भारत : राष्ट्रपिता
जन्म : 1869 मृत्यु : 1948
मोहनदास करमचंद गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के कर्णधार थे। उन्हीं की प्रेरणा से 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो सकी थी। अपनी अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति से मानव जीवन के शाश्वत मूल्यों को उद्भाषित करने वाले, विश्व इतिहास के महान तथा अमर नायक महात्मा गांधी आजीवन सत्य, अहिंसा और प्रेम का पथ प्रदर्शित करते रहे। 1894 में उन्होंने द. अफ्रीका की रंगभेद नीति के विरोध में ‘नेशनल इंडियन कांग्रेस’ की स्थापना की। 1907 में उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किया। 1915 में उन्होंने ‘साबरमती आश्रम’ की स्थापना की तथा 1919 में उन्होंने ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’, 1920 में ‘असहयोग आंदोलन’, 1930 में ‘नमक सत्याग्रह’, 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का नेतृत्व किया। 1947 में सांप्रदायिक सद्भावना स्थापित करने के उनके प्रयास वास्तव में उनके जीवन की प्रमुख उपलब्धि थे। भ्रातृभाव की स्थापना के लिए कई बार उन्होंने अनशन भी किया। ‘सत्य के मेरे प्रयोग’ एवं ‘आत्मकथा’ उनकी अमर रचनाएँ हैं। गांधी जी ने सदैव राष्ट्र के दलित और पीड़ितों की मदद की। अछूत एवं हेय समझी जाने वाली जातियों को भी ‘हरिजन’ नाम देकर उन्होंने सम्मानित किया।
गांधी जी का जन्म पोरबंदर (गुजरात) में 2 अक्तूबर को हुआ था। भारत में प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करके 1891 में आपने इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास की। 1894 में उन्हें द. अफ्रीका जाना पड़ा, जहां से उनका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ।
द्वितीय विश्वयुद्ध में गांधी जी ने अपने देशवासियों से ब्रिटेन के लिए न लड़ने का आग्रह किया था, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। युद्ध के उपरान्त उन्होंने पुनः स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर संभाल ली। अंतत: 1947 में हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त ही गई।
गांधी जी ने सदैव विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णुता का संदेश दिया, पर 1948 में एक धर्मान्ध नाथूराम गोड्से ने अपनी गोली से उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी। इस दुर्घटना से सारा विश्व शोकमग्न हो गया था। वर्ष 1999 में बी.बी.सी. द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में गांधी जी को बीते मिलेनियम का सर्वश्रेष्ठ पुरुष घोषित किया गया है।