चीन : चीनी साहित्य के प्रतिनिधि
जन्म : 1881 मृत्यु : 1936
प्रगतिशील साहित्य के प्रमुख आधार स्तंभों में लू शुन का सम्मानजनक स्थान है। चीन की ‘सांस्कृतिक क्रांति’ (Cultural Revolution) के प्रतीक माने जाने वाले लू शुन ने अपनी रचनाओं से तत्कालीन चीनी शासन को काफी परेशान किया था। वे सामंतवाद के विरोधी तथा जनवादी लेखक थे। उन्होंने जापानियों के विरुद्ध संघर्ष भी किया था। लू शुन की रचनाओं में ‘एक पागल की डायरी’, ‘गर्म हवा’, ‘औषध’, ‘मेरा पुराना घर’, ‘नववर्ष की पूजा’ आदि विशेष लोकप्रिय हैं। साहित्य और समाज के क्षेत्र में लू शुन ने अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण को अपनाया था। उन्होंने चीन में युवकों को ‘कुओमिन्तांग’ (Kuomintang) के अत्याचारों के विरुद्ध एकजुट भी किया था।
लूशन का जन्म 25 सितंबर को शाओ शिंग (चीन) में हुआ था। 18 वर्ष की उम्र में वे नानकिंग पढ़ने चले गये। 1902 में वे उच्च शिक्षा (चिकित्सा) के लिये जापान गए और 1908 में वापस आकर वे चीनी युवकों को क्रांति के लिए प्रोत्साहित करने लगे। चीन की राजनीति में भाग लेकर नवजागृति लाने और साहित्य में यथार्थ का सृजन करने वाले लू शुन 19 अक्टूबर, 1936 को 55 वर्ष की आयु में मृत्यु को प्राप्त हुए।