कवि परिचय :
आयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के निजामाबाद कस्बे में सन् 1865 में हुआ था। स्कूली शिक्षा समाप्त करके वे सरकारी नौकरी में लग गए। हिंदी, संस्कृत और फारसी में उन्होंने अच्छा ज्ञान प्राप्त किया था। वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में अध्यापक भी रहे।
हरिऔध जी खड़ीबोली हिंदी के प्रथम कवियों में हैं। उनकी भाषा सरल, मुहावरेदार और भावगर्भक होती है।
हरिऔध की प्रमुख रचनाएँ हैं – प्रिय प्रवास, वैदेही वनवास, कर्मवीर, रसकलश, चोखे चौपदे, चुभते चौपदे आदि।
यह कविता :
यह एक छोटी-सी कविता है पर है बड़े काम की है। छोटी-छोटी चीजें ही हमारे जीवन को एकदम बदल देती हैं। मनुष्य को अपने पर बड़ा गर्व होता है। कवि कहते हैं वे एक दिन घमंड में भरकर एकदम ऐंठे हुए से तन कर छत के मुँडेर पर खड़े थे। ऐसे में कहीं दूर से एक छोटा-सा तिनका आकर उनकी आँखों में गिरा।
कवि झुँझलाकर परेशान हो उठे। आँख जल रही थी और लाल होकर दुखने भी लगी। लेखक की ऐसी हालत देखकर लोग कपड़े की मूँठ देकर उनकी आँख को सेकने लगे कि शायद थोड़ा आराम मिल जाए पर नहीं। दर्द किसी तरह कम नहीं हुआ। ऐसे में कवि को ऐंठ (घमंड) मानो चुपचाप भाग गई थी। वे तो किसी भी तरह उस पीड़ा से छुटकारा पाना चाहते थे। जब किसी तरह आँख से तिनका निकला तो मानो उनका विवेक उन्हें ताना मार रहा था। तू इतना अकड़ क्यों दिखाता है। एक छोटा-सा तिनका ही तेरे अहंकार को तोड़ने में काफी है।
एक तिनका
मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुँडेर पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।
मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा,
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे,
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी।
जब किसी ढब से निकल तिनका गया,
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
शब्दार्थ –
तिनका – सूखी घास।
घमंड – गर्व, अहंकार। ऐंठ
मुंडेरे – दीवार का सबसे ऊपरी भाग जो छत के ऊपर रहता है।
झिझकना – हिचकिचाना
दबे पाँव – चुपचाप
अचानक – सहसा
व्याकुल – बेकल
मूँठ – कपड़े का गुब्बारा
ढब – तरीका, रीति, ढंग।
ताना – चिढ़कर कहना।
जिद्द – अकड़
प्रश्न और अभ्यास
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो / तीन वाक्यों में दीजिए :
(क) एक दिन कवि को क्या हो गया?
उत्तर –
(ख) आँख में तिनका पड़ने पर घमंडी की क्या दशा हुई?
उत्तर – आँख में तिनका पड़ने पर घमंडी की आँख लाल हो गई। वह बेकल होकर अपनी पीड़ा दूर करने के उपाय खोजने लगा। दर्द से राहत पाने के लिए कपड़े की मूँठ से आँख सेंकने लगे।
(ग) आँख में तिनका पड़ने पर लोग क्या करने लगे?
उत्तर – आँख में तिनका पड़ने पर लोग कपड़े के मूँठ से कवि को अपनी आँख सेंकने की सलाह देने लगे तथा कवि भी उनकी बात मानकर अपनी आँख सेंकने लगे।
(घ) किसी तरह आँख से तिनका निकल गया तो कवि को क्या अनुभव हुआ?
उत्तर – किसी तरह जब आँख से तिनका निकल गया तो कवि को यह अनुभव हुआ कि मेरी ऐंठ या मेरे घमंड को दूर करने के लिए एक तिनका ही काफी है।
(ङ) एक तिनका कविता का मूल भाव क्या है?
