सेवा में
मानव रत्न,
श्रीमान सदन कुमार पाल,
प्रोफ़ेसर, सरकारी स्यंशासित महाविद्यालय,
राउरकेला
महाशय
आज हम अत्यन्त शोक के साथ आपको विदा देने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। प्रोफ़ेसर से भी अधिक हम आपका मानव रूप में आदर करते हैं। नि:सन्देह आप हिंदू धर्म के सर्वोत्कृष्ट गुणों की साक्षात् मूर्ति हैं। प्रत्येक मनुष्य जिसे आपके सम्पर्क में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, आपकी प्रकृति की भूरि-भूरि सराहना करता है। आपका मुसकराता हुआ मुख, मधुर वाणी, स्नेह, कोमलता, दयालुता और सहानुभूति आपकी सर्वप्रियता के कारण हैं। आप सदाचार को अत्यन्त महत्त्व देते हैं। और आपका सम्पर्क आत्म-संस्कार का अच्छा साधन है। आपकी-सी सहिष्णुता अन्यत्र कम देखी जाती है। कठिन से कठिन परिस्थिति में आपने शान्ति के साथ कॉलेज के छात्रों की प्रतिष्ठा रक्खी है। आज तक कभी आपके मुख पर क्रोध की झलक नहीं देखी गई हैं। हमारे साथ आपका वैसा ही व्यवहार रहा है जैसा किसी का अपनी संतान के प्रति होता है। आपके इन्हीं सद्गुणों के कारण मेरी वाणी और मेरी कलम आपका यशोगान करने को बाध्य हो गई। यदि हम आपके चरणों की धूल बराबर भी बन सके तो अपने कृत-कृत समझेंगे।
सधन्यवाद!
आपका मानस पुत्र
अविनाश रंजन गुप्ता