बोलना बातचीत के सिद्धांत के अनुकूल है।
उत्तर – बिना सोचे-समझे बोलना बातचीत के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
प्रश्न (घ) बातचीत की कला में प्रवीण व्यक्ति के लिए विद्या कायर के अस्त्र के समान है।
उत्तर – बातचीत की कला में प्रवीण व्यक्ति के लिए विद्या वीर के अस्त्र के समान है।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. बातचीत की कला के अभाव में सुशिक्षित व्यक्ति भी उन्नति नहीं कर पाता। कैसे ?
उत्तर – बातचीत की कला के अभाव में सुशिक्षित व्यक्ति भी उन्नति नहीं कर पाता क्योंकि समाज में उन्नति करने के लिए हमें ज़्यादा से ज़्यादा लोक संबंध स्थापित करना पड़ता है और मधुर लोक संबंध बनाने के लिए हमें बातचीत की कला में निपुण होना पड़ता हैІ दूसरी तरफ़ उन्नति करने के लिए हमें ज्ञानार्जन की आवश्यकता पड़ती है और ज्ञानार्जन के लिए हमें बातचीत की कला में निपुण होना ही पड़ता है।
प्रश्न 2. अच्छी बातचीत से प्रत्येक समस्या का समाधान संभव है। कैसे?
उत्तर – दुनिया में ऐसी कोई भी समस्या नहीं जिसका समाधान बातचीत से न निकाला जा सके। बातचीत के माध्यम से समस्या को केंद्र में रखकर उसके समाधान के लिए बहुत से बुद्धिजीवी विचार करते हैं। फलस्वरूप, समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
प्रश्न 3. पाठ में बातचीत की कला में निपुणता हासिल करने के लिए कई तरीके सुझाए गए हैं। आप उनमें से किन तरीकों को अपनाना चाहेंगे?
उत्तर – बातचीत की कला में निपुण होने के लिए हमें बहुत सारी किताबें पढ़नी चाहिए। सज्जनों की संगति में रहना चाहिए और आत्म-विवेक लाभ करने हेतु स्वयं अपनी अंतरात्मा से बातें करनी चाहिए।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. यदि बीरबल के स्थान पर आप होते तो आप तोते की देख-रेख करने वाले की जान कैसे बचाते?
उत्तर – यदि बीरबल के स्थान पर मैं होता तो तोते की देख-रेख करने वाले की जान बचाने के लिए मैं अकबर से कहता कि मैं आपको जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई दिखाना चाहता हूँ और अकबर मरे तोते को देखते तो उन्हें इल्म हो जाता कि तोते की मौत हो गई है।
प्रश्न 2. किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने अपनी मीठी वाणी के प्रयोग से किसी समस्या का समाधान निकाला हो ?
उत्तर – एक बार जब मेरे पड़ोसी आपस में किसी सामान्य मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई तो मैंने उन्हें उनके बीच अतीत की मीठी यादों याद को दिलाकर उनके बहस को बातचीत में बदल दियाІ
प्रश्न 3. यदि आपका कोई मित्र अभद्र भाषा का प्रयोग करता है तथा व्यवहार भी अशिष्ट है तो आप उसे किस प्रकार समझाएँगे?
उत्तर – यदि मेरा कोई मित्र अभद्र भाषा का प्रयोग करें तो मैं उसे समझाने के लिए कहूँगा कि तुम्हारा मुँह किसी कूड़ेदान का ढक्कन नहीं जिसे जब खोलो बदबू और सड़ी हुई चीज़ें ही सामने आएІ उसके अशिष्ट व्यवहार के लिए मैं उसे यह कहूँगा कि हम जिससे भी मिलते हैं वो किसी न किसी क्षेत्र में हमसे आगे होते हैं तो दूसरों के साथ अशिष्ट व्यवहार कर अपना व्यक्तित्व का अवमूल्यन करना सही नहीं है।
भाषा की बात
प्रश्न 1. नीचे दिए गए शब्द – युग्मों को पूरा कीजिए-
शिक्षण – प्रशिक्षण
सुख – सुविधा
मान – सम्मान
सोचना – समझना
देख – रेख
रुचि – अरुचि
माता – पिता
ज. सिखाने – सीखने
प्रश्न 2. नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
क. योग्यता – अयोग्यता
ख. उन्नति – अवनति
ग. सम्मान – असम्मान
घ. संतुलित – असंतुलित
जीवन मूल्य
• ‘पुष्प की गंध की तरह मुसकराहट सबको सुवासित कर देती है।
प्रश्न 1. मुसकराहट किस प्रकार हमारे जीवन में सुगंध फैलाती है?