उत्तर – एक तिनका कविता का मूल भाव यह है कि हमें कभी भी ऐंठ या अभिमान में नहीं रहना चाहिए क्योंकि ऐंठ या अभिमान की अंतिम परिणति टूटना या चकनाचूर होना ही है। और इसके लिए किसी बड़े विस्फोटकीय घटना की आवश्यकता नहीं बल्कि एक मामूली-सा तिनका ही पर्याप्त है।
2. अर्थ स्पष्ट कीजिए :
(क) घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा।
उत्तर – इन पंक्तियों में कवि यह कह रहे हैं कि एक दिन बड़े गर्व, अभिमान और ऐंठ के साथ अपने घर के छत की मुँडेर पर खड़े थे और यहीं से इनके जीवन में सकारात्मक सोच ने जन्म लिया और इनके जीवन की दिशा और दशा दोनों ही बदल गई।
(ख) मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा।
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
उत्तर – ये पंक्तियाँ कवि की आँख में पड़े एक तिनके से होने वाली असहनीय पीड़ा को व्यक्त करती हैं। उस पीड़ा के कारण कवि बेचैन हो गए थे और दर्द से उनकी आँख भी लाल हो गई थी।
(ग) ऐंठता तू किस लिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
उत्तर – कवि को तिनके की पीड़ा ने बेचैन कर दिया था और जब किसी तरह उनकी आँख से तिनका बाहर निकल गया तो एक उत्तम विचार उनके मस्तिष्क में प्रस्फुटित हुआ और वे यह जान पाए कि मेरे घमंड या मेरी ऐंठ को तोड़ने के लिए एक तिनका ही बहुत है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए :
(क) एक तिनका कविता के कवि का नाम क्या है?
उत्तर – एक तिनका कविता के कवि का नाम अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ है।
(ख) एक दिन कवि कहाँ खड़े थे?
उत्तर – एक दिन कवि अपनी घर की छत की मुँडेर पर खड़े थे।
(ग) अचानक क्या हुआ?
उत्तर – अचानक कवि की आँख में एक तिनका आ गिरा।
(घ) कौन दबें पाँव भागी?
उत्तर – ऐंठ दबें पाँव भागी।
(ङ) घमंडी के घमंड को दूर करने के लिए क्या बहुत है?
उत्तर – घमंडी के घमंड को दूर करने के लिए एक तिनका ही बहुत है।
भाषा – ज्ञान
1. नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए :
जैसे- एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।
उत्तर – मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे
उत्तर -लोग कपड़े की मूँठ देने लगे।
(क) एक दिन जब था मुँडेरे पर खड़ा
उत्तर – एक दिन जब मुँडेरे पर खड़ा था।
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी
उत्तर – आँख भी लाल होकर दुखने लगी।
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी
उत्तर – बेचारी ऐंठ दबे पाँवों भागी।
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया।
उत्तर – किसी ढब से जब तिनका निकल गया।
(ङ) एक तिनका है बहुत तेरे लिए
उत्तर – तेरे लिए एक तिनका बहुत है।
2. निम्नलिखित शब्दों के विलोम / विपरीत शब्द लिखिए :
झिझक – बेझिझक
बेचैन – चैन
दुःख – सुख
दुखद – सुखद
बहुत – कम
3. ‘किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे ‘धम से’ वाक्यांश है, लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ‘ढब से’ और ‘धम से’ वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करनेवाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए
(छपाक से, टपटप, सर्र से, फुर्र से)
(क) मेंढक पानी में छपाक से कूद गया।
(ख) नल बंद होने पर भी पानी की कुछ बूँदें टपटप चू गईं।
(ग) शोर होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ी।
(घ) मोटर साइकिल सर्र से गई।
4. पाठ के आधार पर सही परसर्गों से शून्य स्थानों को भरिए :
(क) घमंडों से भरा ऐंठा हुआ।
(ख) एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।
(ग) आ अचानक दूर से उड़ता हुआ।
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया।
(ङ) तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।