Hindi Sourabh Class X Hindi solution Odisha Board (TLH) दोहे तुलसीदास

भक्त कवि तुलसी दास का जन्म सन् 1532 में उत्तर प्रदेश के राजापुर में हुआ था और देहांत सन् 1633 में। पिता-माता के स्नेह से वंचित होकर बचपन में उनको बड़ा कष्ट उठाना पड़ा। सौभाग्य से गुरु नरहरिदास ने उनकी बड़ी मदद की। तुलसी रामभक्त थे और यौवन काल में ही साधु बन गए। रामानंद उनके गुरु थे। वे हिंदी और संस्कृत के बड़े पंडित थे। उस समय मुगलों का शासन था। देश की सामाजिक और धार्मिक परिस्थियाँ अस्त-व्यस्त थीं। तुलसीदास ने रामचरित मानस लिखकर लोगों के सामने निष्कपट जीवन और आचरण का उदाहरण रखा। आज भी यह देश का अत्यंत लोकप्रिय ग्रंथ है। जन साधारण उसे बड़े चाव से पढ़ते हैं। दुखी, निराश तथा भक्त लोगों को रामचरितमानस पढ़कर सुख शांति मिलती है। विनयपत्रिका, कवितावली, दोहावली, गीतावली आदि उनके अनेक ग्रंथ हैं। वे अवधी और ब्रजभाषा दोनों में लिखते थे।

दोहा 01

तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँओर।

वसीकरण यह मंत्र है, परिहरु वचन कठोर॥

शब्दार्थ

वचन बोली।, ते से।, सुख खुशी।, उपजत पैदा होना।, चहुँओर चारों तरफ।, वसीकरण वश में करना।, मंत्र उपाय।, परिहरु त्याग करें।, कठोर कड़वा। 

व्याख्या –

मीठे वचन सबको प्रिय होते हैं। मीठी वाणी से हम सबको अपने वश में कर सकते हैं। मीठी वाणी से सब ओर शांति बनी रहती है। सबको सुख मिलता है। ठीक इसके विपरीत कड़वे वचन सबको दुख पहुँचाते हैं। मीठे वचन तो वशीकरण मंत्र अर्थात् सबको वश में करनेवाले मंत्र के समान है। इसलिए हमें कड़वे वचन न बोलकर मीठी वाणी ही बोलनी चाहिए।

दोहा 02

गोधन, गजधन, बाजिधन और रतनधन खान।

जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान॥

शब्दार्थ – 

गोधन गाय रूपी धन।, गजधन हाथी रूपी धन।, बाजिधन –  घोड़ा रूपी धन।, रतन मणि।, धन संपत्ति।, खान खादान।, आवे आता है।, धूरि धूल।, समान बराबर।

व्याख्या –

तुलसीदास जी यह कहते हैं कि आमतौर पर हमारी धारणा है कि जिसके पास पर्याप्त गाय-भैंस, हाथी या घोड़े हैं या धनरत्न, हीरा, मोती आदि हैं, वह सबसे बड़ा धनी है। लेकिन तुलसीदास के अनुसार ये सारे धन होते हुए भी अगर मन में संतोष नहीं है तो ये सब मूल्यहीन हैं। संतोष रूपी धन के सामने ये सब धूल के बराबर तुच्छ हैं। क्योंकि इस प्रकार के धन से सुख, शांति नहीं मिलती अपितु मन चिंतित ही रहता है।

दोहा 03

रोष न रसना खोलिए, बरु खोलिओ तरवारि।

सुनत मधुर परिनाम हित, बोलिअ वचन विचारि॥

शब्दार्थ – 

रोष क्रोध।, रसना जीभ।, बरु बल्कि।, खोलिओ खोलना।, तरवारि तलवार।, सुनत सुनो।, मधुर मीठा।, परिनाम परिणाम।, हित मंगल के लिए।, बोलिअ बोलो।, वचन बोली।, विचारि विचार करके।

व्याख्या

तुलसीदास जी कहते हैं कि जब क्रोध अधिक हो तो जीभ नहीं खोलनी चाहिए क्योंकि क्रोध में जब तलवार निकलती है तो शरीर को क्षत-विक्षत करती हैं और क्रोध में जब जिह्वा या जीभ खुलती है तो क्रोधवश  मनुष्य कड़वी बातें बोल देता है और यह कड़वी बातें हृदय और मन को तलवार के वार से भी अधिक क्षत-विक्षत करती हैं। अर्थात् क्रोध के समय अपनी जिह्वा को रोके रखना चाहिए, किसी से कुछ नहीं कहना चाहिए। कुछ समय का जिह्वा नियंत्रण हमें कई मुसीबतों और अप्रिय स्थिति से बचा सकता है।

(क) कठोर वचन का क्यों परिहार करना चहिए?

उत्तर हमें कठोर वचन का परिहार करना चहिए क्योंकि कठोर वचनों के कारण हमारी प्राय: सभी क्षेत्रों में बहुत हानि होती है, जैसे- कठोर वचनों के कारण हम समाज में मित्र नहीं बना पाते, शिक्षित नहीं हो पाते, किसी की कृपा का पात्र नहीं बन पाते और न ही अपने पारिवारिक जीवन का ही आनंद उठा पाते हैं। 

(ख) मीठे वचन से क्या लाभ होता है?

उत्तर – मीठे वचनों से होने वाले लाभ अनगिनत हैं, जैसे मीठे वचनों के कारण हम सम्मान पाते हैं, लोकप्रिय बनते हैं, समाज में हम सभ्य बनते हैं जिसकी आगे चलकर मिसाल दी जाती है और इस तरह से हमारा जीवन सफल भी हो जाता है।  

(ग) संतोष धन के सामने कौन-कौन से धन धूरि के बराबर माने जाते हैं?