उत्तर – सुगंध हमें मानसिक संतुष्टि देती है ठीक उसी प्रकार मुसकराहट भी हमें और दूसरों को आत्मिक सुख पहुँचाती है और जब हम दूसरे से और दूसरे हमसे प्रसन्न रहते हैं तो हमारे जीवन में सुगंध फैल जाती है।
प्रश्न 2. मुसकराहट भरे चेहरे को देखकर आप कैसा अनुभव करते हैं?
उत्तर – मुसकराहट भरे चेहरे को देखकर हम ताज़गी से भर जाते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि एक मुसकराहट मेरे दिन भर की थकान को पानी के बुलबुले की तरह गायब कर देती है। सचमुच मुसकराहट किसी रामबाण से कम नहीं।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. बातचीत और भाषण में क्या अंतर है? दोनों के एक-एक उदाहरण का संकलन कीजिए और अंतर बताइए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
प्रश्न 2. वाक्पटुता पर आधारित किसी कथा ( तेनालीरामन, बीरबल इत्यादि) का नाट्य रूपांतरण कर कक्षा में प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
प्रश्न 3. ‘ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय॥’
मीठी वाणी के साथ-साथ बातचीत की कला में अन्य कई गुण सहायक हैं। अन्य गुणों को ध्यान में रखते हुए सूक्तियों का संकलन कीजिए। उत्तर – छात्र स्वयं करें
अभ्यास सागर
पाठ – 10
बातचीत की कला
संधि, स्वर संधि
1. केवल पढ़ने और समझने के लिए ।
2.
क. चर = अ + अ
ख. सर्व = अ + अ
ग. अभि = इ + इ
घ. महा =आ + उ
3.
आ
4.
क. अन्नाभाव
ख. शिवालय
ग. गिरीश
घ. भानूदय
ङ. रेखांकित
च. वार्तालाप
5.
क. देवेंद्र
ख. देवेश
ग. महेंद्र
घ. चंद्रोदय
ङ. महोत्सव
च. देवर्षि
छ. महर्षि
6.
क. एकैक
ख. सदैव
ग. महैश्वर्य
घ. परमौजस्वी
ङ. महौषध
7.
क. यद्यपि
ख. इत्यादि
ग. प्रत्येक
घ. अन्वेषणा
ङ. पित्रागमन
8.
क. पुस्तकालय
ख. उप + अध्यक्ष
ग. राजा + ऋषि
घ. महोत्सव
ङ. उमा + ईश
च. भानु + उदय
छ. सदैव
9.
क. गरम गुणवाचक विशेषण
ख. प्रथम संख्यावाचक विशेषण
ग. तीस संख्यावाचक विशेषण
घ. उत्तर गुणवाचक विशेषण
ङ. कुछ संख्यावाचक विशेषण
10.
क. बहुत
ख. बड़े
ग. पूरा
घ. अत्यधिक
11.
क. तरल
ख. अगली
ग. निर्यात
घ. अनुज
ङ. शीत
12.
क. कर्म कारक
ख. अपादान कारक
ग. संबोधन कारक
घ. संप्रदान कारक
ङ. अधिकरण कारक
13.
क. इसलिए
ख. और
ग. के बिना
घ. ताकि
ङ. के पास
14.
संवाद
अलका – अरे आभा, कैसी हो और कहाँ से आ रही हो?
आभा – मैं ठीक हूँ और मूर्तिकला केंद्र से आ रही हूँ।
अलका – मूर्तिकला केंद्र, क्यों?
आभा – मैंने कल से ही मूर्तिकला सीखना शुरू किया है।
अलका – ये तो बहुत ही अच्छी बात है, मुझे क्यों नहीं बताया?
आभा – क्या तुम्हें भी मूर्तिकला सीखने की इच्छा है?
अलका – हाँ, इसमें मेरी बहुत रुचि है।
आभा – तो ठीक है कल से तुम भी मेरे साथ चलो।
अलका – हाँ, ज़रूर चलूँगी।
आभा – पर तुम्हें अपने पिताजी से एक बार बात करनी चाहिए।
अलका – हाँ, वो तो करूँगी ही।
आभा – ठीक है, कल सुबह तुम मुझे बता देना।
अलका – हाँ, ठीक है।
आभा – ठीक है। अब मैं चलती हूँ।