उत्तर – संतोष धन के सामने गोधन अर्थात् गाय रूपी धन, गजधन अर्थात् हाथी रूपी धन, बाजिधन अर्थात् घोड़े रूपी धन और रतनधन सब धूल के बराबर है। 

(घ) रोष या गुस्से के समय क्या नहीं खोलना चाहिए और क्यों?

 उत्तर – रोष या गुस्से के समय हमें अपनी जीभ नहीं खोलनी चाहिए क्योंकि क्रोधवश हम कुछ अनावश्यक और अप्रिय बातें कह देते हैं जो सामने वाले के मन और हृदय को तलवार के वार के समान क्षत-विक्षत कर देती है।

(ङ) मीठे वचन की तुलना वशीकरण मंत्र से क्यों की गई है?

उत्तर – मीठे वचन की तुलना वशीकरण मंत्र से की गई है क्योंकि इस मंत्र के माध्यम से हम किसी को भी अपने वश में अर्थात् उनके हृदय में अपने लिए स्थान बना लेते हैं और उनके साथ हमारा आत्मीयता का संबंध बन जाता है। 

(च) हमें सोच विचार कर क्यों बोलना चाहिए?

उत्तर – हमें सोच विचार कर ही बोलना चाहिए क्योंकि मुँह से निकली वाणी और कमान से निकला तीर कभी वापस नहीं आते। ठीक उसी प्रकार सोच-समझकर किया जाने वाला वार्तालाप ही सही अर्थों में श्रेयस्कर है क्योंकि इससे किसी के हृदय को न ही कष्ट पहुँचता है और न ही मधुर संबंधों में कड़वाहट आती है। 

(क) तुलसी मीठे वचन ते सुख उपजत चहुँओर।

उत्तर तुलसीदास जी कहना है कि मीठे वचनों के प्रयोग से हर ओर सुख और शांति का वातावरण छा जाता है। सामाजिक सौहार्द और अपनेपन का भाव भी बढ़ता है।

(ख) जब आवे संतोषधन, सबधन धूरि समान।

उत्तर तुलसीदास जी का यह दृढ़ विश्वास है कि अपार धनराशि होने के बाद भी अगर संतुष्टि नहीं है तो वह सारी संपत्ति निरर्थक है। तुलसीदास जी मुक्त कंठ से यही कहते हैं कि सभी धनों में श्रेष्ठ धन संतोष धन ही है। 

(ग) रोष न रसना खोलिए बरु खोलिओ तलवार।

उत्तर तुलसीदास जी यहाँ प्रतिदिन के व्यवहार में आने वाली एक महत्त्वपूर्ण स्थिति का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि जब हम क्रोधित होते हैं तो हमें अपनी जिह्वा को कुछ देर नियंत्रण में रखना चाहिए क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो क्रोधवश हम कुछ उल्टा-सीधा कह देंगे जिससे बात और भी बिगड़ जाएगी।

(क) किससे चारों ओर सुख उपजता है?

उत्तर मीठे वचनों से चारों ओर सुख उपजता है।

(ख) वशीकरण का मंत्र क्या है?

उत्तर दूसरे को अपने वश में करना ही वशीकरण का मंत्र है।

(ग) हमें क्या परिहार करना या छोड़ना चाहिए?

उत्तर – हमें कठोर वचनों का परिहार करना या छोड़ना चाहिए।

(घ) कवि ने संतोष की तुलना किस से की है?

उत्तर – कवि ने संतोष की तुलना सबसे बड़े धन से की है।

(ङ) कब रसना नहीं खोलनी चाहिए?

उत्तर जब हम क्रोध में हों तब रसना अर्थात् जीभ नहीं खोलनी चाहिए।

(च) किस धन के सामने सारे धन तुच्छ माने जाते हैं?

उत्तर संतोष धन के सामने सारे धन तुच्छ माने जाते हैं।

(छ) संतोष धन के सामने सब धन किसके समान होते हैं?

उत्तर – संतोष धन के सामने सब धन धूल के समान होते हैं।

(ज) विचार करके वचन कहने से क्या होता है?

उत्तर विचार करके वचन कहने से न तो हमें अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ता है और न ही हम किसी मुसीबत होता है

1. निम्नलिखित शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए :

मीठा कड़वा

सुख दुख

कठोर कोमल

छोड़ना पकड़ना

समान असमान

खोलना बंद करना

2. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए :

वचन बोली

सुख आनंद

कठोर कड़ा

उपजना उगना, पैदा होना

गो गाय

गज हाथी

बाजि  – अश्व

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रयोग से सार्थक वाक्य बनाइए :

वशीकरण दूसरे को अपने वश मेन करने का नाम वशीकरण है।

कठोर हमें कठोर वचनों का त्याग करना चाहिए।

गोधन गोधन ही गोपालकों की असली संपत्ति है।

संतोष आज के युग में संतोष नाम की चीज़ ही नहीं है। 

तलवार तलवार बहुत पुराना शस्त्र है।

4. निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए :

चहुँओर चारों तरफ़

वसीकरण वशीकरण

धूरि धूल

तरवारि तलवार

परिनाम परिणाम

5. निम्नलिखित शब्दों के साथ करण कारक सेचिह्न का प्रयोग करके वाक्य बनाइए :

वचन हमें मीठे वचन कहने चाहिए।

मंत्र गायत्री मंत्र अति प्रसिद्ध मंत्र है।

धन आज के युग में सभी को धन की लालसा है।

तलवार शिवाजी के तलवार के नाम तुलजा और भवानी है।  

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